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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

mashish

BHARAT
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तीसरा भाग

अच्छा ! तो इस छोटे को एक बड़ा नाम भी है ।" यह बोल कर वह फिर हँस पड़ी।

"वैसे आपका नाम क्या है ? मैंने पूछा।

" नाम की इतनी भी जल्द क्या है छोटे ? समय आएगा तब जान जाईयेगा ।" इतना बोल कर वह मुस्कुराती हुई चली गई।

उसकी मुस्कान ही हम पर सितम ढाह रही थी। उसके जाने के बाद मैं भी भैया के पास चला गया। पूरा होटल शादी के माहौल में डूब चुका था । सभी लोगों के चेहरे पर एक अलग ही तरह की उमंग देखने को मिल रही थी।

" भैया आपने मुझे बुलाया ?" मैंने बोला ।

"छोटे, शाम के 4 बजे वाली फलाइट से सुजाता मौसी आ रही हैं। तुम उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना" भैया ने बोलें।

" ठीक है भैया । मैं अभी निकलता हूँ। "

यह बोलने के बाद मैंने अपनी नजर स्मार्ट वाच पर टिकाई। शाम के साढ़े तीन बज रहें थे ।

मैं हाल से निकल का सीधा एयरपोर्ट चला गया। एयरपोर्ट पहुंचने में कुल 25 मिनट लग गये थे मगर फिर भी मैं सही समय पर पहुंच गया था। वहाँ कुछ मिनट इन्तजार करने के बाद मुझे सुजाता मौसी दिखी।
सुटकेस के साथ शिल्पा भी मौसी के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलती दिखी।

शिल्पा मेरी मौसी की देवर की इकलौती बेटी है। शिल्पा जब 1 वर्ष की थी तब ही उसके मां और पिता का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था और तब से वह मेरी मौसी के साथ ही रहती है। मौसी ने ही उसका लालन-पालन किया है।

और अब मौसी चाहती थी कि शिल्पा की शादी मेरे अर्जुन भैया से हो। मौसी मेरी माँ से शिल्पा से रिश्ता के लिए कई बार बात कर चुकी थी मगर मेरी माँ हर बार इस रिश्ते को ठुकराती आई है।

मौसी के साथ शिल्पा को देख कर मुझे अजीब लगा । जब शिल्पा के रिश्ते कई बार ठुकराया जा चुका था तो शिल्पा को इस शादी में लाना क्या जरूरी था। मै ऐसा सोचने लगा।

" प्रणाम मौसी " मैं मौसी के पैर छु कर बोला।

" खुश रहो बेटा ... खुश रहो " मौसी थोड़ी ज्यादा ओवर एक्टींग करती हुई बोली।

मौसी हमारी गाड़ी सडक के दूसरी तरफ खड़ी है। हम गाड़ी में चले ? ” मैंने गाड़ी के ओर इशारा करते हुए मौसी से बोला।

" बेटा मेरे साथ शिल्पा भी आई हुई है " मौसी शिल्पा की ओर उंगली से इशारा करती हुई बोली।

" हेलो " मैंने शिल्पा से बोला।

" हाय ... I" शिल्पा चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ बोली थी।

वैसे मैं शिल्पा को पहले ही देख चुका था मगर मैंने उससे कुछ बोलना उचित नहीं समझा था।

कुछ मिनट बाद हम लोग अपनी गाड़ी में बैठ चुके थे और गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था , मेरी बगल में शिल्पा बैठी थी और पीछे वाली सीट पर सुजाता मौसी थी।

" बेटा हम कितने देर में होटल पहुंच जाएंगे ?" मौसी ने पूछा।

" बस अब हम पहुंचने ही वाले हैं " मैंने सड़क के सीधे में देखते हुए बोला।

" वैसे एक बात पूछूं बेटा? " सुजाता मौसी बोली।

" जी ..... जी मौसी पूछिए।" मैंने बोला।

" बेटा मैंने सुना है तुम्हारी कंपनी , घर और यहां तक की तुम्हारी सभी जायजात तुम्हारे भाई के नाम से रजिस्टर्ड है '' मौसी बोली।

" जी मौसी ... जब पापा की मृत्यु हुई थी तब मेरी उम्र 1 वर्ष से भी कम की थी जिसके कारण उस वक्त पापा के नाम की सारी जायजात को अर्जुन भैया के नाम से रजिस्टर्ड करवाना पड़ा था और वैसे भी इसमें हर्ज ही क्या है? " मैंने बहुत ही सरल शब्दों में जवाब दिया।

" बेटा इसमें तुम्हें कोई हर्ज नहीं दिखता है ? कहीं ऐसा ना हो शादी के बाद उसकी पत्नी तुम्हें जायजात से कुछ हिस्सा ही ना दें, क्योंकि हर लड़की मेरी शिल्पा जैसी तो नहीं ना हो सकती है । " मौसी मुझे बड़ी ही कुटिल नजरों से देखती हुई बोली।

मैं मौसी को कुछ बोलता उससे पहले ही हमारी गाड़ी होटल के पास पहुंच चुकी थी।

वैसे मेरी मौसी का यह स्वभाव हमेशा से रहा है। वह हमेशा से ही हर बातों को नकारात्मक रूप से देखती आई है। उन्हे हर चीजों में, हर रिश्तो में शक करने की बीमारी है। यही कारण था कि उस वक्त मैं गाड़ी में उनसे इन बातों पर ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा।

मैं गाड़ी को होटल के पार्किंग में पार्क कर गाड़ी से बाहर निकला ही था कि मेरी नजर फिर कॉलेज की उस पीले दुपट्टे वाली लड़की पर पड़ी। वह मुझे नहीं देख रही थी वह अपने दोस्तों के साथ अपने होठों की लम्बी चोंच बनाकर अपने मोबाइल से सेल्फी खींच रही थी।

" दीपा दीदी. .....सब लोग डांस प्रतियोगिता कर रहे हैं । चलो ना हम सब भी डांस करते हैं।'' एक 10- 12 साल की लड़की ने उस कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की को आकर बोली।

" वाव! सच में ..... ! तो फिर हम लोग भी चलते हैं" कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की खुश होते हुए बोली।

" दीपा दीदी ? .... ओहो.... तो पीले दुपट्टे वाली लड़की का नाम दीपा है।......निशांत - दीपा, वाह क्या जोड़ी जमेगी ! " मैंने मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला।

मैंने देखा वो लोग होटल के डांस फ्लोर पर जा चुके थे।

दिल चोरी साड्डा हो गया है की करिए की करिए '' डांस फ्लोर पर हनी सिंह का यह गाना फुल बेस (Base) में बज रहा था।

मेरी नजर अचानक डांस करती लड़कियों के समूह पर टिक गई। कुछ लड़कियां इस गाने पर जबरदस्त डांस कर रही थी उन्हीं लड़कियों के बीच दीपा भी थी।

गजब का डांस परफॉर्म कर रही थी। वह खूबसूरत तो थी ही, वह डांस भी गजब का कर रही थी। मेरी नजर उसके चहरे से बिलकुल एक सेकण्ड के लिए भी नही हट रही थी तभी एक साथ सारे लोगों की तालियों की आवाज सुनाई पड़ी I जिसके कारण मेरा ध्यान लड़कियों से भंग हुआ ।

गाना खत्म हो चुका था सभी लोग इस डांस परफॉर्म के लिए तालियां बजा रहे थे। अब लड़के वालों के डांस करने की बारी थी। मेरे कुछ दोस्त डांस करने के लिए गए और साथ में डांस करने के लिए मुझे भी बुला रहे थे मगर मैंने मना कर दिया।

" छोटे... तुम्हारे अंदर पावर नहीं है क्या ? ऐसा तो नही मेरा डांस देखकर डर गए हो ? " दीपा ने मेरे कानों के पास आकर कहा।



साथ बने रहिए।
very nice update
 

mashish

BHARAT
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चौथा भाग

मैंने पलट कर देखा। वह अपनी आंखों से इशारा कर मुझे डांस टीम में जाने के लिए बोल रही थी। साथ ही वह अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा भी कर रही थी।

इसके बाद मैंने कुछ भी नहीं सोचा सीधा डांस ग्रुप में चला गया उसके बाद फिर जो डांस किया कि वह सबके होश उड़ा देने वाला डांस था। लोग तो पहले से लड़कियो के डांस देख कर लड़कियों के डांस को ही सबसे बेहतरीन डांस मान कर बैठे थे। लेकिन जब हम लड़कों ने डांस किया तो सब लड़कियों का डांस चीनी कम पानी हो गया था। परफॉर्म खत्म होने के बाद मैंने सभी लोगों को ध्यान से देखा सारे लोग तालियां बजा रहे थे।

" भाई लड़कों में भी दम है " बैठे उन सभी मेहमानों में से किसी एक ने बोला। उनकी बात सुनकर मेहमानों की तालियां और तेजी से बजने लगी।

" क्यों दीपा डार्लिंग मेरा डांस कैसा लगा?" मैंने दीपा के पास जाकर उसके कानों में बोला।

" तुम्हें मेरा नाम कैसे पता हुआ? " दीपा आश्चर्यचकित होकर बोल पड़ी।

" दीपा जी हम भी थोड़ा स्मार्ट है। " मैंने थोड़ा चिढ़ाने वाली स्टाइल में बोला था।

पहले उसने अपनी आंखें चढ़ा ली फिर कुछ पल बाद मुस्कुराकर अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा कर वहां से भाग गयी।

वह जितनी बार मुझे अपने अंगूठे से लूजर बोलती थी उतनी ही बार उससे प्यार और अधिक बढ़ जाता था। क्योंकि उसी वक्त उसके चेहरे पर असली खुशी और सादगी दिखाई देती थी। मैं दीपा को वहां से जाते देख ही रहा था कि मुझे खाने की मेज की तरफ कुछ लोगों की आवाजें सुनाई पड़ी मुड़कर दूसरी तरफ देखा तो कुछ लोग एक साथ झुण्ड बना कर खड़े थे ।मैंने वहां जाकर देखा। तो सुजाता मौसी किसी के ऊपर चिल्ला रही थी।

“अरे कैसे होटल में तुम लोग शादी कर रहे हो? यहां के वेटरों को तो तमीज से बात करना भी नहीं आता है” सुजाता मौसी गुस्से में बोल रही थी।

क्या हुआ मौसी ? ” मैं वहां पहुंचते ही बोला।

“जब मैंने इस बेटर से कॉफी मांगा तो इसने बोला अभी समय लग सकता है और जब मैंने पूछा क्यों ? तो यह बदतमीजी करने लगा ” मौसी अपनी सफाई देती हुई बोली।

बेटर उसी जगह पर अपने गाल को दाहिने हाथ से पकड़कर खड़ा था। मौसी ने इस बेटर को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था। कुछ देर बाद वहां उस होटल का मैनेजर भी आ चुका था और वह अपने वेटर की ओर से माफी मांग रहा था।

वैसे मैं जानता था। बेटर की कोई गलती नहीं होगी बल्कि मौसी जानबूझकर ऐसा ड्रामा कर रही थी। मगर उस वक्त ये पता नहीं था कि आखिर यह सब कर के मौसी क्या साबित करना चाह रही थी ।

“ मौसी ये लोग माफी मांग रहे हैं इन्हें माफ कर दो अगली बार से ऐसा नहीं होगा” मैं मौसी को समझाते हुए बोला ।

“ क्या हुआ दीदी ? ” मेरी मां वहां पहुंचते ही सुजाता मौसी से बोली ।

“ अरे अब क्या पूछ रही हो! पहले पूछ ली होती तो इससे बढ़िया होटल और बहू तुम्हें बताती । मगर तुम लोग, तुम लोग मुझसे कभी पूछते ही कहाँ हो ?”

सुजाता मौसी यह बोलकर गुस्से से मुंह फुला कर वहां से चली गई । मौसी का यह ड्रामा देखकर वहां पर उपस्थित सभी रिश्तेदार आश्चर्य में थे।

कुछ समय बाद मैं अपने दोस्तों के साथ जयमाला वाली स्टेज के पास बैठा था। तभी उसी वक्त वहां 10-12 वर्ष की लड़की मेरे पास दौड़ी आई।

इनमें से छोटे भैया कौन है ? ” आकर बोली ।

“ मैं हूं।...क्या बात है ?... बोलो?” मैंने जवाब दिया।

“ यह लो आपके लिए दीपा दीदी ने भेजा है” उस बच्ची ने कागज का एक छोटा-सा टुकड़ा देते हुए बोली।
मैंने कागज का वह छोटा-सा टुकड़ा लेते समय इधर उधर देखा। वहां हम दोस्तों के अलावा कोई और नहीं था। मेरे सभी दोस्त उस छोटी सी बच्ची को ध्यान से देखे जा रहे थे आखिर ये लड़की हैं कौन ?

“ ये क्या है? ” मैंने उस कागज के टुकड़े को लेते हुए उस से पहले पूछा।

“ आप खुद ही खोल कर देख लो।” यह बोलकर लड़की वहां से चली गई।

मैं उस कागज के टुकड़े को खोल रहा था । मेरे सभी दोस्तों का ध्यान उसी कागज के टुकड़े पर ही टिका था। उस टुकड़े को खोलते समय मेरी दिल जोरो से धक-धक कर रहा था। उस वक्त मुझे लग रहा था किसी लड़की ने मेरे लिए लव लेटर लिख कर भेजा है। मैंने भगवान को याद कर उस कागज के टुकड़े को खोला।

“ दम है तो दूल्हे के जूते बचा लेना वरना.....”

कागज के टुकड़े में लिखा यह पढ़ कर अपनी नजर आगे की ओर किया। कुछ दूर पर कुछ लड़कियों का झुंड हम लोगों को देखकर खिलखिला कर हंस रहा था। उन लड़कियों में एक दीपा भी थी।

शाम के 6:00 बजने वाले थे। दूल्हा-दुल्हन मंडप में बैठ चुके थे। सभी मेहमान कुर्सी पर बैठे थे। पंडित मंत्रों का जाप कर रहा था और मैं भैया के सीधे थोड़ी दूरी पर बैठा था।

जहां से दीपा अच्छी तरह से दिख रही थी। उस वक्त दीपा ने हरे रंग की लहंगा-चुन्नी पहन रखा था। उस लहंगे –चुन्नी में उसकी सुंदरता उस वक्त पूरी तरह से निखर कर बाहर आई हुई थी।

उसके हसीन चेहरा से अपनी आंखें हटाने का जरा-सा भी दिल नहीं कर रहा था।

मैं जब भी उसे देखकर मुस्कुराता था, बदले में वह भी कभी-कभार थोड़ा मुस्कुरा देती थी।

जूता चुराने की धमकी मुझे अच्छी तरह से याद थी इसीलिए मैंने जूते की देखभाल के लिए अपने दोस्तों को जूते के पास ही बैठा रखा था और मैं इधर दीपा पर नजर रखे हुए था।

मैं जानता था अगर दीपा भैया का जूता छुपाने में कामयाब हो गई तो फिर हम लड़कों की बहुत बेइजती हो जाएगी । खाश कर दीपा तो लूजर (Looser)बोल-बोल कर प्राण ही ले लेगी ।

जब विवाह संपन्न हुआ तब सभी उपस्थित मेहमान-रिश्तेदार ने वर-वधू को चावल की अछत-फूल छीट कर उन्हें आशीर्वाद दिया। उसके बाद जब भैया मंडप से निकलकर अपने जूते पहने ने के लिए अपना जूता खोजा तो जूता वहां पर नहीं था।

मैंने अपने दोस्तों की ओर देखकर पूछा,- “ भाई जूता कहाँ है ? ”



साथ बने रहिए।
superb update
 

mashish

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पाँचवा भाग

रस्म खत्म हो जाने के बाद जब भैया जूता पहनने के लिए आए तो जूता उस जगह पर नहीं था जहां पर उसे रखा गया था। मैंने अपने दोस्तों से भी पूछा, लेकिन वो लोग भी नहीं बता पाए कि आखिर जूता कहाँ हैं और ये जूता ग़ायब कैसे हुआ ? तभी वहां पर भैया की कुछ सालियाँ भी आ गई जिन्होंने जूता चुराया था और जूते देने की बदले में भैया से रीति-रिवाज के अनुसार पैसे मांगे।

उन लड़कियों में दीपा भी शामिल थी। यह देखकर मैं समझ गया था कि जूते का अपहरण हुआ है और अपहरणकर्ता को फिरौती में बिना पैसे दिये जूता वापस नहीं मिलेगा।

दीपा ने मेरी तरफ देख कर फिर से अंगूठे से लूजर होने की इशारा किया मगर इस बार उसके अंगूठे वाले इशारे के बदले में मैंने उसे 2-3 फ्लाइंग किस (Kiss) दे मारी।

इस पर वह शर्मा कर बोली, " चल हट "

“ यह लीजिए पैसा और मेरा जूता वापस कीजिए”

भैया ने अपनी सबसे छोटी साली को 2000 की एक नोट हाथ में देते हुए बोले।

“नहीं!... हम ₹20 हजार से ₹1 भी कम होने पर जूते वापस नहीं करेंगे” भैया की सबसे छोटी साली ने जबाब दिया।

“ भैया इतना से ज्यादा मत देना। हम 20 हजार रु से कम में ही बहुत अच्छा जूता खरीद लेगें।” मैंने दोस्तों के साथ थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोला।

इसके बाद किसी ने जोरदार सीटी बजाई और मेरे सभी दोस्तों ने एक साथ बोला “ निशांत सही बोल रहा हैं भैया , उतने में हम नये जूते ही खरीद लेंगे ”

" आप लोग जीजा-साली के बातों के बीच मत पड़िये, हम खुद ही समझ लेंगे अपने कंजूस जीजा जी से”

भैया की दूसरी साली ने मजाकिया लहजे में बोली।

मोहतरमा साली जी वो पहले मेरे भैया हैं उसके बाद ही आपके जीजा हैं , इसलिए पहले मेरा बोलने का अधिकार है मेरी प्यारी क्यूटी साली जी”

मेरे बोलने के बाद वहां पर उपस्थित मेरे सभी दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े।

“तो फिर आपके भैया जी के जूता नहीं मिलेंगे। आप उन्हें बोलिए बिना जूते के ही चले जाएं” इस बार दीपा भैया की सालियों की तरफ से बोली थी।

“कोई बात नहीं हम भैया के लिए एक बढ़िया सा जूता खरीद लेंगे, आप ही रखिए वो पुराने जूते” मेरे ने दोस्त कहा।

इस तरह से कुछ देर मजाकिया नोकझोंक चलने के बाद भैया ने अपनी साली की बात मानकर 2-2 हजार के 10 नोट उनके हाथों में रख दिये। उसके बाद वे खुशी-खुशी भैया के जूता लाकर दे दिये।

दो घंटे बाद लड़की विदाई की रस्म हो रही थी। लड़की की ओर से आये सभी मेहमानो और दोस्तों की आँखे नम थी। मैंने दीपा की आंखो में झांका उसकी आंखे भी नम हो चुकी थी। आंखे से निकले पानी के कुछ बूंदे उसके गालों से फिसल रहे थे।

खैर कुछ देर बाद ही लड़की की बिदाई हुई। विदाई के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये और हम लोग भाभी को लेकर अपने घर लौट चुके थे। घर आने के बाद मैं दीपा को बहुत मिस कर रहा था। 2 दिनों में ही मैं दीपा के काफी नजदीक आ गया था। हां ये अलग बात थी कि वह सिर्फ मुझे चिढ़ाने के लिए मेरे पास आती थी।

अगर मैं सच कहूँ तो उसका मुझसे बात करना ही मेरे लिए काफी था। वो चाहे चिढाने के लिए हो या फिर किसी और चीजों के लिए हो ।

भैया के विवाह के पूरे 4 दिनों बाद मैं कॉलेज गया था । भैया के रिसेप्शन में बजी गाने की धुन अभी तक मेरे कानों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई थी।

कॉलेज आते ही मेरी नजर दीपा पर पड़ी वह मेरी तरफ ही आ रही थी ।

“ hello छोटे ” उसने इस बार भी मजाकिया लहजे में ही बात की थी।

“अरे यार मैं कितनी बार तुम्हें बोल चुका हूं, मुझे छोटे कह कर मत बोला करो” मैं दीपा से बोला ।

भैया के शादी-रिशेप्सन के कारण हम दोनों एक साथ अच्छा खासा समय बिता चुके थे । अब हम दोनों के बीच दोस्ती वाली बॉन्डिंग बन चुकी थी।

“ वैसे दीपा आज बहुत हॉट लग रही हो” मैंने कहा ।

“मैं पहले कौन-सी कोल्ड (cold) लगती थी ?” उसने थोड़ा इतराने वाले लहजे में बोला।

सच कहूं तो दीपा की बातें शत प्रतिशत सही थी ।
उसके होंठ, उसकी आंखें और चिकने गाल किसी फिल्मी हीरोइन से थोड़ा भी कम नहीं थे।

“ वैसे आजकल तू भी बड़ा सजीला और हैंडसम दिख रहा है, ऐसा तो नहीं भाभी के हाथों से बने खाने खा-खा के हैंडसम होते जा रहे हो” उसने फिर से मजाकिया लहजे में कहा।

भाभी तो आजकल भैया में ही बिजी रह रही हैं, चाहो तो तुम चल सकती हो मेरे घर मेरे लिए......

अरे मैं खाना बनाने की बात कर रहा हूं” इस बार मैं भी अपनी तरफ से उसे बोल्ड आउट करने के लिए गेंद फेंक चुका था

इस बार दीपा पहली दफ़ा शर्मायी थी । मेरी बातें सुनकर शर्माती हुई बोली - "अच्छा ! "

“वैसे आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया है या नहीं ? ” मैंने इधर-उधर देखते हुए बोला ।

“क्या ? ” वह एकदम से चौंक कर बोली ।

“मैं उसी का बात कर रहा हूं जो बाइक (Bike) से तुम्हें सुबह-शाम कॉलेज छोड़ने और लेने आता है ।” मैंने ऐसे बोला जैसे उस वक्त उसकी चोरी पकड़ ली गयी हो । और साथ ही मैं अपनी आँखों के भौहों को ऊपर नीचे करता रहा ।

" अरे ....... तुम्हारा दिमाग तो खराब नही है ? ... वह मेरे बड़े भैया हैं" वह मेरे कंधो पर प्यार से मारती हुई बोली ।

“सच!” मैं बहुत खुश होते हुए पुछा ।

“ हां , वो मेरे बड़े भैया हैं ।” वह अपने चेहरे पर क्यूटनेस लाती हुई बोली ।

उस वक्त जब मुझे यह मालूम पड़ा कि वह आदमी दीपा की बॉयफ्रेंड नहीं है बल्कि उसके बड़े भैया हैं तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा । मेरी खुशी आसमान छू रही थी ।

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।



साथ बने रहिए।
lovely update
 

mashish

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छठवाँ भाग

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।

कुछ ही दिनों में हम दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ लिए थे । अब हमारी बातें फोन पर भी घंटो घण्टों तक होने लगी थी ।

मैं कई दिनों से यह सोच रहा था यार दीपा को प्रपोज कर दूं लेकिन साला यह अपना फट्टू दिल हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था । कई बार तो मैं उसे कॉलेज के गार्डन या रेस्टोरेंट में सिर्फ प्रपोज करने के लिए ही लेकर जाता था । मगर फिर भी प्रपोज करने में नाकामयाब रहता था ।

एक दिन हम रात के 2:00 बजे तक व्हाट्सएप पर मैसेज द्वारा बात-चीत कर रहे थे । उस रात हम दोनों ने बहुत सारी बातें की। इस दौरान मैंने दीपा से कहा।

सुनों न। मुझे तुमसे कुछ कहना है।

हाँ कहो। दीपा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।

वो मैं कहना चाहता था कि..... तुम कल कॉलेज आ रही हो। मैंने किसी तरह बात बदलते हुए कहा।

बस यही कहना था तुमको। दीपा ने कहा।

मैंने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया बस मैन इनडाइरेक्ट तरीके से उसे अपने प्यार का एहसास करने के लिए एक मैसेज भेज दिया।

कोई तुम्हें बहुत पसंद करता है दीपा। मैंने ये मैसेज भेज दिया। जिसका मतलब दीपा ने बखूबी समझ लिया था कि मैंने अपने प्यार को छुपा लिया है।

मैं डर रहा था कहीं दीपा मेरे प्यार को ठुकरा ना दे ।

वो अक्सर मुझे एक दोस्त की तरह ही देखती थी जिसके कारण मुझे अब और अधिक डर लगने लगा था, कही वो अब दोस्ती ही ना तोड़ दे । मैं 5 मिनट बाद हिम्मत करके अपने मोबाइल का डाटा चालू किया

डाटा ऑन करने के बाद मैंने व्हाट्सएप के नोटिफिकेशन का इंतजार किया मगर अगले 30 सेकंड तक एक भी नोटिफिकेशन नहीं आया । मैं व्हाट्सएप को ओपेन (Open) किया और अपने सेंड मैसेज को देखा । मैसेज पढ़ लिया गया था मैसेज के आगे डबल नीले रंग की दो टीक-मार्क लग चुकी थी ।
प्रपोज करते समय मैं उसके जवाब से डर रहा था और अब उसके जवाब ना आने से मैं डर गया था ।

उसकी रिप्लाई ना आना मैं खुद का रिजेक्शन समझ चुका था । यही कारण था कि मेरे आंखों से आंसू की धार निकल पड़ी थी । आंसू मेरे आंखों से निकल कर गालों से होते हुए तकिए पर गिर रहा था । उसी बीच मैंने दीपा को कई बार कॉल भी किया मगर उसने मेरे फोन का भी कोई उत्तर नही दिया फिर मैंने उसके व्हाट्सएप पर सौ से अधिक बार माफी मांगी । मगर उसने किसी मैसेज का रिप्लाई नहीं किया।

इस तरह से उस रात में बिल्कुल भी नहीं सो पाया था । पूरी रात परेशान रहा और मेरी आँखों से नींद कही खो गयी थी।

जब मैं अगले दिन कॉलेज गया तो वह मुझसे नाराज जैसी दिख रही थी । वह मुझसे दूर-दूर रह रही थी । एक बार जब वह सीढियों से चलकर अपने क्लास रूम की ओर जा रही थी तब मैं उसके हाथ को पकड़ कर कोरिडोर के एक कोने की तरफ ले गया ।

“ दीपा क्या तुम मुझसे सच में नाराज हो ?” मैंने उसके आंखों में झांक कर कहा ।

“ हां ” उसने सिर्फ अपना सर हिला कर जवाब दी।

“ ओके... मुझे माफ कर दो । अगली बार से ऐसी गलती नहीं होगी ।” मैंने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“मैं माफ क्यों करूं ? तुमने मेरा सपना तोड़ा हैं ।
इतनी आसानी से कैसे माफ कर दूंगी?” उसने मुंह बनाती हुई बोली।

“ सपना .....कैसा सपना?” मैं आश्चर्य चकित होकर बोला।

“मेरा एक सपना था कि जो भी मुझसे प्यार करेगा वह अपने हाथों में गुलाब का फूल लेकर अपने घुटने पर बैठकर मुझे प्रपोज करेगा। मगर तूने तो व्हाट्सएप पर इंडिरेक्टक़ली प्रपोज करके मेरा सपना ही तोड़ दिया।” दीपा इस बार लगभग मुस्कुराती हुई बोली थी।

“क्या...?” मैंने अपना कंधा उचकाते हुए बोला।

मैं कुछ और बोलता उससे पहले ही वह अपने होंठ मेरे होंठ के पास लाकर बोली - " आई लव यू निशांत "

मैं यह सुनकर खुशी से झूम उठा और चिल्लाकर बोला।

आई लव यू टू दीपा।

उसके बाद वह अपने होठ मेरे होठों पर रख दी। वह तो थी मात्र 2 से 3 सेकंड की किस (kiss) , मगर उतने में ही मेरे सारे रोंगटे खड़े हो गए थे।

वह मुझसे दूर खड़ी हुई और बोली- " मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतने भी फट्टू हो"

फिर मुस्कुरा कर अपनी क्लास रूम की तरफ चली गयी ।

इसके बाद हम लोग अपने-अपने क्लास रूम में चले गए। उस दिन के बाद हमारा प्यार चरम सीमा पर था। अक्सर कॉलेज में हम लोग साथ-साथ देखे जा सकते थे। जब वह अपने क्लास रूम में होती थी तभी सिर्फ अकेली होती थी वरना कॉलेज के पूरे टाइम हम दोनो साथ में बिताते थे।

कुछ दिन बाद से ही हमारी जोड़ी के चर्चे कॉलेज के ग्रुपों में होने लगा मगर मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था ।

हम दोनों अपनी ही दुनिया में मस्त रहते थे। एक दिन मैं कॉलेज के ब्रेक टाइम में असाइनमेंट प्रोजेक्ट के लिए ज्योग्राफी टीचर के केविन में गया हुआ था। जिसके कारण दीपा कॉलेज के कैंटीन में अकेली बैठी थी।

मैं अपने असाइनमेंट प्रोजेक्ट से संबंधित बातचीत करने के बाद जब मैं उस टीचर के केबिन से वापस आ रहा था तो कॉरीडोर के पास मुझे 2 -3 लड़को ने रोका।

“ निशांत मुझे तुमसे कुछ बातें करना है ” उन लड़कों में से एक बोला।

उस लड़के की हाइट (Hight) मेरी हाइट से थोड़ी कम थी, मगर वह मुझसे अधिक गोरा था। उसकी दाढ़ी स्टाइल बिल्कुल अमिताभ बच्चन से मिलती थी मगर हेयर स्टाइल मिथुन दा से मिलता था ।

हां बोलो क्या बात करना है ?”मैंने बोला।

“मैं तुम्हें कई दिनों से नोटिस कर रहा हूं। तुम हमारे क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही चिपके चिपके रह रहे हो” उनमें से दूसरा लड़का बोला।

वह तेवर कुछ ज्यादा ही दिखा रहा था, वह अकड़ कर बोला था ।

“ हां .. तो इसमें तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?” मैंने कहा।

“दिक्कत नहीं बेटा, बल्कि बहुत दिक्कत है। क्योंकि तुम जिस लड़की से चिपक-चिपक के घूम रहे हो उसे मैं पसंद करता हूं” उसने अपने हाथ को मेरे कंधे पर रखते हुए बोला।

“तब तो दिक्कत मुझे होना चाहिए बेटे,... क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूं।” मैंने उसके हाथों को अपने कंधे से हटाते हुए बोला।

“साले वह मेरी क्लास की बंदी है, आज के बाद उसके अगल-बगल भी दिखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” एक दूसरे लड़के ने बोला।

“ तुम लोग मेरी दो बाते अच्छी तरह से समझ लो। पहली की तुम लोग तमीज से बात करो और दूसरी कि वह तुम्हारी क्लास की बंदी है ना कि तुम्हारे बाप का जागीर” मैं इस बार अपनी उंगली दिखाते हुए गुस्से में बोला था।

इसके बाद वे लोग कुछ बोलते कि उससे पहले ही वहां पर कुछ लड़कियां आ गई थी जिसके कारण वे लोग वहां से चले गए और मैं कैंटीन की तरफ चला गया।

“ निशांत इतना टाइम कहां लगा दिया? अब तो ब्रेक भी खत्म होने वाला है” दीपा मुझे कैंटीन पहुंचते ही बोली।

“हां थोड़ा अधिक टाइम लग गया” यह बोलता हुआ मैं उसके बगल की कुर्सी पर बैठ गया।

“ ठीक है, मैं कॉफी मंगाती हूं” दीपा शॉप की तरफ देखती हुई बोली।

“नहीं... मत मंगाओ। आज मेरा कॉफी पीने का मूँड़ बिलकुल भी नहीं है।” मैंने बोला।

“क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।



साथ बने रहिए।
good update
 

Chinturocky

Well-Known Member
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Badhiya update,
Aakhirkar aa hi gayi Koi aag lagane
 

mashish

BHARAT
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सातवाँ भाग

क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।

बस ऐसे ही ” मैं थोड़ी धीमी आवाज में बोला।

“ फिर भी क्या हुआ? ऐसा क्यों बोल रहे हो ? ” उसने दोबारा पूछा।

“ वैसे तुम्हारे क्लास में एक अमिताभ बच्चन जैसी दाढ़ी रखा कोई लड़का है ?” मैंने पूछा।

“हां .....हां.....उसका नाम देवांशु है। वह बहुत अच्छा लड़का है ।” दीपा खुश होती हुई बोली।

दीपा द्वारा उस लड़के के बारे में इतना खुश होते हुए, उसे अच्छा बताना मुझे रास नहीं आया। मैं कुछ देर तक चुप रहा।

“ वैसे तुम उस देवांशु के बारे में क्यों पूछ रहे हो? क्या बात है?” दीपा बोली।

इस बार भी मैंने दीपा के बातों का कोई जवाब नहीं दिया।

“ क्या हुआ ?” उसने एक बार फिर से पूछा।

“देवांशु वाकई में बहुत अच्छा लड़का है। आज से हम दोनों दोस्त बन गए हैं” मैंने दीपा से झूठ बोला।

मैं चाहता तो उस वक्त दीपा को देवांशु के बारे में पूरी सच्चाई बता सकता था लेकिन दीपा की उसके बारे में इतनी सकारात्मक सोच देख इस समय उसके बारे में कुछ बताना उचित नहीं समझा ।

उस घटना को बीते लगभग एक सप्ताह हो चुके थे मगर उस दिन के बाद फिर कभी देवांशु मुझसे नहीं मिला था और इतने दिनों में मैं भी उसकी बातों को कब का ही भूल चुका था।

अब बस मेरे दिलो-दिमाग में सिर्फ दीपा ही थी । उसके बिना जीने की कल्पना करना भी मेरे लिए अब असहनीय हो गया था।

एक दिन कॉलेज का भोजनावकाश हो चुका था सभी छात्र-छात्राएँ कैंटीन में बैठे चुहलबाज़ी कर रहे थे। आकाश में बादल छाये हुये थे। जिसके कारण सूरज बादलों में कहीं खो सा गया था। ठंडी हवाएं बह रही थी जो लोगों को और भी रोमांचित कर रहा था।

इस बरसात वाले मौसम को लोग गर्म चाय की चुस्की के साथ बेहतरीन महसूस कर रहे थे। मैं और दीपा कैंटीन में ना होकर कॉलेज के गार्डन में बैठे थे।

मेरे अलावा वहां पर कॉलेज के कुछ और लड़के-लड़कियां बैठे थे। उनमे से अधिकांश लोग अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही थे। हम सभी इस ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे। मैं और दीपा एक झाड़ीनुमा पेड़ के पास बैठे थे।

मेरा सर दीपा के गोद में था और चेहरा उसके चेहरे के सामने। हम लोग पिछले एक घंटे से वही उसी तरह से बैठकर बातें कर रहे थे।

“ दीपा मैं इसी तरह सारी उम्र तुम्हारे साथ ही बिताना चाहता हूं।” मैं उसके बालों के बीच हाथों की उंगली को फंसाते हुए बोला।

“ तो फिर मना किसने किया है, मैं भी तो जिंदगी का हर पल तुम्हारे साथ गुजारना चाहती हूं” वह अपने सर को आगे की तरफ झुकाते हुए बोली।

अब उसके होंठ और मेरे होंठ के बीच की दूरी मात्र कुछ ही इंच रह गई थी। फिर उसने आंखें बंद की और अपने होंठ मेरे होंठों के पास ले आई।

उसके बाद मैं उसकी गोद से अपना सर हटा कर उसके सीधे और सामने बैठ गया। वह एक टक मेरे चेहरे को देखती जा रही थी। मैं उसकी आंखों में उसके प्यार की गहराई देख रहा था। मैं उसके नजदीक गया और अपने हाथ की उंगलियों से उसके बालों से खेलते हुए अपना हाथ उसके सर के पीछे टिका दिया और अपने होंठ को उसके होंठ से सटा दिया ।

उस वक्त उसके दिल की धड़कन मेरे कानों में साफ-साफ पड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को चुमते जा रहे थे। इसी तरह चुमते रहने के कुछ मिनट बाद अचानक से बारिश के बूंदे पड़ने लगी। तभी हमारा ध्यान टूटा। तब तक हम दोनों उस बारिश में पूरी तरह से भींग चुके थे।

मैंने गार्डन में चारों तरफ देखा वहां पर बैठे सभी लोग क्लासरूम के तरफ चले गए थे। मगर हम दोनों वही बारिश में ही भींग रहे थे। भीगे हुए कपड़ों में दीपा बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे देखा फिर उसके हाथों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रखकर फिर से एक-दुसरे से चिपक गए। और फिर हम दोनों एक दूसरे को कई मिनटों तक चुमते रहे।

अब दीपा और मेरी दोस्ती के बारे में मेरे घरवाले भी जान चुके थे। दीपा कई बार मेरे साथ मेरे घर आ चुकी थी। वैसे दीपा को मेरे घर में आने-जाने से किसी को कोई दिक्कत ना थी क्योंकि मेरी भाभी दीपा की ही सहेली की बहन थी। और दीपा को शादी के समय से ही सभी लोग पहचानते थे।

दीपा जब भी मेरे घर जाती थी तो दो-तीन घंटे रुकने के बाद वापस अपने घर चली जाती थी।

जब दीपा मेरे घर में होती थी तब मैं, भाभी और दीपा मिलकर बहुत सारी मस्तियां करते थे। एक दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा को लेकर मैं अपने घर आया उस दिन मेरी सुजाता मौसी भी मेरे घर पर आई हुई थी। उस दिन दीपा और भाभी मिलकर हम सभी के लिए समोसे बना रही थी ।

“आदिती दीदी आपको नहीं लगता आप समोसे में ज्यादा मिर्च डाल रही हैं?” दीपा समोसे बनाते समय मेरी भाभी से बोली।

मेरी भाभी दीपा की सहेली की बहन थी इसलिए मेरी भाभी को दीपा दीदी ही बोला करती थी।

“अरे नहीं दीपू, इतना मिर्च सही है” भाभी बोली

मुझे लगता है आपके घर में सभी लोग ज्यादा तीखा ही पसंद करते हैं” दीपा थोड़ा मजाकिया लहजे में बोली।

“शायद!” भाभी समोसे को कड़ाही से बाहर निकालती हुई बोली।

“दीदी आप लोग तीखा कितना भी खा लो मगर आप और आपकी फैमिली काफी स्वीट है।” शायद इस बार उसकी शब्दों का इशारा मेरी तरफ था।

“ओहो ..... शुक्रिया ! " भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

इधर किचन में दीपा और भाभी मिलकर समोसे बना रहीं थी और दूसरे कमरे में सुजाता मौसी और मेरी मां बैठकर बातचीत कर रहीं थीं।

" विमला तुम्हे नहीं लगता है ! यह लड़की आजकल कुछ ज्यादा ही तुम्हारे घर आ - जा रही है?

" सुजाता मौसी मेरी मां से बोली।

" कौन लड़की?" मां अपने दिमाग पर जोर डालती हुई बोली।

" अरे वो ही जो हमेशा निशांत के आगे पीछे घूमती रहती है।" सुजाता मौसी थोड़ा झुंझुआकर बोली।

" अच्छा अब मैं समझी, आप किसकी बात कर रहीं हैं।

दीदी आप दीपा की बात कह रही है ना?" मां खुश होते हुए बोली।



साथ बने रहिए।
lovely update ye mousi jarur kuch kand karke hi manegi
 
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