Arv313
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Abhi tak ke update achchhe lage
Aage bhi aisi hi ummid h.
Waiting for the next update.
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धन्यवाद आपका।Abhi tak ke update achchhe lage
Aage bhi aisi hi ummid h.
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धन्यवाद सर जी।nice update ..dipa se pyar ka ijhahaar karne me darr raha tha nishant ..
par whats app ke jariye kar hi diya aur dusre din dipa ne abhi accept kar liya ..
par ye ladke kuch jyada herogiri kar rahe hai ,,dekhte hai kaise aamna saamna hota hai hero ka unke saath ..
धन्यवाद सर जी।nice update ..to deepa ghar bhi aane lagi hai nishant ke ..
aur ye mausi kuch jyada hi chugli karne ke mood me hoti hai har baar ..
waise ye devanshu pareshan karne kyu nahi aa raha hai ..kya ye deepa ka secret boyfriend hai ..
me abhi deepa ko sachcha lover list me nahi rakhna chahta ...shayad nishant ne jo kaha devanshu ke baare me usse deepa ko wo achcha lagne lage ..
धन्यवाद आपका सर जी।Beautiful Update Mahi Maurya ji, behadd Shandar
Nishant ne Dipa se Devanshu ki asliyat chipa di, Nishant Dipa se liye kafi possessive he, use pata tha ke agar Devanshu ke bare me Dipa ko pata chalta to wo khud bhi apne aap par pachtava karti ke me kese ladko se dosti rakh rahi hu, lekin jo bhi ho, sacchayi samne ajaye yahi sahi he, dekhte he kab ye sacchayi samne ayegi, or kis halat me?
barish or pyaar karne walo ka ek alag hi judaw hota he, ye lamhe zindagi ke behadd Khubsurat lamhe hote he, sari umr saath bitana zaruri nahi he, bass kuch pal sari Zindagi jine jese hone chahiye.
ghar me sabko Dipa or Nishant ki dosti ke bare me pata he, lekin ye mausi ko is se bhi jalan hone lagi he, mere khayal se Nishant ki maa ko Dipa pasand ho sakti he, kyu ke Dipa ke naam se Wo khush ho gayi thi, lekin pata nahi ye mausi kahi Nishant ki maa ka brainwash na kar de, lekin ab aage kya hoga? Eagerly Waiting For Next Update ❤
good start & lovely updateपहला भाग
हमारी आंखें अक्सर उसी के ख्वाब देखती हैं जिसे पाना हमारी हाथों के लकीरों में नहीं होता है। मगर इन आंखों को कहां पता होता है कि हमारी 1भूल की वजह से दिल को सारी उम्र तड़पना पड़ सकता है।
कॉलेज का पहला दिन मुझे आज भी याद है जब मेरी आँखों ने उसे पहली बार देखा था। एक ऐसा पल, जिस पल को याद कर, आज मैं जिंदगी के हर पल को जी रहा हूं।
मैं कॉलेज के कोरिडोर से अपने क्लास रूम के अंदर जा रहा था। मन में एक अलग सी उमंग थी । सारी दुनिया को जीत लेने की , सारी दुनिया को समझ लेने की , एक अलग पहचान बनाने का, मगर वह पहचान कैसी होगी यह तो उस वक्त मुझे भी पता नहीं था । मैं धीमे-धीमे अपने क्लास रूम के नजदीक पहुंचने ही वाला था कि मेरे पीछे से किसी लड़की की बहुत ही कोमल आवाज मेरे कानो में पड़ी।
" हेल्लो"
ये प्यारी सी आवाज मेरे कानों को किसी मॉडर्न संगीत सा लगा। मैंने पीछे मुड़कर देखा।
गुलाबी समीज पर पीले रंग का मखमली दुपट्टा , आंखों में काजल, होठों पर हल्के लाल रंग की लिपस्टिक लगायी बहुत ही खूबसूरत लड़की ने मुझे आवाज दी थी । खिड़की से आती सूरज की किरणें उसके गालों से रिफ्लेक्स होकर सतरंगी इंद्रधनुष बना रही थी । उसकी कातिलाना मुस्कान मेरे दिल को बेध गई थी। मैं उसे देखकर कहीं खो सा गया था। मेरी सांसे थम सी गई थी कि तभी उसने दूसरी दफ़ा उसने आवाज दी।
" हेलो , मैं आप ही को बोल रही हूं"
इस बार उसने ये बात अपने हाथ को मेरी आंखों के सामने हिलाते हुए बोली थी।
मैं ख़ुद को ख्बाव वाली दुनियां से बाहर निकाल कर लड़खड़ाते हुए बोला " जी ... जी बोलिए ।"
“ रूम नंबर R014 कहां है ? प्लीज मेरी हेल्प कीजिये उसे ढूढने में। क्योंकि आज मेरा कॉलेज का पहला दिन है और मुझे अपने क्लास रूम के बारे में कोई जानकारी नहीं ” उस लड़की ने कोमल स्वर में बोली।
“ आप यहां से सीधे जाकर राइट ले लीजियेगा कुछ कदम चलने पर ही आपको अपन क्लास रूम दिख जाएगा ” मैंने उसे हाथ से इशारा करते हुए बोला।
मेरी बात सुनकर लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ थैंक्स बोला और फिर कमरे की तरफ चली गई । सच बोलूं तो मुझे भी उस कमरे के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी , कुछ देर पहले जब मैं अपनी क्लास रूम ढूंढ रहा था उसी वक्त मैंने वह क्लास रूम देखा था।
उस लड़की के वहां से चले जाने के बाद भी मैं उसे कुछ समय तक देखता रहा । वह पीछे से भी देखने में उतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितना की अभी आगे से देखने में मुझे लगी थी।(इसका कोई गलत मतलब मत निकालियेगा मित्रों)
उस लड़की के जाने के बाद मैं भी अपने क्लास रुम के अंदर चला गया क्लास रूम के अंदर बहुत सारे लड़के लड़कियां थे उन सभी लोगों का भी आज इस कॉलेज में पहला दिन ही था। सबके आंखों में कुछ सपने थे ,कुछ सीखने का जज्बा और जिंदगी को खुलकर जीने का आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा पड़ा था।
शायद सब लोगों को यही लग रहा होगा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिंदगी संवर जाएगी और उनकी जिंदगी खूबसूरत हो जाएगी, लेकिन इस भीड़ के बीच शायद मैं ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसे कॉलेज के पहले दिन ही जिंदगी मिल गई थी या यूं कहें कि जिंदगी सवर गई थी। वह पीली दुपट्टे वाली लड़की मेरे दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई थी मैं उससे कभी मिला नहीं था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। यहां तक कि मैं उससे कुछ ज्यादा बातें भी नहीं कर पाया था। लेकिन जिस वक्त उसे पहली दफा देखा था । उसी वक्त मेरे दिल से एक आवाज आयी थी ।
यार ! यही तुम्हरी जिन्दगी हैं , तुम्हे इसके साथ ही जिंदगी बितानी है। हमेशा साथ रहेगी तुम्हारे हर कदम पर , जिन्दगी के हर मोड़ पर।
मुझे लगा आज से यही मेरी रूह है और यही मेरी आशिकी। खैर कुछ समय के लिए इन बातों को भुला कर मैंने अपना ध्यान किताबों पर टिकाया ।
क्लास खत्म होने के बाद मैं फिर उसी जगह पर जाकर खड़ा हो गया जहां मुझे वह पीले दुपट्टे वाली लड़की मुझे मिली थी। मुझे उम्मीद था वह लड़की वापस यहीं से होकर गुजरेगी और मुझे देख कर एक बार फिर मुस्कुराएगी । लेकिन सभी विद्यार्थियों के कॉलेज से बाहर निकलने के बाद भी उसके आने का कोई अता-पता ना चला।
जब उसके आने की कोई उम्मीद मुझे ना दिखी तब मैंने सोचा - “शायद मुझे क्लास से निकलने में देर हो गई हो उसके पहले ही वह निकल चुकी होगी।”
मैं उदासीन चेहरा बनाकर कॉलेज से बाहर निकल गया। वैसे हम लड़कों को अक्सर यही होता है। कोई लड़की एक बार मुस्कुराकर बात क्या कर लेती है, हम लडके उसे अपना दिल दे बैठते हैं और यही गलतफहमी लोगों को हमेशा होती रहती है लेकिन शायद मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था।
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि वह पीले दुपट्टे वाली लड़की दिखी। वह किसी हट्टे कट्टे डील डौल वाले लड़के के साथ बाइक पर बैठकर वहां से निकल रही थी। उसे किसी दूसरे लड़के के साथ बाइक पर बैठा देख मेरा कलेजा बैठ-सा गया। मेरी आंखें में मिचौलिया खाने लगी, मेरी आंखे औंध–सी गयी।
साला एक लड़की भी पसंद आई तो वो भी किसी और की निकली।” मैंने खुद से बुदबुदा कर बोला।
शाम को ठीक 6:00 बजे मैं घर पहुंच चुका था और अपने सोफे पर बैठकर 90’s (नाइनटीज ) के पसंदीदा गाने सुन रहा था ।
“ तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है ”
Sony Max पर यह गाना आ रहा था।
वैसे यह गाना उस वक्त मुझ पर सूट नहीं कर रहा था। यह गाना खत्म होकर कोई अगला गाना आता कि उससे पहले वहां पर मेरे बड़े भैया आ पहुचें । फ़िलहाल उस वक्त भैया पापा की कंपनी संभाल रहे थे और अगले हफ्ते ही इनकी शादी भी होने वाली थी।
“ छोटे, आज कॉलेज का पहला दिन कैसा रहा ?
” भैया अपनी टाई को खोलते हुए बोले।
“बस ठीक-ठाक” मैंने कहा।
“ ठीक-ठाक से क्या मतलब !
” उन्होंने कंधे उचकाते हुए बोला।
भैया अभी कॉलेज में कोई दोस्त वगैरह नहीं ना है, इसलिए अभी ठीक-ठाक ही लगा शायद बाद में ठीक लगने लगे” मैंने कहा।
अब उन्हें कैसे बताऊं कि कॉलेज के पहले दिन ही मुझे एक लड़की पसंद आ गई है और वह भी एक ऐसी लड़की जिसका बॉयफ्रेंड पहले से ही है।
साथ बने रहे।।।।।
awesome updateदूसरा भाग
रात को हम पूरे परिवार के साथ भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। मुझे, भैया और मां को मिलाकर ही हमारी पूरी फैमिली कंप्लीट थी । पापा की मृत्यु आज से 12 साल पहले कंपनी में हुए एक बड़े हादसे के कारण हो गई थी। पापा के मौत के बाद हमारी मां ही हम-दोनों भाइयों की परवरिश पापा बनकर की है। पापा की मृत्यु के बाद पारिवारिक परिस्थिति को देखते हुए भैया दसवीं पास करने के बाद ही मां के कामों में हाथ बढ़ाना शुरू कर दिए थे, जबकि 12वीं के बाद भैया कंपनी संभालने लगे थे।
“ अर्जुन चौटाला साहब को माल डिलीवर करना था। तूने माल भेजवा दिया है क्या ? ”
मां ने ब्रेड के टुकड़े को मुंह में डालते हुए भैया से पूछा।
“ जी .. मां। आज सुबह ही डिलीवर करवा दिया हूं। बस उनके तरफ़ से पेमेंट बाकी रह गयी है।”
भैया ने अपने हाथ से गोभी की सब्जी उठाते हुए जबाब दिया।
“ कोई बात नहीं है, चौटाला साहब अपने पुराने वितरक/वितरणकर्ता हैं। उनसे पैसा कहीं नहीं जाएगा ”
मां ने भैया को देखते हुए बोली।
भैया और मां के बीच का वार्तालाप सुनकर मैं खुश था। मेरा खुश होने का असली कारण यह था कि मां मुझसे कॉलेज के पहले दिन के बारे में कुछ नही पूछ रही थीं । वरना अगर मां कॉलेज के बारे में पूछी होती तो फिर उस पीले दुपट्टे वाली लड़की के बॉयफ्रेंड के चेहरा आंखों तैर जाता।
वैसे मेरी मां को मेरी पढ़ाई लिखाई से ज्यादा लेना-देना नहीं रहता था । वह हमेशा कहती थी जल्द से जल्द कंपनी ज्वाइन कर लो और अपने भाई की काम में किया करो। मगर भैया ने मुझे कॉलेज जाने की छूट दे रखी थी । उनका मानना था कि किसी भी इंसान को पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए उसके बाद ही काम के बारे में सोचना चाहिए।
भैया को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की आज भी मलाल है । अगर घर में इस तरह की विपत्ति नहीं आई होती तो शायद भैया अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर कंपनी ज्वाइन कभी नहीं करते, मगर किस्मत के होनी को कौन टाल सकता हैं। कभी कभी कुछ हालात भी हमें बहुत कुछ करने के लिए मजबूर कर देते हैं।
खाना खाकर हम सब अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।
अगले दिन मैं जल्दी जल्दी तैयार होकर जब कॉलेज पहुंचा तो आज भी मेरी आंखें कॉलेज के कॉरिडोर में इधर-उधर उसे ही ढूंढ रही थी। मगर वह लड़की फिर से दोबारा नहीं दिखी। इस तरह से कॉलेज के कई दिन बीत गया मगर उस लड़की से फिर कभी दूसरी दफ़ा मुलाकात नहीं हुई।
अब तो भैया की शादी के दिन भी नजदीक आ चुका था और हम लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गये थे। अब उस पीले दुपट्टे वाली लड़की की याद भी धुंधली होकर दिमाग से लगभग उतर चुकी थी।
आखिर भैया की शादी का दिन आ ही गया। भैया की शादी शहर के सबसे बड़े मैरिज होटल द सम्राट मैरिज गार्डन में हो रही थी। हम लड़के वाले और लड़की वाले सभी लोग शादी के एक दिन पहले ही उस मैरिज होटल में आ चुके थे। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी। बहुत सारे मेहमान आ चुके थे। मिठाइयों की खुशबू से पूरे होटल में महक रहा था। दरवाजे पर लदे गुलाब के फूलों की खुशबू वहां पर उपस्थित मेहमानों में जोश उड़ेल रहा था।
दोनों तरफ के लोग अपने-अपने रस्म-ओ-रिवाजों में व्यस्त थे । हम लड़के वाले होटल की दूसरी मंजिल पर ठहरे हुए थे, जबकि लड़की वाले भूमितल पर बने हुए कमरों में रुके हुए थे ।
उस दिन शाम में तिलक चढ़ाने की रस्म के लिए हम सभी लड़के एवं लड़की वाले एक साथ बैठे थे। लड़के को तिलक चढ़ाई जा रही थी। और हम लड़के अपने दोस्तों के साथ लड़कियों को ताड़ रहे थे। इसी बीच हमारा ध्यान एक ऊंची हील वाली लड़की पर पड़ी।
उसका चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा।ऐसा लग रहा था कि इस खूबसूरत होंठों को, इसके रेशमी बालों को और इसके गुलाबी चिकने गालों को को मैंने कहीं देखा है। दिमाग के घोड़े दौड़ाने पर मेरी दिमाग की बत्ती जल गई।
"अरे यह तो वो ही लड़की है। कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की । " मेरे मुंह से यह चंद शब्द अचानक निकल पड़ा।
उसे देखकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। मैं तो जैसे खुशी से पागल हुआ जा रहा था। मेरी आंखें जिस लड़की को कॉलेज में ढूंढती रही और ढूँढ ढूँढ कर थक गई । आज वो मेरे भाई की शादी में मिल रही थी । उस दिन इससे बड़ी ख़ुशी मुझे और किसी बात को लेकर नही हो रही थी । उससे बात करने के लिए मेरा दिल मचलने लगा।
मैं किसी तरह से उससे बात करने की कोशिश करने लगा। कभी मेहमानों से छुपकर जाता तो कभी मां से कुछ बहाने करके लड़की वाले के पास चले जाता। इस तरह से करते करते आखिर एक बार मुझे उस लड़की से बात करने का मौका मिल ही गया।
" हेल्लो " मैने बोला।
"हेल्लो , तुम !..." वह चौक कर बोली।
उसके चेहरे का इम्प्रेशन देखकर ही मैं समझ गया था कि उसे मेरा चेहरा अब तक याद है।
“ हां, मैं ... लेकिन तुम यहां ? ” मै थोड़ा असमंजस में बोला।
“ अरे मैं अपनी फ्रेंड की बहन की शादी में आई हूं।
वैसे तुम किसके तरफ से हो ? " उसने बहुत ही बिंदास स्वर में बोली।
“ यूं समझ लो तुम्हारी फ्रेंड की बहन मेरे ही घर जाने वाली है। ” मैंने मस्का लगाते हुए बोला।
“ क्या मतलब ? ” उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
“ मतलब कि मैं लड़के का छोटा भाई हूं ।” मैं थोड़ा भाव खाते और नखरा दिखाते हुए बोला।
“ वाओ सच मे । ” वह आश्चर्यचकित होते हुए बोली।
मैं उससे मिलकर काफी खुश हो रहा था। वैसे वह भी काफी खुश दिख रही थी मगर अब तक हम दोनों ने एक दूसरे हालचाल या फिर नाम बैगरह तक नहीं पूछा था। फिर अचानक उसने बोली
“ बाय द वे ( by the way) तुम्हारा नाम क्या है?”
मैं उसे अपना नाम बताता उससे पहले ही वहां पर एक अंकल ने आकर बोला - " छोटे तुम्हारा भाई तुम्हे ढूंढ रहा है"
"जी अंकल मैं आ रहा हूँ" मैंने अंकल को बोला।
अंकल के जाने के बाद वह खिलखिला कर हंसने लगी। मैंने इशारा करके पूछा- “ क्या हुआ? ”
" ये छोटे कैसा नाम है ? इससे अच्छा तो नटवरलाल नाम ठीक-ठाक लग रहा है " वह बोल कर फिर खिलखिला कर हंस पड़ी।
अब मुझे समझ में आ गया था कि वह मेरे नाम को लेकर मेरा मजाक बना रही हैं ।
वैसे हँसते हुए वह और अधिक खूबसूरत लग रही थी। मन तो कर रहा था भाभी के साथ आज इसे भी दुल्हन बना कर अपने घर ले चलूं।
" अरे मेरा नाम छोटे नही ,बल्कि निशांत है। वो तो भैया प्यार से मुझे छोटे बोलते हैं।" मैंने कहा।
साथ बने रहिए।