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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Luckyloda

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#137

दिलो में जज्बात लिए, हाथो में हाथ लिए हम दोनों जंगल में चले जा रहे थे . ये जंगल , ये जंगल बस जंगल नहीं था ये गवाह था उस दास्ताँ का जिसे इसने जवान होते हुए थे. ये गवाह था उन रातो का जब मैंने निशा के साथ जी थी . ये जंगल आज गवाह था अंधियारों की रानी को उजालो में लाने का. पानी की खेली पर निशा रुकी और अपने होंठो को पानी से लगा दिया. . होंठो से टपकती पानी की बूंदे, इस से खूबसूरत दोपहर मैंने नहीं देखि थी . उसकी साँस बड़ी तेज चल रही थी . एक नजर उसने मुझे देखा और फिर पेड़ का सहारा लेकर बैठ गयी .

मैं- क्या सोच रही है

निशा- तुझे और मुझे सोच रही हूँ. डाकन से बगावत करवा दी तूने .

मैं- मैंने बस प्यार किया है इस डाकन से . इजहार किया है अपनी जान से . तूने कभी कहा था की अंधियारों से वास्ता है तेरा देख मेरी जान तेरे उजाले ले आया हूँ मैं .तुझे ले आया हु मैं

निशा- कैसी ये तेरी बारात सजना , न घोड़ी कोई भी संग न

मैं- क्या करते घोड़े हाथी, तू मेरी मैं तेरा साथी.

निशा- प्रेम समंदर दिल के अन्दर ओ मेरे साजन मुझ को ले चल मंदिर .

मैं- जब मन से मैंने तुझे , तूने मुझे अपना मान लिया तो क्या मंदिर जाना , रातो को इस जंगल में तुझे देखा था इसी जंगल में उजालो में तुझे अपनी बनाऊंगा

निशा- चल छोड़ बहाना, तू कैसा दीवाना सुन मेरी सुन, मुझे ले चल मंदिर.

मैं- जहाँ मेरी मोहब्बत वो ही मेरा मंदिर फिर उस मंदिर क्यों जाना

निशा- ये रीत पुराणी, ये प्रीत पुराणी

मैं- रीत भी तू , प्रीत भी तू. एक मन है एक प्राण हमारे जन्म जन्म से हम हुए तुम्हारे .

निशा- चल खा ले कसमे, जोड़ ले बंधन ओ साजन सुन मुझे ले चल मंदिर.

मैंने निशा का हाथ पकड कर खड़ा किया , उसके माथे को चूमा और बोला- चल मेरी जान मंदिर.



मैं निशा को कुवे पर ले आया.

निशा- यहाँ क्यों लाया

मैं उसे कमरे में ले गया और उसे वो दिया जिसके लिए मैं कबसे बेक़रार था .

निशा की आँखों में आंसू भर आये .

मैं- कबसे तम्मना थी मेरी जान तुझे इस पहनावे में देखने की , कितनी राते ये सोच कर बीत गयी की जब तुझे इस रूप में देखूंगा तो तू कैसी लगेगी . अब और इंतज़ार नहीं करना मुझे.

निशा - दिल धडकने की क्या बात करू मेरे साजन , ये सपना ही लग रहा है मुझे .

मैं- प्रीत की रीत सदा चली आई , मेरे सपने भी अब हो गए तेरे.

निशा- दिन लगते थे काली रैना जैसे, सोच राते कैसे बीती होंगी

मैं- अंधियारों में तेरा मन था जोगन और मेरा दिल था रमता जोगी. मन में तेरे प्यार के दीप जलाकर अब कर दे दूर अँधेरे.

जोड़ा पहनने के बाद उसने लाल चुडिया पहनी .

मैं- अब चल मंदिर.

दिल में हजारो अरमान लिए मैं निशा को थामे गाँव मे ले आया था . धड़कने कुछ बढ़ी सी थी पर किसे परवाह थी गाँव के लोग कोतुहल से हमें ही देख रहे थे. उनकी नजरो का उपहास उड़ाते हुए मैंने निशा के हाथ को कस कर थाम लिया. मंदिर के रस्ते में हम चौपाल के चबूतरे के पास से गुजरे , वो पेड़ ख़ामोशी से हमें ही देख रहा था .



“अब कोई लाली नहीं लटकेगी इस पेड़ पर मैं रीत बदल दूंगा.” मैंने खुद से कहा . निशा का हाथ थामे मैं मंदिर की सीढिया चढ़ रहा था .

“पुजारी, कहाँ हु पुजारी . देखो मैं अपनी दुल्हन ले आया हूँ , आकर हमारे फेरे करवाओ ” मैंने कहा

मैंने देखा पुजारी हमारी तरफ आया उसकी आँखों में मैंने क्रोध देखा,असमंस देखा.

पुजारी- कुंवर, बहुत गलत कर रहे हो तुम इसे प्रांगन में ले आये सब अपवित्र कर दिया.

मैं- जुबान पर लगाम रखो पुजारी . मैंने तुझसे कहा था न की मेरे फेरे तू ही करवाएगा

पुजारी- ये पाप है एक डाकन से ब्याह कहाँ जगह मिलेगी तुमको कुंवर.

मैं- मैं तुझसे पूछता हूँ पुजारी इसे डाकन किसने बनाया, उस माँ ने तो नहीं बनाया न जो सामने बैठी तुझे भी और मुझे भी देख रही है . उसने तो इसे तेरे मेरे जैसा ही बनाया था न . नियति ने दुःख दिया तो इसमें इसका क्या दोष, इसको भी हक़ है ख़ुशी से जीने का . कब तक ये दकियानूसी चलेगी, कोई न कोई तो इस रीत को बदलेगा न . इस गाँव में ये बदलाव मैं लाऊंगा. तू फेरो की तयारी कर

पुजारी- हरगिज नहीं , ये पाप मैं तो जीते जी नहीं करूँगा. मेरा इश्वर मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा.

मैं- किस इश्वर की बात करता है पुजारी , ये तो माँ हैं न ये मेरी माँ है तो निशा की भी माँ हुई न. और माँ अपने बच्चो में कब से भेदभाव करने लगी. और अगर बात माँ और उसकी औलादों की है तो तेरी फिर क्या जरूरत हुई भला.

मैं निशा को लेकर माता की मूर्त के सामने आया . मैंने थाली में रखा सिंदूर उठाया और निशा की मांग में भर दिया.निशा ने अपनी आँखे बंद कर ली. मैंने अपने गले से वो लाकेट उतारा और निशा के गले में पहना दिया . निशा मेरे गले से लग गयी मैंने उसके माथे को चूमा और बोला- देख पुजारी , माँ ने तो कोई ऐतराज नहीं किया. वो भी जानती है की उसके बच्चो की ख़ुशी किस्मे है . और हाँ अब ये मेरी पत्नी है , अब तेरा मंदिर पवित्र हो गया न . मोहब्बत ने पुराणी परम्परा की नींव हिला दी है पुजारी. आने वाले वक्त में तू जिया तो न जाने क्या क्या देखेगा. चल मेरी जान घर चल. अपने घर चल.

गाँव का सीना चीरते हुए मैं अपनी सरकार को अपने घर ले आया. मैंने देखा दरवाजे पर भाभी खड़ी थी ,हमें देख कर उसकी आँखों में चमक होंठो पर मुस्कान आ गयी थी . शायद हमारे आने की खबर हवाए हमसे पहले घर ले आई थी .

“तो ” भाभी ने बस इतना कहा और निशा को अपनी बाँहों में भर लिया.

“स्वागत है “ भाभी ने कहा और निशा को घर में ले लिया पीछे पीछे मैं भी आया. मैंने देखा अंजू दौड़ कर आई और निशा के गले लग गयी . अंजू की आँखों में आंसू थे. मैंने चाची को आरती की थाली लेकर आते हुए देखा. .................ये ख़ुशी , ये ख़ुशी जो मैं महसूस कर रहा था इसके पीछे आते तूफान को मैं महसूस नहीं कर पा रहा था .
Lajawab update 😘😘😘🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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निशा ने ऐसा क्या किया/हुआ कि निशा को डाकन की उपाधि मिली
फाग के दिन रंगों की होली के बीच खून की होली खेलते हुए कबीर ने निशा की मांग में सिंदूर भर कर ब्याह लिया
अंजू ने निशा को गले लगाया और भाभी पूजा की थाली के साथ द्वार पर खड़ी है
आगे क्या
हर अपडेट की अन्तिम लाइन सस्पेंस रहित रही हो ऐसा अपडेट आपने कोई नहीं दिया
इंतजार रहेगा एक और सस्पेंस के जबाब अगले अपडेट का
अगले अपडेट में रायता और ज्यादा फैलाया जायेगा या नहीं
शानदार अपडेट फौजी भाई
फिर से पढ़िए अपडेट को, समझ आ जाना चाहिए कि निशा को डायन क्यों बोला गया।
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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HalfbludPrince मुसाफिर क्या कर दिए हो... निशा की कबीर के साथ इतना लगाव व सूरजभान का पुनः कबीर के प्रति असीम घ्राण व अपने इगो को संतुष्ट करने के लिए 🤔 कबीर निशा पर अनावश्यक आक्रमण फिर से निशा कबीर का रुद्र रूप व सूरज को जिवित छोड़ देना.. अपने भाई के वचन की खातिर व सभी को आने वाले समय की मांग अनुरूप बदलने के लिए कहना.. अद्भुत 😍

निशा के संग विवाह व उनका अप्रतिम प्रेम, पुजारी का अपनी दकियानूसी परंपरा पर अड़े रहने के बाबजूद कबीर निशा का मंदिर में विवाह कर उसे घर ले जाना व घर पर सभी भाभी अंजु चाची द्वारा पूरा स्वागत सत्कार करना... 😍 💐 🌹

प्रेम के लिए ढेरो खुशियां लेकर आए इंन विगत अंकों ने कहानी की दूसरी पारी शुरू कर दिया है 😍..

अब तो निशा की क्या कहानी है क्या सच्चाई है क्यों वो डाकन कहलाती है ओर भी बहुत सारे प्रश्न है उनके उत्तर आने वाले समय में मिल जाएगे..

कई अनसुलझे घटनाक्रम है तो कई नए घटनाक्रम इंतजार कर रहे हैं 😍
आप के इस रोमांचक, रहस्यमय, एक्शन से भरपूर बेहद मन भावन रचना के अगले अध्याय के इंतजार में 😊 💕
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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तो सूरजभान ही आया लड़ने, जब कहानी की शुरुआत थी तभी से मुझे लगा था की निशा मलिकपुर और रूढ़ा से संबंधित है।

अब लग तो ऐसे ही रहा है की निशा रूढ़ा की बहु है, महावीर ठाकुर की बीवी,
बहन नहीं क्योंकि सुरजभान ने जिस हिसाब से घाघरा निकालने के लिए बोला ऐसी बद्तमीजी लोग अपनी wife या भाभी से ही करते है।
वैसे भी रंगो से होली गांव घर में विधवाएं ही नही खेलती है।
और देखा जाए तो पिछले कुछ अपडेट में कहानी के इतने सारे जवाब मिले है, कहानी इतनी सुलझ गई है अंदाजा लगाना इतना मुश्किल भी नहीं

last कुछ अपडेट को फौजी भाई ने बड़ी सूझ बूझ से लिखा है

खैर देखते है विशंभर दयाल बंदूक निकालते है की नहीं, कारण भी देखना है की वो रूढ़ा से दोस्ती के वजह से ही कबीर के खिलाफ होगा या फिर उसके कोई अलग ही कारण है।

सुरजभान जंगल में घूम घूम कर क्या ढूंढता रहता था इस प्रश्न का उत्तर अभी बाकी है, आगे के अपडेट में इस प्रश्न का उत्तर का इंतजार रहेगा

कबीर के पक्ष में कौन कौन है ये तो नही मालूम लेकिन कबीर की खिलाफ रूढ़ा, सुरजभान, विशम्बर दयाल ही दिख रहे है, गांव की पंचायत ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगी,गांव से निकल देगी


इंतजार रहेगा अगले अपडेट का,
मंगू अच्छे से नहीं कुटाया, आसान मौत मर गया
सुरजभान भी अच्छे से नहीं पीट पाया
उम्मीद है की विशंभर दयाल की गांड़ अच्छे से टूटेगी

कहानी इतने अच्छे phase पे चल रही है, ज्यादा कुछ बोलने की गुंजाइश नही है
और अपडेट की quality अच्छी है उस पर कोई comment नही है

मैं इंतजार कर रहा हूं, अपने प्रश्नों के उत्तर का जो की मुझे हर कुछ अपडेट में मिल जा रहे है
अभी बहुत से प्रश्नों के उत्तर बाकी है जिनका इंतजार बेसब्री है।

ऐसे ही अच्छे अपडेट देते रहे, thankyou ❣️
मेरे पास अब कुछ भी नहीं कहने को बस मोहब्बत लिखने की कोशिश की है भाई. कबीर निशा को ब्याह का ले आया है. सब प्रथम दृष्टि मे बढ़िया लग रहा है आगे ना जाने क्या होगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मज़ा आ गया भाई फोजी जी प्रेमी जोड़े ने तो प्यार के दुश्मनों की गांड फाड़ दी और अभिमानु के वादे की लाज भी रख ली

इस प्रेम युद्ध में इस जोड़े की ही जीत होगी अभी तो आदमखोरनि नंदिनी, अंजू व् अभिमानु मैदान में नहीं उतरे बशर्ते ये सब ईमानदारी से कबीर के साथ हो
प्रेम मे हार जीत का प्रश्न ही नहीं प्रेम को बस निभाया जाता है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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:claps: Bhai chalo bahut saare raaj khol die kabir ne. Par uske kai main raaj abi tak na khule.
1. Wo werewolf kaise bana, shuruwat kaise hui.

2. Soojan ka kya chakkar hai.
3 in sab me daayan kya kar rahi hai akeli.
4 wo aadamkhor kuan hai kaise bana, uska kya maksad tha.


Mujhe pata hai, kahani me abi tak rooda paatra main lime light me nahi aaya hai, uske aate hai kahani ki raftaar aur tej ho jaaegi...
Mujhe lagta hai kahaani abi aur chalegi, aur is bat ki mujhe behad khushi hai mujhe is kahani ke sath aur samay bitane ko milega.


Main aur baaki sabi aapke sahas badhaate hue aapke sath hai, aapko aur is kahani ko bharpoor pyaar dete hai. :hug:
जैसे जैसे पढ़ते जाएंगे जवाब मिलते जाएंगे भाई
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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इस प्रेम युद्ध में महा चोदू जी किस के साथ देते हैं दिलचस्प रहेगा नंदिनी के लिए वो राज़ी हुआ पर कबीर उसकी चुदायी में सब से बड़ी अड़चन है ऊपर से निशा का अतीत क्या है इसपर भी बहुत कुछ निर्भर करता है
सही कहा दिलचस्प रहेगा राय सहाब का दृष्टिकोण
 
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