rangeen londa
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दु क्या950
एक धक्का और दो, 1000 पार पहुंचा दो...
दु क्या950
एक धक्का और दो, 1000 पार पहुंचा दो...
फौजी भाई को रूपाली की कसम दे देते है कि फोरम छोड़ कर न जायँHalfbludPrince bhai bas aapse ek hi request
kar sakta hoon ki is story ko khatam karke
bas humse jayad din door na rhena ..
Humko aapki kahani ki aadat hogayi
hai ..
सारे अपडेट पर कमेंट कर दो, आप अकेले ही पहुंचा दोगेदु क्या
९५० कर दिये स्पाम होगेसारे अपडेट पर कमेंट कर दो, आप अकेले ही पहुंचा दोगे
फौजी भाई की की इस थ्रेड पर किसी को भी धक्का लगाने की जरूरत नहीं है, यह तो अपने आप ही दौड़ लगा रही है950
एक धक्का और दो, 1000 पार पहुंचा दो...
महावीर की बीमारी नंदिनी और कबीर के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन गई है.. चाचा के कारनामे की कीमत परिवार ने चुकाई हैइस कमरे में महावीर रहता था और यह बीमारी भी वही लाया था और गांव में उसने ही फैलाई थी भाभी भी उसी का शिकार हुई है चाचा तो ऑल राउंडर निकल ऐसा कोई भी काम नहीं छोड़ा जो उन्होंने नही किया और इन गलतियों की सजा उसे मौत मिली अभिमानु ने बताया की मां की मौत चाचा द्वारा धक्का लगा और सीढ़ी पर गिर कर मर गई मुझे लगता है धक्का जानबूझ कर दिया गया था ताकि उसका राज़ बना रहे क्योंकि चाचा अय्याशी का एक नमूना था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था जब उसने बेटी समान अंजू को नहीं छोड़ा तो उससे हम उम्मीद क्या कर सकते हैं
ThanksInteresting update
गजब का अपडेट#21
सर्दी की उस दोपहर में सूरज का ताप जैसे थम ही गया था . मैं एक नजर निशा और दूसरी नजर ओझा को देखता .
निशा- ओझा, किस बात की देर है अब शिकारी भी है शिकार भी है . मौका भी है दस्तूर भी है जिसके दर्शन की चाह थी तुझे तेरे सामने है . तड़प रही हूँ मैं तेरी उन सिद्धियों के ताप में पिघलने के लिए . अब देर न कर. मैं बड़ी हसरत लेकर आई हु तेरे स्थान से अगर मैं खाली गयी तो फिर तेरी ही रुसवाई होगी.
कुछ पलो के लिए अजब सी कशमकश रही और फिर वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी .
ओझा ने अपने कदम आगे बढ़ाये और अपना सर निशा के कदमो में झुका दिया .
“मुझसे भूल हुई ” ओझा ने हाथ जोड़ कर कहा
मैं ये देख कर हैरान रह गयी .
निशा-ये धूर्तता का धंधा जो तुम जैसो ने खोल रखा है . भोले इंसानों की श्रधा का सौदा करते हो तुम लोग. आस्था जैसी पवित्र भावना को चंद सिक्को , अपनी ठाठ-बाठ के लिए तुम लोग इस्तेमाल करते हो . दो चार झूठे मूठे मन्त्र सीख कर तुम लोग जो करते हो न उसे पाप कहते है ओझा. मैं चाहूँ तो इसी वक्त गाँव वालो के सामने तेरा ऐसा जलूस निकालू तेरा की तेरी सात पीढ़िया तंत्र के नाम से कांपे . ये लोग तुझे यहाँ लाये क्योंकि इनको विश्वास था और विश्वास घात करने वाला तू, रात होते होते अपनी इस दूकान को बंद करके तू नो दो ग्यारह नहीं हुआ न तो मैं फिर आउंगी और ऐसा हुआ तो अगले दिन का सूरज तेरे भाग्य में नहीं होगा.
“चल कबीर यहाँ से ” निशा ने कहा और हम वहां से आ गये.
मैं- मुझे तो मालूम ही नहीं था की ये ठग है .
निशा- छोड़ उस बात को अब बता
मैं- मैं क्या बताऊ सरकार .समझ ही नहीं आ रहा की क्या कहूँ
निशा- तेरे गाँव आई हूँ . तेरी मेहमान हूँ.
मैं- बता फिर कैसे मेहमान नवाजी करू सरकार तेरी .
निशा-दिखा मुझे तेरा गाँव , दिखा यहाँ की रोनके
मैं- सच में तेरी ये इच्छा है
निशा- तुझे क्या लगता है
निशा को दिन दिहाड़े साथ लेकर घूमना थोडा मुश्किल क्या पूरा ही मुश्किल था मेरे लिए. गाँव वालो ने हमें साथ देख ही लेना था . परेशानी खड़ी हो जानी थी मेरे लिए .
निशा- क्या हुआ किस सोच में डूब गए कोई परेशानी है क्या .
मैं- नहीं बिलकुल नहीं. साइकिल पर बैठेगी मेरी
निशा- आगे बैठूंगी
उसने जिस दिलकश अंदाज से जो कहा कसम से उसी लम्हे में मैं अपना दिल हार गया था . लहराती हुई हवाओ ने अपनी बाहें खोल दी थी हमारे लिए. निशा की लहराती जुल्फे मेरे गालो को चूम रही थी . बढ़ी शोखियो से साइकिल के हैंडल को थामे वो बस उस लम्हे को जी रही थी . जब उसका जी करता वो साइकिल की घंटी को जोर जोर से बजाती . उसके चेहरे पर जो ख़ुशी थी मेरे दिल को मालूम हुआ की करार क्या होता है. गाँव के आदमी औरते हमें देखते पर अब किसे परवाह थी .
गाँव की कुछ खास जगह जैसे की जोहड़. डाक खाना और हमारा मंदिर उसे दिखाया . वापसी में हम हलवाई की दूकान के पास से गुजरे मैंने उस से जलेबी चखने को कहा पर उसने मना किया . फिर हम गाँव की उस हद तक आ पहुंचे जहाँ से हमारे रस्ते अलग होते थे . उसने मेरे काँधे पर हाथ रखा और बोली- कबीर, कसम से आज बहुत अच्छा लगा मुझे .
मैं- तेरा जब दिल करे तू आ जाया कर
निशा- नहीं कबीर ये मुमकिन नहीं है ये उजाले मेरे लिए नहीं है
मैं- तो फिर ये राते तो अपनी है न तू बस इशारा कर मुझे ये गाँव रातो को भी बड़ा खूबसूरत लगता है .
निश मेरी बात सुन कर मुस्कुरा पड़ी .
वो- अभी जाना होगा मुझे
मैं- तालाब तक चलू मैं
निशा- नहीं . तुझे याद है ना अब पन्द्रह दिन मैं तुझसे हरगिज नहीं मिलूंगी तू अपना वादा याद रखना
मैं- ये पन्द्रह दिन कितनी सालो से बीतेंगे मेरे लिए
निशा- इतनी भी आदत मत डाल कबीर. एक बात हमेशा याद रखना तेरे मेरे बीच वो दिवार है जो कभी नहीं टूट पायेगी. मैं चलती हूँ अब तू भी जा
दिल चाहता था की दौड़ कर मैं उसे अपने आगोश में भर लू और फिर कभी खुद से दूर नहीं जाने दू पर ये मुमकिन नहीं था तो मैंने भी साइकिल गाँव की तरफ मोड़ दी और घर पहुँच गया . न जाने क्यों सब कुछ महका महका सा लग रहा था . मैंने अपना रेडियो चालू किया और छज्जे पर रख कर आवाज कुछ ऊंची कर दी.
ढलती शाम में शाम में किशोर के नगमे सुनना उस वक्त मेरे लिए सब से सुख था . खुमारी में हमे तो ये मालूम भी न हुआ की कब भाभी सीढियों पर खड़ी हमें देख कर ही मुस्कुरा रही थी .
“ये जानते हुए भी की राय साहब घर पर है बरखुरदार इतनी ऊँची आवाज में रेडियो बजा रहे हो . ” भाभी ने मेरे पास आते हुए कहा .
मैं- हमको क्या डर है राय साहब का . अपनी मर्जी के मालिक है हम भाभी
भाभी- अच्छा जी ,हमें तो मालूम ही नहीं था ये वैसे आज से पहले ये हुआ नहीं कभी .
मैं- दिल किया भाभी कभी कभी दिल की भी सुननी चाहिए न
भाभी- दिल की इतनी शिद्दत से भी न सुनो देवर जी की पूरा गाँव ही गवाह हो जाये.
भाभी की ये बात सुन कर मेरे होंठो की मुस्कान गायब हो गयी .
भाभी- हमारे देवर की शिद्दत को पुरे गाँव ने महसूस किया है आज . जब हमें मालूम हुआ है तो फिर किसी से छुपा तो रहा नहीं न कुंवर जी . वो वजह जिसके लिए हमारा देवर रातो को गायब रहता था आज मालूम हो ही गया . तो अब बिना देर किये बता भी दो क्या नाम है उस बला का जिसने हमारे देवर की नींद चुराई हुई है .
मैं- ऐसा कुछ भी नहीं है भाभी , वो लड़की को मुसाफिर थी राह पूछ रही थी मैंने बस उसकी मदद की थी उसे मंजिल पर पहुँचाने में .
भाभी- उफ्फ्फ ये बहाने. चलो कोई नहीं मत बताओ पर इतना ध्यान रखना ये जो भी है दिल्ल्ल्गी ही रहे. आशिकी से आगे मत बढ़ना . मोहब्बते रास नहीं आती इस ज़माने को उस रस्ते पर चलने की सोचना भी मत . सोचना भी मत .
मैं- मैंने कहा न भाभी ऐसा वैसा कुछ भी नहीं है .
मैं सीढियों से उतरा ही था की तभी किसी ने खींच कर मुक्का मारा मुझे और मेरा संतुलन बिगड़ गया . .................
मंगू का किरदार हमे सीख देता है कि किसी को भी घर के इतना भीतर नहीं लाना चाहिए कि वो घर की कमजोरियों को जान जाएHalfbludPrince मुसाफिर सरला लगा भी था.. परंतु ये भी मन में था कि हो सकता है कि वो मंगू से सम्बंध बना कर जानकारी ले लेने की कोशिश कर रहीं हो..
मंगू तो अपने को सबसे ज्यादा क़ाबिल समझ ने लगा है..
अब वो कबीर की मारने की धमकी दे रहा है व उसे खत्म करने के लिए तत्पर है
देखे कबीर क्या कर्ता है..
ये कहानी व प्रशंसकों की प्रतिक्रिया ये अब नहीं रुकेगी..
अगले घटनाक्रम के इंतजार में
उस समय मंगू को रोक देता तो काफी कुछ छूट जाता धीरे धीरे करके सब किरदारों को समेट रहा हूंमंगू ये धोखा दे पाया है तो उसका इकलौता कारण कबीर खुद है, उसे बहुत पहले से मंगू की सच्चाई मालूम थी पर फिर भी मौके पर मौका दिया
ये काम कबीर को बहुत पहला करना चाहिए था इसे जी भर के पीट लेता तो कहानी थोड़ी सरल होती
खैर देखना है चंपा के पेट में बच्चा किसका था
और सरला मंगू का साथ कबीर से मिलने से पहले से दे रही थी या फिर मंगू ने उसे सोने का लालच दिया है
मुझे लगता है की कहानी अभिमानु की मौत के साथ खत्म होगी, त्रिदेव के 2 किरदार मर चुके है शायद अगले का no. लग जाए लेकिन बहुत अच्छा होगा अगर मैं गलत हो जाऊं
देखते है सरला और मंगू मरते है या फिर कबीर