rangeen londa
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बहोत हि पर्फेक्ट बोले हे ये दुनिया मादरचोदो से भरी पडी हेमंगू का किरदार हमे सीख देता है कि किसी को भी घर के इतना भीतर नहीं लाना चाहिए कि वो घर की कमजोरियों को जान जाए
बहोत हि पर्फेक्ट बोले हे ये दुनिया मादरचोदो से भरी पडी हेमंगू का किरदार हमे सीख देता है कि किसी को भी घर के इतना भीतर नहीं लाना चाहिए कि वो घर की कमजोरियों को जान जाए
बहुत कुछ छुपा है अभी तोअभी भी कुछ छुपा है...
आपकी बात का समर्थन कर रहा हूं पर ये सब तो मोहरे ही है शतरंज का राजा अभी आया ही नहीं सामनेमंगू को चाहे लाख गाली दो लेकिन कबीर से ज्यादा चुतेँ मार चुका है कबीर तो बेचारा अतीत ही खोजता रह गया वरना रमा और अंजु तो चुद ही जाती
हरामी चोदू मंगु ने इतने राज़ खोले पर इन सब में महा चोदू राये साब कहाँ तक शामिल है या फिर रमा, सरला मंगु हरामखोर से मिल गयी
आने वाली जनरेशन के लिए कुछ ऐसा छोड़ कर जाना चाहता हूं कि फक्र करेंगे वो यदि उन्होंने पढा तोभाई फोजी जी क्या कहानी लिखे हो की राज खुलने के बाद भी नए सवाल पैदा हो रहे हैं अब तो पूछने में भी शर्म सी आ रही है
सोना महावीर ने चुराया था ये तो पता चल गया है लेकिन लड़ाई राय साहब और चाचा में हुई मुझे लगता है इस पूरे नाटक का रचयिता राय साहब ही है वो ही असली खिलाड़ी है इस पूरे खेल के ????? सब कांडो में रमा शामिल है सब से पहले तो इसका बैंड बजाओ हर कांड में शामिल होते आई है अब साला मंगू के साथ कोन है बिस्तर में रमा सरला या चंपा ????#131
राय साहब अभी तक नहीं लौटे थे, हमले की रात से ही वो गायब थे. इतना बड़ा काण्ड होने के बाद भी वो कैसे अनजान बने रह सकते थे. मुझे भी लगने लगा था की कहीं ये बाप की ही तो साजिश नही. पर किसलिए , मेरे पास वक्त बहुत कम था . निशा को इस घर में लाने से पहले मैं इस तमाम चुतियापे से छुटकारा पा लेना चाहता था ताकि आगे की जिन्दगी आराम से जी सकू मैं. सवालो का अम्बार लगा था मेरे मन के अन्दर .
महावीर ने सोना चुराया था , जिसका आरोप पिताजी ने चाचा पर लगाया था . अथाह सोना था धरती के सीने में थोडा बहुत अगर गायब हुआ भी तो क्या ही फर्क पड़ना था . अंदेशा था की या तो पिताजी को महावीर की कारस्तानी मालूम थी या फिर पिताजी ने ही कोई ऐसा खेल खेला था जिससे की महावीर और चाचा उलझ गए थे , जिस तरह से रमा आजतक पिताजी के साथ थी और पहले बी पिताजी और चाचा के बीच झगडे की वजह रमा बनी थी तो क्या ऐसा नहीं हो सकता था की महावीर को इस्तेमाल किया गया हो.
पिताजी के कमरे से मिली चुडिया , वैसी ही चुडिया कविता के कमरे से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता था. कुछ तो ऐसा था जिसे समझ नही पा रहा था मैं. लगने लगा था की पिताजी ने कोई चक्रव्यूह रचा है हम लोग जिसके मोहरे मात्र है . कठपुतिलियो को अपने इशारे पर नचा रहे हो जैसे वो. मैंने एक नजर ढलती शाम को देखा और सोचा क्या ये बदलता मौसम किस्मत भी बदल पायेगा क्या
चूत का चक्कर , इन्सान कितना भी शातिर क्यों न हो इस चक्कर में जो उलझा फिर पार नहीं पा पाया. जवानी के जोश से भरे महावीर को अपने हुस्न के जाल में फ़साना रमा के लिए भला कितना मुश्किल रहा होगा. और जो एक बार इस चक्कर में पड़े फिर उसके लिए क्या रिश्ता क्या नाता. उदाहरण मैं खुद था कितनी आसानी से मैं चाची को चोद गया था और फिर सरला से भी सम्बन्ध बना गया था. मुझमे और महावीर में देखा जाये तो ज्यादा फर्क नहीं था . मैं चाची के पास गया और बोला- सर बहुत दुःख रहा है बाम लगा दो
चाची ने बाम लगाना शुरू किया .
मैं- एक बात पुछू
चाची- हाँ
मैं- तू चाहती तो तू रमा को भी मार सकती थी उसने तेरा पति तुझसे छिना था पर ऐसा नहीं किया क्यों
चाची- कितनी रमा को मारती मैं , छोटे ठाकुर ने गाँव की किसी ही औरत को छोड़ा होगा . मैं किस किस से लडती . उन दिनों घर का माहौल बहुत तनाव से भरा था . राय साहब ने पूरा जोर लगाया हुआ था अपने भाई की तलाश करने को . मैंने छोटे ठाकुर को मार तो दिया था पर जानती थी की ये राज छुप नहीं पायेगा. अभिमानु अगर हर कदम मेरे साथ नहीं खड़ा होता तो टूट कर बिखर चुकी होती मैं.
चाची का कहना सही था . किस किस से लडती वो जब कमी खुद उसके पति की थी . न जाने क्यों मुझे लग रहा था की कुछ तो छूट रहा है मुझसे एक बार फिर से मैंने चीजो को जोड़ना शुरू किया. महावीर के मरने के बाद आदमखोर का हव्वा फैलाना , इसका क्या कारन हो सकता था . माना की राय साहब हरगिज नहीं चाहते थे की सोने की खदान का राज किसी को भी मालूम हो पर वो तो पहले ही छिपी हुई थी न . छिपी हुई चीज को छिपाने की भला क्या जरुरत आन पड़ी थी .
दूसरी सम्भावना ये थी की मंगू जो नकली आदमखोर बन कर घूम रहा था उसकी जानकारी राय साहब को मालूम ही न हो , राय साहब का भी चुतिया काटा जा रहा हो. मंगू गायब था और यदि मेरा अनुमान सही था तो मैं जानता था की वो मुझे कहाँ मिलेगा. रात के अँधेरे को चीरते हुए मैं दबे पाँव चले जा रहा था खदान के उस हिस्से की तरफ जहाँ पर मुझे वो नंगी तस्वीरे पड़ी मिली थी .
अँधेरे में चलते चलते मुझे कोफ़्त होने लगी थी पर दूर जलती मशाल की रौशनी बता रही थी की खान में कोई तो है जरुर. और जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने जो देखा , ऐसा लगा की फिर से किस्मत ने मुझे छल लिया हो . बिस्तर पर मंगू अकेला नहीं था , उसके साथ ...... उसके साथ कोई और भी थी और वो की और जो थी मैंने सोचा नहीं था की उस से इस हालात में मुलाकात होगी.
अभी अभी इस थ्रेड पर नये नये रंगीन लोड़ा जी आये हैं जो हर अपडेट पर कमेन्ट कर रहे हैं इस हिसाब से 20 पेज तो रंगीन लोड़ा जी के कमेंट्स से ही जोड़ ले 1000 पेज पूर्ण हर हाल में होंगे
Gajab Ka update Foji bhai#22
“कमीने कुत्ते तुझे छोडूंगी नहीं मैं . ”चंपा ने एक मुक्का और मारा मेरी पीठ पर .
मैं- आह. खता तो बता मेरी
चंपा- मुझसे ही पूछ रहा है . मुझे तो खेत तक साथ ले जाने में ज़माने भर की दुहाई देता था और बेलिहाज बेशर्म किसी दूसरी के साथ तू गाँव भर में चक्कर काट रहा था .
मैं- शांत हो जा झाँसी की रानी. गुस्सा थूक दे. और मेरी सुन, वो तो कोई मुसाफिर थी पता बूझ रही थी मेरा उस से भला क्या लेना देना.
चंपा- तेरी इन चिकनी बातो पर अब नहीं फिसलने वाली मैं. मैं ही पागल थी जो तेरे पीछे पड़ी रही .
मैं- सुन तो सही चंपा तू भी न बेकार ही इतना गुस्सा कर रही है .
चंपा- हाँ ये भी मेरा ही दोष है .
“अरे क्या तुम लोग कुत्ते-बिल्ली के जैसे लड़ रहे हो इतने बड़े हो गए हो बचपना कब जायेगा तुम्हारा ” भाभी ने सीढयो से उतरते हुए कहा .
मैं-कुछ नहीं भाभी बस यूँ ही
भाभी- ठीक है , ठीक है चंपा तुम मेरे साथ चलो
भाभी उसके साथ बाहर चली गयी . मैं भी गाँव की तरफ चल दिया. गाँव भर में चर्चा थी की ओझा अचानक से वापिस चला गया था . गाँव वालो की इस बात से और घबराहट बढ़ गयी थी . मैं पंच के घर गया उसके लड़के को देखने के लिए. उसे खाट से बाँध कर रखा गया था . बदन एक दम पीला पड़ चूका था पर जिस तरह से वो हाथ पैर मार रहा था उस से लगता था की ताकत है अभी भी .
मैं बस सोचता रहा की बहनचोद ये क्या बला थी . क्या देख लिया इसने जो ये पगला गया . मैं लगातार जंगल के चक्कर लगा रहा था पर एक पल भी मेरे सामने ऐसा कुछ नहीं आया था . वापसी में मैं मंगू के घर पर गया .
मैं- मंगू रात को खेतो पर चलेगा क्या
मंगू की माँ ने सख्त मना कर दिया . उसके जज्बात भी समझता था मैं . इतनी घटनाओ के बाद हर कोई घर से बे टाइम निकलने से पहले सोचेगा . घर वापस आते समय मुझे मूतने की इच्छा हुई तो मैंने एक कोना पकड़ा और मूतने लगा. मूतते समय मैंने अपने लिंग को देखा ये अभी भी वैसे ही सूजा हुआ था . इन तमाम बातो के चक्कर में इस पर मेरा जरा भी ध्यान नहीं गया था .
मैंने थोड़ी देर विचार किया और फिर बैध जी के घर की तरफ कदम बढ़ा दिए. पर वहां जाकर मालूम हुआ की वो किसी का इलाज करने गया हुआ था . ये दूसरी या तीसरी बार था जब मैं इस मामले में उससे मिलने आया था और वो मिल नहीं पाया. खैर अब घर तो जाना ही था . रोटी-पानी के बाद मैं चाची के पास पहुँच गया .
थोड़ी देर अलाव के पास बैठा . गर्म दूध पीकर तबियत खुश हो गयी .
चाची- किस सोच में डूबा है
मैं- कुछ नहीं चाची
चाची- सारा दिन गायब था . रात को भी नहीं था . जेठ जी को मालूम हुआ तो तेरे साथ मुझे भी परेशानी होगी.
मैं- मैं भी परेशां हु चाची .
चाची- बता तो सही क्या परेशानी है तुझे.
मैं- ये अभी भी सुजा हुआ है
मैंने सकुचाते हुए चाची से कहा तो चाची की त्योरिया चढ़ गयी .
चाची- वैध को नहीं दिखाया न तूने
मैं- गया था पर वो मिला ही नहीं, मुझे लगता है की कुछ हो गया है सुजन उतर ही नहीं रही है .
चाची- दर्द है क्या अभी भी .
मैंने अपना सर चाची के कंधे पर रख दिया. चाची के जिस्म की खुशबु मुझ पर सुरूर बन कर छाने लगी. मैंने उसकी गर्दन पर चूमा.
चाची- उफ़ तेरी ये शरारते
चाची उठ कर लालटेन के पास चली गयी और उसकी लौ धीमी करने लगी. मैंने पीछे से चाची को अपनी बाँहों में भर लिया और चाची के मुलायम पेट को सहलाने लगा. मैंने एक ऊँगली चाची की नाभि में डाल दी . चाची के नितम्ब मेरे लिंग पर रगड़ खाने लगे. चाची मीठी आहें भरते हुए कसमसाने लगी मेरी बाँहों में .
चाची- कबीर मत कर न
मैं- मैं क्या कर रहा हूँ, कुछ भी तो नहीं कर रहा न
मैं अपने हाथ थोडा और ऊपर ले गया और चाची की छातियो को अपनी मुट्ठी में भर लिया .
चाची- मान जा न
चाची मेरे आगोश से निकल गयी और बिस्तर लगाने लगी. चाची जब झुकी तो उसके चूतडो के कसाव ने मेरे दिल पर छुरिया चला दी. चाची ने अपनी ओढनी उतार कर रख दी और बिस्तर पर चढ़ते हुए बोली- आजा सोते है
मैं चाची के साथ रजाई में घुस गया.
चाची- कैसा रहा आज का दिन
मैं- ठीक ही था . खेतो पर मजदूरो ने साफ़ मना कर दिया अहि की वो रात को वहां नहीं रहेंगे. भैया ने भी उन्हें हाँ कह दिया है . मंगू भी नहीं जाएगा उसकी माँ कहती है की जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते उसे नहीं भेजेगी.
चाची- सही निर्णय है
मैं चाची से थोडा चिपक गया बोला- रखवाली की समस्या हो गयी है . गेहूं-सरसों की फ़िक्र नहीं है पर सब्जियों में जंगली पशु घुस गए तो मेहनत बर्बाद हो जायेगी. चंपा ने भी बताया की सब्जियों में नुक्सान हो रहा है .कल से मैं अकेला ही रहूँगा वहां पर
चाची- नहीं बिलकुल नहीं . नुक्सान होता है तो होता रहे . अकेले वहां रहना ठीक नहीं है . जेठ जी कुछ न कुछ हल निकाल लेंगे.
मैं थोडा सा टेढ़ा हुआ तो मेरा तना हुआ लिंग चाची के हाथ को छू गया .
चाची- आज ये इतना गुस्से में क्यों है
मैं- तुम खुद ही क्यों नहीं पूछ लेती इस से
मैंने चाची के हाथ को अपने लंड पर रख दिया. चाची का बदन कांप गया. पर उसने हाथ हटाया नहीं .
मैं- तुमने जो उस दिन किया था मुझे बड़ा करार मिला था
चाची- तब उसकी जरूरत थी अब नहीं है
चाची ने मेरे लंड पर धीरे धीरे अपनी उंगलियों की पकड़ मजबूत की .
मैं- ये सुजन कब तक रहेगी
चाची- पूरी उम्र भी रह जाये तो भी फायदे की बात है
मैं- कैसा फायदा
चाची- बेशर्म सब कुछ जानते हुए भी मुझसे ही कहलवाना चाहता है
मैं- कह क्यों नहीं देती फिर
इसके पीछे की वज़ह अजीब सी है दोस्त मेरे जीवन मे भाभी ही रहीं जिसे बहुत माना मैंने पर भाभी की वज़ह से मुझे निशा और मेरे बच्चे को खोना पड़ा था. कुछ बातों को याद करके बस ज़ख्म ताजा किए जा सकते है इस कहानी के जैसे मेरा अतीत भी अजीब ही रहा है. कहने को ये कहानिया ही है पर समझने को बहुत कुछ. ईन कहानियो के माध्यम से मैं अपने अतीत को देख लेता हूंभाई आपसे एक बात पूछनी थी?
आपकी हर कहानी में hero चाची को तो चोद लेता है शुरू में ही...
पर भाभी के साथ sexual tension तो होती है पर चोदता नहीं उसे ...
क्या भाभी ही माँ समान होती है, चाची नहीं??
जबकि आपकी सभी कहानियों में चाची ने भी hero को पूरा ही प्यार दिया है उस से ग़द्दारी भी नहीं की...
जो सम्मान भाभी को देते हो या तो चाची को भी देते..
या अगर चाची बस फ़ैंटसी किरदार ही तो है, ये reason है तो भाभी को भी क्यू नहीं चुदवा देते.!!
ये कैसी एकतरफ़ा कुंठा है???
समय आने दो उसका भाई अभी तो अतीत का रायता ही नहीं समेट पाया हूँBhai ye champa wala suspence clear karo jab wo Kabir se pyaar karti thi to rai sahab se kaise chudii yaa fir mangu sahi bol raha hai k usko sirf choot hi marwaani thi...