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Mast update mitrUpdate-6
सरला एकदम अप्सरा लग रही थी तंग चोली मे उसकी भरी हुई छाती फुल कर दोनो मादक चुचियां शिफोन की साडी मे उभार बनाये सरला की सालों से छुपी जवानी
सुनिल को दीखा रहे थे और उसके गदराये उठे हुये पेट पे गहरी नाभी कहर ढा रही थी जब सरला पलटी तो उसके गोल मटोल मटकते गदराये चुत्तर देख के तो सुनिल
पागल हो गया सुनिल सरला को हवस से भरी निगाहों से घुरे जा रहा था उसका मुह खुला का खुला ही रह गया लग रहा था मानो कुछ देर मे सुनिल लार टपकाने लगेगा
और सरला को गोद मे खिंच लेगा ।
सुनिल- म म मां आज कोई त्योहार है क्या
सरला- नही तो बेटा पर क्यू पुछ रहा है
सुनिल- आज तुने नई साडी पहनी है ना इसलिए मुझे लगा
सरला- वैसी बात नही है बेटा, वो कविता जीद करने लगी दीदी कबतक पुराने गांव के कपडे पहनोगी ये नये जमाने की साडी पहनो इस लिए पहन ली, बेटा मुझ पर ये
जचती नही है ना
सुनिल- ननन....नही मां क्या बोल रही हो तुम बडी सुंदर लग रही हो
सरला मंद-मंद मुस्कुराई
सरला- चल कुछ भी, बडा अच्छा मजाक कर लेता है । मै ठहरी में ठहरी गांव की सीधी साधी औरत ये शहर की चीजे मुझे क्या जचेंगी और मेरी उमर भी हो चली
सुनिल- तेरी कसम मां झुट नही बोल रहा हूं
सरला- अच्छा बाबा मान लिया बस, वैसे तेरे लिए ही पहनी थी मैने, एक बात पुछू क्या मै एक ऐसी साडी ले लूं
सुनिल- अरे क्यू नही एक क्यू दो ले ले
सरला ने सुनिल को चाय ला कर दी और निचे झुकते समय गलती से या पता नही कैसे उसका पल्लू गीर गया जीसे सरला ने तुरंत संभाल लिया । पर सुनिल के लिए
सरला की कुछ पल के लिये ही सही नजरों के सामने तंग चोली मे बेरहमी से कसी हुई लटकती मोटी चुचिया जो सुनिल के सामने आझाद होने के लिए मानो तडप रही थी
ऊन गोरी-गोरी टरबूज सी चुचिंयो के दर्शन ने उसके दीनभर की थकान मीटा दी पर उसे बडा अजीब लगने लगा । सुनिल बडा खुष था सरला के साथ बडे गप्पे लडा रहा
था । सरला तो सुनिल की एक मुस्कान देखने के लिए कुछ भी कर सकती थी । कविता ने बताया हुआ उपाय सरला को कामयाब होता दीख रहा था । दोनो मां बेटा
हकीकत से अंजान थे, जो वो दोनो कर रहे है वो क्या है उसका अंजाम क्या होगा ईसबात से बेखौफ थे दोनो । सुनिल तो अपनी ही मां के प्यार मे मदहोश हुए जा रहा था ।
और ईस को बढावा दे रही सरला को तो सुनिल को सरीता की बुरी यादों से बाहर निकालना था बस यही उसका मकसद था ।
सरला तो अब आंख मुंद के कविता ने बताई हुई बातों पे अमल करने लगी वो अब सुंदर साडी और बडे खुले गले की ब्लाउज पहनने लगी । कभी कभी तो फेर एन लवली
या लीपस्टीक और आंखो मे काजल भी भरने लगी । हर रोज वो एकदम नई नवेली दुल्हन की तरह वो सुनिल के लिए सजने सरवने लगी ।
रोज सरला को देखने सुनिल दौडा-दौडा काम से आता था । अब घर मे उदासी नही उमंग भर गई थी । सरला सुनिल को खुष देख कर बडा अच्छा महसूस करती । सुनिल
सरला के पास आने लगा दोनो लाड प्यार मे एक दुसरे को बाहों मे लेने लगे। पर इस प्यार का अंजाम कुछ और ही लिखा था उनके नसिब मे । ये नजदीकी सिर्फ मां बेटे
की नही रही बल्की औरत- मर्द की होने लगी हालांकी सरला तो सुनिल को एक लाडले बेटे के हीसाब से प्यार कर रही थी ।
उस दीन सुनिल काम पे कुछ सोच ही ना पाया उसे बस सरला का प्यार जीतना था । सुनिल जरा देर से घर पहूंचा । सरला बडी देर से दरवाजे पे टकटकी लगाए सुनिल की
राह देख रही थी एसी बेचैनी उसे पहली बार हो रही थी वो सुनिल से दूर रहना ज्यादा देर बरदाश्त नही कर पा रही थी । सुनिल ने दरवाजा खटखटाया सरला दौडी-दौडी गई
और दरवाजा खोला
सरला- बडी देर लगा दी बेटा आने मे
सुनिल कुछ ना बोला सरला रसोई की ओर पलटी सुनिल सरला के पिछे गया और उसने सरला की आंखे हाथों से बंद कर दी ।
Kamaal ka update dostUpdate- 7
सुनिल- सुनिल बेटा क्या है आंखे खोल ना मेरी
सुनिल- रुक तो सही
सुनिल ने जेब से एक डीबीया निकाली और सरला की नरम हाथेली पे रख दी और हाथ हटाया
सरला- हमम डीबीया क्या है इसमे
सुनिल- अरे खोलके देख तो सही, खोल ना
सरला ने बडी उत्सुकता से डीबीया खोली
बीजली सी चमक सरला की आखों मे दौड गई और चेहरे पर खुशी की लहर आ गई ।
सरला- हाय पायल, कीतनी सुंदर है रे
सुनिल- तो, मेरी सुंदर मां के लिए सुंदर पायल अब छन-छन करते बजेगी तेरे पैरो मे दीनभर
सरला- इसकी क्या जरूरत थी बेटा
सुनिल- नही चाहीये ला मै वापस कर देता हूं , क्या मां तू भी बापू के जाने के बाद एक नया गहना नही पहनी है तू । मेरी भी तो कुछ जीम्मेदारी बनती है तुझे खुश रखने की ।
सुनिल के मुह से इतनी प्यारभरी बाते सुन कर सरला की आंखे नम हो गई
सरला- कीतना प्यार करता है तू मुझे
सुनिल- अरे मां तेरे और रवी के सिवाय और कौन है मेरा ईस दुनिया मे अब, इसके बदले मे तु भी मुझे प्यार कीया कर मेरे लिए यही काफी है ।
सरला का सुनिल के लिए प्यार बहने लगा था मर्यादा तोडने लगा था ।
सरला ने सुनिल को गले लगाया सुनिल ने भी सरला को भींच लिया उसके छाती पे सरला की नरम चुचिंया दब ने लगी इतने दीनों बाद औरत के बदन के अहसास से
सुनिल पागल होने लगा । उसके हाथ सरला के चुत्तरों को छुने लगे सुनिल के पंजे सरला को अपने चुत्तरों पे महसूस होने लगे सरला तुरंत हरकत मे आ गई । सरला
तुरंत पीछे हट गई और शरमाती रसोई भाग गई ।
रात को सुनिल हीम्मत कीये सरला के पास सो गया ।
सुनिल- मां निंद नही आ रही है
सरला- अच्छा मेरा प्यारे बेटे को निंद नही आ रही है
सुनिल- मां मुझे एक बार प्यार से गले लगा ना
सरला- इतनी सी बात आ गले मिलले
सुनिल ने फीर एक बार सरला को कस के अपने आपसे सटा लिया इसबार बडी मजबूती से उसने सरला को भींच लिया, सरला चुचिंया दब ने लगी वो उसके चुत्तर मसलने
लगा सरला कुछ विरोध नही कर पा रही थी ।
सरला- आहहहह बब...बस बेटा अब सो जा
सुनिल ने उसे छोड दीया
सुनिय- मां एक चुम्मा देना गाल पे बचपन जैसा
सरला ने हल्के अपने होंट सुनिल के गाल पर टीकाए और सुनिल सरला को बाहो मे भरे सो गया ।
दुसरे दीन कविता रोज की तरह गप्पे मारने आ गई उसकी नजर सरला के पायल पे गीरी
कविता- हाय हाय दीदी कीतनी सुंदर पायल है कब खरीदी
सरला बडी दुविधा मे पड गई अब क्या जवाब दे कविता को सरला ने नाटक जारी रखा
सरला- व वो.. कल वो लाए मेरे लिए
कविता- हाये दीदी क्या कह रही हो सच मे कीतना प्यार करते है वो आपको
प्यार सुनते ही सरला रात का कीस्सा याद कीये मुस्कुराई
कविता- आ आ आ बडी शरमा रही हो आप लगता है कल रात बडा प्यार कीया है आप दोनो ने सही है ना , लगता है जल्द छोटू को नई बहन या भाई मिलने वाला है
सरला की तो बोलती ही बंद हो गई चेहरे पर कोई भाव नही थे
कविता- अरे दीदी पता है वो पिछले गली वाले समिर ने उसकी मौसी से शादी करली
Faadu update dostUpdate-8
सरला- हाय क्या कह रही है
कविता- अरे दीदी उसके पती की मौत हो गई थी ना और दोनो का प्यार था
सरला- पर कविता ये तो गलत है ना
कविता- अरे दीदी सही और गलत का जमाना कहा रहा है ।
सरला- तेरी बात सही है
कविता- दीदी आप ना बडी चुप चुप रहती हो गांव की आदत गई नही आपकी लगता है , अरे ये शहर है यहां आपका कोई पहचान वाला तो है नही तो बिनदास रहो और
भाईसाब के साथ मौज मजे करो ।
शाम को सरला को भी कविता के बताई सलाह सही लगी वो दोनो तो सब छोड के शहर मे नई जिन्दगी ही तो शुरू करने आये थे , यहा शहर मे कोई नही था उनके पहचान
वाला वो, दोनो आझाद पंछी की जिन्दगी गुजार सकते थे ।
दो दीन गुजर गये शाम को दरवाजे पर दस्तक हुई । सरलाने छोटे रवी को गोद से उठाकर निचे रख दीया ।
सरला ने दरवाजा खोला और सुनिल अंदर आया सुनिल ने सरला के हथेली पर सोने के झुमके रख दीये
सरला- ये क्या है सुनिल उस दीन पायल और आज झुमके इतना खर्चा क्यू कर रहा है बेटा मै ठहरी विधवा मुझे ये सब की क्या जरूरत पहले इसे लौटा दे ।
तभी सुनिल के मुह से निकल पडा
सुनिल- पर यहां तो तू मेरी बी.....
सुनिल के मुह से यह बात सुनते ही सरला पथ्थर की तरह जम गई , उसे जिस बात का डर था वही बात सुनिल के मुह से निकल गई उसे पता चल गया सुनिल उसके बारे
मे क्या सोचता है वो गुस्से मे लाल होकर झुमके खटीये पर रखे रसोई गई ।
सुनिल उसके पीछे-पीछे गया और सरला के पीछे खडा हुआ
सरला की आंखे लाल थी । सरलाने पीछे मुडकर तक नही देखा बडे कडे शब्दों मे सरला गुस्से मे बोल पडी ।
सरला- सुनिल तुझे जैसा लग रहा है वैसा कुछ भी नही है हमारे बीच दुनिया नही जानती हो पर हमे सच्चाई पता है के हम एक दुसरे के रीश्ते मे क्या लगते है ।
सुनिल- मां मां मां अरे मै मेरी प्यारी मां के लिए लाया हूं मुझे पता है मुझसे गलती हो गई बस, तेरे प्यार मे मै भुल गया था मेरे साथ जो हुआ है तुझे ही मै अपना सबकुछ
मानने लगा था माफ कर दे आगे से एसा नही होगा ।
और सुनिल वहां से रोते हुऐ निकल पडता है और घर से निकल जाता है ।
सुनिल को रोते देख सरला तुट जाती है । उसका गुस्सा पलभर मे पिघल जाता है । अपने माथे पर हाथ लगाए सदमे मे बैठ गई जीस अतित को भुलाने सरला ने इतने दीन
मेहनत की उसकी एक गलती ने सब बीगाड दीया ।
सरला फूट-फूट के रोने लगी खुद को कोसने लगी। रोते हुए बडबडाने लगी ।
सरला- अरी करम जली क्या जरूरत थी उसे दुखाने की इतना अच्छा वो सब भुल चुका था तुने वापस उसके जख्मो पे नमक रगड दीया । क्या बीगडता उसके मन जैसा
करने मे तू कहा नई नवेली दुल्हन है । कीसको पता चलने वाला था यहा अंजाने शहर मे की हम दोनो क्या लगते है । नही नही अब मै उसे नही रोकूंगी माफ करदे बेटा मुझे।
Vishesh update dostUpdate-9
सरला नम आंखे पोछती झुमके पहनने लगी, २ घंटे हो गये सरला की नजरे खोली के दरवाजे पे टीकी थी पर सुनिल घर नही लौटा था देर रात दरवाजा खुला, नशे मे धुत
सुनिल लडखडाते अंदर आया और खटीये पे पैर पसारे लेट गया ।
सरला की जान मे जान आई , सरला तुरंत उठकर दरवाजा बंद करती है । और खटीये पे लेटे सुनिल की बगल मे सरला बैठ ती है । सुनिल से शराब की तेज गंध आने पर
सरला फीर रोने लगती है।
सरला- बेटा ये क्या हालत कर दी है तुने, तु फीर शराब पीने लगा, माफ कर दे बेटा मुझे मैने जो कुछ तुझे कहा उसके लिये ।
सुनिल को सरला की हालत की कहा खबर थी, नशे मे चुर सुधबुध खोये सुनिल लेटा रहता है । सरला आंसू पोछते हुये उसका चेहरा अपनी ओर घुमाती है ।
सरला- देख बेटा मैने तेरे लाये हुये झुमके पहने है देखेगा नही
सुनिल अपनी आंखे हल्के हल्के खोलता है
सुनिल- हुममम हुमम अअअअअच्छे दीख रहे है
सरला- बेटा तुने शराब को हाथ क्यू लगाया, तत तूने मेरी कसम खाई थी ना तू शराब नही पीयेगा
सुनिल शराब की बोतल जेब से निकालता है ।
सरला वो बोतल छीन लेती है ।
सरला- ये क्या कर रहा है तू बेटा फीर पी रहा है
सुनिल- पपपीपीपीने देना ममममां, पीने दे बसससस यही तो है जजजजो हर पल बस मेरी ररररहती है, मेरी जरूरररररत समझती है, मेरी पपपप्यास मिटाती है ।
सरला- बेटा मुझे बता ना तुझे क्या चाहीये, तेरी कसम आज से मै तुझे कुछ भी मना नही करूंगी
सुनिल- छोडडडडड ना मममममां दो घुट लगाने दे बडडडडी निंद आ रही है ।
सरला- मर जाउंगी पर तुझे आज के बाद ईस तेजाब को हाथ नही लगाने दुंगी
सुनिल- मममममां जीद मत कर दे बोतल मुझे
सरला- तु कीतनी भी जीद कर पर मै नही दुंगी , तु दुसरा कुछ भी मांग पर आज के बाद तुने शराब की बोतल को हाथ भी लगाया तो मै अपनी जान दे दूंगी ।
सरला शराब की बोतल फेंक देती है ।
सुनिल- फफोडडडड दी ततुने बोततततलल ससससाली अबबबब मुझे निंद ककैसे आयययेगी
सरला अपनी जांघ पे सुनिल का सीर रखती है । सरला की नरम-मुलायम जांघ पे सीर रखते ही सुनिल का गुस्सा फीका पड जाता है ।
सरला- मै हूं ना तेरे पास तुझे अच्छी निंद आयेगी मेरे बेटे
सुनिल- बडडडडी निंद आ रही है मां,बोतल तुने फोड डाली ठीक है तो फीर उसससस दीन जैसा एक चु चु चु चुमम्मा दे बडी ममममस्त निंद आती है।
सरलाने बीना सोचे समझे सुनिल के गरम होटों पे अपने थरथराते होंट भीडाये और चुमने लगी
सरला- उउउउउउमममममम उममम
सुनिल- उउउउउउमममममम ममममम चचचच हहहहह
और फीर कुछ मिनट बाद रवी के जोर-जोर से रोने की वजह से सरला सुनिल के उपर से हट जाती है ।
सुनिल- हुमममम हहह आजजजजजज ततततततो औररररर अच्छी निंद आयेगी
सुनिल आंखे बंद कीये सो जाता है ।
सुबह सुनिल काम पे चला जाता है । वो कल रात की हरकत से सरला से नजर नही मीला पाता है।
पर सरला ने उनका नया रीश्ता अपना लिया था ।
दोपहर को कविता घर आती है
कविता- क्या दीदी सब काम हो गये
सरला- अरे कविता आ बैठ
कविता- अरे दीदी कल रात भाईसाब को क्या हुआ था , क्या कल कुछ झगडा हुआ था
Awesome update mitrUpdate-10
सरला- अरे क क कविता कल ना मुझसे गलती से मुह से गलत निकल गया और वो चिड गये और वो पी के आए मैने बडी मुश्कील से उनकी पीने की आदत छुडाई थी
और वो कल फीर से पीने लगे अब तुही बता मै क्या करु ।
सरला आंसु बहाने लगी
कविता- रो मत दीदी मै समझती हूं आपका दुख, दीदी आप ना भाईसाब को अपने काबू मे नही रख पाती हो ।
सरला- मतलब कविता
कविता- अरे दीदी उन्हे आप अपने प्यार मे कैद रखा करो हरबार आप उन्हे गरम कीया करो, ईन मर्दो को यही तो चाहीये होता है हमसे, औरत का यही तो काम होता है,
आपकी सुंदरता का दीवाना बनाये रखो और क्या करना है आपको पता ही होगा
सरला कविता का ईशारा हरबार की तरह समज चुकी थी ।
दो दीन बाद शाम को सुनिल काम से लौटा घर आता है। नजरे झुकाये सुनिल कहता है ।
सुनिल- मां उस रात के लिए मुझे माफ करदे, मैने तुझे दीया हुआ वादा तोडा है, तू जो सजा मुझे देना चाहे दे ।
सरला- वादा तो तोडा है तुने पर अगली बार तुने शराब की बोतल को छुआ भी तो मै अपनी जान दे दूंगी , तुझे जो चाहीये मुझसे मांग ले पर शराब को हाथ तक नही
लगाना वाद करता है ।
सुनिल- वादा करता हूं मां फीर एसा कभी नही होगा , पर तू सचमे मुझे कुछ भी देगी देख तुने भी वादा कीया है हां।
सरला शरमाई सुनिल ने सरला को बाहों मे भर लिया
सुनिल- मां झुमके बडे जच रहे है तेरे पे ईन छुमको मे तू हीरोईन लगती है । मां मैने तुझे ईतने मस्त पायल और झुमके दीये अब तुझे भी मुझे कुछ देना पडेगा, कल रात
वाला चुम्मा एकदम बेस्ट था और एक मिल सकता है क्या।
सरला लाज से पानी-पानी हो गई ।
सरला- चल हट बेसरम अपनी मां से गंदी-गंदी हरकते करवाता है शरम नही आती तुझे
सुनिल- अरे अपने बेटे से प्यार करने मे काहे की शरम अब तेरे सिवाय है कौन औरत मेरे जिंदगी मे जीससे मै ये सब मांग सकता हूं देख देना है तो दे नही तो रहने दे ।
सरला आंखे बंद कर लेती है और होट सुनिल के पास कर देती है ।
सुनिल- उममममम हहहह च उहहहहहह
सरला- उममममम हहहहह आहहहह उममममम
सुनिल सरला के होट चुसने लगता है । चुसते चुसते सरला की जीभ भी मुंह मे कीसी आईसक्रीम की तरह चाटने लगता है सरला हांफने लगती है ।
सुनिल सरला को कसके उसके गठीले बदन को दबाने लगता है । तभी सरला सुनिल को धक्का दीये अलग होती है ।
सरला- बस ना, और कीतना चुसेगा तेरे तोहफे तो बडे महंगे पड रहे है मुझे कीतना वसूल करेगा मुझसे
सरला शरमाती रसोई दौड पडती है ।
सुनिल मन ही मन मे......अभी तो शुरूवात हुई है मां अभी तो बहोत कुछ लूंगा तब तक तुझे आदत पड जाएगी ।
उस रात दोनों दीलो मे प्यार की चिंगारी जल चुकी थी । पुराने नाते सब कुछ भुल चुके थे दोनो । अब बस वक्त अपना असर दीखाने वाला था ।
रात हो जाती है रवी बडा रो रहा था सरला उसे सुलाने मे लगी थी । कुछ देर बाद रवी सो जाता है । पर अचानक रात १.३० बजे सुनिल की निंद तुटती है ।
आहहहह उईईईईईई
उसे कीसी औरत के सिस्कारीया भरने की आवाजे आने लगती है वो सरला की ओर देखता है । सरला निंद मे थी पर आंवाजे बाहर से आ रही थी । सुनिल उठ के सरला के
बगल मे सो जाता है ।