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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–29

मेरा पहला सेक्स अनुभव - मेरी पहली चुदाई -1


हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी अपने पापा के दोस्त की बेटी की पहली चुदाई की। अब आगे।

इस बीच कालेज में अनुपमा मुझे रोजाना मिलती रही और हम बिलकुल पहले की तरह व्यवहार करते रहे और जब भी कहीं बिलकुल अकेले होते, हम गले मिल कर किश कर लेते, शुक्रवार की शाम अनुपमा कालेज के हॉस्टल से मेरे साथ मेरे घर आ गयी और हमने उस शाम ख़ूब चुदाई की ।

फिर अनुपमा ने मुझसे क़सम दे कर पूछा: सच बताना गौरव क्या मैं उसकी पहली सेक्स पार्टनर हूँ"। तब मैंने कहा नहीं तब उसने मुझसे अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने के लिए कहा ।

मैंने कहा मेरे माँ बाप की डेथ एक एक्सीडेंट से और गाँव में ठीक से इलाज़ ना मिलने से बहुत पहले हो गयी थी, मेरे चाचा ही मेरे रिश्तेदार हैं और उन्होंने ही मुझे पाला है, मेरी हाई स्कुल तक की पढ़ायी गाँव में हुई है और चाचा मुझे डाक्टर बनाना चाहते है और गाँव में अस्पताल खोलना चाहते थे ताकि और कोई इलाज़ की कमी से जान न गवाए । पर मेरा नीट पास होने के बाद भी मेडिकल में नंबर नहीं आया और मैंने इस कालेज में बीएससी में दाखिला लिया है ।

स्कुल के साथसाथ मैंने नीट की तयारी गाँव में रह कर की पर कामयाब नहीं हुआ क्योंकि गाँव में पढ़ायी का इतना मौहौल नहीं था और बढ़िया कोचिंग भी नहीं मिलती थी, इस दौरान गाँव में मेरे दो दोस्त थे सोमू और टोनी, मैं उनके साथ ही ज़्यादा घूमता और मस्ती करता रहता था ।

सोमू और तनी का एक दोस्त और था पिंकू हमसे एक साल छोटा जिसकी बड़ी बहन का नाम था डेज़ी उसकी उम्र करीब 20 साल थी । डेजी मुझसे 2 साल बड़ी हैं । ये लोग माध्यम बर्गीय पंजाबी जाट हैं और हमारी हवेली के एक हिस्से में रहते हैं ।

उनके दो कमरे और एक किचन, बाथरूम है, पिंकू और डेजी के पापा जिन्हे वे दार जी कहते थे हमारे बहुत पुराने नौकर सुच्चा सिंह के रिश्तेदार है । पिंकू के पिता हमारे खेतो में नौकरी करते हैं और उसकी माँ हमारे घर में । मेरी माँ नहीं है और मुझे पिंकु की माँ ही मेरी बचपन से देखभाल करती रही है और डेजी को मैं अपनी बहन जैसी ही मानता था और उसे बहन-जी कह बुलाता था और चचा ने मुझे बताया था कि डेजी ने ही मेरा प्यार का नाम काका रखा था।

डेजी मुझको बचपन से काके कह कर पुकारती हैं और मैं उनको बहनजी कह कर पुकारता हूँ और बचपन में उससे राखी भी बंधवाता था, शुरू-शुरू में मुझे सेक्स के बारे कुछ नहीं मालूम था। गाँव में-में पढ़ाई में अच्छा था और मेरी उम्र की कोई लड़की मेरे साथ नहीं थी क्योंकि गाँव में लड़कियों का स्कूल सिर्फ़ दसवीं तक ही था, डेजी भी दसवीं तक ही पढ़ी हुई थी, पिंकू हमरे एक क्लास पीछे था। दसवीं तक मुझे सेक्स की बिलकुल भी समझ नहीं थी इसलिए मैंने तब तक सेक्स का मज़ा नहीं लिया था और ना ही मैंने तब तक कोई नंगी लडकी देखी थी हाँ मैं कभी-कभी छिप कर मोबाइल में और कम्प्यूटर में नंगी तस्वीरें देख लिया करता था।

जब मुझे लड़कियों के तरफ़ और सेक्स के लिए रूचि होना शुरू हुआ मेरे नज़रों के आसपास अगर कोई लड़की थी तो वह डेजी ही थीं ।

डेजी की लंबाई करीब-करीब मेरे तरह ही थी उनका रंग बहुत गोरा था और उनका चेहरा और शारीरिक बनावट हिन्दी सिनेमा की एक्ट्रेस परवीन बॉबी जैसा था हाँ उस समय उसकी चूचियाँ परवीन बाबी जैसे बड़ी-बड़ी नहीं थी।

मुझे अभी तक याद है कि मैंने अपना पहला मुठ परवीन बॉबी के लिए ही उसकी फ़िल्म देख कर मारी थी ।

एक रविवार पिंकू के मम्मी पापा खेत में काम करने गए हुए थे जैसे ही डेजी बाथरूम से निकलीं । मेरे बाथरूम में चाचा नहा रहे थी और मैं जिस बाथरूम को डेजी इस्तेमाल करती थी उस बाथरूम में घुस गया क्योंकि मुझे जोरों की पेशाब लगी थी । मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलने शुरू किए पेशाब करने के बाद मैं अपने लंड से खेलने लगा।

मेरी नज़र बाथरूम के किनारे डेजी के उतरे हुए कपड़ों पर पड़ी वहाँ पर डेजी अपन कुर्ता उतार कर छोड़ गई थीं जैसे ही मैंने डेजी का कुर्ता एक तरफ़ किया तो देखा की कुर्ते के नीचे ब्रा पड़ी थी जैसे ही मैंने दीदी की काले रंग की ब्रा उठाई तो मेरा लंड अपने आप खड़ा होने लगा मैंने डेजी की पायजामी उठायी तो उसमें से डेजी के गुलाबी रंग का पैंटी भी नीचे गिर गई मैंने पैंटी भी उठा ली अब मेरे एक हाथ में डेजी की पैंटी थी और दूसरे हाथ में डेजी की ब्रा थी।

ओह भगवान डेजी के अंदरूनी कपड़े चूमने से ही कितना मज़ा आ रहा था, मैं सोचने लगा यह वही ब्रा है जिसमें कुछ देर पहले डेजी की चूचियाँ जकड़ी हुई थी और यह वही पैंटी है जो कुछ देर पहले तक उसकी चूत से लिपटी थी यह सोच-सोच करके मैं हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था मैं सोच नहीं पा रहा था कि मैं दीदी की ब्रा और पैंटी को लेकर क्या करूं ।

मैंने दीदी की ब्रा और पैंटी को लेकर हर तरफ़ से छूआ सूंघा चाटा और पता नहीं क्या-क्या किया मैंने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला ब्रा को अपने छाती पर रखा मैं अपने खड़े लंड के ऊपर उसकी पैंटी को पहना और फिर बाद पहले मैंने डेजी के कुर्ते और पायजामी को बाथरूम के दीवार पर लगे हुक पर टांग दिया।

फिर हेंगर दिखा मैंने हेंगर में कुरता तांगा, फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को कुर्ते के ऊपरी भाग में फंसा दिया और पैंटी को कमर के पास फंसा दिया अब ऐसा लग रहा था कि डेजी बाथरूम में दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैंटी दिखा रही हैं मैं झट से जाकर डेजी के कुर्ते से चिपक गया और उनकी ब्रा को दबा कर चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं डेजी की चूची चूस रहा हूँ।

मैं अपने लंड को डेजी की पैंटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मैं डेजी को चोद रहा हूँ, सच में मैं इतना गरम हो गया था कि मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनटना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गया, उस दिन मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से पैंटी और कुरता भीग गया था।

मुझे पता नहीं कि मेरे लंड ने कितना वीर्य निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वह डेजी के नाम पर निकला था मेरा पहले-पहले बार झड़ना इतना तेज था कि मेरे पैर जवाब दे गए मैं पैरों पर ख़ड़ा नहीं हो पा रहा था और मैं चुपचाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया तो मैं उठ कर नहाने लगा।

नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुई और मैं फ्रेश हो गया नहाने के बाद मैं दीवार से डेजी का कुर्ता ब्रा और पैंटी उतारा और उसमें लगा अपना वीर्य धोकर साफ़ किया और नीचे रख दिया उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मारने का तरीक़ा मेरा सबसे पसंदीदा हो गया। हाँ मुझे इस तरह से मुठ मारने का मौका सिर्फ़ रविवार को ही मिलता था क्योंकि रविवार के दिन ही मैं डेजी के नहाने के बाद नहाता था।

रविवार के दिन चुपचाप देखा करता था कि कब डेजी बाथरूम में घुसे औरउसके बाथरूम में घुसते ही मैं उठ जाया करता था और जब वह बाथरूम से निकलती तो मैं उसी बाथरूम में घुस जाया करता था। उसके माँ और पिता जी सुबह-सुबह उठ जाया करते थे और जब मैं उठता था तो उसकी माँ रसोई में नाश्ता बनाती होतीं और पापा खेत में जा चुके होते थे या कुछ ना कुछ समान ख़रीदने बाज़ार गए होते थे ।

रविवार को छोड़ कर मैं जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता कि मैं अपना लंड डेजी की रस भरी चूत में पेल रहा हूँ शुरू-शुरू में मैं यह सोचता था कि डेजी जब नंगी होंगी तो कैसी दिखेंगी? फिर जब जीनत अमां की फ़िल्म में उसे अधनंगी देखा उसके बाद से मैं यह सोचने लगा कि डेजी की चूत चोदने में कैसा लगेगा मैं कभी-कभी सपने में डेजी को नंगी करके चोदता था और जब मेरी आंखें खुलती तो मेरा कच्छा भीगा हुआ होता था।

ये सब सुन अनुपमा बोली "हाय गौरव तू कितना ठरकी है, गंदु, अपनी डेजी बहन पर ऐसी नज़र रखता था।"

मैंने कहा अनु सबकी कुछ फंतासी होती है, मेरे आसपास एक ही लड़की थी डेजी और मैं उसके बारे में ही सोचने लगा था । मैंने कभी भी अपनी सोच और अपने सपने के बारे में किसी को भी नहीं बताया था और न ही डेजी को भी इसके बारे में जानने दिया । ये बात मैं आज पहली बार और सिर्फ़ तुम्हे बता रहा हूँ क्योंकि तुमने मुझे अपनी क़सम दी है ।


जारी रहेगी
क्या मस्त और गजब का शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–30
मेरा पहला सेक्स अनुभव - पहला दृश्यम, पहला स्पर्शं


हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा मैं अपनी क्लासमेट को मेरे पहले सेक्स अनुभव के बारे में बता रहा था। अब आगे।

जब मैं किसी लड़की को देखता तो मैं उसकी डेजी के साथ तुलना करता और मुझे कोई भी लड़की डेजी के बराबर नहीं लगती मैं बार-बार यह कोशिश करता था कि मेरा दिमाग़ डेजी से हट जाए लेकिन मेरा दिमाग़ घूम फिर कर डेजी पर ही आ जाता मैं हमेशा 24 घंटे उसके बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता ।

उधर पिंकू बिलकुल चिकना था, मैंने कई बार उसे नंगा देखा था और उसका लंड बहुत छोटा-सा था । एक दिन शाम का समय था और मैं अपने गाँव के तालाब के पास खड़ा होकर सेक्सी पॉर्न वीडियो देख रहा था।

तभी एक लड़का तालाब में भैसों को लेकर आया और वह बार-बार मेरे पास आकर मुझे तंग करने लगा।

मैं परेशान हो गया और मैंने उसे टालने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह मेरे पास आकर मेरे खड़े लंड को छूने लगा, उसे पकड़ने की कोशिश करने लगा। पॉर्न देखते हुए मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया था।

मैं उससे छुटकारा पाना चाहता था लेकिन वह नहीं मान रहा था और जब मैं उस लड़के को डांटने लगा तो वह माना नहीं और उल्टा एक बार मेरे से अपनी गांड मरवाने के लिए मिन्नतें करने लगा और अपना लोवर नीचे कर डोगी स्टाईल में खड़ा हो गया। एक दम चिकनी गांड थी उसकी । उसे देखकर लगा जैसे कि वह कोई पोर्नस्टार एक्ट्रेस है और गांड मरवाने की शौकीन है और गांड मरवाने की उसके अंदर भी वही आग थी।

मैं समझ गया कि लड़का पोर्न फ़िल्में देखकर बिगड़ गया है। आजकल छोटी उम्र में बच्चों के हाथों में मोबाइल आ जाते हैं और बच्चे ऐसी फ़िल्में देखकर आपस में ही एक दूसरे से सेक्स करने लगे जाते हैं। उसे देखकर यही लग रहा था।

मैंने बोला-मैं तेरी गांड नहीं मारने वाला, तू जा यहाँ से नहीं तो तेरी ऐसी पिटाई करूंगा की गांड मुँह सब सूज जाएगा, पर लड़का ढीठ था पीछे लगा रहा । उसने कहा मैं आपका लंड चूस सकता है। इतना कहते ही वह बड़ी तेजी से मेरा लोवर नीचे करने की कोशिश करने लगा । मैं उसे बुरी तरह से लताड़ा और लात मार भगाया और पीटने की धमकी दी तब जाकर मुझे उससे छुटकारा मिला।

इधर मैं जब भी घर पर होता तो डेजी को ही देखता रहता लेकिन इसकी जानकारी डेजी को नहीं थी । डेजी जब भी अपने कपड़े बदलती थीं या अपनी माँ के साथ घर के काम में हाथ बटाती तो मैं चुपके-चुपके उन्हें देखा करता था और कभी-कभी मुझे उनकी सुडौल चूची देखने को मिल जाती थी।

डेजी के साथ घर में रहने से मुझे कभी-कभी बहुत फायदा हुआ करता था कभी मेरा हाथ उनके शरीर से टकरा जाता था मैं डेजी के दो भरे-भरे चूची और गोल-गोल चूतड़ों को छूने के लिए मरा जा रहा था।

हमारा घर में सड़क पर था ओर मेरा सबसे अच्छा टाइम पास था अपने बालकोनी में खड़े हो कर सड़क पर देखना और जब डेजी पास होती तो धीरे-धीरे उनकी चूचियों को छूना हमारे घर की बालकोनी कुछ ऐसी थी कि उसकी लम्बाई घर के सामने गली के बराबर में थी और उसकी संकरी-सी चौड़ाई के सहारे खड़े हो कर हम सड़क देख सकते थे।

मैं जब भी बालकोनी पर खड़े होकर सड़क को देखता तो अपने हाथों को अपने सीने पर मोड़ कर बालकोनी की रेलिंग के सहारे खड़ा रहता था कभी-कभी डेजी आती तो मैं थोड़ा हट कर डेजी के लिए जगह बना देता और वह आकर अपने बगल खड़ी हो जाती मैं ऐसे घूम कर खड़ा होता कि डेजी को मेरे सातरः बिलकुल सट कर खड़ा होना पड़ता डेजी की भरी-भरी चूची मेरे सीने से सट जाती थी ।

मेरे हाथों की उंगलियाँ जो कि बालकोनी के रेलिंग के सहारे रहती वे डेजी की चूचियों से छू जाती थी मैं अपने उंगलियों को धीरे-धीरे डेजी की चूचियों पर हल्के-हल्के चलाता था और डेजी को यह बात नहीं मालूम थी मैंने उंगलियों से उनकी चूची को छू कर देखा कि उनकी चूची कितनी नरम और मुलायम है लेकिन फिर भी तनी-तनी रहा करती है कभी-कभी मैं डेजी के चूतड़ों को भी धीरे-धीरे अपने हाथों से छूता था।

मैं हमेशा ही डेजी की सेक्सी शरीर को इसी तरह से छूता था मैं समझता था कि डेजी मेरी हरकतों और मेरे इरादों से अनजान हैं और उसे इस बात का पता भी नहीं था कि उनका काका जिसे वे अपने भाई मानती है उनके नंगे शरीर को चाहता है और उनकी नंगी शरीर से खेलना चाहता है लेकिन मैं ग़लत था।

फिर एक दिन डेजी ने मुझे पकड़ लिया उस दिन डेजी किचन में जा कर अपने कपड़े बदल रही थीं हॉल और किचन के बीच का पर्दा थोड़ा खुला हुआ था डेजी दूसरी तरफ़ देख रही थी और अपनी कुर्ती उतार रही थीं और उनकी ब्रा में छूपी हुई चूची मेरे नज़रों के सामने था फिर रोज़ की तरह मैं टी वी देख रहा था और कनअंखियो से डेजी को भी देख रहा था।

डेजी ने तब सामने वाले दीवार पर टंगे शीशे को देखा और मुझे आंखें फिरा-फिरा कर घूरते हुए पाया । डेजी ने देखा कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा हूँ फिर मेरी और डेजी की आंखे शीशे में टकरा गई मैं शर्मा गया और अपनी आंखें टी वी की तरफ़ कर ली मेरा दिल क्या तेज-तेज धड़क रहा था। मैं समझ गया कि डेजी जान गई हैं कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा था। मैं सोचने लगा अब डेजी क्या करेंगी?

क्या डेजी अपने माँ और पिता जी को बता देंगी? और फिर क्या वे चाचा को बता देंगे । क्या डेजी मुझसे नाराज होंगी? चाचा मेरे साथ क्या करेंगे । क्या चाचा मुझे मारेंगे और डाँटेगे इसी तरह से हज़ारों प्रश्न मेरे दिमाग़ में घूम रहे थे। मैं डेजी की तरफ़ फिर से देखने का साहस जुटा नहीं पाया उस दिन सारा दिन और उसके बाद 2-3 दिनों तक मैं डेजी से दूर रहा उनके तरफ़ नहीं देखा। इन 2-3 दिनों में कुछ नहीं हुआ मैं खुश हो गया और डेजी को फिर से घूरना चालू कर दिया ।

ऐसे ही डेजी ने मुझे 2-3 बार फिर घूरते हुए पकड़ लिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोली मैं समझ गया कि डेजी को मालूम हो चुका है कि मैं क्या चाहता हूँ खैर जब तक डेजी को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्या लेना देना और मैं मज़े से डेजी को घूरने लगा एक दिन मैं और डेजी अपने घर की बालकोनी में पहले जैसे खड़े थे डेजी मेरे हाथों से सट कर खड़ी थीं और मैं अपने उंगलियों को डेजी की चूची पर हल्के-हल्के चला रहा था।

मुझे लगा कि डेजी को शायद यह बात नहीं मालूम कि मैं उनकी चूचियों पर अपनी उंगलियों को चला रहा हूँ मुझे इस लिए लगा क्योंकि डेजी मुझसे फिर भी सट कर खड़ी थीं लेकिन मैं यह तो समझ रहा था क्योंकि डेजी ने पहले भी नहीं टोका था तो अब भी कुछ नहीं बोलेंगी और मैं आराम से डेजी की चूचियों को छू सकता हूँ।

हम लोग अपने बालकोनी में खड़े थे और आपस में बातें कर रहे थे हमारे बालकोनी से सामने एक गली थी तो हम लोगों की बालकोनी में कुछ अँधेरा था बातें करते-करते डेजी मेरे उंगलियों को जो उनकी चूची पर घूम रहा था । अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूची से हटा दिया ।

मुझे अब समझ आ गया था कि डेजी को अपनी चूची पर मेरे उंगली का एहसास हो गया था और वह थोड़ी देर के लिए बातें करना बंद कर दीं और उनकी शरीर कुछ अकड़ गई लेकिन डेजी अपने जगह से हिलीं नहीं और मेरे हाथों से सट कर खड़ी रहीं । डेजी मुझसे कुछ नहीं बोलीं तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना पूरा का पूरा पंजा डेजी की एक मुलायम और गोल-गोल चूची पर रख दिया।

मैं बहुत डर रहा था पता नहीं डेजी क्या बोलेंगी? मेरा पूरा का पूरा शरीर कांप रहा था लेकिन वह कुछ नहीं बोलीं । सिर्फ़ एक बार मुझे देखा और फिर सड़क पर देखने लगीं। मैं भी डर के मारे उनकी तरफ़ नहीं देख रहा था।

मैं भी सड़क पर देख रहा था और अपने हाथ से डेजी की एक चूची को धीरे-धीरे सहला रहा था। मैं पहले धीरे-धीरे उनकी एक चूची को सहला रहा था और फिर थोड़ी देर के बाद उनकी एक मुलायम गोल-गोल नरम लेकिन तनी चूची को अपने हाथों से ज़ोर जोर से मसलने लगा। मैंने महसूस किया की अब डेजी की चूची काफ़ी बड़ी हो चुकी थी और मेरे पंजों में नहीं समा रही थी ।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा की कुर्ती और ब्रा के उपर से सहलाने से डेजी की चूची के निप्पल तन गई और मैं समझ गया कि मेरे चूची मसलने से वह गरमा गई हैं उन की कुर्ती और ब्रा के कपड़े बहुत ही महीन और मुलायम थी और उसके ऊपर से मुझे निप्पल तनने के बाद चूची छूने से मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था।

किसी जवान लड़की के चूची छूने का मेरा यह पहला अवसर था मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक उनकी चूचियों को मसलता रहा और डेजी ने भी मुझे एक बार के लिए मना नहीं किया वह चुपचाप खड़ी हो कर मुझसे अपनी चूची मसलवाती रही।

चूची मसलते-मसलते मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन एकाएक डेजी की माँ की आवाज़ सुनाई दी, माँ की आवाज़ सुनते ही डेजी ने धीरे से मेरा हाथ अपनी चूची से हटा दिया और माँ के पास चली गई उस रात मैं सो नहीं पाया मैं सारी रात उसकी मुलायम-मुलायम चूची के बारे में सोचता रहा ।

दूसरे दिन शाम को मैं रोज़ की तरह अपने बालकोनी में खड़ा था थोड़ी देर के बाद डेजी भी बालकोनी में आई और मेरे बगल में खड़ी हो गई मैं 2-3 मिनट तक चुपचाप खड़ा उन्हें देखता रहा । डेजी ने मेरे तरफ़ देखा मैं धीरे से मुस्कुरा दिया लेकिन वह नहीं मुस्कुराईं और चुपचाप सड़क पर देखने लगीं।

मैं डेजी से धीरे से बोला छूना है, मैं साफ़ साफ कुछ नहीं कह पा रहा था और पास आ उसने पूछा-काके क्या छूना चाहते हो? साफ़ साफ कहो उन्होंने फिर मुझसे पूछीं तब मैं धीरे से बोला तुम्हारा दूध छूना है । तब डेजी मुझसे तपाक से बोली क्या छूना है साफ़-साफ़ बोलो काके? मैं तब मुस्कुरा कर बोला तुम्हारी चूची छूना है उसको मसलना है।

अभी माँ आ सकती है डेजी तब मुस्कुरा कर बोलीं मैं भी तब मुस्कुरा कर बोला जब आंटी आएगी तो हमें पता चल जायेगा मेरे बातों को सुन कर डेजी कुछ नहीं बोलीं और चुपचाप नज़दीक आ कर खड़ी हो गई लेकिन उनकी चूची कल की तरह मेरे हाथ नहीं छू रहे थे ।

मैं समझ गया कि डेजी आज मेरे से सट कर खड़ी होने से कुछ शर्मा रही हैं अब तक वह अनजाने में मुझसे सट कर खड़ी होती थी लेकिन आज जानबूझ कर मुझसे सट कर खड़ी होने से वह शर्मा रही हैं क्योंकि आज दीदी को मालूम था कि सट कर खड़ी होने से क्या होगा जैसे डेजी मेरे पास आई और अपने हाथों से उसे और पास खींच लिया अब उसकी चूची मेरे हाथों को कल की तरह छू रही थी। मैंने अपना हाथ उनकी चूची पर टिका दिया।

मैंने चूची को पहले धीरे-धीरे छुआ फिर उन्हें कस-कस कर मसला कल की तरह आज भी उनकी कुर्ती और उसके नीचे ब्रा बहुत नर्म कपड़े की थी और उस में से मुझे उनकी निप्पल तन कर खड़े होना मालूम चल रहा था मैं तब अपने एक उंगली और अंगूठे से उनके निप्पल को ज़ोर जोर से दबाने लगा।


पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
 
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Iron Man

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Shaandar jabardast super hot update 🔥 🔥 🔥
 

aamirhydkhan

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मेरा पहला सेक्स अनुभव - दृश्यम, स्पर्शं


हेल्लो हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा मैं अपनी क्लासमेट को मेरे पहले सेक्स अनुभव के बारे में बता रहा था और मैंने उसे बताया की मैंने अपनी मुँहबोली बहन के साथ पहले नैन सुख और स्पर्श सुख लिया था । अब आगे।

अनुपमा कहने लगी हाय तुम कैसे नैन सुख से स्पर्श सुख तक गए उसके बाद क्या हुआ ऐसे ही डिटेल में बताना ।

उस दिन मैं जितनी बार अपनी मुँहबोली बहन डेजी दीदी की निप्पलों को दबा रहा था मैंने देखा उतनी बार दीदी कसमसा रही थीं और दीदी की मुंह शरम के मारे लाल हो रहा थी तब दीदी ने मुझसे धीरे से बोलीं धीरे दबा तब मैं धीरे-धीरे करने लगा । मैं और दीदी इसके साथ जानबूझ कर ऐसे ही फालतू बातें कर रहे थें और देखने वाले को यही दिखता कि मैं और दीदी कुछ गंभीर बातों पर बहस कर रहे थें लेकिन असल में मैं दीदी की चूचियों को अपने हाथों से कभी धीरे-धीरे और कभी ज़ोर जोर से मसल रहा था।

थोड़ी देर बाद आंटी ने डेजी को बुला लिया और वह उनके पास चली गईं। ऐसे ही 2-3 दिन तक चलता रहा मैं रोज़ दीदी की सिर्फ़ एक चूची को मसल पाता था ।

फिर मुझे नीट का फार्म भरने कस्बे में जाना था जहाँ मैं अपने दोस्त सोमू और तनी के साथ चला गया, हमने फ़ार्म भरा और फिर बाज़ार में घूमे और उसके बाद मेरे दोस्त ने कहा चल भाई बहुत दिन हो गए कोई फ़िल्म नहीं देखि है आज फ़िल्म देखते हैं ।

हम हाल में फ़िल्म देखने गए, वहाँ एक इंग्लिश फ़िल्म लगी हुई थी-एडल्ट । हमने ज़िन्दगी में ये पहली एडल्ट इंग्लिश फ़िल्म देखि-
"एंडलेस लव" जो की 1981 की एक अमेरिकी रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है, और इसमें ब्रुक शील्ड्स नामक अमरीकी अभिनेत्री थी। यह टॉम क्रूज़ की भी पहली फ़िल्म भी थी। इसमें किशोर प्रेम और सेक्स सम्बन्ध दिखाए गए थे । पोस्टर देख लगा की गर्म फ़िल्म है और हम टिकट ले हाल में चले गए । फिल्म की संक्षिप्त कहानी कुछ इस तरह थी

उपनगरीय शिकागो में, किशोर जेड बटरफील्ड (ब्रुक शील्ड) और डेविड एक्सलरोड जेड के बड़े भाई कीथ द्वारा परिचय कराए जाने के बाद प्यार में पड़ जाते हैं। जेड और डेविड में सर्वव्यापी और भावुक सम्बंध विकसित होता है जिसमें उन्हें जेड के कमरे में सेक्स करने की अनुमति भी शामिल है। एक रात, जेड की माँ, ऐन, चुपके से जेड और डेविड को चिमनी के पास प्यार करते हुए देखती है। फिर जेड के पापा इस पर एतराज करते हैं। अपने दोस्त द्वारा सुनाई भयावह कहानी से प्रेरित होकर, डेविड देर रात की पार्टी के बाद बटरफील्ड के सामने के बरामदे में आग लगाता है और तेज़ हवा के कारण आग बहुत दूर तक फैल जाती है। मुकदमे के बाद, डेविड को आगजनी का दोषी ठहराया जाता है, पाँच साल की परिवीक्षा की सजा सुनाई जाती है, फिर जेड डेविड को एक दिन बताती है कि उन्हें अपने रिश्ते को अतीत में छोड़कर अलग-अलग जीवन जीना होगा। जब वह जाने की कोशिश करती है, तो वह उसे वापस खींच लेता है, उसे बिस्तर पर पटक देता है और तब तक दबाए रखता है जब तक वह स्वीकार नहीं कर लेती कि वह उससे प्यार करती है। जेड स्वीकार करती है कि वह अभी भी उससे प्यार करती है और वे रात भर साथ रहते हैं। फिर डेविड को झगड़ा करने, शांति भंग करने और अपने पैरोल का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता। डेविड को पाँच साल की सज़ा सुनाई जाती है अंत में दिखाया गया था सलाखों के पीछे से, डेविड देखता है कि जेड उससे मिलने के लिए जेल की ओर आती है। इस फ़िल्म में खूबसूरत एक्ट्रेस ब्रुक शील्ड्स ने जेड बटरफील्ड का पात्र निभाया था।

अनु ने पूछा-क्या तुम्हे पूरी फ़िल्म समझ आ गयी थी?

मैं-अंग्रेज़ी में मैंने ये पहली फ़िल्म देखि थी, फ़िल्म हमे ज़्यादा समझ तो नहीं आयी, क्योकि उनकी अंग्रेज़ी बोलने में अमरीकी स्टाइल था और किसे फ़िल्म समझनी थी, इस फ़िल्म में मैंने पहले बार सेक्स सीन देखे थे, जिसमे एक्ट्रेस ब्रुक शील्ड के नई नग्न अर्धनग्न सीन थे, जिन्हे देख मेरा और मेरे दोस्तों का लंड तन गया था । उस रात मुझे तब तक चैन नहीं आया जब तक मैंने अपने बिस्तर में रात में हीरोइन के नाम से मुठ नहीं मारी ।

अब ये फ़िल्म देखने के बाद, फ़िल्म के सेक्स सीन से प्रेरित हो मैं अपनी मुँह बोली बहन डेजी के साथ आगे बढ़ने के लिए की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसलना चाहता था लेकिन फ़िल्म देखने के बाद मुझे समझ आ गया, बालकोनी में खड़े हो कर ऐसा करना खतरनाक होगा और यह इस तरह मुमकिन नहीं था। दो दिन मैं इसके बारे में सोचता रहा की आगे कैसे बढ़ा जाए ।

फिर एक दिन शाम को मैं हॉल में बैठ कर टी वी देख रहा था आंटी और डेजी दीदी किचन में डिनर की तैयारी कर रही थीं कुछ देर के बाद डेजी दीदी काम ख़त्म करके हॉल में आ कर बिस्तर पर बैठ गई डेजी दीदी ने थोड़ी देर तक टी वी देखा और फिर अख़बार उठा कर पढ़ने लगीं डेजी दीदी बिस्तर पर पलटी मार कर बैठी थीं और अख़बार अपने सामने उठा कर पढ रही थी मेरा पैर डेजी दीदी को छू रहा था मैंने अपने पैरों को और थोड़ा-सा आगे खिसका दिया और-और अब मेरा पैर डेजी दीदी की जांघो को छू रहा था।

मैं डेजी दीदी की पीठ को देख रहा था डेजी दीदी आज एक काले रंग का झीना कुरता पहने हुई थीं और मुझे उसमे से डेजी दीदी की काले रंग का ब्रा भी दिख रहा था। मैं धीरे से अपना एक हाथ डेजी की पीठ पर रखा और टी शर्ट के उपर से डेजी की पीठ पर चलाने लगा जैसे मेरा हाथ डेजी की पीठ को छुआ उसका शरीर अकड़ गया

डेजी ने तब दबी ज़ुबान से मुझसे पूछा, काके! यह तुम क्या कर रहे हो? तुम पागल तो नहीं हो गए? माँ अभी कीचन में है हम दोनों को किचन से देख लेंगी।

मैंने डेजी दीदी से दबी ज़ुबान से कहा "अभी आंटी हमे कैसे देख लेंगी?"

दीदी से फुसफुसाते हुए कहा "काके! इससे क्या मतलब है तुम्हारा?"

मेरा मतलब यह है कि हमारे सामने अख़बार खुली हुई है, अगर माँ हमारी तरफ़ देखेगी तो उनको अख़बार दिखलाई देगी । मैंने डेजी दीदी से धीरे से कहा।

"तू बहुत स्मार्ट और शैतान है, काके" डेजी दीदी धीरे से मुझसे बोलीं।


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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–30
मेरा पहला सेक्स अनुभव - पहला दृश्यम, पहला स्पर्शं


हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा मैं अपनी क्लासमेट को मेरे पहले सेक्स अनुभव के बारे में बता रहा था। अब आगे।

जब मैं किसी लड़की को देखता तो मैं उसकी डेजी के साथ तुलना करता और मुझे कोई भी लड़की डेजी के बराबर नहीं लगती मैं बार-बार यह कोशिश करता था कि मेरा दिमाग़ डेजी से हट जाए लेकिन मेरा दिमाग़ घूम फिर कर डेजी पर ही आ जाता मैं हमेशा 24 घंटे उसके बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता ।

उधर पिंकू बिलकुल चिकना था, मैंने कई बार उसे नंगा देखा था और उसका लंड बहुत छोटा-सा था । एक दिन शाम का समय था और मैं अपने गाँव के तालाब के पास खड़ा होकर सेक्सी पॉर्न वीडियो देख रहा था।

तभी एक लड़का तालाब में भैसों को लेकर आया और वह बार-बार मेरे पास आकर मुझे तंग करने लगा।

मैं परेशान हो गया और मैंने उसे टालने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह मेरे पास आकर मेरे खड़े लंड को छूने लगा, उसे पकड़ने की कोशिश करने लगा। पॉर्न देखते हुए मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया था।

मैं उससे छुटकारा पाना चाहता था लेकिन वह नहीं मान रहा था और जब मैं उस लड़के को डांटने लगा तो वह माना नहीं और उल्टा एक बार मेरे से अपनी गांड मरवाने के लिए मिन्नतें करने लगा और अपना लोवर नीचे कर डोगी स्टाईल में खड़ा हो गया। एक दम चिकनी गांड थी उसकी । उसे देखकर लगा जैसे कि वह कोई पोर्नस्टार एक्ट्रेस है और गांड मरवाने की शौकीन है और गांड मरवाने की उसके अंदर भी वही आग थी।

मैं समझ गया कि लड़का पोर्न फ़िल्में देखकर बिगड़ गया है। आजकल छोटी उम्र में बच्चों के हाथों में मोबाइल आ जाते हैं और बच्चे ऐसी फ़िल्में देखकर आपस में ही एक दूसरे से सेक्स करने लगे जाते हैं। उसे देखकर यही लग रहा था।

मैंने बोला-मैं तेरी गांड नहीं मारने वाला, तू जा यहाँ से नहीं तो तेरी ऐसी पिटाई करूंगा की गांड मुँह सब सूज जाएगा, पर लड़का ढीठ था पीछे लगा रहा । उसने कहा मैं आपका लंड चूस सकता है। इतना कहते ही वह बड़ी तेजी से मेरा लोवर नीचे करने की कोशिश करने लगा । मैं उसे बुरी तरह से लताड़ा और लात मार भगाया और पीटने की धमकी दी तब जाकर मुझे उससे छुटकारा मिला।

इधर मैं जब भी घर पर होता तो डेजी को ही देखता रहता लेकिन इसकी जानकारी डेजी को नहीं थी । डेजी जब भी अपने कपड़े बदलती थीं या अपनी माँ के साथ घर के काम में हाथ बटाती तो मैं चुपके-चुपके उन्हें देखा करता था और कभी-कभी मुझे उनकी सुडौल चूची देखने को मिल जाती थी।

डेजी के साथ घर में रहने से मुझे कभी-कभी बहुत फायदा हुआ करता था कभी मेरा हाथ उनके शरीर से टकरा जाता था मैं डेजी के दो भरे-भरे चूची और गोल-गोल चूतड़ों को छूने के लिए मरा जा रहा था।

हमारा घर में सड़क पर था ओर मेरा सबसे अच्छा टाइम पास था अपने बालकोनी में खड़े हो कर सड़क पर देखना और जब डेजी पास होती तो धीरे-धीरे उनकी चूचियों को छूना हमारे घर की बालकोनी कुछ ऐसी थी कि उसकी लम्बाई घर के सामने गली के बराबर में थी और उसकी संकरी-सी चौड़ाई के सहारे खड़े हो कर हम सड़क देख सकते थे।

मैं जब भी बालकोनी पर खड़े होकर सड़क को देखता तो अपने हाथों को अपने सीने पर मोड़ कर बालकोनी की रेलिंग के सहारे खड़ा रहता था कभी-कभी डेजी आती तो मैं थोड़ा हट कर डेजी के लिए जगह बना देता और वह आकर अपने बगल खड़ी हो जाती मैं ऐसे घूम कर खड़ा होता कि डेजी को मेरे सातरः बिलकुल सट कर खड़ा होना पड़ता डेजी की भरी-भरी चूची मेरे सीने से सट जाती थी ।

मेरे हाथों की उंगलियाँ जो कि बालकोनी के रेलिंग के सहारे रहती वे डेजी की चूचियों से छू जाती थी मैं अपने उंगलियों को धीरे-धीरे डेजी की चूचियों पर हल्के-हल्के चलाता था और डेजी को यह बात नहीं मालूम थी मैंने उंगलियों से उनकी चूची को छू कर देखा कि उनकी चूची कितनी नरम और मुलायम है लेकिन फिर भी तनी-तनी रहा करती है कभी-कभी मैं डेजी के चूतड़ों को भी धीरे-धीरे अपने हाथों से छूता था।

मैं हमेशा ही डेजी की सेक्सी शरीर को इसी तरह से छूता था मैं समझता था कि डेजी मेरी हरकतों और मेरे इरादों से अनजान हैं और उसे इस बात का पता भी नहीं था कि उनका काका जिसे वे अपने भाई मानती है उनके नंगे शरीर को चाहता है और उनकी नंगी शरीर से खेलना चाहता है लेकिन मैं ग़लत था।

फिर एक दिन डेजी ने मुझे पकड़ लिया उस दिन डेजी किचन में जा कर अपने कपड़े बदल रही थीं हॉल और किचन के बीच का पर्दा थोड़ा खुला हुआ था डेजी दूसरी तरफ़ देख रही थी और अपनी कुर्ती उतार रही थीं और उनकी ब्रा में छूपी हुई चूची मेरे नज़रों के सामने था फिर रोज़ की तरह मैं टी वी देख रहा था और कनअंखियो से डेजी को भी देख रहा था।

डेजी ने तब सामने वाले दीवार पर टंगे शीशे को देखा और मुझे आंखें फिरा-फिरा कर घूरते हुए पाया । डेजी ने देखा कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा हूँ फिर मेरी और डेजी की आंखे शीशे में टकरा गई मैं शर्मा गया और अपनी आंखें टी वी की तरफ़ कर ली मेरा दिल क्या तेज-तेज धड़क रहा था। मैं समझ गया कि डेजी जान गई हैं कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा था। मैं सोचने लगा अब डेजी क्या करेंगी?

क्या डेजी अपने माँ और पिता जी को बता देंगी? और फिर क्या वे चाचा को बता देंगे । क्या डेजी मुझसे नाराज होंगी? चाचा मेरे साथ क्या करेंगे । क्या चाचा मुझे मारेंगे और डाँटेगे इसी तरह से हज़ारों प्रश्न मेरे दिमाग़ में घूम रहे थे। मैं डेजी की तरफ़ फिर से देखने का साहस जुटा नहीं पाया उस दिन सारा दिन और उसके बाद 2-3 दिनों तक मैं डेजी से दूर रहा उनके तरफ़ नहीं देखा। इन 2-3 दिनों में कुछ नहीं हुआ मैं खुश हो गया और डेजी को फिर से घूरना चालू कर दिया ।

ऐसे ही डेजी ने मुझे 2-3 बार फिर घूरते हुए पकड़ लिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोली मैं समझ गया कि डेजी को मालूम हो चुका है कि मैं क्या चाहता हूँ खैर जब तक डेजी को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्या लेना देना और मैं मज़े से डेजी को घूरने लगा एक दिन मैं और डेजी अपने घर की बालकोनी में पहले जैसे खड़े थे डेजी मेरे हाथों से सट कर खड़ी थीं और मैं अपने उंगलियों को डेजी की चूची पर हल्के-हल्के चला रहा था।

मुझे लगा कि डेजी को शायद यह बात नहीं मालूम कि मैं उनकी चूचियों पर अपनी उंगलियों को चला रहा हूँ मुझे इस लिए लगा क्योंकि डेजी मुझसे फिर भी सट कर खड़ी थीं लेकिन मैं यह तो समझ रहा था क्योंकि डेजी ने पहले भी नहीं टोका था तो अब भी कुछ नहीं बोलेंगी और मैं आराम से डेजी की चूचियों को छू सकता हूँ।

हम लोग अपने बालकोनी में खड़े थे और आपस में बातें कर रहे थे हमारे बालकोनी से सामने एक गली थी तो हम लोगों की बालकोनी में कुछ अँधेरा था बातें करते-करते डेजी मेरे उंगलियों को जो उनकी चूची पर घूम रहा था । अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूची से हटा दिया ।

मुझे अब समझ आ गया था कि डेजी को अपनी चूची पर मेरे उंगली का एहसास हो गया था और वह थोड़ी देर के लिए बातें करना बंद कर दीं और उनकी शरीर कुछ अकड़ गई लेकिन डेजी अपने जगह से हिलीं नहीं और मेरे हाथों से सट कर खड़ी रहीं । डेजी मुझसे कुछ नहीं बोलीं तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना पूरा का पूरा पंजा डेजी की एक मुलायम और गोल-गोल चूची पर रख दिया।

मैं बहुत डर रहा था पता नहीं डेजी क्या बोलेंगी? मेरा पूरा का पूरा शरीर कांप रहा था लेकिन वह कुछ नहीं बोलीं । सिर्फ़ एक बार मुझे देखा और फिर सड़क पर देखने लगीं। मैं भी डर के मारे उनकी तरफ़ नहीं देख रहा था।

मैं भी सड़क पर देख रहा था और अपने हाथ से डेजी की एक चूची को धीरे-धीरे सहला रहा था। मैं पहले धीरे-धीरे उनकी एक चूची को सहला रहा था और फिर थोड़ी देर के बाद उनकी एक मुलायम गोल-गोल नरम लेकिन तनी चूची को अपने हाथों से ज़ोर जोर से मसलने लगा। मैंने महसूस किया की अब डेजी की चूची काफ़ी बड़ी हो चुकी थी और मेरे पंजों में नहीं समा रही थी ।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा की कुर्ती और ब्रा के उपर से सहलाने से डेजी की चूची के निप्पल तन गई और मैं समझ गया कि मेरे चूची मसलने से वह गरमा गई हैं उन की कुर्ती और ब्रा के कपड़े बहुत ही महीन और मुलायम थी और उसके ऊपर से मुझे निप्पल तनने के बाद चूची छूने से मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था।

किसी जवान लड़की के चूची छूने का मेरा यह पहला अवसर था मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक उनकी चूचियों को मसलता रहा और डेजी ने भी मुझे एक बार के लिए मना नहीं किया वह चुपचाप खड़ी हो कर मुझसे अपनी चूची मसलवाती रही।

चूची मसलते-मसलते मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन एकाएक डेजी की माँ की आवाज़ सुनाई दी, माँ की आवाज़ सुनते ही डेजी ने धीरे से मेरा हाथ अपनी चूची से हटा दिया और माँ के पास चली गई उस रात मैं सो नहीं पाया मैं सारी रात उसकी मुलायम-मुलायम चूची के बारे में सोचता रहा ।

दूसरे दिन शाम को मैं रोज़ की तरह अपने बालकोनी में खड़ा था थोड़ी देर के बाद डेजी भी बालकोनी में आई और मेरे बगल में खड़ी हो गई मैं 2-3 मिनट तक चुपचाप खड़ा उन्हें देखता रहा । डेजी ने मेरे तरफ़ देखा मैं धीरे से मुस्कुरा दिया लेकिन वह नहीं मुस्कुराईं और चुपचाप सड़क पर देखने लगीं।

मैं डेजी से धीरे से बोला छूना है, मैं साफ़ साफ कुछ नहीं कह पा रहा था और पास आ उसने पूछा-काके क्या छूना चाहते हो? साफ़ साफ कहो उन्होंने फिर मुझसे पूछीं तब मैं धीरे से बोला तुम्हारा दूध छूना है । तब डेजी मुझसे तपाक से बोली क्या छूना है साफ़-साफ़ बोलो काके? मैं तब मुस्कुरा कर बोला तुम्हारी चूची छूना है उसको मसलना है।

अभी माँ आ सकती है डेजी तब मुस्कुरा कर बोलीं मैं भी तब मुस्कुरा कर बोला जब आंटी आएगी तो हमें पता चल जायेगा मेरे बातों को सुन कर डेजी कुछ नहीं बोलीं और चुपचाप नज़दीक आ कर खड़ी हो गई लेकिन उनकी चूची कल की तरह मेरे हाथ नहीं छू रहे थे ।

मैं समझ गया कि डेजी आज मेरे से सट कर खड़ी होने से कुछ शर्मा रही हैं अब तक वह अनजाने में मुझसे सट कर खड़ी होती थी लेकिन आज जानबूझ कर मुझसे सट कर खड़ी होने से वह शर्मा रही हैं क्योंकि आज दीदी को मालूम था कि सट कर खड़ी होने से क्या होगा जैसे डेजी मेरे पास आई और अपने हाथों से उसे और पास खींच लिया अब उसकी चूची मेरे हाथों को कल की तरह छू रही थी। मैंने अपना हाथ उनकी चूची पर टिका दिया।

मैंने चूची को पहले धीरे-धीरे छुआ फिर उन्हें कस-कस कर मसला कल की तरह आज भी उनकी कुर्ती और उसके नीचे ब्रा बहुत नर्म कपड़े की थी और उस में से मुझे उनकी निप्पल तन कर खड़े होना मालूम चल रहा था मैं तब अपने एक उंगली और अंगूठे से उनके निप्पल को ज़ोर जोर से दबाने लगा।


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बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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मेरा पहला सेक्स अनुभव - दृश्यम, स्पर्शं


हेल्लो हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा मैं अपनी क्लासमेट को मेरे पहले सेक्स अनुभव के बारे में बता रहा था और मैंने उसे बताया की मैंने अपनी मुँहबोली बहन के साथ पहले नैन सुख और स्पर्श सुख लिया था । अब आगे।

अनुपमा कहने लगी हाय तुम कैसे नैन सुख से स्पर्श सुख तक गए उसके बाद क्या हुआ ऐसे ही डिटेल में बताना ।

उस दिन मैं जितनी बार अपनी मुँहबोली बहन डेजी दीदी की निप्पलों को दबा रहा था मैंने देखा उतनी बार दीदी कसमसा रही थीं और दीदी की मुंह शरम के मारे लाल हो रहा थी तब दीदी ने मुझसे धीरे से बोलीं धीरे दबा तब मैं धीरे-धीरे करने लगा । मैं और दीदी इसके साथ जानबूझ कर ऐसे ही फालतू बातें कर रहे थें और देखने वाले को यही दिखता कि मैं और दीदी कुछ गंभीर बातों पर बहस कर रहे थें लेकिन असल में मैं दीदी की चूचियों को अपने हाथों से कभी धीरे-धीरे और कभी ज़ोर जोर से मसल रहा था।

थोड़ी देर बाद आंटी ने डेजी को बुला लिया और वह उनके पास चली गईं। ऐसे ही 2-3 दिन तक चलता रहा मैं रोज़ दीदी की सिर्फ़ एक चूची को मसल पाता था ।

फिर मुझे नीट का फार्म भरने कस्बे में जाना था जहाँ मैं अपने दोस्त सोमू और तनी के साथ चला गया, हमने फ़ार्म भरा और फिर बाज़ार में घूमे और उसके बाद मेरे दोस्त ने कहा चल भाई बहुत दिन हो गए कोई फ़िल्म नहीं देखि है आज फ़िल्म देखते हैं ।

हम हाल में फ़िल्म देखने गए, वहाँ एक इंग्लिश फ़िल्म लगी हुई थी-एडल्ट । हमने ज़िन्दगी में ये पहली एडल्ट इंग्लिश फ़िल्म देखि-
"एंडलेस लव" जो की 1981 की एक अमेरिकी रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है, और इसमें ब्रुक शील्ड्स नामक अमरीकी अभिनेत्री थी। यह टॉम क्रूज़ की भी पहली फ़िल्म भी थी। इसमें किशोर प्रेम और सेक्स सम्बन्ध दिखाए गए थे । पोस्टर देख लगा की गर्म फ़िल्म है और हम टिकट ले हाल में चले गए । फिल्म की संक्षिप्त कहानी कुछ इस तरह थी

उपनगरीय शिकागो में, किशोर जेड बटरफील्ड (ब्रुक शील्ड) और डेविड एक्सलरोड जेड के बड़े भाई कीथ द्वारा परिचय कराए जाने के बाद प्यार में पड़ जाते हैं। जेड और डेविड में सर्वव्यापी और भावुक सम्बंध विकसित होता है जिसमें उन्हें जेड के कमरे में सेक्स करने की अनुमति भी शामिल है। एक रात, जेड की माँ, ऐन, चुपके से जेड और डेविड को चिमनी के पास प्यार करते हुए देखती है। फिर जेड के पापा इस पर एतराज करते हैं। अपने दोस्त द्वारा सुनाई भयावह कहानी से प्रेरित होकर, डेविड देर रात की पार्टी के बाद बटरफील्ड के सामने के बरामदे में आग लगाता है और तेज़ हवा के कारण आग बहुत दूर तक फैल जाती है। मुकदमे के बाद, डेविड को आगजनी का दोषी ठहराया जाता है, पाँच साल की परिवीक्षा की सजा सुनाई जाती है, फिर जेड डेविड को एक दिन बताती है कि उन्हें अपने रिश्ते को अतीत में छोड़कर अलग-अलग जीवन जीना होगा। जब वह जाने की कोशिश करती है, तो वह उसे वापस खींच लेता है, उसे बिस्तर पर पटक देता है और तब तक दबाए रखता है जब तक वह स्वीकार नहीं कर लेती कि वह उससे प्यार करती है। जेड स्वीकार करती है कि वह अभी भी उससे प्यार करती है और वे रात भर साथ रहते हैं। फिर डेविड को झगड़ा करने, शांति भंग करने और अपने पैरोल का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता। डेविड को पाँच साल की सज़ा सुनाई जाती है अंत में दिखाया गया था सलाखों के पीछे से, डेविड देखता है कि जेड उससे मिलने के लिए जेल की ओर आती है। इस फ़िल्म में खूबसूरत एक्ट्रेस ब्रुक शील्ड्स ने जेड बटरफील्ड का पात्र निभाया था।

अनु ने पूछा-क्या तुम्हे पूरी फ़िल्म समझ आ गयी थी?

मैं-अंग्रेज़ी में मैंने ये पहली फ़िल्म देखि थी, फ़िल्म हमे ज़्यादा समझ तो नहीं आयी, क्योकि उनकी अंग्रेज़ी बोलने में अमरीकी स्टाइल था और किसे फ़िल्म समझनी थी, इस फ़िल्म में मैंने पहले बार सेक्स सीन देखे थे, जिसमे एक्ट्रेस ब्रुक शील्ड के नई नग्न अर्धनग्न सीन थे, जिन्हे देख मेरा और मेरे दोस्तों का लंड तन गया था । उस रात मुझे तब तक चैन नहीं आया जब तक मैंने अपने बिस्तर में रात में हीरोइन के नाम से मुठ नहीं मारी ।

अब ये फ़िल्म देखने के बाद, फ़िल्म के सेक्स सीन से प्रेरित हो मैं अपनी मुँह बोली बहन डेजी के साथ आगे बढ़ने के लिए की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसलना चाहता था लेकिन फ़िल्म देखने के बाद मुझे समझ आ गया, बालकोनी में खड़े हो कर ऐसा करना खतरनाक होगा और यह इस तरह मुमकिन नहीं था। दो दिन मैं इसके बारे में सोचता रहा की आगे कैसे बढ़ा जाए ।

फिर एक दिन शाम को मैं हॉल में बैठ कर टी वी देख रहा था आंटी और डेजी दीदी किचन में डिनर की तैयारी कर रही थीं कुछ देर के बाद डेजी दीदी काम ख़त्म करके हॉल में आ कर बिस्तर पर बैठ गई डेजी दीदी ने थोड़ी देर तक टी वी देखा और फिर अख़बार उठा कर पढ़ने लगीं डेजी दीदी बिस्तर पर पलटी मार कर बैठी थीं और अख़बार अपने सामने उठा कर पढ रही थी मेरा पैर डेजी दीदी को छू रहा था मैंने अपने पैरों को और थोड़ा-सा आगे खिसका दिया और-और अब मेरा पैर डेजी दीदी की जांघो को छू रहा था।

मैं डेजी दीदी की पीठ को देख रहा था डेजी दीदी आज एक काले रंग का झीना कुरता पहने हुई थीं और मुझे उसमे से डेजी दीदी की काले रंग का ब्रा भी दिख रहा था। मैं धीरे से अपना एक हाथ डेजी की पीठ पर रखा और टी शर्ट के उपर से डेजी की पीठ पर चलाने लगा जैसे मेरा हाथ डेजी की पीठ को छुआ उसका शरीर अकड़ गया

डेजी ने तब दबी ज़ुबान से मुझसे पूछा, काके! यह तुम क्या कर रहे हो? तुम पागल तो नहीं हो गए? माँ अभी कीचन में है हम दोनों को किचन से देख लेंगी।

मैंने डेजी दीदी से दबी ज़ुबान से काका "अभी आंटी हमे कैसे देख लेंगी?"

दीदी से फुसफुसाते हुए कहा "काके! इससे क्या मतलब है तुम्हारा?"

मेरा मतलब यह है कि हमारे सामने अख़बार खुली हुई है अगर माँ हमारी तरफ़ देखेगी तो उनको अख़बार दिखलाई देगी । मैंने डेजी दीदी से धीरे से कहा।

"तू बहुत स्मार्ट और शैतान है, काके" डेजी दीदी धीरे से मुझसे बोलीं।


पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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