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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–21

हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी मेरे पास अपनी रिश्ते में मौसेरी बहन रुपिंदर की पढ़ाई के लिए आयी और मैं उसकी खूबसूरती और हुस्न का कायल हो गया और मैंने उन्हें एक ऐसा प्रस्ताव दिया जिसे मना करना बहुत मुश्किल था। उसकी बाद मैंने रुपिंदर कालेज में मदद की और हम कालज जाने लगे, अब आगे।

फिर शाम को हम माल में गए और मैंने रुपिंदर को कुछ जीन, स्कर्ट और मॉडर्न ड्रेस दिलवा दी, रुपिंदर ने ख़ुद भी ुन्दरगार्मेंटस और कुछ ड्रेस ली, मैंने सबकी पेमेंट की फिर । रुपिंदर ने घर में आकर मेरी दिलवाई ड्रेस मुझे पहन कर दिखाई और इनमे रुपिंदर का बेपनाह हुस्न और खिल कर मेरे सामने आ गया ।

अगले दिन भी कुछ ख़ास नहीं हुआ और फिर शनिवार आ गया, शनिवार के दिन क्लास नहीं थी और सुबह 10 बजे घंटी बजी और जब रूपा ने दवा खोला और सामने थी कोमलदिप, कोमल हॉस्टल में रहती थी और हर शनि इतवार हॉस्टल से अपने लोकल गार्डियन के पास जाने के बहाने छुट्टी ले कर मेरे साथ आ कर रहती थी और हम ख़ूब मस्ती और चुदाई करते थे । लेकिन कोमल से मेरी मुलाकात ऐसे नहीं हुई थी । कोमल कॉमर्स की स्टूडेंट थी और उससे मुझे मिलवाया था अनु ने

अब मैं आपको अनु की कहानी सुनाता हूँ जिसका पूरा नाम अनुपमा था । मैंने स्कूल ख़त्म कर यूनिवर्सिटी में बीएससी में एडमिशन ली और हॉस्टल में रहने के लिए कमरा लिया । कालेज की पहली क्लास विषय से परिचय के लिए थी और हमने सबने अपने परिचय दिए, मैंने देखा कि मेरे साइड की कतार की दूसरी तरफ़ एक बहुत ही गोरी और प्यारी लड़की बैठी हुई थी। वह थोड़ी मोटी थी, लेकिन ज़्यादा मोटी नहीं थी। उसका ज़्यादातर वज़न उसकी छाती पर था। मैं साइज़ का अनुमान लगाने में अच्छा नहीं हूँ, लेकिन वे प्रभावशाली थे! बाद में मैंने पाया कि उसने 36-डी ब्रा पहनी हुई थी। वह लगभग पाँच फुट चार इंच लम्बी थी और उसके भूरे बाल उसके कंधों के ठीक नीचे लटक रहे थे। मैंने जल्द ही ख़ुद को उसे घूरते हुए पाया। फिर मुझे एहसास हुआ कि वह मुझे देखकर मुस्कुरा रही है और मुझे होश आया। जैसे ही कक्षा समाप्त हुई हम एक ही समय पर दरवाज़े पर पहुँचे। मैंने उसे नमस्ते कहा लेकिन वह बिना कुछ कहे फिर से मुस्कुरा दी।

मैंने अपनी अगली कक्षा ढूँढ़ी, मुझे लगता है कि वह अंग्रेज़ी थी और कमरे के पीछे की ओर एक सीट पर बैठ गई। जैसे ही कक्षा शुरू हुई, वही लड़की कमरे में भागती हुई आई और यह बताते हुए कि उसे कमरा खोजने में बहुत परेशानी हुई थी, देर से आने के लिए प्रोफेसर से माफ़ी माँगी। कमरे में एकमात्र खाली सीट मेरे बगल में थी। वह मेरे पास बैठ गई और फिर से मुस्कुराई। मैं उसकी मुस्कान का आदी हो रहा था! जब वह वहाँ बैठी थी, तो मैंने देखा कि उसकी किताबों के ऊपर उसकी क्लास का टाईमटेबल रखा हुआ था। जब मैंने किताब पर देखा, तो मुझे पहले पता चला कि उसका नाम अनुपमा था, फिर मुझे एहसास हुआ कि उसका टाईमटेबल शेड्यूल बिल्कुल मेरे जैसा ही था। वह और मैं हर क्लास में साथ-साथ होने वाले थे। मुझे लगा कॉलेज मजेदार होने वाला था!

मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहा था कि मैं सुनूँ कि टीचर क्या कह रही थी, लेकिन मैं अनुपमा की तरफ़ ऐसे खिंचा चला जा रहा था जैसे कोई पतंगा लाइट की तरफ़ खिंचा चला जाता है। मैं उसकी ख़ुशबू सूंघ सकता था। उसने नीली जींस और एक पीले रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। हालाँकि, उसके बटन उसके शानदार स्तनों को पकड़ने के लिए ज़ोर लगा रहे थे। मेरे कोण से मैं उसकी शर्ट के गैप से देख सकता था, जिसमें एक लेसदार पीले रंग की हाफ ब्रा दिखाई दे रही थी।

जब अनुपमा अपनी सीट पर बैठी, तो मेरा ध्यान उसके स्तनों के ऊपर की क्रीमी सफ़ेद त्वचा पर गया जो इतनी आकर्षक रूप से चिकनी थी। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, पूरी क्लास उठ गई और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गई। मैं अपनी तंद्रा से बाहर आया और खड़ा हो गया। मैं उसे देखकर मुस्कुराया और वह भी फिर से मुस्कुरायी। हमने अभी तक बात नहीं की थी। उस समय मेरी अगली कक्षा से पहले मेरे पास लगभग दो घंटे का ब्रेक था। इसलिए मैंने छात्र कैफेटेरिया में एक खाली टेबल ढूँढ़ी और अपनी किताबें नीचे रख दीं, फिर कुछ खाने के लिए लाइन में लग गया। जब मैं अपनी टेबल पर वापस आया तो मैंने देखा कि किसी और ने भी अपनी किताबें वहाँ रख दी थीं। मैं यह देखने के लिए इंतज़ार कर रहा था कि मेरे साथ कौन आएगा और जब मधु मेरी टेबल पर आई तो मुझे सुखद आश्चर्य हुआ। "क्या आपको कोई आपत्ति है अगर मैं आपके साथ आऊँ," उसने पूछा?

"बिल्कुल नहीं, मुझे अच्छा लगेगा," मैंने जवाब दिया।

वह बैठ गई और अपना परिचय दिया और बताया की वह पठानकोट की रहने वाली है। मैंने उसे अपने बारे में बताया पर यह नहीं बताया कि मैंने पहले ही कक्षा में बैठे-बैठे ही उसका नाम और शेड्यूल देख लिया था। हमने शेड्यूल की तुलना करना शुरू कर दिया और जब हमने पाया कि वे एक जैसे थे, तो वह आश्चर्यचकित हो गयी। हम आसानी से बात करने लगे, पुराने दोस्तों की तरह। 20 साल की उम्र में, वह मेरी सोच से थोड़ी बड़ी थी हालाँकि लगती 18 की ही थी।

हाल ही में अनुपमा की शादी पास के जूनियर हाई स्कूल में एक शिक्षक से तय हुई थी, जो उससे कुछ साल बड़ा था। उनकी सगाई के बाद उसके मंगेतर को पटियाला में नौकरी का प्रस्ताव मिला था और वे स्कूल शुरू होने से ठीक पहले उस इलाके में चले गए थे। पता चला कि वह भी चंडीगढ़ में उतने ही लोगों को जानती थी, जितने मैं जानता था। हम अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए लगभग अजनबी थे। महीने के दूसरे शनिवार को अनुपमा का मंगेतर उससे मिलने आता था।

जब वह अपनी शादी के बारे में बात कर रही थी, तो ऐसा लग रहा था कि वह खुश है, लेकिन उसकी आवाज़ में कुछ झिझक थी। ऐसा लग रहा था कि उसके अंदर एक गहरी उदासी है, जिसे वह छिपाने की बहुत कोशिश कर रही थी। मुझे लगा कि उसे वाकई एक दोस्त की ज़रूरत है। हमने उन पाठ्यक्रमों के बारे में बात की, जो हम कर रहे थे और भविष्य के लिए हमारी योजनाएँ। जबकि मैंने इस बारे में बहुत सोचा था कि मैं कौन-सा पाठ्यक्रम और क्यों अपनाना चाहता हूँ, उसने मूल रूप से अपने मंगेतर और काउंसलर को उसके लिए निर्णय लेने दिया था। उसे नहीं पता था कि वह जिस डिग्री के लिए पढ़ाई कर रही थी, उसके साथ वह क्या करना चाहती थी।

इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, हमारी अगली कक्षा में जाने का समय हो गया। हम साथ-साथ चले और अपनी बातचीत जारी रखी। जब हम कक्षा में पहुँचे तो अनुपमा मेरे बगल में बैठ गई। तब से यह एक पैटर्न बन गया। हम आधिकारिक तौर पर दोस्त बन गए। हम हर सुबह कैंपस पार्किंग में एक-दूसरे से मिलते थे, अपनी सभी कक्षाओं में साथ-साथ जाते थे, एक-दूसरे के बगल में बैठते थे, साथ में लंच करते थे और हर दोपहर अपने हॉस्टल के कमरों तक पैदल ही वापस आते थे। हम ख़ूब हँसते थे। हम एक दूसरे को मूर्खतापूर्ण चुटकुले सुनाते थे और अपने आस-पास के लोगों के बारे में कहानियाँ बनाते थे। हम अपनी छोटी-सी दुनिया में थे। उसे वह दोस्त मिल गया था जिसकी उसे वास्तव में ज़रूरत थी, लेकिन मुझे अभी भी यक़ीन नहीं था कि मैं इस युवा, सुंदर लड़की अनुपमा के साथ क्या कर रहा था।

हमारे लंच के दौरान वह धीरे-धीरे मेरे करीब आती हुई प्रतीत हुई, जब भी वह कोई बात कहना चाहती तो मेरा हाथ छू लेती। वह मेरे कान में सबसे मूर्खतापूर्ण बातें फुसफुसाने के लिए मेरे करीब आती। समय के साथ उसके कपड़े और भी बोल्ड होते गए। वह अक्सर लो कट टॉप पहनती थी जिससे उसकी छाती दिखती थी और वह कभी भी मेरे करीब झुकने का मौका नहीं छोड़ती थी, जैसे वह चाहती थी कि मैं उसे देखूं। मुझे स्वीकार करना चाहिए कि मैं अपनी आँखें उससे हटा नहीं पा रहा था। मैं लगातार उत्तेजना की स्थिति में था।

इसी बीच खराब खाने की बजह से मेरा पेट खराब हुआ और मैं कुछ दिन कालेज नहीं गया और फिर मैं कालेज का हॉस्टल छोड़ अपनी कोठी में रहने चला गया।

फिर मैं कालेज गया और हमने अपनी दोस्ती को एक नए स्तर पर पहुँचाया। हम दोनों ही घटिया हॉस्टल और सालग कैंटीन के खाने से तंग आ चुके थे और हमने कहीं और लंच करना शुरू करने का फ़ैसला किया। हमने कई स्थानीय बर्गर जॉइंट, सेक्टर मार्केट और दूसरी सस्ती जगहों पर खाना खाया। जब तक हम एक उस शुक्रवार उस लोकप्रिय पिज़्ज़ा रेस्तराँ में नहीं गए, तब तक चीज़ें दिलचस्प नहीं हुईं। जब हम पहुँचे तो उनका मुख्य भोजन कक्ष भरा हुआ था, इसलिए वेट्रेस ने हमें एक छोटे से कक्ष में बैठा दिया, जहाँ स्थानीय क्लब मीटिंग करते थे। कमरा अक्सर छोटी-छोटी जन्मदिन की पार्टियों और ऐसी ही चीज़ों के लिए आरक्षित होता था। आज, हम वहाँ अकेले थे। मैंने पिज्जा के साथ एक बियर का जग मंगवाया और हम चुपचाप बैठ कर मुख्य कक्ष से आ रही मधुर संगीत की ध्वनि सुनने लगे।

हमें पिज्जा परोसने के बाद वेट्रेस हमें अकेला छोड़कर चली गई। अनुपमा उस दिन बहुत कम बोल रही थी। एक लंबी चुप्पी के बाद आखिरकार उसने शर्मिंदगी से पूछा, "तो, तुम्हारा प्रेम जीवन कैसा चल रहा है?"

मैंने हंसते हुए कहा कि हाल ही में यह बहुत ही अविश्वसनीय रहा है। मैं तुरंत समझ गया कि यह कहना ग़लत था। अपनी प्लेट की ओर देखते हुए उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर पूछा कि क्या गड़बड़ है। वह एक पल रुकी और बोली, "सब कुछ और कुछ भी नहीं!" फिर वह आगे बोली, "इसका मतलब तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है।"

मैंने हस कर कहा जी बिलकुल और वह अभी मेरे साथ है । आप मेरी दोस्त हैं ना? मैंने उसके हाथ पर रखा था और उसे अपने हाथों के बीच कसकर दबाते हुए पकड़ लिया।

फिर अनुपमा ने वास्तव में मेरे साथ खुलना शुरू कर दिया। वह कुछ समय से खुश नहीं थी। उसका मंगेतर उस पर बहुत कम ध्यान देता था। वह अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसे यह देखने का मौका ही नहीं मिला कि क्या हो रहा है। वह जब एक बार महीने में मिलता है तब भी मेरे कपड़े पहनने के नए तरीके, ब्लाउज़ पर लगे अतिरिक्त बटन जो अब उसके शानदार क्लीवेज को दिखाते हुए खुले रहते थे, मेकअप, नई ड्रेस पर ध्यान नहीं देता है। मैं बीच में चुटकले सूना कर उसे हसा रहा था ।

अनुपमा ने कहा गौरब तुम इतना बीमार रहे पर आज हस रहे हो, मज़ाक कर रहे हो, कैसे इतना खुश रह लेते हो?

मैंने कहा "अनुपमा तुम भी मेरी तरह, जो है उसे एन्जॉय करो और खुश रहो।"

अनुपमा ने कहा तुम मुझे सीखा दो खुश रहना प्लीज! ।

मैंने उसका हाथ पकड़ उसे सहला कर उसे अगले दिन शनिवार अपने घर आने का न्योता दे दिया और कहा आ जाऔ मिल कर मस्ती करेंगे।

पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–22

हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी कालेज के पहले साल में अपनी क्लासमेट से दोस्ती हुई और अब आगे।

अनुपमा ने कहा गौरब तुम कैसे इतना खुश रह लेते हो?

मैंने कहा "अनुपमा तुम भी मेरी तरह जो है उसे एन्जॉय करो और खुश रहो।"

अनुपमा ने कहा तुम मुझे सीखा दो खुश रहना प्लीज! ।

मैंने उसका हाथ पकड़ उसे सहला कर उसे अगले दिन शनिवार अपने घर आने का न्योता दे दिया और कहा आ जाऔ मिल कर मस्ती करेंगे। फिर उसका मैसेज आया की उसे सलून जाना है तो तू भी चल ले साथ में टाइम लग जाएगा। वह हॉस्टल से आयी तब उसने सफ़ेद लेग्गी और टाइट लाल कुर्ती पहनी हुई थी, बिलकुल हाट लग रही थी मिर्ची जैसी, मैंने बाहर निकल बस देखि और सोचा बस से चलते है और वह मान गई हमने टिकट ली, वहाँ से सलून गए और उसने दो घंटे लगाए, फिर हम माल में गए और उसने कुछ शॉपिंग की जिसकी पेमेंट मैंने कर दी ।

मैंने कहा मौसम अच्छा है बादल हो रहे है और ठंडी हवा चल रही है चल सुखना लेक चलते हैं । फिर हमने सुखना में बोटिंग की और फिर मैंने कहा अब मेरे घर चल। इतने में हल्की बारिश शुरू हो गयी हमने जल्दी से बारिश से बचने के लिए फिर से बस ले ली । बस में भी काफ़ी क्राउड था । मैं आगे वह पीछे थी, मुझे नहीं पता था, शायद किसी का लंड उसे अपनी गांड पर फील हो रहा था, उसे काफ़ी अजीब लग रहा होगा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया बोली कि मेरे पीछे खड़ा हो जा तू।

उसने सोचा होगा ऐसे किसी का लंड उस से नहीं लगेगा लेकिन बस में भीड़ के कारण मेरा लंड अब उसकी गांड की दरार में लग रहा था, जो की उसे अब फील हो रहा था पर वह शांत रही, शायद वह ये सोच रही होगी अनजान के लंड से अच्छा किसी अपने दोस्त का लंड है।

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और उसकी लेगी का कपड़ा मेरे लंड के कारण उसकी गांड की दरार में अटक रहा था और वह उसे बार-बार निकाल रही थी कपड़ा निकालते-निकालते अचानक से उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया, वह फुसफुसा कर बोली कमीने बस भी कर ।

मैंने फुसफुसाया यार सॉरी भीड़ देख कितनी है और मुझे माफ़ कर दे प्लीज जान बूझ कर नहीं कर रहा हूँ।

वो खड़ी रही और मेरा लंड सारे रास्ते उसकी गांड के मज़े लेता रहा, मुझे भी मज़ा आ रहा था तो जैसे मौका मिलता तो मैं लंड उसकी गांड की दरार में ऊपर से नीचे छेद तक चलाने लगा और उसकी गांड के नीचे छेद के पास दबा देता, वह मेरा लंड अच्छे से फील कर रही थी उसके बाद एक लड़का जो मेरे से पहले उसके पीछे लगा हुआ था, उसके आगे आ कर उल्टा हो उससे चिपक गया और उसके पीछे खड़े किसी लड़के से कुछ बात करने लगा । अब उस बदमाश का लंड अनुपमा की चूत पर टच कर रहा था।

मैंने अनुपमा को पीछे खिंच अपनी तरफ़ घुमा लिया और उसकी पीठ सीट की तरफ़ कर दी क्योंकि वहा जगह बन गयी थी। अब मेरा लंड अनुपमा की चूत से टच करने लगा और उसे और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था । इतने में मेरा स्टॉप आ गया और हम उतर गए बस से। लंड भी शांत हो गया, पर तेज बारिश चालू हो गयी । हम पेड़ के नीचे खड़े हो गए क्योंकि आस पास कोई शेड नहीं था बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी मुझे बार-बार अनुपमा की गांड याद आ रही थी की कैसे मेरा लंड उसकी गांड और फिर चूत के नीचे तक रगड़ खा रहा था। मैं सोचने लगा की शायद उसे भी ये सब पसंद आया हो ।

हम एक दुसरे के साथ मज़ाक कर रहे थे बस से उतर कर मैंने कहा मौसम बढ़िया है, चल पकोड़े और नूडल खाते हैं मैंने घर से अपनी एक्टिवा ली और वह पीछे बैठी थी बारिश अभी भी आ रही थी, वह मेरे थोड़ा क्लोज बैठी थी और उसके मम्में मैं अपनी बैक पर फील कर सकता था और वह बात करने के बहाने मुझसे चिपक रही थी । बारिश में उसकी कुर्ती साथ चिपक गयी और उसके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थी और लेगी चूत से चिपक गयी । मैं उसे बारी-बारी देखता रहा। फिर हमने फूड एन्जॉय किया और मेरे घर आ गए

घर आ कर मैंने उसे तौलिया दिया और कहा अनु नहा ले और फिर उसे अपना लाल कुरता और सिल्क की लुंगी देकर कहा बदल ले, मेरे पास यही है, नहीं तो बीमार पड़ जायेगी ।

वो भी मेरे कमरे नहाने चली गयी और मैं साथ वाले कमरे के बाथरूम में नहाने चल गया। मैं नहाया और कपड़े चेंज करे जो गीले थे और चाय बनाने लगा तभी अनुपमा भी नहा कर आयी और लुंगी और लाल कुर्ते में बहुत सेक्सी लग रही थी ।

अनुपमा कहने लगी कैसी लग रही हूँ मैं?

मैंने आँख मारते हुए कहा-महा सेक्सी और गर्म लाल मिर्ची ।

अनुपमा– बदमाश । काफ़ी मज़ा आया ना आज बारिश में?

मैं–हाँ बहुत लेकिन प्लीज सॉरी बस में जो हुआ उसके लिए.

अनुपमा–अरे कोई नहीं पगले–मेरे पीछे जो था वह भी वही कर रहा था ।

मैं-लाल मिर्ची लग रही थी आज तू । एकदम हॉट, बेचारा बहक गया तुझे देख कर ।

अनुपमा-इसलिए तुझे अपने पीछे बुलाया ताकि मैं बाकियो से सेफ रह सकूं रश था तो ऐसा हो जाता है आख़िर तू भी लड़का है ।

मैं–फिर भी सॉरी–तुम्हारी बैक टच हो रही थी तो मेरा हार्ड हो गया था ।

अनुपमा–हाँ फील कर रही थी मैं लेकिन तू इतनी ज़ोर से क्यू चुभो रहा था?

मैं–चुभो नहीं रहा था मेरा सख्त हो गया था पूरा और तुम्हारी हाइट भी अच्छी है तो पूरी पोजीशन पर था तो सीधा रगड़ रहा था, लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता था।

हरमीत–हाँ कमीने थोड़ी देर के लिए मैं भी डर गई थी अगर थोड़ी-सी भी झुकती तो मेरे नीचे भी रगड़ खाने लगता।

मैं–सॉरी । लेकिन मज़ा आया बहुत घूमने और खाने में भी।

फिर नॉर्मल बाते हुई और कुछ मीम्स शेयर किए और फिर दोनों नॉर्मल हो गए ।

मैं कुछ पकोड़े लाया था मैंने चाय के साथ पकोड़े उसे सर्व किये, हमने मिल कर चाय पी और मैंने पूछा और फिर मैंने उसके मंगेतर के बारे में डायरेक्टली पूछा की कभी किस विस की या नहीं?

उसने बोला नहीं फिलहाल तो नहीं मुझे शर्म आती है तो उसने बोला की कमीने तू बड़ा चालाक है, मुझे घुमा कर सीधा मेरे वहाँ पहुँच गया ।

मैंने बोला–तुझसे सॉरी बोला था ना और मैंने तुझे उस लड़के से बचाने के लिए घुमाया था, मैंने अपनी मर्ज़ी से नहीं किया नेचुरल है हो गया, तुझे अच्छा नहीं लगा क्या?

वो थोड़ा सोच के बोली की लगा था लेकिन कुछ-कुछ हो रहा था मेरे नीचे।

मैं समझ गया कि ये चुदने के लिए त्यार है बस थोड़े से नखरे उठाने पड़ेगे।

फिर मैंने बोला–क्या फील हो रहा था?

तो वह बोली की तेरा ये मेरे पीछे से पूरा रगड़ रहा था और मैं पागल हो रही थी पता नहीं कैसे मैंने रोका अपने आप को।

तो मैंने बोला की इसी कारण आते वक़्त मुझसे चिपक कर बैठी थी ना?

वो बोली–हाँ और बारिश के कारण ठण्ड भी लग रही थी।

मैंने बोला–मुझे पता है तुम्हारे मम्में बहुत हॉट हो रहे थे।

तब ये बोल कर मैं उसके क्लोज गया और लिप्स के साइड में पकोड़े के साथ की चटनी लगी थी तो मैंने उसे चाट लिया।

वो सहम गई और बोली–अरे क्या कर रहा है?

मैंने अब लिप्स पर किस कर दी और इस बार उसने भी साथ दिया।

वह बोली–कमीने बहुत मज़ा आता है तेरे साथ और हम ऐसे ही किस करने लगे और बैठे-बैठे स्मूच करने लगे मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और बस उसने बाईट कर दी ।

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हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी मेरे पास अपनी रिश्ते में मौसेरी बहन रुपिंदर की पढ़ाई के लिए आयी और मैं उसकी खूबसूरती और हुस्न का कायल हो गया और मैंने उन्हें एक ऐसा प्रस्ताव दिया जिसे मना करना बहुत मुश्किल था। उसकी बाद मैंने रुपिंदर कालेज में मदद की और हम कालज जाने लगे, अब आगे।

फिर शाम को हम माल में गए और मैंने रुपिंदर को कुछ जीन, स्कर्ट और मॉडर्न ड्रेस दिलवा दी, रुपिंदर ने ख़ुद भी ुन्दरगार्मेंटस और कुछ ड्रेस ली, मैंने सबकी पेमेंट की फिर । रुपिंदर ने घर में आकर मेरी दिलवाई ड्रेस मुझे पहन कर दिखाई और इनमे रुपिंदर का बेपनाह हुस्न और खिल कर मेरे सामने आ गया ।

अगले दिन भी कुछ ख़ास नहीं हुआ और फिर शनिवार आ गया, शनिवार के दिन क्लास नहीं थी और सुबह 10 बजे घंटी बजी और जब रूपा ने दवा खोला और सामने थी कोमलदिप, कोमल हॉस्टल में रहती थी और हर शनि इतवार हॉस्टल से अपने लोकल गार्डियन के पास जाने के बहाने छुट्टी ले कर मेरे साथ आ कर रहती थी और हम ख़ूब मस्ती और चुदाई करते थे । लेकिन कोमल से मेरी मुलाकात ऐसे नहीं हुई थी । कोमल कॉमर्स की स्टूडेंट थी और उससे मुझे मिलवाया था अनु ने

अब मैं आपको अनु की कहानी सुनाता हूँ जिसका पूरा नाम अनुपमा था । मैंने स्कूल ख़त्म कर यूनिवर्सिटी में बीएससी में एडमिशन ली और हॉस्टल में रहने के लिए कमरा लिया । कालेज की पहली क्लास विषय से परिचय के लिए थी और हमने सबने अपने परिचय दिए, मैंने देखा कि मेरे साइड की कतार की दूसरी तरफ़ एक बहुत ही गोरी और प्यारी लड़की बैठी हुई थी। वह थोड़ी मोटी थी, लेकिन ज़्यादा मोटी नहीं थी। उसका ज़्यादातर वज़न उसकी छाती पर था। मैं साइज़ का अनुमान लगाने में अच्छा नहीं हूँ, लेकिन वे प्रभावशाली थे! बाद में मैंने पाया कि उसने 36-डी ब्रा पहनी हुई थी। वह लगभग पाँच फुट चार इंच लम्बी थी और उसके भूरे बाल उसके कंधों के ठीक नीचे लटक रहे थे। मैंने जल्द ही ख़ुद को उसे घूरते हुए पाया। फिर मुझे एहसास हुआ कि वह मुझे देखकर मुस्कुरा रही है और मुझे होश आया। जैसे ही कक्षा समाप्त हुई हम एक ही समय पर दरवाज़े पर पहुँचे। मैंने उसे नमस्ते कहा लेकिन वह बिना कुछ कहे फिर से मुस्कुरा दी।

मैंने अपनी अगली कक्षा ढूँढ़ी, मुझे लगता है कि वह अंग्रेज़ी थी और कमरे के पीछे की ओर एक सीट पर बैठ गई। जैसे ही कक्षा शुरू हुई, वही लड़की कमरे में भागती हुई आई और यह बताते हुए कि उसे कमरा खोजने में बहुत परेशानी हुई थी, देर से आने के लिए प्रोफेसर से माफ़ी माँगी। कमरे में एकमात्र खाली सीट मेरे बगल में थी। वह मेरे पास बैठ गई और फिर से मुस्कुराई। मैं उसकी मुस्कान का आदी हो रहा था! जब वह वहाँ बैठी थी, तो मैंने देखा कि उसकी किताबों के ऊपर उसकी क्लास का टाईमटेबल रखा हुआ था। जब मैंने किताब पर देखा, तो मुझे पहले पता चला कि उसका नाम अनुपमा था, फिर मुझे एहसास हुआ कि उसका टाईमटेबल शेड्यूल बिल्कुल मेरे जैसा ही था। वह और मैं हर क्लास में साथ-साथ होने वाले थे। मुझे लगा कॉलेज मजेदार होने वाला था!

मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहा था कि मैं सुनूँ कि टीचर क्या कह रही थी, लेकिन मैं अनुपमा की तरफ़ ऐसे खिंचा चला जा रहा था जैसे कोई पतंगा लाइट की तरफ़ खिंचा चला जाता है। मैं उसकी ख़ुशबू सूंघ सकता था। उसने नीली जींस और एक पीले रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। हालाँकि, उसके बटन उसके शानदार स्तनों को पकड़ने के लिए ज़ोर लगा रहे थे। मेरे कोण से मैं उसकी शर्ट के गैप से देख सकता था, जिसमें एक लेसदार पीले रंग की हाफ ब्रा दिखाई दे रही थी।

जब अनुपमा अपनी सीट पर बैठी, तो मेरा ध्यान उसके स्तनों के ऊपर की क्रीमी सफ़ेद त्वचा पर गया जो इतनी आकर्षक रूप से चिकनी थी। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, पूरी क्लास उठ गई और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गई। मैं अपनी तंद्रा से बाहर आया और खड़ा हो गया। मैं उसे देखकर मुस्कुराया और वह भी फिर से मुस्कुरायी। हमने अभी तक बात नहीं की थी। उस समय मेरी अगली कक्षा से पहले मेरे पास लगभग दो घंटे का ब्रेक था। इसलिए मैंने छात्र कैफेटेरिया में एक खाली टेबल ढूँढ़ी और अपनी किताबें नीचे रख दीं, फिर कुछ खाने के लिए लाइन में लग गया। जब मैं अपनी टेबल पर वापस आया तो मैंने देखा कि किसी और ने भी अपनी किताबें वहाँ रख दी थीं। मैं यह देखने के लिए इंतज़ार कर रहा था कि मेरे साथ कौन आएगा और जब मधु मेरी टेबल पर आई तो मुझे सुखद आश्चर्य हुआ। "क्या आपको कोई आपत्ति है अगर मैं आपके साथ आऊँ," उसने पूछा?

"बिल्कुल नहीं, मुझे अच्छा लगेगा," मैंने जवाब दिया।

वह बैठ गई और अपना परिचय दिया और बताया की वह पठानकोट की रहने वाली है। मैंने उसे अपने बारे में बताया पर यह नहीं बताया कि मैंने पहले ही कक्षा में बैठे-बैठे ही उसका नाम और शेड्यूल देख लिया था। हमने शेड्यूल की तुलना करना शुरू कर दिया और जब हमने पाया कि वे एक जैसे थे, तो वह आश्चर्यचकित हो गयी। हम आसानी से बात करने लगे, पुराने दोस्तों की तरह। 20 साल की उम्र में, वह मेरी सोच से थोड़ी बड़ी थी हालाँकि लगती 18 की ही थी।

हाल ही में अनुपमा की शादी पास के जूनियर हाई स्कूल में एक शिक्षक से तय हुई थी, जो उससे कुछ साल बड़ा था। उनकी सगाई के बाद उसके मंगेतर को पटियाला में नौकरी का प्रस्ताव मिला था और वे स्कूल शुरू होने से ठीक पहले उस इलाके में चले गए थे। पता चला कि वह भी चंडीगढ़ में उतने ही लोगों को जानती थी, जितने मैं जानता था। हम अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए लगभग अजनबी थे। महीने के दूसरे शनिवार को अनुपमा का मंगेतर उससे मिलने आता था।

जब वह अपनी शादी के बारे में बात कर रही थी, तो ऐसा लग रहा था कि वह खुश है, लेकिन उसकी आवाज़ में कुछ झिझक थी। ऐसा लग रहा था कि उसके अंदर एक गहरी उदासी है, जिसे वह छिपाने की बहुत कोशिश कर रही थी। मुझे लगा कि उसे वाकई एक दोस्त की ज़रूरत है। हमने उन पाठ्यक्रमों के बारे में बात की, जो हम कर रहे थे और भविष्य के लिए हमारी योजनाएँ। जबकि मैंने इस बारे में बहुत सोचा था कि मैं कौन-सा पाठ्यक्रम और क्यों अपनाना चाहता हूँ, उसने मूल रूप से अपने मंगेतर और काउंसलर को उसके लिए निर्णय लेने दिया था। उसे नहीं पता था कि वह जिस डिग्री के लिए पढ़ाई कर रही थी, उसके साथ वह क्या करना चाहती थी।

इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, हमारी अगली कक्षा में जाने का समय हो गया। हम साथ-साथ चले और अपनी बातचीत जारी रखी। जब हम कक्षा में पहुँचे तो अनुपमा मेरे बगल में बैठ गई। तब से यह एक पैटर्न बन गया। हम आधिकारिक तौर पर दोस्त बन गए। हम हर सुबह कैंपस पार्किंग में एक-दूसरे से मिलते थे, अपनी सभी कक्षाओं में साथ-साथ जाते थे, एक-दूसरे के बगल में बैठते थे, साथ में लंच करते थे और हर दोपहर अपने हॉस्टल के कमरों तक पैदल ही वापस आते थे। हम ख़ूब हँसते थे। हम एक दूसरे को मूर्खतापूर्ण चुटकुले सुनाते थे और अपने आस-पास के लोगों के बारे में कहानियाँ बनाते थे। हम अपनी छोटी-सी दुनिया में थे। उसे वह दोस्त मिल गया था जिसकी उसे वास्तव में ज़रूरत थी, लेकिन मुझे अभी भी यक़ीन नहीं था कि मैं इस युवा, सुंदर लड़की अनुपमा के साथ क्या कर रहा था।

हमारे लंच के दौरान वह धीरे-धीरे मेरे करीब आती हुई प्रतीत हुई, जब भी वह कोई बात कहना चाहती तो मेरा हाथ छू लेती। वह मेरे कान में सबसे मूर्खतापूर्ण बातें फुसफुसाने के लिए मेरे करीब आती। समय के साथ उसके कपड़े और भी बोल्ड होते गए। वह अक्सर लो कट टॉप पहनती थी जिससे उसकी छाती दिखती थी और वह कभी भी मेरे करीब झुकने का मौका नहीं छोड़ती थी, जैसे वह चाहती थी कि मैं उसे देखूं। मुझे स्वीकार करना चाहिए कि मैं अपनी आँखें उससे हटा नहीं पा रहा था। मैं लगातार उत्तेजना की स्थिति में था।

इसी बीच खराब खाने की बजह से मेरा पेट खराब हुआ और मैं कुछ दिन कालेज नहीं गया और फिर मैं कालेज का हॉस्टल छोड़ अपनी कोठी में रहने चला गया।

फिर मैं कालेज गया और हमने अपनी दोस्ती को एक नए स्तर पर पहुँचाया। हम दोनों ही घटिया हॉस्टल और सालग कैंटीन के खाने से तंग आ चुके थे और हमने कहीं और लंच करना शुरू करने का फ़ैसला किया। हमने कई स्थानीय बर्गर जॉइंट, सेक्टर मार्केट और दूसरी सस्ती जगहों पर खाना खाया। जब तक हम एक उस शुक्रवार उस लोकप्रिय पिज़्ज़ा रेस्तराँ में नहीं गए, तब तक चीज़ें दिलचस्प नहीं हुईं। जब हम पहुँचे तो उनका मुख्य भोजन कक्ष भरा हुआ था, इसलिए वेट्रेस ने हमें एक छोटे से कक्ष में बैठा दिया, जहाँ स्थानीय क्लब मीटिंग करते थे। कमरा अक्सर छोटी-छोटी जन्मदिन की पार्टियों और ऐसी ही चीज़ों के लिए आरक्षित होता था। आज, हम वहाँ अकेले थे। मैंने पिज्जा के साथ एक बियर का जग मंगवाया और हम चुपचाप बैठ कर मुख्य कक्ष से आ रही मधुर संगीत की ध्वनि सुनने लगे।

हमें पिज्जा परोसने के बाद वेट्रेस हमें अकेला छोड़कर चली गई। अनुपमा उस दिन बहुत कम बोल रही थी। एक लंबी चुप्पी के बाद आखिरकार उसने शर्मिंदगी से पूछा, "तो, तुम्हारा प्रेम जीवन कैसा चल रहा है?"

मैंने हंसते हुए कहा कि हाल ही में यह बहुत ही अविश्वसनीय रहा है। मैं तुरंत समझ गया कि यह कहना ग़लत था। अपनी प्लेट की ओर देखते हुए उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर पूछा कि क्या गड़बड़ है। वह एक पल रुकी और बोली, "सब कुछ और कुछ भी नहीं!" फिर वह आगे बोली, "इसका मतलब तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है।"

मैंने हस कर कहा जी बिलकुल और वह अभी मेरे साथ है । आप मेरी दोस्त हैं ना? मैंने उसके हाथ पर रखा था और उसे अपने हाथों के बीच कसकर दबाते हुए पकड़ लिया।

फिर अनुपमा ने वास्तव में मेरे साथ खुलना शुरू कर दिया। वह कुछ समय से खुश नहीं थी। उसका मंगेतर उस पर बहुत कम ध्यान देता था। वह अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसे यह देखने का मौका ही नहीं मिला कि क्या हो रहा है। वह जब एक बार महीने में मिलता है तब भी मेरे कपड़े पहनने के नए तरीके, ब्लाउज़ पर लगे अतिरिक्त बटन जो अब उसके शानदार क्लीवेज को दिखाते हुए खुले रहते थे, मेकअप, नई ड्रेस पर ध्यान नहीं देता है। मैं बीच में चुटकले सूना कर उसे हसा रहा था ।

अनुपमा ने कहा गौरब तुम इतना बीमार रहे पर आज हस रहे हो, मज़ाक कर रहे हो, कैसे इतना खुश रह लेते हो?

मैंने कहा "अनुपमा तुम भी मेरी तरह, जो है उसे एन्जॉय करो और खुश रहो।"

अनुपमा ने कहा तुम मुझे सीखा दो खुश रहना प्लीज! ।

मैंने उसका हाथ पकड़ उसे सहला कर उसे अगले दिन शनिवार अपने घर आने का न्योता दे दिया और कहा आ जाऔ मिल कर मस्ती करेंगे।

पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

बहुत ही खुबसुरत और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Napster

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–22

हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी कालेज के पहले साल में अपनी क्लासमेट से दोस्ती हुई और अब आगे।

अनुपमा ने कहा गौरब तुम कैसे इतना खुश रह लेते हो?

मैंने कहा "अनुपमा तुम भी मेरी तरह जो है उसे एन्जॉय करो और खुश रहो।"

अनुपमा ने कहा तुम मुझे सीखा दो खुश रहना प्लीज! ।

मैंने उसका हाथ पकड़ उसे सहला कर उसे अगले दिन शनिवार अपने घर आने का न्योता दे दिया और कहा आ जाऔ मिल कर मस्ती करेंगे। फिर उसका मैसेज आया की उसे सलून जाना है तो तू भी चल ले साथ में टाइम लग जाएगा। वह हॉस्टल से आयी तब उसने सफ़ेद लेग्गी और टाइट लाल कुर्ती पहनी हुई थी, बिलकुल हाट लग रही थी मिर्ची जैसी, मैंने बाहर निकल बस देखि और सोचा बस से चलते है और वह मान गई हमने टिकट ली, वहाँ से सलून गए और उसने दो घंटे लगाए, फिर हम माल में गए और उसने कुछ शॉपिंग की जिसकी पेमेंट मैंने कर दी ।

मैंने कहा मौसम अच्छा है बादल हो रहे है और ठंडी हवा चल रही है चल सुखना लेक चलते हैं । फिर हमने सुखना में बोटिंग की और फिर मैंने कहा अब मेरे घर चल। इतने में हल्की बारिश शुरू हो गयी हमने जल्दी से बारिश से बचने के लिए फिर से बस ले ली । बस में भी काफ़ी क्राउड था । मैं आगे वह पीछे थी, मुझे नहीं पता था, शायद किसी का लंड उसे अपनी गांड पर फील हो रहा था, उसे काफ़ी अजीब लग रहा होगा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया बोली कि मेरे पीछे खड़ा हो जा तू।

उसने सोचा होगा ऐसे किसी का लंड उस से नहीं लगेगा लेकिन बस में भीड़ के कारण मेरा लंड अब उसकी गांड की दरार में लग रहा था, जो की उसे अब फील हो रहा था पर वह शांत रही, शायद वह ये सोच रही होगी अनजान के लंड से अच्छा किसी अपने दोस्त का लंड है।

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और उसकी लेगी का कपड़ा मेरे लंड के कारण उसकी गांड की दरार में अटक रहा था और वह उसे बार-बार निकाल रही थी कपड़ा निकालते-निकालते अचानक से उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया, वह फुसफुसा कर बोली कमीने बस भी कर ।

मैंने फुसफुसाया यार सॉरी भीड़ देख कितनी है और मुझे माफ़ कर दे प्लीज जान बूझ कर नहीं कर रहा हूँ।

वो खड़ी रही और मेरा लंड सारे रास्ते उसकी गांड के मज़े लेता रहा, मुझे भी मज़ा आ रहा था तो जैसे मौका मिलता तो मैं लंड उसकी गांड की दरार में ऊपर से नीचे छेद तक चलाने लगा और उसकी गांड के नीचे छेद के पास दबा देता, वह मेरा लंड अच्छे से फील कर रही थी उसके बाद एक लड़का जो मेरे से पहले उसके पीछे लगा हुआ था, उसके आगे आ कर उल्टा हो उससे चिपक गया और उसके पीछे खड़े किसी लड़के से कुछ बात करने लगा । अब उस बदमाश का लंड अनुपमा की चूत पर टच कर रहा था।

मैंने अनुपमा को पीछे खिंच अपनी तरफ़ घुमा लिया और उसकी पीठ सीट की तरफ़ कर दी क्योंकि वहा जगह बन गयी थी। अब मेरा लंड अनुपमा की चूत से टच करने लगा और उसे और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था । इतने में मेरा स्टॉप आ गया और हम उतर गए बस से। लंड भी शांत हो गया, पर तेज बारिश चालू हो गयी । हम पेड़ के नीचे खड़े हो गए क्योंकि आस पास कोई शेड नहीं था बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी मुझे बार-बार अनुपमा की गांड याद आ रही थी की कैसे मेरा लंड उसकी गांड और फिर चूत के नीचे तक रगड़ खा रहा था। मैं सोचने लगा की शायद उसे भी ये सब पसंद आया हो ।

हम एक दुसरे के साथ मज़ाक कर रहे थे बस से उतर कर मैंने कहा मौसम बढ़िया है, चल पकोड़े और नूडल खाते हैं मैंने घर से अपनी एक्टिवा ली और वह पीछे बैठी थी बारिश अभी भी आ रही थी, वह मेरे थोड़ा क्लोज बैठी थी और उसके मम्में मैं अपनी बैक पर फील कर सकता था और वह बात करने के बहाने मुझसे चिपक रही थी । बारिश में उसकी कुर्ती साथ चिपक गयी और उसके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थी और लेगी चूत से चिपक गयी । मैं उसे बारी-बारी देखता रहा। फिर हमने फूड एन्जॉय किया और मेरे घर आ गए

घर आ कर मैंने उसे तौलिया दिया और कहा अनु नहा ले और फिर उसे अपना लाल कुरता और सिल्क की लुंगी देकर कहा बदल ले, मेरे पास यही है, नहीं तो बीमार पड़ जायेगी ।

वो भी मेरे कमरे नहाने चली गयी और मैं साथ वाले कमरे के बाथरूम में नहाने चल गया। मैं नहाया और कपड़े चेंज करे जो गीले थे और चाय बनाने लगा तभी अनुपमा भी नहा कर आयी और लुंगी और लाल कुर्ते में बहुत सेक्सी लग रही थी ।

अनुपमा कहने लगी कैसी लग रही हूँ मैं?

मैंने आँख मारते हुए कहा-महा सेक्सी और गर्म लाल मिर्ची ।

अनुपमा– बदमाश । काफ़ी मज़ा आया ना आज बारिश में?

मैं–हाँ बहुत लेकिन प्लीज सॉरी बस में जो हुआ उसके लिए.

अनुपमा–अरे कोई नहीं पगले–मेरे पीछे जो था वह भी वही कर रहा था ।

मैं-लाल मिर्ची लग रही थी आज तू । एकदम हॉट, बेचारा बहक गया तुझे देख कर ।

अनुपमा-इसलिए तुझे अपने पीछे बुलाया ताकि मैं बाकियो से सेफ रह सकूं रश था तो ऐसा हो जाता है आख़िर तू भी लड़का है ।

मैं–फिर भी सॉरी–तुम्हारी बैक टच हो रही थी तो मेरा हार्ड हो गया था ।

अनुपमा–हाँ फील कर रही थी मैं लेकिन तू इतनी ज़ोर से क्यू चुभो रहा था?

मैं–चुभो नहीं रहा था मेरा सख्त हो गया था पूरा और तुम्हारी हाइट भी अच्छी है तो पूरी पोजीशन पर था तो सीधा रगड़ रहा था, लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता था।

हरमीत–हाँ कमीने थोड़ी देर के लिए मैं भी डर गई थी अगर थोड़ी-सी भी झुकती तो मेरे नीचे भी रगड़ खाने लगता।

मैं–सॉरी । लेकिन मज़ा आया बहुत घूमने और खाने में भी।

फिर नॉर्मल बाते हुई और कुछ मीम्स शेयर किए और फिर दोनों नॉर्मल हो गए ।

मैं कुछ पकोड़े लाया था मैंने चाय के साथ पकोड़े उसे सर्व किये, हमने मिल कर चाय पी और मैंने पूछा और फिर मैंने उसके मंगेतर के बारे में डायरेक्टली पूछा की कभी किस विस की या नहीं?

उसने बोला नहीं फिलहाल तो नहीं मुझे शर्म आती है तो उसने बोला की कमीने तू बड़ा चालाक है, मुझे घुमा कर सीधा मेरे वहाँ पहुँच गया ।

मैंने बोला–तुझसे सॉरी बोला था ना और मैंने तुझे उस लड़के से बचाने के लिए घुमाया था, मैंने अपनी मर्ज़ी से नहीं किया नेचुरल है हो गया, तुझे अच्छा नहीं लगा क्या?

वो थोड़ा सोच के बोली की लगा था लेकिन कुछ-कुछ हो रहा था मेरे नीचे।

मैं समझ गया कि ये चुदने के लिए त्यार है बस थोड़े से नखरे उठाने पड़ेगे।

फिर मैंने बोला–क्या फील हो रहा था?

तो वह बोली की तेरा ये मेरे पीछे से पूरा रगड़ रहा था और मैं पागल हो रही थी पता नहीं कैसे मैंने रोका अपने आप को।

तो मैंने बोला की इसी कारण आते वक़्त मुझसे चिपक कर बैठी थी ना?

वो बोली–हाँ और बारिश के कारण ठण्ड भी लग रही थी।

मैंने बोला–मुझे पता है तुम्हारे मम्में बहुत हॉट हो रहे थे।

तब ये बोल कर मैं उसके क्लोज गया और लिप्स के साइड में पकोड़े के साथ की चटनी लगी थी तो मैंने उसे चाट लिया।

वो सहम गई और बोली–अरे क्या कर रहा है?

मैंने अब लिप्स पर किस कर दी और इस बार उसने भी साथ दिया।

वह बोली–कमीने बहुत मज़ा आता है तेरे साथ और हम ऐसे ही किस करने लगे और बैठे-बैठे स्मूच करने लगे मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और बस उसने बाईट कर दी ।

पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
बडा ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–23

हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी कालेज में अपनी क्लासमेट से दोस्ती हुई और हम एक शनिवार घूमने गए और बारिश में भीग गए, फिर मेरे घर आये । अब आगे।

मैं उसके क्लोज गया और लिप्स के साइड में पकोड़े के साथ की चटनी लगी थी तो मैंने उसे चाट लिया।

वो सहम गई और बोली–अरे क्या कर रहा है?

मैंने अब लिप्स पर किस कर दी और इस बार उसने भी साथ दिया।

वह बोली–कमीने बहुत मज़ा आता है तेरे साथ और हम ऐसे ही किस करने लगे और बैठे-बैठे स्मूच करने लगे मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और बस उसने बाईट कर दी।

मैंने रोका और उसका हाथ कस कर मरोड़ दिया ।

आह छोड़ मुझे गौरव! तुम बॉलीवुड हीरो की तरह बहुत ही मस्कुलर और ताकतवार हो।"

तुम चाहो तो मुझे "काके" कह सकते हो मेरे दोस्त और प्यारे लोग मुझे प्यार से काके कहते हैं।

और मेरे दोस्त मुझे प्यार से अनु कहते हैं।

"हाँ अनु, जब से मैं यहाँ आया हूँ मैं नियमित रूप से जिम जाने लगा हूँ," मैंने कहा।

"वाआआआआआ!" अनुपमा ने कहा। फिर, मुझे चिढ़ाते हुए कहा, "काके अगर तुम्हारा ये रूप देख ले तो मुझे लगता है तुम्हारे कॉलेज की सारी लड़कियाँ तुम्हारे पीछे पड जाएंगी ।"

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "अनु तू बहुत शरारती है। तुम यहाँ मुझे पहले दिन से ही जानती हो। क्या तुमने मुझे कॉलेज में तुम्हारे अलावा किसी और लड़की के साथ देखा है? तुम मुझे कालेज की इन सुंदर लड़कियों से मुझे मिलवा दो , मेरी तरफ़ से पार्टी पक्की ।"

फिर, अनु ने कहा, "मेरा वज़न बहुत बढ़ गया है। हालाँकि तुम वेट लिफ्टिंग कर रहे हो, लेकिन मुझे पूरा यक़ीन है कि तुम मुझे उठा नहीं सकते।"

जब उसने मुझे चुनौती दी, तो मैंने भी चिढ़ाते हुए कहा, "मुझे चुनौती मत दो अनु, मैं तुम्हें अपनी मज़बूत भुजाओं से एक छोटे से फूल की तरह उठा सकता हूँ।"

"ठीक है, तो देखते हैं, अगर तुम मुझे उठा नहीं सकती तो तुम्हें मुझे चॉकलेट से भरा एक डिब्बा देना होगा, क्या तुम सहमत हो?" अनु ने चिढ़ाते हुए पूछा।

"सहमत हूँ।" मैंने चुनौती स्वीकार कर ली। अगर उठा लिया तब मुझे क्या मिलेगा?

तुम्हे आज एक लड़की से मिलवा दूंगी और अपनी सारी सहेली से भी दोस्ती करवा दूंगी ।

मैं अनु के पास गया और कहा, "अपनी बाहें ऊपर उठाओ।"

मैंने उसकी बाजू के अग्रभाग पर हल्के से स्पर्श किया। "हाँ, क्यों नहीं?" अनु ने उत्तर दिया।

जब अनु ने अपनी बाहें ऊपर उठाईं, तो मैंने उसके काँखों के नीचे छोटे-छोटे बाल देखे। पसीने के कारण उसके काँखों से मीठी ख़ुशबू आ रही थी। मैंने उसकी त्वचा पर ध्यान दिया, जिसका रंग इतना मुलायम और सुनहरा था कि मुझे वह पसंद नहीं आया। वह मुझसे लगभग 2 साल बड़ी थी, लेकिन मुझसे 2 साल छोटी लग रही थी, उसने एक बार बताया था कि उसकी माँ जम्मू क्षेत्र से है और उसे बचकाना पहाड़ी मासूम चेहरा अपनी माँ से विरासत में मिला है, मैंने सोचा और उसके हाथों की तरफ़ देखा। मैं झिझका और अजीब महसूस किया।

"तुम क्या सोच रहे हो? तुम मेरी चुनौती से डर रहे हो," अनु ने चिढ़ाते हुए कहा।

फिर बिना एक पल सोचे, मैंने अपने दोनों हाथ अनु की काँखों के नीचे रखे और उसे ऊपर उठा लिया। फिर धीरे-धीरे, मैंने अपनी बाँहें बारी-बारी से खिसकाईं और अनु की पीठ के बीच में कसकर पकड़ लिया। यह पहली बार था, जब हमारा शरीर एक साथ चिपक गए उसके बाद अनु ने अपने पैरों को मेरे धड़ के चारों ओर लपेटा और अपने हाथों को मेरे कंधे के चारों ओर लपेटा।

जैसे ही अनु के पैर ज़मीन से उठे और वह मेरी गर्दन पर लटकी, उसका शरीर नीचे की ओर खिसकने लगा और हम दोनों की कमर के बीच घर्षण होने लगा। मुझे अनु के स्तनों का कोमल स्पर्श और दबाव मेरी छाती पर महसूस हो रहा था, जो एक नरम तकिये की तरह लग रहा था। अनु के लंबे बाल मेरे चेहरे पर गिर रहे थे और मैं अपने चेहरे पर अनु की गर्म साँसें महसूस कर रहा था। मैंने उसके चेहरे और बालों की मीठी ख़ुशबू को सूँघा।

मेरा चेहरा उसके चेहरे से सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर था। तुरंत, मेरा लंड कठोर हो चूका था। उसी समय, अनु को भी अपने पेट के बीच में एक उभरी हुई कठोर चीज़ चुभती हुई महसूस हुई।

अनु एक शरारती लड़की थी, अचानक, उसने मुझे चिढ़ाना चाहा। उसने अपने बालों का कुछ लट मेरे नथुनों में डाल दिया, मुझे छींक आ गई, जिसके परिणामस्वरूप मेरा संतुलन बिगड़ गया। दोनों घूम गए और सोफ़े पर गिर गए। अनु मेरे नीचे थी।

इस अप्रत्याशित गिरावट के कारण, अनजाने में, मेरे दोनों हाथ अनु के स्तनों को पकड़े हुए थे और मेरे होंठ अनु के होंठों से दबे हुए थे। इस क्षणिक अप्रत्याशित क्रिया के कारण सब कुछ बदल गया, एक सनसनी और करंट दोनों शरीरों में बह गया।

मैंने उसे कसकर खींचा और उसके गालों को चूमा और अंततः अपने गर्म होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मैंने उषा के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ को उसके मुँह के अंदर डाला। मेरी जीभ ने उसकी जीभ को छुआ और अनु के मुँह की गुहा की दीवार को छुआ। दोनों की लार मिल गई और हमारे शरीर में एक अजीब-सी सनसनी फैल गई। दोनों ने एक दूसरे की लार का स्वाद चखा जो स्वर्ग से अमृत की तरह थी और रस को निगल लिया।

मैं उसके कुर्ते के नीचे निप्पल को सख्त महसूस कर सकता था। मैं उसके टॉप को उतारने और दोनों स्तनों को दबाने से ख़ुद को रोक नहीं सका। मैं झुक गया और उसके बड़े स्तनों को ऊपर की ओर उठते हुए देखा। दोनों गोल आकार के थे और लाल गुलाबी रंग के छोटे फूले हुए निप्पल छोटे गुलाबी घेरे से घिरे हुए थे। वे चबाने और चखने के लिए छोटे कच्चे चेरी जैसे थे। मैंने चूमा, अपनी जीभ को एक छोटे गुलाबी निप्पल के चारों ओर लपेटा और दूसरे को अपनी उंगली से दबाया। वे सख्त हो गए और थोड़े बड़े हो गए। मैंने एक से दूसरे पर स्विच किया। मैंने उसके सिर को उसके दोनों स्तनों के बीच आगे-पीछे घुमाया।

पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
 
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