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अपडेट 26
शीला नरेश के जाने के बाद हैंरान होकर वहीँ पर खड़ी थी, उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। उसका प्लान बिलकुल कामयाब हुआ था । वह सोचने लगी की नरेश को आखिर अचानक क्या हुआ जो वह अपनी नंगी छोटी बहन को ऐसे तडपता हुआ छोडकर चला गया ।
शीला को तभी याद आया के आखिर में उसके भाई ने उसकी गांड पकड़कर अपनी पेण्ट पर दबाई थी और वह ज़ोर से काम्प रहा था। अच्छा तो यह बात थी, शीला को उस वक्त अपनी चूत पर कुछ गीला गीला अहसास हुआ था । तभी नरेश ने उसे छोड दिया था।
शीला मन ही मन में मुस्कुरा रही थी वह समझ गयी थी के उसका भाई अपनी गर्मी को संभल न सका और यों ही झर गया था । शीला ने अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई।
नरेश अपने कमरे में आकर बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था की जो कुछ भी हुआ पता नहीं शीला उसके बारे में क्या सोच रही होगी, कहीं वह सब कुछ सब को बता तो नहीं देगी । मगर जब उसने शीला को किस दी थी तो वह भी उसका साथ दे रही थी, पर फिर भी एक अन्जाना डर नरेश के दिल में था ।
रेखा कुछ देर तक अपने बाप और मनीषा से बातें करने के बाद वहां से उठते हुए खाना बनाने की तैयारी करने लगी ।
"बापु जी रात को नींद तो अच्छी आ गयी आपको?" मनीषा ने रेखा के जाते ही अपने बाप से कहा ।
"हा बेटी नींद तो बुहत बढिया आई थी, मगर सब तुम्हारी मेहनत की वजह से" अनिल ने मोका देखकर अपनी बेटी पर लाइन मारते हुए कहा ।
"बापु जी आपकी सेवा करते करते हमारी हालत ख़राब हो गई थी रात को" मनीषा ने बात को आगे बढाते हुए कहा।
"क्यों क्या हुआ था बेटी?" अनिल ने अन्जान बनते हुए कहा।
"वो बापू जी आपको शांत करते करते हम गरम हो गये थे" मनीषा ने यह बात कहते हुए शर्म से अपना सर नीचे कर रखा था ।
"ओह इसका मतलब हमारी वजह से हमारी बेटी को तकलीफ उठानी पडी" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनने के बाद कहा।
"नही बापू इस में तकलीफ की क्या बात है वह तो हमारा फ़र्ज़ था" मनीषा ने कहा।
" वह तुम्हारा फ़र्ज़ था, तो क्या मेरा कुछ फ़र्ज़ नहीं बनता था की मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाता" अनिल ने गुस्से से कहा ।
शीला नरेश के जाने के बाद हैंरान होकर वहीँ पर खड़ी थी, उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। उसका प्लान बिलकुल कामयाब हुआ था । वह सोचने लगी की नरेश को आखिर अचानक क्या हुआ जो वह अपनी नंगी छोटी बहन को ऐसे तडपता हुआ छोडकर चला गया ।
शीला को तभी याद आया के आखिर में उसके भाई ने उसकी गांड पकड़कर अपनी पेण्ट पर दबाई थी और वह ज़ोर से काम्प रहा था। अच्छा तो यह बात थी, शीला को उस वक्त अपनी चूत पर कुछ गीला गीला अहसास हुआ था । तभी नरेश ने उसे छोड दिया था।
शीला मन ही मन में मुस्कुरा रही थी वह समझ गयी थी के उसका भाई अपनी गर्मी को संभल न सका और यों ही झर गया था । शीला ने अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई।
नरेश अपने कमरे में आकर बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था की जो कुछ भी हुआ पता नहीं शीला उसके बारे में क्या सोच रही होगी, कहीं वह सब कुछ सब को बता तो नहीं देगी । मगर जब उसने शीला को किस दी थी तो वह भी उसका साथ दे रही थी, पर फिर भी एक अन्जाना डर नरेश के दिल में था ।
रेखा कुछ देर तक अपने बाप और मनीषा से बातें करने के बाद वहां से उठते हुए खाना बनाने की तैयारी करने लगी ।
"बापु जी रात को नींद तो अच्छी आ गयी आपको?" मनीषा ने रेखा के जाते ही अपने बाप से कहा ।
"हा बेटी नींद तो बुहत बढिया आई थी, मगर सब तुम्हारी मेहनत की वजह से" अनिल ने मोका देखकर अपनी बेटी पर लाइन मारते हुए कहा ।
"बापु जी आपकी सेवा करते करते हमारी हालत ख़राब हो गई थी रात को" मनीषा ने बात को आगे बढाते हुए कहा।
"क्यों क्या हुआ था बेटी?" अनिल ने अन्जान बनते हुए कहा।
"वो बापू जी आपको शांत करते करते हम गरम हो गये थे" मनीषा ने यह बात कहते हुए शर्म से अपना सर नीचे कर रखा था ।
"ओह इसका मतलब हमारी वजह से हमारी बेटी को तकलीफ उठानी पडी" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनने के बाद कहा।
"नही बापू इस में तकलीफ की क्या बात है वह तो हमारा फ़र्ज़ था" मनीषा ने कहा।
" वह तुम्हारा फ़र्ज़ था, तो क्या मेरा कुछ फ़र्ज़ नहीं बनता था की मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाता" अनिल ने गुस्से से कहा ।