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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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आप सभी को कमेंट के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 

Rakesh1999

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लगता है कहानी किसी को पसंद नहीं आ रही है।कोई रिप्लाई नहीं?
 

ShivaRam

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Rakesh1999

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अपडेट 61





"शीला तुम यहाँ क्या कर रही थी?" कंचन ने शीला को विजय के कमरे में देखकर हैंरानी से पूछा।
"दीदी मैं नरेश को देखने आई थी। मगर वह यहाँ नहीं है" शीला ने झूठ बोलते हुए कहा ।
"दीदी वह तो बाहर है आप भी जाओ खाना लग चूका है । मैं भैया को बुलाकर लाती हू" कंचन ने शीला को बताते हुए कहा । शीला कंचन की बात सुनकर बाहर जाने लगी और कंचन विजय के कमरे में दाखिल हो गयी, विजय शीला के साथ इतना सब कुछ करके बुहत गरम हो चुका था। कंचन को वहां देखते ही उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया।

"अरे भाई क्या हुआ छोड़ो मुझे । कोई आ जायेगा बाहर खाने पर सब हमारा इंतज़ार कर रहे है" कंचन ने विजय से छूटने की कोशिश करते हुए कहा।
"दीदी बस दो मिनट वरना मैं मर जाऊँगा" विजय ने कंचन के सलवार के नाडे को खोलते हुए कहा ।
कंचन ने आज सलवार कमीज पहन रखी थी नाड़ा खुलते ही कंचन की सलवार ज़मीन पर जा गिरी। कंचन कुछ समझ पाती इससे पहले विजय ने उसकी पेंटी को भी नीचे सरकाते हुए उसे नीचे झुका दिया और अपना अंडरवियर नीचे करते हुए अपने खडे लंड को सीधा अपनी बहन की चूत में घुसा दिया।

"ओहहहह भैया आज आपको क्या हो गया है आह्ह्ह्ह आराम से कोई आ जायेगा" कंचन अपनी चूत में विजय के लंड को अचानक घूसने और धक्के मारने से दर्द के मारे चिल्लाते हुए बोली।
"दीदी मुझे माफ़ कर दो मगर मैं बर्दाशत नहीं कर सकता" विजय वैसे ही ज़ोर से अपनी बहन की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए कहा ।


कंचन कुछ धक्कों के बाद ही गरम होकर अपने भाई का साथ देने लगी और अपने चूतडों को उसके लंड पर दबाने लगी । 25-30 धक्कों के बाद ही विजय ज़ोर से हाँफते हुए अपनी बहन की बुर में झरने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह आहह विजय का वीर्य अपनी चूत में गिरते ही कंचन भी चिल्लाते हुए झरने लगी । विजय का लंड पूरी तरह झरने के बाद सिकूड़कर कंचन की चूत से निकल गया और कंचन विजय से अलग होते हुए अपनी सलवार को पहनते हुए बाथरुम में घुस गई।
 

Rakesh1999

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भइया अब जल्दी करो । कोई आ जायेगा बाहर खाना लग चूका है" कंचन ने बाथरूम से निकलते हुए कहा।
"दीदी आप जाओ मैं अभी आया" विजय अपनी बहन की बात सुनकर बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा। कंचन अपने भाई की बात सुनकर कमरे से निकल गयी।।

"कंचन क्या हुआ इतनी देर लगा दी" रेखा जो कंचन को बुलाने आ रही थी उसने कंचन को देखकर कहा।
"माँ भैया नहा रहे थे अभी आ रहे है" कंचन ने अपनी माँ को देखकर कहा।
"बेटी क्या तुम एक्सरसइज़ कर रही थी?" रेखा ने कंचन को देखते हुए कहा।
"नही माँ क्यों?" कंचन ने हैंरान होते हुए कहा।
"अरे बेटी तुम इतना हांफ रही हो और तुम्हारा पूरा बदन भी पसीने से भीगा हुआ है इसीलिए पूछ रही हू" रेखा ने कंचन को टोकते हुए मुसकुराकर कहा।

"ओह माँ वो" कंचन को कुछ सूझ नहीं रहा था की वह क्या कहे।
"ठीक है बेटी तुम आ जाओ आजकल के बच्चे भी कोई टाइम ही नहीं देखते" रेखा ने मुसकुराकर जाते हुए कहा । कंचन अपनी माँ की बात को सुनकर खाने की टेबल की तरफ जाने लगी, कुछ ही देर में विजय भी आ गया और सब मिलकर खाना खाने लगे ।
खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में जाकर आराम करने लगे । रेखा और विजय बर्तन किचन में रखने लगे।
"बेटा में तैयार हो जाऊँ फिर डॉ के पास चलते हे" रेखा ने बर्तनों को किचन में रखने के बाद कहा।

"माँ ठीक है आप तैयार हो जाओ। मैं तब तक अपने कमरे में जा रहा हू" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा।
"क्यों बेटे एक बार में मन नहीं भरा जो फिर से अपनी दीदी के पास जा रहे हो" रेखा ने अपने बेटे को टोकते हुए कहा।
"क्या कहा माँ मैं समझा नही" विजय अपनी माँ की बात सुनकर हैंरान होते हुए बोला ।
"बेटा में कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ। कंचन तुम्हारे कमरे में इतनी देर तक क्या कर रही थी। मैं सब समझ सकती हू" रेखा ने मुस्कराते हुए कहा।
"माँ आप भी न । ठीक है मैं आपके कमरे में ही बैठ जाता हूँ" विजय अपनी माँ की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा और दोनों माँ बेटे कमरे में जाने लगे।
 

Rakesh1999

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अपडेट 62





विजय कमरे में अंदर दाखिल होने के बाद बेड पर जाकर बैठ गया । रेखा ने अलमारी से एक नयी साड़ी निकाली और उसे लेकर बाथरूम जाने लगी।
"माँ यह क्या बात हुयी आप मुझसे शर्मा रही हो" विजय ने अपनी माँ को बाथरूम की तरफ जाता हुआ देखकर कहा।
"नही बेटा ऐसी तो कोई बात नही" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर रुकते हुए कहा ।
"माँ आप वैसे यहीं पर चेंज करती हो और अभी आप साड़ी बाथरूम में ले जा रही हो" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"अरे बेटा वह तो इसीलिए कर रही हूँ की अगर इस वक्त कोई आ गया तो क्या सोचेंगा" रेखा ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा।
"माँ अगर यह बात है तो मैं अभी दरवाज़ा बंद कर देता हू" विजय फ़ौरन बेड से उठता हुआ दरवाज़े के पास आ गया और दरवाज़े को अंदर से बंद कर दिया।

"ओहहहह बेटा तुम भी" रेखा ने हार मानते हुए अपने कपडे वहीँ पर रख दिये और खुद बाथरूम में घुस गयी ।रेखा नहाने के बाद अपने जिस्म को पोछकर बाहर निकलने लगी, रेखा उस वक्त सिर्फ एक ब्रा और छोटी सी पेंटी में थी जो उसकी बड़ी चुचियों और मांसल चूतड़ो को ढकने में नाक़ाम हो रहे थे ।
"माँ आप इन कपड़ों में तो क़यामत ढा रही हो अगर इस हालत में आपको मेरी जगह कोई और देख ले तो वह आपको चोदे बिना नहीं रुकेगा" विजय ने अपनी माँ की आधि नंगी चुचियों और मांसल चूतडों में फँसी हुयी छोटी पेंटी को देखते हुए कहा । रेखा का दूध जैसे गोरा जिस्म नहाने के बाद बिलकुल शीशे की तरह चिकना नज़र आ रहा था।

"बेटे तुम भी नहीं छोडते अगर थोडी देर पहले अपनी बड़ी बहन को नहीं चोदा होता" रेखा ने भी सीधा सीधा अपने बेटे को कह दिया।
"माँ अगर आप इजाज़त दें तो मैं अब भी आपको चोद सकता हूँ क्योंकी मेरा लंड आपके जिस्म को देखकर जितना ज्यादा उत्तेजित होता है उतना कंचन को देखकर भी नहीं होता" विजय ने अपनी माँ की आँखों में देखते हुए कहा ।
"बेटे अब चुप करो । हमें डॉ के पास जाना है और इतना टाइम नहीं है की हम यह सब कर सके" रेखा ने पेटिकोट को पहनते हुए कहा।
"माँ में जानता हूँ नहीं तो आपको ऐसे देखकर मैं कहाँ रुकने वाला था" विजय ने ठण्डी आह भरते हुए कहा।
 
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Rakesh1999

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बेटा पता नहीं क्यों मुझे पेट में भी दर्द हो रहा है" रेखा ने पेटिकोट पहनने के बाद ब्लाउज को पहनते हुए कहा।
"माँ डॉ के पास तो चल रहे हैं। उसी से कोई दवाई ले लेना वेसे भी डॉ साहब लेडीस स्पेशल है" विजय ने अपनी माँ को देखते हुए मुसकुराकर कहा ।
"बेटे तुम सुधरोगे नहीं एक बात पूछो" रेखा ने अपने ब्लाउज को पहनने के बाद साड़ी को पहनते हुए कहा।
"हाँ पूछो माँ" विजय ने अपनी माँ को देखते हुए कहा।
"बेटे अगर वह डॉ तेरे सामने मुझसे कोई गलत हरकत करे तो तुम क्या करोगे" रेखा ने अपनी साड़ी को पहनने के बाद कहा।

"माँ यही तो मैं चाहता हूँ। मुझे तो यह देखकर बुहत मज़ा आयेगा" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटे तुम्हें अपनी माँ की कोई चिंता नहीं उसे कोई भी छेडे। तुम उसे कुछ नहीं कहोगे" रेखा ने नाराज़ होते हुए कहा।
"माँ ज़िंदगी मज़ा लेने के लिए है लड़ने के लिए नहीं जब तक आप उसकी हरक़तों से एन्जॉय करेंगी। मैं भी एन्जॉय करूंगा, अगर आपसे वह ज़ोर ज़बर्दस्ती करेगा तो साले के दाँत तोड़ दूंगा" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा ।

"बेटे मैंने भी तुम्हें एक बात नहीं बतायी जो मैं तुम्हें बताना चाहती हू" रेखा ने अपने बेटे को देखते हुए कहा।
"माँ जल्दी से बताओ ना" विजय ने उत्तेजित होते हुए कहा । रेखा ने रवि के साथ होने वाली घटना अपने बेटे को बता दी।
"माँ मेरा शक सही था। साला वह ठरकी डॉ है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा ।
"माँ एक काम करो साले उस डॉ को थोडी सी लिफ्ट दो देखते हैं वह कितना आगे बढ़ता है" विजय ने अपनी माँ को देखते हुए कहा।
"बेटे तुम क्या कह रहे हो" रेखा अपने बेटे की बात सुनकर उस ख़याल से ही गरम होते हुए कहा।
"माँ सही कह रहा हूँ साले ने बुहत औरतों को फंसाया होगा मगर हम उसे तडपाएंग़े" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।

"बेटा तुम्हारी मर्ज़ी। वह तो वैसे ही मुझे देखकर खुश हो जाता है अगर लिफ्ट दी तो वह हवा में उड़ने लगेंगा" रेखा ने हँसते हुए कहा।
"माँ साले को थोडा हवा में उड़ाते हैं मगर ऐसा न हो की आप ही बहक जाए" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटे मैं तो उसके छेड़ने में भी मज़ा लूँगी मगर मैं कोशिश करूंगी की मैं न बहकुं" रेखा ने हँसते हुए अपने बेटे से कहा ।
"ठीक है माँ फिर तो आज उस डॉ का मज़ा लेते है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा । रेखा ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने आप को तैयार करने लगी। कुछ ही देर में वह बिलकुल तैयार होगई और अपने बेटे के पास आ गयी।

"माँ आप कितनी सूंदर लग रही हैं । साला डॉ तो गया काम से" विजय अपनी माँ को इतना सजा संवरा देखकर हैंरान होते हुए बोला।
"चलें बेटा अब टाइम कम है" रेखा ने अपने बेटे से कहा और दोनों कमरे से निकलकर बाहर आ गये।
 
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Rakesh1999

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विजय ने बाहर निकलते ही एक रिक्शा वाले को बुला लिया और दोनों माँ बेटे रिक्शा में बैठकर डॉ रवि की क्लिनिक में जाने लगे।
"माँ मुझे भी एक बाइक ले के दो। डेली कॉलेज जाने में तकलीफ होती है और वह दुसरे काम काज में भी आएगी जैसे आज अगर अपनी बाइक होती तो हम उस पर चलते" विजय ने रास्ते में अपनी माँ से बाते करते हुए कहा ।
"हाँ बेटा तुम्हारी बात है तो सही देखती हूँ तुम्हारे पिता से बात करनी होगी" रेखा ने विजय की बात सुनकर कहा। रिक्शा ठीक डॉ रवि की क्लिनिक पर आकर रुक गया और दोनों माँ बेटे रिक्शा से उतर गए । विजय ने रिक्शा वाले को पैसे दिए और अपनी माँ के साथ क्लिनिक में अंदर दाखिल हो गये।

रेखा ने डॉ से फ़ोन पर पहले ही बात कर ली थी की वह आ रही है इसीलिए डॉ रवि वहीँ पर था। मगर उस दिन की तरह आज भी क्लिनिक बिलकुल खाली था।
"आइये भाभी क्या हाल है और बेटा विजय तुम्हारा क्या हाल है" अंदर दाखिल होते ही डॉ ने दोनों माँ बेटों का स्वागत करते हुए कहा ।
"हम ठीक हैं डॉ साहब मगर क्लिनिक क्यों बिलकुल खाली है" विजय ने अपनी माँ के साथ कुर्सी पर बैठते हुए हैरानी से कहा।
"अरे बेटा इस वक्त मैं यहाँ नहीं होता। वह तो भाभी ने फ़ोन पर कह दिया तो मैं रुक गया" डॉ रवि ने मुस्कराते हुए कहा।

"क्या लोगे आप दोनों" रवि ने दोनों माँ बेटों की तरफ देखते हुए कहा।
"मैं तो ठण्डा लूँगी बुहत गर्मी है आज" रेखा ने अपनी साड़ी के पल्लु को अपनी चुचियों से हटाते हुए उसे अपने चेहरे पर हवा मारते हुए कहा । ऐसा करने से रेखा की चुचियों का उपरी उभार नंगा होकत डॉ रवि की आँखों के सामने आ गया।रेखा ने रास्ते में अपनी चुचियों को थोडा ऊपर की तरफ कर दिया था, रवि रेखा की गोरी चुचियों के उभारों को देखता ही रह गया।

"मैं भी ठण्डा लूँगा डॉ साहब क्या देख रहे हो माँ की तरफ" विजय ने डॉ को अपनी माँ की चुचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
"कुछ नहीं बेटा बुहत गर्मी है । अभी ठण्डा मँगवाता हू" डॉ रवि विजय की बात सुनकर घबराते हुए बोले और अपने पिओन को बुलाते हुए ठण्डा मँगवा दिया।

"भाभी इंजेक्शन लगवानी है न?" डॉ रवि ने रेखा के ठण्डा पीने के बाद उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"ड्र साहब इंजेक्शन तो लगवानी है मगर मुझे पेट में भी दर्द है उसकी भी कोई दवाई चाहिये" रेखा ने एक अदा से अपने पेट को पकडते हुए अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से काटते हुए कहा ।
"भभी आइये आपका चेकअप कर लुँ। कहाँ पर दर्द है" डॉ रवि रेखा के इस अन्दाज़ से बिलकुल बौखला गया और वह अपने गले में थूक को गटकते हुए बोला, रवि का लंड उसकी पेण्ट में अभी से उछलकूद मचाने लगा था । रेखा कुर्सी से उठकर सीधा जाकर पेशेंट टेबल पर लेट गई।
 

Rakesh1999

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अपडेट 63




डॉ भी कुरसी से उठते हुए रेखा के क़रीब पुहंच गया और परदे को खीच कर नीचे कर दिया । परदे के नीचे होते ही विजय को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। इसीलिए वह मन ही मन में डॉ रवि को गाली दे रहा था।
"भाभी जी आप अब आराम से बताइये की तकलीफ कहाँ है" रवि ने पर्दा नीचे करने के बाद रेखा को देखते हुए कहा।
"ड्र साहब अब क्या बाताऊँ दर्द तो पूरे पेट में है" रेखा ने डॉ की बात सुनकर अपनी साड़ी के पल्लु को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा ।

साडी का पल्लु हटते ही रेखा का गोरा चिकना पेट डॉ रवि की आँखों के सामने आ गया जिसे देखते ही रवि का लंड बुहत ज़ोर से उसके अंडरवियर में उछल कूद मचाने लगा।
"ओहहहहह डॉ साहब क्या देख रहे हैं आइये देखिए न दर्द क्यों हो रहा है" रेखा ने रवि को घूरता हुआ देखकर अपने हाथ से अपने गोरे चिकने पेट को सहलाते हुए सिसकार कर कहा।
"हाँ भाभी जी आप बताइये न ज्यादा दर्द कहाँ है" रवि रेखा की बात सुनकर उसके क़रीब जाकर उसके गोरे चिकने पेट को यों ही घूरते हुए अपनी थूक को गटकते हुए कहा ।

रेखा सोयी हुयी थी और उसका पल्लु भी नीचे गिरा हुआ था जिस वजह से रवि को उसकी आधी चुचियां साफ़ नज़र आ रही थी।
"डॉ साहब वह वहां पर ज्यादा दर्द है" रेखा ने रवि की बात सुनकर अपनी ऊँगली को अपने नवल के नीचे की तरफ इशारा करते हुए कहा ।
"कहाँ भाभी जी ज़रा ठीक तरीके से बताइये" रवि रेखा की बात सुनकर उत्तेजित होते हुए बोला।
"आहहह डॉ साहब आप अपने हाथ को मेरे पेट पर रखिये ताकी मैं आपको बता सकुं की कहाँ ज्यादा दर्द है" रेखा ने डॉ की बात सुनकर सिसकते हुए कहा।

विजय वहां बैठे बैठे बोर हो रहा था ।।उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । विजय अंदर का हाल जानने के लिए बुहत उत्तेजित हो रहा था वह जानना चाहता था की अंदर क्या हो रहा है, अचानक विजय को एक आईडिया आया और वह कुर्सी से उठकर परदे के एक कोने में जाकर खडा हो गया और परदे को थोडा सा हटाकर अंदर देखने लगा ।

रवि रेखा की बात सुनकर अपना हाथ आगे बढाकर रेखा के पेट की तरफ ले जाने लगा । डॉ रवि का हाथ रेखा के पेट की तरफ जाते हुए बुहत ज़ोर से कांप रहा था।
 

Rakesh1999

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"भाभी जी अब बताइये कहाँ दर्द है" डॉ रवि ने काँपते काँपते अपना हाथ रेखा के चिकने पेट पर उसके नॉवेल के ऊपर रखते हुए कहा ।
रवि ने अपना हाथ जैसे ही रेखा के गोर चिकने पेट पर रखा। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका हाथ किसी नरम चीज़ पर रख दिया गया हो । रवि ने आज तक जाने कितनी औरतों का चेकअप किया था मगर उसने आज तक इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद इतना टाइट जिस्म नही देखा था जैसे रेखा का था।

"आह्ह्ह्ह डॉ साहब थोडा और नीचे" रेखा ने डॉ का सख्त हाथ अपने नरम पेट पर पडते ही सिसकते हुए कहा।
"भाभी जी मैं अपना हाथ नीचे करता हूँ। जब मेरा हाथ आपकी दर्द वाली जगह पुहंचे तो मुझे बता देना" रवि ने रेखा की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा । रवि की हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी उसका पूरा जिस्म पसीने में भीग चूका था और उसका लुंड उसकी पेण्ट में ही बुहत बड़ा तम्बू बनकर ऊपर नीचे हो रहा था ।

रवि अपने हाथ को आराम से नीचे करने लगा । विजय का हाथ रेखा के नावेल के नीचे उसकी चूत के थोडा ऊपर तक पुहंच चूका था और रवि अपना हाथ बगेर रोके नीचे करता जा रहा था।
"ओहहहहह डॉ साहब बस और नीचे नहीं यहीं पर दर्द है" रेखा ने अचानक अपने हाथ से डॉ रवि के हाथ को पकडते हुए चिल्लाकर कहा ।
रवि का हाथ अब रेखा की चूत के बिलकुल क़रीब था । विजय परदे के पीछे से यह सब देखकर बुहत उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड भी उसकी पेण्ट में तनकर झटके मार रहा था।
"भाभी जी यहीं पर दर्द है न अभी ठीक कर देता हूँ बस एक दवाई से थोडी मालिश करनी पडेगी" डॉ रवि ने अपने हाथ से रेखा की उस जगह को अपने हाथ से मालिश करते हुए कहा।

"ओहहहह डॉ साहब जल्दी से कुछ कीजिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही सिसकते हुए कहा।
"भाभी जी आप फिकर मत कीजिये मैं अभी दवाई लाता हू" रवि ने अपना हाथ रेखा के पेट से हटाते हुए कहा । विजय समझ गया की डॉ दवाई लेने ज़रूर बाहर आएगा। इसीलिए वह जल्दी से जाकर कुर्सी पर बैठ गया ।
"बेटे तुम्हारी मम्मी को पेट में दर्द है इसीलिए उसकी दवाई से मालिश करनी होगी। तब तक तुम भले बाहर घूम कर आओ" रवि ने अपने टेबल के खाने से एक दवाई निकालते हुए कहा।
"नही डॉ साहब आप मम्मी का सही तरीके से इलाज कीजिये मैं यहीं पर बैठा हूँ आप मेरी चिंता मत करो" विजय ने डॉ रवि की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरारकर कहा।
 
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