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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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आप सभी को कमेंट के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 

Rakesh1999

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Agla update kal sham ko.thanks
 

tpk

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good one
 

Rakesh1999

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Thanks.update thodi hi der me.
 

Rakesh1999

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अपडेट 66





रेखा अपने बेटे के साथ रिक्शा में बैठकर घर आ गयी थी । रेखा जैसे ही अपने कमरे में दाखिल हुयी विजय ने जल्दी से अपनी माँ को पीछे से पकडकर अपना खडा लंड उसके चूतड़ों में दबाने लगा।
"अरे क्या हुआ बेटे छोड़ो न मुझे" रेखा ने अपने बेटे की इस हरकत से हैंरान होकर खुद को उससे छुड़ाते हुए कहा।
"माँ आपको छोड दिया तो मेरे लंड को कौन शांत करेंगा" विजय ने वैसे ही अपनी माँ को पकडे हुए अपना मूह उसके काँधे पर रखकर उसे चूमते हुए कहा ।

"आजहहह बेटे छोड़ो मुझे इस वक्त यह सब ठीक नहीं और तुम्हारे पिता भी आने वाले होंगे" रेखा अपने बेटे की हरक़तों से सिसकते हुए बोली।
"माँ आ जाने दो उन्हें । वह भी तो देखे के उसका बेटा अपनी माँ से कितना प्यार करता है" विजय ने अपना हाथ रेखा के पेट से ऊपर करते हुए उसकी चुचियों को पकडकर दबाते हुए कहा।
"बेटा तुम भी न छोड़ो मुझे" रेखा गरम तो बुहत थी। मगर वह डर रही थी की कहीं उसका पति न आ जाये इसीलिए वह अपने बेटे को रोक रही थी ।

"माँ आज तो मैं नहीं मानने वाला" विजय ने यह कहते हुए रेखा की साड़ी को खीचकर उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसे सीधा करते हुए अपने हाथों से उसके पेटिकोट और ब्लाउज को भी उसके जिस्म से हटा दिया।
"ओहहहह बेटे दरवाज़ा तो बंद करो" रेखा के मूह से सिर्फ इतना ही निकला । अगले पल विजय के होंठ रेखा के होंठो पर थे । विजय अपनी माँ के होंठो को बुरी तरह चूसते हुए अपने हाथों से उसकी बड़ी चुचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा ।

रेखा गरम तो पहले से ही थी । अपने बेटे के होंठो से अपने होंठो को चूसने से वह उत्तेजित होते हुए अपने हाथ से अपने बेटे की पेण्ट को खोलकर नीचे सरका दिया और विजय के खडे लंड को उसके अंडरवियर के ऊपर से ही पकडकर सहलाने लगी ।
विजय कुछ देर तक अपनी माँ के होंठो को जी भरकर चूसने के बाद उससे अलग होते हुए अपनी पेण्ट को निकालकर बेड पर फ़ेंक दिया और अपने अंडरवियर को भी खींचकर अपनी टांगों से निकाल दिया।
"बेटे तुम मानने वाले नहीं मगर कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लो । कोई आ गया तो गज़ब हो जायेगा" रेखा ने अपने बेटे के नंगे खडे लंड को जो पूरी तरह तनकर झटके मार रहा था उसे घूरते हुए बोली।
 

Rakesh1999

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माँ कोई नहीं आएगा आप डरो मत" विजय इतना कहकर अपनी माँ की ब्रा को अपने हाथों से पकडते हुए ज़ोर से खीँच लिया । विजय के ऐसा करने से रेखा की ब्रा उसकी बड़ी बड़ी चुचियों से निकलकर विजय के हाथों में आ गयी।
"आह्ह्ह्ह बेटे तुमने मेरी ब्रा को फाड दिया" रेखा ने अपनी ब्रा के फ़टते ही विजय की तरफ देखते हुए कहा।।

विजय अपनी माँ की बात सुने बगैर ही उसकी चुचियों पर टूट पड़ा और अपनी माँ की दोनों चुचियों को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ने चाटने और काटने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटे आराम से ओह्ह्ह्हह क्या कर रहे हो" रेखा के मूह से बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकल रही थी।
विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चुचियों से खेलने के बाद अपना मूह नीचे करते हुए उसकी पेंटी तक आ गया । रेखा की पेंटी उसकी चूत से निकले हुए पानी से बुरी तरह गीली हो चुकी थी, विजय अपनी माँ की चूत को उसकी गीली पेंटी के ऊपर से ही अपनी जीभ से चाटने लगा।

विजय कुछ देर तक अपनी जीभ को अपनी माँ की पेंटी के ऊपर फिराने के बाद उसकी पेंटी को अपने दोनों हाथों से खीचकर उसकी टांगों से अलग कर दिया । विजय पेंटी के उतरने के बाद अपनी माँ की फूली हुयी चूत को घूरते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत के बड़े दाने पर रख दिया।
"आह्ह्ह्ह बेटे" रेखा अपने बेटे की जीभ को अपनी चूत के दाने पर लगते ही सिसक उठी और वह अपने बेटे के बालों में अपने हाथों को डालकर उसे अपनी चूत पर दबाने लगी ।

विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चूत के दाने को चाटने के बाद सीधा होते हुए अपनी माँ के होंठो को चूसने लगा । रेखा ने अचानक अपने बेटे के होंठो से अपने मुँह को अलग करते हुए नीचे झुकते हुए अपने बेटे के लंड को पकड लिया और उसे अपने हाथ सहलाते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाडे पर फिराने लगी ।
रेखा ने अपने बेटे के लंड को अपनी जीभ से चाटते हुए अपना मुँह खोलकर उसके सुपाडे को अपने मूह में भर लिया और अपने होंठो और जीभ से अपने बेटे के लंड को चूसने लगी।
"अअअअआह माँ" विजय अपनी माँ के ऐसे करने से मज़े से हवा में उड़ रहा था।
 

Rakesh1999

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विजय कुछ देर तक अपने लंड को अपनी माँ से चुसवाने के बाद उसे अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर उल्टा लिटा दिया और अपना खडा लंड पीछे से अपनी माँ की गीली चूत में पेल दिया । विजय को अपनी माँ की गरम चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए बुहत ज्यादा मजा आ रहा था । इसीलिए वह अपनी माँ की चुत में अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपनी माँ के चूतडों पर थप्पड मार रहा था ।

रेखा भी बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी इसीलिए वह भी अपने बेटे से चुदवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसककर अपने चूतडो को पीछे की तरफ ढकेल रही थी । विजय तूफ़ान की रफ़्तार के साथ अपनी माँ को चोद रहा था।
"आजहहहह बेटे ओह्ह्ह्हह शहहहहः" कुछ ही देर में रेखा बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए झरने लगी और वह पूरी तरह झरने के बाद बेड पर उल्टा ही नीचे गिरकर लेट गयी ।

रेखा के नीचे गिरते ही विजय भी अपनी माँ के ऊपर गिर गया। मगर उसका लंड अब भी उसकी माँ की चूत में था इसीलिए वह अपने दोनों हाथों से सहारा लेकर थोडा ऊपर होते हुए इसी पोजीशन में अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बेटे ओहहहह थोडी देर भी नहीं रुक सकते" रेखा अचानक अपनी चूत में अपने बेटे के लंड को अंदर बाहर होने से चिल्लाते हुए बोली । विजय कुछ देर तक अपनी माँ को इसी पोजीशन में चोदने के बाद अपना लंड उसकी चूत से निकाल दिया और अपनी माँ को कमर से पकडते हुए सीधा कर दिया।

विजय ने अपनी माँ के सीधा होते ही उसकी टांगों को अपने काँधे पर रखते हुए अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और बुहत तेजी के साथ उसे चोदने लगा ।रेखा कुछ ही देर में फिर से गरम होगई और अपनी टांगों को अपने बेटे की कमर में डालकर अपने चूतडों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी ।
"आआह्ह्ह्ह माँ आप जैसी छिनाल औरत आज तक नहीं देखी बुहत गरम है तु" विजय ने अपनी माँ को तेज़ी के साथ छोड़ते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह बेटे मैंने भी तुम्हारे जैसे हरामी बेटा आज तक नहीं देखा । साले अपनी माँ को किसी दुसरे मरद के साथ देखकर मज़े लेते हो" रेखा ने वैसे ही अपने चूतडों को अपने बेटे के लंड की तरफ धकेलते हुए चिल्लाते हुए कहने लगी।
 

Rakesh1999

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"साली रंडी इसका मतलब तुम जानती थी की मैं तुम्हें ठरकी डॉ के साथ देख रहा हू" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर एक्साईटमेंट में अपना लंड और तेज़ी के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करते हुए कहा।
"ओहहहह बेटा मैंने भी ऐसे ही सारी उम्र नहीं बितायी तुम्हारी एक्साईटमेंट देखकर ही मैं समझ गयी थी की तुमने वहां पर सब कुछ देखा है" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा ।
"ओहहहहह माँ सच में मुझे आपको उस ठरकी डॉ के साथ देखकर बुहत मजा आ रहा था । क्या आप भी सच में उससे चुदवाना चाहती हो" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर वैसे ही अपनी माँ को चोदते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह बेटे बुहत कमीने हो तुम। डॉ की बात करते हुए तुम्हारा लंड कैसे फूलकर झटके मार रहा है जब तुम मुझे उसके साथ चुदते हुए देखोगे तो तुम्हारी क्या हालत होगी" रेखा ने जानबूझकर अपने बेटे को ज्यादा उत्तेजित करते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह माँ क्या बाताऊँ वह पल मेरी ज़िंदगी का सब से शानदार पल होगा" विजय इतना कहकर अपनी माँ की टांगों को पकडते हुए उसके पेट पर रखकर बुहत ज़ोर से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।

"आआह्ह्ह्ह माँ ओहहहह मैं आ रहा हूँ" विजय बुहत ज़ोर से अपनी की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए झरने लगा।
"ओहहहहहह बेटे तुम्हारा लंड झरते हुए तो और ज्यादा बड़ा और मोटा हो जाता है । आआह्ह्ह्ह मैं तुम्हें एक्साइटेड करने के लिए ही उस डॉ का नाम लिया था" रेखा भी अपने बेटे के झरने से सिसकते हुए झरने लगी ।
विजय झरने के बाद निढाल होकर अपनी माँ के ऊपर गिर गया।
"बेटे अब उठो कहीं कोई आ गया तो" रेखा ने अपने बेटे को अपने ऊपर से उठाते हुए कहा । रेखा ने जैसे ही अपने बेटे को अपने ऊपर से हटाकर उठाने की कोशिश की उसके होश ही उड़ गए सामने दरवाज़ा खुला हुआ था और इतनी देर से रेखा को उसके बेटे के साथ चुदते हुए कोई देख रहा था, रेखा की नज़र जैसे ही सामने गयी उसने जल्दी से बेड पर पडी हुयी चादर को उठाकर अपने नंगे जिस्म को ढ़क लिया ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 67




हुम्म्म्म तो यहाँ पर माँ बेटे दुनिया से बेखबर मज़े लूट रहे है" मनीषा ने अंदर आते हुए कहा।
"मामी आप यहाँ पर क्या कर रही हो" विजय मनीषा को देखकर बिलकुल नहीं डरा था । वह बेड से उठते हुए नंगा ही सीधा खडा होते हुए बोला ।
"वाह भाई बेशरमी तो देखो अपनी माँ के साथ मज़े करने के बाद ऐसा नंगा होकर खडा है जैसे कोई अवार्ड जीत लिया हो" मनीषा ने विजय के लंड को घूरते हुए उसे टोककर कहा।
"मामी आप क्यों जल रही हो कहो तो आपकी भी प्यास बुझा दूँ" विजय वैसे ही नंगा अपनी मामी के पास आकर बोला।

"भान्जे अपनी औक़ात में रहो में तुम्हारी मम्मी की तरह नहीं हूँ जहाँ लंड देखा वहीँ गिर गई" मनीषा ने गुस्से से विजय को डाँटते हुए कहा।
"तो कैसी हैं आप मामी" विजय ने अपनी मामी को देखते हुए उसके हाथ को पकडकर सहलाते हुए कहा।
"भान्जे मेरे हाथ को छोड़ो" मनीषा ने गुस्सा करते हुए कहा।
"अरे वाह मामी तो नाराज़ हो गई अच्छा ज़रा मेरे लंड को छुकर देख लो शायद आपको वह अच्छा लग जाए" विजय ने अपनी मामी का हाथ अपने मुरझाये हुए लंड पर रखते हुए कहा ।

"भान्जे तुम मुझे ऐसी वैसी औरत मत समझो" मनीषा ने अपना हाथ जल्दी से अपने भांजे के लंड से हटाते हुए कहा । मनीषा का पूरा जिस्म अपने भान्जे के लंड को छुने से सिहर उठा था । मनीषा विजय का हाथ दूर झटकने के बाद गुस्से से वहां से जाने लगी ।
"मामी आप हमारे बारे में पिताजी को बताने का तो नहीं सोच रही हो" विजय ने अपनी मामी को वहां से जाता हुआ देखकर कहा।
"मेरी मर्ज़ी बता दूंगी तुम क्या करोगे" मनीषा ने विजय की बात सुनते हुए गुस्सा होकर कहा।

"मामी भला मैं क्या कर सकता हूँ बस मुझे तो इतना पता है के नरेश भैया और आप" विजय मनीषा के पीछे जाते हुए उसे पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए कहा।
"नरेश और मैं क्या कह रहे हो तुम" मनीषा जो विजय के हाथ को बर्दाशत नहीं कर पा रही थी उसकी बात सुनकर बिलकुल शांत होते हुए बोली ।
"छोड़ो न मामी इन बातों को बस चुपचाप मज़े लो" विजय ने अपने हाथों से अपनी मामी की चुचियों को पकडकर दबाते हुए कहा।
"भान्जे मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी । अब प्लीज मुझे छोड दो" मनीषा ने अपने भांजे के हाथ अपनी चुचियों पर पड़ने से सिसकते हुए कहा।
 
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