• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
रेखा ने डॉ के जाने के बाद अपने पेटिकोट को खीचकर थोडा नीचे कर दिया था ताकी डॉ रवि को उसकी काली झाँटों का दीदार हो सके । रवि भी जानता था की यह औरत बुहत ही सेक्सी है और उसको कोई दर्द नहीं है वह सिर्फ मज़ा लेने के लिए ऐसा कर रही है ।
"भाभी यह आयल है मैं अभी इससे आपके पेट की मालिश कर देता हू" डॉ रवि ने वापस अंदर जाते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ डॉ साहब जल्दी से मालिश करिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही दर्द का नाटक करते हुए कहा।

रवि ने उस बोतल में से थोडा आयल निकालकर अपने हाथ पर मलते हुए उसे रेखा के पेट पर नावेल के नीचे मालिश करने लगा । रेखा की काली झाँटों को देखकर रवि का लंड बुहत ज़ोर से झटके खाने लगा, रवि भी मालिश करते हुए अपना हाथ जानबूझकर रेखा की चूत तक ले जाना लगा और अपने हाथ से रेखा की काली झाँटों को भी तेल से मालिश करने लगा ।
रेखा मालिश कराते हुए बुहत ज़ोर से सिसक रही थी। रेखा डॉ रवि के हाथ को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गई थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था । विजय भी अपनी माँ की हालत देखकर बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गया था।

"आह्ह्ह्ह डॉ साहब आपकी दवाई तो बुहत अच्छी है मेरा दर्द अभी से ही कम हो गया है । आप ऐसा करो इससे मेरी पीठ की भी मालिश कर दो वहां पर भी बुहत दर्द है" रेखा ने डॉ रवि से मज़े के मारे सिसकते हुए कहा।
"हाँ भाभी जी अभी कर देता हूँ आप उलटी हो जाइये" डॉ रवि ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा क्योंकी उसे अब रेखा के चिकने पीठ और मांसल चूतड़ों को बुहत नज़दीक से देखने का मोका मिल रहा था ।
"डॉ साहब मैं अपनी साड़ी उतार देती हूँ । कहीं यह गन्दी न हो जाए" रेखा डॉ की बात सुनकर उठकर सीधा खडी हो गई और डॉ रवि के सीधे सामने खडी होकर अपनी साड़ी को उतारते हुए वहीँ पर रख दिया । रेखा की साड़ी के उतरते ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियों और उसके मांसल चूतडों को इतना नज़दीक से देखकर डॉ की आँखें फटी की फटी रह गयी।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
भाभी जी आप कितनी सूंदर हैं इतनी उम्र होने के बावजूद भी आपका जिस्म कितना टाइट है। आपके पति तो शायद दुनिया के ख़ुशनसीब मरद होंगे" डॉ रवि रेखा के गठीले जिस्म को देखकर उसकी तारीफ किये बिना नहीं रुक सका।
"डॉ जी आप शादी क्यों नहीं करते" रेखा ने डॉ विजय को देखते हुए कहा ।
"क्या करुं भाभी जी आपके जैसी मिल नहीं रही है" रवि ने रेखा की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"डॉ साहब क्यों मज़ाक कर रहे हैं आप जैसे ख़ूबसूरत लड़के के पीछे तो ढेर सारी लड़कियां होंगी बेवजह क्यों इस बेचारे को तडपा रहे हो" रेखा ने इस बार सीधा डॉ रवि के लंड को उसकी पेण्ट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह भाभी सही कह रहा हूँ । मुझे आप जैसी ही लड़की चहिये" रवि ने रेखा के हाथ से अपने लंड को दबने से सिसकते हुए कहा।
"डॉ जी अगर मेरी शादी नहीं हुयी होती तो मैं ज़रूर आपसे शादी कर लेती मगर मेरी किस्मत खराब । तुम मुझे मेरी शादी के कितने सालों बाद मिले हो" रेखा ने रवि की आँखों में देखते हुए मुस्कूराते हुए कहा ।
"भाभी आपको ऐसा क्या दिख गया मुझ में जो आप मुझसे शादी कर लेती?" विजय ने रेखा की बात सुनकर मुस्कराते हुए उससे पूछा।
"डॉ जी आपको पता नहीं है औरत को किस चीज़ की ज़रुरत होती है और आपकी वह चीज़ तो बुहत बढिया है" रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को निकालकर अपने होंठो पर फिराते हुए कहा।

"भाभी जी हम अगर शादी नहीं कर सकते तो क्या हुआ मगर हम शादी के बगैर भी तो कुछ कर सकते हैं" रवि ने इस बार हिम्मत करते हुए रेखा को उसकी नंगी कमर से पकडते हुए अपने आप से बिलकुल सटा कर खडा कर दिया । रेखा रवि से इतना सटकर खडी थी की उन दोनों की साँसें एक दुसरे को महसूस हो रही थी और रेखा की साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे होने के कारण उसकी चुचियाँ भी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी,
"क्यों भाभी जी क्या ख़याल है" रवि ने रेखा को चुप खडा देखकर आगे बढकर रेखा की दोनों बड़ी चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकडकर ज़ोर से दबाते हुए कहा।
"नही यह सब ठीक नहीं है" अचानक रेखा ने रवि के दोनों हाथों को अपनी चुचियों से दूर झटक दिया और खुद उससे थोडा दूर होकर खडी हो गई ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
अपडेट 64





भाभी जी आपकी मर्ज़ी । मगर मेरे ख्याल में इसमें कोई बुराई नहीं है आपका जिस्म बुहत सेक्सी है और आपको इसे पूरा मज़ा देना चाहिये" रवि ने रेखा को समझाते हुए कहा।
"आप मुझे इंजेक्शन लगाईये बुहत देर हो चुकी है" रेखा ने टेबल पर बेठते हुए कहा ।
"भाभी आपकी मर्ज़ी मगर आप एक बार मेरे इस इंजेक्शन को भी देख लिजीये। मैं आपसे कोई ज़बर्दस्ती नहीं कर सकता मगर जब आपका दिल हो मैं आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जाऊँगा" डॉ रवि ने अपनी पेण्ट की ज़िप को खोलते हुए अपने अंडरवियर से अपना लंड निकालकर रेखा को दिखाते हुए कहा।

"डॉ जी आप इसे अंदर कर दिजिये यह सही नहीं है" रेखा रवि के 9 इंच लम्बे और बुहत मोटे गोरे लंड को देखकर ज़ोर की साँसें लेते हुए बोली।
"भाभी मैंने कहा न आपकी मर्ज़ी के बिना मैं कुछ नहीं करूंगा। आप इसे जी भरकर देख लो" रवि ने रेखा की बात सुनकर उसके क़रीब जाते हुए कहा ।
"डॉ जी आपका बुहत बड़ा और मोटा है प्लीज अब इसे अंदर करो। मुझे कुछ हो रहा है" रेखा ने रवि के लंड को घूरते हुए तेज़ साँसें लेते हुए कहा।
"अरे भाभी हम कुछ नहीं कर रहे हैं आप घबरा क्यों रही है आप इसे अपने हाथ से छु कर क्यों नही देखती" डॉ रवि ने अचानक रेखा का हाथ पकडते हुए अपने लंड पर रख दिया।

"डॉ जी मेरे हाथ को क्यों वहां रख दिया। छोड़ो मेरे हाथ को ओहहहह यह बुहत गरम है" रेखा ने अपना हाथ रवि के लंड पर पडते ही अपने हाथ को वहां से हटाने की कोशिश करते हुए कहा।
"भाभी आप इतना क्यों डर रही हो आप इसे अच्छी तरह से महसूस करके देखिये" रवि ने अपने हाथ से रेखा के हाथ को पकडे हुए ही अपने लंड पर आगे पीछे करते हुए कहा ।

रेखा की हालत बुहत खराब हो चुकी थी उसकी चूत पानी टपका रही थी । रेखा का हाथ अब अपने आप डॉ रवि के लंड पर आगे पीछे होने लगा था, रवि ने रेखा के हाथ को अपने लंड पर आगे पीछे होता हुआ देखकर अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर से हटा दिया ।
विजय जो फिर से परदे के पीछे से अंदर की तरफ देख रहा था वह अपनी माँ की यह हालत देखकर हैंरान रह गया । वह जानता था की रेखा डॉ को तडपाने की बजाये खुद तडप रही है । रेखा का हाथ डॉ के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ ऊपर नीचे हो रहा था और वह ऐसा करते हुए बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
डॉ रवि ने रेखा को गरम होता देखकर अपने दोनों हाथों से उसके सर को पकडते हुए अपने होंठो को रेखा के सुर्खी से लाल तपते होंठो पर रख दिये । रवि अपने होंठो से रेखा के दोनों गरम होंठो को बारी बारी चूसने लगा, रेखा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे। उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चूका था ।
रेखा का एक हाथ वैसे ही रवि के लंड पर आगे पीछे हो रहा था और वह अपने दुसरे हाथ से रवि को अपने आपसे दूर करने की नाक़ाम कोशिश कर रही थी।
"भाभी जी आपके होंठ कितने मीठे है" रवि ने कुछ देर तक रेखा के दोनों होंठो को चूसने के बाद अपनी साँसें फूलने की वजह से अपने होंठो को रेखा के होठो से जुदा करते हुए कहा । रेखा के होंठो की सुर्खी उसके होंठो और गालों पर बिखर चुकी थी और वह ज़ोर से हांफ रही थी।

"डॉ जी आप बुहत गंदे हैं मुझसे दूर हटिये" रेखा ने ज़ोर से हाँफते हुए रवि की तरफ देखते हुए कहा।
"क्यों भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?" रवि ने अपने होंठो को रेखा के मूह के क़रीब करते हुए कहा। रेखा ने जैसे ही रवि की साँसों को अपने मूह के क़रीब महसूस किया उत्तेजना के मारे उसने अपने होंठो को आगे करते हुए रवि के होंठो पर रख दिया और रवि को अपने ऊपर गिराते हुए खुद उसके होंठो को ज़ोर से चूसने लगी ।

रेखा रवि के उसके ऊपर गिरने से सीधा लेट गयी थी और रवि भी सीधा उसके ऊपर आ गया था ।जिस वजह से रेखा की चुचियां रवि के सीने में दब गयी थी और उसका फनफनाता हुआ लंड सीधा रेखा की चूत के ऊपर झटके मार रहा था ।
रवि ने रेखा को इतना गरम देखकर अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया । रेखा भी बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो चुकी थी इसीलिए उसने अपने टांगों को थोडा सा फ़ैला दिया और रवि की जीभ को चाटने लगी, रवि अब रेखा के टांगों के बीच हो गया था इसीलिए उसका लंड सीधा पेटिकोट के ऊपर से ही रेखा की चूत में दब रहा था।

रेखा की चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था। इसीलिए वह एक्साईटमेंट में आकर अपने चूतड़ो को उछाल कर रवि के लंड को अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी । रवि ने अब अपनी जीभ को रेखा के मूह से निकालते हुए उसकी जीभ को पकडते हुए अपने मूह में भर लिया ।
विजय अपनी माँ की यह हालत देखकर खुद भी गरम होते हुए अपने लंड को अपनी पेण्ट से निकालकर सहला रहा था ।अचानक रेखा के चूतड़ ज़ोर से उछलने लगे और वह कुछ ही देर में चूतड़ उछालते हुए अपने दांतों से रवि के नीचे वाले होंठ को अपने मूह में लेकर काटते हुए शांत हो गयी।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
डॉ रवि समझ गया की रेखा झड चुकी है उसने अपने मुँह को रेखा के होंठो से उठाते हुए थोडा नीचे झुकते हुए उसके ब्लाउज के ऊपर निकली हुयी चुचियों पर रख दिया और वह रेखा की चुचियों के उपरी नरम हिस्से को चूसने और चाटने लगा।
"क्या कर रहे हो डॉ साहब। मैं यह सब नहीं कर सकती" रेखा थोडी देर शांत रहने के बाद अचानक रवि पकडकर अपने ऊपर से उठाते हुए बोली ।
"क्या हुआ भाभी थोडी देर पहले तो आप मजा लेकर सब कुछ करवा रही थी?" रवि ने सीधा खडा होते हुए हैंरानी से रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ मैं थोडी देर के लिए बहक गयी थी जल्दी से इंजेक्शन लगाओ मैं जाना चाहती हू" रेखा ने अपनी साड़ी को वापस पहनते हुए कहा।

विजय समझ गया की उसकी माँ झडने के बाद अपने आपको संभाल चुकी है इसीलिए वह भी अपने लंड को वापस अपनी पेण्ट में ड़ालने लगा।
"ठीक है भाभी जैसे आपकी मर्ज़ी मैं अभी इंजेक्शन लाया" रवि इतना कहकर अपने लंड को वापस अपनी पेण्ट में डालकर ज़िप को बंद करते हुए वापस अपनी टेबल की तरफ बढ़ने लगा । विजय रवि को बाहर की तरफ आता हुआ देखकर दौडता हुआ वापस कुर्सी पर बैठ गया ।
"बेटे बस अभी इंजेक्शन लगा देता हुँ फिर आप अपनी माँ को ले जा सकते हो" रवि ने इंजेक्शन उठाते हुए विजय से कहा और वापस अंदर चला गया । रेखा डॉ को देखकर उलटी होकर वहीँ पर लेट गई।
"भाभी मैं समझ सकता हूँ की यहाँ पर आपको मेरे साथ सब कुछ करने में परेशानी हो रही है। मैं आपको अपना कार्ड दे देता हूँ जब भी मेरी ज़रुरत हो बस मुझे कॉल कर देना । मैं आपके घर पर हाज़िर हो जाऊँगा" रवि ने रेखा की साड़ी को ऊपर खींचते हुए उसके पेटिकोट के ऊपर से ही इंजेक्शन को लगाते हुए कहा।

"उई डॉ जी आज इंजेक्शन से इतना दर्द क्यों हो रहा है" रेखा ने इंजेक्शन लगने से चिल्लाते हुए कहा।
"भाभी जी थोडी देर में ही आपका दर्द ख़तम हो जायेगा" डॉ रवि ने इंजेक्शन लगाने के बाद अपने हाथ से रेखा के मांसल चूतड़ो को सहलाते हुए कहा ।
"भाभी एक बात तो माननी पड़ेगी। इतनी उम्र होने पर भी आपने अपने फिगर को बुहत ज्यादा मेन्टेन रखा है" रवि ने अपने हाथ से रेखा के चूतडों को सहलाते हुए उसके दोनों चूतडों के बीच ड़ालते हुए बोला।
"डॉ साहब आपका कोई जवाब नहीं आप ने तो औरतों को पटाने में भी डिग्री हासील कर रखी है" रेखा ने रवि की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
भाभी मैं सच कह रहा हूँ आपका जिस्म बुहत ज्यादा कसा हुआ है । इस उम्र में ज्यादा औरतों का जिस्म ढीला पड जाता है" डॉ रवि ने इस बार अपनी एक ऊँगली को बुहत ज़ोर से दबा कर रेखा के चूतड के बीच ड़ालते हुए कहा।
"ठीक है अब रहने दिजिये। आजके लिए इतना काफी है" रेखा ने जल्दी से सीधा होते हुए कहा ।
"भाभी फिर कब मोका मिलेगा आपकी ख़िदमत करने का" डॉ रवि ने अपने हाथों से रेखा की कमर को पकडते हुए अपने पास खींचकर कहा।
"बुहत जल्द लेकिन अब छोड़ो" रेखा ने रवि के होंठो पर एक चुम्बन देते हुए उसका हाथ अपनी कमर से निकालते हुए कहा।

"भाभी कम से कम इन्हें तो दिखा दिजिये ताकी मैं इन्हें याद करके ही अपना काम करता रहूं" रवि ने रेखा की दोनों चुचियों को अपने हाथों से पकडते हुए कहा।
"नही जितना देखा वही काफी है बाकी बाद में" रेखा ने रवि के हाथ को अपनी चुचियों से हटाते हुए उसके सामने झुककर अपने सैंडल को पहनते हुए कहा ।
"ओहहहह भाभी जी ऊपर से इतनी सूंदर है नीचे तो क़यामत होगी" रवि ने रेखा के झुकने के कारण उसकी चुचियों को ऊपर से ही देखते हुए कहा । रेखा अपने सैंडल पहनकर अपनी साड़ी को सीधा करते हुए बाहर निकल आई।

"बेटा सॉरी बुहत देर हो गई चलो अब चलते हे" रेखा ने बाहर निकालते ही अपने बेटे से कहा । डॉ रवि भी बाहर निकलकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया था।
"डॉ जी आपका कार्ड मिल सकता है । मेरे एक फ्रेंड ने कहा था के किसी अच्छे डॉ का पता बता दो। इसीलिए माँग रहा हू" विजय ने डॉ की तरफ देखते हुए कहा ।

"हाँ बेटे क्यों नहीं यह लो किसी और को भी चाहिए तो दे देना" डॉ रवि ने मुस्कराते हुए ४-५ कार्ड्स विजय को देते हुए कहा।
"थैंक्स डॉ रवि" विजय कार्ड लेने के बाद रवि का शुक्रिया अदा करते हुए कहा और अपनी माँ के साथ क्लीनिक से निकल गया।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
अपडेट 65






"दीदी क्या बात है आज आप दूसरी बार नहा रही हो। लगता है कुछ ज्यादा ही आग लगी हुयी है आपके जिस्म में" शीला ने जैसे ही कंचन को बाथरूम से बाहर निकलता देखा उसे टोककर कहा।
"शीला की बच्ची यह सब तुम्हारा किया धरा है" कंचन ने अपने बालों को पोछते हुए कहा ।
"क्यों दीदी मैंने क्या किया?" शीला ने हैंरान होते हुए कंचन से पुछा।
"शीला अब इतनी भोली भी मत बनो तुमने ही विजय भैया को गरम किया था इसीलिए तो उसने मुझे देखते ही दबोच लिया" कंचन ने बेड पर शीला के पास बैठते हुए कहा।

"शीला तुम कह तो ऐसे रही हो जैसे तुम्हारा भाई दूध का धुला हो। मुझे देखते ही उसका गधे जैसे लंड ऐसे खडा हो गया था जैसे कोई खम्भा हो" शीला ने कंचन की बात सुनकर गुस्सा करते हुए कहा।
"अरे शीला तुम तो नाराज़ हो गई मुझे क्या पता वहां क्या हुआ था । वह तो भैया मुझे चोदते वक्त कह रहे थे की शीला ने मुझे बुहत गरम कर दिया है" रेखा ने शीला के गाल की एक चिकोटी लेते हुए कहा ।

"दीदी एक बात पूछुं?" शीला ने कंचन की बात सुनकर उससे कहा।
"हाँ पूछो दीदी क्या बात है" कंचन ने शीला की बात सुनकर कहा।
"दीदी वह विजय भैया का लंड तो नरेश के लंड से भी लम्बा और मोटा है आपको तो मुझसे भी ज्यादा मजा आता होगा" शीला ने कंचन को देखते हुए कहा ।
"ओहहहह दीदी तो तुम भी विजय भैया से चुदवाना चाहती हो मुझे तो बुहत मजा आता है" कंचन ने शीला की तरफ देखते हुए मुसकुराकर कहा।
"हाँ दीदी मगर मुझे डर लगता है। इसीलिए तो आज मैंने उससे अपने आप को बचा लिया" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"कैसा डर दीदी" कंचन ने उत्तेजित होते हुए कहा।
"दीदी उसने अगर किसी को बता दिया तो" शीला ने कंचन को देखकर कहा।
"अरे पगली उसे क्या किसी पागल कुते ने काटा है जो वह किसी को बतायेगा। उसे हमारी इज्ज़त का बुहत ख्याल है वह कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेंगा" कंचन ने शीला की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"दीदी आपको तो कोई ऐतराज़ नहीं है ना" शीला ने इस बार कंचन को चिढाते हुए कहा।
"दीदी तुम मेरे भाई से चुद्वाओगी तो मैं क्या पीछे रहूँगी। मैं भी नरेश भैया को फँसाने की कोशिश करती हू" कंचन ने शीला की बात सुनते ही कहा।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
वाह दीदी इसका मतलब की तुम भी दुसरे लंड का मजा चखना चाहती हो" शीला ने कंचन की बात सुनते हुए कहा।
"हाँ दीदी मैं भी आपसे कम थोडे हू" कंचन ने भी शीला की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"दीदी तो फिर देर किस बात की। अभी भैया अपने कमरे में ही होंगे और विजय भैया भी यहाँ नहीं है आप किसी बहाने से उसके कमरे में जाओ और देखो की वह आपकी जवानी की तरफ धयान देता है की नही" शीला ने कंचन की बात सुनते ही जल्दी से कहा ।

"ठीक है शीला दीदी । मैं अभी ट्राई करती हू" शीला ने कहा और उसने एक टॉवल लिया और अपने जिस्म पर लपेट कर विजय के कमरे की तरफ जाने लगी । कंचन ने साड़ी नहीं पहनी थी और टॉवल के नीचे उसने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी थी ।
कंचन अपने कमरे से निकलते ही जल्दी से विजय के कमरे में घुस गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया,
"दीदी आप इस हालत में" नरेश जो मज़े से बेड पर लेटा हुआ था। कंचन को टॉवल लपेटा हुआ अपने कमरे में देखकर उसकी गोरी टांगों को जो बिलकुल नंगी थी घूरते हुए हैरान होकर बोला।

"सॉरी भैया में नहा ही रही थी की अचानक पानी बंद हो गया क्या मैं आपका बाथरूम यूज कर सकती हू" कंचन ने बड़े ही भोलेपन से कहा।
"दीदी मुझसे पूछने की क्या ज़रुरत है। यह घर आपका ही तो है" नरेश ने कंचन की बात सुनते ही मुसकुराकर कहा।
"थैंक्स भैया आप बुहत अच्छे हैं जब तक आप यहाँ है। यह कमरा और बाथरूम आपका ही है" कंचन ने नरेश की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
कंचन यह कहते हुए बाथरूम में घुस गयी और शावर ऑन करके नहाने लगी । नरेश ने आज पहली बार कंचन को इतनी नज़दीक से इतने कम कपड़ों में देखा था, नरेश का लंड कंचन के जिस्म को देखते ही खडा होकर झटके लगाने लगा था। वह मन ही मन में विजय के नसीब से जल रहा था क्योंके उसकी माँ और बहन दोनों उसे अपनी माँ और बहनों से ज्यादा अच्छी लगती थी।

कंचन कुछ देर तक नहाने के बाद अपने टॉवल से अपने जिस्म को पोंछने लगी।
"भइया मेरा टॉवल तो बुहत गीला हो गया है । आप प्लीज यहाँ से कोई टॉवल दे दो जिससे मैं लपेटकर अपने कमरे में जा सकुं" कंचन ने अपने प्लान के मुताबिक नरेश को पुकारते हुए कहा।
"दीदी अभी देता हू" नरेश जो कंचन के जिस्म को सोच सोच कर अपने लंड को सहला रहा था कंचन की आवाज़ सुनकर बेड से उठते हुए बोला ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
नरेश अपना टॉवल उठाकर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा।
"दीदी टॉवल ले लो" नरेश बाथरूम ने पास पुहंचते ही कंचन को पुकारते हुए कहा।
"थैंक्स भैया" अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला और कंचन ने नरेश के हाथ से टॉवल लेते हुए कहा । दरवाज़े के खुलते ही नरेश का गला सूखने लगा उत्तेजना के मारे उसका लंड उसकी पेण्ट फाडने के लिए उतावला हो गया और नरेश की आँखें कंचन के गोरी गोरी नंगी चुचियों को उसकी ब्रा से आधा बाहर देखते ही वहीँ की वहीँ अटक गयी ।

"भइया आप बड़े बदमाश हो ऐसे क्या देख रहे हो" कंचन ने नरेश को यों अपने जिस्म की तरफ घूरता हुआ देखकर मुस्कराते हुए कहा और दरवाज़ा बंद कर दिया ।कंचन अपने प्लान की कामयाबी पर बुहत खुश हो रही थी, कंचन ने नरेश का दिया हुआ टॉवल लपेटा और बाथरूम से बाहर निकल आई।
"भइया मैं आपका टॉवल ले जा रही हूँ। आप मेरा टॉवल ही रख लो" कंचन ने बाथरूम से बाहर आते ही अपनी एक टाँग को बेड पर रखते हुए उसे दुसरे टॉवल से पोछते हुए कहा । नरेश जो पहले से ही कंचन के जिस्म को देखकर बुहत गरम हो चुका था । वह कंचन की टाँग को बेड पर रखने से उसकी टाँग को जांघों तक नंगा देखकर उसका लंड बुहत ज़ोर से झटके खाने लगा।

"ठीक है दीदी" नरेश के मूह से सिर्फ इतना ही निकला वह बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और उसकी आँखें अपनी बहन की टांगों को घूरने में ही बसी थी।
"भइया आप ऐसे क्या देख रहे हो" कंचन ने अपनी एक टाँग को पोंछने के बाद उसे नीचे करते हुए अपनी दूसरी टाँग को बेड पर रखते हुए बोली।
"कुछ नहीं दीदी" नरेश ने अपनी चोरी पकडे जाने पर अपनी आँखों को कंचन की गोरी चिकनी टांगों से हटाते हुए कहा।
"भइया अब झूठ मत बोलो। आप मेरी टांगों को घूर रहे थे। सच बताइये आप ऐसे क्यों घूर रहे थे" कंचन ने नरेश को देखते हुए कहा।
"दीदी छोड़ो न। बस ऐसे ही देख रहा था" नरेश ने कंचन की बात सुनकर परेशान होते हुए कहा।

"भइया अगर आपने सच नहीं बोला तो मैं शीला दीदी को बता दूंगी" कंचन ने नरेश को धमकी देते हुए कहा।
"वो दीदी वह आपका जिस्म बुहत ख़ूबसूरत है" नरेश ने हकलाते हुए कहा।
"भइया आप बड़े बदमाश हो। क्या अच्छा लगा आपको मुझ में" कंचन ने अपनी टाँग को बेड से उतारते हुए मुसकुराकर बोली।
"दीदी अब क्या कहूँ आपका तो पूरा जिस्म बुहत ख़ूबसूरत है" नरेश ने हिम्मत करके कंचन को देखते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
भइया आप तो बड़े वो हो। मैं जा रही हूँ अरे आपका टॉवल तो बुहत छोटा है" कंचन ने यह कहकर अपने टॉवल को वहीँ पर नरेश के पास फेंक दिया और खुद नरेश के पहने हुए टॉवल को अपने हाथों से खोलते हुए फिर से अपने जिस्म पर बाँध दिया ।
कंचन के ऐसा करने से उसकी दोनों चुचियां फिर से सिर्फ ब्रा में ही आधि नंगी नरेश की आँखों के सामने आ गयी। जिन्हें देखकर नरेश का लंड इतने ज़ोर से झटके मारने लगा की उसे अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा।

कंचन वहां से जा चुकी थी । मगर नरेश की हालत इतनी ज्यादा ख़राब हो चुकी थी की कंचन के जाते ही उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और कंचन के टॉवल को जो उसके पूरे जिस्म को छु चूका था लेकर बाथरूम में घुस गया । नरेश ने अपने सारे कपडे निकाल दिए और कंचन के टॉवल को अपने चेहरे पर रखकर ज़ोर से साँसें लेते हुए उसे सूँघते और चूमते हुए अपने लंड को हिलाने लगा ।

"आह्ह्ह्ह साली का क्या जिस्म है ओहहहह तेरी जिस्म की ख़ुश्बू तो अब भी इस टॉवल से आ रही है आअह्ह्ह्ह भोसडी की एक बार मिल जाए तो उसके पूरे जिस्म ऐसे चाटूँगा जैसे शहद चाटते हैं साली कुतिया के बदन की ख़ुश्बू इतनी अच्छी है उसका जिस्म का ज़ायक़ा तो लाजवाब होगा" नरेश अपने लंड को हिलाते हुए बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए बड़बड़ा रहा था ।

"ओहहहहह साली कुतिया ने इस टॉवल से अपनी चूत और चुचियों को भी पोछा होगा आअह्ह्ह्हह तो इसका मतलब मैं अपने लंड पर जो टॉवल रगड रहा हूँ उसमें उसकी चूत का स्पर्श है ओह्ह्ह्हह हह कंचन" । यह सब सोचकर नरेश का जिस्म झटके खाने लगा और उसका लंड वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा । नरेश टॉवल को अपने लंड के ऊपर रखकर उसे ज़ोर से आगे पीछे करते हुए झरने लगा ।

नरेश झरने के बाद शांत होकर नहाने लगा । नहाने के बाद उसने कंचन के टॉवल को भी धो दिया और वापस बिस्तर पर आकर लेट गया।
"दीदी क्या हुआ?" इधर कंचन के कमरे में दाखिल होते ही शीला ने उत्तेजित होते हुए पुछा ।
"शीला दीदी होना क्या था" कंचन ने दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए बेड पर बैठते हुए कहा।
"दीदी बताओ न पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो" शीला ने कंचन की बात सुनकर ज्यादा उत्तेजित होते हुए कहा।

"दीदी कह तो रही हूँ बेचारा पहली नज़र में ही घायल हो गया" कंचन ने हँसते हुए कहा।
"दीदी ज़रा डिटेल में बताओ ना" शीला ने कंचन के क़रीब जाते हुए कहा । कंचन ने शीला को सारी बात बता दी की कैसे उसने उसके भाई को पागल बनाया।
"हुम्मम्म तो दीदी इसका मतलब हम दोनों के भाई एक जैसे है" शीला ने कंचन की बात सुनकर हँसते हुए कहा।।

"दीदी मैं कुछ समझी नही" कंचन ने शीला की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"अरे दीदी मेरा मतलब है दोनों एक जैसे ही हैं घास देखी नहीं और अपना पूछ फिराते हुए चरने आ गये" शीला ने कंचन को समझाते हुए कहा।
"हाँ दीदी वह तो है मगर हमारे भाई सिर्फ ताज़ी घास ही खाते है" कंचन ने शीला की बात को समझते हुए हँसकर कहा और दोनों साथ में बातें करते हुए हंसने लगी।
 
Top