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रेखा ने डॉ के जाने के बाद अपने पेटिकोट को खीचकर थोडा नीचे कर दिया था ताकी डॉ रवि को उसकी काली झाँटों का दीदार हो सके । रवि भी जानता था की यह औरत बुहत ही सेक्सी है और उसको कोई दर्द नहीं है वह सिर्फ मज़ा लेने के लिए ऐसा कर रही है ।
"भाभी यह आयल है मैं अभी इससे आपके पेट की मालिश कर देता हू" डॉ रवि ने वापस अंदर जाते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ डॉ साहब जल्दी से मालिश करिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही दर्द का नाटक करते हुए कहा।
रवि ने उस बोतल में से थोडा आयल निकालकर अपने हाथ पर मलते हुए उसे रेखा के पेट पर नावेल के नीचे मालिश करने लगा । रेखा की काली झाँटों को देखकर रवि का लंड बुहत ज़ोर से झटके खाने लगा, रवि भी मालिश करते हुए अपना हाथ जानबूझकर रेखा की चूत तक ले जाना लगा और अपने हाथ से रेखा की काली झाँटों को भी तेल से मालिश करने लगा ।
रेखा मालिश कराते हुए बुहत ज़ोर से सिसक रही थी। रेखा डॉ रवि के हाथ को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गई थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था । विजय भी अपनी माँ की हालत देखकर बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गया था।
"आह्ह्ह्ह डॉ साहब आपकी दवाई तो बुहत अच्छी है मेरा दर्द अभी से ही कम हो गया है । आप ऐसा करो इससे मेरी पीठ की भी मालिश कर दो वहां पर भी बुहत दर्द है" रेखा ने डॉ रवि से मज़े के मारे सिसकते हुए कहा।
"हाँ भाभी जी अभी कर देता हूँ आप उलटी हो जाइये" डॉ रवि ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा क्योंकी उसे अब रेखा के चिकने पीठ और मांसल चूतड़ों को बुहत नज़दीक से देखने का मोका मिल रहा था ।
"डॉ साहब मैं अपनी साड़ी उतार देती हूँ । कहीं यह गन्दी न हो जाए" रेखा डॉ की बात सुनकर उठकर सीधा खडी हो गई और डॉ रवि के सीधे सामने खडी होकर अपनी साड़ी को उतारते हुए वहीँ पर रख दिया । रेखा की साड़ी के उतरते ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियों और उसके मांसल चूतडों को इतना नज़दीक से देखकर डॉ की आँखें फटी की फटी रह गयी।
"भाभी यह आयल है मैं अभी इससे आपके पेट की मालिश कर देता हू" डॉ रवि ने वापस अंदर जाते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ डॉ साहब जल्दी से मालिश करिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही दर्द का नाटक करते हुए कहा।
रवि ने उस बोतल में से थोडा आयल निकालकर अपने हाथ पर मलते हुए उसे रेखा के पेट पर नावेल के नीचे मालिश करने लगा । रेखा की काली झाँटों को देखकर रवि का लंड बुहत ज़ोर से झटके खाने लगा, रवि भी मालिश करते हुए अपना हाथ जानबूझकर रेखा की चूत तक ले जाना लगा और अपने हाथ से रेखा की काली झाँटों को भी तेल से मालिश करने लगा ।
रेखा मालिश कराते हुए बुहत ज़ोर से सिसक रही थी। रेखा डॉ रवि के हाथ को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गई थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था । विजय भी अपनी माँ की हालत देखकर बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गया था।
"आह्ह्ह्ह डॉ साहब आपकी दवाई तो बुहत अच्छी है मेरा दर्द अभी से ही कम हो गया है । आप ऐसा करो इससे मेरी पीठ की भी मालिश कर दो वहां पर भी बुहत दर्द है" रेखा ने डॉ रवि से मज़े के मारे सिसकते हुए कहा।
"हाँ भाभी जी अभी कर देता हूँ आप उलटी हो जाइये" डॉ रवि ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा क्योंकी उसे अब रेखा के चिकने पीठ और मांसल चूतड़ों को बुहत नज़दीक से देखने का मोका मिल रहा था ।
"डॉ साहब मैं अपनी साड़ी उतार देती हूँ । कहीं यह गन्दी न हो जाए" रेखा डॉ की बात सुनकर उठकर सीधा खडी हो गई और डॉ रवि के सीधे सामने खडी होकर अपनी साड़ी को उतारते हुए वहीँ पर रख दिया । रेखा की साड़ी के उतरते ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियों और उसके मांसल चूतडों को इतना नज़दीक से देखकर डॉ की आँखें फटी की फटी रह गयी।