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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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"मामी छोड दूंगा मगर इसका कुछ करना होगा । देखो कितना बदमाश है अपनी माँ की चूत में जाने के बाद भी शांत नहीं हुआ। कैसे अपनी भोली भाली मामी को तंग कर रहा है" विजय ने अपनी मामी को सीधा करते हुए उसका हाथ अपने लंड पर रखते हुए कहा ।
मानिषा ने जैसे ही सीधा होते हुए अपने भांजे का लंड देखा उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और उसका हाथ अपने आप विजय के लंड पर ऊपर नीचे होने लगा।
"आह्ह्ह्हह मामी यह हुयी न बात" विजय ने अपनी मामी का हाथ अपने लंड पर आगे पीछे होने से सिसकते हुए बोला।

मानिषा विजय के लंड को देखकर उसकी दीवानी हो गई थी। इसीलिए वह विजय के लंड को अपनी मुठी में लेकर आगे पीछे कर रही थी । विजय ने अपनी मामी से अपना लंड सहलाते हुए उसकी साड़ी के पल्लु को उसकी चुचियों से अलग कर दिया और अपनी मामी के ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसकी चुचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा ।

विजय ने अपनी मामी की चुचियों को दबाते हुए अचानक अपना मूह आगे करते हुए अपनी मामी के होंठो पर रख दिया । मनिषा बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी अपने भांजे के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही वह उसके साथ डीप फ्रेंच किस में चलि गयी ।
"बेटा तुम्हारे बापू के आने का टाइम हो गया है तुम्हें जो करने है दीदी के कमरे में जाकर करो" अचानक रेखा ने अपने बेटे और उसकी मामी को बताते हुए कहा।
"दीदी आप बुहत चलाक हैं इतने दिनों तक अपने बेटे से खुद ही मज़े लेती रही और मुझे कुछ बताया भी नही" मनीषा ने रेखा के बोलने से विजय से अलग होते हुए कहा।

"दीदी अब तो आपको पता चल गया आप इसे अपने कमरे में लेकर जाओ" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"नही दीदी इस वक्त ठीक नहीं है । मैं खुद ही अपने भांजे को सही वक्त देखकर बुला लूंग़ी" मनीषा ने रेखा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"ठीक है दीदी जैसे आपकी मर्ज़ि" रेखा ने हँसते हुए कहा।
"भान्जे छोटी उम्र में ही बुहत अच्छी देख भाल कर रखी है अपने इस हथियार की" मनीषा ने अपने भान्जे के लंड को दबाते हुए हँसकर कहा।
"मामी यह हथियार अपनों के काम ही तो आएगा जैसे मम्मी और आप" विजय ने मनीषा की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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हाँ भान्जे सही कहा। मैं और दीदी इस हथियार पर ज़ंग लगने नहीं देंगी तुम चिंता मत करो" मनीषा ने इतना कहा और वहां से निकल गई।
"बेटा तुम तो बुहत बदमाश हो अपनी मामी को अच्छा ब्लैकमेल किया" मनीषा के जाते ही रेखा ने अपने बेटे को देखते हुए कहा ।
"माँ वह हमें ब्लैकमेल कर रही थी। इसीलिए मैंने उसे अपनी औक़ात याद दिला दी। वैसे है बुहत गरम माल" विजय ने अपने कपड़ों को उठाकर पहनते हुए कहा।
"ह्म्मम्म तो अब वह तुम्हें इतनी अच्छी लगने लगी" रेखा ने विजय की बात सुनकर मुँह बनाते हुए कहा।

"माँ तुम भी न तुम्हारे जीतनी अच्छी कोई भी नहीं हो सकती मगर काम चलाने के लिए सही है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"ठीक है अब जाओ भी यहाँ से" रेखा ने हँसते हुए अपने बेटे से कहा ।
विजय अपने कपडे पहनकर अपनी माँ के कमरे से निकल गया और अपने कमरे में आ गया। जहाँ पर नरेश पहले से मौजूद था।
"विजय कहाँ थे इतनी देर से" नरेश ने विजय को देखते ही हैंरान होते हुए उससे पुछा।
"यार माँ को डॉक्टर के पास ले गया था" विजय ने नरेश के पास बेड पर बैठते हुए कहा।

"क्यों बे तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली थी क्या जो डॉक्टर के पास ले गया उसे" नरेश ने विजय को टोकते हुए कहा।
"नही बे उसकी ही तो इंजेक्शन लगवाने गयी थी वो" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
" च च तुम्हारी माँ बच्चा रुकवाने का इंजेक्शन लगवाती है" नरेश ने विजय की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"हाँ मगर तुम्हारी माँ नहीं लगवाती क्या?" विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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मुझे क्या पता यार" नरेश ने विजय की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"यार इन औरतों को देखो अपनी खुजलि मिटाने के लिए वह मरदों से इंजेक्शन लगवाए और बच्चा रोकने के लिए डॉक्टर्स से" विजय ने हँसते हुए नरेश से कहा और दोनों ज़ोर से हंसने लगे ।
"यार तुम बुहत बदमाश हो" नरेश ने ज़ोर से हँसते हुए विजय से कहा।
"और बताओ क्या कर रहे हो सुबह से" विजय ने नरेश के पास बेड पर सोते हुए कहा।
"क्या बाताऊँ यार अपना टेम्प्रेचर तो किसी ने हाई कर दिया है" नरेश ने एक ठण्डी आहहह भरते हुए कहा।

"अब फिर किस ने तुम्हारी नींद चुरा ली" विजय ने नरेश की बात सुनकर उत्तेजित होते हुए कहा।
"अब यार क्या बताऊँ अब तुम गुस्सा न हो जाओ" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।
"अब बताओ भी मैं नाराज़ नहीं हूंगा" विजय ने वैसे ही उत्तेजित होते हुए बोला ।
"यार वह तुम्हारी बड़ी बहन कंचन ने मेरा लौडा गरम कर दिया है" नरेश ने सीधा सीधा विजय को बताते हुए कहा।
"कंचन दीदी मगर कैसे" विजय ने नरेश की बात सुनकर और ज्यादा उत्तेजित होते हुए कहा।

नरेश ने विजय को पूरी बात बता दिया।
"यार मुझे लगता है यह हम दोनों की बहनें साथ में मिलकर हम दोनों को पागल बना रही हैं और उन दोनों का चाहत अदला बदली करने का है" विजय ने नरेश की बात सुनकर गरम होते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 68





"क्या कहा बे शीला भी तुम्हें लाइन दे रही है" नरेश ने विजय की बात सुनकर हैंरान होते हए कहा।
"हाँ यार शीला दीदी जानबूझकर मुझे अपना जिस्म दिखाती रहती है" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा।
"यार कंचन ने तो मुझे पागल बना दिया है काश वह मेरी बहन होती" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा ।

"जल मत बे । वैसे भी वह तुझसे चुदवाना चाहती है" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"जलने की तो बात है साले इतना अच्छा माल तुम्हें सारी ज़िंदगी के लिए फ्री में मिल गया" नरेश ने विजय की बात सुनकर उसे देखते हुए कहा।
"क्यों बे शीला भी तो किसी से कम नहीं । साली चलती ऐसे है जैसे उसे अपना जिस्म सम्भाला नहीं जा रहा हो। साली अपनी गांड को ऐसे हिलाती है जैसे की उसकी गांड में लंड पडा हो" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा ।

अब मेरा मुँह मत खुलवा। तुम्हारी बहन कंचन साली का जिस्म कितना भरा है जैसे भगवान ने सारा माल उसके जिस्म में कूट कूट कर डाला है। कितनी बड़ी चुचियाँ और गांड। साले कहीं तू उसकी गांड तो नहीं मारता। साली की गांड डेली बढ़ती ही जा रही है" नरेश ने विजय की बात सुनकर गुस्से से उसकी बहन की तारीफ करते हुए कहा ।
"अबे यार तुम्हारी बहन की चुचियां भी कुछ कम नहीं। साले तू उसकी चुचियों के उभारों को जी भरकर चूसता और चाटता है । इसीलिए तो जब देखो वह साड़ी के ऊपर से ही चमकती रहती है" विजय ने शीला की तारीफ करते हुए कहा।

"छोड़ो यार हम आपस में क्यों लड रहें हैं लगता है हम दोनों पर एक दुसरे की बहनों का 'जादू चल गया है" नरेश ने विजय की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"हाँ यार वह हमें पागल बना रही हैं। मेरे पास एक आईडिया है जिससे हमें और ज्यादा मजा आयेगा" विजय ने नरेश की बात सुनते हुए कहा ।
"क्या है बे जल्दी बता ना" नरेश ने उत्तेजित होते हुए कहा।
"यार अगर हम एक दुसरे की बहनों को एक दुसरे के सामने चोदे तो" विजय ने नरेश की आँखों में देखते हुए कहा।
"क्या यार तुमने तो मेरे मूह की बात छीन ली साले बुहत कमीने हो गये हो" नरेश की आँखें विजय की बात सुनकर चमकने लगी और उसने विजय को दाद देते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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"बस यार तुम्हारी ही संगत का असर है" विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा और दोनों ज़ोर से हंसने लगे,
"यार एक बात कहुँ तुम्हारी किस्मत मुझसे अच्छी ही है क्योंकी तुम्हारी माँ भी किसी से कम नही" नरेश ने फिर से विजय की तरफ देखते हुए कहा ।
"अब फिर से शुरू हो गया मुझसे पहले तो उसका रस तुमने चखा और अपनी माँ को भी पटा लिया साले । मुझे सलाह ही नहीं की" विजय ने नरेश की बात सुनकर उसे टोकते हुए कहा।
"क्या साले अब तुम्हारी नज़र मेरी माँ पर भी है क्या?" नरेश ने हैंरान होते हुए कहा।
"क्यों बे तुम्हारी माँ कौन सी दूध की धूलि है जो मुझसे चुदवाने में उसे तकलीफ होगी" विजय ने नरेश की बात सुनकर गुस्सा होते हुए कहा।

"साले गुस्सा मत हो चोद लेना मेरी माँ को भी। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं पर जैसे तुमने हमारी बहानों के बारे में आईडिया दिया है अगर वैसे ही हम अपनी माँओं के साथ करें तो" नरेश ने विजय की आँखों में झाँकते हुए कहा।
"साले कमीने अपनी माँ को मेरे सामने चुदता देखना चाहते हो" विजय ने नरेश की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
"हा बे और तेरी माँ को भी तेरे सामने चोदना चाहता हूँ ताकी तुम्हें पता चले की वह कितनी बड़ी छिनाल है" नरेश ने विजय की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।

"साले छिनालपन तो हर औरत में होता है बस उसे निकालने वाला होना चाहिये" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा और दोनों आपस में गप मारने लगे ।


मुकेश ऑफिस से वापस आ चुका था और वह खाना खाने के बाद अपने कमरे में आराम करने लगा ।
मानिषा अपने बापू के कमरे में आ गयी थी । अनिल अपने कमरे में बेड पर लेटा हुआ था । वह सोया हुआ नहीं था।
"बापु अब तबीयत कैसी है" मनीषा ने अपने बाप के पास बेड पर बैठते हुए कहा।
"बेटी अब सही है। मैं भी तुम्हें ही याद कर रहा था" अनिल ने बेड से उठते हुए अपनी बेटी को अपनी गोद पर लिटाते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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बापु मैं तो आपकी सेवा करने के लिए ही हू" मनीषा ने अपने बाप के सिकुड़े हुए लंड को धोती के ऊपर से ही अपने हाथ में लेते हुए कहा।
"ओहहहह बेटी आज रात को तुम जी भरकर मेरी सेवा कर लेना" अनिल ने अपनी बेटी के बालों में हाथ ड़ालते हुए कहा।
"हाँ बापू मैं रात को ज़रूर आपकी सेवा करूंगी। मगर इस वक्त थोडी सेवा तो कर ही सकती हू" मनीषा ने अपने पिता की धोती में से उसके लंड को खींचकर बाहर निकाकर सहलाते हुए कहा ।
मानिषा के मूह उसके बाप के लंड के बिलकुल क़रीब था । वह अपने बाप के लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए बुहत गौर से बड़ा होता हुआ देख रही थी, कुछ ही देर में अनिल का लंड बिलकुल तनकर फनफनाने लगा।

मनिषा ने अपना मुँह थोडा नीचे करते हुए अपने बाप के लंड को चूम लिया।
"हाहहह बेटी" मनीषा के होंठ अपने लंड पर पडते ही अनिल सिसक उठा । मनिषा अपना मूह थोडा सा खोलते हुए अपने बापू के लंड के सुपाडे को अपने होंठो के बीचे ड़ालते हुए बुहत ज़ोर से चूसने लगी ।
"ओहहहह हहः" अनिल के मुँह से जोर की सिस्कियाँ निकल रही थी और वह मज़े से अपनी बेटी के बालों को सहला रहा था । मनीषा अपने होंठो से अपने बाप के लंड को चूसते हुए अपने एक हाथ से उसकी मोटी गोटीयों और दुसरे हाथ से उसके लंड को सहला रही थी।

अनिल मज़े के मारे हवा में उड़ रहा था। उसे अपना लंड अपनी बेटी के लबों के बीच आगे पीछे होता हुआ जन्नत का मजा दे रहा था।
"आजहहहह बेटी मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा है" कुछ ही देर में अनिल का जिस्म काम्पने लगा और वह सिसकते हुए बोला। मनीषा अनिल की बात सुनकर उसके लंड ज़ोर से चूसते हुए अपने हाथ से तेज़ी के साथ सहलाने लगी ।
"ओहहहह बेटी आअह्हह्ह" अनिल का जिस्म झटके खाने लगा और उसके लंड से वीर्य निकल कर उसकी बेटी के मूह में गिरने लगा । मनीषा ने अपने पिता के लंड से निकलते हुए वीर्ये की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने दी, वह अपने बाप के लंड से निकलती हुयी हर बूँद को अपने मूह से सीधा अपने पेट में उतार रही थी।

अचानक दरवाज़ा खटकने लगा जिसकी आवाज़ से अनिल चोंक गया। मगर मनीषा को कोई फर्क नहीं पडा वह अपने बाप के लंड को अपने मूह से निकालकर अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी जिस वजह से अनिल के लंड के सुपाडे से फिर से वीर्य की कुछ बूँदे निकलने लगी । मनीषा ने अपना मूह खोलकर अपने पिता के लंड के सुपाडे को फिर से अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चूसते हुए उसमें से बचा हुआ वीर्य भी निचोडकर पीने लगी ।
 

Rakesh1999

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मानिषा ने अब अपने बाप के लंड को अपने मुँह से निकाल दिया और खुद बाथरूम में चलि गयी । दरवाज़ा अब ज़ोर से खटखटाने लगा था, अनिल को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसके पूरे जिस्म को निचोड दिया गया हो। वह बुहत ज़ोर से हांफ रहा था ।
अनिल अपनी साँसों को सँभालते हुए दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगा और अपने हाथ से दरवाज़े का लॉक खोल दिया।
"क्या बाबुजी इतनी देर क्या कर आहे थे?" रेखा ने अंदर आते ही अपने ससुर से आँखें नचाते हुए सवाल किया।

"कुछ नहीं बेटी वह ज़रा उठने में देर हो गई मनीषा बेटी भी बाथरूम गयी हुयी थी" अनिल ने रेखा का सवाल सुनकर उसे जवाब देते हुए कहा।
"च मनीषा दीदी यहीं है सॉरी मुझसे गलती हो गई जो आप दोनों को डिसट्रब किया" रेखा ने अपने ससुर से माफ़ी माँगते हुए कहा ।
"रेखा दीदी मैं तो बापू से उसकी तबीयत पूछने आई थी मुझ क्या पता आप आने वाली है" मनीषा ने बाथरूम से निकलते हुए कहा।
"दीदी मैं भी बापू से बाते करने आई थी" रेखा ने मनीषा को बाथरूम से निकलता हुआ देखकर कहा।

"मुझे पता है दीदी की आप क्या बाते करने आई है " मनीषा ने रेखा की आँखों में देखते हुए मुसकुराकर कहा।
"मानिषा दीदी फिर बैठिये न मिलकर गप मारते है" रेखा ने मनीषा का हाथ पकडते हुए कहा और दोनों साथ बैठकर बाते करने लगीं ।
 

Rakesh1999

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रात का खाना खाने के बाद सभी लोग अपने अपने कमरों में जाकर सोने की तैयारी करने लगे । विजय और नरेश ने आईडिया बना लिया की किस तरह आज वह अपनी बहनों को एक दुसरे के सामने चुदते देखेंगे, इधर मनीषा भी सभी के सोने का इंतज़ार कर रही थी ताकी वह जल्द से जल्द अपने बापू की सेवा कर सके

"क्या बात है मेरी जान आज बुहत सुंदर लग रही हो" मुकेश ने रेखा को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।
"आपको हमें देखने का टाइम कहाँ मिलता है" रेखा ने अपने पति से मूह बनाते हुए कहा।
"यार अब छोड़ो न इन बातों को तुम्हें तो पता है की मैं सारा दिन ऑफिस के कामों से थक जाता हुँ" मुकेश ने अपनी बीवी की नाइटी को उसके आगे से खोलते हुए कहा।

रेखा अपने पति का मूड ख़राब करना नहीं चाहती थी इसीलिए वह चुपचाप मुकेश के अंडरवियर में क़ैद उसके लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी।
"आह्ह्ह्ह मेरी जान" मुकेश ने अपनी बीवी का हाथ अपने लंड पर लगते ही सिसकते हुए कहा। उसकी बड़ी बड़ी चुचियों से ब्रा को हटाते हुए उसकी एक चूचि को अपने मूह में भरकर चूसने लगा ।
रेखा का पूरा जिस्म अपनी चूचि को अपने पति के मुँह में जाने से गरम होने लगा और वह सिसकते हुए अपने हाथ से मुकेश के बालों को सहलाने लगी । मुकेश ने अपनी बीवी की दोनों चुचियों को जी भरकर चाटने के बाद सीधा होते हुए अपना अंडरवियर उतार दिया । और अपनी पत्नी की टांगों के बीच आते हुए उसकी पेंटी को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया।

रेखा की चूत अब उसके पति के सामने बिलकुल नंगी थी जिसमें से पानी की बूँदे निकल रही थी।
"आज तो बुहत ज्यादा गर्म हो रही हो मेरी जान" मुकेश ने अपनी बीवी की चूत को देखते हुए कहा और नीचे झुकते हुए उसकी चूत को चूम लिया ।
"आह्ह्ह्ह बुहत दिनों बाद आपने सही तरीके से हमें गरम किया है" रेखा ने सिसकते हुए कहा । रेखा अपने पति को उसकी दीदी के साथ रात को देख चुकी थी और उसके साथ सेक्स करते हुए उसे वह सब याद आ रहा था इसीलिए वह बुहत जयादा गरम हो रही थी । मगर वह इस वक्त अपने पति को कुछ नहीं कहना चाहती थी इसीलिए वह ऐसा कह रही थी।
 

Rakesh1999

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मुकेश ने अपनी बीवी की टांगों को उसके घुटनों तक मोड़ दिया और नीचे झुकते हुए रेखा की चूत के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा।
"आजहहह ओह्ह्ह्हह अपना वह डाल दो न क्यों तडपा रहे हो" रेखा ने अपने पति की जीभ से अपनी चूत को चूसने से तड़पते हुए कहा ।
"डालिंग अभी डालता हूँ आज तो तुम्हें इतना गरम देखकर मैं भी बुहत एक्साइटेडट हो गया हू" मुकेश ने अपनी पत्नी की चूत से अपना मुँह हटाते हुए कहा और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रखकर एक झटके के साथ उसकी चूत में पेल दिया।

"आहहह डार्लिंग आज तो तुम्हारी चूत बुहत ज्यादा गरम लग रही है और गीली भी" मुकेश ने अपने लंड को अपनी पत्नी की चूत में ज़ोर से आगे पीछे करते हुए कहा।
"ओहहहह ज़ोर से करो बुहत मजा आ रहा है आज आपका भी बुहत ज्यादा तना हुआ है" रेखा ने भी अपने पति की बता सुनकर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली।
मुकेश अपनी पत्नी की बात सुनकर उसे बुहत ज़ोर से चोदने लगा । 5 मिनट बाद ही रेखा का जिस्म काम्पने लगा।
"आह्ह्ह्हह मैं आ रही हू" रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । मुकेश अपनी पत्नी को इतना जल्दी झरता हुआ देखकर ख़ुशी से उसे बुहत तेज़ी के साथ पेलने लगा।

"आह्हः डार्लिंग ओह्ह्ह्हह आहहहः" रेखा का जिस्म झटके खाने लगा और वह अपने चूतडों को उछालते हुए मज़े से झरने लगी । रेखा की चूत झरते हुए सिकुड़कर अपने पति के लंड को ज़ोर से जकड लिया जिस वजह से मुकेश भी अपने आप को रोक नहीं पाया और ज़ोर से हाँफते हुए अपनी बीबी की चूत में झरने लगा।
"आह्ह्ह्ह डार्लिंग मैं भी आया" मुकेश झरते हुए ज़ोर से चिल्ला रहा था । मुकेश झरने के बाद अपनी बीवी के ऊपर ढेर हो गया।
"क्या हुआ जान थक गए क्या?" रेखा ने अपने पति को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा।
"ओहहहह डार्लिंग तुम्हारी चूत का तो जवाब नहीं। झडते वक्त ऐसे सिकूड़ती है जैसे मेरे लंड को कोई हाथ से मसल रहा हो" मुकेश ने रेखा की साइड में लेटते हुए कहा।

"क्यों जान मनीषा दीदी की चूत झरते वक्त नहीं सिकूड़ती क्या" रेखा ने मुकेश की आँखों में देखते हुए कहा।
"क्या कहा?" मुकेष ने परेशान होते हुए कहा रेखा की बात सुनकर उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा था।
"वही जान जो तुमने सुना" रेखा ने अपने पति के शॉकड हुए लंड को सहलाते हुए कहा ।
"तो रात को तुमने हमें देखा था?" मुकेश ने वैसे ही परेशानी वाली हालत में अपनी बीवी से कहा।
"अरे आप तो परेशान हो गये । मैं आपसे नाराज़ नहीं हू" रेखा ने सीधा होते हुए कहा और अपने पति के वीर्य से सने हुए सिकुड़े लंड को अपने मूह में ले लिया।
 

Rakesh1999

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"आह्ह्ह्ह डार्लिंग तुम तो सच में महान हो" मुकेश अपने लंड को अपनी बीवी के मूह में जाते ही सिसकते हुए बोला।
"नही जान में महान नहीं हूँ मगर मेरी सोच कुछ अलग है मरद और औरत को अपनी जवानी का पूरा मजा लेना चाहिए जो वह किसी से भी ले सके" रेखा ने अपने पति का लंड अपने मुँह से निकालते हुए कहा और अपनी जीभ निकालकर उसे चाटने लगी ।
"ओहहहह मैं समझा नहीं क्या तुम भी किसी से" मुकेश ने सिर्फ इतना कहा।
"हाँ मेरी पति देव मगर मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ इसीलिए मैंने घर से बाहर कुछ नहीं किया" रेखा ने सीधी होकर अपने पति की आँखों में देखते हुए कहा।

"घर में मगर किस से" रेखा की बात सुनकर मुकेश के लंड में हलचल होने लगी थी और उसने एक्साइटेडट होते हुए रेखा से पूछा।
"बापु, विजय और नरेश सब के लन्डों का मजा ले चुकी हूँ मैं" रेखा ने बड़ी बेशरमी से कहा।
"क्या कहा मुझे यकीन नहीं हो रहा है" रेखा की बात सुनकर मुकेश का लंड पूरी तरह तनकर झटके खाने लगा और उसने हैंरानी से अपनी बीवी की तरफ देखते हुए कहा ।

"जान इतना हैंरान क्यों हो रहे हो। अभी जो बात मैं तुम्हें बताने वाली हूँ तुम और ज्यादा हैंरान हो जाओगे" रेखा ने अपने पति के लंड को तना हुआ देखकर अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर उसे अपनी चूत के छेद पर सेट करते हुए बोली और उसपर अपने वजन के साथ बैठ गई ।
"आह्ह्ह्ह डार्लिंग अब इस से ज्यादा चौकाने वाली क्या बात है की तुम अपने ससुर बेटे भांजे सब से चुदवा चुकी हो" मुकेश ने अपना लंड अपनी बीवी की चूत में घूसने से सिसकते हुए उसकी चुचियों को अपने हाथों से दबाते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह जान तो सुनो तुम्हारी बड़ी बेटी अपने भाई विजय से तुम्हारी बहन अपने बेटे नरेश से और नरेश अपनी बड़ी बहन शीला को चोद चूका है" रेखा ने अपने पति के लंड पर ज़ोर से ऊपर नीचे होते हुए कहा।
"डालिंग मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है" मुकेश ने अपनी पत्नी की बात सुनकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को बुहत ज़ोर से दबाते हुए कहा । रेखा की बाते सुनकर मुकेश का लंड लोहे की तरह सख्त और मोटा होता जा रहा था ।
 
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