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"मामी छोड दूंगा मगर इसका कुछ करना होगा । देखो कितना बदमाश है अपनी माँ की चूत में जाने के बाद भी शांत नहीं हुआ। कैसे अपनी भोली भाली मामी को तंग कर रहा है" विजय ने अपनी मामी को सीधा करते हुए उसका हाथ अपने लंड पर रखते हुए कहा ।
मानिषा ने जैसे ही सीधा होते हुए अपने भांजे का लंड देखा उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और उसका हाथ अपने आप विजय के लंड पर ऊपर नीचे होने लगा।
"आह्ह्ह्हह मामी यह हुयी न बात" विजय ने अपनी मामी का हाथ अपने लंड पर आगे पीछे होने से सिसकते हुए बोला।
मानिषा विजय के लंड को देखकर उसकी दीवानी हो गई थी। इसीलिए वह विजय के लंड को अपनी मुठी में लेकर आगे पीछे कर रही थी । विजय ने अपनी मामी से अपना लंड सहलाते हुए उसकी साड़ी के पल्लु को उसकी चुचियों से अलग कर दिया और अपनी मामी के ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसकी चुचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा ।
विजय ने अपनी मामी की चुचियों को दबाते हुए अचानक अपना मूह आगे करते हुए अपनी मामी के होंठो पर रख दिया । मनिषा बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी अपने भांजे के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही वह उसके साथ डीप फ्रेंच किस में चलि गयी ।
"बेटा तुम्हारे बापू के आने का टाइम हो गया है तुम्हें जो करने है दीदी के कमरे में जाकर करो" अचानक रेखा ने अपने बेटे और उसकी मामी को बताते हुए कहा।
"दीदी आप बुहत चलाक हैं इतने दिनों तक अपने बेटे से खुद ही मज़े लेती रही और मुझे कुछ बताया भी नही" मनीषा ने रेखा के बोलने से विजय से अलग होते हुए कहा।
"दीदी अब तो आपको पता चल गया आप इसे अपने कमरे में लेकर जाओ" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"नही दीदी इस वक्त ठीक नहीं है । मैं खुद ही अपने भांजे को सही वक्त देखकर बुला लूंग़ी" मनीषा ने रेखा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"ठीक है दीदी जैसे आपकी मर्ज़ि" रेखा ने हँसते हुए कहा।
"भान्जे छोटी उम्र में ही बुहत अच्छी देख भाल कर रखी है अपने इस हथियार की" मनीषा ने अपने भान्जे के लंड को दबाते हुए हँसकर कहा।
"मामी यह हथियार अपनों के काम ही तो आएगा जैसे मम्मी और आप" विजय ने मनीषा की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
मानिषा ने जैसे ही सीधा होते हुए अपने भांजे का लंड देखा उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और उसका हाथ अपने आप विजय के लंड पर ऊपर नीचे होने लगा।
"आह्ह्ह्हह मामी यह हुयी न बात" विजय ने अपनी मामी का हाथ अपने लंड पर आगे पीछे होने से सिसकते हुए बोला।
मानिषा विजय के लंड को देखकर उसकी दीवानी हो गई थी। इसीलिए वह विजय के लंड को अपनी मुठी में लेकर आगे पीछे कर रही थी । विजय ने अपनी मामी से अपना लंड सहलाते हुए उसकी साड़ी के पल्लु को उसकी चुचियों से अलग कर दिया और अपनी मामी के ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसकी चुचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा ।
विजय ने अपनी मामी की चुचियों को दबाते हुए अचानक अपना मूह आगे करते हुए अपनी मामी के होंठो पर रख दिया । मनिषा बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी अपने भांजे के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही वह उसके साथ डीप फ्रेंच किस में चलि गयी ।
"बेटा तुम्हारे बापू के आने का टाइम हो गया है तुम्हें जो करने है दीदी के कमरे में जाकर करो" अचानक रेखा ने अपने बेटे और उसकी मामी को बताते हुए कहा।
"दीदी आप बुहत चलाक हैं इतने दिनों तक अपने बेटे से खुद ही मज़े लेती रही और मुझे कुछ बताया भी नही" मनीषा ने रेखा के बोलने से विजय से अलग होते हुए कहा।
"दीदी अब तो आपको पता चल गया आप इसे अपने कमरे में लेकर जाओ" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"नही दीदी इस वक्त ठीक नहीं है । मैं खुद ही अपने भांजे को सही वक्त देखकर बुला लूंग़ी" मनीषा ने रेखा की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"ठीक है दीदी जैसे आपकी मर्ज़ि" रेखा ने हँसते हुए कहा।
"भान्जे छोटी उम्र में ही बुहत अच्छी देख भाल कर रखी है अपने इस हथियार की" मनीषा ने अपने भान्जे के लंड को दबाते हुए हँसकर कहा।
"मामी यह हथियार अपनों के काम ही तो आएगा जैसे मम्मी और आप" विजय ने मनीषा की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।