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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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"पिंकी जल मत थोडी देर मुझे दादा की गोद में बैठने दे" कोमल ने पिंकी की बात सुनकर उसे आँख मारते हुए कहा और अचानक वह अन बैलेंस होकर गिरने का नाटक करने लगी। अनिल ने कोमल को गिरता हुआ देखकर अपने दोनों हाथों को आगे ले जाकर कोमल को पकड लिया, अनिल के दोनों हाथ सीधा कोमल की दोनों चुचियों नीचे आ गयी। जिस वजह से अनिल के हाथों में कोमल की दोनों नरम चुचियां आ गयी।

"आहहह दादा जी आपने मुझे गिरने से बचा लिया" कोमल ने अपने दादा का हाथ अपनी दोनों चुचियों पर पड़ने से सिसकते हुए कहा । अनिल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे। अपने हाथ में कोमल की नरम चुचियों के आने से उसका लंड बुहत ज़ोर से फनफनाने लगा था ।

कोमल अब सीधा होकर अनिल की गोद में बैठ चुकी थी। मगर इस बार कोमल को बैठने में बुहत ज्यादा तकलीफ हो रही थी क्योंकी उसके दादा का लंड पूरी तरह से जाग चूका था जो बुहत ज़ोर से उछलते हुए उसके चूतडों के बीच चुभ रहा था।
"बेटी अब बुहत हो गया तुम यहाँ आकर बैठ जाओ" अनिल ने कोमल को समझाते हुए कहा ।

"ठीक है दादा जी जैसे आपकी मर्ज़ी " कोमल ने इतना कहा और अपने पूरे वजन के साथ एक बार अपने दादा के लंड को अपने चूतडों के बीच दबाते हुए वहां से उठ गयी।
"आआह्ह्ह्ह बेटी" कोमल के ज़ोर देने की वजह से अनिल के मुँह से चीख़ निकल गयी ।

"क्या हुआ नाना जी" पिंकी जैसे इसी इंतज़ार में थी। कोमल के उठते ही वह जल्दी से अपने नाना की गोद में बैठ गयी।
"आआह्ह्ह कुछ नहीं बेटी वह मुझे पेशाब आ रही है" पिंकी के बैठने से अनिल ने फिर से सिसकते हुए कहा । पिंकी जैसे ही अपने नाना की गोद में बैठी। अपने चूतडों के बीच इतने मोटे और सख्त चीज़ के चुभने से वह हैंरान होते हुए वहां से उठ गयी ।

"बेटी तुम यहाँ बैठो मैं अभी पेशाब करके आता हूँ" अनिल समझ गया था की पिंकी नादान है। इसीलिए वह उसके लंड के चुभने से वहां से उठ गयी। इसीलिए वह भी जल्दी से वहां से उठकर बाथरूम में घुस गया,
"क्या हुआ दीदी तुम तो जल्दी से दादा की गोद से उठ गयी" कोमल ने अनिल के जाते ही पिंकी की तरफ देखते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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वो दीदी वहां पर बैठते ही मेरे चूतडों में कोई मोटी चीज़ चुभ गयी । इसीलिए मैं जल्दी से उठ गयी थी" पिंकी ने मासूमियत से कहा।
"अरे पगली तुम कब सुधरोगी" कोमल ने पिंकी की बात सुनकर अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा।
"क्यों दीदी क्या हुआ?" पिंकी ने वैसे ही कोमल की तरफ देखते हुए कहा ।

"पगली वह मोटी चीज़ कुछ और नहीं दादा जी का लंड था। जो मेरे जवान चूतडों की गर्मी से खडा हो गया था और असल मजा उसी के चुभने से आता है" कोमल ने पिंकी को समझाते हुए कहा।
"मगर दीदी नाना जी को शर्म नहीं आती की वह अपनी बेटी और बेटे की बेटियों के सामने भी उसे खडा करके बैठे है" पिंकी ने गुस्सा करते हुए कहा ।

"पगली इसमें दादा का कोई दोष नहीं है वह मैंने ही जानबूझकर उनके लंड पर दबाब डालकर उसे उत्तेजित कर दिया था" कोमल ने पिंकी को समझाते हुए कहा।
"दीदी आपको शर्म नहीं आती अपने दादा के साथ ऐसी गन्दी हरकत करते हुये" पिंकी ने कोमल की बात सुनकर उस पर गुस्सा करते हुए बोली।

"दीदी क्या करुं वह सीन देखकर मैं इतनी गरम हो गई हूँ की मैं अब बस अपनी चूत में किसी का भी लंड लेने पीछे नहीं हटूंगी" कोमल ने अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
"दीदी कुछ तो शर्म करो। कम से कम नाना के साथ तो यह सब करने की मत सोचो" पिंकी ने कोमल की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा ।

"क्यों पिंकी दीदी । क्या दादा जी मरद नहीं हैं उनका लंड भी उस मूवी वाले लड़के की तरह बुहत बड़ा और मोटा है और उनके साथ यह सब करने से कोई खतरा भी नहीं है क्योंकी घर की बात घर में ही रह जाएगी और किसी को शक भी नहीं होगा" कोमल ने पिंकी की आँखों में देखते हुए कहा ।

"कोमल दीदी मगर हमारी चूत तो बुहत छोटी है" पिंकी ने कोमल की तरफ देखते हुए कहा। उसकी आँखें कोमल की बात सुनकर उत्तेजना से लाल हो चुकी थी।
"दीदी वह सब मैं नहीं जानती अब मुझसे रहा नहीं जाता मुझे बस मजा लेना है" कोमल ने पिंकी की बात का जवाब देते हुए कहा ।

अनिल ने बाथरूम में घुसते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और अपनी धोती को उतारकर अपने लंड को ज़ोर से हिलाने लगा। कुछ ही देर में उसके लंड से वीर्य की बारिश होने लगी और उसका लंड झरने के बाद ढीला होने लगा, अनिल को झडने के बाद बुहत ज्यादा आनंद आ रहा था क्योंकी इतनी देर से उसका लंड कोमल की हरक़तों से उत्तेजना के मारे उसे बुहत परेशान कर चूका था ।
 

Rakesh1999

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"अनिल ने अपने लंड को साफ़ किया और अपनी धोती को पहनकर बाहर आ गया, कोमल और पिंकी अनिल को आता हुआ देखकर चुप हो गई । अनिल अब चलते हुआ सीधा पिंकी और कोमल के बीच आकर बैठ गया और उन दोनों के साथ बातें करने लगा ।

"नाना जी मुझे बुहत नींद आ रही है। मैं जा रही हुँ" पिंकी ने अचानक वहां से उठते हुए कहा।
"अरे बेटी तुम जा रही हो ठीक है जैसे तुम्हारी मर्जी" अनिल ने अचानक पिंकी को उठता हुआ देखकर हैंरान होते हुए कहा । पिंकी वहां से उठकर चलि गयी अब कोमल और उसके दादा वहां पर बिलकुल अकेले थे ।

"दादा जी अच्छा हुआ पिंकी दीदी यहाँ से चली गई मुझे आपसे एक बात पूछनी है" पिंकी के जाने के बाद कोमल ने अपने दादा की तरफ देखते हुए कहा। ठीक है बेटी पहले मेरी गोद में तो आ जाओ फिर पूछना।कोमल फिर से अपने दादा की गोद में बैठ गई और अनिल कोमल के बदन को सहलाते हुए बोला।
"हाँ बेटी पूछो क्या बात है" अनिल ने कोमल की बात सुनकर उस की तरफ देखते हुए कहा ।

अनिल का लंड कोमल की बात सुनकर अपने आप उठने लगा था क्योंकी वह जानता था की कोमल उससे ज़रूर कोई ऐसी बात करेगी जो उसे नहीं करनी चाहिये,
"दादा जो वह मुझे यह पूछ्ना था की जब मैं आपकी गोद में बैठी तो मुझे कोई चीज़ चूभ रही थी वह क्या थी" कोमल ने अपने दादा की तरफ देखते हुए कहा ।

"बेटी मुझे माफ़ कर दो मगर तुम्हारे जवान चूतडों की गर्मी से मेरा उठ गया" अनिल ने कोमल की बात सुनकर शरमिंदा होते हुए कहा।
"उठ गया था मगर क्या दादाजी" कोमल ने अनिल की बात सुनकर अन्जान बनने का नाटक करते हुए कहा।
"बेटी क्या सच में तुम्हें पता नहीं था की वह क्या है?" अनिल ने हैंरान होते हुए कहा ।

"नही दादाजी सच्ची में मुझे पता नहीं था की वह क्या है मगर जब वह मुझे वहां चूभ रहा था तो मुझे अजीब किस्म का मजा आ रहा था" कोमल ने अपने दादा को बताते हुए कहा।
"बेटी मैं तुम्हें सब कुछ बता दूंगा मगर तुम्हें वादा करना होगा की तुम यह बात किसी को नहीं बताओगी" अनिल ने कोमल की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।

"ठीक है दादा जी में किसी को कुछ नहीं बताउँगी" कोमल ने अपने दादा से वादा करते हुए कहा।
"तुम बुहत अच्छी लड़की हो बेटी जो चीज़ तुम्हें चूभ रही थी । वह मेरा लंड था जो हर मरद के पास होता है और वह शादी के बाद उसे औरत की चूत में घुसाकर उसे चोदता है । जब मरद का वीर्य निकलकर औरत की चूत को भरता है तभी मरद को सुकून और मजा मिलता है और उसी वीर्य से औरत बच्चे की माँ बनती है" अनिल ने कोमल को एक ही साँस में सारी बात बताते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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दादाजी वह सब तो ठीक है मगर आपका तो बुहत मोटा लग रहा था और एक दफ़ा मैंने जब अपनी चूत में एक ऊँगली घुसाने की कोशिश की थी तो मुझे बुहत दर्द हुआ था। फिर यह औरतें इतने मोटे और लम्बे लंड को कैसे अपनी चूत में ले लेती है?" कोमल ने अपना कन्धा झुकाकर अनिल से कहा ।

"बेटी तुम सही कह रही हो भगवान ने औरत की चूत को बनाया ही ऐसा है की पहली बार में उसमें एक ऊँगली भी बड़ी मुश्किल से जाती है और जब एक दफ़ा इसकी झील्ली फट जाए तो फिर इसमें कितना भी मोटा या लम्बा लंड हो वह भी बगैर किसी तकलीफ के घुस जाता है" अनिल ने कोमल को देखते हुए कहा ।

अनिल का लंड कोमल से ऐसी बाते करते हुए फिर से उठ चूका था । इधर कोमल का भी बुरा हाल था उसकी चूत से भी उत्तेजना के मारे पानी टपक रही थी।
"दादा जी मैंने आज तक इसे नहीं देखा क्या मैं आपका देख सकती हुँ" कोमल ने अपनी ऊँगली के इशारे से अनिल की धोती में बने टेंट की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

"बेटी क्या मैं तुम्हारी बात को टाल सकता हूँ मगर तुम किसी को भी इस बारे में मत बताना और बदले में तुम्हे भी अपनी कुँवारी चूत और अनछुई चूचियाँ दिखानी पड़ेगी" अनिल कोमल की बात सुनकर खुश होते हुए बोला।
"दादू मैं पागल थोडी हूँ जो ऐसी बातें बाहर करूँगी ।
ठीक है दादु मैं दिखा दूँगी लेकिन मेरी चूत में आप लन्ड नहीं घुसायेगें प्रोमिस कीजिये" कोमल ने अनिल की बात सुनकर कहा ।

"ठीक है बेटी प्रॉमिस । तुम जाकर दरवाज़ा बंद कर लो ताकी अगर कोई आ जाये तो हमें न देख सके" अनिल ने कोमल की तरफ देखते हुए कहा । कोमल ने अपने दादा की बात सुनकर सोफ़े से उठकर दरवाज़ा बंद कर लिया।
"बेटी आओ यहाँ आकर बैठ जाओ" अनिल ने कोमल को बाज़ू से पकडकर अपने साथ सोफ़े पर बिठा दिया ।

कोमल की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी उसने इससे पहले कभी भी मोबाइल के अलावा किसी का भी लंड नहीं देखा था।
"बेटी देख लो अब इसे लंड कहते हैं जो औरत को दुनिया का सब से बड़ा सुख देता है" अनिल ने अपनी धोती को आगे से खोलकर अपने तने हुए लंड को हाथ में पकडकर कोमल को दिखाते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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"दादा जी यह तो सच में बुहत लम्बा और मोटा है" कोमल की आँखें अपने दादा के तने हुए लंड को देखकर फटी की फटी रह गयी और वह अपना मुँह फाड़कर अनिल के लंड को देखते हुए बोली।
"बेटी लंड जितना लम्बा और मोटा होता है औरत को उतना ही ज्यादा सुख और मजा देता है" अनिल ने अपने लंड के सुपाडे से चमड़ी को हटाकर उसका गुलाबी सुपाडा कोमल को दिखाते हुए कहा ।

"दादा जी इसका सुपाडा तो बुहत गुलाबी है" कोमल का पूरा शरीर अपने दादा के लंड को देखकर गरम हो चुका था।
"बेटी तुम शर्माओ मत इसे भले छु कर देख लो" अनिल ने अचानक कोमल के हाथ को पकडकर अपने खडे लंड पर रखते हुए कहा ।

"नही दादू आअह्ह्ह आपका तो बुहत गरम और सख्त है" कोमल ने पहले तो अपने हाथ को वहां पर रखने से इन्कार करते हुए कहा मगर जैसे ही उसका हाथ वहां पर पडा उसके पूरे जिस्म में सिहरन का एक तूफ़ानी दौर शुरू हो गया और उसका हाथ अपने आप अनिल के लंड पर रुक गया ।

"बेटी तुमने कभी पहले किसी का लंड देखा है?" अनिल ने अपने हाथ को कोमल के हाथ पर रखे हुए ही अपने लंड पर ऊपर नीचे करते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह नहीं दादू मैंने आज तक किसी का भी लंड नहीं देखा" कोमल ने सिसकते हुए कहा । कोमल को अपनी चूत में बुहत ज़ोर से सिहरन हो रही थी। उसका दिल कर रहा था की अभी हाथ से वह अपनी चूत को ज़ोर से रगड़ दे मगर अपने दादू के सामने वह ऐसा नहीं कर सकती थी ।

"बेटी कभी तुमने अपनी चूत से पानी निकाला है?" अनिल ने अपना हाथ कोमल के हाथ से हटाकर उसकी जाँघ पर रखते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ दादू मैंने तीन चार बार अपनी चूत से पानी निकाला है" कोमल ने अपने दादा का हाथ अपनी जाँघ पर पडते ही उनके लंड को ज़ोर से दबाते हुए सिसककर कहा ।

"बेटी क्या कभी किसी लड़के से तुमने किस किया है या किसी लड़के ने कभी तुम्हारे जिस्म को कहीं छुआ है?" अनिल ने अपने हाथ को कोमल को जांघों पर रगडते हुए उसकी चूत की तरफ ले जाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह नहीं दादू मेरे जिस्म को आज तक किसी ने नहीं छुआ है" अनिल का हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ने से कोमल ने सिसकते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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कोमल का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था और अपने दादा के हाथ के अहसास से ही उसकी टाँगें अपने आप खुल चुकी थी।
"बेटी इसका मतलब तुम्हारी चूत को आज तक तुम्हारे सिवा किसी ने नहीं छुआ है" अनिल ने अचानक अपने हाथ को कोमल की टांगों के बीच ले जाकर उसकी फूली हुई कच्ची चूत को सहलाते हुए कहा ।बेटी अपनी टॉप और स्कर्ट उतार दो ना।

नहीं दादाजी मुझे बहुत शरम आ रही है कहते हुए कोमल ने अपना सर झुका लिया।
अनिल ने कोमल को सहलाते हुए उसके टॉप को उतार दिया।कोमल की अनछुई चूचियाँ एक छोटी सी ब्रा में कैद थी जिसे अनिल ने उतार दिया।अब अनिल के सामने एक कच्ची कली की खिलती हुई चूचियाँ थी जो अभी पूरी जवान भी नहीं हुई थी।उसकी सुंदरता को देखकर अनिल का लंड उछलने लगा।इधर अनिल के माथे पर पसीने की बुँदे आ गई।जब अनिल का हाथ पहली बार कोमल की अधखिली चूचियों पर पड़ा तो कोमल मस्ती में सिसियाने लगी और उसके हाथ दादाजी के लंड पर कस गई।

अब अनिल ने अपना सर झुकाया और कोमल की एक चूची को मुँह में भर लिया।
कोमल की चूत से पानी निकलने लगी।उतेज़ना से उसका बुरा हाल हो गया।वह जोर जोर से सिसकारी भरने लगी।इधर अनिल एक बच्चे की तरह अपने तीन गुनी कम उम्र की लड़की की मासूम चूचियों को चूस रहा था।काफी देर तक अनिल अपनी पोती की कच्ची चूचियों को चूसता रहा जैसे उसमे से दूध निकालने की कोशिश कर रहा हो।

कोमल के निप्पल पुरे तन गए थे।वह गरम हो गई थी जिसका लाभ उठाकर अनिल ने अपनी पोती के स्कर्ट और उसकी पेंटी उतार दिया।अब उसके सामने
एक खिलती हुई कच्ची कली पूरी नंगी अपने दादा के सामने थी।कोमल की चूत बिलकुल चिकनी और फूली हुई थी । उसमे सिर्फ हल्के बाल आने अभी शुरू हुए थे।उसकी बुर की क्लिट एकदम टाइट थी।अनिल कोमल की चूत देखकर इतना गरम हो गया की वह कोमल की चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा।कुछ ही देर कोमल की कुँवारी चूत चाटने पर कोमल की आँखे बंद हो गई।

"आहहहहह इसशहहहह ओह्ह्ह्हह दादू" अचानक कोमल की आँखें बंद हो गई और उसने अपने एक हाथ से अनिल के लंड को ज़ोर से सहलाते हुए दुसरे हाथ से उसके हाथ पर रखकर उसे अपनी चूत पर दबा दिया। कोमल कुछ देर तक वैसे ही आँखें बंद करते हुए झडती रही और अपने दादा के लन्ड को अपने कोमल मुलायम हाथों से लण्ड को सहलाती रही।कोमल को झड़ता देखकर अनिल उसके कुँवारी चूत के नमकीन पानी को पीता रहा और वह भी उतेजना के मारे झड़ने लगा।कोमल का पूरा हाथ गन्दा हो गया।

"दादा जी हमें माफ़ कर दो । यह सब ठीक नहीं है" कोमल ने पूरी तरह झडने के बाद जैसे ही अपनी आँखें खोली तो उसे होश आया की वह मज़े के चक्कर में बुहत आगे निकल चुकी है। इसीलिए उसने अपने हाथ को अनिल के लंड से हटाते हुए वहां से उठकर जाने लगी ।

"बेटी तुम किसी बात की चिंता मत करना। मैं यह सब किसी को नहीं बताऊंगा। जब तुम्हारा दिल करे यहाँ पर आ जाना मैं तुम्हारी मर्ज़ी के सिवा कुछ नहीं करूंगा" अनिल ने कोमल को जाता हुआ देखकर उसकी तरफ देखते हुए कहा । कोमल ने अपने दादा की बात सुन ली मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चलि गयी ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 84




कोमल वहां से जाते हुए अपने कमरे में आ गयी।
"दीदी तुम आ गयी जल्दी से बताओ क्या हुआ?" पिंकी ने कोमल के बेड पर बैठते ही उसके साथ चिपककर बैठते हुए कहा।
"क्या बताऊँ दीदी तुम्हें?" कोमल ने पिंकी की तरफ शरारत से देखते हुए कहा ।

"दीदी अब छोड़ो भी और बताओ न तुमने नाना के साथ इतनी देर क्या किया?" पिंकी ने कोमल की बात सुनकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा । कोमल ने पिंकी की बात सुनकर उसको बालों से पकडकर अपने होंठ को उसके होंठो पर रख दिया और पिंकी के होंठो को ज़ोर से चूसने लगी ।

"हाहहह दीदी क्या हुआ तुम्हें तुम भी ना" कुछ देर बाद जैसे ही कोमल ने पिंकी को छोड़ा उसने बुहत ज़ोर से हाँफते हुए कोमल से कहा । कोमल ने अनिल के साथ हुयी एक एक बात पिंकी को बता दी।
"दीदी मुझे आपकी बातों का एतबार नहीं हो रहा है क्या नाना जी भी इतने गंदे है" कोमल की बात सुनकर पिंकी ने हैंरान होते हुए कहा ।

"अरे पगली यह गन्दा वन्दे कुछ नहीं होता बस हर मरद को अपने मज़े के लिए एक औरत की ज़रुरत होती है और जब मरद के सामने कोई हमारे जैसी जवान कच्ची कली हो तो वह यह नहीं सोचता की वह उसकी बेटी या बहन है बस उसे उसकी जवानी का मजा लेने की चिंता होती है" कोमल ने पिंकी को समझाते हुए कहा ।

"दीदी शायद आप सच कह रही हैं तभी तो नाना ने तुम्हारा पूरा फ़ायदा उठाया" पिंकी ने कोमल की बात सुनकर कहा।
"पिंकी दीदी वैसे एक बात है मजा तो मुझे भी बुहत आया मगर मैं उनका लम्बा और मोटा लंड देखकर डर गयी थी इसीलिए आगे नहीं बढी" कोमल ने पिंकी से चिपकते हुए कहा ।

"कोमल दीदी एक बात पूछूँ?" पिंकी ने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ दीदी कहो क्या बात है" कोमल ने पिंकी की बात सुनकर कहा।
"वो दीदी आपने जब नाना के लंड को अपने हाथ में लिया तो आपको कैसा लगा था" पिंकी ने कोमल की आँखों में निहारते हुए कहा ।

"पिंकी दीदी बस पूछो मत जब मैंने दादा के लंड को छुआ तो वह बुहत ज्यादा गरम और सख्त था। उसे छूते ही मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी और मुझे अपनी चूत में च्यूटी के काटने का अहसास होने लगा" कोमल ने पिंकी की बात सुनकर उसके साथ चिपककर उसे गले लगाते हुए कहा ।

"दीदी एक बात और है वह मैंने सुना है मरद जब औरत को छूता है तो बच्चा होता है अब अगर तुम्हें बच्चा हो गया तो" पिंकी ने मासूमियत से कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
"पगली बच्चा ऐसे ही नहीं होता है मरद जब लड़की की चूत में लंड डालकर अपना वीर्य अंदर गिराता है तभी बच्चा होता है" कोमल ने पिंकी को समझाते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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कोमल दीदी आपको यह सब कैसे पता चला" पिंकी ने हैरान होते हुए कहा।
"दीदी वह मुझे दादा ने ही बताया था" कोमल ने पिंकी को जवाब देते हुए कहा।
"हम्म्म्म कोमल दीदी फिर तुमने पूरा मजा क्यों नहीं लिया" पिंकी ने कोमल की बात सुनकर उसे चिढाते हुए कहा।
"पिंकी दीदी दादा का बुहत ही बड़ा और मोटा था उस फिल्म वाले की तरह। मैं डर गयी थी की वह मेरी चूत की छोटी सी छेद में कैसे जाएगा" कोमल ने पिंकी को अपनी चिंता के बारे में बताते हुए कहा ।

"कोमल दीदी नाना ने तुम्हें इतना बताया है फिर इस बारे में तुमने क्यों नहीं पुछा की हमारी चूत का छेद बुहत छोटा है इसमें इतना मोटा और लम्बा लंड कैसे घुसेगा" कोमल की बात सुनकर पिंकी ने उससे कहा । कोमल ने पिंकी की बात सुनकर उसे बताया की दादा ने उसे क्या कहा था और उसके बाद दोनों कच्ची कलियाँ एक दुसरे से लिपट कर आपस में बातें करने लगीं ।

मुकेश की अचानक आँख खुल गयी उसने देखा की उसकी पत्नी उसके साथ ही बेड पर लेटी हुयी है । मुकेश ने टाइम देखा तो 5 बज रहे थे इसका मतलब सभी के उठने का टाइम हो गया था, मुकेश ने अपना मुँह रेखा की आधी नंगी चुचियों पर रख दिया जो उसकी साँसें लेने के साथ बुहत ज़ोर से उछल रही थी और अपनी पत्नी की चुचियों को चाटने लगा ।

"ओहहहह क्या हुआ जी क्यों सता रहे हो सोने दो ना" अपने पति के होंठो को अपनी चुचियों पर महसूस करते ही रेखा ने सिसकते हुए कहा।
"5 बज गये है जी उठो हमें चाय पीनी है" मुकेश ने रेखा की चुचियों से अपना मुँह हटाते हुए कहा।
"क्या 5 बज गये" रेखा अपने पति की बात सुनकर उठते हुए बोली और बाथरूम में चलि गयी ।


रेखा थोडी देर के बाद बाथरूम से निकल आई और ड्रेसिंग टेबल के सामने खुद को ठीक करने लगी
"डारलिंग क्या देख रही हो इतनी ख़ूबसूरत हो की तुम्हारा चेहरा देखकर आईना भी शर्मा जाए" मुकेश ने अपने पत्नी के पीछे आकर उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा ।

"क्या बात है मैं देख रही हूँ आप आज ज़रा ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे है" रेखा ने अपने पति को टोकते हुए कहा।
"कुछ नही डार्लिंग आपके हुस्न का ही असर है" मुकेश ने अपनी पत्नी की बात से चौकते हुए कहा।
"नही जी आप मुझसे कुछ मत छुपाइये मुझे पता है की ज़रूर कोई बात है" रेखा ने अपने पति की बाहों को अपनी कमर से हटाकर सीधा होते हुए कहा
 

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वो डार्लिंग अब क्या कहुँ तुमसे" मुकेश ने अपना कन्धा झुकाते हुए अपनी बेटी के साथ होने वाला सीन अपनी पत्नी को बता दिया।
"च तो यह बात है मैं भी कहुँ आज मेरे पतिदेव को क्या हो गया है" रेखा ने अपने पति की बात सुनकर उसे टोकते हुए कहा।
"डारलिंग मगर वह सब इतफ़ाक़ से हुआ था" मुकेश ने अपनी सफायी देते हुए कहा ।

"हाँ हुआ तो इतफ़ाक़ से ही था मगर आपका दिल तो इसे हकीकत में भी करना चाहता है" रेखा ने मुकेश की आँखों में देखते हुए कहा।
"नही डार्लिंग मेरा ऐसा कोई ख़याल नही" मुकेश ने अपनी पत्नी के सामने शर्म से अपना कन्धा झुकाते हुए कहा।
"झूठ मत कहो अगर तुम कंचन का मजा लेना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं क्योंकी मैं भी तो अपने बेटे से मजा ले चुकी हुँ" रेखा ने मुकेश के बिलकुल क़रीब जाते हुए कहा ।

डारलिंग सच कहुँ तो मेरा दिल तो बुहत करता है मगर डर लगता है" मुकेश ने अखिरकार अपनी पत्नी के सामने खुलते हुए कहा।
"ह्म्मम्म डर किस बात का। तुम अपनी बेटी के साथ फुल मजा ले सकते हो क्योंकी वह नरेश और विजय दोनों से चुदवा चुकी है। इसीलिए अगर वह नखरा करे तो तुम उसे कह देना की तुम्हें सब कुछ पता है" रेखा ने अपने पति को आईडिया देते हुए कहा ।

"क्या कहा डार्लिंग तुमने मेरे दिल की बात छीन ली" मुकेश ने अपनी पत्नी की बात सुनकर उसके होंठो पे एक किस करते हुए कहा।
"मैं चाय बनाने जा रही हूँ और तुम्हारे पास तुम्हारी बेटी कंचन ही चाय लेकर आएगी" रेखा ने मुस्कराते हुए कहा और अपने पति से दूर होते हुए वहां से बाहर चलि गयी ।


रेखा के जाते ही मुकेश बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होने के बाद सोफ़े पर बैठकर अपनी बेटी का इंतज़ार करने लगा । मुकेश का लंड आज उसकी पेण्ट में ही बुहत ज़ोर से उछल रहा था क्योंकी उसे अपनी बेटी का जवान और ख़ूबसूरत जिस्म से खेलने की इजाज़त मिल गयी थी ।

रेखा बाहर निकलने के बाद सीधा अपनी बेटी कंचन के कमरे में जाने लगी । रेखा जैसे ही कंचन के कमरे के बाहर पुहंची दरवाज़ा अंदर से बंद था रेखा ने दरवाज़े को नॉक किया कुछ ही देर में कंचन ने आँखें मलते हुए दरवाज़ा खोला।
"बेटी फ्रेश होकर किचन में आ जाओ। मैं चाए बना रही हूँ और हाँ सब को उठा देना" रेखा ने कंचन से कहा और खुद किचन में जाकर चाए बनाने लगी ।
 

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कंचन अपनी माँ के जाते ही बाथरूम में घुस गयी और फ्रेश होने के बाद शीला को उठाते हुए खुद अपने कमरे से निकल गयी । कंचन अपने कमरे से निकलकर अपने भाइयों के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगी, कुछ ही देर में नरेश ने आकर दरवाज़ा खोला ।

"दीदी आप अंदर आओ ना" नरेश ने कंचन को अपने सामने देखकर खुश होते हुए कहा। नरेश की हालत से पता चल रहा था की वह अभी नींद से उठा है,
"भइया आप विजय को भी उठा दिजिये चाय तैयार है" कंचन ने नरेश से कहा और वहां से जाने के लिए मुडी ही थी के नरेश ने उसे पीछे से पकडा और खींचकर कमरे में ले गया ।

"वाह दीदी क्या ख़ुश्बू आ रही है आपके रेशमी बालों से एक किस तो दे दो" नरेश ने अंदर होते ही कंचन को सीधा करते हुए कहा।
"भइया आप भी न कुछ तो शर्म करो" कंचन ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा।
"दीदी क्या करुं इसमें मेरा क्या क़सूर है आप ही तो अपने बालों को खोलकर ऐसे तैयार होकर सामने आई हैं की मैं अपना कण्ट्रोल खो बैठा" नरेश ने कंचन के खुले हुए बालों में अपना हाथ ड़ालते हुए कहा ।

"भइया मम्मी मेरा किचन में इंतज़ार कर रही है" कंचन ने नरेश से अलग होते हुए कहा।
"तो करने दो मैं बस एक किस की तो बात कर रहा हुँ" नरेश ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा।
"ठीक है भैया सिर्फ एक किस्स" कंचन ने शर्म से अपना कन्धा झुकाते हुए कहा ।

"हाँ दीदी सिर्फ एक किस्स" नरेश ने खुश होते हुए कहा । कंचन नरेश की बात सुनकर उसके क़रीब आ गयी और अपने गुलाबी होंठो को नरेश के गाल पर रखकर एक किस दे दिया।
"दीदी यह क्या इसे भी कोई किस कहता है । मैंने वहां नहीं यहाँ पर किस करने को कहा था" नरेश ने कंचन की तरफ देखकर अपने होंठो पर अपने हाथ को रखते हुए कहा ।

"भइया आप भी ना" कंचन ने नरेश की बात सुनकर गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा और फिर से नरेश के क़रीब जाते हुए अपने होंठो को नरेश के होंठो पर रख दिया, कंचन के होंठ जैसे ही नरेश के होंठो पर पडे उसने अपने हाथों से कंचन के सर को पकड लिया और कंचन के दोनों नाराम गुलाबी होंठो को बुरी तरह चूसने लगा ।

कंचन इस अचानक हमले के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी इसीलिए वह नरेश से छूटने के लिए झटपटाने लगी मगर वह नरेश को अपने आप से दूर न कर सकी । नरेश कुछ देर तक लगातार कंचन के दोनों होंठो को चूसने के बाद उससे अलग हो गया, नरेश के अलग होते ही कंचन बुहत ज़ोर से साँसें लेते हुए बुरी तरह हाँफने लगी ।
 
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