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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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अपडेट 79




"ये तुम क्या कर रहे हो भांजे? मुझसे दूर हटो" रेखा ने नरेश के हाथ को अपने पेट से दूर झटकते हुए कहा।
"मामी क्या करुं आपके जिस्म को देखकर कण्ट्रोल ही नहीं होता" नरेश ने अपने लंड को पेण्ट के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
"साले फिर जाकर अपनी माँ को चोद न। मेरी मम्मी के पीछे क्यों पड़े हो" इस बार विजय ने अपनी माँ के पीछे आते हुए उसके चूतडों से चिपककर खडा होते हुए कहा ।

"साले उसे तो चोद चूका हूँ मगर अब मुझे मामी के नरम जिस्म को देखना है" नरेश ने विजय के बात सुनकर रेखा के सामने आते हुए उसकी साड़ी का पल्लु उसकी चुचियों से नीचे गिराते हुए कहा।
"तुम दोनों कहीं पागल तो नहीं हो गये हो । जाओ यहाँ से कोई आ गया तो अनर्थ हो जायेगा" रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।
"मामी यहाँ पर कोई नहीं आएगा और अगर किसी ने देख भी लिया तो कुछ नहीं होगा" विजय ने इस बार अपने दोनों हाथों से अपनी माँ के नंगे पेट को पकडते हुए कहा ।

"मामी यह साला सही कह रहा है आप घबराओ मत यहाँ कोई नहीं आयेगा" नरेश ने रेखा के ब्लाउज के ऊपर उसकी चुचियों के उभार पर अपना एक हाथ रखते हुए कहा।
"साले कुतों तुम दोनों मिलकर मुझसे ज़बर्दस्ती करना चाहते हो हटो यहाँ से" रेखा ने कहा और अपने हाथ से नरेश के हाथ को पकडते हुए दूर झटक दिया।
"विजय यह साली बुहत नखरे कर रही है समझाओ इसे वरना सच्ची में कहीं हम इसका रेप न कर दें" नरेश ने गुस्से से विजय की तरफ देखते हुए कहा।
"साले चुदवाने से पहले औरत नखरे नहीं करेगी तो क्या हम मरद करेंगे" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा।

विजय ने इस बार अपनी हाथों को अपनी माँ के पेट से हटाकर उसकी साड़ी को पकडते हुए उसके जिस्म से अलग करने लगा।
"बेटे अपने दोस्त के साथ मिलकर ऐसा मत करो" रेखा ने अपनी साड़ी को अपने हाथ से पकडते हुए कहा।
"अरे मामी आप तो ऐसे नाटक कर रही हो जैसे हमारे सामने पहली बार नंगी हो रही हो" नरेश ने रेखा के दोनों हाथों को पकडते हुए उसकी साड़ी से हटाते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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रेखा का हाथ साड़ी से हटते ही विजय ने अपनी माँ की साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया । रेखा अब सिर्फ पेटिकोट और ब्लाउज में अपने बेटे और भांजे के सामने खड़ी थी।
"ओहहहहह मामी आपके यह चूतड़ ही तो हमें पागल बना रहे है" रेखा की साड़ी हटते ही नरेश ने उसके नंगे चूतडों को देखकर आह्ह्ह्ह भरते हुए कहा ।
"साले जल मत मेरी माँ को देखकर मुझे तो सारी ज़िंदगी इनके नरम नरम जिस्म का मजा मिलता रहेंगा" विजय ने अपनी माँ के चूतडों को उसके पेटिकोट के ऊपर से ही थप्पड़ मारते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह बेटे प्लीज मुझे छोड दो। ऐसे क्यों ज़लील कर रहे हो मुझे" रेखा ने अपने बेटे के थप्पड़ लगने से चिल्लाते हुए कहा।

"माँ हम तो आपकी तारीफ कर रहे है" विजय ने अपनी पेण्ट के बेल्ट को खोलकर उसे अपनी टांगों से अलग करते हुए कहा।
"साले तेरा लंड तो तेरी माँ के चूतड़ो को देखकर ही झटके खा रहा है" नरेश ने विजय की पेण्ट के हटते ही उसके अंडरवियर में झटके खाते हुए लंड देखकर हँसते हुए कहा ।
विजय ने अपनी माँ के नज़दीक आते हुए उसके पेट में अपने दोनों हाथ ड़ालकर उसे अपने आप से सटा दिया,
"ओहहहहह बेटे प्लीज इस वक्त ऐसा मत करो" रेखा ने बेबसी से चिल्लाते हुए कहा ।।।। विजय के ऐसा करने से उसका खडा लंड उसकी माँ के पेटिकोट के ऊपर से ही रेखा के चूतड़ों में दब गया था।

"मामी चुपचाप हमें मजा लेने दो और खुद भी मज़े लो" नरेश ने भी अपनी पेण्ट को खोलते हुए कहा।
"भान्जे प्लीज इस वक्त ऐसा मत करो। रात को मैं खुद तुम दोनों के पास आ जाऊँगी" रेखा ने अखिरकार हार मानते हुए कहा ।
"मामी यह हुयी न बात चलो ठीक है मगर आपको इस वक्त हमें ठण्डा तो करना पडेगा" नरेश ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
"ठीक है भांजे मगर पहले जाकर किचन का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लो" रेखा ने नरेश को देखते हुए कहा।

नरेश ने रेखा की बात सुनकर अपनी पेण्ट को अपने पाँव से निकालकर भागते हुए जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया और वापस आकर अपनी मामी के क़रीब खडा हो गया । नरेश ने अपने अंडरवियर को भी नीचे सरका दिया और अपनी मामी का हाथ पकडकर अपने फडकते हुए लंड पर रख दिया ।
 

Rakesh1999

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रेखा का पूरा जिस्म अपना हाथ अपने भांजे के गरम लंड पर पडते ही सिहर उठा और वह अपने भान्जे का गरम लंड अपने नरम हाथों से सहलाने लगी।
"आह्ह्ह्ह मामी आपका हाथ कितना नरम है" नरेश ने सिसकते हुए कहा और अपने हाथों से रेखा के ब्लाउज के आगे वाले बटन खोलने लगा।
"आहहह भान्जे इसे क्यों खोल रहे हो?" ब्लाउज के बटन खोलते हुए नरेश का हाथ अपनी चुचियों पर महसूस करते ही रेखा ने सिसकते हुए कहा।
"मामी आप चुपचाप मज़े लो और हमें भी लेने दो" नरेश ने रेखा के ब्लाउज के बटन खुलने के बाद उसे उसके जिस्म से जुदा करते हुए कहा।

अचनाक रेखा को अपना पेटिकोट उतरते हुए महसूस हुआ जब तक वह अपने हाथ से उसे पकडती वह उसके जिस्म से अलग हो चुका था।
"बेटे तुम मुझे नंगा क्यों कर रहे हो। मैंने कहा न रात को तुम्हें जो करना है कर लेना" रेखा ने अपने पेटिकोट के अलग होते ही अपने बेटे को समझाते हुए कहा ।
"मामी आप टेन्शन मत लो हम सिर्फ आपके जिस्म को नंगा देखकर ठण्डा होना चाहते है" नरेश ने अपनी मामी को समझते हुए कहा और अपने हाथ से उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से नीचे सरका दिया । ब्रा के नीचे होते ही रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां बिलकुल नंगी होकर नरेश की आँखों के सामने झूमने लगी।

"वाह मामी आपकी चुचियां कितनी बड़ी और नरम है" नरेश ने रेखा की दोनों चुचियों को अपने हाथों में थामकर कहा । नरेश अपने दोनों हाथों से रेखा की चुचियों को बुहत ज़ोर से मसल रहा था।
"आहहहह भांजे आराम से" रेखा ने अपनी चुचियों पर नरेश के हाथों का दबाब पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा । रेखा का हाथ अब भी नरेश के लंड को अपनी मुठी में लेकर सहला रहा था ।
विजय ने अपनी माँ की पेंटी में हाथ ड़ाला और उसे भी रेखा के चूतड़ों से खींचकर नीचे कर दिया । विजय ने रेखा की पेंटी के उतरते ही उसे थोडा नीचे झुका दिया जिस वजह से उसकी गांड थोडा पीछे होकर विजय के आँखों के सामने आ गयी।
"आह्ह्ह्हह माँ साला नरेश सच कह रहा था आपकी भूरी गांड को देखकर तो अपना लंड वहां घूसाने का मन करता है" विजय ने अपनी माँ की पेंटी के नीचे होते ही रेखा की गांड के गोरे छेद को अपनी उँगलियों से सहलाते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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"ओहहहहहह बेटे अभी कुछ मत करना मैंने वहां कभी नहीं लिया" रेखा ने अपनी गांड पर अपने बेटे की उँगलियाँ का स्पर्श पाते ही ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"ओहहहहहह माँ आप तो ऐसे ही डर रही हैं आपके चूतड इतने बड़े हैं की हम दोनों के लंड एक साथ इस में समां जाएंगे" विजय ने नीचे झुकते हुए कहा और अपनी होंठ को अपनी माँ की भूरी गांड पर रखकर उसे चूमने लगा ।

"आह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह बेटे तुम भी न अपने गधे जितने लंड को देखा है यह चूत का ही बुरा हाल कर देता है तो गांड तो फ़ाड़ ही डालेगा" रेखा ने अपने बेटे के होंठ अपनी गांड पर पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"माँ मगर हम इसमें अपना लंड घुसाना चाहते है" विजय ने अपने होंठो को अपनी माँ की गांड से अलग करते हुए कहा और अपनी जीभ निकालकर रेखा की गांड के छेद पर फिराने लगा ।

"ओहहहह आअह्ह्ह्हह बेटे अभी नहीं रात को जो करना है कर लेना" रेखा ने अपनी गाँड पर अपने बेटे की जीभ के लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा । नरेश ने भी अपना मूह खोलते हुए रेखा की एक चूचि के एक कड़े दाने को अपने मूह में भर लिया और बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।
रेखा का मज़े के मारे बुरा हाल था। एक तरफ नरेश उसकी चूचि चूस रहा था तो दूसरी तरफ उसकी गांड पर उसका बेटा अपनी जीभ फिरा रहा था । रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी टपक रहा था और उसके हाथ नरेश के लंड पर बुहत ज़ोर से चलने लगा।

नरेश रेखा की दोनों चुचियों को बारी बारी अपने मुँह में लेकर चूस और चाट रहा था वह कभी कभी रेखा की चूचि को अपने दांतों से काट भी रहा था। जिस वजह से उसके मूह से बुहत ज्यादा सिस्कियाँ और चीख़ें निकल रही थी । विजय ने अचानक अपनी जीभ को अपनी माँ की गांड से हटाते हुए अपनी एक ऊँगली को रेखा की गीली गांड पर रखकर दबाब देते हुए उसे उसकी गांड में आधा घुसा दिया ।
 

Rakesh1999

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"उईईए आहह बेटे निकालो बदमाश वहां पर क्यों घुसायी" रेखा ने अचानक अपनी गांड में ऊँगली के घूसने से सिसकते हुए बोली । विजय अपनी माँ की बात को न सुनते हुए अपनी ऊँगली को उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा, रेखा को भी थोडी देर में बुहत ज्यादा मजा आने लगा और वह भी सिसकते हुए अपने भांजे के लंड को तेज़ी के साथ आगे पीछे करने लगी।

विजय ने देखा के उसकी माँ की चूत से बुहत ज्यादा पानी बह रहा है तो उसने अपने लंड को पकडकर उसकी चूत पर घीसने लगा और अपनी दूसरी ऊँगली को भी अपनी माँ की गांड में पेल दिया।

"उईई आअह्ह्ह बेटे" रेखा ने इतना ही कहा था की नरेश ने अपने मूह को उसकी चुचियों से हटाते हुए उसके होंठ पर रख दिया । नरेश रेखा के गुलाबी होंठो को बुहत ज़ोर से चूसने लगा, रेखा का पूरा जिस्म मज़े की शिद्दत से काम्पने लगा। उसे अब अपनी गांड के दर्द की अब कोई चिंता नहीं थी ।

रेखा ने मज़े से अपनी जीभ को अपने भान्जे के मुँह में डाल दिया। जिसे नरेश बुहत ज़ोर से चूसते हुए अपने हाथों से रेखा की चुचियों को दबाने लगा । विजय ने अब अपनी दोनों उंगिलयों को अपनी माँ की गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था ।
विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए उसे आँख मार दी। नरेश विजय का इशारा समझ गया और अपना मुँह रेखा के मुँह से हटाते हुए उसे बालों से पकडते हुए अपने लंड पर झुका दिया, रेखा ने नीचे होते ही कुछ देर तक अपनी जीभ को नरेश के लंड पर फिराने के बाद अपना मुँह खोलकर उसके लंड को आधा अपने मुँह में भरलिया।

रेखा नरेश का लंड चाटते हुए बुहत झुकी हुयी थी। जिस वजह से उसकी गांड और चूत बिलकुल पीछे की तरफ निकलकर उसके बेटे को दिख रही थी । विजय अपनी दो उँगलियों को वैसे ही रेखा की चूत में घुसाए हुए दुसरे हाथ से अपने लंड को अपनी माँ की चूत के छेद पर रख दिया और बुहत ज़ोर का धक्का मार दिया ।
 

Rakesh1999

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आहहहहह बेटे तुमने कहा था कुछ नहीं करोगे फिर इसे क्यों मेरी चूत में घुसा दिया?" रेखा ने नरेश के लंड को अपने मुँह से निकालकर सिसकते हुए कहा।
"मामी हमने आपकी गांड न मारने का वादा किया है चूत का मज़ा तो हम लेंगे ही" नरेश ने अपनी मामी की बात सुनकर अपना लंड फिर से उसके मुह में ड़ालते हुए कहा ।

रेखा समझ गयी की यह दोनों उसे ऐसे नहीं चोदने वाले इसीलिए वह चुपचाप अपने भान्जे का लंड चूसते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होने का मजा लेने लगी । विजय अपना लंड अपनी माँ की चूत में बुहत ज़ोर से जोर से पेल रहा था ।
विजय की दो उँगलियाँ वैसे ही रेखा की गांड में घुसी हुयी थी। जिस वजह से उसे रेखा की चूत चोदते हुए बुहत टाइट लग रही थी और उसे अपनी माँ को चोदते हुए बुहत मजा भी आ रहा था।

विजय ने अचानक अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए अपनी उँगलियों को उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा । रेखा भी अपने एक छेद में अपने बेटे की उँगलियाँ और दुसरे छेद में उसका लंड अंदर बाहर होने से बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी और उसका पूरा जिस्म अपने बेटे से चुदवाते हुए कांप रहा था ।

"ओहहहहहह बेटे ज़ोर से करो आअह्ह्ह मैं झरने वाली हूँ आहहहः" रेखा ने अचानक नरेश का लंड अपने मुँह से निकाल लिया और उसे अपने हाथ से सहलाते हुए ज़ोर जोर से बडबडाते हुए झरने लगी । विजय अपनी माँ को झडता हुआ देखकर उसकी चूत में अपना लंड बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा ।

रेखा ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और वह मज़े से अपने चूतडों को उछालते हुए झरने का मजा लेने लगी।
"साले अब तो इधर आ और मुझे भी मामी की चूत का मजा लेने दे" रेखा ने झरने के बाद जैसे ही अपनी आँखें खोली नरेश ने विजय को देखते हुए कहा ।
विजय नरेश की बात सुनकर अपनी माँ की चूत से अपना लंड निकालकर उसके मुँह की तरफ आ गया ।नरेश वहां से उठकर अपनी मामी के पीछे आ गया और नीचे झुककर अपनी मामी की भूरी गांड का एक चुम्मा ले लिया।
 

Rakesh1999

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"आह्ह्ह्ह भांजे" रेखा अपनी गांड पर अपने भांजे के होंठो के लगते ही सिसक उठी और अपने बेटे के लंड को जो उसकी चूत से निकले पानी से सना हुआ था अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी । विजय ने अपने लंड पर अपनी माँ की जीभ के पडते ही एक हाथ को उसके सर में डाल दिया और दुसरे हाथ से अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियां सहलाने लगा ।

नरेश ने अपनी जीभ निकाली और अपनी मामी की भूरी गांड पर फिराने लगा । रेखा की चूत अपने भांजे की जीभ अपनी गांड पर लगते ही फिर से गरम होकर पानी टपकने लगी, नरेश का लंड भी उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर से झटके खा रहा था ।
नरेश ने कुछ देर अपनी मामी की गांड को चाटने के बाद अपने लंड को पकडते हुए रेखा की चूत में पेल दिया।
"आजहहह भान्जे आज तो तुम्हारा लंड भी मेरे बेटे जितना मोटा हो गया है" रेखा ने नरेश का लंड अपनी चूत में घुसते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा और अपना मुँह खोलकर अपने बेटे के लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

"आह्ह्ह्ह मामी आपकी भूरी गांड को देखकर तो मेरा लंड पागल हो गया है" नरेश ने अपने लंड को अपनी मामी की चूत में अंदर बाहर करते हुए अपनी एक ऊँगली को उसकी गांड में घुसा दिया । नरेश कुछ देर तक अपनी ऊँगली को रेखा की गांड में अंदर बाहर करने के बाद उसने अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड में घुसा दिया।
रेखा का पूरा बदन फिर से पूरी तरह गरम हो चुका था और वह अपने बेटे के लंड को बुहत ज़ोर से चूसते हुए अपने चूतडों को नरेश के लंड पर दबा रही थी । नरेश को भी आज अपनी मामी को चोदते हुए बुहत मजा आ रहा था क्योंकी अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड में होने के सबब उसे रेखा की चूत चोदते हुए बुहत टाइट लग रही थी।

नरेश के लंड से कुछ देर चुदने के बाद ही रेखा का जिस्म फिर से अकडकर झटके खाने लगा और उसने अपने बेटे के लंड को अपने मुँह से निकालकर अपनी मुठी में ले लिया । रेखा विजय के लंड को बुहत ज़ोर से आगे पीछे करते हुए ज़ोर से हांफ रही थी ।
 

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"ओहहहहह भान्जे मैं झडने वाली हूँ आअह्ह्ह्हह्ह
रेखा ने इतना ही कहा था की उसकी चूत से पानी निकलने लगा और उसकी आँखें मज़े से बंद हो गई । विजय भी इतनी देर से अपने आप पर कण्ट्रोल किये हुए था उसने अपनी माँ को झडता हुआ देखकर अपना लंड उसके मुँह में पूरा पेल दिया और उसके सर को पकडकर अपने लंड पर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा।

नरेश की हालत भी वैसी ही थी वह भी झडने के बिलकुल क़रीब था । रेखा की चूत ने झडते हुए नरेश के लंड को ज़ोर से पकड लिया था । इसीलिए नरेश भी ज़ोर से हाँफते हुए अपने लंड का पानी रेखा की चूत में गिराने लगा।
"आह्ह्ह्ह मामी मैं भी आ रहा हूँ" नरेश अपनी मामी की चूत में अपना वीर्य भरते हुए ज़ोर से चीखते हुए बोला ।

नरेश का पानी अपनी चूत में गिरते ही रेखा की चूत और ज्यादा पानी बहाने लगी और रेखा ने मज़े के मारे अपने बेटे के लंड को ज़ोर से अपने होंठ के बीच दबा दिया।
"आआह्ह्ह्ह हहहह साली रंडी मैं भी गया" विजय भी ज़ोर से चीखते हुए अपने वीर्य को अपनी माँ के मुँह में गिराने लगा ।
रेखा अपने बेटे का वीर्य जितना हो सकता था गटकने लगी। मगर विजय के लंड बुहत ज्यादा वीर्य निकलने की वजह से वह उसके मुँह से निकलकर उसकी चुचियों पर गिरने लगा । विजय का लंड कुछ देर में ही सिकुड़कर उसकी माँ के मुँह से निकल गया।

नरेश का लंड भी सिकुड़कर उसकी मामी की चूत से निकल चूका था। इसीलिए वह अपनी मामी से दूर हटकर अपने कपड़े पहनने लगा । विजय भी अपनी माँ से दूर हटकर अपने कपड़ों को उठाने लगा, रेखा भी एक ही वक्त अपने बेटे और भान्जे के दो जवान लन्डों से चुदवाकर बुहत ज्यादा थक गयी थी । इसीलिए वह भी सीधा होते हुए अपने कपडे पहनने लगी ।

विजय और नरेश अपने कपड़े पहनकर वहां से चले गए । रेखा ने भी अपने कपडे पहन लिए थे मगर वह बुहत ज्यादा थक चुकी थी इसीलिए वह किचन में ही कुछ देर के लिए बैठकर अपनी हालत को ठीक करने की कोशिश करने लगी । रेखा वहां पर बैठे हुए यह ही सोच रही थी की अगर एक ही वक्त उसके बेटे और भांजे ने उसकी गांड चोद ली तो उसकी क्या हालत होगी ।


रेखा कुछ देर वहां पर बैठे रहने के बाद उठते हुए किचन के सामान को सही जगह रखने लगी । मुकेश का आज ऑफिस में दिल नहीं लग रहा था। उसे बार बार अपनी बीवी की बाते याद आ रही थी की वह अपने बेटे भांजे और ससुर से चुदवा चुकी है और कंचन भी अपने भाई से चुदवा चुकी है ।

मुकेश ने जैसे तैसे ऑफिस का टाइम ख़तम किया और वापस घर आ गया । मुकेश ने अपने कमरे में दाखिल होते ही अपने जूतों को उतारने लगा।
"माँ पिता जी आ गये है" कंचन ने अचानक किचन में दाखिल होते हुए अपनी माँ से कहा।

"बेटा मुझे थोडा काम है। वह नहाकर निकले तो तुम उसे खाना दे देना" रेखा ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा।
"ठीक है माँ मैं अभी देखकर आती हूँ की वह फ्रेश हुए हैं या नही" कंचन ने अपनी माँ से कहा और अपने पिता को देखने उनके कमरे में चली गयी ।
 

Rakesh1999

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मुकेश बाथरूम में आराम से नहा रहा था दरवाज़ा खुलने की आवाज़ उसे सुनाये दी मगर उसे यह पता नहीं था की उसकी बेटी बाहर उसका इंतज़ार कर रही है । मुकेश ने समझा उसकी पत्नी अंदर आई है इसीलिए वह नहाने के बाद सिर्फ टॉवल लपेट कर बाहर आ गया।

कंचन जो बेड पर बैठकर अपने पिता का इंतज़ार कर रही थी वह अपने पिता को सिर्फ टॉवल में देखकर घबराते हुए बेड से उठकर खड़ी हो गई । मुकेश भी अपनी धुन में बाहर निकला था वह भी अचानक अपनी बेटी को सामने देखकर बोखला गया और उस बोखलाहट में उसका टॉवल उसके हाथ से छूट गया।

मुकेश अपनी बेटी के सामने बिलकुल नंगा खडा था ।कंचन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।उसका बाप बिलकुल नंगा बूत बनकर उसके सामने खडा था।
"बापु मैं खाना लेकर आती हूँ आप कपडे पहन लो" कंचन ने अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा और वहां से भाग कर बाहर निकल गई।

मुकेश ने अपनी बेटी के जाते ही अपने कपड़ों को उठाकर पहन लिया । कंचन भागते हुए बाहर आ गयी थी और वह बाहर खडी होकर बुहत ज़ोर से साँसें लेते हुए मुस्कुरा रही थी, कंचन ने अनजाने में ही अपने सगे बाप का लंड देख लिया था ।
मुकेश कपडे पहन कर बेड पर बैठ गया। वह सोच रहा था की जाने उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोच रही होगी । कंचन अपनी साँसों को ठीक करने के बाद किचन में जाकर अपने पिता का खाना ले आई और सीधा अपने बाप के कमरे में दाखिल हो गयी।

"बेटी मुझे माफ़ कर देना। मैंने समझा था की यहाँ पर तुम्हारी माँ है इसीलिए मैं ऐसे ही बाहर आ गया और अचानक अपने सामने तुम्हें देखकर घबरा गया" मुकेश ने अपनी बेटी को खाना रखते हुए माफ़ी माँगते हुए कहा।
"पिताजी कोई बात नहीं मैं किसी को नहीं बताउंगी" कंचन ने मुस्कराते हुए कहा ।
"थैंक्स बेटी तुम बुहत समझदार हो" मुकेश ने अपनी बेटी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा तभी अचानक मुकेश की नज़र कंचन की चुचियों पर चली गई, कंचन की साड़ी का पल्लू खाना नीचे रखते हुए उसकी चुचियों से हट गया था जिस वजह से उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियों का चिकना उभार साफ़ नज़र आ रहा था।

"पिताजी और कुछ तो नहीं चाहिये" कंचन ने खाना रखने के बाद वैसे ही झुके हुए अपने पिता की तरफ देखते हुए कहा । कंचन ने जैसे ही देखा की उसका पिता उसकी चुचियों की तरफ देख रहा है वह जल्दी से सीधा हो गयी।
"बेटी वह बस बाकी पानी रख दो" मुकेश ने अपनी बेटी के हाथों अपनी चोरी पकडे जाने पर हकलाते हुए कहा।कंचन ने पानी भरकर अपने पिता के पास रख दिया और वहां से वापस जाने लगी ।
 
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Rakesh1999

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कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 
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