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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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महेश अपनी बहु की चूत के छेद को बुहत तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चाटने लगा। वह बिलकुल पागल हो चुका था। वह अपनी बहु की चूत को ज़ोर से चाटते हुए यह भी भूल गया था की कहीं वह होश में आ गयी तो क्या होगा । अचानक महेश को महसूस हुआ की नीलम का जिस्म हिल रहा है वह डर के मारे अपनी बहु से अलग हो गया और जल्दी से उसके कपड़ों को ठीक कर दिया ।


महेष अपनी धोती को पहनकर फिर से अपनी बहु को उठाने की कोशिश करने लगा मगर वह वैसे ही पड़ी रही ।महेश का लंड अब भी तना हुआ था वह इतनी देर से अपनी बहु के जिस्म से खेलने के बाद बुहत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था, महेश ने अपनी धोती को फिर से उताकर नीचे फ़ेंक दिया और वहां पर खड़े हुए ही अपनी बहु के गालों पर हाथ फेरते हुए अपना लंड हिलाने लगा ।


महेश अपने लंड को तेज़ी के साथ हिलाते हुए अपनी बहु के गालों को सहला रहा था । अचानक महेश अपने हाथ से अपनी बहु के गालों को सहलाते हुए उसके गुलाबी होंठो की तरफ ले जाने लगा, नीलम के होंठो पर अपने हाथ के लगते ही महेश का पूरा जिस्म काँपने लगा और उसका हाथ अपने लंड पर बुहत तेज़ हो गया। महेश की आँखें मज़े से बंद हो चुकी थी और वह बुहत ज़ोर से हाँफते हुए झडने लगा ।


महेश को यह भी पता नहीं था की वह कहाँ पर झड़ रहा है उसके लंड से निकलते हुए वीर्य की बूँदे नीलम के पेट,चुचियों और उसके जिस्म के दुसरे हिस्सों पर गिरने लगा, महेश के लंड से इतना ज्यादा वीर्य निकला था की नीलम का पूरा जिस्म ही उसके वीर्य से भीग चूका था । महेश ने जैसे ही पूरी तरह झडने के बाद अपनी आँखें खोलकर अपनी धोती उठाई उसके होश गायब हो गये क्योंकी उसके सामने उसका बेटा समीर खडा था ।
 

Rakesh1999

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महेश ने अपने बेटे को देखकर काँपते हुए अपनी धोती पहन ली और अपना सर नीचे झुककर खड़ा हो गये।

"वाह यहाँ पर तो बुहत बड़ा नाटक हो रहा है ससुर अपनी बहु के जिस्म से खेलकर उसके जिस्म पर अपना वीर्य गिरा रहा है और बहु सोने का नाटक कर रही है जैसे वह गहरी नींद में हो। उठ छिनाल" समीर ने चीखते हुए अपनी पत्नी से कहा।

"नही बेटे वह बेहोश है" महेश ने अपने बेटे को गुस्से में देखकर कहा ।


"बेहोश है क्यों क्या हुआ इसे?" समीर ने हैंरान होते हुए कहा । महेश ने अपने बेटे को सारी बात बता दिया की कैसे नीलम बेहोश हुई और वह उसे यहाँ लेके आया।

"बापु जी आपको शर्म नहीं आई अपनी बेटी जैसी बहु के बेहोश होने का फ़ायदा उठाते हुए।

"वाह बेटे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए। अपनी विधवा बहन का फ़ायदा उठा रहे हो, तुमको उसके साथ देखने से ही बहु बेहोश हुई और मेरी नियत भी तुम भाई बहन को देखकर ही फिसली" महेश ने इस बार अपने बेटे को दबाव में लाते हुए कहा ।


अपने पिता की बात सुनकर समीर को जैसे साँप सूंघ गया वह चुप होकर खड़ा रहा।

"क्या हुआ बेटे निकल गयी सारी हवा मगर तुमने अपनी बहन के साथ जो पाप किया है उसकी सजा तुम्हें भुगतनी होगी" महेश ने अपने बेटे को चुप खड़ा देखकर खुश होते हुए कहा।

"पिता जी उसमें जितना मेरा क़सूर है उतना ही ज्योति दीदी का" महेश ने हकलाते हुए कहा ।


"हाँ तुम्हारे साथ उसे भी सजा मिलेगी" महेश ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।

"पिटा जी मैं हर सजा के लिए तैयार हू" समीर ने अपने सर झुकाये हुए कहा।

"बेटे तुम ज्यादा चिंता मत करो यह हवस की आग होती ही अंधी है बस इस बात का पता तुम्हारी माँ को मत पडने देना और तुम्हारी सजा यह है की अगर मैंने अपनी बहु और बेटी को पटा लिया तो तुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा" महेश ने अपने दिल की बात बताते हुए कहा ।

"बापु आप यह क्या कह रहे हो?" समीर ने हैंरान होते हुए कहा।

"हाँ बेटे बिलकुल सही कह रहा हूँ मैं। तुम्हारी माँ तो मुझे नज़दीक आने नहीं देती और मेरा यह नालायक सारा दिन मुझे तँग करता रहता है इसीलिए अगर हमें घर में ही कोई चूत मिल जाए तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत" महेश ने अपने बेटे का जवाब देते हुए कहा।

"ठीक है पिता जैसे आपकी मर्ज़ी। मैं आपके बीच कभी नहीं आऊंगा" समीर ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा ।


"ठीक है बेटे अब मैं चलता हूँ अपनी पत्नी को साफ़ कर देना" महेश ने अपने बेटे से कहा और वहां से चला गया।
 

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समीर अपने पिता के जाने के बाद एक गीला कपड़ा उठाकर अपनी पत्नी को साफ़ करने लगा ताकी उसे कोई शक न हो । समीर अपनी पत्नी के मुँह पर पानी के कुछ छींटे उसके मारकर उसे उठाने लगा ।


समीर की थोड़ी कोशिश के बाद ही नीलम को होश आ गया।

"समीर तुम निकल जाओ यहाँ से मुझे तुमसे बात नहीं करनी बापू कहाँ है?" नीलम ने होश में आते ही फिर से रोते हुए कहा।

"नीलम संभालो अपने आपको वह चले गए हैं यहाँ से" समीर ने अपने पत्नी को समझाते हुए कहा।

"तुम मुझे सँभलने के लिए कह रहे हो अब बचा क्या है मेरे लिये" नीलम ने फिर से रोते हुए कहा ।


"नीलम वह सब तुम्हारी ही गलती की वजह से हुआ है अगर तुम मुझे हर चीज़ का सुख देती तो मैं कभी दूसरी तरफ नहीं जाता" समीर ने नीलम से कहा।

"हाँ मेरा ही क़सूर है मगर तुम अपनी बहन के साथ छी छी मुझे सोचते हुए भी शर्म आती है" नीलम ने चिल्लाते हुए कहा ।


"नीलम तुम समझने की कोशिश करो अगर मैं बाहर जाता तो घर की बदनामी होती और दीदी भी कब से प्यासी थी अगर वह किसी गैर मरद से नाता जोड़ती तो भी हमारे लिए शर्म का सबब बनती" समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।

"समीर मैं अगर तुम्हें प्यार दूं तो तुम उसके साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखोगे" नीलम ने अपने पति की बात सुनकर उसे गले से लगाते हुए कहा ।


"देखो नीलम वह भी एक औरत है अगर मैंने उसे छोड़ दिया तो वह किसी न किसी से सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगी जो हमारे घर के लिए बदनामी का सबब बनेगा इसीलिए मैं उसे नहीं छोड़ सकता" समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।

"समीर अगर तुमने उसे नहीं छोडा तो मैं भी तुम्हारे अलावा किसी गैर मरद से सम्बन्ध बना लूंगी" नीलम ने गुस्से से समीर की तरफ देखते हुए कहा ।
 

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"हाहाहा तुम और दुसरे मरद से ठीक है अगर मेरी तरह तुमने अपने ही किसी घर के शख्स से सम्बन्ध बनाया तो मुझे कोई एतराज़ नही" समीर ने हँसते हुए कहा क्योंकी वह जानता था की नीलम को सेक्स पसंद नहीं इसीलिए वह कभी किसी से सम्बन्ध नहीं बना सकती मगर वह एक औरत की ज़िद को नहीं जानता था।

"ठीक है समीर अब मैं तुम्हें बताऊँगी के औरत क्या कर सकती है" नीलम ने गुस्से में कहा और अपना मूह दूसरी तरफ करके सो गयी ।


नीलम ने फैसला कर लिया था की वह खुद को पूरी तरह चेंज करेगी और अपने पति को बतायेगी की अगर औरत कुछ करने पे आये तो वह कुछ भी कर सकती है ।हर रोज़ की तरह सुबह उठते ही समीर नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिए निकल गया। नीलम नाश्ता करने के बाद सारा सामन किचन में रखकर खुद अपने कमरे में चलि गयी क्योंकी बर्तन धोने का काम ज्योति करती थी ।


नीलम अभी अपने कमरे आकर बैठी ही थी की उसका ससुर महेश कमरे में दाखिल हुआ जिसे देखकर वह बेड से उठकर खड़ी हो गयी।

"बैठो बेटी तुम खड़ी क्यों हो गयी" महेश ने अपनी बहु को खड़ा देखकर कहा और खुद सामने पड़े सोफ़े की के कुर्सी पर बैठ गया, नीलम अपने ससुर के बैठते ही खुद भी बेड पर बैठ गयी।

"बेटी रात को क्या हुआ था जो तुम बेहोश हो गई । मैंने जब तुमको कमरे में जाकर सुलाया तो समीर भी वहां नहीं था?" महेश ने अन्जान बनने का नाटक करते हुए अपनी बहु से पुछा ।


नीलम अपने पिता की बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और फिर सारी बात उसे बता दी।

"बेटी मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है फिर समीर से तुम्हारी बात हुई?" महेश ने दूसरा सवाल किया।

"पिता जी" नीलम ने रोते हुए अपने ससुर को सारी बात बता दी।

"बेटी अपने आपको सम्भालो तुम्हें अगर अपने पति को वापस पाना है तो उसे जलाना होगा" महेश ने नीलम को सलाह देते हुए कहा ।
 

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मगर कैसे पिताजी?" नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा।

"बेटी अगर वह अपनी बहन के साथ यह सब कर सकता है तो तुम्हें भी कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसे जलन होने लगे" महेश ने अपनी बहु को रास्ता दिखाते हुए कहा।

"पिता जी मगर यहाँ पर तो समीर के सिवा कोई और है ही नही" नीलम ने सोचते हुए कहा।

"बेटी तुम बुहत पगली हो मैं तुम्हारे पिता सामान हूँ मगर में तुम्हारा साथ दे सकता हू" महेश ने सीधा सीधा अपनी बहु से कहा ।


"पिता जी मगर आपके साथ नहीं मैं सोच भी नहीं सकती" नीलम ने शर्म से पानी पानी होते हुए कहा।

"बेटी मैं कुछ करने की नहीं सिर्फ नाटक करने की बात कर रहा हू" महेश ने अपनी बहु को समझाते हुए कहा।

"नाटक हाँ पिता जी आप सही कह रहे हैं अगर मैं समीर के सामने आपके साथ नाटक करुं तो वह ज़रूर गुस्सा होंगे" नीलम ने खुश होते हुए कहा ।


"बेटी शुकर है तुम्हें समझ में तो आया मगर यह इतना आसान भी नहीं है इसके लिए तुम्हें सारी शरम छोडनी होगी" महेश ने अपना प्लान कामयाब होता देखकर खुश होते हुए कहा।

"हाँ पिता जी मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हुँ" नीलम ने अपने ससुर को यकीन दिलाते हुए कहा।

"ठीक है बेटी फिर आज के लिए कोई प्लान बनाते हैं" महेश ने अपनी बहु की बात को सुनते हुए कहा ।


"बेटी एक बार और सोच लो। हो सकता है तुम्हें यह सब अच्छा न लगे क्योंकी तुम्हें मेरे साथ बुहत कुछ करना होगा। हो सकता है तुम्हें मेरे सामने नंगा भी होना पड़े या उससे ज्यादा कुछ गंदा" महेश ने अपनी बहु की आँखों में देखते हुए कहा।

"नही पिता जी मैं तैयार हुँ" नीलम ने शर्म से अपनी नज़रों को झुकाते हुए कहा।

"ठीक है बेटी मेरे पास आजके लिए एक प्लान है" महेश ने नीलम को देखते हुए कहा ।
 

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बेटी जब समीर ऑफिस से घर आता है तो तेरी सास और ज्योति सोयी हुयी होती हैं हमें उस वक्त कुछ ऐसा करना होगा जिससे समीर हैंरान हो जाए" महेश ने अपनी बहु को आइडिया देते हुए कहा।

"हाँ पिता जी आपकी बात तो बिलकुल ठीक है मगर हमें क्या करना होगा?" नीलम ने अपने ससुर की तरफ देखते हुए कहा।

"बेटी मैंने पहले ही कहा था की तुम्हें यह सब करने में बुहत बोल्ड होना पड़ेगा हमें समीर को ऐसे दिखाना है जैसे हमारे बीच जिस्मानी सम्बन्ध चल रहा है" महेश ने अपनी बहु की तरफ देखते हुए कहा ।


"पिता जी मैं तैयार हूँ मगर हमें करना क्या होगा?" नीलम ने अपने ससुर से कहा।

"बेटी जब समीर घर में दाखिल होता है तो वह सीधे अपने कमरे में आता है हमें उसके आने से पहले उस कमरे में बिलकुल नंगा होकर एक दुसरे की बाहों में सोना होगा और जैसे ही वह दाखिल हो तुम्हें उठकर यह कहना होगा अरे बापू आपने दरवाज़ा भी बंद नही किया। आज यह टाइम इतनी जल्दी कैसे बीत गया" महेश ने अपना प्लान अपनी बहु से समझाते हुए कहा।


"पिता जी आपने सही कहा था मेरे लिए यह बुहत मुश्किल है मगर मैं अपने पति को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हू" नीलम ने अपने ससुर की पूरी बात सुनकर शर्म से अपनी नज़रें नीचि करते हुए कहा।

"वेरी गुड बेटी ऐसे ही तुम्हें अपने ऊपर पूरा आत्मविश्वास रखना होगा" महेश ने अपने बहु की तारीफ करते हुए कहा।

"ठीक है पिताजी आप ४-३० बजे आ जाना। वह ५ बजे आते हैं तब तक हम बंदोबस्त कर लेंगे" नीलम ने अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही कहा ।


"ठीक है बेटी अब मैं चलता हूँ" महेश ने अपनी बहु की बात सुनकर वहां से जाते हुए कहा । महेश कमरे से निकलकर ख़ुशी से उछल पड़ा कितनी आसानी से उसने अपनी बहु को बेवक़ूफ़ बना लिया था, अब वह अपने कमरे में आकर बेसब्री से शाम का इंतज़ार करने लगा । आने वाले टाइम का सोचते हुए ही उसका लौडा तेज़ी से उछल रहा था ।
 

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नीलम भी कुछ देर तक बैठकर आने वाले टाइम के बारे में सोचती रही जाने क्यों अपने ससुर के साथ नंगा सोने का सोचते हुए ही आज नीलम की चूत से पानी बहने लगा । नीलम को अपने आप पर बुहत घिन आ रही थी इसीलिए वह उठकर घर का काम काज करने में मसरुफ हो गयी, ऐसे ही टाइम बीत गया और शाम के ४-३० हो गये ।


नीलम अपने कमरे में बैठे हुए अपने ससुर का इंतज़ार कर रही थी उसका दिल आने वाले टाइम के बारे में सोचते हुए ज़ोर से धड़क रहा था । अचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और महेश अंदर दाखिल हो गये।

"बापु आप आ गये मुझे तो बुहत डर लग रहा है शायद मैं यह सब नहीं कर पाऊँगी" नीलम ने अपने ससुर को देखते ही बेड से उठते हुए कहा ।


"क्या कहा बहु कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई हो?" महेश ने हैंरानी और गुस्से से नीलम को देखते हुए कहा।

"बापु जी मैं सही कह रही हूँ मुझसे यह सब नहीं होगा मुझे अभी से बुहत शर्म आ रही है" नीलम ने अपने ससुर को साफ़ जवाब देते हुए कहा।

"बहु तुम ज्यादा चिंता क्यों करती हो । मैं हूँ न तुम्हारे साथ" महेश ने बात को अपने हाथ से जाता हुआ देखकर अपनी बहु के पास जाकर उसके हाथ को पकडते हुए कहा ।


"बापु जी जाने क्यों मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं हो रहा है क्या मैं यह कर सकती हूँ" नीलम ने अपने ससुर की तरफ देखते हुए कहा।

"बेटी क्या तुम चाहती हो की तेरा पति सारी ज़िंदगी तेरे सामने किसी दूसरी औरत को चोदता रहे और तुम देखती रहो। हिम्मत करो बेटी तुम कर सकती हो मुझे तुम पर यकीन है" महेश ने अपनी बहु को समझाते हुए कहा ।


"पिता जी मैं जानती हूँ की आप मुझे दुखि नहीं देख सकते मगर जाने क्यों मेरा दिल नहीं मान रहा है" नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा।

"बेटी तुम्हारे लिए जब मैं हर हद पार करने को तैयार हूँ तो फिर तुम क्यों डर रही हो । लो पहले मैं ही शुरुआत कर देता हूँ अपने रिश्ते को तार तार करने की" महेश किसी भी कीमत पर यह मोका गँवाना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी धोती को खोलकर नीचे फ़ेंक दिया ।
 

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"बापु जी!" नीलम ने अपने सामने अपने ससुर के नंगे फनफनाते हुए मुसल लंड को देखकर हैंरानी से अपना हाथ अपने मूह पर रखकर बोली।

"क्या हुआ बेटी" महेश अपनी बहु के सामने यों ही नंगा खडा हुए बोला। नीलम की नज़रें अपने ससुर के लंड पर टीक चुकी थी। महेश का लंड देखते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन का अहसास हो रहा था और न चाहते हुए भी उसकी चूत गीली होने लगी ।


"बापु जी प्लीज अपनी धोती पहन लो" नीलम ने बिना अपनी नज़रें हटाये ज़ोर से साँस लेते हुए कहा। नीलम ने अपनी ज़िंदगी में कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था।

"बेटी मैंने तुम्हारी शर्म ख़त्म करने के लिए ही अपनी धोती हटायी है" महेश ने आगे बढ़ते हुए नीलम के बिलकुल पास खड़े होते हुए कहा।

"प्लीज बापू मुझसे दूर हटिये इसे देखकर मुझे जाने क्या हो रहा है" नीलम ने फिर से उत्तेजना के मारे तेज़ साँसें लेते हुए बोली ।


"बेटी अगर तुमने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं सारी ज़िंदगी अपने आपको माफ़ नहीं कर पाऊँगा की मैंने अपनी बहु के लिए कुछ नहीं किया" महेश ने नीलम का हाथ पकडते हुए कहा।

"हाहहह पिता जी मुझे पता है आप यह सब मेरे लिए कर रहे हैं मगर मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं है कहीं मैं बहक न जाऊं" नीलम ने अपने नरम हाथ पर अपने ससुर का ठोस हाथ पडते ही कहा ।


"बेटी तुम मेरा अपमान कर रही हो क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?" महेश ने गुस्सा होते हुए कहा।

"नही पिताजी मैं आप पर शक नहीं कर रही ठीक है मैं तैयार हूँ मगर सब कुछ आपको ही करना होगा" नीलम ने आख़िरकार हार मानते हुए कहा।

"सब कुछ मुझे करना होगा बेटी मैं समझा नहीं?" महेश ने अपनी बहु की आँखों में देखकर कहा ।


"वो पिताजी मेरा मतलब है की मुझे शर्म आ रही है इसी लिए मेरे कपडे आपको ही" नीलम ने शर्म से अपनी नज़रें झुककर सिर्फ इतना कहा।
 

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च मैं समझ गया ठीक है मैं ही तुम्हारे कपडे उतारता हूँ" महेश ने कहा और नीलम की साड़ी में हाथ डालकर उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, दो मिनट में ही नीलम की साड़ी उसके जिस्म से हट गयी और वह अपने ससुर के सामने आधी नंगी होकर सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में ख़ड़ी थी ।


"ओहहह बेटी तुम कितनी सूंदर हो फिर भी वह नालायक" महेश अपनी बहु की साड़ी उतारने के बाद सिर्फ इतना कहा और अपनी बहु के ब्लाउज को खोलने लगा । ब्लाउज खोलने के बाद महेश ने अपनी बहु की ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, ब्रा के हटते ही नीलम की 36 की चुचियाँ बिलकुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी ।


महेश का लंड अपनी बहु की नंगी चुचियों को देखकर ज़ोर से झटके खाने लगा । नीलम ने शर्म से अपना सर नीचे किये हुए थी। इसीलिए उसे अपनी आँखों के सामने सीधा अपने ससुर का झटके खाता हुआ मुसल लंड नज़र आ रहा था, अपने ससुर के लंड को घूरते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब सिहरन हो रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे ज्यादा पानी निकल रहा था ।


महेश ने अब नीचे झुककर अपनी बहु के पेटिकोट को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसकी छोटी सी काली पेंटी को गौर से देखने लगा जो उसके चूत के पानी से भीगी हुइ थी । महेश ने कुछ देर तक अपनी बहु की पेंटी को गौर से देखने के बाद उसे अपने दोनों हाथों से पकडकर नीलम के चूतडों से नीचे सरका दिया।।

"ओहहहहह बेटी क्या गज़ब चूत है" पेंटी के हटते ही अपनी बहु की गुलाबी चूत को देखकर महेश के मुँह से निकल गया ।


"पिता जी" नीलम ने शर्म से सिर्फ इतना कहा।

"सॉरी बेटी तुम्हारा जिस्म का हर हिस्सा इतना सूंदर है की मेरा मुँह तुम्हारी तारीफ किये बगैर न रह सका" महेश ने पेंटी को अपनी बहु की टांगों से अलग करते हुए कहा । नीलम की हालत बुहत खराब हो चुकी थी। वह खुद हैंरान थी की आज वह इतना गरम कैसे हो गई है और उसकी चूत से इतना पानी कैसे निकल रहा है ।

"बेटी समीर आने वाला ही होगा हमें जल्दी से सोना होगा" महेश ने सीधा होते हुए कहा।

"जी पिता जी" नीलम ने सिर्फ इतना कहा और धीरे धीरे चलते हुए बेड पर जा लेटी । महेश भी बेड पर चढकर अपनी बहु के साथ जा लेटा। उसका लंड बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था।
 

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बेटी अब तो हमने एक दुसरे को नंगा देख ही लिया है तो शर्म कैसी । लेकिन हमें समीर को जलाने के लिए थोडा और आगे बढ़ना होगा" महेश ने अपनी बहु की तरफ देखते हुए कहा ।


"जी पिता जी जैसे आप को ठीक लगे मैं तैयार हू" नीलम ने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा यह बात कहते हुए नीलम की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी।

"बेटी मुझे गलत मत समझना मगर जब तक समीर न आ जाये हमें एक दुसरे की बाहों में बाहें डालकर सोना होगा" महेश ने अपनी बहु की इजाज़त पाते ही अपने एक बाज़ू को नीलम के सर के नीचे डालकर उसे अपनी तरफ सरकाते हुए कहा ।


"ठीक है पिता जी" नीलम ने सिर्फ इतना कहा । महेश ने अपनी बहु की बात सुनकर उसको कमर से पकडकर अपनी तरफ करते हुए अपनी बाहों में भर लिया।

"आआह्ह्ह्ह बेटी अपने बाज़ू को मेरी पीठ पर रख लो ताकी देखने वाले को हम पर कोई शक न हो" अपने नंगे सीने से अपनी बहु की नंगी नरम चुचियों के टकराने से महेश ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।


नीलम को आज तक किसी गैर मरद ने छुआ तक नहीं था । यहाँ तो वह पूरी नंगी होकर अपने ससुर के साथ लिपटी हुयी थी जिस वजह से उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चूका था । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । बस उसे अपने पूरे जिस्म में चींटियाँ रेंगते हुए महसूस हो रही थी । अपने ससुर की बात सुनकर उसने अपने हाथ को महेश की पीठ पर रखकर उसे ज़ोर से अपने सीने से दबा दिया।


"आह्ह्ह्ह बेटी शाबास अब हमें एक दुसरे का चुम्बन लेना होगा" महेश ने अपनी बहु को गरम देखकर उसे बुहत ज़ोर से अपनी बाहों में दबाते हुए कहा । नीलम को भी उस वक्त कुछ समझ में नहीं आ रहा था । उसका पूरा जिस्म टूट रहा था उसका मन बस यह चाह रहा था की उसके जिस्म को कोई बुहत ज़ोर से अपनी बाहों में लेकर दबाए, महेश ने अपनी बहु को खामोश देखकर उसके सर को ऊपर करके अपने होंठो के बिलकुल क़रीब कर दिया ।
 
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