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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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उन सब के जाते ही यहाँ के सभी लोग भी अपने अपने कमरों में चले गए । रेखा घर के काम काज में बिजी हो गई और देखते देखते रात हो गई । रेखा ने खाना बनाकर टेबल पर लगाया और सभी को अपने कमरों से बुला लायी, सभी बैठकर खाना खाने लगे मगर विजय, कंचन और कोमल बुहत धीमी रफ़्तार से खाना खा रहे थे।

"क्या हुआ बच्चों तुम लोगों को खाना पसंद नहीं आया क्या?" रेखा ने अपने बच्चों की तफ देखते हुए कहा ।


"माँ मुझे ज्यादा भूख नहीं लगी है" विजय ने कहा और वहां से उठकर अपने कमरे में चला गया । विजय के बाद कोमल भी उठकर अपने कमरे में चले गई।

"कंचन बेटा तुम्हें भी ज्यादा भूख नहीं होगी?" रेखा ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"जी माँ" कंचन ने सिर्फ इतना कहा।

"मुझे पता है उन लोगों के जाने से तुम्हें दुःख हुआ है मगर कुछ दिनों में ही तुम लोगों को सब ठीक लगने लगेगा ज़रा अपने भाई का ख़याल रखना" रेखा ने कंचन को देखते हुए कहा ।


कंचन अपनी माँ की बात सुनकर वहां से उठकर चले गयी । रेखा ने सब के जाने के बाद बर्तनों को उठाकर किचन में रखा और सारा काम निपटाने के बाद अपने कमरे में जाकर लेट गयी, रेखा ने देखा की उसका पति सो चुका है इसीलिए वह भी नाईट लैंप को बंद करके सोने की कोशिश करने लगी ।

कंचन अपने कमरे में बैठे बैठे बोर हो रही थी इसीलिए वह अपने कमरे से उठकर अपने भाई के कमरे में आ गयी । कंचन अंदर आते ही विजय के पास उसके साथ बेड पर बैठ गई और उसके सर में हाथ डालकर सहलाने लगी, विजय को पता नहीं था की कंचन वहां आई हुई है इसीलिए अपनी बहन का हाथ महसूस करके वह चोंक गया ।


"क्या हुआ भैया?" कंचन ने विजय को देखते हुए कहा।

"कुछ नहीं दीदी कुछ अच्छा नहीं लग रहा है" विजय ने अपनी दीदी की गोद में अपना सर रखते हुए कहा।

"वो तो है भैया मगर हम कर भी क्या सकते है" कंचन ने अपने भाई के सर को दबाते हुए कहा।

"दीदी आप बुहत अच्छी हो। मेरा कितना ख़याल रखती हो" विजय ने कंचन के हाथ को अपने सर से हटाकर उसे नीचे झुका दिया और अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया ।


कंचन के नीचे झुकते ही उसके रेश्मी बालों ने विजय और उसके चेहरे को पूरी तरह ढ़क लिया । विजय ने कुछ देर तक अपनी दीदी के रसीले होंठो को चूसने के बाद उसे खींचकर अपने साथ सुला दिया और फिर से दोनों भाई बहन अपनी जवानी की प्यास एक दुसरे से मिटाने लगे । दोनों पूरी तरह से एक दुसरे के जिस्मों का मजा लेने के बाद नंगे ही एक दुसरे की बाहों में सो गए ।
 

Rakesh1999

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कमेंट के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी कैसी लग रही है अपने विचार अवश्य दे।
 

ronny aaa

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zabardast story hai bhaii
 

Rakesh1999

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अपडेट 96





दोस्तों अब हम रेखा के ससुराल को छोडकर उसके माँ बाप के घर की तरफ चलते हैं लेकिन उससे पहले मैं फिर से वहां के सभी लोगों का आपसे परीचय करा दूं।

१. समीर (रेखा का एकलौता भाई)

२. नीलम (समीर की पत्नी)

३.ज्योति (रेखा की इकलौती विधवा बहन)

४. महेश (रेखा के पिता)

५. सरिता (रेखा की माँ)।


कहानी के पहले अपडेटस में आप पढ चुके हैं की समीर और ज्योति के बीच सेक्स समबन्ध हुआ अगर आपको याद नहीं तो मैं बता देता हूँ समीर अपनी बहन रेखा की तरह बुहत गरम आदमी है और उसकी पत्नी उसके बिलकुल अपोजिट वह सेक्स से भगति फिरती है जिस वजह से समीर ने मजबूरी में अपनी सगी बहन ज्योति से सम्बन्ध बना लिये, ज्योति को भी सेक्स की बुहत ज़्यादा भूख थी क्योंकी वह एक विधवा थी और उसका जिस्म भी कई सालों से प्यासा था ।


समीर का ज्योति के साथ एक बार हम बिस्तर होने के बाद तो जैसे भाग ही खुल गया वह हर रात को अपनी बीवी के सोते ही वहां से उठकर अपनी बहन ज्योति के कमरे में चला जाता जहाँ पर दोनों भाई बहन सारी दुनिया को भूलकर एक दुसरे की हवस की आग को ठण्डा करते । आज भी समीर अपनी बीवी के सोने का इंतज़ार कर रहा था, कुछ ही देर में नीलम नींद की आग़ोश में चलि गयी ।


नीलम के खराटो की आवाज़ सुनकर समीर बेड से उठकर बाहर जाने लगा । समीर के जाते ही नीलम ने भी अपनी आँखें खोल दी । उसे कई दिनों से अपने पति पर शक था क्योंकी जहाँ हर रोज़ वह उसे चोदने के लिए मरा जाता था वह कई दिनों से उसके क़रीब तक नहीं आया था ।


नीलम जल्दी से उठकर दरवाज़े तक आ गयी और वह अपने पति को देखने लगी की वह कहाँ जा रहा है । समीर सीधा अपनी बहन ज्योति के कमरे में घुस गया, नीलम को यह देखकर बुहत हैंरानी हुई की इतनी रात को समीर अपनी बहन के कमरे में क्या करने गया है वह भी बाहर निकलकर ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।
 

Rakesh1999

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नीलम ज्योति के कमरे के पास आकर रुक गयी क्योंकी उसे कुछ आवाज़ें सुनायी देने लगी । नीलम ने अपना एक कान दरवाज़े से सटा दिया और अंदर से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी।

"ओह भैया आप आ गये" ज्योति ने अपने भाई को देखते ही खुश होकर कहा।

"मेरी प्यारी बहन तुम नहीं जानती की अगर मुझे तुम्हारा प्यार नहीं मिला होता तो मेरा क्या होता" समीर ने आगे बढ़कर अपनी बहन को अपने बाहों में भरते हुए कहा ।


"आह्ह्ह्ह मैं भी तो कई बरसों से प्यासी थी अगर आप का प्यार न मिला होता तो मेरे पास जीने का कोई मक़सद नहीं होता" ज्योति ने भी अपने भाई के सीने में अपनी चुचियों को ज़ोर से दबाते हुए कहा।

"बस करो दीदी बातें करके टाइम बर्बाद मत करो" समीर ने अपनी बहन से कहा और अपने होंठो को ज्योति के नरम होंठो पर रख दिया नीलम का सर चक्कर खाने लगा । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था के वह क्या करे।

"क्या दो भाई बहन के बीच भी यह सब हो सकता है?" नीलम के मन में सवाल आया ।


"नही ज़रूर उसे कोई गलफहमी हुयी है ऐसा कभी नहीं हो सकता" नीलम के दिल ने जवाब दिया मगर अगले पल ही जो आवज़ नीलम को सुनायी दी वह यह साबित करने के लिए काफी थी की अंदर दोनों भाई बहन के बीच क्या हो रहा है ।


"ओह्ह्ह्ह भैया इतनी जल्दी भी क्या है सारी रात पड़ी है आअह्ह्ह्ह एक ही धक्के में पूरा घुसा दिया" ज्योति के ज़ोर से सिसकने की आवाज़ आईं और नीलम का सर ज़ोर से चक्कर खा गया वह वहीँ पर दरवाज़े के बाहर घुटनों के बल बैठ गई, नीलम की आँखों से आंसू निकल रहे थे ।


"जाओ मुझसे दूर हटो" सरिता ने महेश को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा।

"क्या हुआ जाने मन" महेश ने सरिता के ऊपर से हटते हुए कहा।

"कुछ तो अपनी उम्र का शरम करो मुझसे अब यह सब नहीं होता इतनी ही आग चढ़ी है तो जाकर किसी रंडी को चोद लो" सरिता ने गुस्से में अपने पति को निहारते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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"अगर किसी रंडी को चोदना होता तो तुमसे शादी क्यों करता" महेश ने सरिता को मनाते हुए कहा।

"शादी के इतने साल जो करना था कर लिया । अब हमारे बच्चों की शादी हो गई है । हमें यह सब शोभा नहीं देता" सरिता ने अपने पति को समझाते हुए कहा।

"जानेमन वह सब मैं समझ रहा हूँ मगर यह नालायक नहीं मानता" महेश ने अपनी पत्नी का हाथ पकडकर अपने लंड पर रखते हुए कहा ।

"मैंने कहा न अब मुझसे यह सब नहीं होता बस आजके बाद मेरे क़रीब मत आना। मैं अब इस उम्र में भगवान की पूजा पाठ करके अपने ग़ुनाहों की माफ़ी माँगना चाहती हू" सारिता ने गुस्से से महेष को देखते हुए कहा और अपना हाथ वहां से हटाकर दुसरे तरफ होकर सो गयी । बेचारा महेश अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ ही रह गया, महेश का लंड इस उम्र में भी डेली किसी को चोदने के लिए तैयार रहता था । उसके लंड का साइज बुहत ही लम्बा और मोटा था ।


जवानी में उसके लंड को देखकर कोई भी लड़की अपनी चूत को उससे चुदवाने के लिए उतावली हो जाती थी । सारिता भी सुहाग रात को अपने पति का लंड देखकर डर गयी थी और पहली बार चुदते हुए उसकी पूरी चूत बुरी तरह से फट गयी थी, आज भी जब महेश का लंड सारिता की चूत में घुसता तो उसके मुँह से चीख़ निकल जाती थी ।


महेश को बुहत प्यास लगी थी इसीलिए वह पानी पीने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया । बाहर निकलते ही महेश की नज़र नीलम पर पड़ी जो नीचे बैठकर रो रही थी।

"क्या हुआ बेटी?" महेश भागता हुआ अपनी बहु के पास आकर बोला।

"बापु जी" नीलम ने अपने ससुर को देखते ही कहा और वह वहीँ पर बेहोश हो गई ।


महेश ने नीचे झुककर अपनी बहु को अपनी बाहों में सुला दिया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या माजरा है तभी उसे अंदर से आने वाली सिस्कियाँ सुनायी दीं । महेश को सिस्कियाँ सुनकर यह समझने में ज़रा भी देर न लगी की यह किस चीज़ की आवाज़ है। लेकिन महेश को यह समझ में नहीं रहा था की उसकी बेटी ज्योति किसके साथ वह सब कर रही है ।

"आआह्ह्ह भैया में गईई आहहहहहः" तभी अंदर से ज्योति के एक ज़ोर की सिसकी भरी आवाज़ आई जिसे सुनकर महेश का दिमाग घूमने लगा और न चाहते हुए भी उसके लौडा तनकर झटके खाने लगा । महेश सारा माजरा समझ गया इसीलिए उसने उठकर नीलम को अपनी बाहों में उठाया और उसे उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। महेश ने अपनी बहु को बेड पर लिटाने के बाद उठकर बल्ब जला दिया ।
 

Rakesh1999

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महेश बल्ब जलाकर वापस आ गया और वहां पर पड़े जग में से एक ग्लॉस पानी का भर लिया । महेश की नज़र जैसे ही अपनी बहु पर गयी उसका पूरा बदन सिहर उठा । क्योंकी नीलम नाईट ड्रेस पहने हुयी थी और वह उसके आगे से खुल चुकी थी, नीलम का गोरा जिस्म बलब की रौशनी में चमक रहा था ।


महेश का लंड अपनी बहु की भूरी जांघों और उसकी चुचियों के उपरी उभार को देखकर खडा होकर झटके खाने लगा । महेश का मन खराब होने लगा और वह अपनी बहु को पानी के छींटे मारकर उठाने की बजाये उसके पूरे जिस्म को घूरने लगा।

"कितनी सूंदर है उसकी बहु । काले घने बाल,गोरा जिस्म,जुलाबी गाल,चुचियों का उपरी उभार देखकर लगता है है वह भी दूध की तरह सफेद ही होंगी। क्या ज़रुरत है समीर को अपनी पत्नी को छोडकर अपनी बहन को चोदने की कितना बड़ा पाप किया है उसने" महेश मन ही मन में सोच रहा था ।


अपनी बहु के जिस्म को पूरी तरह से घूरने के बाद महेश का लंड पूरी तरह तनकर झटके खाने लगा महेश न चाहते हुए भी अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा।

"कितना समय हो गया है उसे किसी नौजवान औरत के जिस्म को हाथ लगाए। आज मौका अच्छा है क्यों न वह अपने हाथ से अपनी बहु को छू कर देखे" अचानक महेश के मन में ख़याल आया । वह अपने एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए अपना दूसरा हाथ अपनी बहु के नंगे चिकने पेट की तरफ बढ़ाने लगा ।


"महेश नहीं यह पाप है" अचानक उसके दिमाग में आया।

"अरे छोड़ो आजकल पाप पुण्य कौन देखता है" उसके दिल ने कहा । दिल की आवाज़ ने उसके दिमाग को मात दे दी और उसने अपना हाथ आगे बढाकर अपनी बहु के चिकने पेट पर रख दिया।

"वह कितना नरम और चिकना बदन है" महेश के मन से आवाज़ निकली लेकिन वह सिर्फ अपना हाथ अपनी बहु के पेट पर रखे हुए था। महेश का मन आगे कुछ करने का हो रहा था मगर वह डर रहा था की कहीं उसकी बहु उठ गयी तो उसको लेने के देने पड़ जाएंगे ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 97




बेटी, बेटी नीलम" अचानक महेश को एक आईडिया सूझा और वह नीलम को झंझोडते हुए पुकारकर उठाने लगा । नीलम को अपने ससुर के झझोडने और पुकारने का कोई असर नहीं हुआ और वह वैसे ही बेसुध बेहोश पड़ी रही, अब महेश को पूरा यकीन होगया की उसकी बहु ऐसे नहीं उठेगी उसे जितना मजा लेना है ले सकता है ।


महेश सिर्फ एक धोती में था उसने अपनी धोती को उतारकर नीचे फ़ेंक दिया और खुद बिलकुल नंगा ही अपना लंड अपने हाथ से सहलाते हुए बेड पर बैठ गया।महेश ने अपनी बहु की नाइटी को आगे से बिलकुल खोल दिया और उसका हाथ पकडकर अपने मुसल लंड पर रख दिया। अपनी बहु का नरम हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और उसका लंड और ज्यादा तनकर झटके खाने लगा ।


महेश ने अपने लंड को नीलम की हथेली में फँसाया और अपने हाथ से उसके हाथ को पकडकर सहलाने लगा । महेश को अब अपने लंड पर सिर्फ अपनी बहु के नरम हाथ का अहसास हो रहा था उसे यह महसूस हो रहा था जैसे उसके लंड को उसकी बहु सहला रही है। महेश अपने एक हाथ से ऐसे ही अपनी बहु के हाथ को अपने लंड पर ऊपर नीचे करते हुए अपने दुसरे हाथ से अपनी बहु की ब्रा को उसकी गोल गोल चुचियों से हटाने लगा ।


ब्रा बुहत ही टाइट थी इसलिए वह नीचे नहीं हो रही थी महेश ने अपने हाथ को थोडा ज़ोर देकर अपनी बहु की ब्रा को नीचे सरका दिया । महेश अपनी बहु की चुचियों को देखकर लार टपकाने लगा, नीलम की चूचियाँ बुहत ज्यादा सूंदर थी। उसकी चुचियां गोल गोल दूध की तरह सफेद थी और उसके ऊपर गुलाबी दाने उसकी चुचियों को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे ।


"आह्ह्ह्ह कितनी नरम हैं आह" महेश ने जैसे ही अपना हाथ अपनी बहु की एक चूचि पर रखा उसके मूह से निकल गया । महेश अपने हाथ से अपनी बहु की दोनों चुचियों को बारी बारी अपने हाथ से सहलाने और दबाने लगा, महेश को ऐसा करते हुए बुहत ज्यादा मजा आ रहा था। उसका दूसरा हाथ अब उसकी बहु के हाथ को अपने लंड पर बुहत तेज़ी के साथ ऊपर नीचे कर रहा था ।
 

Rakesh1999

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महेश के मन में आया की क्यों न वह एक बार अपनी बहु की चुचियों को अपने होंठो से चूम कर देखे । यह ख़याल आते ही महेश का पूरा शरीर अगले पल आने वाले मज़े के अहसास को महसूस करके सिहर उठा। महेअः ने अपनी बहु के हाथ को छोड दिया और खुद नीचे झुककर अपना मूह अपनी बहु की चुचियों की तरफ करने लगा ।


महेश के होंठ जैसे ही उसकी बहु की चुचियों के बिलकुल नज़दीक पुहंचे उसने अपने एक हाथ से अपनी बहु की एक चूचि को पकडा और अपना मुँह खोलते हुए उसकी चूचि के गुलाबी दाने को अपने मुँह में ले लिया । महेश अपनी बहु की चूचि के दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा, वह नीलम की चूचि को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है और महेश अपनी बहु की चूचि को चूसते हुए ऐसे रियेक्ट कर रहा था जैसे वह सच में नीलम की चुचियों का दूध पी रहा हो ।


महेष ने बारी बारी अपनी बहु की दोनों चुचियों को अपने मूह लेकर चूसा और उसके बाद वह अपनी बहु के गोर चिकने पेट को चूमते हुए नीचे होता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा । महेश ने अब अपने होठो को अपनी बहु की पेंटी के ऊपर रख दिया और उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से चूमने लगा, नीलम के बेहोश होने के बावजूद उसकी चूत पानी छोड रही थी जिससे महेश ने उसकी पेंटी को चूमते हुए महसूस किया।


महेश ने अब अपने और अपनी बहु के बीच पड़ा हुआ आखरी पर्दा भी हटाने का फैसला किया और उसने अपनी बहु की पेंटी को अपने दोनों हाथों से पकडकर नीचे सरका दिया।

"ए भगवान् क्या चूत बनाई है" महेश अपनी बहु की गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला। महेश ने आज तक अपनी बहु की चूत से ज्यादा सूंदर चूत कभी नहीं देखी थी, अपनी बहु की चूत को देखकर महेश का पूरा जिस्म एक्साईटमेंट में काँपने लगा और वह अपने कापंते हुए हाथ को आगे बढाकर अपनी बहु की चूत की तरफ ले जाने लगा ।


नीलम की चूत पर हलके काले बाल थे । महेश ने अपने काँपते हुए हाथ को जैसे ही अपनी बहु की चूत पर रखा उसका पूरा जिस्म सिहर उठा । महेश अपने हाथों की उँगलियों से नीलम की चूत के बालों को सहलाकर उसकी चूत को अपने हाथों में महसूस करने लगा, महेश के लंड का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था वह बुहत ज़ोर से उछलते हुए प्रिकम की बूँदे बहा रहा था ।
 

Rakesh1999

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महेश अब अपने हाथ को अपनी बहु की चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा । महेश के हाथ ने जैसे ही नीलम की चूत के दाने को छुआ उसे अपने बदन में एक अजीब सी गुदगुदी का अहसास हुआ । महेश का हाथ अब उसकी बहु की चूत के छेद तक पुहंच चूका था। नीलम की चूत के छेद से अब भी पानी बह रहा था जिस वजह से महेश का हाथ गीला होने लगा ।

महेश ने अपने गीले हाथ को अपनी बहु की चूत से हटाया और अपने नाक के क़रीब लाकर उसे सूँघने लगा।

"आह्ह्ह्ह क्या खुशबु है" अपने हाथ को सूँघते हुए महेश के मुँह से निकला और वह अपनी जीभ निकालकर अपने गीले हाथ को चाटने लगा । अपने हाथ को पूरी तरह से चाटने के बाद महेश अपनी बहु की चूत की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को अपने होंठो पर फिराने लगा ।


महेश नीलम की चूत को बड़े गौर से देख रहा था शादी के इतने सालों बाद भी उसकी चूत के होंठ आपस में बिलकुल सटे हुए थे । उसकी चूत को देखकर लग रहा था जैसे उसकी बुहत ही कम चुदाई हुयी हो । महेश अब अपना मूह नीचे करते हुए अपनी बहु की चूत की तरफ बढ़ने लगा, महेष ने नीचे झुकते हुए अपने होंठो को नीलम की चूत के दाने पर रख दिया ।


महेष का एक्साईटमेंट के मारे बुरा हाल था वह अपनी बहु की चूत के दाने को चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा । महेश कुछ देर तक अपनी बहु की चूत के दाने से खेलने के बाद नीचे होते हुए अपने होंठो को उसकी चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा, महेश के होंठ अब उसकी बहु की चूत के दोनों बंद होंठो तक पुहंच चुके थे।।


महेश ने अपने होंठो से एक बार अपनी बहु के चूत के बंद होंठो को चूमा और फिर अपने हाथ की उँगलियों से उसकी चूत के छेद को खोल दिया।

"ओहहहह यह अंदर से कितनी लाल है" महेश ने अपनी बहु की चूत के छेद को खोलने के बाद उसके अंदर के लाल हिस्से को देखते हुए कहा । महेश ने अपनी जीभ निकाली और अपनी बहु की चूत के लाल छेद में डाल दी ।
 
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