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बेटी क्या मैं आगे बढ़ सकता हूँ" महेश ने अपने होंठो को अपनी बहु के होंठो से बिलकुल सटाते हुए कहा । महेश और नीलम के मुँह एक दुसरे से इतना क़रीब थे की दोनों को एक दुसरे की साँसें महसूस हो रही थी। नीलम का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था वह शर्म के मारे मुँह से कुछ बोल नहीं पा रही थी इसीलिए उसने अपने होंठो को थोडा आगे कर दिया जो सीधा जाकर महेश के होंठो से लग गए।
अपनी बहु के गरम होंठो को अपने होंटों पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और वह अपनी बहु को ज़ोर से अपनी बाहों में दबाते हुए उसके होंठो को चूमने और चाटने लगा । इधर नीलम का भी वही हाल था वह अपने ससुर के होंठो से अपने लबों के मिलते ही वह भी सब कुछ भूलकर अपने ससुर की आग़ोश में खो गई, दोनों ससुर बहु बुहत तेज़ी के साथ एक दुसरे को अपनी बाहों में दबाते हुए एक दुसरे के लबों को चूस रहे थे ।
अपने ससुर से चूमा चाटी करती हुए नीलम का पूरा जिस्म कांप रहा था और उसका हाथ महेश के पूरे पीठ को सहला रहा था । अचानक नीलम ने अपनी एक टाँग को उठा कर अपने ससुर की टाँग पर रख दिया, महेश अपनी बहु की इस हरकत से तिलमिला उठा और वह अपने पैर से अपनी बहु की पूरी टाँग को सहलाते हुए अपने हाथ से नीलम के चूतड को पकडकर उसकी चूत को अपने लंड से सटा दिया ।
नीलम अपनी चूत पर अपने ससुर के लंड को महसूस करते ही गरम होते हुए पागलोँ की तरह अपनी चूत को उसके लंड पर दबाने लगी । महेश भी अपनी बहु को गरम देखकर उसके चूतडों को पकडकर ज़ोर से अपने लंड पर दबाने लगा और अपनी बहु की जीभ को पकडकर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा ।
नीलम का जिस्म अचानक अकडने लगा और उसकी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए झडने लगी । नीलम ने झडते हुए अपने नाखुनों को ज़ोर से अपने ससुर की पीठ में गडा दिया और खुद अपने मुँह को अपने ससुर के मुँह से अलग करके ज़ोर से हाँफते हुए झरने लगी।
"आआह्ह्ह्ह बेटी" अपनी पीठ पर नीलम के नाख़ून के लगते ही महेश के मुँह से ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने गुस्से से अपनी बहु की एक चूचि को पकड़कर अपने मुँह में भरकर ज़ोर से काट दिया ।
"उईईईईई माँ बापु जी" नीलम ने दर्द के मारे चीखते हुए कहा तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और समीर अंदर दाखिल हो गया । समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपने पिता और अपनी पत्नी को बिलकुल नंगा एक दुसरे की बाहों में देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया ।
अपनी बहु के गरम होंठो को अपने होंटों पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और वह अपनी बहु को ज़ोर से अपनी बाहों में दबाते हुए उसके होंठो को चूमने और चाटने लगा । इधर नीलम का भी वही हाल था वह अपने ससुर के होंठो से अपने लबों के मिलते ही वह भी सब कुछ भूलकर अपने ससुर की आग़ोश में खो गई, दोनों ससुर बहु बुहत तेज़ी के साथ एक दुसरे को अपनी बाहों में दबाते हुए एक दुसरे के लबों को चूस रहे थे ।
अपने ससुर से चूमा चाटी करती हुए नीलम का पूरा जिस्म कांप रहा था और उसका हाथ महेश के पूरे पीठ को सहला रहा था । अचानक नीलम ने अपनी एक टाँग को उठा कर अपने ससुर की टाँग पर रख दिया, महेश अपनी बहु की इस हरकत से तिलमिला उठा और वह अपने पैर से अपनी बहु की पूरी टाँग को सहलाते हुए अपने हाथ से नीलम के चूतड को पकडकर उसकी चूत को अपने लंड से सटा दिया ।
नीलम अपनी चूत पर अपने ससुर के लंड को महसूस करते ही गरम होते हुए पागलोँ की तरह अपनी चूत को उसके लंड पर दबाने लगी । महेश भी अपनी बहु को गरम देखकर उसके चूतडों को पकडकर ज़ोर से अपने लंड पर दबाने लगा और अपनी बहु की जीभ को पकडकर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा ।
नीलम का जिस्म अचानक अकडने लगा और उसकी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए झडने लगी । नीलम ने झडते हुए अपने नाखुनों को ज़ोर से अपने ससुर की पीठ में गडा दिया और खुद अपने मुँह को अपने ससुर के मुँह से अलग करके ज़ोर से हाँफते हुए झरने लगी।
"आआह्ह्ह्ह बेटी" अपनी पीठ पर नीलम के नाख़ून के लगते ही महेश के मुँह से ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने गुस्से से अपनी बहु की एक चूचि को पकड़कर अपने मुँह में भरकर ज़ोर से काट दिया ।
"उईईईईई माँ बापु जी" नीलम ने दर्द के मारे चीखते हुए कहा तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और समीर अंदर दाखिल हो गया । समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपने पिता और अपनी पत्नी को बिलकुल नंगा एक दुसरे की बाहों में देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया ।