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अपडेट 101
नीलम के जाते ही ज्योति अपने पिता के सामने सोफ़े पर जा बैठी । महेश चुपचाप सोफ़े पर बैठा हुआ था। उसे पता था की ज्योति ने उसे नीलम के साथ चिपके हुए देख लिया है।
"पिता जी इस वक्त आप यहाँ क्या बात है?" ज्योति ने शरारती मुसकान के साथ अपने पिता को देखते हुए कहा।
"वो बेटी बस ऐसे ही अपने कमरे में बोर हो रहा था तो यहाँ पर टीवी देखने आ गया" महेश ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा ।
"ह्म्म्म पिता जी फिर कैसा लगा प्रोग्राम?" ज्योति ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।
मैं समझा नहीं बेटी" महेश ने चौकते हुए कहा।
"पिता जी जिस टीवी के प्रोग्राम को आप देख रहे थे वह कैसा लगा" ज्योति ने इस बार अपने सोफ़े से उठकर अपने पिता के साथ बैठते हुए कहा।
"अभी तो प्रोग्राम स्टार्ट ही नहीं हुआ है" महेश ने झेंपते हुए कहा ।
"पिता जी पर जब मैं आई तो उस वक्त तो प्रोग्राम चल रहा था" ज्योति ने अपने पिता को देखते हुए कहा।
"ह्म्म्म तो तुम उस प्रोग्राम की बात कर रही हो उसे तो तुमने बीच में आकर इन्ड कर दिया" महेश ने इस बार अपनी बेटी को देखकर हिम्मत जताते हुए कहा।
"हाँ वह तो है मैं उसके लिए सॉरी कहती हूँ मगर यह प्रोग्राम कब से चल रहा है और कहाँ तक पुहंचा है?" ज्योति ने अपने पिता के खुल जाने पर उससे दूसरा सवाल करते हुए कहा ।
"अभी तो शुरू ही हुआ है और वह भी तुम्हारी मेंहरबानी से" महेश ने अपनी बेटी को गौर से देखते हुए कहा । ज्योति उस वक्त सलवार कमीज में थी । कमीज पुरानी होने की वजह से उसका गला बुहत बड़ा था जिसमें से ज्योति की गोरी गोरी चुचियां आधी नज़र आ रही थी।
"मेरी वजह से पिता जी वह कैसे?" ज्योति ने अपने पिता को अपनी तरफ यो देखता पाकर झेंपते हुए कहा।
"अब बेटी इतनी भी भोली मत बनो उस रात बहु ने तुम्हारा प्रोग्राम समीर के साथ लाइव देख लिया तब से वह समीर से नफरत करने लगी है जिस का कुछ फ़ायदा मैं उठा रहा हू" महेश ने इस बार अपना हाथ अपनी बेटी की जाँघ पर उसके कपड़ों के ऊपर से ही रखते हुए कहा ।
नीलम के जाते ही ज्योति अपने पिता के सामने सोफ़े पर जा बैठी । महेश चुपचाप सोफ़े पर बैठा हुआ था। उसे पता था की ज्योति ने उसे नीलम के साथ चिपके हुए देख लिया है।
"पिता जी इस वक्त आप यहाँ क्या बात है?" ज्योति ने शरारती मुसकान के साथ अपने पिता को देखते हुए कहा।
"वो बेटी बस ऐसे ही अपने कमरे में बोर हो रहा था तो यहाँ पर टीवी देखने आ गया" महेश ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा ।
"ह्म्म्म पिता जी फिर कैसा लगा प्रोग्राम?" ज्योति ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।
मैं समझा नहीं बेटी" महेश ने चौकते हुए कहा।
"पिता जी जिस टीवी के प्रोग्राम को आप देख रहे थे वह कैसा लगा" ज्योति ने इस बार अपने सोफ़े से उठकर अपने पिता के साथ बैठते हुए कहा।
"अभी तो प्रोग्राम स्टार्ट ही नहीं हुआ है" महेश ने झेंपते हुए कहा ।
"पिता जी पर जब मैं आई तो उस वक्त तो प्रोग्राम चल रहा था" ज्योति ने अपने पिता को देखते हुए कहा।
"ह्म्म्म तो तुम उस प्रोग्राम की बात कर रही हो उसे तो तुमने बीच में आकर इन्ड कर दिया" महेश ने इस बार अपनी बेटी को देखकर हिम्मत जताते हुए कहा।
"हाँ वह तो है मैं उसके लिए सॉरी कहती हूँ मगर यह प्रोग्राम कब से चल रहा है और कहाँ तक पुहंचा है?" ज्योति ने अपने पिता के खुल जाने पर उससे दूसरा सवाल करते हुए कहा ।
"अभी तो शुरू ही हुआ है और वह भी तुम्हारी मेंहरबानी से" महेश ने अपनी बेटी को गौर से देखते हुए कहा । ज्योति उस वक्त सलवार कमीज में थी । कमीज पुरानी होने की वजह से उसका गला बुहत बड़ा था जिसमें से ज्योति की गोरी गोरी चुचियां आधी नज़र आ रही थी।
"मेरी वजह से पिता जी वह कैसे?" ज्योति ने अपने पिता को अपनी तरफ यो देखता पाकर झेंपते हुए कहा।
"अब बेटी इतनी भी भोली मत बनो उस रात बहु ने तुम्हारा प्रोग्राम समीर के साथ लाइव देख लिया तब से वह समीर से नफरत करने लगी है जिस का कुछ फ़ायदा मैं उठा रहा हू" महेश ने इस बार अपना हाथ अपनी बेटी की जाँघ पर उसके कपड़ों के ऊपर से ही रखते हुए कहा ।