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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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सुरज भी अपना बदन पोंछने के बाद वैसे ही एक अंडरवियर पहना हुआ सीधा शीला के पास सोफ़े पर जा बैठा । शीला का जिस्म सूरज को नंगा ही अपने पास बैठता देखकर सिहरने लगा और वह चोरी चोरी सूरज के बदन को देखने लगी। शीला को यकीन नहीं हो रहा था की इतनी ज्यादा उम्र के बावजूद सूरज का बदन बिलकुल गठीला था। एक सेहतमन्द नौजवान की तरह।
"बेटी किस कॉलेज में हो?" सूरज ने अपने एक हाथ को शीला की जाँघ पर रखते हुए कहा।
"जी मैं आचार्य नरेन्दर देव कॉलेज में हूँ" शीला ने हकलाते हुए कहा उसका पूरा जिस्म सूरज के हाथ लगने से काँप रहा था।
"गूड़ और सुनाओ पढ़ाई के बाद क्या इरादा है" सूरज ने इस बार अपने हाथ को शीला की जाँघ पर आगे पीछे करते हुए कहा।
"जी फ़िलहाल कुछ सोचा नहीं है" शीला के मुँह से बड़ी मुश्किल से निकला । उसका जिस्म से पसीना निकलने लगा था । अचानक शीला की नज़र सूरज के अंडरवियर पर पड़ी। जिस में अब उसका मुसल लंड खड़ा होकर झटके मार रहा था।
"अंकल एक मिनट में अभी आई" शीला सूरज के लंड को देखकर पानी पानी हो गई और वह सोफ़े से उठकर बहाना बनाकर बाहर निकल गयी।


"कब तक भागेगी बेटी अब तो तुझे मेरे लंड से चुदना ही है" शीला के जाते ही सूरज ने हँसते हुए कहा और चाय पीने लगा । शीला भगती हुयी अपने कमरे में आ गयी थी । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे । वह बेड पर बैठे हुए तेज़ साँसें ले रही थी । आज कई दिन बाद शीला को फिर से अपने जिस्म में वही गर्मी महसूस हो रही थी जो उसे अपनी मामी के घर में महसूस होती थी, शीला को अचानक सूरज के अंडरवियर का उभार याद आया जिसे देखकर वह यहाँ भाग आई थी। बुहत ही बड़ा और मोटा था शायद उसका यह सब सोचते हुए अचानक ही शीला खुद ही शर्म के मारे हंसने लगी की वह क्या सोच रही है।

शीला कुछ देर बाद फिर से उठकर सूरज के कमरे में चलि गयी कप और ट्रे उठाने । इस बार शीला ने दरवाज़ा नहीं खटखटाया और सीधे ही अंदर घुस गयी ।शीला को सूरज कहीं भी नज़र नहीं आया। वह कप और ट्रे उठाकर जाने ही वाली थी की उसका ध्यान बाथरूम की तरफ गया। जहाँ से पानी की आवाज़ आ रही थी। वह समझ गयी के सूरज नहा रहा है मगर वह अभी तो नहाकर निकला था यही सोचकर वह बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी। बाथरूम का दरवाज़ा भी खुला हुआ था। वह जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े के पास पुहंची उसने देखा सूरज सीधा खड़ा होकर हाँफते हुए अपने हाथ से कुछ हिला रहा है सूरज का पीठ शीला की तरफ नहीं था जिस वजह से वह उसे देख नहीं पाया।

शीला को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया मगर अगले ही पल वह समझ गयी की सूरज मुठ मार रहा है और वह जल्दी से वहां से जाने लगी। जाते हुए उसे आवाज़ सुनायी दी " ओह्ह्ह शीला मेरी बेटी आहहह्ह्ह्ह्ह् शायद सूरज झड रहा था । मगर वह उसका नाम क्यों ले रहा था ओहहहह भगवान कहीं वह उसे याद करके तो मुठ नहीं मार रहा था। यह सब सोचकर शीला का जिस्म फिर से गरम होने लगा । उसके जिस्म से पसीना निकलने लगा । वह जल्दी से कमरे से निकलकर किचन में आ गई।
 
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Rakesh1999

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सोनाली जी ने ये कहानी यही तक लिखी थी।यहाँ से मैं राकेश ये कहानी पूरी कर रहा हूँ।
कुछ देर के बाद जब सभी अपने अपने रूम में आराम करने चले गए तब शीला भी अपने रूम में आकर आराम करने लगी।जब मनीषा ने शीला को बेड पर लेटे देखा तो वह सूरज के कमरे में घुस गई।रुम में घुसते ही सूरज ने मनिषा को अपनी बाहोँ में भरकर चूमने लगा।शीला की जांघो पर हाथ फेरकर उसे बहुत मज़ा आया था।

इधर शीला जब पेशाब करने बाथरूम जा रही थी तो अपने अंकल का दरवाजा बंद देखकर उसने खिड़की से देखा जो थोड़ी सी खुली हुई थी। जिसे देखकर वो पूरी तरह से गरम होने लगी।

शीला खिड़की से झांकते हुए अपनी माँ को अपने पापा के बॉस से किस करते हुए देख रही थी।
उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया।दोनों एक दूसरे के जीभ को चूस चाट रहे थे।उसकी माँ कितनी बेशर्म बन गई थी.. वह बहुत गरम हो गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके चूचियों पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके चूचियों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. उसकी माँ पूरी तरह गर्म हो गई थीं।
यह सब देख कर शीला के दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। उसका हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।
उधर अंकल ने अपना हाथ उसकी माँ के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ उसकी माँ की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. सूरज..’
माँ मचल उठी थीं.. फिर अंकल उसकी माँ को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती खोलने लगे।
उसकी माँ ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
शीला की माँ की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए सूरज अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद सूरज अंकल बिस्तर पर माँ के ऊपर जा पहुँचे और माँ के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।
शीला यह सब देख रही थी.. लेकिन उसने खिड़की अधखुली थी इसलिए माँ.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।
 
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Rakesh1999

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सूरज अंकल धीरे धीरे उसकी माँ के दूध दबाने लगे.. उसकी माँ के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं।सूरज अंकल ने धीरे से उसकी माँ की गुलाबी सलवार का नाडा खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। शीला की माँ अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। सूरज अंकल के द्वारा अपनी माँ की चुदाई को देख कर शीला पागल हो रही थी।
सूरज अंकल ने इतनी जोर से उसकी माँ के दूध दबाए और चूसे कि उसकी माँ ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।
सूरज अंकल ने धीरे-धीरे उसकी माँ की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही उसकी माँ के चूतड़ दबाने और चूमने लगे।उसकी माँ ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया।शीला की माँ अब ब्रा और पैंटी में थीं।
शीला ने आज पहली बार अपनी माँ का गोरा जिस्म नंगा देखा था। ब्रा-पैंटी में वो शीला को उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 38 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।


अंकल उसकी माँ को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।
शीला के लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। सूरज अंकल ने उठकर उसकी माँ के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। माँ अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
सूरज अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। सूरज अंकल धीरे से माँ की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।
उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और माँ की टांगें ऊपर करके अपना 9 इंच का लण्ड माँ की फूली हुई चूत में डाल दिया।
माँ सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा सूरज धीरे-धीरे.. शीला उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..
माँ ने शीला के जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। सूरज अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। माँ की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।
शीला की माँ भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही सूरज अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका 9 इंच का लण्ड माँ की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। माँ अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।
 
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Rakesh1999

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तकरीबन आधे घंटे तक सूरज अंकल शीला की माँ को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद सूरज अंकल झड़ चुके थे।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी सूरज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली चुदाई के सारे वीर्य साफ़ को किया।
सूरज अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब जय अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं सूरज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. मनिषा..’
सूरज अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
शीला सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
शीला की माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।
सूरज अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे सूरज..’
‘बस बस मनिषा.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. सूरज अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की चूत की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
मनिषा- प्लीज सूरज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या तुम्हारा पति तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता हैं?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे मालूम था सूरज कि तुम्हारा लौड़ा इतना मज़ा देता है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
सूरज अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। सूरज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे सूरज अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।
 
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Rakesh1999

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माँ भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, माँ के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. सूरज.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा !
और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. माँ झड़ चुकी थीं।
सूरज अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया।
उन दोनों की चुदाई देखकर शीला की भी चूत गीली हो गई थी.. उसने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
शीला को मालूम था कि आज सूरज अंकल माँ को देर तक चोदेंगे.. शीला को महसूस किया कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. समय की तो जैसे सुध ही नहीं रहती है।
सूरज अंकल का इंजन अभी माँ की चूत में शंटिंग कर रहा था। शीला की आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद वह अपने बेड पर आकर सो गई।


अब तो अंकल और माँ के बीच के सभी परदे शीला के सामने खुल चुके थे.. माँ भी अपनी पूरी मस्ती से अपनी चूत कि चीथड़े उड़वाने में लग चुकी थीं।

कुछ देर बाद शीला जब उठी.. तो देखा कि सूरज अंकल शीला के साथ ही लेटे थे। वह उसे पूरी तरह से चिपटाए हुए थे।
शीला ने अंकल से पूछा- माँ कहाँ हैं?
अंकल- वह तो बाजार चली गईं।
‘ठीक है.. मैं आपके लिए चाय बना दूँ?’
अंकल ने सिगरेट सुलगाते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया था। थोड़ी देर बाद शीला चाय लेकर आ गई थी। अंकल में उसे पास में बैठने के लिए इशारा किया।
शीला वहीं उनके पास बैठ गई।
‘ कुछ देर पहले तुम सो रहीं थी या जाग रही थीं?’ अंकल ने प्यार से शीला के सिर पर हाथ फेरते हुए सवाल किया।
अचानक इस तरह के सवाल से शीला सकपका गई थी। अंकल को शायद ये मालूम पड़ गया था कि माँ और उनकी चुदाई का शीला ने पूरा नजारा देखा है।
‘देखो शीला बेटी.. मैं तुम्हारा अंकल हूँ.. तुम्हारी माँ का ख्याल रखना मेरा फ़र्ज़ है.. तुम बड़ी हो गई हो.. समझदार हो.. मैं जानता हूँ तुम हमदोनों की चुदाई देख रही थी।अगर तुम मुझे खुश कर दो तो तुम्हे बहुत बड़ा सरप्राइज दूंगा।तुम्हारे लिए एक स्कूटी और एक बढ़िया स्मार्ट फोन तुम्हे गिफ्ट दूंगा। तुम्हे कोई प्रॉब्लम भी नहीं होगा।इस बात को समझ सकती हो।’
शीला ने बिना कोई जवाब दिए अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया था।
 

Rakesh1999

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वैसे कितने साल की हो गई हो तुम?’
‘पिछले महीने में 20 साल की..’ शीला ने धीरे से शरमाते हुए जवाब दिया था।
अंकल ने शीला को अपने सीने से लगा लिया- बड़ी हो गई है मेरी बच्ची.. तू फ़िक्र मत कर.. वैसे तुम कॉलेज कैसे जाती हो।
कभी रिक्शा से या कभी बस से जाती हूँ । शीला ने बताया।
अंकल : देखो बेटी । मैं तुम्हारे लिए एक स्कूटी खरीद देता हूँ।फिर तुम्हे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। इसके लिए
मैं तुम्हारी माँ से बात करता हूँ..
अंकल ने मुझे गले लगाये हुए ही शीला की पीठ पर सहलाते हुए कहा था। शीला किसी मासूम बच्चे की तरह उनसे चिपकी हुई थी।
अंकल ने शीला को अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में झटके से खींच लिया.. अब दोनों बिस्तर पर गिर गए।
शीला बुरी तरह घबरा गई.. वह हल्की सी आवाज में बोली- अंकल प्लीज मुझे जाने दो..
‘कुछ नहीं होगा तुझे मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल शीला के कंधों पर किस करने लगे.. शीला को अच्छा लग रहा था.. परन्तु शर्म भी आ रही थी.. क्यूंकि वे उसके अंकल थे।
वह छूटने की कोशिश करने लगी.. परन्तु अंकल ने शीला को पीछे से जकड़ रखा था।
अचानक उनका हाथ शीला को अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ। अंकल शीला की मासूम योनि को मसल रहे थे। उसे बहुत अच्छा लग रहा था.. परन्तु थोड़ा अजीब भी.. क्यूंकि यह सब अंकल के साथ पहली बार हो रहा था।

अंकल ने शीला को मुँह के बल बिस्तर पर लिटा लिया और उसके ऊपर लेट कर उसकी पीली जालीदार कुर्ती की ज़िप खोल कर उसकी पीठ पर चुम्बन करने लगे। शीला चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।
अंकल ने शीला के छोटी छोटी चूचियों को मसलना शुरू कर दिए.. शीला के चूतडों पर उसे उनके लौड़ा का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे उसकी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी। योनि को और साथ में भगांकुर को मसलवाने को मन कर रहा था।
फिर अंकल ने शीला की काली चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और उसकी गुलाबी रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। शीला को शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी..वह चुपचाप लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी। उसे लग रहा था कि उसकी योनि में कुछ खुजली हो रही है.. उसे मिटने के लिए वह कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी।
शीला को सीधा करके अंकल की उंगली अब आसानी से उसकी गुलाबी चूत में जा रही थी। वह बहुत जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘उन्नन्नह्हह.. आअह्हह.. ऊऊह्ह. आहन्न.. आहऊर चूसो..।
 

Rakesh1999

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फिर सूरज अंकल ने शीला के छोटे-छोटे संतरों को चूसना छोड़ कर होंठों का किस लेना शुरू कर दिया- तू तो मेरी गुड़िया रही है बेटी.. मैं तो कब से तेरे पकने का इंतज़ार कर रहा था.. आआह्ह्ह..
अंकल ने उसे चूमते हुए ख़ुशी ज़ाहिर की।
कुछ देर के बाद शीला पूरी तरह से गर्म हो गई। फिर अंकल ने अपना लोअर खोला और अपना लण्ड उसके हाथ में थमा दिया। उनका लण्ड अब तन कर पूरा 90 डिग्री का हो गया था।
शीला पहले तो शरमाई.. लेकिन कुछ देर के बाद जब उन्होंने फिर से लण्ड पकड़ाया.. तो वह थोड़ा खुल गई।
अंकल ने बोला- इसे सहलाओ और आगे-पीछे करो।
शीला वैसा ही करने लगी।


अंकल ने फिर शीला की गीली चूत में एक उंगली डाल दी। वह जोर से ‘आह्ह्ह..’ करके सिस्कार उठी। कुछ देर के बाद अंकल ने शीला की चूड़ीदार पजामी उतार दिया।
‘वाह.. क्या कमसिन सी पिंक.. बिना बाल की चूत है.. आज तो मैं तुझे पूरी जवान बनाऊंगा.. मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल ने हाँफते हुए कहा।
शीला की चूत पूरी भीगी हुई थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. हल्का सा रोंया ही अब तक आया था। उसकी चूत पूरी पावरोटी की तरह फूली हुई थी।

फिर अंकल ने शीला को अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. उसने मना कर दिया।
अंकल ने बोला- कुछ नहीं होता..
शीला बोलने लगी- नहीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा है..

‘देखो इस तरह से चूसो..’
यह कहते हुए जय अंकल ने शीला की चूत को चूसना शुरू कर दिया।
शीला चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह.. अंकल नहीं.. बस करो..
अंकल अपनी जीभ से उसे चोद रहे थे.. शीला के मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं ‘अंकल आह्ह.. मेरी चूत में आग लग रही है.. अहह्ह्ह.. कुछ करो..’
वे लगातार शीला की चूत को चूसते रहे।
शीला जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से.. आह्ह..शीला अपने हाथ से उनके सिर को अपनी चूत के ऊपर खींच रही थी। अपने पैरों को कभी ऊपर तो कभी दोनों जांघों को जोर से दबा रही थी.. कभी-कभी उसकी साँसें फूल जाती थीं।
कुछ देर के बाद शीला की चूत ने पानी छोड़ दिया.. अंकल ने सारा का सारा पानी पी लिया।
 

Rakesh1999

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शीला बिस्तर पर नंगी निढाल पड़ी थी। अंकल शीला के गोरे दुबले-पतले नाज़ुक जिस्म को देख रहे थे। वह जोर से हाँफ़ रही थी.. जैसे कोई कई मील से दौड़ कर आई होऊँ।
‘डरती है मेरी गुड़िया रानी.. अंकल से डरती है? कुछ हुआ मेरी बेबी.. मज़ा आया ना?’
अंकल ने मुझे सीधे लिटा कर प्यार से कहा।
शीला ने हाँ में सिर हिलाया।
अब अंकल का मुँह उसके सामने था.. उनका चेहरा लाल हो चुका था। अंकल ने अपने इनर को उठाया.. लोअर नीचे सरका कर अपने लौड़े को बाहर निकाला।
शीला को थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था.. पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। अंकल ने उसकी टांगें फैला दीं और खुद टांगों के बीचों-बीच आ गए।
उन्होंने लौड़े पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों-बीच शीला को उनका लौड़ा महसूस हुआ। उन्होंने शीला के दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया ‘आआआ.. ईईई आश्स्श्श्श.. माँ….
शीला की तो जैसे जान ही निकल गई..वह छूटने के लिए तड़पने लगी। नीचे उसकी चूत में जलन सी हो रही थी।
‘धीरे से.. धीरे से.. कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया रानी को..’
यह कहते हुए अंकल शीला के कमसिन छोटी छोटी चुचियों को मसलने लगे और उसे चूमने लगे।
पहली बार शीला की चूत में किसी इतना मोटा लण्ड गया था। कॉलेज में उसे कई सारे लड़के उसे लाइन मारते थे.. लेकिन उसने सोचा नहीं था कि यह सौभाग्य सूरज अंकल को मिलेगा।
लगभग 5 मिनट में शीला का दर्द कुछ ख़त्म हुआ.. तो उसे अच्छा लगने लगा और वह खुद ही कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी।
अंकल ने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई।
अब शीला को भी बहुत मजा आ रहा था.. उसकी चूत में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी।


लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद शीला को चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और उसकी चूत के अन्दर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अन्दर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ.. अंकल ने लौड़ा झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य शीला की चूत और उसके पेट पर गिरा दिया.. और उसके ऊपर गिर गए।
 

Rakesh1999

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वे झड़ चुके थे और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगे।
शीला चूत में थकान महसूस हो रहा था..
तब अंकल ने पूछा-मज़ा आया बेटी।
शीला शरमाने लगी।उसने चड्डी चूत पर चढ़ा ली।
कुछ देर बाद अंकल उसके छोटे-छोटे चूतड़ों को मसलने लगे और फिर से उसकी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। शीला आँखें बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी।
अंकल अब उसके पीछे आ गए थे। उनका लौड़ा उसकी चूत में दुबारा घुसने के लिए तैयार था..इस बार अंकल ने शीला को बेड पर कुतिया बना दिया और पीछे से अपना 9 इंच लंबा लंड शीला की छोटी सी बुर में पेल दिए।एक ही झटके में शीला की कमसिन चूत में इतना मोटा लंड घुसने पर शीला कसमसाने लगी लेकिन शीला की चूत गीली थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ।कुछ ही धक्के मारने के बाद सूरज को बहुत मज़ा आने लगा।वह अपनी पूरी ताकत के साथ शीला को पेलने लगा।
आह बेटी कितनी गरम और टाइट चूत है तेरी।आह गुड़िया जी चाहता है दिन रात अपना लंड तेरी टाइट चूत में पेलता रहूँ।जोर जोर से पेलते हुए सूरज बोला।

आह अंकल चोदो मुझे मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।शीला भी कई दिनों से प्यासी थी इसलिए वह भी अपने अंकल से चुदते समय अपना लाज शर्म भूल चुकी थी।

अब सूरज शीला को बुरी तरह से चोद रहा था।एक ही घंटे में उसने शीला पर चुदाई के कितने आसान आजमा लिए थे फिर से अंकल शीला को कुतिया बनाकर चोद रहे थे शीला भी अपनी गांड पीछे करके चुदवा रही थी वह झड़ने वाली थी इसलिए वह अपनी गांड अंकल के लंड पर धकेल रही थी।अंकल भी अब झड़ने वाले थे दोनों एक साथ ही झड़ने लगे।सूरज अंकल ने अपना सारा माल शीला की चूत में ही छोड़ दिया।

शीला एकदम से थक कर चूर हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आई हो।
कुछ देर अंकल का लण्ड उसकी चूत में ही पड़ा रहा.. अंकल ने अपनी आँखें खोलीं और उसके सुनहरे घने बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया।फिर दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
उन्होंने अपना लण्ड शीला की चूत से बाहर खींचा..
फिर अंकल ने लोअर पहना और बाथरूम में घुस गए..
शीला चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी.. जैसे ही वो अन्दर घुसे.. वह जल्दी-जल्दी अपनी पजामी ऊपर खींची.. कपड़े और बाल ठीक-ठाक किए और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई.. क्यूंकि उसका मन अंकल से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था।
कुछ देर बाद सूरज अंकल उसके नजदीक आए और उन्होंने उसके गालों पर एक ज़ोरदार पप्पी ली और 2 दिन बाद वापस आने का वादा करके चले गए।
 

Rakesh1999

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कमेंट और लाइक करने के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी कैसी लग रही है अपने विचार अवश्य दे।
 
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