अपडेट 127
और उस दिन…
नरेश शाम को चार बजे अपने कॉलेज से वापिस आया तो देखा कि घर पर कोई नहीं था, वो पहले अपनी मम्मी के कमरे में गया, वो वहाँ नहीं थी।
फिर शीला का कमरा देखा तो वो भी नहीं थी।
आखिर में जब वो पिंकी के कमरे के पास पहुँचा तो पिंकी मोबाइल पर शायद कोई कहानी पढ़ रही थी और उसने स्कर्ट उतार कर साइड में रखी हुई थी, पेंटी भी जांघो से नीचे थी, एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ की ऊँगली चूत में थी।
नरेश को एक दम से अपने कमरे में देख कर पिंकी घबरा गई और उसने जल्दी से अपनी पेंटी ऊपर की और स्कर्ट उठा कर जल्दी से बाथरूम में घुस गई।
नरेश ने पिंकी को आवाज दी पर पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया।
‘पिंकी… पिंकी, अगर तुम बाहर नहीं आई तो मैं सब कुछ मम्मी को बता दूंगा.. एक मिनट में बाहर आओ वरना…’
पिंकी ने डरते हुए दरवाजा खोला, वो स्कर्ट पहन चुकी थी, वो घबरा कर रोने लगी।
नरेश ने उसका हाथ पकड़ा और उसको लेकर बेड पर बैठ गया- यह क्या कर रही थी पगली…?
‘भैया… प्लीज मम्मी को कुछ मत बताना… यह गलती दुबारा नहीं होगी!’ कह कर पिंकी जोर जोर से रोने लगी।
नरेश को तो जैसे सुनहरा मौका मिल गया था पिंकी को अपना बनाने का, उसने पिंकी को अपने सीने से लगा लिया और चुप करवाने के बहाने पिंकी के शरीर पर अपना हाथ घुमाने लगा- कोई बात नहीं पिंकी.. इस उम्र में ये सब हो जाता है… तू तो मेरी अच्छी बहन है ना… मैं किसी को कुछ नहीं बताउँगा, वैसे मम्मी और शीला कहाँ गए है?
‘वो मार्किट में गए हैं कुछ सामान लेने…’
पिंकी चुप हुई तो नरेश ने पिंकी का चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आँखों से बहते आँसुओं को अपने होठों से चूम लिया। पिंकी की आँखें बंद हो गई थी।
नरेश ने मौके का फायदा उठाया और अपने होंठ अपनी छोटी बहन के जवान रसीले होंठों पर रख दिए।
पिंकी ने छूटने की कोशिश की पर नरेश की मजबूत पकड़ से छुट नहीं पाई, नरेश अब पिंकी के रसीले होंठो का रस पीने में लगा था।
कुछ देर छूटने के लिए छटपटाने के बाद पिंकी ने भी समर्पण कर दिया और अब उसका शरीर ढीला पड़ने लगा था। नरेश ने पिंकी के कुँवारे होंठ चूमते हुए एक हाथ पिंकी की मुलायम अनछुई चूची पर रख दिया और मसलने लगा।
पिंकी की साँसें तेज हो गई थी और वो भी अब अपने बड़े भाई से चिपकती जा रही थी।