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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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पिंकी नहीं जानती थी कि पहली चुदाई में चूत के साथ साथ गांड भी फट जाती है, वो जोर से चीख पड़ी और दर्द के मारे हाथ पैर मारने लगी।
नरेश ने पिंकी के होंठों पर होंठ रख कर उसको शांत करने की कोशिश की।
पिंकी नरेश के नीचे दबी हुई छटपटा रही थी, लंड अभी सिर्फ दो इंच ही घुसा था।

नरेश ने देर करना सही नहीं समझा और एक बार उचक कर फिर से दो जोरदार धक्के लगा कर आधे से ज्यादा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में उतार दिया।
पिंकी की हालत ऐसी थी कि जैसे अभी बेहोश हो जायेगी।
चूत से खून निकल कर गांड तक फ़ैल गया था। नरेश का लंड भी जैसे किसी शिकंजे में फंस गया था क्यूंकि पिंकी की कुंवारी चूत थी ही इतनी टाईट।

फिर भी नरेश ने एक लम्बी सांस ली और फिर लगातार दो तीन धक्के लगा कर पूरा लंड पिंकी की चूत में फिट कर दिया।
अब नरेश ने धक्के लगाने बंद कर दिए और पिंकी की चूचियों को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरी को मसलने लगा।
पिंकी दर्द के मारे अभी भी रोये जा रही थी।इस कहानी के लेखक और संपादक राकेश है।

‘बस मेरी बहना… बस अब दर्द नहीं होगा… देख पूरा लंड तेरी चूत में जा चुका है। जिसे तू छोटा सा छेद कहती थी वो छेद मेरा पूरा आठ इंच का लंड निगल गया है।’
‘प्लीज भाई, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो… मेरी चूत फट गई है… प्लीज मुझे नहीं चुदवाना…’
‘अरे देख तो पूरा लंड घुस चुका है अब दर्द नहीं होगा…’

नरेश लगातार पिंकी की उभरती चूचियों और होंठों को चूमता रहा।
करीब दो तीन मिनट बाद पिंकी को अपना दर्द कुछ कम होता महसूस हुआ तो वो भी नरेश के चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी। नरेश ने भी ग्रीन सिग्नल मिलते ही लंड को कुछ हरकत दी, उसने धीरे धीरे अपना लंड चूत से लगभग आधा निकाला और फिर धीरे धीरे ही दुबारा पिंकी की चूत में उतार दिया।
पिंकी को दर्द हुआ पर अब वो इस दर्द को सहने के लिए तैयार थी।

ऐसे ही पहले धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करते करते नरेश ने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी। पिंकी की चूत ने भी थोड़ा पानी छोड़ दिया था जिस कारण थोड़ा चिकनापन आ गया था चूत में और लंड अब पिंकी की चूत में फिसलने लगा था।
पिंकी को भी अब चुदाई में मज़ा आने लगा था, वो भी अब नरेश के हर धक्के का स्वागत अपनी गांड उठा उठाकर कर रही थी जो इस बात का सबूत था कि अब दोनों मज़े में थे।
 

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करीब पांच मिनट और धीरे धीरे चुदाई चली फिर तो जैसे बेड पर तूफ़ान आ गया और दोनों बहन भाई जोरदार चुदाई में लीन हो गए, दोनों एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश कर रहे थे।
लगभग दस मिनट के बाद पिंकी का शरीर अकड़ा और एक सरसराहट के साथ पिंकी की चूत पानी फेंकने लगी।
पिंकी की चूत का पानी नरेश को अपने लंड के पास से जाता हुआ साफ़ महसूस हो रहा था।

झड़ने के बाद पिंकी थोड़ी सुस्त हुई पर नरेश लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था।
कुछ देर की चुदाई के बाद पिंकी फिर से हरकत में आई और नरेश के धक्कों का जवाब देने लगी।

एक ही आसन में चुदाई करते करते नरेश अब कुछ अलग करने के मूड में था तो उसने पिंकी को बेड पर घोड़ी बना लिया और फिर पीछे जाकर अपना लंड फिर से पिंकी की चूत में उतार दिया।
और फिर से चुदाई शुरू हो गई, नरेश के टट्टे हर धक्के के साथ थाप दे रहे थे और कमरे में फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी जो कमरे के माहौल को मादक बना रही थी।

समय का अंदाज नहीं पर ये चुदाई बहुत लम्बी चली और फिर पहले पिंकी की चूत ने तीसरी बार अपने काम रस से नरेश के लंड को भिगो दिया और फिर कुछ देर बाद नरेश के लंड ने भी पिंकी की चूत को वीर्य से लबालब भर दिया।

झड़ते ही दोनों पस्त होकर लेट गए।
नरेश का लंड अभी भी उसकी छोटी बहन पिंकी की चूत में ही था जो की कुछ देर बाद सुकड़ कर फ़क की आवाज के साथ बाहर निकल गया।
लंड के निकलते ही पिंकी की चूत से नरेश का वीर्य निकलकर बेड की चादर पर फैलने लगा।
 

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करीब पांच मिनट बाद दोनों की साँसें थोड़ी शांत हुई तो पिंकी उठी।
पूरी चादर पर पिंकी की चूत से निकले खून और चुदाई से निकले कामरस के धब्बे ही धब्बे नजर आ रहे थे।

कुछ देर बाद पिंकी उठ कर चलने लगी तो दर्द के मारे वो कराह सी उठी, उसने झुक कर अपनी चूत को देखा तो चूत सूज कर डबल रोटी जैसी हो गई थी।
उसे देख कर वो रो पड़ी और अपने भाई को मुक्के मारने लगी।

‘यह देखो भाई तुमने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है… कोई भाई भला अपनी बहन के साथ ऐसा करता है?’
‘करता है ना… तुमने भी तो भाई और बहन की चुदाई की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है जिसमे भाई ने अपनी बहन की चूत को चोदा है..’
नरेश के ऐसा कहने पर पिंकी हैरान होकर नरेश को देखने लगी- तुम्हें कैसे पता भाई की मैं भाई बहन की चुदाई की कहानियाँ पढ़ती हूँ… कहीं तुम ही तो नहीं…???

नरेश ने हाँ में सर हिलाया तो पिंकी एक बार फिर नरेश पर मुक्के बरसाने लगी- बहुत कमीने हो भाई तुम… अपनी बहन को चोदने के लिए कैसा रास्ता अपनाया तुमने…
नरेश हँस पड़ा।

‘पर भाई मैं ही क्यूँ… शीला क्यों नहीं… वो तो मुझ से बड़ी है, पहले तो उसकी चूत फटनी चाहिए थी।’


‘तू इसलिए क्यूंकि तू मेरी जान है… जानती है शीला से ज्यादा मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तू शीला से ज्यादा खूबसूरत भी है।नरेश ने शीला वाली बात छुपा लिया।

‘अच्छा… अगर तुम मुझे प्यार करते तो इतनी बेदर्दी से मेरी चूत ना फाड़ते…’
‘कभी ना कभी तो तेरी फटनी ही थी… आज फट गई तो क्या बुरा हुआ…. मज़ा तो आया ना..?’
‘हाँ मज़ा तो बहुत आया… पर शुरू में दर्द भी बहुत हुआ… मुझे तो लग रहा था कि मैं अब मरने वाली हूँ… पर फिर वो मज़ा आया जिसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं…’
‘तू खुश है ना चुदवा कर…’
पिंकी कुछ नहीं बोली बस उसने शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली।
 

Rakesh1999

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नरेश ने दुबारा पूछा तो उसने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई और एक बार फिर अपना नंगा बदन नरेश की बाहों के हवाले कर दिया।
नरेश ने पिंकी के होंठ चूम लिए और उसको अपने साथ लिपटा लिया।

तभी नरेश का ध्यान घड़ी की तरफ गया, लगभग एक घंटा बीत चुका था। उसने एक बार फिर से शीला को फ़ोन मिलाया और आने के बारे में पूछा तो शीला ने फ़ोन उठाया और बताया कि वो लगभग पंद्रह मिनट तक आ रहे हैं।

नरेश ने जल्दी से पिंकी को उठाया और उसको कपड़े पहनने के लिए कहा और फिर अपने कपड़े उठा कर जल्दी से अपने कमरे में चला गया।
पिंकी ने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और फिर बेड की चादर को उठा कर संभल कर अपनी पर्सनल अलमारी में छुपा कर रख दिया अपनी पहली चुदाई की निशानी के तौर पर।

कमरे को दुरुस्त करने के बाद वो बाथरूम में गई और जब तक शीला और उसकी मम्मी नहीं आ गए तब तक शावर के नीचे खड़ी होकर नहाती रही।
उधर नरेश भी अपने बाथरूम में जाकर नहाया और फिर बेड पर लेट कर कुछ देर पहले बीते पलों को याद करते करते सो गया।

शीला और उसकी मम्मी लगभग आधे घंटे बाद आई, तब तक घर में आया चुदाई का तूफ़ान पूरी तरह से शांत हो चुका था।
पिंकी ने जाकर दरवाजा खोला।
पिंकी के कदम कुछ कुछ लड़खड़ा रहे थे इसलिए उसने अपनी मम्मी के सामने जाना ठीक नहीं समझा और सर दर्द का बहाना बना कर अपने कमरे में आकर सो गई।

बाकी दिन ऐसे बीता जैसे कुछ हुआ ही ना हो।



रात को खाने की टेबल पर सब लोग इकठ्ठा हुए।
सबसे पहले पिंकी और नरेश ही आये क्यूंकि शीला अपनी मम्मी की रसोई में मदद कर रही थी।
नरेश ने बेशर्मी से पिंकी की जाँघों पर हाथ फेरा और धीरे से उसकी चूची दबाई तो पिंकी घबरा गई और नरेश से बोली– मरवाओगे क्या भाई… मम्मी ने देख लिया तो समझ लो दोनों का घर से निकाला हो जाएगा…

‘हो जाने दो निकाला, मैं मेरी प्यारी बहना को लेकर बहुत दूर चला जाऊँगा और फिर वहाँ तुम और मैं एक साथ अपनी जिन्दगी बिताएंगे।’
‘हटो… तुम तो बिल्कुल पागल हो गए हो भाई…’ पिंकी ने हँसते हुए कहा।
 

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तभी शीला टेबल पर कुछ सामान रखने आई और पिंकी को हँसते हुए देख कर पूछ लिया- क्या गिटपिट हो रही है तुम दोनों में??
‘कुछ नहीं, यह हम बहन-भाई के बीच की बात है, तुम्हें क्यों बतायें?’
‘अच्छा ना बताओ.. तुम्हारी मर्जी…’ शीला ने कहा और फिर दुबारा रसोई में चली गई।

शीला के जाते ही नरेश ने फिर से पिंकी की चूची को पकड़ा और जोर से दबा दिया।
‘क्या करते हो भाई… दिन में मन नहीं भरा… पता है तुमने मसल मसल कर और चूस चूसकर दोनों चूचियाँ लाल कर दी हैं।’
‘अच्छा दिखाओ तो ज़रा…’ और नरेश पिंकी के टॉप को ऊपर उठाने लगा।
पिंकी डर गई और उठ कर जल्दी से रसोई में चली गई।
चुदाई के कारण उसकी चाल अभी भी थोड़ी बदली हुई थी। वो जानबूझ कर रसोई में रखे सामान से टकरा गई और फिर लंगड़ा कर चलने लगी जैसे उसे बहुत चोट लग गई हो।

‘ये लड़की भी ना देख कर तो चल ही नहीं सकती, लग गई ना चोट!’ पिंकी को उसकी मम्मी ने डांटा।
तभी नरेश भी उठ कर रसोई में आया तो पिंकी ने नरेश को आँख मार दी।
नरेश पिंकी का नाटक समझ चुका था- कहाँ चोट खाती घूम रही है… चल तुझे कुर्सी पर बैठा दूँ।

नरेश ने पिंकी की बाजू ऐसे पकड़ी जैसे वो उसे सहारा देना चाहता हो और पिंकी को लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ चल पड़ा।

नरेश ने मुड़ कर देखा तो मम्मी और शीला अपने काम में लग गए थे। बस मौका देखते ही नरेश ने फिर से पिंकी की बगल में हाथ डाल कर उसकी एक चूची पकड़ कर मसलनी शुरू कर दी और तब तक मसलता रहा जब तक पिंकी को कुर्सी पर नहीं बैठा दिया।

‘भाई तुम बहुत बेशर्म हो और बदमाश भी.. कुछ तो शर्म करो!’
‘अब तुमसे कैसी शर्म… अब तो तुम मेरी रानी हो…’ नरेश हँस पड़ा।
‘आज रात का क्या प्रोग्राम है..?’
‘ना भाई रात को नहीं.. फिर शीला दीदी भी तो साथ होती है अगर उसको शक हो गया तो फिर तरसते रह जाओगे मज़े के लिए!’

नरेश ने पिंकी को समझाया कि तुम पढ़ाई के बहाने मेरे कमरे में आ जाना और फिर वहीं सो जाना। अगर कोई उठाने आएगा तो मैं कह दूंगा कि अगर सो गई है तो यहीं सो जाने दो और फिर जब बाकी सब सो जायेंगे तो फिर तुम और मैं… समझ गई ना।
कह कर नरेश ने पिंकी को आँख मारी तो पिंकी शर्मा गई और नरेश को मुक्का मार कर बोली- भाई तुम पूरे बहनचोद हो…’
पिंकी के मुँह से बहनचोद की गाली सुन कर नरेश हँस पड़ा और बोला- मुझे बहनचोद बनाया भी तो तुमने ही है मेरी प्यारी बहना!
 

Rakesh1999

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उसके बाद खाना आ गया, सब बैठ कर खाना खाने लगे।
खाने के दौरान दोनों भाई बहन ने कोई हरकत नहीं की और चुपचाप खाना खाया।
खाना खाने के बाद सब कुछ देर बैठे बातें करते रहे।
नरेश की मम्मी ने नरेश के पापा को फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि वो रात को नहीं आयेंगे।

फिर लगभग दस बजे सब सोने जाने लगे तो पिंकी ने तय प्रोग्राम के तहत शीला और मम्मी को बोला कि नरेश भैया के पास बैठ कर पढ़ाई करेगी क्यूंकि उसे नरेश से कुछ समझना है।
बहन भाई पर भला कौन शक करता।
शीला ने तो कहा भी कि मैं समझा दूंगी पर पिंकी ने मना कर दिया।

फिर सब सोने के लिए चले गए। क्यूंकि पिंकी नरेश के कमरे में जाने वाली थी तो शीला भी अपनी मम्मी के साथ उनके कमरे में सोने चली गई।

कमरे में जाते ही नरेश और पिंकी दोनों ही किताबें खोल कर बैठ गए।
पिंकी और नरेश दोनों ही जानते थे कि थोड़ी देर में मम्मी दूध देने के लिए कमरे में एक बार जरूर आएगी।
और फिर करीब बीस पच्चीस मिनट के बाद मम्मी दूध देकर चली गई।

पिंकी ने मम्मी को बोल दिया कि मैं आज रात यही भाई के पास ही सो जाऊँगी क्यूंकि होम वर्क ज्यादा है और रात को देर हो जायेगी। मम्मी ने बोला- जैसा ठीक लगे कर लेना।

मम्मी के जाते ही नरेश ने पिंकी को बाहों में भर लिया और पिंकी के रसीले होंठों का रसपान करने लगा।
तभी पिंकी ने नरेश को रोका और उठ कर बाहर गई और देख कर आई कि मम्मी और शीला क्या कर रहे हैं।
दोनों दूध पी कर सोने की तैयारी में थे।

वापिस आई तो पिंकी ने कमरे की कुण्डी लगा ली।
नरेश उस समय बाथरूम में गया हुआ था। नरेश वापिस आया तो देखा कि पिंकी बेड पर बैठी हुई है और उसने अपने दुपट्टे से घूँघट निकाला हुआ है।
जब नरेश ने पिंकी से इस बारे में पूछा तो पिंकी ने शर्मा कर कहा– अजी अपनी सुहागरात है ना आज, तो अपने सैंया का इंतज़ार कर रही हूँ..
 

Rakesh1999

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पिंकी की बात सुन कर नरेश के लंड ने एकदम से खड़े होकर सलामी दी। उसने भी बिलकुल फिल्मी स्टाइल में पिंकी का घूँघट उठाया। पिंकी ने भी स्टाइल से उसको पास में रखा दूध पिलाया, आधा नरेश ने पिया और बाकी पिंकी को पीने के लिए दे दिया।
‘पूरा पी लो भाई… आज रात बहुत मेहनत करनी है तुम्हें..’
चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर पिंकी ऐसे बहुत से डायलॉग सीख गई थी।


मुँह दिखाई में तुम्हे क्या चाहिए मेरी जान।नरेश बोला।

वो उधर रहा भइया जब जरुरत होगा ले लुंगी।पिंकी बोली।
मुझे तुमसे एक प्रॉमिस चाहिए जानू की तुम हमेशा मेरी बन के रहोगी।जब तक तुम्हारी या मेरी शादी नहीं हो जाती तुम सिर्फ मेरी बनकर रहोगी और शादी के बाद भी हमारा प्यार रहेगा।नरेश बोला।

ठीक है भइया आज के बाद मेरी शादी होने तक आपके सिवा किसी को अपनी जवानी का रस चखने दूंगी।मेरी जवानी अब सिर्फ आपके लिए है।इससे जी भर के खेलो।


ये सुनकर नरेश ने पिंकी को अपनी बाहों में भर लिया और होंठों पर होंठ रख दिए, नरेश के हाथ पिंकी के संतरों से जूस निकालने की कोशिश करने लगे थे।
‘बहना… मर्द को असली ताक़त तो औरत के दूध से मिलती है भैंस के दूध से नहीं…’ कहते हुए नरेश ने एक ही झटके में पिंकी का टॉप उतार कर एक तरफ उछाल दिया।

चूचियाँ नंगी होते ही नरेश ने पिंकी की चुचियों के चुचक अपने होंठो में दबा लिए और फिर जोर जोर से पिंकी की चूचियों को चूसने लगा।
पिंकी की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी ‘आह्ह्ह… भाई… चूस लो… चूस लो अपनी बहन का सारा दूध… आह्ह्ह… उफ्फ्फ… निचोड़ लो मेरी चूचियों को… बहुत मज़ा आ रहा है भाई… सी… आह्ह्ह!’

नरेश भी मस्त होकर पूरी चूची को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहा था और बीच बीच में चूचुक को अपने दांतों से काट लेता था जिससे पिंकी तड़प उठती थी।
पिंकी के हाथ भी अब नरेश के लंड को टटोल रहे थे।

पिंकी ने जल्दी से नरेश का लंड बाहर निकाला और लंड को जोर जोर से मसलने लगी।
नरेश ने भी बिना देर किये अपना लंड पिंकी के होंठों पर लगा दिया। पिंकी ने लंड का सुपारा अपने होंठों में दबाया और जीभ से अपने भाई के लंड को चाटने लगी।
दोनों वासना की आग में जल रहे थे, दिन दुनिया से बेखबर थे दोनों, बस एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे।

पिंकी नरेश का लंड चूस रही थी, नरेश ने भी पिंकी की स्कर्ट और पेंटी उतार कर साइड में फेंक दी और उसने भी अपनी जीभ पिंकी की एक बार चुदी चूत पर लगा दी।
पिंकी की चूत अभी भी कुछ सूजी सूजी सी लग रही थी, सूजती भी क्यों ना, आखिर दिन में नरेश ने जबरदस्त चुदाई की थी पिंकी की कुँवारी चूत की।
 

Rakesh1999

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दिन में हुई चुदाई की हल्की सी टीस अभी भी पिंकी की चूत में थी, तभी तो जब नरेश ने चूत पर अपनी जीभ घुमाई तो पिंकी के चेहरे पर मस्ती और दर्द के मिलेजुले भाव नजर आ रहे थे।
नरेश पिंकी की चूत की पुतियों को अपनी उँगलियों से खोल खोल कर जीभ को अन्दर तक डाल डाल कर चाट रहा था। पिंकी भी मस्ती में जल बिन मछली की तरह कसमसा रही थी, सिसकारियाँ कमरे में एक मादक संगीत की तरह गूंजने लगी थी।

कुछ देर बाद पिंकी की चूत से कामरस निकलने लगा, अब वो लंड को चूत में लेने के लिए तड़पने लगी थी। नरेश भी अपनी प्यारी बहन की कामरस से सराबोर चूत को अपने लंड से चोद कर तृप्त करने के लिए बेताब था, उसने भी बिना देर किये अपना मूसल पिंकी की चूत के मुहाने पर लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ लगभग दो-तीन इंच लंड चूत में दाखिल कर दिया।

पिंकी दर्द से तड़प उठी, उसकी चीख निकल जाती अगर नरेश ने समय पर अपना हाथ पिंकी के मुँह पर ना लगा दिया होता।
पिंकी की आँखों से आँसू टपक पड़े, कराहते हुए पिंकी ने दोनों हाथ जोड़ कर नरेश से लंड को बाहर निकालने की गुजारिश की।
नरेश को एक बार तो अपनी प्यारी बहन पर तरस आया पर चुदाई करते हुए रहम चूतिया लोग करते हैं, उसने बिना पिंकी की तरफ ध्यान दिए दो तीन जोरदार धक्के लगाए और पूरा लंड पिंकी की कमसिन चूत की गहराई में उतार दिया।

पिंकी छटपटा रही थी पर नरेश तो पिंकी की गर्म गर्म चूत का एहसास अपने कड़क लंड पर पाकर जन्नत की सैर कर रहा था।
उसे पिंकी के दर्द से ज्यादा अपने लंड को मिल रहे सुख और आनन्द का ख्याल था।
जानती पिंकी भी थी कि जो दर्द होना था हो चुका, अब तो अगले पल सिर्फ और सिर्फ मस्ती के है पर दर्द तो आखिर दर्द है।

नरेश ने कुछ देर लंड को ऐसे ही अन्दर डाल कर रखा और शांति से पिंकी के ऊपर लेट कर पिंकी के रसीले पतले होंठ चूमता रहा और अपने हाथों से पिंकी के संतरों को मसलता रहा।
पिंकी अब शांत हो गई थी- भाई… तुम बहुत गंदे हो… अपनी बहन का तुम्हें बिल्कुल भी ख्याल नहीं है… अगर आराम से करते तो तुम्हारा क्या जाता… मैं कोई भागी थोड़े ही जा रही थी… कितना दर्द कर दिया…
 

Rakesh1999

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नरेश कुछ नहीं बोला, बस हँस दिया और पिंकी की चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
पिंकी ने प्यार से दो तीन मुक्के अपने भाई की कमर पर जमा दिए और तड़प कर बोली- भाई, अब ऐसे ही लेटे रहोगे या आगे भी कुछ करोगे?

सिग्नल हरा हो चुका था और चुदाई एक्सप्रेस धीरे धीरे बेड पर चलने लगी थी।
कुछ देर धीरे धीरे रेंगने के बाद चुदाई एक्सप्रेस अपने पूरे शबाब पर आ गई और पिंकी की चूत की जबरदस्त चुदाई शुरू हो गई- उईई… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…. धीरे….सीईईईई… आह्ह्ह… उईई माआआअ…. आह्ह्हह… भाईईईई…
ऐसी ही कुछ आवाजें अब कमरे में गूंज रही थी, कभी दर्द भरी आह्ह्ह… तो कभी मस्ती भरी सिसकारी…

चुदाई एक्सप्रेस ने जो एक बार स्पीड पकड़ी तो करीब दस मिनट बाद पिंकी की चूत से बहते झडने के साथ ही कुछ शांत हुई।
पिंकी की चूत से कामरस का फव्वारा फ़ूट पड़ा था, पिंकी ने अपनी टांगों के पाश में नरेश को जकड़ लिया था और पिंकी के तीखे नाखून नरेश की कमर में गड़ गए थे।
पिंकी की चूत बहुत जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। टांगों के पाश के कारण नरेश के धक्कों की स्पीड कुछ कम हुई थी पर नरेश का जोश तो अभी बाकी था।
झड़ने के बाद जब पिंकी कुछ शांत हुई तो नरेश ने पिंकी को बेड के किनारे पर लेटाया और लंड को एक ही धक्के में जड़ तक उतार कर फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर दी।

कुछ ही देर में पिंकी फिर से गांड उठा उठा कर नरेश का साथ देने लगी।
चुदाई लगभग आधा घंटा चली और पिंकी तीसरी बार झड़ी, साथ ही नरेश ने भी अपने लंड से निकले गर्म गर्म वीर्य से अपनी छोटी बहन पिंकी की चूत को लबालब भर दिया।

झड़ने के बाद नरेश नंगा ही पिंकी के ऊपर पस्त होकर लेट गया, दोनों ही पसीने से नहा गए थे।
चुदाई के बाद की थकावट के कारण पता नहीं कब दोनों को नींद आ गई और दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटे लिपटे सो गए।

रात को करीब तीन बजे नरेश की आँख खुली तो पिंकी के नंगे बदन को देख कर फिर से उसकी कामेच्छा जाग उठी और उसने सोती हुई पिंकी के चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और एक ऊँगली से पिंकी की चूत का दाना मसलने लगा।

पहले तो पिंकी नींद में ही कसमसाई पर फिर जल्दी ही उनकी नींद खुल गई और दोनों बहन भाई फिर से चूत चुदाई एक्सप्रेस पर सवार हो गए।
फिर तो सुबह जब तक बाहर कुछ हलचल होनी शुरू नहीं हुई तब तक दोनों बस एक दूसरे में ही समाये रहे।
 

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अब थोडा महेश के घर चलते है जहाँ महेश अपनी बहु की चूत को बहुत मिस कर रहा था क्योंकि उसकी बहु को पीरियड्स आया हुआ था।वह आज ही फ्री हुई थी।सुबह जब समीर ऑफिस चला गया।ज्योति की तबियत ठीक नहीं थी वह दवा लेकर सोने चली गई तभी से महेश नीलम के रूम में आ गया था।

जहाँ नीलम कपडे चेंज कर रही थी।
महेश छोटी सी पेंटी मे फँसी अपनी बहु नीलम की गांड ही घूरे जा रहा था ! नीलम पिताजी की नज़रों को देख कर समझ गई थी क़ि उसके नये बलमा की नज़र कहाँ पर हैं !उसे मालूम था क़ि पिताजी को हमारी गोलमटोल गद्देदार गांड बहुत पसंद हैं ! पिताजी को चुप चाप अपने हुश्न का रसपान करते देख नीलम ने फिर पूछा
नीलम : जी पिताजी आपने बताया नही कैसी लग रही हूँ इन कपड़ों मे ?
महेश: जान कहने को शब्द नही है तुम इन कपड़ों मे गजब की सेक्सी लग रही हो ! पर एक बात और है
नीलम : क्या बात है पिताजी बोलिए ?
महेश : हमे तो तुम बिना कपड़ों मे ही सबसे सुंदर लगती हो बेटी !
नीलम: धत बेशरम कहीं के !!! आप मर्द लोग तो चाहते ही हैं क़ि औरतें कपड़ा पहनना ही छोड़ दें ताकि आप लोगों का समय बच जाए !
महेश : समय बच जाए मतलब ?
नीलम : रहने दीजिए मतलब आप को सब मालूम है ज़्यादा बानिए मत !
महेश भी अब ज़्यादा समय खराब करने के मूड मे नही था ! कल की चुदाई का सरूर अभी भी उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था और फिर ज्योति के घर पर होने के कारण भी वो जल्दी से नीलम को चोद कर निकल जाने के चक्कर मे था !

उसने नीलम को जवाब देने की बजाय कुछ करने की सोची और धोती उतार बहू के उपर कूद पड़ा ! नीलम तो पहले से ही प्यासी बैठी थी अपने ससुर के मूसल को उछलते देख उसने लपक कर उसकी गर्दन पकड़ ली और लगी मसलने ! पाँच मिनिट के अंदर ही जो कपडे नीलम के बदन पर होने का गर्व कर रहे थे अब वो पलंग के नीचे पड़े थे ! चूमा चाटी के दौरान बहू के मुख से दरद भरी सिसकारी निकल रही थी जिससे महेश समझ गया क़ि बहू अभी भी पेन मे हैं महेश ने नीचे अपनी बहु की चूत मे नज़र डाली तो वो अभी भी सूजन मे दिख रही थी ! महेश ने धीरे से मुँह नीचे किया और पूरी की पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया ! जवां चुत पे मर्द के होंठ लगते ही नीलम के पुर बदन मे आग लग गई ,उसके अंदर से शोले भड़क भड़क कर उसके चुत मे आने लगे जो महेश के होन्ट से स्पर्श करते है विस्फोट कर देते !वो बड़बड़ाने लगी ।
 
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