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पिंकी नहीं जानती थी कि पहली चुदाई में चूत के साथ साथ गांड भी फट जाती है, वो जोर से चीख पड़ी और दर्द के मारे हाथ पैर मारने लगी।
नरेश ने पिंकी के होंठों पर होंठ रख कर उसको शांत करने की कोशिश की।
पिंकी नरेश के नीचे दबी हुई छटपटा रही थी, लंड अभी सिर्फ दो इंच ही घुसा था।
नरेश ने देर करना सही नहीं समझा और एक बार उचक कर फिर से दो जोरदार धक्के लगा कर आधे से ज्यादा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में उतार दिया।
पिंकी की हालत ऐसी थी कि जैसे अभी बेहोश हो जायेगी।
चूत से खून निकल कर गांड तक फ़ैल गया था। नरेश का लंड भी जैसे किसी शिकंजे में फंस गया था क्यूंकि पिंकी की कुंवारी चूत थी ही इतनी टाईट।
फिर भी नरेश ने एक लम्बी सांस ली और फिर लगातार दो तीन धक्के लगा कर पूरा लंड पिंकी की चूत में फिट कर दिया।
अब नरेश ने धक्के लगाने बंद कर दिए और पिंकी की चूचियों को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरी को मसलने लगा।
पिंकी दर्द के मारे अभी भी रोये जा रही थी।इस कहानी के लेखक और संपादक राकेश है।
‘बस मेरी बहना… बस अब दर्द नहीं होगा… देख पूरा लंड तेरी चूत में जा चुका है। जिसे तू छोटा सा छेद कहती थी वो छेद मेरा पूरा आठ इंच का लंड निगल गया है।’
‘प्लीज भाई, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो… मेरी चूत फट गई है… प्लीज मुझे नहीं चुदवाना…’
‘अरे देख तो पूरा लंड घुस चुका है अब दर्द नहीं होगा…’
नरेश लगातार पिंकी की उभरती चूचियों और होंठों को चूमता रहा।
करीब दो तीन मिनट बाद पिंकी को अपना दर्द कुछ कम होता महसूस हुआ तो वो भी नरेश के चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी। नरेश ने भी ग्रीन सिग्नल मिलते ही लंड को कुछ हरकत दी, उसने धीरे धीरे अपना लंड चूत से लगभग आधा निकाला और फिर धीरे धीरे ही दुबारा पिंकी की चूत में उतार दिया।
पिंकी को दर्द हुआ पर अब वो इस दर्द को सहने के लिए तैयार थी।
ऐसे ही पहले धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करते करते नरेश ने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी। पिंकी की चूत ने भी थोड़ा पानी छोड़ दिया था जिस कारण थोड़ा चिकनापन आ गया था चूत में और लंड अब पिंकी की चूत में फिसलने लगा था।
पिंकी को भी अब चुदाई में मज़ा आने लगा था, वो भी अब नरेश के हर धक्के का स्वागत अपनी गांड उठा उठाकर कर रही थी जो इस बात का सबूत था कि अब दोनों मज़े में थे।
नरेश ने पिंकी के होंठों पर होंठ रख कर उसको शांत करने की कोशिश की।
पिंकी नरेश के नीचे दबी हुई छटपटा रही थी, लंड अभी सिर्फ दो इंच ही घुसा था।
नरेश ने देर करना सही नहीं समझा और एक बार उचक कर फिर से दो जोरदार धक्के लगा कर आधे से ज्यादा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में उतार दिया।
पिंकी की हालत ऐसी थी कि जैसे अभी बेहोश हो जायेगी।
चूत से खून निकल कर गांड तक फ़ैल गया था। नरेश का लंड भी जैसे किसी शिकंजे में फंस गया था क्यूंकि पिंकी की कुंवारी चूत थी ही इतनी टाईट।
फिर भी नरेश ने एक लम्बी सांस ली और फिर लगातार दो तीन धक्के लगा कर पूरा लंड पिंकी की चूत में फिट कर दिया।
अब नरेश ने धक्के लगाने बंद कर दिए और पिंकी की चूचियों को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरी को मसलने लगा।
पिंकी दर्द के मारे अभी भी रोये जा रही थी।इस कहानी के लेखक और संपादक राकेश है।
‘बस मेरी बहना… बस अब दर्द नहीं होगा… देख पूरा लंड तेरी चूत में जा चुका है। जिसे तू छोटा सा छेद कहती थी वो छेद मेरा पूरा आठ इंच का लंड निगल गया है।’
‘प्लीज भाई, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो… मेरी चूत फट गई है… प्लीज मुझे नहीं चुदवाना…’
‘अरे देख तो पूरा लंड घुस चुका है अब दर्द नहीं होगा…’
नरेश लगातार पिंकी की उभरती चूचियों और होंठों को चूमता रहा।
करीब दो तीन मिनट बाद पिंकी को अपना दर्द कुछ कम होता महसूस हुआ तो वो भी नरेश के चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी। नरेश ने भी ग्रीन सिग्नल मिलते ही लंड को कुछ हरकत दी, उसने धीरे धीरे अपना लंड चूत से लगभग आधा निकाला और फिर धीरे धीरे ही दुबारा पिंकी की चूत में उतार दिया।
पिंकी को दर्द हुआ पर अब वो इस दर्द को सहने के लिए तैयार थी।
ऐसे ही पहले धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करते करते नरेश ने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी। पिंकी की चूत ने भी थोड़ा पानी छोड़ दिया था जिस कारण थोड़ा चिकनापन आ गया था चूत में और लंड अब पिंकी की चूत में फिसलने लगा था।
पिंकी को भी अब चुदाई में मज़ा आने लगा था, वो भी अब नरेश के हर धक्के का स्वागत अपनी गांड उठा उठाकर कर रही थी जो इस बात का सबूत था कि अब दोनों मज़े में थे।