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नीलम : आ आह यस चूस लो पिताजी आह्ह्ह .! चाट लो मेरी चूत जो मज़ा आपके बेटे ने नहीं दिया वो सारी ख़ुशी आप मुझे दे दो ! आह आह उई माँ मर गई!
ओह माइ गॉड ! खा जाओ मेरी चूत को ओह।
महेश ने अपनी लपलपाती जीभ का कमाल दिखाना चालू कर दिया ! चुत चूसाई मे अच्छी अच्छी लोंड़िया उसके सामने बेबस हो जाया करती थी फिर नीलम तो कल की छोकरी थी !
इधर महेश की जीभ लपलपा रही थी उधर नीलम बिन पानी की मछली के समान मचल रही थी ! लोहा गरम देख महेश ने अगली चोट कर दी उसने बहू की क्लिट अपने मुँह मे दबा लिया और बीच की उंगली चुत के अंदर डाल जी स्पॉट पर आक्रमण कर दिया ! इस दुधारी तलवार पर चलना नीलम जैसी नई नई लौंडिया के बस की बात नही थी वो महेश के हमले के आगे टूट गई और कमर उछाल उछाल कर अपने आने का संकेत देने लगी ! कुछ ही देर मे वो झर झर कर झडने लगी और महेश गट गट कर बहू की चूत का पानी पीने लगा !
कुछ देर आराम करने के बाद महेश उपर आ गया और बहू के संतरों को चूसने लगा ! संतरे नीलम की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी जब भी महेश उन्हे मुँह मे लेता था नीलम तुरंत काम वासना के आगे बेबस हो जाती !
अभी दो मिनिट ही महेश ने नीलम के संतरे चूसे थे क़ि नीलम बोल पड़ी -
नीलम: पिताजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
महेश: जान थोड़ा रुक जाओ इन रसीली चूचियों का मज़ा तो ले लेने दो !
नीलम: नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
महेश-बहु मैं चाहता हूँ की अब जब भी तुम्हारी चुदाई करूँ अपना माल तुम्हारी चूत में ही गिराऊँ ताकि तुम माँ बन जाओ नहीं तो मेरे बेटे से तो कुछ होनेवाला नहीं है।
नीलम-क्या यह ठीक रहेगा पिताजी।
महेश-हाँ बेटी अगर लड़की को शादी बाद बच्चा नहीं हो तो समाज में उसे इज्जत नहीं मिलती।
नीलम : हाँ जानू इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम स्वीट हार्ट कहते हुए महेश ने नीलम की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लंड अपनी बहू के चूत के अंदर पेल दिया !
ओह माइ गॉड ! खा जाओ मेरी चूत को ओह।
महेश ने अपनी लपलपाती जीभ का कमाल दिखाना चालू कर दिया ! चुत चूसाई मे अच्छी अच्छी लोंड़िया उसके सामने बेबस हो जाया करती थी फिर नीलम तो कल की छोकरी थी !
इधर महेश की जीभ लपलपा रही थी उधर नीलम बिन पानी की मछली के समान मचल रही थी ! लोहा गरम देख महेश ने अगली चोट कर दी उसने बहू की क्लिट अपने मुँह मे दबा लिया और बीच की उंगली चुत के अंदर डाल जी स्पॉट पर आक्रमण कर दिया ! इस दुधारी तलवार पर चलना नीलम जैसी नई नई लौंडिया के बस की बात नही थी वो महेश के हमले के आगे टूट गई और कमर उछाल उछाल कर अपने आने का संकेत देने लगी ! कुछ ही देर मे वो झर झर कर झडने लगी और महेश गट गट कर बहू की चूत का पानी पीने लगा !
कुछ देर आराम करने के बाद महेश उपर आ गया और बहू के संतरों को चूसने लगा ! संतरे नीलम की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी जब भी महेश उन्हे मुँह मे लेता था नीलम तुरंत काम वासना के आगे बेबस हो जाती !
अभी दो मिनिट ही महेश ने नीलम के संतरे चूसे थे क़ि नीलम बोल पड़ी -
नीलम: पिताजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
महेश: जान थोड़ा रुक जाओ इन रसीली चूचियों का मज़ा तो ले लेने दो !
नीलम: नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
महेश-बहु मैं चाहता हूँ की अब जब भी तुम्हारी चुदाई करूँ अपना माल तुम्हारी चूत में ही गिराऊँ ताकि तुम माँ बन जाओ नहीं तो मेरे बेटे से तो कुछ होनेवाला नहीं है।
नीलम-क्या यह ठीक रहेगा पिताजी।
महेश-हाँ बेटी अगर लड़की को शादी बाद बच्चा नहीं हो तो समाज में उसे इज्जत नहीं मिलती।
नीलम : हाँ जानू इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम स्वीट हार्ट कहते हुए महेश ने नीलम की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लंड अपनी बहू के चूत के अंदर पेल दिया !