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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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महेश लंड अभी भी उसकी गांड में फंसा हुआ था. महेश भी झड़ने के करीब ही था, महेश बहू के दोनों मम्में मुट्ठियों में दबोच लिए और जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा जिससे चूत में घुसा हुआ केला धक्कों से नीचे गिर गया अब महेश ने जल्दी से अपना लंड नीलम की गांड से निकल कर उसकी चूत में जड़ तक पेल दिया और 10-12 जोरदार धक्के मारकर अपनी बहु की बच्चेदानी में झड़ने लगा और महेश के लंड से रस की फुहारें निकल निकल के उसकी कोख में समाने लगीं.

“पिता जी मुझे नीचे लिटा दो अब अब खड़ा नहीं रहा जाता मुझसे!” नीलम कमजोर स्वर में बोली.
महेश उसे पकड़े हुए ही धीरे से बेड पर लिटा दिया और और खुद उसके बगल में लेट कर हाँफने लगा.

“पिताजी, आज तो गजब का मज़ा आया पहली बार!”नीलम प्यार से अपने ससुर की आंखों में देखती हुई बोली और उनके सीने पर हाथ फिराने लगी.
महेश ने भी उसे चूम लिया और अपने से लिपटा लिया. बहुत देर तक हम दोनों ससुर बहू यूं ही चिपके पड़े रहे.

“छोड़ो पिता जी, लंच भी तो बनाना है अभी!” नीलम बोली और उठ के खड़ी होने लगी और जैसे तैसे खड़ी होकर बेड का सहारा ले लिया और धीरे धीरे बाथरूम की तरफ चल दी.
महेश ने नोट किया कि बहू की चाल बदली बदली सी लगने लगी थी.

जिस दिन की यह घटना है उस दिन रात को और अगले दिन बहू ने महेश को कुछ भी नहीं करने दिया; कहने लगी कि उसकी गांड बहुत दर्द कर रही है और उसे चलने फिरने में भी परेशानी हो रही है. अतः महेश भी ज्यादा कुछ नहीं कहा क्योंकि अब उसकी नज़र अपनी बेटी ज्योति की गांड पर थी।
 

Rakesh1999

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अगले दिन जब समीर ऑफिस चला गया और नीलम सोने चली गई तो महेश धीरे से अपनी बेटी ज्योति के बेडरूम में घुस गया।


वहाँ ज्योति अभी अभी बाथरूम से नहा कर निकली थी और सिर्फ पेंटी और ब्रा में बहुत सेक्सी दिख रही थी।
महेश ने अपनी बेटी को अपनी बाहों में भर लिया और अपनी बेटी ले रसीले होंठो को चूसना शुरू कर दिया।
फिर महेश अपनी बेटी की पेंटी को सूंघने लगा।


पिताजी, किसकी खुश्बू ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पेंटी की या चूत की?”ज्योति बोली।

“अरे बेटी, दोनो ही बहुत मादक हैं.कहकर महेश ने अपनी बेटी के पेंटी को निचे करके निकाल दिया और बेड पर बिठाकर अपनी बेटी ज्योति की गीली चूत को चाटने लगा

“हाय पिताजी, अब तो ये चूत और पेंटी दोनो आपकी है, जब मन करे ले लीजिए.” काफ़ी देर चूत चाटने के बाद महेश खड़े हुए और अपने मोटे लंड का सूपाड़ा अपनी बेटी ज्योति के होंठों पे टीका दिया. ज्योति ने जीभ निकाल के सुपारे को चाटा और फिर पूरा मुँह खोल के उस मोटे मूसल को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने महेश का लंड मुँह में लिया. अपने बाप का लंड चूस के तो ज्योति धन्य हो गयी। महेश अपनी बेटी के मुँह को पकड़ के उसके मुँह को चोदने लगे. उनके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फिर महेश ने ज्योति के मुँह से लंड निकाला और उसके होंठों को चूमते हुए बोले,

“ज्योति मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.” ज्योति चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली. अब ज्योति की चूत उसके बाप के सामने थी.

“लीजिए पिताजी, अब मेरी चूत आपके हवाले है.” महेश ने अपना मोटा सुपारा ज्योति की चूत के मुँह पे टीका दिया. ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड कई दिनों के बाद फिर से उसकी चूत में जाने वाला था. महेश ने लंड के सुपारे को ज्योति की चूत के कटाव पे थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से उसकी चूत में दाखिल कर दिया.
 

Rakesh1999

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“हाँ पिताजी, अब जी भर के चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.” ज्योति उनके कान मफुसफुसाते हुए बोली. अब पिताजी ने पूरा लंड बाहर निकाल के ज्योति की चूत में पेलना शुरू कर दिया. सच! ज़िंदगी में किसी मरद से चुदवाने में ज्योति को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. अब ज्योति को एहसास हुआ कि क्यूँ वह रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती है. उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी उसमें से फ़च...फ़च...फ़च का मादक संगीत निकल रहा था. कुच्छ देर तक चोदने के बाद उसके पिताजी ने अपना लंड ज्योति की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया. महेश का पूरा लंड और बॉल्स ज्योति की चूत के रस में सने हुए थे. ज्योति में अपने बाप का लंड और बॉल्स चाट चाट कर साफ कर दिए. अब पिताजी बोले।

“ज्योति बेटी, अब थोड़ा कुतिया बन जाओ. अपने इन जानलेवा गांड के दर्शन भी तो करा दो.”

“आपको अपनी बहु के नितम्ब बहुत अच्छे लगते हैं ना?” ज्योति पापा के बॉल्स सहलाते हुए बोली।

“हां बेटी बहुत ही सेक्सी नितम्ब हैं नीलम के.”

“ और हमारे ? हमारे नितम्ब नहीं अच्छे लगे आपको?”ज्योति बोली।

“तुम्हारे नितम्ब तो बिल्कुल जानलेवा हैं बेटी.तुम जब नहा के टाइट पेटिकोट में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे पेटिकोट फाड़ के बाहर निकल आएँगे. तुम्हारे मटकते हुए चूतड देख के तो हमारा लंड ना जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.”

“हाय पापा इतना तंग करते हैं हमारे नितम्ब आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ. अब ये नितम्ब आपके हवाले. आप जो चाहे कर लीजिए.”ज्योति बोली और ये बोल कर ज्योति जल्दी से अपने बाप के लंड के मोटे सुपारे को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी. अब ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियाँ बिस्तर पे टिकी हुई थी और चूतड हवा में लहरा रहे थे.

ज्योति ने चूतड चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे.महेश अपनी बेटी के विशाल चूतडो को देख कर दंग रह गये. उन्होने ज्योति के दोनो चूतडो को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड दिया. अब ज्योति कुतिया बनी हुई थी और सगा बाप पीछे कुत्ते की तरह अपनी बेटी के चूतडो के बीच मुँह दिए उसकी चूत चाट रहे थे. फिर उन्होने ज्योति के चूतडों को पकड़ के चौड़ा किया और अपनी बेटी के गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगे.
 

Rakesh1999

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ज्योति तो अब सातवें आसमान पे थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था. महेश ने अपनी जीभ ज्योति के गांड के छेद में घुसेड दी. ज्योति ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी. काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में महेश अपनी बेटी की चूत और गांड से सारा पानी चाटने के बाद अपने दोनो हाथों से ज्योति के चूतरो को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गरम गरम सुपारा अपनी बेटी की लार टपकाती चूत पे टिका दिया........

ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. तभी महेश ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उनका लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया.

“ आाऐययईईई….आआअहह….आह.” ज्योति के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी.

“बेटी ऐसे चिल्लाओगी तो नीलम जाग जाएगी.”

“आप भी तो हमें कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पिताजी.” महेश के मोटे मूसल ने ज्योति की चूत को बुरी तरह से फैला के चौड़ा कर दिया था. ज्योति को डर था की कहीं मेरी चूत सुचमुच ही ना फट जाए. अब महेश ने ज्योति की कमर पकड़ के धक्के लगाना शुरू कर दिया. आसानी से लंड ज्योति चूत में जा सके इसलिए अब ज्योति ने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थी. मीठा मीठा दर्द हो रहा था.अब ज्योति अपने ही बाप से कुतिया बन के चुदवा रही थी.

“ ज्योति बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत गरम है.” फ़च फ़च.. फ़च…..फ़च फ़च….फ़च… की आवाज़ें ज़ोर ज़ोर से आ रही थी. ज्योति की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. अब ज्योति इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने चूतड पीछे की ओर उचका उचका के अपने बाप का लंड अपनी चूत में ले रही थी.

ज्योति तो वासना में पागल हुई जा रही थी. शायद अपने ही बाप से चुदवाने के एहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था. महेश अपनी बेटी ज्योति के चूतडो को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए बोले।

“ज्योति बेटी. सच इन चूतडो ने तो हमारा जीना ही हराम कर रखा था. और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!” ये कहते हुए उन्होने एक उंगली ज्योति की गांड में सरका दी.

“आआआहह…….. ईीइससस्स... ये क्या कर रहे हैं पिताजी?”
 

Rakesh1999

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“बेटी कभी किसी ने इस छेद को प्यार किया है?” महेश अब ज्योति के गांड में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे.

“आआी…ईईस्स्स्स… जी किसी ने कभी नहीं किया.” ज्योति अब समझ गयी थी कि अब उसके पिताजी उसकी गांड भी मारना चाहते थे.ज्योति को नहीं मालूम था कि पापा को गांड मारने का भी शौक है. अपने ही बाप से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर ज्योति बहुत उत्तेजित हो गयी थी और उसकी चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पे बह रहा था. आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था.

इधर महेश ज्योति की गांड में उंगली करते हुए बोले,

“ ज्योति बेटी हम तुम्हारे इस गुलाबी छेद को भी प्यार करना चाहते हैं.”

“हाय पिताजी आपको हमारे चूतड इतने पसंद हैं तो कर लीजिए जी भर के उस छेद से प्यार. आज के दिन मैं पूरी तरह से आपकी हूँ.”ज्योति बोली।

“शाबाश मेरी जान , ये हुई ना बात. हमे पता था की हमारी प्यारी बिटिया हमे गांड ज़रूर देगी. अब अपने ये लाजबाब चूतड थोडे से और ऊपर करो” ज्योति ने अपने चूतड ऊपर की ओर इस तरह उचका दिए कि उसके बाप का लंड आसानी से उसकी गांड में जा सके. पिताजी ने ज्योति की गांड से उंगली निकाली और नीचे झुक के अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पे टीका दी. ज्योति तो वासना से इतनी भड़क उठी थी की अब और सहन नहीं हो रहा था. वासना के नशे में वो धीरे धीरे गांड चाट रहे थे और कभी कभी जीभ गांड के छेद में घुसेड देते. एक हाथ से वो मेरी चूत सहला रहे थे.

“सच बेटी तुम्हारी गांड बहुत ही ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है. तुम्हारी गांड में से बहुत मादक खुश्बू आ रही है.” ज्योति को आज तक ये बात समझ नहीं आई थी कि मरद लोगों को औरत की गांड चाटने में क्या मज़ा आता है. अब महेश ने ज्योति की चूत के रस में से सना हुआ लंड अपनी बेटी की कुँवारी गांड के छेद पे टिका दिया.


हाय राम ! ज्योति के पिताजी अब उसकी गांड मारने जा रहे थे. ज्योति भी कुतिया बनी उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब उसके बाप का लंड उसकी कुँवारी गांड में प्रवेश करेगा.महेश ने अपनी बेटी के चूतरो को पकड़ के चौड़ा किया और साथ ही एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.
 

Rakesh1999

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“ आआईयईई……आआआअहह….इसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” जैसे ही लंड का मोटा सुपाडा ज्योति की कुँवारी गांड में घुसा उसके मुँह से चीख निकल ही गयी.

“हाई मेरी बच्ची ! क्या मस्त गांड है तुम्हारी!” पिताजी ने ज्योति के चूतड पकड के एक ज़ोर का धक्का लगा के आधे से ज़्यादा लंड उसकी कुँवारी गांड में उतार दिया.

“आआईईईआआआआआ……..ऊऊऊऊऊओ……….ईईस्स्स्स्स्स स.” ज्योति का दर्द के मारे बुरा हाल था. उसे पक्का विश्वास था कि आज तो उसकी गांड ज़रूर फटेगी, लेकिन अपने बाप से गांड मरवाने की चाह ने उसे अँधा कर दिया था.


“ज्योति बेटी जितना मज़ा तुम्हारी गांड मार के आ रहा है उतना मज़ा तो तुम्हारी मम्मी की गांड मार के कभी नहीं आया.” ज्योति को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी की उसको चोदने में उसके बाप को उसकी मम्मी से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. इस बार महेश ने पूरा लंड बाहर खीच कर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक ज्योति की गांड में पेल दिया.

“ऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई………………आआआआआआआआआआ आ……..आआआआआअहह....मर गयी....ईीइससस्स”

अब महेश ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के लंड ज्योति की गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. हर धक्के के साथ महेश के बॉल्स ज्योति की चूत पे चिपक जाते.

एक बार फिर झड़ गयी.महेश के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और शायद वो झड़ने वाले थे. अचानक ज्योति को अपनी गांड में गरम गरम पिचकारियाँ सी महसूस हुई. पिताजी झड़ गये थे. उसकी गांड लाबा लब उसके बाप के वीर्य से भर गयी थी. उन्होने जैसे ही ज्योति की गांड से अपना लंड बाहर खींचा, वीर्य गांड में से निकल कर ज्योति की चूत और जांघों पे बहने लगा. ज्योति पीठ के बल लेट गयी और अपनी गांड से निकला हुआ पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया.



किसी मरद का लंड चूसने में आज तक इतना मज़ा नहीं आया था जितना अपने बाप का लंड चूसने में आ रहा था. पूरा लंड, बॉल्स और जांघें ज्योति के चूत के रस और उसके बाप के वीर्य के मिश्रण में सनी हुई थी. उसके बाप के लंड से ज्योति की चूत और गांड दोनो की गंध आ रही थी. ज्योति ने बडे प्यार से उनके लंड और बॉल्स को चाट चाट के सॉफ किया. महेश भी 2 घंटे से ज्योति की चूत गांड और मुँह को चोद रहे थे. वो भी थक कर निढाल हो गये थे. इतने में कुछ देर बाद ज्योति को ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई दी. उसके पिताजी थकावट के कारण सो गये थे. ज्योति ने जी भर के अपने बाप के लंड को सहलाया, चूमा और चाटा. थोरी देर में बिस्तेर पे पड़ी रही और पिताजी के लंड और उनके बॉल्स को सहलाती रही.

ज्योति अब धीरे से बिस्तर से उठी. उसकी गांड में से पापा का वीर्य निकल के बह रहा था.ज्योति जल्दी बाथरूम में गयी और अपनी चूत और गांड को सॉफ किया. फिर ज्योति वापस जा के अपना पेटिकोट और ब्लाउस पहना और अपने ही बेडरूम में जा कर सो गयी. सच में चुदाई का ऐसा आनंद आज तक कभी उसे नहीं आया था. ज्योति की गांड में फिर हल्का हल्का दर्द शुरू हो गया था. शायद थोड़ी फट गयी थी लेकिन जो मज़ा आज मिला था उसे ज़िन्दगी भर याद रहेगा।
 

Rakesh1999

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कमेंट और लाइक करने के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी कैसी लग रही है अपने विचार अवश्य दे।
 

Rakesh1999

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Koi reply nahi.
 

Rakesh1999

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अपडेट 131




अब चलते है रेखा के घर जहाँ डॉ रवि जब विजय की माँ रेखा को चोद रहा था तभी विजय घर लौट आया था और छिपकर अपनी माँ की चुदाई खिड़की से देख रहा था और गुस्से में अपना लंड सहला रहा था।जब डॉ रवि
ने उसकी माँ की गांड में ऊँगली डालके गांड मारने के लिए बोला और रेखा ने अगली बार गांड मराने का वादा किया तब विजय ने सोचा की आज ही अपनी माँ की गांड मार लेगा नहीं तो उसकी रण्डी माँ किसी और से अपनी गांड मरा लेगी।

जब डॉ रवि रेखा को चोदकर चला गया तो रेखा बाथरूम में फ्रेश होने चली गई जब वह फ्रेश होकर अपने रूम में आई तो वहाँ विजय गुस्से में बैठा हुआ था।

रेखा-क्या हुआ बेटे बड़ी जल्दी घर आ गया।क्या बात है।

विजय- अगर जल्दी घर नहीं आता तो कैसे पता चलता की मेरी माँ कितनी बड़ी रंडी है।

रेखा-हां मैं रंडी हूँ।तू भी तो दूध का धुला नहीं है पहले अपनी माँ को चोदा और अब अपनी बहनो को चोद रहा है।मैं अपनी प्यास कहाँ बुझाऊ। तेरे बाप से कुछ होता नहीं । तू अपनी बहनों में बिजी है मैं क्या करूँ अपनी चूत की आग कैसे शांत करूँ।

विजय-रुक जा साली रंडी आज तेरी वो चुदाई करूँगा की तेरी चूत और गांड और मुँह सब फट जायेगी।

रेखा-आ फाड़ दे मेरी चूत मै भी देखती हूँ कितना दम हैं तुझमे।

ये सुनकर विजय को बहुत गुस्सा आता है।
विजय ने जल्दी जल्दी अपने सारे कपडे उतार दिए और अपनी माँ को भी पूरा नंगा कर दिया।फिर विजय ने अपनी माँ को बेड पर धकेल दिया।

विजय अपनी माँ को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तर के नीचे झुका देता हैं. रेखा को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद अपने बेटे के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने बेटे की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था.
 
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