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"जी मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं यहाँ चलि आई, आप सोये हुए थे तो मैं यहाँ बैठ गई", रेखा ने अपनी थूक गटकते हुए कहा । "कोइ बात नहीं हम भी जाग गए हैं आपस में बातें करते है", अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"बाबूजी आप ज़रूर सपने में किसी लड़की को देख रहे थे", रेखा ने हँसते हुए कहा।
"तुम्हेँ कैसे पता चला बेटी", अनिल ने हैंरान होने का नाटक करते हुए कहा।
"आप के इस महाराज को देखकर", रेखा ने ऊँगली से अपने ससुर के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"तुम ने सच कहा बेटी मैं सपने में किसी लड़की को ही देख रहा था", अनिल ने एक ठण्डी आह भरते हुए कहा।
"सच बाबूजी प्लीज बतायें न कौन थी वह ख़ुशनसीब" रेखा ने अपने ससुर से कहा।
"छोड़ो न बेटी कोई दूसरी बात करते है", अनिल ने अपनी बहु को टालते हुए कहा।
"ता आप हमें नहीं बतायेंगे", रेखा ने मुँह बनाते हुए कहा।
"अरे बेटी तुम तो नाराज़ हो गई", अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हा बाबू जी हमें जानना है की हमारे प्यारे ससुर को नींद में कौन सी परी तंग करती है", रेखा ने अपने ससुर को देखते हुए कहा ।
"बेटी मैं बताता हूं, मगर तुम नाराज़ तो नहीं होगी न?", अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हम भला क्यों नाराज़ होंगे, वैसे भी हम आपस में दोस्त हैं आपस की बातें एक दुसरे को नहीं बतायेंगे तो फिर किसे बतायेंगे", रेखा ने ऑंखें नाचते हुए कहा ।
अनिल ने रेखा की बात सुनते ही मन ही मन में मुस्कुराते हुए कहा "बेटी वह तुम हो"।
"बापु जी आप क्या बोल रहे है", रेखा ने अपने ससुर की दीलेरी पर हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ बेटी मैं सच कह रहा हूं, मुझे सारा टाइम तुम्हारा ही गठीला बदन अपने आँखों के सामने दिखाई देता है" ।