वो एक हाथ से धीरे धीरे उसकी कमर सहला रहा था । माही की रुलाई पूरी तरह से रुक चुकी थी । अब कमर पर घूमता उसके भाई का हाथ उसे अच्छा लग रहा था।
माही की नाजुक और चिकनी कमर का एहसास पाकर उसका लन्ड अब बुरी तरह से अकड़ गया था जो अब माही चूत पर अड़ा पड़ा था। जैसे ही करण के लन्ड का एहसास उसे अपनी चूत पर होता है उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं वो शर्म के मारे करण से और जोर से चिपक जाती हैं जिस कारण लन्ड उसकी चूत को अच्छे से रगड़ रहा था। इस कामुक रगड़ से उसके मुंह से आहत निकाल जाती हैं जिसे करण साफ सुनता हैं और वो जोश में आते हुए अपने दोनो हाथ सलवार के उपर से ही उसके उठे हुए भारी चूतड़ों पर के जाता है और उन्हें दबा देता है जिसका सीधा असर माही की चूत पर होता है और उसमें तरंगे उठने लगती हैं ।
तभी करन दोनो हाथो से उसका चेहरा ऊपर उठाता है और पहले उसकी आंखो में देखता है तो और फिर उसके नाजुक सेक्सी लिप्स को देखता है और अपने होंठो पर जीभ फिराने लगता है ।
जैसे ही माही उसकी नजरो का पीछा करती हैं तो उसे एहसास हो जाता है कि उसके भाई की नजरे उसके लिप्स पर हैं तो वो शर्म से पानी पानी हो जाती हैं और वो अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो को गीला करती हैं और अपनी नजरे झुका लेती हैं और उसकी छाती में घुसे बरसाने लगती हैं ।
करण को ग्रीन सिग्नल मिल गया था।
वो बेसब्री से उसका चेहरे उपर करता हैं और अपने प्यासे जलते हुए लिप्स को अपने बहन के नाजुक, कामुक और रसीले होंठो से चिपका देता हैं । जैसे ही माही को अपने होती पर अपने भाई के होंठो का एहसास होता है उसकी सांसे जैसे रुक सी जाती हैं और वो अपनी चूत को बुरी तरह से उसके पूरे तरह से खड़े हुए लन्ड पर रगड़ती हैं और उसके होंठो को चूमती हुई कमरे से बाहर भाग जाती हैं ।
जैसे ही माही बाहर आती हैं अभी हुए हादसे को याद करके उसके होंठो पर स्माइल आ जाती हैं और वो भागते हुए नीचे आ जाती हैं । जैसे ही काम्या उसके होंठो और मुस्कान देखती हैं तो वो भी खुशी के मारे उसे अपने गले लगा लेती हैं ।
उधर जैसे ही माही उसकी बांहों से निकल कर बाहर जाती हैं उसे जैसे होश आता है और सोचता हैं कि ये भगवान है क्या हो गया।
ऐसा नहीं होना चाहिए था वो मेरी सगी बहन हैं ।
तभी उसे अपने खड़े हुए लन्ड का एहसास होता है जो कि पेंट के उपर से साफ नजर आ रहा था और पूरी तरह से अकड़ा हुआ था , उसे हैरानी होती है तभी उसे माही की हरकत याद आती हैं कि कैसे उसने खुद अपनी चूत को उसके लन्ड पर दबाया था और अपने होंठो पर जीभ फिराकर उसे ग्रीन सिग्नल दिया था। उफ्फ कितने गरम थे उसके होंठ , मानो जलते हुए अंगारे हो और साथ ही साथ कितने रसभरे थे। काश मैं अच्छे से चूस पाता।
और ऐसा सोचते हुए उसका लन्ड पेंट में ऐसे उछलता है जिसे उसे फाड़कर बाहर आ जायगा।
करण उसे हाथ से हल्के से दबाता हैं और बोलता हैं कि थोड़ा सब्र किया कर लन्ड महाराज । वो मेरी बहन कि चूत हैं "
लेकिन लन्ड को क्या फर्क पड़ता है चूत होनी चाहिए चाहे वो मा की हो या बहन की उसका काम तो बस चोदना होता है ।