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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

tharkiman

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रात दोनों बहने एक ही कमरे में सोईं। काफी देर तक दोनों में बात चीत होती रही। बचपन की बातें, अनुराग के बीमार होने की बातें। बात चीत करते करते रूबी कब सो गई पता ही नहीं चला पर वर्षा को नींद नहीं आ रही थी। उसकी वजह आज उसके पति और ससुराल वालों की बात भी थी। वो सोच रही थी , कि कितनी ख़राब किस्मत है उसकी कि उसका पति उसकी क़द्र नहीं करता है। पर कमी उसमे नहीं थी , कमी उसके पति में थी। उसका लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। या फिर कोई और प्रॉब्लम रही होगी। वो वर्षा के पास फटकता भी नहीं था। घर वालों का दबाव था जिसकी वजह से किसी तरह सम्बन्ध बना कर बच्चा हुआ। उसके बाद तो उसने उसके पास आना ही छोड़ दिया।

वर्षा कि हालत उसके ससुराल में कोई समझता था तो सिर्फ उसकी सास। उन्हें कुछ कुछ अंदाजा तो लग गया था। उन्हें भी अपने बेटे से नाराजगी थी। शायद उनके पति यानी वर्षा के ससुर भी वैसे ही थी । खानदानी दिक्कत थी। उन्होंने वर्षा को जब मायके में खुश देखा तो उन्होंने बुलाने कि जिद्द भी नहीं की। वर्षा ने एक आध बार अलग होने की बात की तो उन्होंने चुप्पी लगा ली थी जो एक तरह से मौन सहमति ही थी। वर्षा के मन में अलग होने के लिए थोड़ा संशय था पर आज जब उसने अपने पिता के मुँह से सुना की वो उसका ख्याल रख सकते है और वापस भेजना नहीं चाहते है तो उसका निश्चय पक्का हो गया। उसे अंदाजा नहीं था अनुराग उसे इतना प्यार करते हैं। अब वो उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी।
अनुराग की याद आते ही उसके पेट के नीचे हलचल होने लगी। उससे ज्यादा उसके सीने में भारीपन होने लगा। उसने घूम कर रूबी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। रूबी का चेहरा उसकी तरफ था। उसका बच्चा दिवार की तरफ था। सोते समय वो उसे दूध पीला रही होगी उस वजह से उसका टी शर्ट एकदम ऊपर तक था और उसके दोनों स्तन बाहर थे। रूबी सोते समय एक लोअर और पैंट पहनती थी।
जबकि वर्षा सामने से चेन वाली नाइटी। अकसर घर में एक छोटी स्लीव्स में रहती थी जो बड़ी मुश्किल से उसके जांघो तक आते थे। ऊपर एक डोरी के सहारे कंधे से टिके रहते थे। इस कपडे में अनुराग और उसे कभी भी कहीं भी सेक्स करने में सहूलियत रहती थी। रूबी के स्तन वर्षा से बड़े थे। उसका पति उसके स्तन पीता था पर यहाँ अनुराग भी वर्षा के स्तनों से खेलता था। अनुराग ही क्या लता भी खेलती थी। पर रूबी का शरीर शुरू से थोड़ा भरा हुआ था। वो बचपन से गोल मटोल थी। पर शादी से पहले उसने वेट लूज़ किया था। अब बच्चा होने के बाद फिर से उसका शरीर भर गया था। उसके गांड और स्तन सबसे ज्यादा भर गए थे। वर्षा के स्तन थोड़े लटक से गए थेपर रूबी में कसाव था। उसके अलावा रूबी की ख़ास बात ये थी की स्तन के ऊपर का घेरा काफी बड़ा था। उस पर से बड़े बड़े निप्पल।

रूबी की आती जाती साँसों से हिलते स्तनों को देख कर वर्षा का मन किया उसे टच करे पर रूबी के रिएक्शन का अंदाजा नहीं था तो उसने ये विचार छोड़ दिया। फिर उसे अनुराग का ख्याल दोबारा आया और वो धीरे से उठ कड़ी हुई। वो दबे पाँव कमरे से निकली और अनुराग के कमरे की तरफ चल पड़ी।
उधर अनुराग को भी नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। कमरे में आती एक परछाई देखकर अनुराग ने धीरे से कहा - वर्षा ?
वर्षा - श्ससससस। धीरे बोलिये। बड़ी मुश्किल से आई हूँ।
अनुराग फुसफुसाते हुए - रूबी सो गई क्या ?
वर्षा - हाँ।
वर्षा अनुराग के बगल में जैसे ही पहुंची अनुराग ने बेताबी से उसे अपने तरफ खींचा जिससे वो बिस्तर पर गिरते गिरते बची। और उसके मुँह से चीख निकल गई।
चीख सुनते ही रूबी की नींद खुल गई। उसने देखा वरसगा बिस्तर से गायब थी। उसे समझ में आ गया। वो कुछ देर तक लेती लेती सोचती रही क्या करे वो।
उधर वर्षा - क्या कर रहे हो पापा ? आपसे थोड़ा भी सब्र नहीं होता। पता नहीं रूबी जग गई होगी अब तक तो।
अनुराग - क्या करूँ तुझे देख कर बर्दास्त नहीं हुआ।
वर्षा - आप पागल हैं। अभी एक दिन भी नहीं हुआ रूबी को आये हुए और आप इतना बेताब हो गए। आप अपने दिन कैसे काटोगे ?
अनुराग - ऐसे तो मैं दोबारा बीमार पड़ जाऊंगा।
वर्षा - मैं जा रही हूँ। आज रात ऐसे ही काटिये।
वर्षा डर गई थी। वो सच में वापस चली गई। कमरे में पहुंची तो रूबी उठ कर बैठी हुई थी।
रूबी ने वर्षा को देख कर कहा - क्या हुआ ? चीखी क्यों थी ?
वर्षा - अरे यार पानी पीने किचन में गई थी। वहां एक मोटा चूहा था। देख कर डर गई।
रूबी - भगाया की नहीं ? चूहे से तो मुझे भी डर लगता है।
वर्षा - कोशिश तो की। पर कहीं जाकर छुप गया है। सो जा दिन में देखेंगे।
दोनों बहने फिर सो गईं। सुबह एकदम तड़के वर्षा के सीने में दर्द सा उठने लगा। उसके स्तनों में दूध भर चूका था। उसका बेटा तो दूध कम ही पीता था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने देखा तो रूबी सो रही थी। इस बार रूबी सच में गहरी नींद में थी। वर्षा के सीने में उठता दर्द उसे बेचैन कर रहा था। दूध निकालने या किसी को पिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। वो फिर से उठी और अनुराग के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखा तो अनुराग ने दरवाजा बंद कर रखा था। शायद उसे रात को गुस्सा आ गया होगा। वर्षा एकदम से रुंआसी हो गई। वो किचन की तरफ चल पड़ी। उसने मज़बूरी में एक भगोना उठाया और चेन खोल कर एक स्तन बाहर निकाल लिया। वो अपने हाथों से अपना दूध निकालने लगी। ऐसा करते करते उसके आँखों में आंसू भी आ गए। उसने काफी समय बाद ऐसा किया था। पंप पहले ही ख़राब हो चूका था। वो सुबकते सुबकते ऐसा कर ही रही थी की तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। वो डर के पलट गई। देखा तो अनुराग खड़े थे। वर्षा को रोते हुए इस हालत में देख कर उसने वर्षा को गले लगा लिया।
वर्षा धीरे से - आप कैसे जगे ?
अनुराग - मैं सोया ही नहीं था। तुमने जब दरवाजे पर नॉक किया तो मैं गुस्से में था। पर तुम्हारे जाने के बाद दरवाजा खोल कर देखा तो तुम्हे इस हालत में पाया। मुझसे रहा नहीं गया।
वर्षा - आपने दरवाजा बंद क्यों किया ?
अनुराग - गुस्से में था।
वर्षा - अब गुस्सा ख़तम ?
अनुराग ने उसे जोर से बाहों में भींचते हुए कहा - हाँ।
इतने जोर सेदबाने पर उसे फिर से दर्द हुआ। अनुराग - क्या हुआ ?
वर्षा - दर्द से बेहाल हूँ।
अनुराग - चलो मैं निकाल देता हूँ।
वर्षा - अब कमरे में चल कर पी लीजिये।
अनुराग - चलो।
वर्षा और अनुराग दोनों कमरे की तरफ चल पड़े। भगोना और उसमे कप भर का दूध वो भूल चुके थे।
कमरे में पहुँच कर अनुराग ने वर्षा से कहा - अब चीखना मत।
वर्षा - आप कोई हरकत मत करना। चलो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ।
अनुराग बिस्तर पर लेट गया। वर्षा उसके बगल में उसके तरफ करवट लेकर लेट गई और उसने अपना एक स्तन निकाल कर अनुराग के मुँह में दे दिया और कहा - चुप चाप पी जाओ पापा।
अनुराग - हम्म और फिर अनुराग व्यस्त हो गया।
वर्षा और अनुराग इस कदर लेते हुए थे जैसे लग रहा था अनुराग उसका बच्चा हो और वर्षा उसे दूध पीला रही हो। वर्षा अनुराग के बालों में अपने हाथो फेर रही थी और बीच बीच में उसके माथे को भी चूम लेती।
एक स्तन खली होने के बाद अनुराग ने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। वो अपने शरीर को अब वर्षा के शरीर से रगड़ रहा था। उसका लंड अपने विकराल रूप में आ चूका था। दोनों अब उत्तेजित थे। पर वर्षा ने संयम रखा हुआ था। वर्षा होश नहीं खोना चाहती थी। क्योंकि उसे पता था चुदाई के वक़्त उसकी सिसकियाँ निकल ही जाती जिससे रूबी के जागने का पूरा डर था। पर वो अनुराग को रिलैक्स रखें चाहती थी । उसने अनुराग के लुंगी से उसका लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठी मारने लगी।
अनुराग ने उसकी तरफ देखा और धीरे से कहा - हाथ से क्यों ?
वर्षा - जो हो रहा है होने दीजिये वर्ण रात वाली हालत हो जाएगी।
अनुराग समझ गया। उसने अपने आपको वर्षा के हवाले कर दिया। वो अब उसके स्तनों से खेल रहा था। वर्षा ने उसे ऐसा करने से मन कर दिया। वर्षा ने अनुराग को सीधा लिटा दिया और कहा - आप मुझे मत छेड़िये वर्ण मेरी सिसकी निकल जाएगी और रूबी फिर से जग जाएगी।
अनुराग - उस समय जग गई थी क्या ?
वर्षा - हाँ। उसने पुछा तो कह दिया किचन में चूहा देख लिया था इस लिए डर के चीख निकल गई।
अनुराग - और अब इस चूहे कप प्यार कर रही हो।
वर्षा - चूहा कहाँ ? ये तो मोटा वाला छुछुंदर से भी बड़ा है। प्यार से काबू करना पड़ता है वर्ण सब तहस नहस कर देगा।
अनुराग - रूबी को भी सीखा दे न इसे काबू करना ।
वर्षा - उसे सब हैंडल करना आता है। बस उसे अपने पापा का हथियार सँभालने का शौख नहीं है । वैसे पापा आपको पता है उसके स्तन बहुत बड़े हैं। मेरे से भी बड़े।
अनुराग - हाँ। तभी तो जीजा भी उसे खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे।
वर्षा - हिही , आज तो बुआ की खैर नहीं रही होगी।
अनुराग - उफ़ , खैर तो मेरी भी नहीं है। जरा तेज कर बस होने वाला है।
वर्षा ने हाथों की गति बढ़ा दी। कुछ ही देर में अनुराग के लंड ने एक तेज धार छोड़ दी जो की उसके ऊपर ही गिरी। पर कुछ बुँदे वर्षा के नाइटी पर भी गिरी । वीर्य का स्खलन होते ही वर्षा ने अनुराग को ऍबे सीने से लगा लिया। उसकी चूत ने भी बिना किसी सहारे के धार छोड़ दी थी। शांत होने के बाद वर्षा उठी और बोली - लुंगी बदल लीजयेगा।
वर्षा फिर मुश्कुराते हुए अपने कमरे में जाकर सो गई। रूबी अब भी सो रही थी। वर्षा पूरी तरह से रिलैक्स्ड थी। और अनुराग भी।
पर वर्षा ने सही कहा था। लता के घर में वास्तव में उसकी दशा ख़राब हो चुकी थी। वो अब तक जागी हुई थी क्योंकि शेखर ने सोने नहीं दिया था। उन दोनों की वजह से नैना भी नहीं सोइ थी। पर उनके घर की कहानी अगली बार।




 

Motaland2468

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रात दोनों बहने एक ही कमरे में सोईं। काफी देर तक दोनों में बात चीत होती रही। बचपन की बातें, अनुराग के बीमार होने की बातें। बात चीत करते करते रूबी कब सो गई पता ही नहीं चला पर वर्षा को नींद नहीं आ रही थी। उसकी वजह आज उसके पति और ससुराल वालों की बात भी थी। वो सोच रही थी , कि कितनी ख़राब किस्मत है उसकी कि उसका पति उसकी क़द्र नहीं करता है। पर कमी उसमे नहीं थी , कमी उसके पति में थी। उसका लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। या फिर कोई और प्रॉब्लम रही होगी। वो वर्षा के पास फटकता भी नहीं था। घर वालों का दबाव था जिसकी वजह से किसी तरह सम्बन्ध बना कर बच्चा हुआ। उसके बाद तो उसने उसके पास आना ही छोड़ दिया।

वर्षा कि हालत उसके ससुराल में कोई समझता था तो सिर्फ उसकी सास। उन्हें कुछ कुछ अंदाजा तो लग गया था। उन्हें भी अपने बेटे से नाराजगी थी। शायद उनके पति यानी वर्षा के ससुर भी वैसे ही थी । खानदानी दिक्कत थी। उन्होंने वर्षा को जब मायके में खुश देखा तो उन्होंने बुलाने कि जिद्द भी नहीं की। वर्षा ने एक आध बार अलग होने की बात की तो उन्होंने चुप्पी लगा ली थी जो एक तरह से मौन सहमति ही थी। वर्षा के मन में अलग होने के लिए थोड़ा संशय था पर आज जब उसने अपने पिता के मुँह से सुना की वो उसका ख्याल रख सकते है और वापस भेजना नहीं चाहते है तो उसका निश्चय पक्का हो गया। उसे अंदाजा नहीं था अनुराग उसे इतना प्यार करते हैं। अब वो उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी।
अनुराग की याद आते ही उसके पेट के नीचे हलचल होने लगी। उससे ज्यादा उसके सीने में भारीपन होने लगा। उसने घूम कर रूबी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। रूबी का चेहरा उसकी तरफ था। उसका बच्चा दिवार की तरफ था। सोते समय वो उसे दूध पीला रही होगी उस वजह से उसका टी शर्ट एकदम ऊपर तक था और उसके दोनों स्तन बाहर थे। रूबी सोते समय एक लोअर और पैंट पहनती थी।
जबकि वर्षा सामने से चेन वाली नाइटी। अकसर घर में एक छोटी स्लीव्स में रहती थी जो बड़ी मुश्किल से उसके जांघो तक आते थे। ऊपर एक डोरी के सहारे कंधे से टिके रहते थे। इस कपडे में अनुराग और उसे कभी भी कहीं भी सेक्स करने में सहूलियत रहती थी। रूबी के स्तन वर्षा से बड़े थे। उसका पति उसके स्तन पीता था पर यहाँ अनुराग भी वर्षा के स्तनों से खेलता था। अनुराग ही क्या लता भी खेलती थी। पर रूबी का शरीर शुरू से थोड़ा भरा हुआ था। वो बचपन से गोल मटोल थी। पर शादी से पहले उसने वेट लूज़ किया था। अब बच्चा होने के बाद फिर से उसका शरीर भर गया था। उसके गांड और स्तन सबसे ज्यादा भर गए थे। वर्षा के स्तन थोड़े लटक से गए थेपर रूबी में कसाव था। उसके अलावा रूबी की ख़ास बात ये थी की स्तन के ऊपर का घेरा काफी बड़ा था। उस पर से बड़े बड़े निप्पल।

रूबी की आती जाती साँसों से हिलते स्तनों को देख कर वर्षा का मन किया उसे टच करे पर रूबी के रिएक्शन का अंदाजा नहीं था तो उसने ये विचार छोड़ दिया। फिर उसे अनुराग का ख्याल दोबारा आया और वो धीरे से उठ कड़ी हुई। वो दबे पाँव कमरे से निकली और अनुराग के कमरे की तरफ चल पड़ी।
उधर अनुराग को भी नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। कमरे में आती एक परछाई देखकर अनुराग ने धीरे से कहा - वर्षा ?
वर्षा - श्ससससस। धीरे बोलिये। बड़ी मुश्किल से आई हूँ।
अनुराग फुसफुसाते हुए - रूबी सो गई क्या ?
वर्षा - हाँ।
वर्षा अनुराग के बगल में जैसे ही पहुंची अनुराग ने बेताबी से उसे अपने तरफ खींचा जिससे वो बिस्तर पर गिरते गिरते बची। और उसके मुँह से चीख निकल गई।
चीख सुनते ही रूबी की नींद खुल गई। उसने देखा वरसगा बिस्तर से गायब थी। उसे समझ में आ गया। वो कुछ देर तक लेती लेती सोचती रही क्या करे वो।
उधर वर्षा - क्या कर रहे हो पापा ? आपसे थोड़ा भी सब्र नहीं होता। पता नहीं रूबी जग गई होगी अब तक तो।
अनुराग - क्या करूँ तुझे देख कर बर्दास्त नहीं हुआ।
वर्षा - आप पागल हैं। अभी एक दिन भी नहीं हुआ रूबी को आये हुए और आप इतना बेताब हो गए। आप अपने दिन कैसे काटोगे ?
अनुराग - ऐसे तो मैं दोबारा बीमार पड़ जाऊंगा।
वर्षा - मैं जा रही हूँ। आज रात ऐसे ही काटिये।
वर्षा डर गई थी। वो सच में वापस चली गई। कमरे में पहुंची तो रूबी उठ कर बैठी हुई थी।
रूबी ने वर्षा को देख कर कहा - क्या हुआ ? चीखी क्यों थी ?
वर्षा - अरे यार पानी पीने किचन में गई थी। वहां एक मोटा चूहा था। देख कर डर गई।
रूबी - भगाया की नहीं ? चूहे से तो मुझे भी डर लगता है।
वर्षा - कोशिश तो की। पर कहीं जाकर छुप गया है। सो जा दिन में देखेंगे।
दोनों बहने फिर सो गईं। सुबह एकदम तड़के वर्षा के सीने में दर्द सा उठने लगा। उसके स्तनों में दूध भर चूका था। उसका बेटा तो दूध कम ही पीता था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने देखा तो रूबी सो रही थी। इस बार रूबी सच में गहरी नींद में थी। वर्षा के सीने में उठता दर्द उसे बेचैन कर रहा था। दूध निकालने या किसी को पिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। वो फिर से उठी और अनुराग के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखा तो अनुराग ने दरवाजा बंद कर रखा था। शायद उसे रात को गुस्सा आ गया होगा। वर्षा एकदम से रुंआसी हो गई। वो किचन की तरफ चल पड़ी। उसने मज़बूरी में एक भगोना उठाया और चेन खोल कर एक स्तन बाहर निकाल लिया। वो अपने हाथों से अपना दूध निकालने लगी। ऐसा करते करते उसके आँखों में आंसू भी आ गए। उसने काफी समय बाद ऐसा किया था। पंप पहले ही ख़राब हो चूका था। वो सुबकते सुबकते ऐसा कर ही रही थी की तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। वो डर के पलट गई। देखा तो अनुराग खड़े थे। वर्षा को रोते हुए इस हालत में देख कर उसने वर्षा को गले लगा लिया।
वर्षा धीरे से - आप कैसे जगे ?
अनुराग - मैं सोया ही नहीं था। तुमने जब दरवाजे पर नॉक किया तो मैं गुस्से में था। पर तुम्हारे जाने के बाद दरवाजा खोल कर देखा तो तुम्हे इस हालत में पाया। मुझसे रहा नहीं गया।
वर्षा - आपने दरवाजा बंद क्यों किया ?
अनुराग - गुस्से में था।
वर्षा - अब गुस्सा ख़तम ?
अनुराग ने उसे जोर से बाहों में भींचते हुए कहा - हाँ।
इतने जोर सेदबाने पर उसे फिर से दर्द हुआ। अनुराग - क्या हुआ ?
वर्षा - दर्द से बेहाल हूँ।
अनुराग - चलो मैं निकाल देता हूँ।
वर्षा - अब कमरे में चल कर पी लीजिये।
अनुराग - चलो।
वर्षा और अनुराग दोनों कमरे की तरफ चल पड़े। भगोना और उसमे कप भर का दूध वो भूल चुके थे।
कमरे में पहुँच कर अनुराग ने वर्षा से कहा - अब चीखना मत।
वर्षा - आप कोई हरकत मत करना। चलो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ।
अनुराग बिस्तर पर लेट गया। वर्षा उसके बगल में उसके तरफ करवट लेकर लेट गई और उसने अपना एक स्तन निकाल कर अनुराग के मुँह में दे दिया और कहा - चुप चाप पी जाओ पापा।
अनुराग - हम्म और फिर अनुराग व्यस्त हो गया।
वर्षा और अनुराग इस कदर लेते हुए थे जैसे लग रहा था अनुराग उसका बच्चा हो और वर्षा उसे दूध पीला रही हो। वर्षा अनुराग के बालों में अपने हाथो फेर रही थी और बीच बीच में उसके माथे को भी चूम लेती।
एक स्तन खली होने के बाद अनुराग ने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। वो अपने शरीर को अब वर्षा के शरीर से रगड़ रहा था। उसका लंड अपने विकराल रूप में आ चूका था। दोनों अब उत्तेजित थे। पर वर्षा ने संयम रखा हुआ था। वर्षा होश नहीं खोना चाहती थी। क्योंकि उसे पता था चुदाई के वक़्त उसकी सिसकियाँ निकल ही जाती जिससे रूबी के जागने का पूरा डर था। पर वो अनुराग को रिलैक्स रखें चाहती थी । उसने अनुराग के लुंगी से उसका लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठी मारने लगी।
अनुराग ने उसकी तरफ देखा और धीरे से कहा - हाथ से क्यों ?
वर्षा - जो हो रहा है होने दीजिये वर्ण रात वाली हालत हो जाएगी।
अनुराग समझ गया। उसने अपने आपको वर्षा के हवाले कर दिया। वो अब उसके स्तनों से खेल रहा था। वर्षा ने उसे ऐसा करने से मन कर दिया। वर्षा ने अनुराग को सीधा लिटा दिया और कहा - आप मुझे मत छेड़िये वर्ण मेरी सिसकी निकल जाएगी और रूबी फिर से जग जाएगी।
अनुराग - उस समय जग गई थी क्या ?
वर्षा - हाँ। उसने पुछा तो कह दिया किचन में चूहा देख लिया था इस लिए डर के चीख निकल गई।
अनुराग - और अब इस चूहे कप प्यार कर रही हो।
वर्षा - चूहा कहाँ ? ये तो मोटा वाला छुछुंदर से भी बड़ा है। प्यार से काबू करना पड़ता है वर्ण सब तहस नहस कर देगा।
अनुराग - रूबी को भी सीखा दे न इसे काबू करना ।
वर्षा - उसे सब हैंडल करना आता है। बस उसे अपने पापा का हथियार सँभालने का शौख नहीं है । वैसे पापा आपको पता है उसके स्तन बहुत बड़े हैं। मेरे से भी बड़े।
अनुराग - हाँ। तभी तो जीजा भी उसे खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे।
वर्षा - हिही , आज तो बुआ की खैर नहीं रही होगी।
अनुराग - उफ़ , खैर तो मेरी भी नहीं है। जरा तेज कर बस होने वाला है।
वर्षा ने हाथों की गति बढ़ा दी। कुछ ही देर में अनुराग के लंड ने एक तेज धार छोड़ दी जो की उसके ऊपर ही गिरी। पर कुछ बुँदे वर्षा के नाइटी पर भी गिरी । वीर्य का स्खलन होते ही वर्षा ने अनुराग को ऍबे सीने से लगा लिया। उसकी चूत ने भी बिना किसी सहारे के धार छोड़ दी थी। शांत होने के बाद वर्षा उठी और बोली - लुंगी बदल लीजयेगा।
वर्षा फिर मुश्कुराते हुए अपने कमरे में जाकर सो गई। रूबी अब भी सो रही थी। वर्षा पूरी तरह से रिलैक्स्ड थी। और अनुराग भी।
पर वर्षा ने सही कहा था। लता के घर में वास्तव में उसकी दशा ख़राब हो चुकी थी। वो अब तक जागी हुई थी क्योंकि शेखर ने सोने नहीं दिया था। उन दोनों की वजह से नैना भी नहीं सोइ थी। पर उनके घर की कहानी अगली बार।
Bhai update thode bade do pls
 
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Premkumar65

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अगली सुबह वर्षा किचन में नाश्ता बना रही थी और अनुराग उसके बच्चे के साथ ड्राइंग रूम में टीवी देखते हुए खेल रहा रहा था। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा ने आवाज लगाते हुए कहा - पापा देखिये लगता है बुआ आ गईं।
अनुराग उठकर दरवाजे पर पहुंचा। खोलते ही देखा सामने रूबी और उसका पति रितेश खड़ा था। अनुराग को देखते ही दोनों ने झुक कर उसके पैर छुए। अनुराग को खुश होना चाहिए था पर वो शॉक में था। पर उसने खुद को संभाला और आषीर्वाद देने के बाद बगल में प्रैम में लेते बच्चे को उठाता हुआ बोला - आखिर तुम लोगों को मेरी याद आ ही गई। मेरे नाती को मेरे पास लेकर आई तो सही ।
रितेश - पापा , आना तो था। कुछ दिन बाद का प्लान था। पर इसने कल जिद्द लगा ली की आज आएगी।
रूबी - आप सबकी बहुत याद आ रही थी। मन नहीं माना तो जबरजस्ती लेकर आ गई और आप कह रहे हैं याद नहीं आती।
अंदर से वर्षा ने आवाज दी - पापा कौन है ?
रूबी ने उसे चुप रहने का इशारा किया और धीरे से जाकर वर्षा के पीछे से उसके आँख पर हाथ रख दिया।
वर्षा- बुआ , ये बुढ़ापे में कौन सा नया खेल चालु किया है ?
रूबी ने उसके कान में धीरे से कहा - बुआ के साथ कौन कौन सा खेल खेल रही हो दीदी ?
वर्षा चौंकाते हुए बोली - अरे तुम।
वो पलट गई और दोनों बहने गले लग गईं। भावनाओ का ज्वार फूटा और दोनों वहीँ रोने लगीं। काफी दोनों बाद इस तरह से मिल रही थी।
उन दोनों को वहीँ रोते देख अनुराग के आँख में भी आंसू आ गए। पर खुद को सँभालते हुए उसने कहा - अरे भाई , ऐसे मिलने पर कौन रोता है ?
वर्षा - पापा ये ख़ुशी के आंसू हैं। इतने दिनों बाद इस पगली से मिल रही हूँ।
वर्षा और रूबी बाहर आ गई। वर्षा को देख कर रितेश उसके पैर छूने के लिए झुका तो वर्षा पीछे हट गई। बोली - अरे ये क्या कर रहे हैं। आप बैठिये। उसे लगा रितेश उसे अजीब नजरों से देख रहा है। देखता भी क्यों नहीं। वर्षा ने एक स्लीवलेस नाइटी पहन रखी थी और अंदर कुछ भी नहीं था। वर्षा को ये एहसास हुआ तो उसने कहा - आप लोग बैठिये मैं आती हूं।
रूबी - बैठो न कहाँ जा रही हो ?
वर्षा ने इशारे से अपने कपडे की तरफ दिखाया और अपने कमरे में चली गई। अनुराग रूबी के बच्चे के साथ खेल रहा था। रितेश वर्षा के अंदर जाते ही निराश हो गया। रूबी ने अपनी केहुनी से उसके बगल में मारते हुए कहा - क्या हुआ जनाब , उम्म्मेदों पर पानी फिर गया ?
रितेश - चुप रहो।
दोनों मिया बीवी मुश्कुराने लगे।
कुछ देर में वर्षा एक अच्छे से सलवार सूट में बाहर आई। वो तुरंत किचन में गई और नाश्ते के इंतजाम में लग गई। अनुराग रितेश से उसके काम धंधे के बारे में बात करने लगा। रूबी वर्षा और अपने बच्चे के साथ खेलने लगी। वर्षा का बच्चा उनसे ज्यादा घुला मिला नहीं था तो उसे उससे दोस्ती करनी थी। कुछ देर बाद वर्षा ने रूबी को आवाज देकर बुलाया - रूबी , नाश्ता ले जा।
रूबी उसके पास पहुँच कर बोली - क्या दी। आते ही काम पर लगा दिया।
वर्षा - अच्छा रहने दे मैं लेकर आती हूँ।
रूबी - अरे मैं तो मजाक कर रही थी।
रूबी ट्रे में चाय नाश्ता लेकर पहुंची। वो जैसे ही ट्रे रखने को झुकी तो उसके सूट से सुकि घाटियां दिखने लगी। अनुराग की नजर वाहन गई तो कमर के निचे कुछ हलचल होने लगी। पर तुरंत उसने खुद को संभाल लिया। किचन से इधर की तरफ देखती वर्षा के होठो पर मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन कहा - पापा अब तो सिर्फ देख कर ही काम चलाना पड़ेगा। मेरा भी और रूबी का भी।
रूबी ने फिर आवाज दिया - आप भी आओ न दीदी।
वर्षा भी आ गई। सब बातों में मसगूल हो गए। पर दो जोड़ी नजरे दो जोड़ी दूध भरे स्तनों को ताड़ने में लगे थे। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा उठते हुए बोली - लगता है बुआ आ गईं।
रूबी - आप बैठो मैं खोलती हूँ। रूबी उठ कर गई तो सच में बुआ थी पर अकेले नहीं थी साथ में शेखर भी था।
रूबी को देखते ही दोनों चौंक गए। पर खुद को सँभालते हुए लता ने उसे गले लगा लिया।
लता - तू कब आई ?
रूबी - अभी कुछ देर हुए।
फिर वो शेखरका पैर छूने ले लिए झुकी । उसके झुकने से शेखर की नजर उसके हाहाकारी स्तनों पर पड़ी। उसके कमर के निचे भी हलचल होने लगी। उसकी हालत देख लता ने उसे कहीं मारते हुए कहा - आशीर्वाद तो दीजिये लड़की को।
शेखर - हाँ हाँ। खुश रहो। बहुत दिनों बाद देखा है।
शेखर आशा लेकर आया था की आज उसे आखिर में वर्षा का दूध और चूत दोनों मिल जाएगा पर यहाँ मिला तो कुछ नहीं पर एक और दूध वाली ने उसे तड़पाने को आ गई है।
दोनों अंदर आये। रितेश ने दोनों के पैर छुए।
लता - बहुत दिनों बाद दामाद जी नजर आये हैं।
रूबी - अभी हॉस्पिटल में भी तो मिली थी।
लता - हॉस्पिटल में मिलना भी कोई मिलना होता है। अब एक आध हफ्ते खातिर करेंगे तब मन भरेगा।
रूबी - इनका मन तो आपके खातिर से कभी नहीं भरेगा। क्यों रितेश ?
रितेश हकलाता हुआ बोला - हम्म , पर मज़बूरी है। मुझे शाम को निकलना पड़ेगा। रूबी ने अचानक प्लान बना लिया तो मैं छुट्टी नहीं ले पाया। बड़ी मुश्किल से एक दिन की मिली है। मैं फिर बाद में आराम से एक हफ्ते के बाद आऊंगा।
लता दुखी होते हुए बोली - ये तो गलत बात है। वर्षा , रूबी , रोको इन्हे।
वर्षा - हां। रुक जाइये न रितेश जी।
रितेश उसकी तरफ देख कर बोला - आज नहीं पर अगली बार आप दोनों से अच्छी खातिर कराऊंगा।
रूबी - बड़े हैं दोनों। खातिर करनी पड़ेगी।
रितेश - हाँ हाँ।
सब हंसने लगे। रूबी की बातें सिर्फ लता और वर्षा को ही नहीं अनुराग को भी अजीब लग रही थी। पर अभी कुछ भी कहने सोचने के हालत में नहीं थे। पर शेखर की हालत बहुत ख़राब थी। रूबी को देख कर वो पागल हो रहा था। रूबी के स्तन वर्षा से भी बड़े थे। बल्कि लता से भी। उसका बदन बहुत भरा हुआ था। पूरा मांसल शरीर था । नई माँ बनी थी , एक्स्ट्रा चर्बी उतरी नहीं थी। पर शेखर को उसी में तो मजा आता था। पैट अफ़सोस ये नयनसुख भी उसके नसीब में ज्यादा नहीं था। रूबी ने आकर सबका खेल बिगाड़ दिया था।
वर्षा किचन में उन सबके लिए नाश्ता लाने चली गई। तभी दरवाजे पर फिर से घंटी बजी।
अनुराग - अब कौन आया है ?
रूबी - देखती हूँ
दरवाजा खोलते ही रूबी एकदम ख़ुशी से चीख पड़ी। सामने नैना खड़ी थी। दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया।
नैना धीरे से - मानी नहीं। आ गई खेल बिगाड़ने।
रूबी - मैं सबको समय देना चाहती हूँ। जल्दीबाजी में कोई कदम ना उठे। सोच समझ कर सबकी मर्जी होनी चाहिए।
नैना - तू बड़ी चोर है। पापा की हालत देखी।
रूबी - हाँ , उनके सामने से तो थाली खींच ली है मैंने।
नैना - बच के रहना। ठरकी के सामने अब दो दो थाली है।
रूबी - थाली या थन।
दोनों हंसने लगी। लता बोली - वहीँ मिलकर विदा करेगी या अंदर आने देगी।
रूबी - उसी का घर है बुआ। उसे कौन रोक सकता है। मालकिन हैं मैडम।
रूबी बम फोड़े जा रही थी। सब समझ कर भी अनजान बने हुए थे। उसके मन की बात कोई नहीं जानता था। कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहता था क्योंकि रूबी के गुस्से से सब वाकिफ थे।
पूरा दिन हंसी ठहाके में गूंजा। बड़े दिनों बाद परिवार इकठ्ठा हुआ था। अनुराग मन ही मन सुलेखा को याद कर रहा था।
तभी लता बोल पड़ी - काश अवी और तृप्ति भी होते।
नैना - हाँ। मजा आ जाता।
रूबी - भाई ने कहा तो है आएगा। कोशिश कर रहा है लम्बी छुट्टी मिले तो आये।
अनुराग - हाँ मुझसे भी कह रहा था। पर कब आएगा पता नहीं।
सबको उदास होते देख नैना ने कहा - कोई बात नहीं। बाकी तो हैं। और चलिए उसको भी वीडियो कॉल पर ले लेते हैं।
अनुराग - अरे वो सब सो रहे होंगे।
नैना - नहीं। सुबह मेरी बात हुई थी। कुछ वर्क प्रेशर है। आजकल पूरी रात लगे रहते हैं।
उसने फ़ोन घुमा दिया। उसने सही कहा था। अवि और तृप्ति जगे हुए थे। फिर से ठहाको और मजाक का दौर चल पड़ा। इस मस्ती में कब दिन निकल गया पता ही नहीं चला। आखिर शाम को रितेश भी निकल गया। उसके कुछ देर बाद लता , शेखर और नैना भी। घर में रह गए सिर्फ तीन जन। रात अभी शुरू हुई थी। ये देखना दिलचस्प होगा अब आगे क्या होगा।
more the merrier. Ab mazaaa ayega Gang bang me.
 
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