दोपहर के 1बजे धर्मवीर सुबह शालु के साथ हुई हरकत को याद कर गर्म हो जाता है और धर्मवीर शालु के बारे में सोच मुठ मार कर अपना माल बेड पर ही छोड़ा देता है तभी किसी ने डोर पे नॉक किया।।
धर्मवीर ने दरवाजा खोला तो देखा उसका पोडासी शमशेर आया था।
धर्मवीर - समशेर तुम 5 मिनट वेट करो मैं अभी आता हू।
शमशेर -(बेड पे बैठा हुआ।। ) हाँ मैं वेट करता हूँ जल्दी आओ।
(शमशेर बेड बैठा ही था की उसकी नज़र वाह पड़े धर्मवीर के माल पर गई )
तभी धर्मवीर कमरे में आया तो देखा। शमशेर बेड पे आँखे गड़ाए हुए था। धर्मवीर को कमरे में आता देख।
शमशेर- धर्मवीर। ये क्या है बेड के बीच में?
धर्मवीर - (अनजान बनते हुए।। ) पता नही
शमशेर - ।।। झूठ मत बोल।। सच बता ये तेरी करतूत है न?
धर्मवीर - क्या बोल रहे हो?
शमशेर - मैं अच्छी तरह जानता हूँ ये क्या है? बोल सच सच?
धर्मवीर - हा।।मेरी मूठ है
शमशेर - ऐसा क्या हुआ कल जो तूने बेड पे मास्टरबैट कर लिया।। सच बोल
धर्मवीर - कुछ नहीं बस ऐसे ही मन किया
शमशेर - किसके बारे में सोच के किया? बोल?
धर्मवीर - तू जानता है यार। (धर्मवीर टॉवल से मुह पोछते हुए बोला।।)
शमशेर - क्या तूने गुंज़न ।। मतलब अपनी बहु के बारे में सोच मास्टरबैट किया?
धर्मवीर - (गर्दन झुकाते हुवे।।) हाँ
शमशेर - वो।।
शमशेर - तेरी बहु है ही ऐसी । देखा आखिर तूने भी उसके नाम की मूठ मार ही डाली। साली है हे ऐसे चीज़।। उसके बारे में सोच तो मैं रोज़ मूठ मारता हूँ
धर्मवीर - सच कह रहा है तु।। मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं होता उसकी भरी जवानी देख कर।
शमशेर - तो कितनी बार मास्टरबैट करता है।। ? कभी उस के सामने रह कर किया?
धर्मवीर - बार एक दिन में मुट्ठ मारता हूं।। और कई बार बहु के बेड पे भी गिराया है।।
शमशेर - धर्मवीर क्या बोल रहा है।।। बहु के बेड पर???? (
धर्मवीर ने देखा शमशेर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था। )
धर्मवीर - बहु की बड़ी बड़ी चूचियां, उसकी मांसल जाँघें और मोटी गांड मेरे दिमाग में रात दिन घूमति हैं और मैं मुठ मारने पे मजबूर हो जाता हूँ।।
शमशेर - न जाने कितने लोग तेरी बहु को देख मुट्ठ मारते होंगे।। तू किस्मत वाला है जो वो तेरे सामने है कभी मुझे भी उसके अधखुले जिस्म का मजा उठाने दे।
कभि मैं भी उसको सामने देख मुठ मारूँगा।। (ये कहते हुए शमशेर लोअर के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा)
शमशेर - साली तेरी बहु का नाम लेते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है।। आज तो उसकी गांड देख के मूठ मारने का मन है।।
शमशेर - बहु अपने कमरे में सो रही है क्या?
धर्मवीर - हाँ अभी सो रही होगी, मैं उठाता हू।
शमशेर - रुक मैं भी आता हूं।। मैं देखूँ बहु सोती कैसे है?
धर्मवीर और शमशेर गुंज़न कमरे में गये। कमरे में गुंज़न केवल एक वाइट कलर ब्रा पहने और ब्लैंकेट के अंदर सो रही थी।
वो दोनों उसकी नंगी पीठ और नवेल नज़र आ रही थी।
शमशेर की नज़र लगातार गुंज़न के नवेल पे थी।जीसको देख शमशेर अपने लंड मसल रहा था।
शमशेर - धर्मवीर।। दिल करता है लंड बाहर निकाल के तेरी बहु के गांड और नंगी कमर देखते हुए मास्टरबैट करूँ ।
जब वो दोनों बात कर रहे होते है तभी गुंज़न की भी उठ जाती है पर वो बिना हिले डुले धर्मवीर और शमशेर की बाते सुन रही थी
धर्मवीर - पागल हो गया है तू? यहाँ ?
शमशेर - हा।। तूने तो बहुत मज़े लिए हैं अब मुझे उसकी गांड का मजा लेने दे।
इससे पहले धर्मवीर कुछ कह पता शमशेर ने अपना विशाल लंड बाहर निकल लिया, और स्किन नीचे कर ऊपर नीचे रगडने लगा। धर्मवीर के सामने उसकी बहु को देख एक पडोसी मुठ मार रहा था।। धर्मवीर को सोच के इरेक्शन होने लगा। धर्मवीर ने देखा शमशेर का लंड बहुत बड़ा था और उसमे से काफी स्मेल आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उसके लंड की स्मेल पूरे कमरे में फैल जाएगी।। थोड़ी देर में शमशेर के लंड का पानी फर्श पे निकल गया।
धर्मवीर शमशेर पकड़ जल्दी से गुंज़न के कमरे से बाहर निकल गया
उन दोनों के जाते ही गुंज़न उठ कर बैठ जाती है और अपने मन में सोचती है(ये बाबूजी तो बहौत बड़े ठरकी निकले खुद तो अपनी बेट को देख कर अपना हिलाते ही थे और अब अपने पड़ोसी को भी मज़ा दिलाने लगे)
धर्मवीर की इस हरकत से गुंज़न बहुत जयदा गरम हो जाती हैं
तभी सोनू भी अपने स्कूल से वापस आजाता हैं और
सोनू घर आकर बैठा ही था की गुंज़न सोनू का हाथ पकड़ के उठा दिया और अपने रूम मे ले जाने लगी...वो किसी पतंग की डोर की तरह गुंज़न के साथ बिना किसी विरोध के चल दिया..रूम मे आते ही
गुंज़न ने जल्दी से दरवाजा लॉक कर के सोनू से लिपट कर उsके होंठो को जल्दी जल्दी चूमने लगी उसके ऐसा करने से ही पता चल रहा था कि वो बहुत ज़्यादा चुदासी हो चुकी है
सोनू भी गुंज़न से लिपट कर उसके होंठो को चूमने चाटने लगा.....गुंज़न भी पूरी चुदासी होकर सोनू का साथ दे रही थी....होंठो को चूस्ते हुए सोनू एक हट गुंज़न के ब्लाउस पर ले गया
सोनू—भाभी चुचि दबा लूँ आपकी थोड़ा सा
गुंज़न- हाँ दबा ले ….जितना मन करे उतना दबा ले….रोज दबा दिया कर मेरे दूध…मैं कभी तुझे अपने दूध दबाने से नही रोकूंगी
किस करते हुए सोनू गुंज़न के ब्लाउस के उपर से ही दोनो चुचियो को अपने हाथो मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा
गुंज़न –आअहह...सोनू....आआअ
सोनू—क्या हुआ भाभी..... ?
गुंज़न—इतनी ज़ोर....से.....आआअ.....मत दबा....थोडा...धीरे..
सोनू—चुचि दबाने का मज़ा तो ज़ोर ज़ोर से ही है .......ये तो बनी ही दबाने के लिए हैं
फिर सोनू ने गुंज़न के ब्लाउस के बटन खोल कर ब्रा को उपर कर दिया और उनकी नंगी चुचियो क निपल को मूह मे भर के चूसने और मरोड़ने लगा...
गुंज़न—आअहह....ऐसे ही...सोनू....आअहह.....बहुत....मज़ा..आ रहा है.....और दबाओ....मेरी चुचि को.....ऐसे ही....चूसो....दोनो को चूसो ......बहुत अच्छा लग रहा है.....पहले क्यो नही ऐसा मज़ा दिया मुझे....अब रोज ऐसे ही...रगड़ना मुझे अब
जल्दी से ले ले मेरी बुर….नही तो मैं आज भी चुदासी रह जाउन्गी
सोनू —नही भाभी…….अब आप कभी चुदासी नही रहोगी……मैं हूँ ना आपकी बुर् चोदने के लिए
गुंज़न —मेरा बहुत मन करता था तुझे अपनी बुर दिखाने का……मैं रोज यही सोचती थी कि काश तू मुझे कही पटक कर चोद डाले ज़बरदस्ती……मुझ से खूब गंदी गंदी बाते करे…….. दिन भर मुझे खूब गंदा गंदा बोले …..मेरे दूध दबा दिया करे कभी भी…..कभी भी मेरी
साड़ी उठा कर बुर देख लिया करे……कभी भी मेरी मे लंड घुसेड दिया करे….मुझे रोज 8-10 बार पूरी नंगी किया करे
सोनू—पहले आपको नंगी करके बुर तो देख लूँ…फिर बताता हूँ
गुंज़न —अभी नंगी मत कर…..सब लोग हैं…..अभी साड़ी उपर कर के देख ले मेरी बुर…….सब के जाने के बाद जी भर के तू अपने हाथ से मुझे नंगी कर लेना....मुझे तेरे हाथो से नंगी होना अच्छा लगता है……अभी तो साड़ी उठा के जल्दी से बुर को चोद दे…सोनू
सोनू ने भी गुंज़न की बात को मानते हुए उन्हे बिस्तर मे लिटा कर साड़ी और पेटिकोट जाँघो से उपर कर दिया…..साड़ी उपर होते ही की गुंज़न गोरी मांसल जांघे और दोनो जाँघो के बीच छोटी छोटी काली घुंघराली झान्टो से भरपूर बुर पूरी नंगी होकर सोनू के सामने आ गयी…..बुर एकदम कचौरी की तरह खूब फूली हुई थी
सोनू ने जैसे ही गुंज़न की बुर पर हाथ फेरा तो गुंज़न चिहुक उठी मारे आनंद के...हाथ फेरते हुए सोनू ने एक उंगली धीरे से गुंज़न की बुर के छेद मे अंदर सरका दी....उसकी बुर लार टपकाने से पूरी गीली हो गयी थी
फिर सोनू गुंज़न की बुर मे मूह लगा कर जीभ से उसके अमृत रस को पीने लगा....गुंज़न खुशी और मज़े से पागल हो गयी...
गुंज़न —आआहह....सोनू मने ये कर दिया है...मैं तो आज...दीवानी हो गयी हूँ....तेरी.......खा ले...मेरी बुर को....ऐसे ही...इतना मज़ा...है मेरी बुर...मे .....और चाटो
सोनू......मेरे बुर के दाने को और चूसो.....बहुत मज़ा आ रहा
गुंज़न—अब बस कर..आआहह….…..अब थोड़ा सा अपना भी तो दिखा ना…..मेरा तो सब देख लिया
सोनू (खुश होकर)—लो अभी देख लो भाभी और तुरंत अपना लोवर नीचे खिसका दिया
गुंज़न- सोनू मुझे तेरा लंड चूसना है और सोनू के लंड को अपने मूह मे भर ली और चूसने लगी ..
गुंज़न—…अभी घर मे सब लोग हैं……कोई भी आ सकता है……जल्दी से कर ले चोद ले ना मेरी बुर...देख तेरे सामने पूरी नंगी है मेरी बुर......मैं तुझे अपनी बर चोदने मे खूब मज़ा दूँगी ....मैं खूब मज़ा दूँगी अपनी बुर् चोदने मे तुझे ...जल्दी से अपना लंड घुसेड के मेरी बुर मे और फाड़ दे आज मेरी बुर को....मुझे बुर चोदि बना दे....जल्दी से मेरी बुर को अपने लंड से चोद
सोनू ने गुंज़न को पकड़ कर अपने नीचे लिटाया और उसके दोनो पैर फैला कर सोनू ने लंड गुंज़न की बुर के मुहाने पर टिका कर घिसने लगा
गुंज़न - सोनू अब घुसेड दे ना बुर के अंदर....देख नही रहा कि मेरी बुर कितनी चुदासी हो रही है
सोनू—कितनी चुदासी हो रही है.... ?
गुंज़न - मेरी बुर चुदने के लिए बहुत बहुत बहुत ज़्यादा चुदासी हो गयी है...प्ल्स इसमे अपना लंड घुसेड कर चोद दे ना मेरी बुर को
सोनू—आहह... तुझे आज से मैं रोज चोदुन्गा...नंगी कर के
गुंज़न—चोद लेना...जब तेरा मन करे
सोनू गुंज़न की गरम बाते सुन कर जोश मे आ गया और लंड को उसकी बुर के छेद मे टिका कर एक ज़ोर का शॉट लगा दिया…लेकिन वो छिटक कर उपर चला गया
गुंज़न क्या करता है...पकड़ के अच्छे से घुसेड ना मेरी बुर के छेद के अंदर…रुक मैं अपनी बुर की फांके फैलाती हूँ तू घुसेड
गुंज़न ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को खूब चीर कर फैला दिया और सोनू से लंड घुसेड़ने को कहने लगी... सोनू ने छेद पर लंड
लगा के दोनो चुचियो को मजबूती से पकड़ कर कस कस कर जल्दी जल्दी तीन चार धक्के जड़ दिए उसकी बुर मे लंड गुंज़न की बुर को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर उसकी बच्चेदानी तक पेल दिय..
सोनू—मुझे रोज दोगी ना अपनी बुर….?
गुंज़न —हां रोज दूँगी….तू जहाँ बुलाएगा…जिस समय बुलाएगा….वहाँ तुझे अपनी बुर देने रोज आउन्गी….. तुम डेली मेरे पूरे कपड़े उतार के मुझे पूरी नंगी करना….रोज नंगी करना मुझे….मैं तुम्हे रोज खूब अपनी बुर देना चाहती हूँ… बोलो ना ….. लोगे ना मेरी बुर रोज…..
सोनू —आहह... भाभी तुझे आज से मैं रोज चोदुन्गा...नंगी कर के
गुंज़न —चोद लेना...जब तेरा मन करे..अब कुछ कुछ अच्छा लग रहा है…….ऐसे ही चोदते रहो…..जी भर के चोद लो मेरी बुर को ….ऐसे ही मुझे पूरी जिंदगी भर चोदना…
सोनू बिना रुके उसकी दोनो चुचियो को ज़ोर से मीज़ते हुए बुर मे लंड पेलने लगा…..थोड़ी देर मे गुंज़न को भी मज़ा आने लगा तो वो भी अपनी गान्ड उपर उठा उठा कर सोनू का साथ देने लगी
गुंज़न—थोड़ा और ज़ोर से….पेलो मेरी बुर मे लंड …..आअहह….मैं सारी ज़िंदगी तेरी रखैल बन कर रहने को तैयार हूँ… तू जब चाहे जहाँ चाहे पकड़ के पूरी नंगी कर देना और मेरी बुर मे अपना लंड घुसेड देना…
सोनू—चिंता मत कर मेरी भाभी...चोद चोद कर तेरी फुद्दि का फुद्दा बना दूँगा
गुंज़न—हाँ, चोद चोद के फुकला कर दे मुझे ऐसे ही ..आआआअहह.....चोदता रह मुझे.......आअहह...और ढीली कर दे मेरी बुर......खूब चोद..एयाया
सोनू—तू तो मेरी चुदैल बनेगी
गुंज़न—तेरी चुदैल तो मैं अब बन ही चुकी हू
बहुत मज़ा आ रहा है....और ज़ोर ज़ोर से चोद....आअहह....खूब दबा मेरी चुचि....आअहह..ढीली कर दे ….अपनी भाभी की बुर को सोनू….रोज चोद चोद के....बोल चोदेगा ना रोज अपनी भाभी की बुर को...
गुंज़न—हाअ....भाभी....आपको रोज नंगी कर के चोदुन्गा
गुंज़न—मुझे डेली हर दो दो घंटे मे नंगी करना राज......मुझे खूब गंदा गंदा बोला करना....आआआअ.....मैं तो तेरी दीवानी हो गयी.....ऐसे ही.....बहुत मज़ा आ रहा है......खूब हचक हचक कर चोद मुझे र......खूब पेल मेरी बुर को........चोद डाल
राज.....चोद डाल.....हाा.....ऐसे ही....ज़ोर ज़ोर से पेलता जा......खूब मज़ा आआ...रहा है.....एयाया
सोनू- भाभी मुझे आपकी गान्ड भी चाहिए......मेरा बहुत मन है आपकी गान्ड मारने का...
गुंज़न—आआआआ.......मार लेना.....अब तो सब....कुछ तेरा है........मैं तो आज से तेरी.....रखैल बन गयी..रे...
सोनू—तो मुझे शालु दीदी की बुर दिला दो ना
गुंज़न—आआआ……तू उसको पकड़ के चोद ले……वो भी बहुत चुदासी लड़की है…..जहाँ थोड़ी देर तक उसके दूध दबाएगा तो वो अपनी बुर तुझे सौंम्प देगी…
सोनू—कहीं उन्होने थप्पड़ जड़ दिया तो…..सीधे मूह तो कभी बात नही करती वो मुझसे…..दूध क्या खाक दबाने देंगी…?
गुंज़न—आआहह……..दूध दबाने देगी……मुझे मालूम है…..वो कयि बार बता चुकी है कि वो तुझ से अपने दूध दबवाना चाहती है…लेकिन तेरे लंड से डरती है क्यों कि तू कहीं चोदने ना लग जाए…….उसका तुझ से अपने दूध दबवाने का बहुत मन करता है…..बिना डरे दबा देना……लेकिन अकेले मे…….वो कुछ नही बोलेगी और कुछ बोलती भी है तो तू दबाते रहना……वो मारेगी नही और ना ही वहाँ से
भागेगी…..बल्कि दबवाती रहेगी अपने दूध…आआआअ
सोनू —ह्बीयायये चाची…….दीदी के दूध बहुत मस्त और खड़े हैं
सोनू कस कस कर धक्के गुंज़न की बुर मे पेलने लगा...
गुंज़न झड़ने की कगार पर आ गयी
गुंज़न- मेरा होने वाला है..
सोनू—आआआ….मैं आया…ले संभाल अपनी बुर मे….आआआआआआ
गुंज़न—आआहह.....हाँ पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से… भर दे मेरी बुर.......और भर......पूरी टंकी फुल कर दे...आज ही.......पूरा सांड़ है तू.....कितना पानी छोड़ता है.....ये तो बंद ही नही हो रहा........पूरी बाल्टी भर जाएगी तेरे लंड के पानी से...आअहह...मैं भी गयी ..
और सोनू गुंज़न के उपर ढेर हो गया।