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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

Hkgg

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अगले दिन शाम 6 बज रहे है.

ड्राइंग रूम में हंसी-मज़ाक का माहोल है. ठहाकों से कमरा गूँज रहा है. सोफे पर गुंज़न शालु के साथ बैठी हिया और ठीक सामने सोनू लेटा हुआ है.शालु मौका देख कर अपनी स्कर्ट ऊपर कर टाँगे हलकी सी खोल देती तो उसकी गोरी गोर जांघे और बुर पर कसी हुई पैन्टी देख कर सोनू की हालत खराब हो जाती. सोनू टांगो के बीच कुशन को दबाये लेटा हुआ है. शालु की बालोंवाली फूली बूर पर कसी हुई पैन्टी को घूरते हुए वो ख्याली पुलाव पका रहा है. कभी वो अपने आप को शालु की जांघो के बीच बैठे उसकी बूर चुसता हुआ देखता है तो कभी उसकी फैली हुई जांघो के बीच अपना लंड ठूँसते. अपने ख्यालों में वो कई बार शालु की बूर में झड़ चूका है. इन्हीं हंसी मजाक, ठहाकों और सपनों के बीच धर्मवीर बाहर से टहलता हुआ वहाँ आता है

धर्मवीर शालु की आँखों में देखता है जैसे कुछ बात कर रहा हो और फिर घूम कर छत की सीढ़ियों की तरफ चल देता है.
गुंज़न बाप-बेटी के इशारे खूब समझती है. वो शालु की तरफ देखती है गुंज़न समझ जाती है की आगे क्या होने वाला है और वो चुप रहना ही ठीक समझती है. शालु उठ के धीरे धीरे छत पर जाने लगती है. छत पर पहुँचते ही शालु की नज़र पापा पर पड़ती है जो हाथ पीछे बांधे हुए टहल रहे है. शालु मुसकुराते हुए धीरे धीरे पापा के पास से गुजरती है तो पापा उसकी कलाई पकड़ लेते है.

धर्मवीर- कहाँ जा रही है मेरी बिटिया रानी?

शालु- (शर्माते हुए) कहीं नहीं पापा...बस ऐसे ही छत पर ठंडी हवा खाने आई थी...

धर्मवीर शालु को धीरे से अपने पास खींचते है और अपना हाथ उसकी टॉप के निचे से उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए घुमाने लगते है. धर्मवीर छत पर नज़र दौडाते है. एक कोने में उन्हें लकड़ी का छोटा सा टेबल दिखाई देता है. वो शालु का हाथ पकड़ के टेबल के पास जाते है और बैठ जाते है

शालु मुस्कुराते हुए अपनी चौड़ी चुतड पापा की गोदी में रख देती है. उसकी पीठ पापा की सक्त छाती पर चिपक जाती है, दोनों टाँगे पापा की टांगो के बीच है.

धर्मवीर धीरे से शालु की बड़ी-बड़ी चुचियों के निचले हिस्से पर हाथ फेरने लगते है.

धर्मवीर मेरी शालु ने आजकल ब्रा पहनना बंद कर दिया है...है ना?

शालु- आह....!! हाँ पापा....! बहुत गर्मी होती है, और मेरी कुछ ब्रा छोटी हो गई है और कुछ ज्यादा ही बड़ी है. इसलिए मैं आजकल ब्रा नहीं पहनती...

शालु की बात सुन कर धर्मवीर उसके बड़े-बड़े दूधों को पंजों में भर कर धीरे से दबा देते है ठीक वैसे ही जैसे कोई ग्वाला गाय के थानों को दूध निकालने से पहले दबाता है.

धर्मवीर- बहुत गर्मी भर गई है मेरी शालु के बदन में. लगता है किसी दिन पापा को सारी गर्मी निकालनी पड़ेगी.

शालु- (धर्मवीरकी इस हरकत से सिसिया जाती है) स्स्सीईईईइ....!! पापा....!!


बाप-बेटी की रासलीला अपने जोरो पर थी. दोनों उस अपूर्व आनंद में खोये हुए थे की तभी धर्मवीर को सामने वाली छत पर कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ आते हुए दिखाई देते सामने लोगों को छत पर देख वो झट से अपनी टॉप और स्कर्ट ठीक करती है. खड़ी हो कर अपने बालों को ठीक करते हुए वो छत के बीचों-बीच आ जाती है. धर्मवीर भी धीरे से अपनी धोती ठीक कर, लंड को किसी तरह से छुपाते हुए वहां से उठ कर शालु से थोड़ी दुरी पर खड़े हो जाते है. पायल एक बार पास वाली छत पर आये लोगों को देख कर मन में गालियाँ देती है और नीचे जाने लगती हैं निचे आकर शालु गुंज़न के पास जा कर बैठ जाती है. शालु के दूसरी तरफ सोनू बैठा हुआ है.

गुंज़न और शालु इशारों में बातें करने लगते है और बाबूजी भी निचे आ जाते है.

धर्मवीर -चलो भाई...अब मैं भी तुम लोगों के साथ थोड़ी गैप-शप कर लूँ....

धर्मवीर जैसे ही सोनू के पास बैठने को होते है, घर की बिजली चली जाती है. घर में गुप्प अँधेरा छा जाता है.

गुंज़न- धत्त..!! इसे भी अभी ही जानी थी...

सभी चुप-चाप बैठ जाते है. कमरें में गुप्प अँधेरा है तभी सोनू का पैर गलती से शालु के पैर पर लग जाता है. शालु धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर दे मारती है.

सोनू -..पाप दीदी मुझे पैर मार रही है.

धर्मवीर- फिर शुरू हो गया तुम दोनों का? कम से कम अँधेरे में तो शांत रहो.

शालु- नहीं पाप..पहले इसने पैर मारा था...

धर्मवीर- जो करना है करो, लड़ो-मरो ...बस मेरा दिमाग मत खाओ तुम दोनों...

शालु धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर घुमाने लगती है.
शालु की इस हरकत से सोनू भी चुप-चाप हो जाता है.
शालु अपने पैर को धीरे-धीरे सोनू के पैर पर रगड़ते हुए ऊपर ले जाने लगती है और उसकी जांघो के पास सहलाने लगती है. सोनू की पतलून टाइट होने लगती है. सामने पापा ह पास में उसकी बहन की ये हरकत, उसके अन्दर डर और उत्त्साह की मिलीजुली अनुभूति जगती है. शालु अब अपना पैर सोनू की जांघो के बीच उसके खड़े लंड पर रख देती है. सोनू किसी तरह अपने मुहँ से शालु का नाम निकलने से रोकता है. धीरे-धीरे अपने पैरों से सोनू के लंड पर दबाव डालते हुए शालु लंड की कसावट को महसूस करती है.

गुंज़न ये सब देख तो नहीं पा रही लेकिन दोनों के बहुत करीब होने की वजह से समझ जरूर रही है. कुछ क्षण गौर से देखने के बाद गुंज़न सारा माजरा समझ जाती है. वो धीरे से शालु के कान में फुसफुसाती है.

गुंज़न- (शालु के कान में फुसफुसाते हुए) येही मौका है...चख ले अपने भाई का केला....


गुंज़न की इस बात ने तो मानो आग में घी का काम कर दिया था. वो धीरे से निचे उतर कर सोनू के पैरों के बीच जा कर बैठ जाती है. उसके हाथ सोनू के शॉर्ट्स को ऊपर से पकड़ लेते है. सोनू समझ जाता है की ये कोई और नहीं उसकी अपनी दीदी है. वो चुप-चाप सोफे पर सर रख के आँखे बंद कर लेता है और अपनी कमर ऊपर उठा देता है. शालु एक झटके से सोनू की शॉर्ट्स खींच के घुटनों तक उतार देती है. सोनू का लंड झटके के साथ ऊपर उठता हुआ उसके पेट से जा टकराता है और लंड से कुछ चिप-छिपे पानी की बूंदे शालु के चेहरे पर पड़ जाती है. शालु सोनू के लंड को हाथ से पकड़ कर आगे लाती है और चमड़ी को पूरी निचे कर देती है. अपनी नाक लंड पर ले जा कर वो पहले उसके मोटे टोपे को सूंघती है. तेज़ गंध से शालु मदहोश हो जाती है. अब सोनू के लंड के टोपे पर जीभ घुमाने लगती है. सोनू तो मानो जन्नत की सैर ही करने लगता है. जो सपना वह हमेशा देखा करता था आज वो सच हो गया था. उसकी अपनी दीदी उसके लंड से प्यार कर रही थी. शालु सोनू के लंड पर अपने ओठों को रखती है और धीरे-धीरे उसके ओंठ लंड के टोपे पर फिसलते हुए उसे मुहँ के अन्दर लेने लगते है. अपनी आदत से मजबूर सोनू शालु का नाम लेने लगता है....

सोनू : श.... (की तभी एक हाथ उसका मुहँ बंद कर देता है. वो हाथ गुंज़न क था

गुंज़न सोनू के मुहँ पर हाथ रख कर सोफे के पीछे उसके सर के पास खड़ी है. सोनू आँखे खोल के गौर से देखता है तो उसे गुंज़न की एक छबी सी दिखाई देती है. वो समझ जाता है की वो भाभी ही है.गुंज़न धीरे-धीरे अपना हाथ उसके मुह पर से हटाती है. सोनू चुप-चाप मुहँ बंद किये गुंज़न को देखने की कोशिश करने लगता है. तभी गुंज़न उसे झुकती हुई दिखाई देती है और इस से पहले की वो कुछ समझ पाता गुंज़न की एक चूची उसके मुहँ में घुस जाती है. सोनू की आँखे बंद हो जाती है. ऊपर उसके मुहँ में भाभी की चूची और नीचे बहन के मुहँ में उसका लंड. सोनू की तो मानो आज लोटरी ही लग जाती है. वो गुंज़न की चूची किसी बच्चे की तरह चूसने लगता है.

निचे शालु पूरे जोश में है. वो सोनू के लंड को मुहँ में भर कर किसी लोलीपोप की तरह चुसे जा रही है. निचे हाथ को लंड पर घुमाते हुए वो चमड़ी निचे कर दे रही है और लंड को चूस रही है. बीच बीच में शालु अपने सर को स्थिर कर के धीरे-धीरे सोनू के लंड पर दबा देती और मुहँ की गहराई तक ले लेती. २-३ बार ऐसा करने के बाद शालु अब लंड को और ज्यादा मुहँ के अन्दर लेने लगी है. सोनू गुंज़न की चूची चूसते हुए कभी-कभी अपनी कमर उठा देता. शालु ने फिर से अपना सर स्थिर किया और उसके लंड को धीरे-धीरे मुहँ की गहराई में लेने लगी. शालु लंड को मुहँ में लेते हुए इतना निचे चली गई की उसका नाक सोनू के लंड की जड़ पर उगे बालों में घुस गई. अब सोनू का 8 इंच का लंड शालु के मुहँ में गले तक जा पहुंचा था. शालु कुछ क्षण वैसे ही लंड गले तक लिए रखती है फिर झटके से अपना सर उठा देती है. उसके मुहँ से लार और लंड का पानी बहने लगता है. अपने ही सगे भाई के लंड के साथ ऐसा कर के शालु को अजीब सा मज़ा आ रहा है
सोनू का तो बुरा हाल हो चूका था. अब वो अपने आप को और रोक नहीं सकता था. वो समझ गया था की उसका लंड अब कभी भी पानी छोड़ सकता है और दीदी के मुहँ में एक बूँद भी गिर गई तो उसकी खैर नहीं. वो अपने हाथ को निचे ले जा कर लंड पकड़ता है और उसे शालु के मुहँ से निकलने की कोशिश करता है. शालु समझ जाती है की सोनू अब झड़ने वाला है और इसलिए लंड निकालने की कोशिश कर रहा है. शालु अपने मुहँ में सोनू का लंड लिए, अन्दर की सारी हवा फेफड़ों में खींच लेती है. मुहँ के अन्दर 'वैक्यूम' बन जाने से सोनू का लंड शालु के मुहँ के अन्दर खीचता चला जाता है. सोनू एक बार फिर लंड निकालने की कोशिश करता है लेकिन लंड तो मानो शालु के मुहँ में फंस सा गया है. हार कर सोनू अपने लंड को जैसे ही ढीला छोड़ता है, उसका लंड शालु के मुहँ में पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. लंड से निकलती हर पिचकारी शालु के गले से टकराती हुई अन्दर जाने लगती है.
शालु गटा-गट हर पिचकारी को पीने लगती है. ८-१० पिचकारियाँ शालु के मुहँ में छोड़ने के बाद सोनू का लंड ढीला पड़ जाता है. शालु आखरी बार सोनू के लंड को जोर से चुसती है और बचा हुआ पानी भी पी लेती है. अपने मुहँ को पोंछते हुए धीरे से अपनी जगह पर आ कर बैठ जाती है.
गुंज़न भी धीरे से अपने ब्लाउज के हुक लगाते हुए शालु के साथ बैठ जाती है.

सोनू एक चुसे हुए आम की तरह सोफे पर पड़ा है. शॉर्ट्स के अन्दर उसका लंड खर्राटे भर रहा है. तभी धर्मवीर की आवाज़ आती है कोई रोशनी का इतजम करो


गुंज़न- रुकिए बाबूजी जी...मैं बत्ती का कुछ इंतज़ाम करती हूँ.


गुंज़न किसी तरह टटोलते हुए रसोई में जा कर माचिस जलती है और एक मोमबत्ती जलाकर टेबल पर रख देती है. रूम में थोड़ी रौशनी हो जाती है. मोमबत्ती की रौशनी में सोनू शालु को देखता है. शालु के चेहरे पर चमक है और वो सोनू को देखते हुए धीरे से आँख मार देती है.

धर्मवीर कोई मुझे एक कप चाय पिलाएगा?

गुंज़न उठने लगती है तो शालु कंधे पर हाथ रख के बिठा देती है.

शालु- आप रहने दीजिये भाभी...मैं बना देती हूँ.

गुंज़न शालु को देख कर मुस्कुरा देती है और शालु रसोई में चली जाती है. रसोई में गैस जला कर वो चाय का बर्तन चढ़ा देती है. तभी शालु की नज़र पापा पर पडती है. धर्मवीर शालु को घूरते हुए देख रहे है. उनकी नज़र बार-बार शालु के चौड़े चूतड़ों पर जा कर टिक जा रही है. शालु भी मस्ती में अपनी चुतड उठा कर खड़ी हो जाती है. उसकी उभरी हुई चुतड देख के धर्मवीर से रहा नहीं जाता.

धर्मवीर- अरे बहु...मोमबत्तियाँ कहाँ रखी है? एक मोमबत्ती की रौशनी कम है..

गुंज़न- रसोई में रखी है बाबूजी. रुकिए मैं ला देती हूँ...

गुंज़न- नहीं नहीं बहु...मैं खुद ले लेता हूँ. तुम सोनू के साथ बातें करो...

शालु समझ जाती है की अब पापा उसके पास आने वाले है. वो एक ऊँगली मुहँ में ले कर शर्माते हुए नाख़ून चबाने लगती है. धर्मवीर उठ कर रसोई में आते है. एक नज़र सोनू और गुंज़न पर डाल कर वो शालु की चूतड़ों को स्कर्ट के ऊपर से दबा देते है. शालु चुप-चाप मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है. धर्मवीर मोमबत्ती ढूंढने का नाटक करते हुए शालु की स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चुतड को पंजों में भर कर दबा देता है.
शालु बिना कुछ कहे पापा को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर नज़रे चाय के बर्तन पर जमा देती है. धर्मवीर इस बार शालु के पीछे खड़े हो कर धोती के ऊपर से अपना लंड शालु की चूतड़ों के बीच सटा कर दबा देते है. शालु भी मस्ती में अपनी चुतड पीछे कर के पापा के लंड पर दबाव डाल देती है. धर्मवीर झट से अपना लंड धोती से बहार निकालते है और शालु की स्कर्ट उठा के चूतड़ों के बीच ठेल देते है. पापा का लंड पैन्टी के ऊपर से उसके गांड के छेद से टकरा जाता है. शालु उच्छल जाती है और उसके मुहँ से आवाज़ निकल जाती है...

शालु- आह्ह्हह्ह.....!!!

गुंज़न-(ड्राइंग रूम से) क्या हुआ शालु? चोट लग गई क्या?

गुंज़न इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा देती है. धर्मवीर फिर से खाने की टेबल पर दूसरी मोमबत्ती जलाकर बैठ जाते है. रसोई में शालु पापा के लिए कप में चल डाल देती है. पापा की नज़रे अब भी शालु पर ही है. शालु देखती है की पापा अब भी उसे घुर के देख रहे हैं तो उसके दिमाग में बदमाशी सूझती है. वो पापा को देखते हुए धीरे से अपनी टॉप ऊपर उठा देती है और अपने बड़े-बड़े दूध दोनों हाथों से पकड़ लेती है. शालुको अपने नंगे दूध इस तरह से पकडे देख, धर्मवीर की हालत ख़राब हो जाती है. शालु अपने दोनों दूधों को पकडे चाय के प्याले के ठीक ऊपर ले जाती है और जोर से दबा देती है जैसे वो पापा की चाय में अपना दूध डाल रही हो.शालु की इस हरकत से धर्मवीर धोती में हाथ डाल कर लंड दबा देते है. फिर शालु अपनी टॉप निचे कर, चाय का प्या लिए धर्मवीर के पास आती है.

शालु-पापा आपकी चाय...

धर्मवीर-(शालु को देख, मुस्कुराते हुए चाय की एक चुस्की लेते है) हुम्म्मम्म...!! वाह..!! मज़ा आ गया . ऐसी दुधिया चाय तो मुझे सिर्फ तू ही पिला सकती है. लगता है खुल के दूध डाला है चाय में.

शालु- (मुस्कुराते हुए) घर का ताज़ा-ताज़ा दूध है पापा, मज़ा तो आएगा ही.

दोनों बाप-बेटी एक दुसरे के बदन की आग भड़काने में लग जाते है.

फिर शालु अपने कमरे की तरफ जाती है तो गुंज़न उसके पीछे आ जाती है. शालु चुतड पर एक चपत लगते हुए.


गुंज़न- हाय मेरी ननद रानी...आजकल तो पापा से खूब बातें हो रही है.

शालु- हाँ भाभी...पापा भी बदन में आग ही लगा देते है.

गुंज़न- देख , तू तो जानती है ना की तेरे पापा तुझे नंगी करके खूब पटक-पटक के चुदाई करना चाहते है...

शालु- हाँ भाभी...जानती हूँ...

गुंज़न-तो मेरी प्यारी ननद जी...कुछ करिए...

शालु- आप बताईये ना भाभी..


गुंज़न- सब कुछ मैं ही बताउंगी तो मेरी शालु क्या करेगी? बाबूजी का लंड भी मैं अपनी ही बूर में डलवा लूँ?

शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी....!! डलवा लो. दोनों ननद-भाभी नंगी हो कर पापा से खूब बूर चुदवाएंगे....

गुंज़न ( शालु के गाल पर धीरे से चपत लगते हुए) मेरी ननद रानी...पापा अपनी बहु-बेटी की एक साथ बूर चोदेंगे तो वो जोश में लंड का पानी हम दोनों की बुरों में गिरा देंगे.

शालु - हम दोनों अपनी बुरों में गिरवा लेंगे ना भाभी... ये भी तो सोचिये की मज़ा कितना आएगा....जरा सोचिये तो....आप और मैं एक साथ बिस्तर पर टाँगे खोले, अपनी फूली हुई बुरों को फैलाये लेटी हैं और बाबूजी बारी-बारी हम दोनों की बूर चोद रहे है.

गुंज़न- अच्छा ठीक है बाबा...हम दोनों बाबूजी का लंड साथ में ले लेंगी....लेकिन पहले तू तो कुछ कर...

शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी...करती हूँ....

गुंज़न-अच्छा अब मैं चलती हूँ...सोनू अभी सो रहा है.

शालु-ठीक है भाभी....

गुंज़न वहां से चली जाती है. धर्मवीर गुंज़न को जाते हुए देखते है तो वो धीरे से उठ कर शालु के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है.

शालु अपने कमरे में बिस्तर पर टाँगे खोल कर लेती है. उसकी स्कर्ट जांघो तक है और पैन्टी दिख रही है. वो अपने फ़ोन में कुछ देख रही है और फ़ोन की रौशनी से उसका चेहरा चमक रहा है. तभी उसे पापा की आवाज़ आती है.

धर्मवीर- क्या कर रही है मेरी शालु


धर्मवीर की आवाज़ सुन कर शालु खुश हो जाती है. वो मुस्कुराते हुए जवाब देती है.

शालु- कुछ नहीं पापा...बस ऐसे ही लेट कर फ़ोन के साथ वक़्त बिता रही हूँ...

धर्मवीर चलते हुए शालु के पास आते है और उसकी पास बैठ जाते है. अपने हाथों से वो शालु की जाँघों को सहलाने लगते है. धीरे-धीरे धर्मवीर के हाथ शालु की जांघो पर फिसलते हुए जाँघों की जड़ों तक चले जाते है और शालु की पैन्टी को छूने लगते है.

धर्मवीर- शालु...पापा का बड़ा मन करता है....

शालु- क्या मन करता है पापा?

धर्मवीर-येही की अपनी बिटिया को खूब प्यार करें....

शालु- मन तो मेरा भी बहुत करता है की आप मुझे दिन रात प्यार करें पापा....

धर्मवीर- पापा का प्यार बहुत बड़ा है बेटी... और तुझे देख कर तो मेरा प्यार और भी बड़ा हो जाता है...

शालु- सच पापा?

धर्मवीर- हाँ ...(धर्मवीर शालु का हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा देते है और मोटा लंड उसके हाथ में दे देते है). देख ....कितना बड़ा है तेरे पापा का प्यार...

शालु बड़ी-बड़ी आँखों से पापा को देखने लगती है और पापा के लंड की मोटाई को हाथों से महसूस करने लगती है. शालु को ऐसा लगता है की किसीने उसके हाथों में लम्बा और मोटा लट्ठ पकड़ा दिया हो. वो सीसीयाते हुए पापा से कहती है.

शालु- सीईईईइ.....पापा..यह तो बहुत लम्बा और मोटा है.....

धर्मवीर -हाँ बेटी...और जब मेरी बिटिया रानी घर में बिना ब्रा के टॉप में अपने बड़े-बड़े दूध उठा के घुमती है तो ये और भी बड़ा हो जाता है....

शालु- सच पापा? आपको मेरा घर में बिना ब्रा की टॉप पहन कर घूमना अच्छा लगता है?

धर्मवीर-बहुत अच्छा लगता है बिटिया. पापा का दिल तो करता है की दौड़ कर अपनी बिटिया रानी की टॉप उठा दूँ और उसके बड़े-बड़े दूध मसल दूँ...

कहते ही शालु की टॉप में एक हाथ दाल देता है और शालु के दूध को मसलने लगता है. पापा की इस हरकत से शालु भी जोश में आ जाती है और लंड को जोर से दबा देती है. पापा का लंड फूल के और भी मोटा हो जाता है.

शालु-पापा आप मेरे दूध मसलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है...

धर्मवीर- जानता हूँ . जवान लड़कियों को अपने दूध मसलवाना बहुत पसंद है, ख़ास कर अपने पापा से. बहुत सी लड़कियां घर में चोरी-छिपे अपने पापा से खूब दूध मसलवाती है. पापा से दूध मसलवाने से लड़कियों के दूध जल्दी बड़े हो जाते है.

शालु - सच पापा?

धर्मवीर- हाँ शालु...तुने देखा होगा की बहुत सी लड़कियों के छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े दूध हो जाते है. ऐसी लडकियां अपने पापा से ही तो दबवा के अपने दूध बड़े करवाती है.

शालु- (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ पापा...मेरी सहेली की दीदी के भी बहुत बड़े दूध है. मेरी सहेली बोल रही थी की जब उसकी मम्मी घर पर नहीं होती है तो पापा दीदी के रूम में चले जाते है और दरवाज़ा बंद करके घंटो तक रहते है.

धर्मवीर- हाँ ...सही कहा बेटी...तेरी सहेली के पापा अपनी बड़ी बेटी के दूध को घंटो मसलते होंगे...और मुझे तो ये भी लगता है शालु की उसके पापा उसकी दीदी पर चढ़ के भी प्यार करते होंगे....

पापा की इस बात पर शालु शर्मा जाती है. फिर धीरे-धीरे पापा के लंड को सहलाते हुए कहती है.

शालु- पापा क्या सच में बाप अपनी बेटी पर चढ़ के प्यार करता है?

धर्मवीर- (अब शालु की पैन्टी की साइड से अन्दर हाथ दाल कर उसके बूर के बालों से खेलने लगता है) हाँ ...बाप अपनी बेटियों पर चढ़ के खूब प्यार करते है.

शालु- (पूरी मस्ती में) ओह पापा....बहुत गर्मी लग रही है...

धर्मवीर- मेरी बेटी तो पहले से ही बहुत गरम है. गर्मी तो लगेगी ही...

धर्मवीर शालु के माथे, गले और पेट पर बहते पसीने को हाथ से पोंछता है.

धर्मवीर देखो तो..कितना पसीना आ रहा है मेरी बिटिया रानी को...और इतनी गर्मी में भी टॉप पहने हुए है...

शालु- (पापा के लंड को जोर जोर से मुठियाते हुए) तो ऊपर कर दीजिये ना पापा...

धर्मवीर शालु की पैन्टी से हाथ निकाल कर, दोनों हाथों से उसकी टॉप उठा कर दोनों दूध के ऊपर कर देता है. शालु के बड़े-बड़े सक्त दूध पापा की आँखों के सामने आ जाते है.धर्मवीर दोनों दूध को गौर से देखता है दोनों हाथों से पकड़ के आपस में मिला देता है.

धर्मवीर- आह शालु...!! पापा का दूध पीने का बहुत दिल कर रहा है बेटी...

शालु- (पापा के लंड को मुथियते हुए आँखे बंद कर लेती है) ओह पापा...!! तो पी लीजिये ना...

धर्मवीर अपना एक पैर बिस्तर पर रखता है और दुसरे पैर को घुटनों से मोड़ कर शालु पर झुक जाता है. धर्मवीर का लंड शालु के हाथ में है और वो उसे जोर जोर से हिला रही है.
धर्मवीर झुक कर शालु का एक निप्पल मुह में ले लेता है. शालु लंड मुठियाते हुए मचल जाती है. धर्मवीरशालु के निप्पल को मुहँ में भर के चूसने लगता है. शालु का दूसरा था पापा के सर पर आ जाता है और वो उनके बालों को पकड़ लेती है. धर्मवीर निप्पल चूसते हुए बीच बीच में अपना बड़ा मुहँ पूरा खोल कर शालु के दूध को मुहँ में भर लेता है. कुछ देर चूसने के बाद धर्मवीर शालु के दुसरे दूध पर धावा बोल देता है. दुसरे दूध के निप्पल को जोर जोर से चूसने से
शालु सिस्कारियां लेने लगती है. फिर धर्मवीर दोनों दूध को आपस में सटा कर बारी बारी दोनों को चूसने तो कभी मुहँ में भरने लगता है. शालु पूरी मस्ती में अपने होश खो बैठती है.

शालु हाँ पापा.....ऐसे ही...ऐसे ही मेरा दूध पीजिये पापा....

शालु को ऐसे मस्ती में आता हुआ देख कर धर्मवीर का जोश दुगना हो जाता है. वो उसके दूध को दबा-दबे के पीने लगता है और एक हाथ से अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे कर देता है. तभी धर्मवीर शालु के निप्पल को हलके से दांतों से काट लेता है तो शालु उच्छल कर धर्मवीर लिपट जाती है. धर्मवीर शालु को उठा के अपने सीने से लगा लेता है तो शालु अपनी दोनों टाँगे उसकी कमर में लपेट देती है. अपने हाथो को पापा के गले में लपेट कर शालु सीने से चिपक जाती है. धर्मवीर का लंड पायल की पैन्टी के ऊपर से उसकी बूर पर रगड़ खाने लगता है. वो शालु के बूर की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर रहा है. शालु के बड़े बड़े दूध धर्मवीर के सीना पर चिपके हुए है. धर्मवीर हाथों से अपने कुरते को ऊपर कर लेता है तो
शालु के नंगे दूध उसकी नंगी छाती पर दब जाते है. बेटी के बड़े और मुलायम दूध के स्पर्श से ही धर्मवीर का लंड झटके खाते हुए शालु की बूर पर टकराने लगता है.

धर्मवीर- अच्छा लगा रहा है बेटी?

शालु- (मदहोशी के साथ) हाँ पापा...बहुत अच्छा लग रहा है.

धर्मवीर- जरा अपने दूध पापा के सीने पर रगडो बेटा...

शालु अपने सीने को ऊपर निचे करते हुए बड़े-बड़े दूध को पापा की छाती पर रगड़ने लगती है. धर्मवीर का जोश अब और बढ़ जाता है. वो एक ऊँगली मुहँ में लेता है और पीछे से
शालु की पैन्टी में दाल कर उसके गांड के छेद पर घुसाने लगता है. शालु उच्छल कर पापा से फिर से चिपक जाती है.
धर्मवीर ऊँगली निचे ले जा कर उसकी गीली बूर पर ४-५ बार रगड़ता है और फिर उसके गांड के छेद में घुसाने लगता है. बूर के रस से भीगी ऊँगली शालु के छेद में घुस जाती है. धर्मवीर थोडा और जोर लगता है तो ऊँगली आधी अन्दर घुस जाती है. अपनी गांड में पापा की ऊँगली को महसूस कर के
शालु मस्ती में आ जाती है. बूर से तो वो कई बार खेल चुकी थी लेकिन गांड के छेद में आज पहली बार कोई ऊँगली गई थी. शालु को अपने सीने से लगाये और गांड में ऊँगली डाले,
धर्मवीर कमरें में धेरे-धीरे टहलने लगते है. टहलते हुए वो कभी अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर कर देते तो कभी लंड को
शालु की बूर पर रगड़ देते. शालु तो अपना होश पहले ही खो बैठी थी. धर्मवीर अब मौका देख कर अपने लंड को पैन्टी के साइड से अन्दर डाल के शालु की बूर पर रखता है और धीरे-धीरे टोपे को उसकी बूर पर रगड़ने लगता है. हर बार लंड रगड़ने पर शालु किसी बच्चे की तरह उच्छल जाती. तभी एक तेज़ रौशनी से सारा कमरा जगमगा उठता है. घर की बिजली आ चुकी थी. दोनों बाप-बेटी मिलन के बहुत करीब थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था.

कमरे की लाइट जलते ही शालु आँखे खोलती है तो कमरे का दरवाज़ा खुला है. वो झट से पापा की गोद से उतर जाती है और अपनी टॉप निचे कर लेती है.
धर्मवीर भी अपने कुरते और धोती को ठीक करता है. शालु अपने बाल ठीक करते हुए पापा को देखती है. पापा की आँखों में वो उसके लिए प्यार और हवस दोनों देख रही है. आज पापा के साथ जो कुछ ही हुआ उसने शालु की बूर की आग को कहीं ज्यादा भड़का दिया था. कुछ ही क्षण में दोनों होश में आते ही और एक दुसरे को देख मुस्कुराने लगते है.

धर्मवीर -मजा आया मेरी बिटिया रानी को?

शालु- (नखरे दिखाते हुए) छी पापा...!! अपनी बेटी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

धर्मवीर- तो किसके साथ करता है?

शालु -(मुहँ बना के नखरे के साथ) क्यूँ? घर में सिर्फ मैं ही एक जवान हूँ क्या? भाभी भी तो है. और भाभी के दूध तो मुझसे भी बड़े है.

शालु की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से झटके लेने लगता है. वो मुस्कुराते हुए शालु की ठोढ़ी की उठाते हुए कहता है.

धर्मवीर तो मेरी बिटिया अपनी भाभी को भी छत पर ले आये. मैंने कब मन किया है. घर की बहु-बेटी का ख्याल रखना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...?

शालु- (खुश हो कर) सच पापा? अगली बार भाभी को भी ले आऊ छत पर?

धर्मवीर- हाँ ...ले आना बहु को भी.

शालु ख़ुशी से पापा से चिपक जाती है. धर्मवीर उसकी पीठ पर हाथ रख के दबा देते है और अपनी छाती पर उसके दूध का एक बार फिर से मजा ले लेते है. शालु पापा को देख के मुस्कुराती है है दौड़ कर बाहर चली जाती है. धर्मवीर मन ही मन अपने लंड के लिए घर में दो जवान बुरों का इंतज़ाम होता देख खुश हो जाता है और गाना गुनगुनाते हुए जाने लगते है.
 

Hkgg

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रात में बिजली देर से आने से सभी घर वाले देर तक सो रहे है. गुंज़न भी आज देर से उठी थी. नाहा-धो कर वो एक अच्छी सी साड़ी पहनकर रसोई में काम कर रही है. कल रात शालु ने बाबूजी के बारें में जो उसे बताया था उस बात से उसके दिल में हलचल चल मची हुई है. वो सोच रही है की बाबूजी उसके सामने आयेंगे तो वो क्या करेगी. शालु को बेशर्म बनाने वाली आज खुद ही शर्मा रही थी.

तभी धर्मवीर रसोई में आते है. गुंज़न उन्हें देखते ही झुक के पैर पढ़ने लगती है. धर्मवीर अपना हाथ गुंज़न की पीठ पर रखता है और धीरे से उसके ब्लाउज के खुले हिस्से पर से उसकी नंगी पीठ को सहलाता है. आज पहली बार धर्मवीर ने गुंज़न के सर पर नहीं, उसकी पीठ पर हाथ रखा था. निचे झुकी गुंज़न बाबूजी के हाथ का स्पर्श अपनी नंगी पीठ पर पा कर सिहर उठती है.

धर्मवीर- सदा सुहागन रहो बहु, फूलों फलो...

धर्मवीर- कल रात शालु से कोई बात हुई था क्या बहु?

गुंज़न समझ जाती है की अब बाबूजी के सामने सती सावित्री बनने का कोई फ़ायदा नहीं है. अब खुल के उनसे बातें करने में ही समझदारी है.

गुंज़न-(शर्माते हुए) जी बाबूजी...वो कह रही थी की आप चाहते है की मैं भी उसके साथ छत पर आया करूँ....

धर्मवीर (मुस्कुराते हुए) हाँ बहु.....सही कहा शालु ने. एक साल हो गए, मेरी बहु घर में अकेली-सी रहती है मुझे अच्छा नहीं लगता. राकेश भी कभी-कभार ही घर आता है. मैं समझ सकता हूँ की मेरी बहु अपनी रातें कैसे काटती होगी. रात में बहुत अकेलापन महसूस करती होगी ना बहु?


गुंज़न- (धीरे से) जी बाबूजी....रात में तो मानो घर काटने को दौड़ता है. रह-रह कर प्यास लगती है.

धर्मवीर- अब बहुत हो गया अकेले रहना बहु. अब मैं अपनी बहु को प्यासी नहीं रहने दूंगा. और अब मेरे सामने सर पर आँचल लेने की भी जरुरत नहीं है. (धर्मवीर गुंज़न सर से आँचल गिरा देते है). अपनी बहु को अच्छे से देख तो लूँगा इसी बहाने से...

गुंज़न- जी बाबूजी...अब मैं आपके सामने कभी सर पर आँचल तो क्या, पल्लू भी नहीं लुंगी...

धर्मवीर- हाँ बहु...बिना पल्लू के मेरी बहु कितनी सुन्दर दिखती है....

पल्लू हटने से गुंज़न बड़े-बड़े दूध ब्लाउज में उठ के दिखने लगते है और बीच की गहराई भी दिखने लगती है. धर्मवीर बीच के गहराई में नज़रे गड़ाए हुए कहते है.

धर्मवीर- बहु...शालु ने तो घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया है. तुम भी मत पहना करो. इतनी गर्मी में घर की बेटी और बहु ब्रा पहने, ये अच्छी बात नहीं है.

गुंज़न- हाँ बाबूजी...आज से मैं भी ब्रा नहीं पहनूंगी...

धर्मवीर-ठीक है बहु...और जब तुम बिना ब्रा के ब्लाउज पहनो तो एक बार मुझे जरुर दिखा देना. शालु को तो कई बार देखा है. अब एक बार अपनी बहु को भी देख लूँ...

गुंज़न- बाबूजी...दिखा दूंगी...

धर्मवीर-अच्छा बहु...अब मैं चालू...

धर्मवीर के जाने के बाद गुंज़न खुश हो जाती है. शालु की सेटिंग करते करते उसकी भी सेटिंग हो गई. मन में वो शालु को ३-४ चुम्मी दे देती है. छत पर बाबूजी का क्या हाल करना है वो सोचते हुए गुंज़न अपने काम में लग जाती है.

सभी नाश्ता-पानी करने के बाद ड्राइंग रूम में बैठे है. हंसी मजाक चल रहा है लेकिन बाबूजी का दिमाग तो कहीं और ही दौड़ रहा है. वो किसी तरह से शालु और बहु को छत पर ले जाना चाहते है. गुंज़न बाबूजी के चहरे पर वो बेचैनी पढ़ लेती है. वो शालु के सर पर हाथ रख कर कहती है.

गुंज़न : .शालु..!! बालों में कब से तेल नहीं लगाया तुने? देख तो कितने रूखे-सूखे हो गए है.

शालु- (समझ नहीं पाती) कल ही तो शैम्पू लगाया था भाभी....

गुंज़न- तो चल...छत पर चलते है...वहां मैं तेरे बालों में तेल लगा दूंगी...

शालु- हाँ चलिए भाभी..

शालु और गुंज़न उठ कर सीढ़ियों से छत पर जाने लगते है. शालु हाथ में तेल की शीशी ले कर है.
शालु बहुत खुश हो रही है. गुंज़न उसे देख के कहती है.


गुंज़न तु खुश तो ऐसे हो रही है जैसे मैं तेरे सर के नहीं, बूर के बालों में तेल लगाने वाली हूँ ताकि तू बाबूजी का मोटा लंड ले सके...

शालु- (मस्ती में) तो लगा दो ना भाभी....

गुंज़न - चुप कर बदमाश...

और दोनों हँसते हुए छत पर जाने लगती है.

दोनों के जाते ही धर्मवीर का लंड भी मचलने लगा है. अब उन से निचे बैठा नहीं जा रहा.

वो भी तेज़ क़दमों से ऊपर छत पर जाने लगता है. ऊपर जाते ही वो देखता है की छत पर दोनों अमरुद की एक बड़ी सी टहनी की छाओं में बैठे है.शालु घुटनों को मोड़ के बैठी गुंज़न ठीक उसके पीछे बैठ कर उसके बालों में तेल लगा रही है.
धर्मवीर चेहरे पर मुस्कान लिए धीरे-धीरे टहलते हुए उसके पास जाते है. बाबूजी को आता देख गुंज़न झट से खड़ी हो जाती है और बाबूजी के पैर पढ़ने लगती है.

धर्मवीर- अरे .आज कितना पैर पढ़ेगी मेरे बेटी...

गुंज़न -(मुस्कुराते हुए खड़ी होती है) पैर पढ़ना तो एक बहाना है बाबूजी, असल में तो आपको कुछ दिखाना है...(कहते हुए
गुंज़न अपने बड़े-बड़े दूध ब्लाउज के अन्दर से उठा देती है)

धर्मवीर- (उसके उभरे हुए दूध देख कर) ये..ये...बहु....तुमने अन्दर ब्रा नहीं पहनी ?

गुंज़न-हाँ बाबूजी...आपने कहा था ना की एक बार दिखा देना...

धर्मवीर- (ख़ुशी से) जुग-जुग जियो बहुरानी....

धर्मवीर गुंज़न बड़े-बड़े दूध आँखे फाड़ फाड़ के देख रहा है. ब्रा ना पहनने पर गुंज़न के निप्प्लेस खड़े हो कर ब्लाउज के ऊपर से साफ़ दिख रहे है. उसकी तेज़ साँसों के साथ उसके दूध ऊपर निचे हो रहे है और ये तमाशा शालु गौर से देख रही है. पापा और भाभी की ये मस्ती उसे बहुत मजा दे रही है.


शालु -भाभी..पापा को अच्छे से दिखा दिया हो तो अब मेरे बालों में तेल भी लगा दो...

शालु की बात पर गुंज़न हँसते हुए उसके पीछे आ कर बैठ जाती है. धर्मवीर भी मुस्कुराते हुए शालु के ठीक सामने कुछ दूरी पर बैठ जाता है. वहां से वो उसकी टांगो के बीच से पैन्टी देखने लगता है. शालु भी समझ जाती है की पापा की नज़र कहाँ है.

धर्मवीर - बिटिया...अराम से बैठो...टाँगे अच्छे से खोल कर..ऐसे सिमट के क्यूँ बैठी है...?

शालु- (मुहँ बनाते हुए) नहीं पापा...मैं टाँगे नहीं खोलूंगी....

धर्मवीर- (अचरच के साथ) क्यूँ बेटी? क्या हुआ?

गुंज़न- बाबूजी....शालु का कहना है की खजाने तक पहुंचना है तो आपको मेहनत करनी पड़ेगी....

धर्मवीर- (हँसते हुए) अरे बहु...बेटी के खजाने के लिए तो बाप कुछ भी कर सकता है. बोलो क्या करना होगा...

शालु- पापा...मैं और भाभी आपसे कुछ सवाल करेंगे और आपको उनका सही जवाब देना होगा...अगर आप सभी सवालों के सही जवाब दोगे तो आज आपको मेरे और भाभी के खजाने के दर्शन हो जायेगे.

धर्मवीर इस बात पर अपने ओठों पर जीभ फेरने लगता है. आज बेटी और बहु के बूर देखने को मिलेगी ये सोच कर वो ख़ुशी से पागल हो जाते है.

धर्मवीर- हाँ हाँ ...कोई बात नहीं...जितने सवाल पूछने है पूछ लो...मैं तैयार हूँ.

शालु और गुंज़न एक दुसरे की तरफ देख कर एक बार जोर से हँस देती है. धर्मवीर कुछ समझ नहीं पाता. फिर
गुंज़न धर्मवीर से सवाल पूछती है.

गुंज़न- अच्छा बाबूजी...आपका पहला सवाल... "आजू-बाजू बाल, बीच में दरार...बोलो क्या?"....

गुंज़न की बात सुन कर धर्मवीर के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो गुंज़न से कहते है...

धर्मवीर- ये तो बड़ा ही आसान सा सवाल है बहूँ....

गुंज़न पीछे से शालु के घुटनों पर हाथ रख के उसके पैरों को खोल देती है और धर्मवीर के सामने बूर पे कसी हुई पैन्टी दिखाते हुए कहती है.

गुंज़न- तो बोलिए ना बाबूजी...जवाब दीजिये...

धर्मवीर- (मुस्कुराते हुए) जवाब है - "बूर"...

शालु - छी पापा...आप कितने गंदे हो....भाभी के सवाल का जवाब है... सर की "मांग"...

धर्मवीर- (चुप चाप थूक गुटकते हुए) अ..अ...अच्छा...ठीक है...दूसरा सवाल क्या है?

शालु आपका दूसरा सवाल है...."जो आधा जाए तो दर्द होए...पूरा जाए तो मज़ा आये..बोलो क्या ?"

शालु बाबूजी की टांगो के बीच देखने लगती है. बाबूजी भी लंड को एक झटका देते हुए कहते है...

धर्मवीर- जवाब है, - "लंड"

शालु- (हँसते हुए) पापा...कितनी गन्दी सोच है आपकी. सवाल का सही जवाब है... ."कंगन"...

धर्मवीर अब ये सब और नहीं झेल सकता था. वो छत पर जिस काम से आया था वो जल्दी से शुरू करना चाहता था.

धर्मवीर अरे अब बस भी करो. छोड़ो ये सब सवाल-जवाब...
शालु बिटिया...जरा मेरे पास आना...

शालु- नहीं पापा...मैंने पहले ही बता दिया था. जवाब गलत होगे तो कुछ नहीं मिलेगा.

धर्मवीर - मेरी प्यारी बिटिया रानी...ऐसी भी क्या जिद है...आजा...देख पापा तुझे बुला रहे है.

शालु- (नखरे से) नहीं मतलब नहीं......!!

धर्मवीर- अरे बहु...तुम ही इसे समझाओ ना...देखो तो कैसे जिद कर रही है...

गुंज़न- अब बाप-बेटी के बीच मैं क्या बोलूं बाबूजी...वैसे जवाब तो आपने गलत ही दिए है ना....

धर्मवीर का मुहँ उतर जाता है. वो समझ जाता है की अब उनकी दाल नहीं गलेगी. धर्मवीर धीरे से खड़ा होता है और मुड़ के छत के दरवाज़े की तरफ जाने लगता है. तभी
धर्मवीर हंसी सुनाई देती है. वो मुड़ के देखते है. तभी गुंज़न कहती है.

गुंज़न -नहीं नहीं बाबूजी...आपसे से हम कुछ नहीं कह रहे है...

धर्मवीर फिर से उदास मुहँ से जाने लगते है. वो मन में सोचते है, "आज का दिन तो बर्बाद हो गया. सोच था मेरी बेटी और बहु आज कुछ मज़ा देगी. सब बेकार हो गया". तभी
धर्मवीर को पीछे से धीमी आवाज़ आती है...

गुंज़न- बाबूजी....!!

धर्मवीर पीछे मुड़ के देखते है तो उनकी आँखे बड़ी हो जाती है. सामने अमरुद की डाल की छाओं में बैठी गुंज़न ने शालु की टॉप उठा के उसके बड़े-बड़े दूध दिखा रही है. शालु भाभी की गोद में बैठी मुस्कुरा रही है और गुंज़न उसके दूध दबा कर बाबूजी को दिखा रही है. धर्मवीर एक नज़र पड़ोस की छतों पर डालता है और फिर दौड़ा कर शालु के पास बैठ जाते है.

धर्मवीर- ऐसे तड़पाएगी अपने पापा को

शालु- नहीं पापा...हम तो बस आपके साथ मज़ाक कर रहे थे.

गुंज़न -बाबूजी...आप शालु से इस बात का बदला अच्छे से लीजिये....

धर्मवीर- हाँ बहु....अब तो बदला लेना ही पड़ेगा...

ये कहते हुए धर्मवीर झुक के शालु के दूध को जोर से चूसने लगते है. शालु मस्ती में दोनों हाथो को पीछे कर के गुंज़न को पकड़ लेती है और उसकी आँखे बंद हो जाती है. मुहँ से सिसकियाँ निकलने लगती है.

शालु - सीईईईइ.....पापा....ओह...!!
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धर्मवीर शालु के दूध को दबा दबा के चूसने लगते है. कभी दायाँ दूध तो कभी बायाँ. बारी-बारी दोनों दूध धर्मवीर के मुहँ में फिसल के घुस जाते है और धर्मवीर उन्हें दबा दबा के पीने लगते है.गुंज़न शालु के सर पर हाथ फेरते हुए उसे मस्ती में पापा से अपने दूध चुसवाते हुए देख रही है.

गुंज़न- हाँ बाबूजी...अच्छे से चूसिये...शालु कह रही थी की जब उसका दूध आने लगेगा तो वो सबसे पहले अपने पापा को ही पिलाएगी...

गुंज़न बात सुन के धर्मवीर दूध चुसना बंद कर के शालु को देखने लगते है. वो शालु की आँखों में देखते हुए कहते है...

धर्मवीर - बहु सच कह रही है शालु ?

शालु पापा की आँखों में देखते हुए अपने ओठ काट लेती है और धीरे से सर हिला कर हामी भर देती है. शालु की हाँ समझते ही धर्मवीर के अन्दर जोश भर जाता है. वो एक बार
शालु के दूध को गौर से देखते है और फिर किसी भूके भेड़िये की तरह उन पर टूट पड़ते है. इस बार धर्मवीर पूरे जोश में शालु के दूध दबा-दबा के पीने लगते है. शालु की हालत खराब हो जाती है.वो पूरी मस्ती में आ चुकी है. पापा को पूरे जोश में देख शालु कहती है

शालु- पापा...देखिये ना, भाभी के भी कितने बड़े है...

शालु की बात सुन कर धर्मवीर गुंज़न के दूध को घुर के देखने लगते है. धर्मवीर की ऐसी नज़र देख कर गुंज़न के पसीने छूट जाते है. शालु जब ये देखती है तो वो गुंज़न क ब्लाउज के हुक खोलने लगती है. कुछ ही पल में गुंज़न के बड़े-बड़े चुचे उच्छल के धर्मवीर के सामने आ जाते है.

धर्मवीर सच में ...तेरी भाभी के तो बहुत बड़े है. बहु...जब मैंने तेरी सुहागरात में दरवाज़े पर से तेरी चिल्लाने की आवाज़े सुनी थी तब मैंने बाथरूम में जा कर ३ बार अपने लंड को मुठिया के पानी निकाला था. उस रात मैंने धोती में हाथ डाले रात भर तुझे याद किया था.

गुंज़न- (तेज़ साँसों के साथ) तो एक बार बोल देते ना बाबूजी...मैं खुद ही अपनी साड़ी उठा के आपके पास आ जाती...

धर्मवीर- ओह बहु...मुझे पहले पता होता की मेरी बहु भी अपनी साड़ी उठाये तैयार है तो मैं कब का बोल देता...

गुंज़न- अब जब आपका दिल करे बोल दीजियेगा बाबूजी... मैं अपनी साड़ी उठाये दौड़ी चली आउंगी...

धर्मवीर -ओह बहु... ( ये कह कर गुंज़न के दूध पर टूट पड़ता है)

धर्मवीर गुंज़न की चुचिया को दोनों हाथों से दबा-दबा कर चूसने लगता है. गुंज़न अपना सीना उठा के बाबूजी के मुहँ में अपनेी चुचिया ठूसने लगती है. बीच बीच में गुंज़न अपनी चुचिया पकड़ के बाबूजी के मुहँ से निकाल लेती है और अपने खड़े निप्पल उनके ओठों पर रगड़ के फिर से मुहँ में ठूसन देती है. बहु के गदराये बड़े-बड़े दूध को चूस कर धर्मवीर के लंड में खून भरने लगता हैं
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तभी धर्मवीर को अपने लंड पर गर्माहट महसूस होती है. वो दूध पीते हुए देखते है तो दांग रह जाते है. सामने शालु धर्मवीर के लंड का मोटा टोपा अपने मुहँ में लिए हुए है. निचे हाथ को लंड पर लपेट कर को धीरे-धीरे ऊपर निचे कर रही है और भीमकाय लंड को अपने मुहँ में भर लेने की कोशिश कर रही है. अपनी बेटी को जोश में लंड मुहँ में भरता देख धर्मवीर का जोश मानो छप्पर फाड़ देता है. वो गुंज़न के दूध चुसता हुआ अपनी कमर धीरे से उठा के लंड को गुंज़न के मुहँ में ठूसने लगता है. शालु पूरा मुह खोलते हुए पापा के मोटे टोपे को मुहँ में भरने की कोशिश कर रही है. टोपे पर जीभ घुमाती हुई वो उसे पागलों की तरह चूस रही है. गुंज़न जब ये नज़ारा देखती है तो वो शालु से कहती है.
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गुंज़न -आह....शालु....अपने दूध आपस में दबा कर बाबूजी का लंड गहराई में ले ले...आह....!!

शालु दोनों हाथो से अपने दूध आपस में दबा देती है. धर्मवीर अपने लट्ठ जैसे लंड को दूध के निचे से गहराई में ठूँस देता है. धर्मवीर को किसी बूर में लंड ठूसने जैसा अनुभव देता है. धर्मवीर जोश में अपनी कमर ऊपर-निचे करता हुआ शालु के दूध के बीच लंड को अन्दर बाहर करने लगता है. जब भी धर्मवीर का लंड ऊपर से बाहर आता है तो शालु टोपे को मुहँ में डाल कर चूस लेती है
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धर्मवीर का मज़ा दुगना हो जाता है. धर्मवीर गुंज़न दूध चूसता हुआ उसकी आँखों में देखता है. दोनों की नज़रे मिलती है. धर्मवीर दूध से मुहँ हटा कर एक बार गुंज़न की आँखों में देखता है और अपने मोटे ओंठ उसके ओठों पर रख देता है. धर्मवीर अब गुंज़न के रसीले ओठों को चूसने लगता है. ससुर-बहु मानो एक दुसरे के ओठों का रस पूरा पी जाना चाहते है. कुछ ही समय में दोनों एक दुसरे से अलग होते है और उनकी नज़रे फिर से मिलती है. आँखों ही आँखों में कुछ बातें होती है और
गुंज़न अपनी जीभ निकाल के धर्मवीर में मुहँ में घुसा देती है. धर्मवीर उसकी जीभ को चूसने लगता है. कुछ ही क्षण में दोनों के मुहँ आपस में मानो चिपक से जाते है और जीभ मुहँ के अन्दर आपस में कुश्ती करने लगती है. धर्मवीर अब अपने एक हाथ गुंज़न की साड़ी के निचे से घुसा कर उसकी पैन्टी ढूंडने लगता है. पैन्टी के साइड पर हाथ जाते ही धर्मवीर की दो उंगलिया अन्दर चली जाती है और गुंज़न की बालोंवाली गीली बूर से टकरा जाती है. चिकनाहट से दोनों उँगलियाँ फिसलते हुए गुंज़न की बूर में घुस जाती है. २-३ धक्के लगते ही दोनों उँगलियाँ गुंज़न की बूर में पूरी घुस जाती है. धर्मवीर अब अपनी दोनों उँगलियों को तेज़ी से गुंज़न की बूर में अन्दर-बाहर करने लगता है. गुंज़न जोश में आ कर बाबूजी के मुहँ में अपनी जीभ अन्दर तक घुसा देती है जिसे बाबूजी प्यार से चूसने लगते है. धर्मवीर और गुंज़न एक दुसरे के मुहँ में मुहँ डाले पड़े है, निचे धर्मवीर गुंज़न की चुत में दो उँगलियाँ ठूस रहे है और उधर बेटी शालु अपने बड़े-बड़े दूध के बीच पापा का लंड ठूँसवाते हुए चूस रही है. बाबूजी के साथ घर की बहु और बेटी का ये अनोखा संगम कामवासना की हदों को पार करता हुआ हवस तक पहुँच गया था. तीनो को जो परम आनंद की प्राप्ति हो रही थी वो मात्र शरीर की नहीं थी. ये उनके बीच बाप-बेटी और ससुर-बहु के रिश्ते थे जो उन्हें उस परम आनंद तक पंहुचा रहे थे.

कुछ ही देर में धर्मवीर का बदन अकड़ने लगता है और वो अपनी कमर को उठा के लंड मुठियात हू शालु के मुहँ पे पिचकारी छोड़ने लगते है
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गाड़े सफ़ेद पानी की ६-७ पिचकारियाँ शालु के मुहँ पे छोड़ते हुए धर्मवीर आँखे बंद कर के झट बैठ जाते है

धर्मवीर शालु को प्यार से देखते है. शालु भी पापा को देख कर मुस्कुरा देती है. धर्मवीर शालु की एक चुम्मी लेते है और लंड को पकडे गुंज़न की तरफ घूम जाते है. गुंज़न भी एक आज्ञाकारी बहु की तरह बाबूजी का इशारा समझ के अपना मुहँ खोल देती है. धर्मवीर अपने लंड के टोपे को गुंज़न के खुले मुहँ में डाल देते है. लंड को पकडे हुए धर्मवीर 7-80बार अन्दर बाहर करते है फिर लंड को बाहर निकाल कर
गुंज़न के सर पर ले जाते है. अपने लंड से निकलते हुए सफ़ेद गाड़े पानी को वो गुंज़न की मांग में भरने लगते है. 2-3 बार ऊपर से निचे लंड घुमाते हुए धर्मवीर गुंज़न की मांग अपने लंड के पानी से भर देते है. गुंज़न आँखे बंद किये ख़ुशी से बाबूजी के लंड के पानी से अपनी मांग भरवाती है. शालु ये नज़ारा देख रही है.
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शालु- (खुश होते हुए) पापा...आपने तो अपने लंड के पानी से भाभी की मांग ही भर दी...

धर्मवीर-हाँ शालु..अब तेरी भाभी को प्यासा नहीं रहना पड़ेगा. अब मेरा लंड और तेरी भाभी एक पवित्र बंधन में बंध गए है. गुंज़न को हमेशा खुश रखना अब मेरे लंड की जिम्मेदारी है....

धर्मवीर की बात सुन कर गुंज़न की आँखे भर आती है. वो बैठे हुए ही बाबूजी की कमर से लिपट जाती है.

गुंज़न - ओह बाबूजी...आज आपने मुझे धन्य कर दिया...मैं आपके लंड के साथ हर वचन को निभाने के लिए तैयार हूँ...

धर्मवीर अपना हाथ गुंज़न के सर पर रख देते है और शालु को इशारे से पास आने कहते है. शालु भी पास आ कर पापा की कमर से लिपट जाती है. धर्मवीर की एक जांघ पर गुंज़न लिपटी हुई है और दूसरी जांघ पर शालु. दोनों की नज़रों के सामने बाबूजी का मोटा लंड झूल रहा है. गुंज़न और शालु एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा देती है और दोनों तरफ से एक साथ लंड को चूम लेती है.
 
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Rinkp219

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Bhai Payel, Urmila kaha se aagaya.....paste to nahi kar raho... incomplete story tha woh.... waiting more
 
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Shivraj Singh

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Ye story hume kuchh pasand nahi aayi. Shalu ko keval Sonu ki banana chahiye tha. Gunjan ko bhale ghar me sab chode. Gunjan ko bahar ka mard nahi ghar ka thhik hai. Par Shalu ko keval Sonu ne hi chodna chahiye tha. Shalu keval Sonu ki hi jindagi bhar premika bankar rahe aur kisi ki nahi honi chahiye thi. Bhale Sonu kisi aur se shadi kare.
 
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