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पापी परिवार--18
माल के अंदर आने के बाद निकुंज ने उसका हाथ छोड़ दिया ..कुछ देर पहले बीते मंज़र को याद करते हुए दोनो 1स्ट फ्लोर के कॉरिडर मे घूमने लगे
निकुंज का मन बड़ा लालायित था ये जानने के लिए कि आख़िर उसकी बहेन रोई क्यों ..क्या अपने निर्लज्ज भाई की बातों का इतना बुरा मान गयी जो उसका चेहरा आँसुओ से सराबोर हो गया ..कुछ तो ऐसा हुआ है जो निक्की के दिल मे काँटे की तरह चुभा था ..लेकिन क्या ..इसका जवाब तो खुद निक्की ही उसे दे सकती थी ..निकुंज ने अपने चेहरे को निक्की के चेहरे की तरफ मोड़ा ..इस वक़्त भी उसकी बहेन किसी सोच मे डूबी सर नीचे किए भाई के कदमो से ताल मिला कर चुप चाप चल रही थी ..निकुंज कुछ बोलने ही वाला था कि निक्की ने उससे पहले अपना मूँह खोल दिया
" भाई मुझे वॉश रूम जाना है "
इतना बोल कर निक्की वापस मूक बन गयी ..पैंटी और चूत के दरमिया होता चिपचिपा पन उसकी सहन - शक्ति से बाहर जान पड़ा ..ये कुछ देर पहले अपने बाप को दिमाग़ मे बिठा कर वासना स्वरूप चुदाई की ग़लत कल्पना का असर था ..जो काम वश उसकी कछि सामने से पूरी तरह गीली हो गयी थी ..पग - पग ज़मीन पर रखना उसके लिए दूभर था ..वो जानती थी कि कभी ना कभी उसका भाई उसके रोने का कारण अवश्य पूछेगा लेकिन ये बात वो निकुंज को कभी नही बता पाएगी कि सपने मे ही सही उसने डॅड को सोच कर अपनी चूत को रस से स्नान करवाया था
" हां वो सामने टाय्लेट है ..मैं वेट करता हूँ "
टाय्लेट पर कामन लिखा था लेकिन निकुंज के बोलते ही निक्की तेज़ी से दौड़ कर वॉशरूम मे एंटर हो गयी ..उसने गेट अंदर से लॉक किया और अपनी जीन्स का बटन अनलॉक करती हुई कमोड पर बैठ गयी ..घबराते हुए उसने पैंटी की फ्रंट साइड पर अपना कप्कपाता हाथ फेरा ..वाकाई अंदर काफ़ी गीला पन मौजूद था
" ये मैने क्या कर दिया ..मैं बहुत गंदी लड़की हूँ ..क्या कोई बेटी अपने डॅड के बारे मे ..छियियैआइयियीयियी !!!!!!! "
जो आँखें अब तक सूख चुकी थी ..वापस उनमे नमी आने लगी ..चुतडो को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसने पैंटी को नीचे खीच लिया
" गॉड....... "
चूत बिल्कुल पनिया गयी थी ..झान्टे समेट कर उसने अपने कोमल अंग पर नज़र डाली ..उसे आशा नही थी कि सिर्फ़ सोचने मात्र से ही उसका इतना बुरा हाल हो सकता है
" इसे पहने रखना प्राब्लम क्रियेट करेगा ..मेरा हॅंड बॅग भाई के पास है ..चलो धो कर खाली जीन्स पहन लेती हूँ ..घर जा कर चेंज कर लूँगी "
इतना सोच कर उसने जीन्स को अपनी टाँगो से अलग किया और पैंटी उतार कर नीचे फ्लोर पर फेक दी ..प्रेशर पाइप से चूत धोने के बाद उसे काफ़ी रिलॅक्स फील हुआ ..कुछ पल बैठी रह कर उसने चूत सुखाने की कोशिश की ..पर झाटों का फैलाव इतना ज़्यादा था कि वो एरिया अभी 5 - 10 मिनट से पहले कतयि सूख नही पाता
उसने पेपर रोल तलाशा लेकिन नही मिला ..टाय्लेट का कामन उसे होने से शायद ख़तम हो गया था ..थक हार कर नीचे फेकि पैंटी को उठा कर उसने उससे थोड़ा बहुत काम लिया और वापस जीन्स पहेन ने लगी
" अनकंफर्टबल तो है ..पर क्या कर सकते हैं "
जीन्स की निचली सतह पर पानी की बूंदे उभर आई ..मन मार कर निक्की टाय्लेट से बाहर निकल गयी
" अब इससे बुरा और क्या होगा "
उसने बेसिन पर अपने हाथ धोए और वापस कॉरिडर मे पहुच गयी
" चलें भाई "
निक्की को भी महसूस हुआ कि उसने पूरे 5 मिनट से ज़्यादा टाय्लेट मे बिताएँ हैं ..जबकि अमूमन किसी भी लड़की को मूतने मे इतना टाइम नही लगता ..निगाह अपने भाई से ना मिलाते हुए उसने चलना शुरू कर दिया
" रुक मुझे भी जाना है "
निकुंज ने कहा और वॉशरूम की तरफ बढ़ गया ..निम्मी की धड़कने रुक गयी ..आज ऊपरवाला फुल मूड मे उसकी लेने पर तुला था
" हे भगवान ..मेरी पैंटी "
निक्की का सब्र जवाब देने लगा ..एक पल तो आया टॅक्सी पकड़ कर अकेली घर चली जाए ..लेकिन उससे क्या होता ..निकुंज को अंदर जा कर असलियत से रूबरू तो होना ही था
वहीं निकुंज जैसे ही अंदर वाले टाय्लेट मे पहुचा ..पूरे फर्श पर पानी पड़ा था ..निगाह नीचे जाते ही उसे एक पैंटी पड़ी दिखाई दी
" कैसी - कैसी लड़कियाँ है ..यहाँ भी नही मानती "
मूतने के बाद उसने अपने लंड को पॅंट के अंदर किया और ज़िप लगा कर पलटा ही था कि उसके दिमाग़ ने कुछ संकेत किया
" कहीं निक्की ..नही नही मेरी बहेन ऐसी नही है ..वो कभी ऐसी हरकत नही करेगी "
एक पल मे ही उसके दिल ने गवाही दे दी कि निक्की के अंदर इस तरह से नंगी घूमने की हिम्मत नही ..कोई और लड़की होगी जो इतनी बेशर्मी से अपनी पैंटी यहाँ फेक कर चली गयी
कुछ देर बाद वो भी वॉश रूम से बाहर आ गया
कॉरिडर मे निक्की अपने दिल पर हाथ रखे खड़ी थी ..उसके चेहरे की रंगत सफेद और आँखों मे डर सॉफ था
" अब ये बता तुझे क्या शॉपिंग करनी है ? "
निकुंज ने बीती सारी बातें भुला कर पूछा
" भाई बस 2 लोवर ले लूँगी और तो कुछ ख़ास नही खरीदना "
निक्की को उसकी नॉर्मल बात सुन कर लगा की शायद भाई की नज़र पैंटी पर गयी ही ना हो ..उसने काफ़ी सुकून महसूस किया और दोनो स्पोर्ट शॉप पर पहुच गये
" तू पसंद कर ले ..मैं भी एक आध निक्कर देख लेता हूँ "
इतना बोल कर निकुंज में सेक्षन की तरफ बढ़ गया लेकिन उसके दिल मे आज कुछ खरीदने की इक्षा नही हुई ..मन बदल कर वो वापस अपनी बहेन के पास लौट आया ..निक्की के हाथ मे दो लोवर थे जिन्हे वो पॅक करवा रही थी
" इतने जल्दी पसंद कर लिया "
निकुंज को समझ आ गया कि निक्की का मन भी दुखी है तभी उसने 2 मीं मे ही अपनी शॉपिंग ख़तम कर दी ..अगर यहाँ उसकी छोटी बहेन होती तो शायद 2 घंटे भी उसे कम पड़ते
" हां भाई हो गया ..अब घर चलते हैं "
निकुंज ने पे किया और दोनो घर लौट आए ..रास्ते मे उनके बीच कोई बात चीत नही हुई ..खेर सवाल तो हज़ारो थे लेकिन जवाब एक भी नही
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माल के अंदर आने के बाद निकुंज ने उसका हाथ छोड़ दिया ..कुछ देर पहले बीते मंज़र को याद करते हुए दोनो 1स्ट फ्लोर के कॉरिडर मे घूमने लगे
निकुंज का मन बड़ा लालायित था ये जानने के लिए कि आख़िर उसकी बहेन रोई क्यों ..क्या अपने निर्लज्ज भाई की बातों का इतना बुरा मान गयी जो उसका चेहरा आँसुओ से सराबोर हो गया ..कुछ तो ऐसा हुआ है जो निक्की के दिल मे काँटे की तरह चुभा था ..लेकिन क्या ..इसका जवाब तो खुद निक्की ही उसे दे सकती थी ..निकुंज ने अपने चेहरे को निक्की के चेहरे की तरफ मोड़ा ..इस वक़्त भी उसकी बहेन किसी सोच मे डूबी सर नीचे किए भाई के कदमो से ताल मिला कर चुप चाप चल रही थी ..निकुंज कुछ बोलने ही वाला था कि निक्की ने उससे पहले अपना मूँह खोल दिया
" भाई मुझे वॉश रूम जाना है "
इतना बोल कर निक्की वापस मूक बन गयी ..पैंटी और चूत के दरमिया होता चिपचिपा पन उसकी सहन - शक्ति से बाहर जान पड़ा ..ये कुछ देर पहले अपने बाप को दिमाग़ मे बिठा कर वासना स्वरूप चुदाई की ग़लत कल्पना का असर था ..जो काम वश उसकी कछि सामने से पूरी तरह गीली हो गयी थी ..पग - पग ज़मीन पर रखना उसके लिए दूभर था ..वो जानती थी कि कभी ना कभी उसका भाई उसके रोने का कारण अवश्य पूछेगा लेकिन ये बात वो निकुंज को कभी नही बता पाएगी कि सपने मे ही सही उसने डॅड को सोच कर अपनी चूत को रस से स्नान करवाया था
" हां वो सामने टाय्लेट है ..मैं वेट करता हूँ "
टाय्लेट पर कामन लिखा था लेकिन निकुंज के बोलते ही निक्की तेज़ी से दौड़ कर वॉशरूम मे एंटर हो गयी ..उसने गेट अंदर से लॉक किया और अपनी जीन्स का बटन अनलॉक करती हुई कमोड पर बैठ गयी ..घबराते हुए उसने पैंटी की फ्रंट साइड पर अपना कप्कपाता हाथ फेरा ..वाकाई अंदर काफ़ी गीला पन मौजूद था
" ये मैने क्या कर दिया ..मैं बहुत गंदी लड़की हूँ ..क्या कोई बेटी अपने डॅड के बारे मे ..छियियैआइयियीयियी !!!!!!! "
जो आँखें अब तक सूख चुकी थी ..वापस उनमे नमी आने लगी ..चुतडो को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसने पैंटी को नीचे खीच लिया
" गॉड....... "
चूत बिल्कुल पनिया गयी थी ..झान्टे समेट कर उसने अपने कोमल अंग पर नज़र डाली ..उसे आशा नही थी कि सिर्फ़ सोचने मात्र से ही उसका इतना बुरा हाल हो सकता है
" इसे पहने रखना प्राब्लम क्रियेट करेगा ..मेरा हॅंड बॅग भाई के पास है ..चलो धो कर खाली जीन्स पहन लेती हूँ ..घर जा कर चेंज कर लूँगी "
इतना सोच कर उसने जीन्स को अपनी टाँगो से अलग किया और पैंटी उतार कर नीचे फ्लोर पर फेक दी ..प्रेशर पाइप से चूत धोने के बाद उसे काफ़ी रिलॅक्स फील हुआ ..कुछ पल बैठी रह कर उसने चूत सुखाने की कोशिश की ..पर झाटों का फैलाव इतना ज़्यादा था कि वो एरिया अभी 5 - 10 मिनट से पहले कतयि सूख नही पाता
उसने पेपर रोल तलाशा लेकिन नही मिला ..टाय्लेट का कामन उसे होने से शायद ख़तम हो गया था ..थक हार कर नीचे फेकि पैंटी को उठा कर उसने उससे थोड़ा बहुत काम लिया और वापस जीन्स पहेन ने लगी
" अनकंफर्टबल तो है ..पर क्या कर सकते हैं "
जीन्स की निचली सतह पर पानी की बूंदे उभर आई ..मन मार कर निक्की टाय्लेट से बाहर निकल गयी
" अब इससे बुरा और क्या होगा "
उसने बेसिन पर अपने हाथ धोए और वापस कॉरिडर मे पहुच गयी
" चलें भाई "
निक्की को भी महसूस हुआ कि उसने पूरे 5 मिनट से ज़्यादा टाय्लेट मे बिताएँ हैं ..जबकि अमूमन किसी भी लड़की को मूतने मे इतना टाइम नही लगता ..निगाह अपने भाई से ना मिलाते हुए उसने चलना शुरू कर दिया
" रुक मुझे भी जाना है "
निकुंज ने कहा और वॉशरूम की तरफ बढ़ गया ..निम्मी की धड़कने रुक गयी ..आज ऊपरवाला फुल मूड मे उसकी लेने पर तुला था
" हे भगवान ..मेरी पैंटी "
निक्की का सब्र जवाब देने लगा ..एक पल तो आया टॅक्सी पकड़ कर अकेली घर चली जाए ..लेकिन उससे क्या होता ..निकुंज को अंदर जा कर असलियत से रूबरू तो होना ही था
वहीं निकुंज जैसे ही अंदर वाले टाय्लेट मे पहुचा ..पूरे फर्श पर पानी पड़ा था ..निगाह नीचे जाते ही उसे एक पैंटी पड़ी दिखाई दी
" कैसी - कैसी लड़कियाँ है ..यहाँ भी नही मानती "
मूतने के बाद उसने अपने लंड को पॅंट के अंदर किया और ज़िप लगा कर पलटा ही था कि उसके दिमाग़ ने कुछ संकेत किया
" कहीं निक्की ..नही नही मेरी बहेन ऐसी नही है ..वो कभी ऐसी हरकत नही करेगी "
एक पल मे ही उसके दिल ने गवाही दे दी कि निक्की के अंदर इस तरह से नंगी घूमने की हिम्मत नही ..कोई और लड़की होगी जो इतनी बेशर्मी से अपनी पैंटी यहाँ फेक कर चली गयी
कुछ देर बाद वो भी वॉश रूम से बाहर आ गया
कॉरिडर मे निक्की अपने दिल पर हाथ रखे खड़ी थी ..उसके चेहरे की रंगत सफेद और आँखों मे डर सॉफ था
" अब ये बता तुझे क्या शॉपिंग करनी है ? "
निकुंज ने बीती सारी बातें भुला कर पूछा
" भाई बस 2 लोवर ले लूँगी और तो कुछ ख़ास नही खरीदना "
निक्की को उसकी नॉर्मल बात सुन कर लगा की शायद भाई की नज़र पैंटी पर गयी ही ना हो ..उसने काफ़ी सुकून महसूस किया और दोनो स्पोर्ट शॉप पर पहुच गये
" तू पसंद कर ले ..मैं भी एक आध निक्कर देख लेता हूँ "
इतना बोल कर निकुंज में सेक्षन की तरफ बढ़ गया लेकिन उसके दिल मे आज कुछ खरीदने की इक्षा नही हुई ..मन बदल कर वो वापस अपनी बहेन के पास लौट आया ..निक्की के हाथ मे दो लोवर थे जिन्हे वो पॅक करवा रही थी
" इतने जल्दी पसंद कर लिया "
निकुंज को समझ आ गया कि निक्की का मन भी दुखी है तभी उसने 2 मीं मे ही अपनी शॉपिंग ख़तम कर दी ..अगर यहाँ उसकी छोटी बहेन होती तो शायद 2 घंटे भी उसे कम पड़ते
" हां भाई हो गया ..अब घर चलते हैं "
निकुंज ने पे किया और दोनो घर लौट आए ..रास्ते मे उनके बीच कोई बात चीत नही हुई ..खेर सवाल तो हज़ारो थे लेकिन जवाब एक भी नही
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