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जब इंसान पॉज़िटिव थिंकिंग के साथ नेगेटिव पहलुओ पर भी गौर फरमाता है तो उसकी सोच दोहरी हो जाती है
2 दिन से लगातार भाई और बहेन के बीच ऐसा कुछ हो रहा था जो सॉफ लफ़ज़ो मे पाप की शुरूवात थी
" सबसे पहले भाई के लंड की चोट उसकी कुँवारी योनि पर लगना ..इसके बाद माल मे पड़ी पैंटी के बारे मे सवाल जवाब और आज तो उसने अपने अंगूठे से निक्की को झड़ने पर मजबूर किया था ..उसे क्या ज़रूरत थी अपने हाथ को बहेन की चूत पर लगाने की "
" कहीं भाई जान कर तो मेरे साथ ये सब नही कर रहे "
नेगेटिव थॉट्स दिमाग़ मे आते ही निक्की शॉक्ड हो कर रह गयी
" अगर ये सच है तो वो जान बूझ कर मेरे लिए इतनी छोटी फ्रोक लाए होंगे ताकि मुझे ऐसे गेट अप मे देख सकें "
अचानक से उसकी आँखों मे नमी आने लगी ..विश्वास बना कर घात करना कितना आसान होता है ..उसे दुख हुआ अपने भाई की इस ओछि मानसिकता पर ..उसकी घ्रनित हरक़तों पर
" अभी सॉफ हो जाएगा और अगर यही सच है तो मैं उन्हे कभी माफ़ नही करूँगी "
जाने उसे क्या सूझा ..अपने भाई को परखने के लिए उसने कुछ ऐसे बोल्ड स्टेप्स लेने का मन बनाया जिससे ये पता चल जाए कि वो सच मे ऐसा कर रहा है या सिर्फ़ निक्की की ग़लत फहमी है
मोबाइल उठा कर उसने निकुंज को कॉल किया
" भाई ड्रेसिंग कर दो "
कॉल कट करते ही उसे ध्यान आया कि उसने लोवर तो उतारा ही नही
" भाई से उतर्वाउन्गि ..पता तो चले उनकी गंदी सोच का एंड पॉइंट क्या है "
चादर उसने अपनी बॉडी से अलग कर दी ..इस वक़्त फ्रोक उसके पेट तक चढ़ि हुई थी ..बाकी लोवर की स्टार्टिंग तक का पूरा हिस्सा नेकेड था
थोड़ी देर मे निकुंज उसके कमरे मे आ गया ..सुबह पहने हुए कपड़े उसने भी चेंज नही किए थे
" भाई घुटना मोड़ने मे दिक्कत हो रही है ..लोवर उतारने मे हेल्प करो ना "
निक्की फुल कॉन्फिडेन्स से बोली ..बिना किसी झिझक के उसने फ्रोक को थोड़ा और ऊपर उठा लिया ..जिससे लगभग उसका पूरा पेट ही विज़िबल हो गया था
" शरम करूँगी तो बाद मे मुझे ही हर्ट होगा "
निक्की कुछ इसी तरह का सोच कर बैठी थी ..एक अजीब तरह की बोल्ड फीलिंग आ चुकी थी उसके अंदर और शायद ये अपने भाई की तरफ से भरोसा टूटने का कारण था
" भाई जल्दी करो मुझे सूसू भी जाना है ..सुबह से नही किया "
निकुंज बिल्कुल उसके पास खड़ा था ..अपना सर झुकाए ..उससे कुछ बोलते नही बन रहा था ..निक्की के मूँह से निकला एक - एक शब्द उसके दिल पर जैसे छुरिया घोप रहा था ..लाहुलुहान कर रहा था
" भाई कहाँ खो गये ? "
उसने निकुंज की तंद्रा नष्ट की ' ज़रूर अपने मन के शैतानी घोड़े चला रहे होंगे '
" मैं मोम को बुला देता हूँ ..वो तुझे चेंज करवा देंगी "
बेहद धीमे स्वर मे निकुंज ने कहा ..हद से आगे तो दोनो बढ़ ही चुके थे ..अब वो और नीचे नही गिरना चाहता था
" भाई !!!!! मोम को क्या जवाब दूँगी ..अंदर पूरा वेट है ..मुझे सूसू भी आ रहा है ..क्या वो मुझे उठा कर बाथ - रूम ले जा पाएँगी "
एक साँस मे निक्की ने अपनी पूरी बात कह डाली ..उसे पक्का यकीन था अब निकुंज ना नही कह पाएगा ..अगर भाई के मन मे ज़रा भी खोट हुआ तो ज़रूर कोई ऐसी - वैसी हरक़त करेंगे और जिससे मुझे यक़ीन हो जाएगा कि वो ग़लत हैं
सबसे पहले निकुंज ने अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली ..निक्की के फेस एक्सप्रेशन कुछ ऐसे थे जैसे वाकाई दर्द से बिलख रही हो
चादर से उसकी बॉडी कवर करते हुए निकुंज बेड पर बैठने लगा
" भाई डोर ओपन है ..बाथ - रूम मे ले चलो मैं सूसू भी कर लूँगी "
निक्की ने शीट को वापस खुद से अलग कर दिया ..फ्रोक ज्यों की त्यों उसके मुलायम पेट से चिपकी थी ..बूब्स का उभार बाहर को तानते हुए उसने एक ज़ोरदार अंगड़ाई ली जिससे निकुंज को पसीने आ गये
कोई चारा ना देख कर उसने निक्की को अपनी गोद मे उठाया और बाथ - रूम के अंदर ले जाने लगा ..निक्की के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी ..कुछ ही देर मे दूध का दूध और पानी का पानी जो होने वाला था
" जब फिनिश हो जाए तब आवाज़ दे देना "
पॉट पर बिठाने के बाद निकुंज बाथ - रूम से बाहर आ गया ..उसका अंतर्मंन जोरों से चीख रहा था ' ये ग़लत है ..मत जा उसके करीब ..तू भटक जाएगा ..पाप का भागीदार मत बन '
" बस ये लास्ट बार है ..मैं फ़ैसला कर चुका हूँ ..उससे दूरियाँ बन लूँगा "
अंतर्मंन के साथ बात करते हुए निकुंज का गला भारी हो गया ..जबकि कोई शब्द तो उसके हलक से बाहर निकले ही नही थे ..शायद बीती बातों का एक मात्र दोषी उसने खुद को करार दे दिया था
वहीं बाथ - रूम के अंदर बैठी निक्की एक बार तो चौंक गयी ..निकुंज चाहता तो अंदर रुक सकता था
" कहीं मैं खुद तो ग़लत नही ? "
पिशाब से निपट कर उसने खुद से सवाल किया
" हो सकता है वो तेरी पहल का इंतज़ार कर रहा हो ..कुछ ऐसा कर जिससे आज सारी सच्चाई खुल कर सामने आ जाए और अगर दोनो ग़लत नही हुए तो पिच्छली हर ग़लत फहमी का अंत भी तो हो जाएगा ..वैसे भी निकुंज जैसा भाई तुझे माँगे नही मिलने वाला "
अपने सवाल का खुद ही जवाब दे कर निक्की खुश हो गयी ..निकुंज जितना प्यारा तो उसकी लाइफ मे और कोई था ही नही
लोवर को पैंटी समेत अपनी थाइ तक उतारे रखे हुए उसने निकुंज को आवाज़ दी
" भाई हो गया "
अगले पल क्या होगा ..उसका विश्वास पूरी तरह से टूटेगा या वो खुद अपने भाई की नज़रों मे गिर जाएगी ..इन सब से बातों से बेख़बर वो निकुंज के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी
कुछ देर बाद निकुंज बाथ - रूम मे एंटर हुआ और आते ही साथ निक्की ने एक नयी बात छेड़ दी
" भाई घुटना मोड़ने से दर्द हो रहा है ..बाकी का लोवर आप उतार दो "
उसने बड़े भोले पन से कहा ..कहाँ 24 घंटे शरमाने वाली लड़की ..जिसने कभी अपने दुपट्टे तक का दामन ना छोड़ा हो ..आज अपने भाई को निमंत्रण दे रही थी ..बहेन को नग्न करने के लिए
उसकी बात सुन कर निकुंज सकते मे आ गया ..पॉट पर बैठी उसकी बहेन आधी न्यूड थी ..फ्रोक को पेट पर पकड़े हुए और नीचे उसका लोवर पैंटी के साथ जाँघो तक उतरा हुआ था
" बहेन मेरा और इम्तेहान मत ले "
इतना कह कर निकुंज ने अपनी आँखें बंद कर ली और ज़मीन पर बैठ कर ज़ोरो से रोने लगा ..अपना चेहरा हाथों मे छुपा कर ..खुद को कोसते हुए वो बिलख रहा था
" मुझे कुछ नही जानना तूने क्यों किया ..क्या हुआ ..बस मेरी ग़लती के लिए मुझे माफ़ कर दे "
निकुंज ने भर्राए गले से कहा ..उसे खुद पर शरम आ रही थी
वहीं हैरानी मे निक्की का चेहरा फीका पड़ गया ..बदन मे बहते खून का पूरा संचार जैसे रुक सा गया हो ..अपलक आँखों से वो अपने भाई का रोना देखने लगी ..ऐसा इस लिए क्यों कि वो ग़लत साबित हुई थी
" मैल भाई के अंदर नही मेरे अंदर है "
आँखों मे नमी आते ही निक्की पॉट से खड़ी हो गयी ..लोवर ऊपर चढ़ाते हुए उनसे फ्रोक को नीचे गिरा दिया और लंगड़ा कर निकुंज के पास जाने को चल दी
" आईईईईई !!!!! "
जल्दबाज़ी मे वो दो कदम भी ठीक से नही चल पाई होगी और घुटना मुड़ने से उसकी चीख निकल गयी ..निकुंज ने तुरंत अपने हाथ चेहरे से हटाए और फ्लोर पर सरकते हुए अपनी बहेन को वापस गिरने से रोक लिया
" पागल हो गयी है ..एक लगाउन्गा तो सही हो जाएगी "
जाने निकुंज के मूँह से ये बात कैसे निकली और तेज़ी से खड़े हो कर उसने निक्की को अपने सीने से चिपका लिया
" भाई !!!!! "
रुआसी निक्की को जैसे ही भाई के मजबूत कंधो का सहारा मिला उसके आँसू छलक उठे और अपने हाथो के पुरज़ोर से वो निकुंज को अपने अंदर समेटने लगी
" माफी मुझे माँगनी चाहिए भाई ..आपकी कोई ग़लती नही "
फफक कर रोती निक्की के शब्दो ने निकुंज पर अगला कहेर ढाया ..लेकिन वो खुद को भूल कर उसकी पीठ को सहलाते हुए ..उसे चुप करवाने की कोशिश मे जुटा रहा
" कोई नही ..ग़लती हमारी नही ..हमारी सोच की है ..चल चुप हो जा ..तुझे पता है ना मुझसे तेरे आँसू बर्दास्त नही होते ..सब ठीक हो जाएगा "
निकुंज की समझाइश पर निक्की चुप होने लगी पर उसका सुबकना कम नही हुआ ..अभी भी उसकी बॉडी का भार उसके भाई ने झेल रखा था ..चेस्ट मे पिंच होते निपल्स निकुंज को महसूस तो हो रहे थे लेकिन इस वक़्त उसके जहेन मे सिर्फ़ अपनी बहेन के कहे शब्दो की उथल - पुथल मची थी ' बीती ग़लतियों की ज़िम्मेदार वो खुद है '
2 दिन से लगातार भाई और बहेन के बीच ऐसा कुछ हो रहा था जो सॉफ लफ़ज़ो मे पाप की शुरूवात थी
" सबसे पहले भाई के लंड की चोट उसकी कुँवारी योनि पर लगना ..इसके बाद माल मे पड़ी पैंटी के बारे मे सवाल जवाब और आज तो उसने अपने अंगूठे से निक्की को झड़ने पर मजबूर किया था ..उसे क्या ज़रूरत थी अपने हाथ को बहेन की चूत पर लगाने की "
" कहीं भाई जान कर तो मेरे साथ ये सब नही कर रहे "
नेगेटिव थॉट्स दिमाग़ मे आते ही निक्की शॉक्ड हो कर रह गयी
" अगर ये सच है तो वो जान बूझ कर मेरे लिए इतनी छोटी फ्रोक लाए होंगे ताकि मुझे ऐसे गेट अप मे देख सकें "
अचानक से उसकी आँखों मे नमी आने लगी ..विश्वास बना कर घात करना कितना आसान होता है ..उसे दुख हुआ अपने भाई की इस ओछि मानसिकता पर ..उसकी घ्रनित हरक़तों पर
" अभी सॉफ हो जाएगा और अगर यही सच है तो मैं उन्हे कभी माफ़ नही करूँगी "
जाने उसे क्या सूझा ..अपने भाई को परखने के लिए उसने कुछ ऐसे बोल्ड स्टेप्स लेने का मन बनाया जिससे ये पता चल जाए कि वो सच मे ऐसा कर रहा है या सिर्फ़ निक्की की ग़लत फहमी है
मोबाइल उठा कर उसने निकुंज को कॉल किया
" भाई ड्रेसिंग कर दो "
कॉल कट करते ही उसे ध्यान आया कि उसने लोवर तो उतारा ही नही
" भाई से उतर्वाउन्गि ..पता तो चले उनकी गंदी सोच का एंड पॉइंट क्या है "
चादर उसने अपनी बॉडी से अलग कर दी ..इस वक़्त फ्रोक उसके पेट तक चढ़ि हुई थी ..बाकी लोवर की स्टार्टिंग तक का पूरा हिस्सा नेकेड था
थोड़ी देर मे निकुंज उसके कमरे मे आ गया ..सुबह पहने हुए कपड़े उसने भी चेंज नही किए थे
" भाई घुटना मोड़ने मे दिक्कत हो रही है ..लोवर उतारने मे हेल्प करो ना "
निक्की फुल कॉन्फिडेन्स से बोली ..बिना किसी झिझक के उसने फ्रोक को थोड़ा और ऊपर उठा लिया ..जिससे लगभग उसका पूरा पेट ही विज़िबल हो गया था
" शरम करूँगी तो बाद मे मुझे ही हर्ट होगा "
निक्की कुछ इसी तरह का सोच कर बैठी थी ..एक अजीब तरह की बोल्ड फीलिंग आ चुकी थी उसके अंदर और शायद ये अपने भाई की तरफ से भरोसा टूटने का कारण था
" भाई जल्दी करो मुझे सूसू भी जाना है ..सुबह से नही किया "
निकुंज बिल्कुल उसके पास खड़ा था ..अपना सर झुकाए ..उससे कुछ बोलते नही बन रहा था ..निक्की के मूँह से निकला एक - एक शब्द उसके दिल पर जैसे छुरिया घोप रहा था ..लाहुलुहान कर रहा था
" भाई कहाँ खो गये ? "
उसने निकुंज की तंद्रा नष्ट की ' ज़रूर अपने मन के शैतानी घोड़े चला रहे होंगे '
" मैं मोम को बुला देता हूँ ..वो तुझे चेंज करवा देंगी "
बेहद धीमे स्वर मे निकुंज ने कहा ..हद से आगे तो दोनो बढ़ ही चुके थे ..अब वो और नीचे नही गिरना चाहता था
" भाई !!!!! मोम को क्या जवाब दूँगी ..अंदर पूरा वेट है ..मुझे सूसू भी आ रहा है ..क्या वो मुझे उठा कर बाथ - रूम ले जा पाएँगी "
एक साँस मे निक्की ने अपनी पूरी बात कह डाली ..उसे पक्का यकीन था अब निकुंज ना नही कह पाएगा ..अगर भाई के मन मे ज़रा भी खोट हुआ तो ज़रूर कोई ऐसी - वैसी हरक़त करेंगे और जिससे मुझे यक़ीन हो जाएगा कि वो ग़लत हैं
सबसे पहले निकुंज ने अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली ..निक्की के फेस एक्सप्रेशन कुछ ऐसे थे जैसे वाकाई दर्द से बिलख रही हो
चादर से उसकी बॉडी कवर करते हुए निकुंज बेड पर बैठने लगा
" भाई डोर ओपन है ..बाथ - रूम मे ले चलो मैं सूसू भी कर लूँगी "
निक्की ने शीट को वापस खुद से अलग कर दिया ..फ्रोक ज्यों की त्यों उसके मुलायम पेट से चिपकी थी ..बूब्स का उभार बाहर को तानते हुए उसने एक ज़ोरदार अंगड़ाई ली जिससे निकुंज को पसीने आ गये
कोई चारा ना देख कर उसने निक्की को अपनी गोद मे उठाया और बाथ - रूम के अंदर ले जाने लगा ..निक्की के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी ..कुछ ही देर मे दूध का दूध और पानी का पानी जो होने वाला था
" जब फिनिश हो जाए तब आवाज़ दे देना "
पॉट पर बिठाने के बाद निकुंज बाथ - रूम से बाहर आ गया ..उसका अंतर्मंन जोरों से चीख रहा था ' ये ग़लत है ..मत जा उसके करीब ..तू भटक जाएगा ..पाप का भागीदार मत बन '
" बस ये लास्ट बार है ..मैं फ़ैसला कर चुका हूँ ..उससे दूरियाँ बन लूँगा "
अंतर्मंन के साथ बात करते हुए निकुंज का गला भारी हो गया ..जबकि कोई शब्द तो उसके हलक से बाहर निकले ही नही थे ..शायद बीती बातों का एक मात्र दोषी उसने खुद को करार दे दिया था
वहीं बाथ - रूम के अंदर बैठी निक्की एक बार तो चौंक गयी ..निकुंज चाहता तो अंदर रुक सकता था
" कहीं मैं खुद तो ग़लत नही ? "
पिशाब से निपट कर उसने खुद से सवाल किया
" हो सकता है वो तेरी पहल का इंतज़ार कर रहा हो ..कुछ ऐसा कर जिससे आज सारी सच्चाई खुल कर सामने आ जाए और अगर दोनो ग़लत नही हुए तो पिच्छली हर ग़लत फहमी का अंत भी तो हो जाएगा ..वैसे भी निकुंज जैसा भाई तुझे माँगे नही मिलने वाला "
अपने सवाल का खुद ही जवाब दे कर निक्की खुश हो गयी ..निकुंज जितना प्यारा तो उसकी लाइफ मे और कोई था ही नही
लोवर को पैंटी समेत अपनी थाइ तक उतारे रखे हुए उसने निकुंज को आवाज़ दी
" भाई हो गया "
अगले पल क्या होगा ..उसका विश्वास पूरी तरह से टूटेगा या वो खुद अपने भाई की नज़रों मे गिर जाएगी ..इन सब से बातों से बेख़बर वो निकुंज के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी
कुछ देर बाद निकुंज बाथ - रूम मे एंटर हुआ और आते ही साथ निक्की ने एक नयी बात छेड़ दी
" भाई घुटना मोड़ने से दर्द हो रहा है ..बाकी का लोवर आप उतार दो "
उसने बड़े भोले पन से कहा ..कहाँ 24 घंटे शरमाने वाली लड़की ..जिसने कभी अपने दुपट्टे तक का दामन ना छोड़ा हो ..आज अपने भाई को निमंत्रण दे रही थी ..बहेन को नग्न करने के लिए
उसकी बात सुन कर निकुंज सकते मे आ गया ..पॉट पर बैठी उसकी बहेन आधी न्यूड थी ..फ्रोक को पेट पर पकड़े हुए और नीचे उसका लोवर पैंटी के साथ जाँघो तक उतरा हुआ था
" बहेन मेरा और इम्तेहान मत ले "
इतना कह कर निकुंज ने अपनी आँखें बंद कर ली और ज़मीन पर बैठ कर ज़ोरो से रोने लगा ..अपना चेहरा हाथों मे छुपा कर ..खुद को कोसते हुए वो बिलख रहा था
" मुझे कुछ नही जानना तूने क्यों किया ..क्या हुआ ..बस मेरी ग़लती के लिए मुझे माफ़ कर दे "
निकुंज ने भर्राए गले से कहा ..उसे खुद पर शरम आ रही थी
वहीं हैरानी मे निक्की का चेहरा फीका पड़ गया ..बदन मे बहते खून का पूरा संचार जैसे रुक सा गया हो ..अपलक आँखों से वो अपने भाई का रोना देखने लगी ..ऐसा इस लिए क्यों कि वो ग़लत साबित हुई थी
" मैल भाई के अंदर नही मेरे अंदर है "
आँखों मे नमी आते ही निक्की पॉट से खड़ी हो गयी ..लोवर ऊपर चढ़ाते हुए उनसे फ्रोक को नीचे गिरा दिया और लंगड़ा कर निकुंज के पास जाने को चल दी
" आईईईईई !!!!! "
जल्दबाज़ी मे वो दो कदम भी ठीक से नही चल पाई होगी और घुटना मुड़ने से उसकी चीख निकल गयी ..निकुंज ने तुरंत अपने हाथ चेहरे से हटाए और फ्लोर पर सरकते हुए अपनी बहेन को वापस गिरने से रोक लिया
" पागल हो गयी है ..एक लगाउन्गा तो सही हो जाएगी "
जाने निकुंज के मूँह से ये बात कैसे निकली और तेज़ी से खड़े हो कर उसने निक्की को अपने सीने से चिपका लिया
" भाई !!!!! "
रुआसी निक्की को जैसे ही भाई के मजबूत कंधो का सहारा मिला उसके आँसू छलक उठे और अपने हाथो के पुरज़ोर से वो निकुंज को अपने अंदर समेटने लगी
" माफी मुझे माँगनी चाहिए भाई ..आपकी कोई ग़लती नही "
फफक कर रोती निक्की के शब्दो ने निकुंज पर अगला कहेर ढाया ..लेकिन वो खुद को भूल कर उसकी पीठ को सहलाते हुए ..उसे चुप करवाने की कोशिश मे जुटा रहा
" कोई नही ..ग़लती हमारी नही ..हमारी सोच की है ..चल चुप हो जा ..तुझे पता है ना मुझसे तेरे आँसू बर्दास्त नही होते ..सब ठीक हो जाएगा "
निकुंज की समझाइश पर निक्की चुप होने लगी पर उसका सुबकना कम नही हुआ ..अभी भी उसकी बॉडी का भार उसके भाई ने झेल रखा था ..चेस्ट मे पिंच होते निपल्स निकुंज को महसूस तो हो रहे थे लेकिन इस वक़्त उसके जहेन मे सिर्फ़ अपनी बहेन के कहे शब्दो की उथल - पुथल मची थी ' बीती ग़लतियों की ज़िम्मेदार वो खुद है '