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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,559
219
दीप की कार पास के एक लाइनाये स्टोर पर रुक गयी ..पूरे रास्ते, और यहाँ तक अभी भी उसके जहेन मे सिर्फ़ शिवानी की कही बातें घूम रही थी

" बहुत मासूम लड़की है ..काश रघु ठीक होता, उसकी ज़िंदगी बना देती "

इसी सोच मे वो स्टोर के अंदर पहुच गया

" जी कहिए ? "

सुबह का वक़्त होने से स्टोर मे भीड़ ना के बराबर थी ..काउंटर सॉफ करती एक 25 - 26 साल की लड़की ने उससे से पूछा

" एक फीमेल सेट खरीदना है "

दीप ने रिप्लाइ किया

" साइज़ &; डिज़ाइन सर ? "

लड़की के सवाल पर दीप हड़बड़ा गया ..ज़िंदगी भर उसने पचासों लड़कियों को नंगा किया था ..लेकिन आज पहली बार किसी का बदन, ढकने की गरज से अंडरगार्मेंट्स खरीदने आया था

" साइज़ ..साइज़ ..साइज़ !!!! "

चाह कर भी उसके मूँह से शब्द नही फूटे ..लड़की मुस्कुरा उठी, शायद इसमे उसने दीप के सीधेपन को समझ होगा

लड़की :- " किसी ख़ास के लिए लेना है क्या ..आगे बताइए ? "

दीप :- " 18 "

लड़की :- " ज़्यादा दुबली - पतली तो नही है ना ? "

दीप :- " नही नॉर्मल है "

लड़की :- " साइज़ तो मैं कर दूँगी ..बट डिज़ाइन ? "

दीप :- " जब साइज़ पता चला गया है तो डिज़ाइन भी आप अपने हिसाब से निकाल दीजिए "

लड़की :- " रीलेशन क्या है लड़की से ? "

दीप :- " क्या ? "

लड़की :- " ये तो नॉर्मल क्वेस्चन है ..अगर बेटी के लिए ले जा रहे हैं, तो उस हिसाब से दूँगी / अगर गर्लफ्रेंड के लिए लेना है, तो उस हिसाब से ..खेर वाइफ तो आप की 18 की होगी नही "

दीप जैसे रोज़ ना जाने कितने विज़िटर्स से उसका पाला पड़ता था, तो बिना किसी झिझक के उसने कहा ..एक गर्लफ्रेंड के लिए तो एरॉटिक से एरॉटिक डिज़ाइन्स खरीदी जा सकती हैं ..बट बेटी के लिए तो कोई भी बाप सिंपल अंडरगार्मेंट्स ही लेगा

" गर्लफ्रेंड है "

आख़िर दीप को झूट बोलना ही पड़ा ..बहू के बारे मे तो कहता नही

" ओके "

मुस्कुरा कर लड़की ने ब्लॅक कलर ' लो राइज़, जी -स्ट्रिंग्स वित प्रेशियस लेस ' पैंटी और मॅचिंग ' थ्रेड ब्रा ' पॅक कर दी

" थॅंक यू "

अंडरगार्मेंट्स देखे बिना ही दीप ने पॅकेट उठा लिया और जल्दी से पेमेंट कर, स्टोर से बाहर निकल गया

" उफफफफ्फ़ !!!! कितना मुश्क़िल है ये सब "

चेहरे का पसीना पोंछ कर दीप अपने ऑफीस की तरफ बढ़ गया ..अगर उसमे बदलाव ना आया होता तो अभी खड़े - खड़े ही स्टोर वाली लड़की की चुदाई कर दी होती

.

.

.

शिवानी नहा कर बेड - रूम मे बैठी दीप के लौटने का इंतज़ार कर रही थी ..नहाते वक़्त उसका मन तो बहुत हुआ, अपनी चूत मे उंगली कर के, अपनी प्यास बुझा ले ..लेकिन अब उसकी चूत उंगली नही, अपने ससुर के मूसल की माँग करने लगी थी

थोड़ी देर बाद दीप बेड - रूम मे एंटर हुआ ..शिवानी को टवल मे देख वो चौक गया ..आख़िर मेल टवल, कहाँ तक एक लड़की के जिस्म को ढक पाती

" ये बहुत छोटा है ..कोई और ऑप्षन नही था मेरे पास "

शिवानी बेड से उठ कर उसके करीब आने लगी ..बूब्स लगभग हाफ बाहर थे और लोवर पार्ट भी कुछ ख़ास नही छुप पाया, चूत की फांको से मात्र 3 - 4" नीचे आ कर टवल ख़तम हो गया था

" वो मेल टवल है ..लो ये पहेन लो "

काँपते हाथो से दीप ने पॅकेट उसके सामने कर दिया ..उसकी आँखें ज़मीन को देख रही थी ..शिवानी ने पॅकेट पकड़ लिया और वहीं पर खोल कर देखने लगी

" शिवानी प्लीज़ बाथ - रूम मे चली जाओ "

दीप दो कदम पीछे हट कर बोला ..लाइफ मे पहली बार वो किसी लड़की से घबराया था ..यहाँ तक कि बेटी निम्मी के नंगे बदन को देखने के बाद भी, उसकी पलकें यूँ ना झुकी थी ..फिर शिवानी मे ऐसा क्या है .. ' प्यार ' और सिर्फ़ ' प्यार '

सोफा क्रॉस करते ही शिवानी ने टवल खोल दिया ..बिना शरमाये उसने दीप की आँखों मे देखा और फिर बड़े ही मादक अंदाज़ मे अपने चूतड़ो को मटकाति हुई बाथ - रूम मे एंटर हो गयी

सीन देखते ही, पॅंट मे दीप का लंड मानो पत्थर हो गया ..उसे ज़रूरत महसूस हुई एक टाइट चूत की ..शिवानी के आँखों से ओझल होते ही उसने पॅंट की चैन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और धीरे - धीरे खाल को आगे - पीछे करने लगा

" नही सुधरेगा तू ..वो बहू है तेरी "

अंतर्मन ने कचोटा फिर भी दीप नही रुका ..उसका हाथ रफ़्तार पकड़ने लगा ..ये तक भूल गया कि शिवानी कुछ ही पॅलो मे बाथ - रूम से बाहर आ जाएगी

" तो ये है आप की चाय्स "

आवाज़ सुनते ही झटके से दीप के हाथ ने लंड को कवर किया ..लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..न्यू लाइनाये पहने शिवानी, उसके लंड को घूरती हुई बेहद नज़दीक आ गयी

दीप कभी उसके बदन को देखता और कभी अपने लंड मे होते कड़क पन्न को ..उसे आशा नही थी, स्टोर वाली लड़की इतने छोटे और सेडक्टिव अंडरगार्मेंट्स पॅक करेगी

" वो मैं वो..... "

दीप की आवाज़ लड़खड़ा गयी ..शिवानी से भी कंट्रोल नही हुआ और उसने दईप का वही हाथ पकड़ लिया, जिससे उसने अपने लंड को छुपाया हुआ था

पास रखे सोफे तक दीप उसके हाथो खिचता चला गया ..उसके शरीर मे बिल्कुल भी जान नही रही ..हल्का सा धक्का दे कर शिवानी ने उसे सोफे पर गिरा दिया और खुद भी अपने घुटनो पर बैठ गयी ..फॉरन उंगलियों के ज़ोर से उसने पॅंट को, बटन से खोला और बिना दीप की गांद उठवाए, पॅंट अंडरवेर सहित घुटनो से नीचे खीच कर दूर फेक दिया

" ज़बरदस्ती और प्यार मे यही अंतर है "

इतना बोल कर शिवानी ने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा और हौले - हौले उसे स्ट्रोक करने लगी

" ये ग़लत है शिवानी ..हमारा रिश्ता इसकी पर्मिशन नही देता "

दीप ने उसके हाथ को लंड से हटाने की कोशिश करते हुए कहा

" आप के बेटे से शादी मेरा मन कर रहा है ..लेकिन तंन का क्या करूँगी ..बाहर मूँह मारने से अच्छा है, आप के साथ खुश रहूं ..कम से कम रंडी तो नही कहलाउंगी "

इतना कह कर शिवानी ने अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए, रस से भीगे शुपाडे को चूम लिया

" आज से मेरी मर्ज़ी इसमे शामिल हुई "

अपने हाथ को लंड की जड़ पर ला कर उसने दीप की आँखों मे देखा ..पनियानी आँखें सिर्फ़ खुशी से झूम रही थी

" तो आप की मर्ज़ी क्या कहती है पापा ..बेवफ़ाई नही करूँगी "

शिवानी ने सवाल किया ..अपने होने वाले ससुर को ' पापा ' कह कर संबोधित करना उसके लिए दोहरी खुशी समान था

" कहिए ना पापा ..आप की पर्मिशन के बगैर कुछ नही करूँगी "

सोचने मे दीप ने वक़्त लिया ..हर पहलू से गुना - भाग करने के बाद. अपनी भीगी पलकों को हिलाते हुए, उसने खुद की सहमति देती

" होने वाली बहू का पहला तोहफा क़ुबूल करें "
 

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शिवानी ने सुपाडे को होंठो मे भीच लिया ..नीचे उसका हाथ भी लंड की जड़ पर कसने लगा

" शिवानी मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ ..वादा है आने वाली ज़िंदगी मे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा "

दीप ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा ..खुले बालो की एक लंबी लट दीप की जाँघ को टच कर रही थी

" रेकॉर्डिंग करनी हो तो कर सकते हैं ..मुझे कोई आपत्ति नही "

ब्लो जॉब स्टार्ट करने से पहले शिवानी ने, एक आख़िरी बार सुपाड़ा मूँह से बाहर किया और स्माइल दे कर वापस मूँह मे डाल कर चूसने लगी ..नीचे हाथ से लंड मुठियाने की गति ने भी ज़ोर पकड़ लिया

" ऊऊऊऊ !!!! अब इसकी कोई ज़रूरत नही ..मैने तुम्हे पा लिया है "

आनंद विभोर हो कर दीप की सिसकारियो का जनम होने लगा ..कमर अपने आप ही ऊपर - नीचे चलने लगी, साथ ही शिवानी के सर पर उसके हाथो ने मजबूती पकड़ ली

मूँह के अंदर शिवानी ने सुपाडे पर अपनी खुरदूरी जीभ के प्रहार देने शुरू कर दिए ..ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा मे वो अपना थूक लंड पर छोड़ती जाती, ताकि होंठो की किनोर से बहकर उसका स्लाविया, लंड की ऊपरी खाल को चिकना कर सके

" उलुउउम्म्म्मम !!!!! "

एक मादक साउंड के साथ, आधा लंड उसके मूँह के अंदर पहुच गया ..हाथ की मुट्ठी के प्रयोग से, मूँह के अंदर सूपड़ा खाल से नीचे उतरता ..फॉरन शिवानी की जीभ उस पर गोल - गोल घूमने लगती ..फिर जैसे ही सूपड़ा खाल के अंदर जाता ..वो होंठो के ज़ोर से उसे चूसने लगती

" ह्म्‍म्म्ममममम !!!! "

दीप की उत्तेजना भरी हुंकारो से जल्दी ही शिवानी को उसकी मेहनत का फल मिलने लगा और वो दोगुनी तेज़ी से लंड चुसाइ आरंभ कर देती है

" पापा ..आज तो ये कुछ ज़्यादा ही रस छोड़ रहा है "

अचानक से शिवानी ने लंड अपने मूँह से बाहर निकाल दिया ..आइ कॉंटॅक्ट से तो वो दीप का हाल जान रही थी ..लेकिन ना जाने क्यों उसके मूँह से भी, कुछ ऐसा ही सुन ने को मचल उठी

" अपनी बहू के मूँह मे खुशी के आँसू बहा रहा है "

दीप ने उसके गाल पर थपकी दे कर कहा ..हलाकी शिवानी की बात सुन कर उसे थोड़ा अचंभा तो हुआ .. लेकिन प्यार वश वो अपनी बहू की नादान हरकतों का आदि होने लगा था

" फिर ये चुप कैसे होगा ? "

अपनी आँखों की पुतलियों को नचाते हुए शिवानी ने पूछा

" प्यार करने के "

इसके साथ ही दीप ने उसका सर वापस अपने लंड के ऊपर झुका दिया ..उसे तो ऐसे सुख की कल्पना तक नही थी ..पैसो मे तो कयि रंडियाँ चोदि, लेकिन प्यार भरा प्लेषर उसे शिवानी ने ही दिया ..यहाँ तक की आज कम्मो भी उसके आगे फीकी जान पड़ी

" फिर तो मैं इसे हमेशा प्यार करूँगी "

एक बार फिर से कमरे मे तूफान उठने लगा ..मूँह के अंदर की चुसाइ शिवानी उसे दिखा चुकी थी अब बारी आई बाहरी चटाई की

अपनी जीभ से उसने, टिप से लेकर टट्टो तक कयि राउंड लगाए ..हर आंगल से चाटा ..शुपाडे की जॉइंट स्किन ..अंदर की तरफ धासा हुआ गोल घेरा ..लंड का टोपा सूजा कर उसने एक दम पर्पल बना दिया

" उफफफफ्फ़ !!! मत तडपा शिवानी ..मेरी जान निकल जाएगी "

दीप पस्त हो कर रह गया ..शिवानी मुस्कुरा उठी, ये उसकी पहली विजय थी ..एक पक्के छिनाल बाज़ इंसान को उसने अपने काबू मे जो कर लिया था

" आप के ऊपर सिर्फ़ मेरा हक़ है ..किसी और का नही "

उसकी गंभीर बात सुन कर दीप ने उसकी आँखों मे झाँका ..लगा जैसे कोई बहुत बड़ी जंग जीत कर लौटी हो और वापस नयी जंग शुरू करने की अग्रिम चेतावनी दे रही हो

" तुम्हारे ऊपर मेरा "

इस वक़्त तो दीप के मूँह से यही निकला ..हलाकी उसने शिवानी की बात मे एक तरह का विद्रोह देखा था ..लेकिन उससे कुछ और कहते नही बन पाया

" मज़ाक कर रही हूँ पापा ..क्या मेरा इतना भी हक़ नही ? "

शिवानी खिल - खिला उठी ..दीप उसे थोड़ा घहबराया सा दिखाई दिया था

" देखा डरा दिया ना !!!! "

इतना कह कर उसने लंड को फिर से चूसना शुरू कर दिया

" आईईईईईई !!!! यू नॉटी गर्ल "

जहाँ एक पल को दीप की गांद फटी वहीं दूसरे पल लंड मे वापस से उबाल आने लगा

अगला पार्ट शिवानी ने फाइनल बनाया क्यों कि उनके पास वक़्त कम था और फिर अपनी सास से मिलने भी जाना था

बिना किसी रुकावट के उसके होंठ आधे लंड को पार कर गयी और फ्री हाथ से उसने टट्टो को मसलना शुरू कर दिया ..एक साथ तीन तरह का आनंद दीप से सहा नही गया और उसके चरम की सीमा टूटने लगी

" ओह !!!! मैं किसी भी पल आ जाउन्गा "

कमर के धक्के देते हुए दीप चिल्लाया ..शिवानी के गले को चीरते हुए लंड की नोक आख़िरी पड़ाव पर अड़ने लगी

" उलुप्प्प्प्प्प्प्प !!!! "

हल्की सी उल्टी का एहसास होते ही शिवानी की आँखों ने उसके दर्द को बयान कर दिया और उसके हाथ दीप की जाँघो को दबाने लगे

" आहह !!!! "

इसी जद्दो जेहेद मे दीप के लंड से वीर्य की फुहार निकलना शुरू हो गयी ..लेकिन इस बार शिवानी ने उसका अंश मात्र भी अपने गले से नीचे नही उतारा और जीभ की मचलाहट से सुपाडे को तंग करती हुई सारा रस, लंड पर उडेलने लगी ..धीरे - धीरे दीप की कामोत्तेजना का पूरी तरह से अंत भी हो गया
 

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" अब आएगा मज़ा "

लंड मूँह से बाहर निकाल कर शिवानी वीर्य के कतरो को अपनी जीभ मे लपेटने लगी ..दीप बड़े आश्चर्य से उसकी हरक़त देखने लगा

" अब बस करो ..हो गया मेरा "

दीप ने उसके सर को ऊपर उठाते हुए कहा ..जो अब टट्टो के ऊपर झुकने वाला था ..हलाकी शिवानी के मन मे आया कि वो पूरा लंड चाट कर सॉफ करे ..लेकिन दीप के मना करने पर वो उठ कर खड़ी हो गयी

" अब साड़ी पहना दीजिए "

शिवानी ने बेड पर पड़ा सारा सामान समेटा और सोफे पर वापस लौट आई

" थॅंक यू बेटा ..लेकिन तुम्हारा तो कुछ हुआ ही नही "

शिवानी को बिल्कुल नॉर्मल देख कर दीप ने कहा

" मेरी फिकर छोड़िए ..मैं उस पल को यादगार बनाना चाहती हूँ ..अभी वक़्त बहुत हो गया है ..कहीं मा जी को पुणे जाने मे लेट ना हो जाए ..फिर मुझे भी तो अपने हॉस्टिल जाना पड़ेगा "

एक साथ इतनी सारी बातें करने के बाद शिवानी ब्लाउस को पहेन ने लगी ..जो बॅक लेस ज़रूर था लेकिन पल्लू लेने के बाद उसे कोई दिक्कत पेश नही आती और इसी तरह उसने पेटिकोट को भी अपनी कमर पर बाँध लिया

" क्या सोच रहे हैं ..पहनाईए ना साड़ी ..आप भी तो घर जाओगे "

दीप को खोया देख उसने टोका ..मुस्कुरा कर दीप ने उसे अपनी गोद मे बिठाना चाहा ..लेकिन वीर्य से सनी जगह को देख कर शिवानी पीछे हट गयी

" जब सॉफ कर रही थी, तब तो रोक दिया और अब मेरे नये कपड़े खराब कर रहे हो "

शिवानी का हर शब्द इतनी मासूमियत लिए था जैसे वो सच मे कोई परी हो

" इतनी बड़ी - बड़ी बातें कहाँ से सीखी ? "

दीप ने साड़ी उठा कर उसकी कमर पर लपेटनी शुरू कर दी ..शिवानी किसी मोर की तरह नाच रही थी ..गोल - गोल घूम रही थी ..उसका मन बेहद प्रसन्नता से भरा था और सबसे बड़ी बात, मात्र दो दिनो मे दीप ने उसकी वीरान ज़िंदगी को, पूरी तरह से खुशी मे बदल दिया था

" आप ने बदला है मुझे और हां अब से मैं रोज़ आप के हाथो से ही साड़ी पहनुँगी "

शिवानी की बात सुन कर दीप ने उससे बोलना तो बहुत कुछ चाहा ..लेकिन ज़ुबान खामोश हो गयी थी ..शिवानी की अठखेलियों का मज़ा लेते हुए वो साड़ी मे प्लेट्स बनाने लगा ..फिर अब तो वो लाइफ टाइम के लिए उसके पास ही रहने वाली थी ..तो दीप किसी बात की कोई जलबाज़ी नही रही

" लो हो गया "

प्लेट्स का बंच पेटिकोट से अंदर करते हुए दीप ने उसे छोड़ दिया

" अब बाकी का पार्लर मे "

तेज़ी से अपनी अनडाइस और पॅंट को उठा कर दीप उन्हे पहेन ने लगा

शिवानी :- " गंदे पापा ..कम से काम सॉफ तो कर लेते ..या मैं कर देती "

दीप :- " ता - उमर पड़ी है ..अब जल्दी चलो हमे लेट हो रहा है "

.

.

.

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इसके बाद दोनो पार्लर पहुचे ..अड्वान्स पेमेंट करते हुए दीप ने पास के मंदिर का रास्ता बता कर, उसे वहाँ आने का बोल दिया ..फिर जल्दी ही कम्मो को ले कर वो मंदिर लौटा ..तनवी के साथ कम्मो को शिवानी भी एक नज़र मे पसंद आ गयी

कुछ सच, कुछ झूट ..लगभग 1 घंटे तक तीनो मंदिर मे रुके रहे ..बाद मे विदा होते वक़्त शिवानी ने एक साथ दोनो का आशीर्वाद लिया और वहाँ से अपने हॉस्टिल आ गयी ...
 

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पापी परिवार--35

दीप को विदा कर कम्मो घर के अंदर पहुचि, उसकी दोनो बेटियाँ तो अपने - अपने कमरो मे थी ..लेकिन निकुंज का कुछ अता पता नही चला ..उसके कमरे का गेट खुला था और बेड पर ढेर सारे पेपर्स बिखरे पड़े थे

" जहाँ भी गया है ..निक्की को ज़रूर पता होगा "

ऐसा सोच कर वो अपनी बड़ी बेटी के कमरे मे एंटर हुई, लेकिन निक्की उसे गहरी नींद मे सोती मिली

" ये तो सो रही है "

कम्मो का मन अधीरता से भरने लगा ..हालाकी घड़ी मे अभी सिर्फ़ 8:30 ही बजे थे, लेकिन निकुंज इतने बजे तक हमेशा घर लौट आता था

" फोन भी बंद आ रहा है ..जाने कहाँ गया होगा "

कम्मो ने 3 - 4 बार कॉल ट्राइ किया, लेकिन उसके बेटे के सेल ने स्विच ऑफ बताया

" देखती हूँ ..कहीं कोई नोट तो नही छोड़ा "

कम्मो द्वारा सभी बच्चो को सख़्त हिदायत थी, यदि किसी कारणवश बडो से बात ना हो पाए तो घर की किसी भी मेन जगह ..जैसे डाइनिंग टेबल, किचन रॅक या अपने कमरे मे ..जहाँ जा रहे हों उसकी डीटेल्स लिख कर छोड़ दिया करें

ऐसा विचार कर कम्मो ने नोट ढूँढने की छान - बीन शुरू कर दी ..डिन्निंग टेबल या किचन, कहीं भी उसे कोई कागज का टुकड़ा नही दिखाई दिया

" उसके कमरे मे देखती हूँ "

वो तेज़ी से निकुंज के कमरे मे जा पहुचि, उसके चेहरे पर अब घबराहट के भाव छाने लगे थे

बेड पर पड़े सभी काग़ज़ो को उसने बारी - बारी चेक किया लेकिन पेपर्स अफीशियल थे .. ' शायद घर के बाहर जाने से पहले निकुंज इन्हे देख रहा होगा '

कम्मो की सरसरी निगाह ने कमरे की बाकी जगहो का मुआईना भी किया और फिर हताश हो कर, कमरे से बाहर निकालने लगी

वो दरवाज़े तक पहुच पाती इससे पहले ही उसकी नज़र हॅंगर पर टँगे कपड़ो पर ठहर गयी ..जिसमे ख़ास वो टी-शर्ट और शॉर्ट्स था जो उसके बेटे ने आज सुबह रन्निंग के दौरान पहेना था

" हे भगवान ..ये लड़का पूरा पागल है ..कम से कम इन्हे पानी मे तो भिगो देता ..अब थोड़ी ना जाएँगे ये खून के दाग "

हॅंगर उसके काफ़ी नज़दीक था ..तभी वहीं खड़े - खड़े उसे ब्लड स्पॉट्स दिखाई दे गये

" वॅनिश मे गला देती हूँ ..शायद सॉफ हो जाएँ "

ऐसा सोच कर उसने टी-शर्ट और शॉर्ट्स हॅंगर से उतार लिया

" पॉकेट चेक कर लूँ, कोई काम की चीज़ ना रखी हो ..नही तो वापस सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आना पड़ेगा "

( उसने ऐसा कहा तो नही, लेकिन मन मे शायद यही विचार आया होगा )

टी-शर्ट मे जेब नही थी, तो उसने अपना अपना हाथ शॉर्ट्स की पॉकेट मे डाल दिया

" रूमाल है "

कहने के बाद उसने उसे बाहर खीचा और तुरंत ही तीनो चीज़ें उसके हाथ से छूट कर नीचे ज़मीन पर गिर गयी

सीक्वेन्स वाइज़ टी-शर्ट, उसके ऊपर शॉर्ट्स और सबसे टॉप पर ' रेड पैंटी '

वैसे तो कमरे मे पहले सन्नाटा पसरा था ..लेकिन अब वहाँ कम्मो के दिल की धड़कने सुनाई देने लगी ..दोनो हाथ एक साथ उसके खुले मूँह को ढके हुए थे और आँखें इतनी बाहर आ गयी कि अगले ही पल नीचे गिर कर, कन्चो की तरह फ्लोर पर लूड़कने लगेंगी

वो अपलक पैंटी को देखती रही ..हलाकी अभी उसे अनुमान नही, किस की होगी ..लेकिन बीते हालातो के मध्ये - नज़र शक़ की सूइयां सीधी निक्की की तरफ इशारा करने लगी

नीचे झुक कर पैंटी उठाने के बाद उसने उसके कपड़े को अपनी उंगलियों पर फील किया और फिर टॅग देखा

" निम्मी सिंपल नही पेहेन्ति ..टॅग भी उसकी साइज़ से 2" ज़्यादा है ..मेरी है नही ..फिर ......... "

कम्मो पैंटी के साथ बाहर आने लगी

" अगर निकुंज को ये वापस नही मिली, तो उसे शक़ हो सकता है "

ऐसा सोच कर उसने फॉरन पैंटी को शॉर्ट्स की जेब मे डाल दिया और दोनो कपड़े ज्यों के त्यों हॅंगर पर टाँग कर फाइनली कमरे से बाहर निकल गयी

निकुंज और निक्की के कमरो मे बस बीच की दीवार का सेपरेशन था

कम्मो अपनी बड़ी बेटी के कमरे मे आ आई और बिना कोई आवाज़ किए उसने बाथ - रूम का गेट खोल कर उसके अंदर झाका

" छोटी - मोटी बात नही है ..मुझे पता करना होगा, कि आख़िर ये भाई बेहन पाप के किस मोड़ तक पहुच चुके हैं "

इतना सोचते ही कम्मो की आँखें गुस्से से भर उठी ..भले निकुंज उसका लाड़ला है, निक्की भी उतनी ही प्यारी ..लेकिन दोनो के बीच पनपे इस पापी रिश्ते को बर्दास्त करना कम्मो के बस से बाहर था

वो बाथ - रूम के अंदर पहुचि ..सीधे उसकी नज़र पहले तो हॅंगर पर टँगी ब्लॅक पैंटी पर गयी और उसे उतारने के बाद उसने फ्लोर पर पड़े कपड़ो को देखा

" हां 1 ये है "

लोवर के बगल मे पड़ी पैंटी को उठा कर उसने दोनो के टॅग मॅच किए ..साइज़ तो साइज़ कंपनी भी सेम थी

" बेशरम है दोनो "

कम्मो ने देखा फ्लोर वाली पैंटी पर सफेद धब्बे बने थे, चूत के आस - पास टच होने वाला पूरा हिस्सा कड़क था

" हे भगवान !!!! बस यही दिन बचा था देखने को "

वो रुआसी हो गयी ..दिन की सारी खुशी आँखों से पल भर मे ओझल कर, आँसुओ की धार बहने लगी ..उसके पैर जवाब देने लगे और धीर - धीरे वो बाथ - रूम के फ्लोर पर बैठ - ती चली गयी

" अब मैं क्या करूँ ..पहले रघु की बीमारी, फिर निम्मी का बच्पना और अब ये ..छ्हीई !!!! "

कम्मो सोचते - सोचते चेतना से शून्य मे जाने लगी, तभी उसके दिमाग़ मे एक और बात उठी
 

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" निकुंज से तो इस बारे मे कुछ भी पता चलना मुश्क़िल है ..लेकिन निक्की के ज़रिए चल सकता है ..मैं भी तो देखूं आख़िर दोनो भाई - बहनो ने कहाँ तक गुल खिला लिए ..कितना नीचे गिरा दिया मेरी कोख को "

बस यहीं आ कर उसके आँसुओ का बहना एक दम से रुक गया ..वो किसी घायल शेरनी की तरह वापस खड़ी हुई और बाथ - रूम से सीधा, निक्की के बेड पर आ कर बैठ गयी

" सुधार की गुंजाइश तभी हो सकती है जब ग़लती की गति का पता चले ..मुझे जान ना होगा ..ये दोनो कितना आगे बढ़ चुके हैं "

उसने निक्की के बदन पर पड़ी चादर अलग कर दी ..छोटी सी फ्रोक मे अपनी बेटी को देख कर उसे एक और झटका लगा

" ये तो निम्मी की फ्रोक है, फिर इसने कैसे पहेन ली ..ज़रूर निकुंज ने ला कर दी होगी, चोट के कारण ये तो सीढ़ियाँ चढ़ने से रही "

एक मास्टर माइंड जासूस की तरह कम्मो ने अपने दिमागी घोड़ो को दौड़ाना शुरू कर दिया था

" मतलब बाथ - रूम मे इसके गंदे कपड़े भी निकुंज ने रखे होंगे ..पर क्या इसने निकुंज के सामने ही अपना लोवर उतारा होगा और फिर पैंटी भी ..उसी पैंटी पर इसकी जवानी के निशान हैं ..हे राम !!!!! आज मुझे क्या - क्या सोचना पड़ रहा है "

घबराहट मे कम्मो की धड़कने इतनी लो हो गयी थी, जैसे अभी तुरंत ही हार्ट - अटॅक से मर जाएगी

[ निक्की के सोने की पोज़िशन :- पीठ के बल लेटी है ..दोनो टाँगें एक दम सीधी ..फ्रोक के उपर स्ट्रॅप्स तो कंधे पर ठीक हैं ..लेकिन नीचे फ्रोक की लेंग्थ, उसकी थाइस तक ढकने मे असमर्थ है ..एक तरह से हल्का सा फ्रोक ऊपर उठते ही ..उसकी चूत या चूतड़ आसानी से दिखाई दे जाते ]

कम्मो का धेर्य जवाब देने लगा ..उसका दाहिना हाथ अपने आप ही फ्रोक को ऊपर उठाने के लिए आगे बढ़ गया ..आख़िर इस पाप के वर्तमान हालात तो तभी ज़ाहिर होंगे, जब वो अपनी बेटी की योनि का हाल जानेगी ..और दोनो से कुछ पूच्छे बिना ही उसे सत्यता का पता चल जाएगा

उसने निम्मी की चूत को कयि बार देखा था, एक बार उसे चरम पर पहुचने मे उसकी मदद भी कर चुकी थी ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसका हाथ निक्की की फ्रोक की तरफ बढ़ता, उसमे कंपन तीव्र होता जाता

अट लास्ट उसकी उंगलियों ने फ्रोक की जड़ पकड़ ली ..एक बार गहरी साँस लेने के बाद वो भगवान से से दुआ माँगने लगी की फ्रोक के अंदर के हालात सही हों ..हालाकी यहाँ उसे सबसे बड़ा झटका लगने वाला था, क्यों कि निक्की ने इस वक़्त फ्रोक के नीचे ना तो पैंटी पहनी थी ना ही चूचियों पर ब्रा ..और इस बात से अंजान कम्मो ने बड़े आराम से फ्रोक को थाइस से ऊपर करना शुरू कर दिया

" हैं !!!!! "

जो होना था हो कर रहा ..चूत के आस - पास उगे घने जंगल की शुरूवात होते ही कम्मो बेड पर उच्छल पड़ी और फिर एक बार मे ही उसने फ्रोक को निक्की के पेट तक ऊपर उठा दिया

" इसने तो अंदर कुछ नही पहना "

बोलते ही कम्मो की आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा ..उसे अहसास हुआ जैसे उसके दिमाग़ के अंदर की सारी नसें एक साथ ब्लास्ट होने वाली हों और इसी बीच निम्मी की बॉडी हिलने लगी

ए/सी की ठंडक चूत पर महसूस कर उसने अपनी टाँगो की जड़ को चिपका लिया और करवट लेने को हुई ..पर इससे पहले ही कम्मो ने उसे अपने हल्के हाथो से साधा लिया ..उसका काम अभी अधूरा जो था

अब कम्मो के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी अपनी बेटी की बंद टाँगो को वापस खुलवाना और यदि वो इसमे ज़ोर जबरदस्त करती, तो यक़ीनन निक्की नींद से बाहर आ जाती ..नींद टूटने के बाद उसके कयि तरह के सवाल होते और शायद गुस्से मे भर कर कम्मो उसे बीती सारी जासूसी के बारे मे बता भी सकती थी

टाँगो की जड़ इस वक़्त ' वी ' के आकार मे दिखाई दे रही थी ..कम्मो ने हल्के हाथ से उसकी जाँघो को सहलाया ..निक्की ज़रा भी नही हिली ..उसने दोबारा वही किया ..पर इस बार भी नतीजा सेम था

जाने कम्मो को क्या सूझा और उसने हाथ जाँघ से हटा कर, अपना चेहरा चूत की तरफ झुकाना शुरू कर दिया ..एक मा के नज़रिए से सोचा जाए तो ये कितना घ्रनित कारया था जो उसे अपने सगे बेटे और बेटी के बीच, चुदाई के पापी संबंध हैं या नही, इसकी सत्यता जान ने के लिए बेटी की चूत ( वर्जिनिटी ) का मुआईना करना पड़ रहा था ..वो भी किसी शातिर चोर की भाँति

कम्मो टाँगो की जड़ के इतने नज़दीक अपना चेहरा ले आई, जैसे अगले ही पल उसकी जीभ बेटी की चूत को चाटना शुरू कर देगी ..उसने 2 - 3 फूकों से निक्की के बदन मे हलचल करवानी चाही ..लेकिन उसकी बेटी नींद से बाहर आती भी तो कैसे ..दिन मे दो बार कम अंतराल से झड़ना ..गिरने के बाद लगी चोट का दर्द और फिर निकुंज द्वारा खिलाई गयी दर्द निवारक टॅबलेट ..तीनो चीज़ो का असर था जो निक्की दिन से ही बेहेद गहरी नींद मे सो रही थी
 

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इसके पहले कम्मो कोई अगला कदम उठा पाती, उसे एहसास हुआ जैसे कमरे के दरवाज़े पर खड़ा कोई साया उसके इस शर्मनाक कार्य को देख रहा हो ..आँखों की पुतलियाँ घुमा कर उसने चेक किया तो दरवाज़े पर उसका लाड़ला बेटा निकुंज, किसी पत्थर की भाँति जड़ बना अपनी मा की करतूत देखता हुआ दिखाई दिया

शरम से कम्मो की आँखें बंद हो गयी ..अब सर ऊपर उठाने से क्या लाभ जब उसके पुत्र ने देख ही लिया कि उसकी मा अपनी बेटी की चूत को चाट रही है ..उसकी बहेन की टाँगो की जड़ मे अपना मूँह घुसाए हुए है

निकुंज फॉरन होश मे आया और दरवाज़े से हट कर अपने कमरे मे चला गया ..गेट बंद होने की आवाज़ से ज़ाहिर था कि वो किस कदर अपनी मा से खफा हुआ है ..आहत हुआ है

हालाकी इतनी दूर से निकुंज ये नही जान पाया कि आक्चुयल मे कम्मो कर क्या रही थी ..उसकी जीभ उस वक़्त निक्की की चूत से सटी थी या नही ..बस अनुमान स्वरूप अपने मन मे बीज बोने के बाद वो दरवाज़े से हट गया था

वहीं कम्मो इस सोच मे डूब गयी कि उसके बेटे के मन मे इस सीन को देखने के बाद क्या चल रहा होगा ..उसकी सोच तो इस वक़्त यही कह रही होगी कि उसकी मा कितनी बड़ी छिनाल है ..जो अपनी सग़ी बेटी के साथ अन - नॅचुरल रीलेशन ( लेज़्बीयन ) बनाने की चाह रखती है ..क्यों कि निक्की का सोना वो देख चुका था, और यहाँ उसे एक तरफ़ा कम्मो ही दोषी दिखाई दी होगी

" मैं अभी जा कर बता देती हूँ, मुझे ऐसा क्यों करना पड़ा ..ग़लती ये करें और बदनामी मेरी हो "

इतना कह कर कम्मो ने अपना झुका चेहरा चूत से ऊपर उठा लिया .. लेकिन उसके बेड से नीचे उतरते ही निक्की ने अपनी उस टाँग को मोड़ लिया जो चोटिल नही थी और एक बार फिर उसकी बालो से भारी योनि का दीदार कम्मो की आँखें करने लगी

" सबूत के साथ बताउन्गि "

नाराज़ कम्मो ने वापस वही किया जो उसका बेटा थोड़ी देर पहले देख कर, गुस्से से अपने कमरे मे चला गया था ..अपने हाथ की कोमल उंगलियों से झाटें छूते ही कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..क्यों कि उसकी बेटी की योनि इस वक़्त बड़े गर्व से अपने होंठो को चिपकाए आराम फर्मा रही थी और दोनो फांको का फुलाव इतना ज़्यादा था, कि कोई पागल ही उसे चुदि हुई कहता

कम्मो ने फ्रोक को नीचे सरका दिया और अपने पैर रगड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगी ..उसे तो इसी वक़्त शरम से ज़मीन मे धस्स जाना चाहिए था ..वो खुद को कोस्ती हुई किसी ज़िंदा लाश की तरह सीढ़ियों तक जा पहुचि ..एक आख़िरी बार निकुंज के कमरे के बंद दरवाज़े को देखा और यहीं जनम हुआ ' उसका और उसके अंतर्मंन के बीच द्वंद युद्ध का '

.

.

.

अपने कमरे मे जाने से पूर्व आदत - अनुसार, वो निम्मी के कमरे मे झाक कर अंदर के हालात पर गौर करती थी ..लेकिन इस वक़्त क्षण मात्र के लिए भी अपना चेहरा उसके कमरे की तरफ नही मोड़ा ..बल्कि सीधे अपने कमरे मे एंटर हो गयी और बेड पर बैठ-ते ही उसके अंदर की आवाज़ बाहर चली आ
 

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" फिर ग़लती कर रही है, दरवाज़ा खुला छोड़ कर "

उसके अंतर्मंन ने उसे टोका

" तुम कौन ? "

कम्मो ने चौके हुए जवाब दिया ..इस तरह की आवाज़ उसने जीवन पर्यंत कभी नही सुनी थी

अंतर्मंन :- " मैं तेरा अंतर्मंन हूँ "

कम्मो :- " लेकिन इससे पहले तो कभी नही मिली ..ना टोका, ना ही कुछ कहा "

अंतर्मन :- " जब इंसान की सोच दो - तरफ़ा हो जाए और भयवश उसका दिमाग़ काम करना बंद कर दे ..तब मैं प्रकट हो जाता / जाती हूँ ..मदद करने के लिए "

कम्मो :- " अच्छा !!!! तो क्या अभी मेरी सोच दो - तरफ़ा हा ..हां ये ज़रूर है, मैं डरी हुई हूँ ..लेकिन तुम मेरी क्या मदद कर पाओगि ? "

अंतर्मन :- " बिल्कुल करूँगी !!!! लेकिन इससे पहले कमरे का दरवाज़ा लगा दे "

कम्मो :- " पर क्यों ..मैं अभी ऐसा कौन सा ग़लत काम कर रही हूँ ..जिसके चलते कमरे का दरवाज़ बंद करना पड़े "

अंतर्मन :- " नादान हो ..हर बार सिर्फ़ इसी वजह से मात खाई हो ..ना आज निक्की के कमरे का दरवाज़ा खुला होता, ना निकुंज तुझे ऐसी हालत मे देखता, ना तू शर्मिंदा होती और ना ही मुझसे तेरा मिलन हो पाता ..तेरे बगल वाला कमरा निम्मी का है ..सोच अगर वो तुझे गहरी सोच मे डूबा देख ले, चिंता मे खोया देख ले और यहाँ तक मुझसे बातें करते भी ..फिर तेरा क्या होगा ..बेटा तो कभी ना कभी माफ़ कर ही देगा, या किसी को कुछ नही बताएगा ..लेकिन निम्मी क्या कर सकती है, इस बात को नज़र अंदाज़ मत कर "

कम्मो :- " सही कह रही हो ..जाना मत मैं अभी आई "

निम्मी का ख्याल आते ही कम्मो और भी ज़्यादा घबरा गयी और दौड़ कर अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया

वापसी मे भी उसके कदम रफ़्तार से वापस लौटे और फिर से बेड पर बैठते हुए उसने, अपने अंतर्मंन को पुकारा

अंतर्मन :- " मैं यहीं हूँ तेरे पास ..हां अब ठीक है "

कम्मो :- " मेरी मदद करो ना ..मैं इस मुसीबत से बाहर कैसे आउन्गि ? "

आंतर्मन :- " बेटे को मना ले "

कम्मो :- " लेकिन कैसे ..मैं तो उससे नज़रे तक मिलाने लायक नही रही "

अंतर्मन :- " सब सच - सच बता दे ..शुरूवात से "

कम्मो :- " नही होगा मुझसे ..कुछ और सोचो ..अपने पति को ( दीप ) बता दूँ, वो मेरा साथ ज़रूर देंगे "

अंतर्मन :- " पागल पन मत कर ..दीप तुझे पहले ही निम्मी के साथ ऐसी हरक़त करते हुए देख चुका है ..हां तूने उसे इसकी वजह बताई थी ..लेकिन निक्की के मॅटर मे तेरी सफाई कौन सुनेगा ..वो सीधी है ये सब जानते हैं, उल्टा तू फस जाएगी ..सब सोचेंगे तू अप्राक्रातिक संबंध बनाने की इक्छुक हो गयी है, वो भी अपनी सग़ी बेटियों के साथ "

कम्मो :- " ये ग़लत है ..मैं ऐसी नही हूँ "

अंतर्मन :- " कोई नही मानेगा ..जिन हालातों मे तू दो बार पड़की जा चुकी है, उसे देख कर तो बिल्कुल नही "

कम्मो :- " फिर क्या करूँ ..तुम तो मुझे और डरा रही हो "

अंतर्मन :- " अब चुप-चाप सुन ..जिस शक़ के चलते तूने ये सब किया वो तेरे नज़रिए से एक दम ठीक माना जा सकता है ..लेकिन अगर तू निकुंज को अपने शक़ की हक़ीक़त बताती है, तो उसका तेरे ऊपर से विश्वास उठ जाएगा, और हमेशा नफ़रत और तिरस्कार की नजरो से तुझे देखेगा ..कैसे मान लेगा कि तुझे अपने सगे बच्चो पर शक़ हुआ "

कम्मो :- " लेकिन उसके शॉर्ट्स मे से निक्की की पैंटी का निकलना ..इसका जवाब है तुम्हारे पास "

अंतर्मन :- " बोला था ना चुप रहना ..खेर छोड़ अब इस का जवाब देती हूँ ..जिस वक़्त की ये बात है, उस वक़्त तू इस कमरे मे अपने पति से चुद रही थी ..और वहाँ नीचे तेरी बेटी के पास निकुंज के अलावा कोई और मौजूद नही था ..निक्की की चोट तो तेरे सामने की है, बेचारी अपने घुटने के दर्द के चलते एक कदम भी नही चल पाती, और तभी निकुंज उसे गोद मे उठा कर घर लाया था, सब तेरी आँखों के सामने हुआ ..मान ले अगर दोनो उस वक़्त घर अकेले मे होते और निक्की दर्द से तड़पति, तो क्या निकुंज तेरे आने का वेट करता, नही करता ..चोट घुटने की थी और निक्की शॉर्ट्स वगेरा कभी नही पेहेन्ति है, तुझे भी पता है ..और शायद इसी वजह से निकुंज ने उसे निम्मी वाला ड्रेस ला कर दिया होगा ताकि उसकी बहेन के घुटने पर फुल कपड़े की रगड़ ना पड़े ..साथ ही वो अपना घुटना मोड़ भी सके "
 

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कम्मो बड़े ध्यान से एक - एक लफ्ज़ पर गौर कर रही थी ..हलाकी उसे पता चल गया, कि सुनाई देने वाली आवाज़ खुद उसकी है, और सारी सोच भी, ये सब उसका मन उसे सुना रहा है, सोचने पर मजबूर कर रहा है कि इस बुरे हालात से बाहर कैसे निकला जाए ..लेकिन इन सब से परे उसे खुद से घृणा महसूस हो रही थी, शायद अपनी औलादो को खुद से बढ़ कर चाहने का नतीजा था, जो वो बदनामी के इस कलंक को सह नही पा रही थी, ख़ास कर अपने लाड़ले निकुंज से नज़रें मिलाना तो दूर, अब वो कहीं की नही रही थी

अंतर्मन :- " ड्रेस का मॅटर क्लियर हुआ, अब बात पैंटी की करते हैं ..हो सकता है ड्रेस पहेन - ने के बाद निकुंज बाथ - रूम से उसके लिए सॉफ पैंटी भी लाया हो ..इसकी वजह शायद उतरे कपड़ो मे उसने निक्की की गंदी पैंटी शामिल देखी होगी ..अब हक़ीक़त मे तो तुझे पता नही कि बहेन ने भाई के सामने अपने कपड़े बदले या कोई आड़ ले कर ..लेकिन यहाँ ये ज़रूर कह सकते हैं कि शरम्वश दोनो एक दूसरे से पैंटी वाली बात नही कर पाए होंगे ..और इसके बाद वही हुआ जो तूने देखा ..निकुंज की शॉर्ट्स मे बहेन की पैंटी होने का रीज़न इसके अलावा कुछ और नही हो सकता "

कम्मो :- " ये सब तो मैने सोचा ही नही था ..और अब तो निकुंज से अपने शक़ का जिकर भी नही कर सकती "

कम्मो डर गयी अब निकुंज उसे कभी माफ़ नही करेगा ..कल को उसके बेटे की शादी होगी ..अगर तनवी को अपनी सास की करतूत पता चली तब वो क्या करेगी, बेटे के साथ - साथ बहू की नज़रों मे भी गिर जाएगी ..फिर निक्की तो शुरू से अपने भाई की प्यारी रही है ..' इसके बाद अपने ही घर मे कम्मो की हालत एक कुतिया से बदतर हो जाएगी '

( पॉज़िटिव सोच से अब उसका दिमाग़ नेगेटिव होने लगा था )

" नही - नही मुझे कैसे भी कर के निकुंज को मनाना होगा, उसे विश्वास दिलाना होगा, उसकी मा इतनी नीच नही जो अपनी बेटियों के साथ अपना मूँह काला करे "

कम्मो के गले से शब्दो का बाहर निकलना हुआ और उसके अंतर्मंन ने उसे वापस अपनी मौजूदगी का एहसास करवा दिया

अंतर्मन :- " अब आगे सुन ..सबसे पहले अपनी घबराहट और डर पर काबू कर, भूल जा तेरे साथ ऐसा कुछ हुआ भी है ..निकुंज के लिए वक़्त निकाल, शायद पुणे टूर इसमे तेरी मदद करे ..फ्लाइट की जगह बाइ रोड जाना, बेटे के साथ वक़्त बिताने का अच्छा मौका मिल जाएगा ..निक्की की चोट के चलते वो तुम्हारे साथ जा नही पाएगी, ये भी एक प्लस पॉइंट है ..घर से सफ़र पर निकलने का टाइम ऐसा चुनना, जिससे पुणे पहुचने के बाद बाकी की सारी रात तुम्हे होटेल के कमरे मे बितानी पड़े, कमरा सिंगल हो, तो और भी अच्छा ..सुन कम्मो !!!!! तू उसके करीब जाए, या वो तेरे करीब आए ..फ़ायदा तुझे ही मिलेगा ..सफ़र के दौरान प्यार भरी बातें, थोड़ी मस्तियाँ तुम्हे नज़दीक लाएँगी ..और दूरियाँ मिट-ते ही सारी ग़लतफहमियों का अंत भी हो जाएगा ..फिर देखना मेरा शुक्रिया अदा करने का वक़्त नही रहेगा तेरे पास ...... "

कम्मो :- " अगर फिर भी कोई बात नही बनी तो ? "

इतना सब सोचने के बाद भी कम्मो बैचैन थी, तो उसने खुद की बात को बीच मे काट कर सवाल किया

" फाइनली, फॉरन नंगी हो कर बेटे के कमरे मे चली जा ..और उसके लंड पर जम कर उछल्ना ..अब भी तेरे अंदर इतनी कशिश बाकी है, जिसके दम पर तेरा बेटा ..अपनी होने वाली पत्नी, बहेन, और यहाँ तक की पूरी दुनिया को भूल कर ता-उमर तेरा गुलाम बन कर रहेगा ..याद रख !!!!! एक औरत के पास उसका सबसे बड़ा हथियार होता है उसका जिस्म, जिस पर तूने अभी जंग लगा रखी है ..बात ख़तम, मैं चली "

कम्मो :- " क्य्ाआआआआअ !!!! "

एक दम से कमरे मे सन्नाटा पसर गया ..अंतर्मंन गायब, सोच ख़तम, रह गयी ' अकेली ' कम्मो ..पर एक नये बदलाव के साथ

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कुछ देर बाद उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई ..जिसे सुन कर कम्मो ने अपनी बंद आँखें खोली, लेकिन अब उनमे डर नाम की कोई चीज़ शेष नही थी

" मोम आज खाना नही मिलेगा क्या ? "

दरवाज़े को पीट-ते हुए निम्मी ने चिल्लाया

" क्यों नही मिलेगा ..तू नीचे जा मैं अभी आई "

कम्मो ने जवाब मे कहा और बेड से उतर कर सीधे ड्रेसिंग-टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गयी

" धात्ट !!!! "

मिरर मे अपना अक्स निहारते ही उसके गालो पर लाली छाने लगी ..आज इस एक दिन मे कितने रंग देखे थे उसने

दिन मे पति से साथ संसर्ग, पूरे 15 साल बाद ..फिर सास बनने की खुशी ..बेटे रघु के घर वापस लौटने का इंतज़ार ..अट लास्ट, लाड़ले निकुंज को मनाने की खातिर हद से गुज़रने की लालसा

कम्मो का रोम-रोम पुलकित था, लगा जैसे अभी जा कर अपने बेटे को, अपने सीने से चिपका ले ..कह दे ' तू मुझे सबसे प्यारा था, है और हमेशा रहेगा ' ..कह दे .. ' तेरी मा तुझे वापस पाने के खातिर मचल रही है, उसे मत तडपा और अपना ले '

कम्मो के सीने मे दर्द होने लगा, लगा जैसे ममता वश उसके स्तनो मे दूध भरने लगा हो, जिसे अगर हॉल मे नही निचोड़ा गया ..तो उसकी छाती फट पड़ेगी ..और पूरा दूध व्यर्थ मे बह जाएगा

" बच्चे अब बड़े हो गये हैं ..फिर कॉन मदद करेगा इन्हे खाली करने मे ? "

एक सवाल से उसका परिचय हुआ और आँखों के सामने वही द्रश्य घूम गया ..जब बचपन मे वो घंटो अपने छोटे बेटे को अपनी छाती से चिपकाए रहती थी, शायद तभी उसे निकुंज से सबसे ज़्यादा लगाव था

" एक मा के लिए उसका बेटा कभी बड़ा नही होता ..हां कभी - कभी हालात ज़रूर बदल जाते हैं ..पर ममता का अंत कभी नही होता "

उसके हाथ स्वतः ही अपने स्तनो को मसलने के लिए ऊपर उठने लगे ..लेकिन उन्हे छुते ही कम्मो और भी ज़्यादा अधीर हो उठी

" हक़ नही छीनुन्गि ..जिसका है उसे ज़रूर मिलेगा "

बस इसके आगे ना तो उससे कुछ बोला गया ना ही शीशे के सामने खड़ी रह पाई ..एक आनंदमयी स्फूर्ति और ताक़त से उसका परिचय हुआ ..और वो दौड़ती हुई दरवाज़ा खोल कर नीचे हॉल मे आ गयी

शैतान निम्मी अपनी बड़ी बहेन के नज़दीक बैठी उससे बातें कर रही थी ..तभी कम्मो ने उस कमरे मे परवेश किया

" उठ गयी बेटा ..बस आधे घंटे मे खाना तैयार हो जाएगा "

इतना कह कर वो किचन मे पहुचि ..जिस थकान का जिकर आज उसने अपनी पति से किया था, वो उसमे झूठी साबित होने लगी ..और कुछ ही अंतराल के पस्चात चहु-ओर सुगंधित खुसबू का फैलना शुरू हो गया ..भोजन स्वादिस्त तभी बनता है, जब तंन की मेहनत के साथ उसे बनाने वाले शॅक्स के मन की प्रसन्नता का जुड़ाव भी उसमे शामिल हो ..100 की सीधी एक बात ..कम्मो बदल रही थी, अपनी जवानी को महसूस कर रही थी

आज रात का खाना निक्की के कमरे मे लगाया गया ..निकुंज भी वहाँ आया, बात का बतंगड़ ना बने इसके चलते उसने जल्दी - जल्दी 2 - 3 रोटियाँ अपनी गले से नीचे उतारी और अपने कमरे मे उठ कर जाने लगा ..ना तो एक नज़र उसने अपनी बहेन निक्की को देखा था ना मा कम्मो को

" भाई आपने तो कुछ खाया ही नही "

ये आवाज़ निकली निक्की के गले से ..जो सिर्फ़ निकुंज की जल्दबाज़ी पर गौर फर्मा रही थी ..और इसकी वजह से वो बेख़बर भी तो नही थी

" हां बेटा थोड़ा और खा ले "

कम्मो भी बीच मे बोल पड़ी ..जानती थी इस तरह निकुंज की नाराज़गी कम होने के बजाए, और बढ़ती ..लेकिन बेटे से बात करने का इससे अच्छा टॉपिक उसे नही सूझा

" मैने खा लिया है, ऑफीस के पेपर्स रेडी करूँगा "

निकुंज कमरे से बाहर जा पाता इससे पहले कम्मो फिर से बोल पड़ी

" कल शाम तुझे मेरे साथ पुणे निकलना है, रघु को वापस लाने "

कम्मो ने नॉर्मली कहा ..लेकिन उसकी इस बात से कुछ पल के लिए कमरे मे सन्नाटा पसर गया ..यहाँ तक निम्मी को खाते - खाते थस्का लगा और खाँसते हुए वो पानी का ग्लास उठाने लगी

" हे हे हे हे ..देखा मोम, देखा भाई ..बड़े भैया का नाम सुनते ही इसकी वाट लग गयी "

निक्की ने निम्मी की हालत पर हँसते हुए कहा ..उसे बीता वो थप्पड़ याद आ गया जो निम्मी की नादान हरक़त पर रघु ने उसे मारा था ..जब वो उसकी पिस्टल लेकर अपने स्कूल चली गयी थी ..वो तो अच्छा हुआ स्कूल स्टाफ मे रघु का ख़ौफ़ था, वरना पक्का पोलीस केस बनता और निम्मी को स्कूल से बाहर निकाल दिया जाता

" म ..म ..मैं क्यों डरने लगी ..भैया से ..अब मैने कोई ग़लती नही की "

निम्मी को इस तरह हक़लाता हुआ देखा कर ..निकुंज तक अपनी हसी नही रोक पाया और एक आख़िरी नज़र अपनी बेशरम मा पर डालने के बाद कमरे से बाहर चला गया ..वहीं कम्मो उसके हंसते चेहरे मे खो गयी, लगा जैसे उसके बेटे के दिल से भादास का लेवेल थोड़ी देर के लिए ही सही, मगर कम तो हुआ

खाना निपटने के बाद निम्मी भी कमरे से बाहर चली गयी ..अब बचे निक्की और कम्मो, तो उनकी साधारण बातचीत का नतीजा रहा जो कम्मो ने उसके कमरे ही सोने का निर्णए लिया ..और कुछ देर पश्चात मा - बेटी दोनो नींद के आगोश मे चले गये

दूसरे दोनो कमरो मे नींद आँखों से कोसो दूर थी ..जहाँ निकुंज को अपनी मा के चरित्र पर आश्चर्य होने लगा था, वहीं निम्मी अपने बड़े भैया के घर लौट आने के डर से सारी रात सो नही पाई ....
 

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पापी परिवार--36

निकुंज के कमरे मे :-

रात के 3 बज गये, पर निकुंज सिर्फ़ करवटें बदलता रहा ..नींद क्या, इस वक़्त तो उसकी आँखें अंगारों सी लाल थी ..रह - रह कर उसके जहेन मे वही नज़ारा घूम रहा था, जब उसकी ' बदचलन ' मा अपने सग़ी बड़ी बेटी की चूत चाटने मे व्यस्त थी ..हलाकी अब भी वो कम्मो के लिए अपनी ज़ुबान पर इस तरह का घिनोना शब्द प्रयोग मे नही ला पाता ..लेकिन उसकी सोच तो बार - बार यही कह रही थी .. ' उसकी मोम लेज़्बीयन बन गयी है '

बरसो बीत गये, कम्मो कभी घर से अकेली बाहर नही गयी, जाती भी थी तो अपने पति या बच्चो को साथ ले कर, यहाँ तक कि हर बार बाहर जाने से पहले उसका तर्क होता ' मुझे भीड़ - भाड़ पसंद नही आप लोग चले जाओ ' ..फिर उस पर ' बदचलन ' होने का आरोप लगाना तो स्वयं ब्रम्‍हा के लिए असंभव था ..निकुंज की क्या औक़ात

" मोम पहले ऐसी नही थी ..फिर अब क्यों ? "

बस इसी सवाल पर आ कर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर देता ..बचपन से ले कर आज तक उसे कम्मो से कोई शिक़ायत नही रही थी ..लेकिन आज वो चाहता था, अभी और इसी वक़्त अपनी मोम के कमरे मे जाए ..और जी भर के उससे लड़े ..अपने सवाल का जवाब पूच्छे .. ' आख़िर क्यों ? "

" डॅड की ग़लती भी कम नही ..पैसे कमाने के चक्कर मे उन्होने अपनी बीवी और बच्चो पर कभी ध्यान नही दिया ..मुझे तो लगता है मोम के इस अन-नॅचुरल बिहेवियर के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार वही हैं "

अकेली कम्मो पर उंगली उठाना निकुंज से नही हो पाया ..आज जो कुछ उसने देखा, प्रेमवश वो सब कुछ भुला देता ..लेकिन सही वजह पता चलने के बाद

लेटे लेटे उसे प्यास लगने लगी ..रात के खाने के बाद से उसने एक घूट पानी भी, गले से नीचे नही उतारा था

" आज तो बॉटल भी साथ नही रख पाया "

वो बेड से उठा ..ज़मीन पर पग धरते ही उसके सर मे तीव्र गति से दर्द महसूस होने लगा ..हलाकी दर्द सर मे नही उसके दिल मे है ..बस गेहन चिंतन मे डूबने से उसकी टीस, दिमाग़ की नसो पर वार कर रही थी

जैसे - तैसे वो अपने कमरे से बाहर आया और किचन मे रखे फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर एक बार ही मे अपने प्यासे गले को तर करने लगा ..पानी से पेट भरना कितना मुश्क़िल होता है जब आप के सामने अन्न का अथाह भंडार रखा हो ..लेकिन सुबह निक्की के बदलाव और रात मे कम्मो की शर्मनाक हरक़त को देख कर उसने ठीक से खाना तक नही खा पाया था

वापसी मे उसके मन मे लालसा उठी .. ' क्यों ना अपनी बहेन के मासूम चेहरे को देखा जाए, दिन मे वो चोटिल हुई थी ..लेकिन बाथ-रूम के हादसे के बाद से निकुंज ने अब तक अपनी बहेन से कोई बात नही की थी '

" कम से कम मैने खाने पर तो उससे पूछा होता ..' अब तेरा दर्द कैसा है ? ' "

उसके कदम निक्की के कमरे की तरफ बढ़ गये ..हल्के ज़ोर से उसने कमरे का दरवाज़ा खोला, जो अक्सर उसे खुला ही मिलता था .. ' जब मन पापी ना हो तब पर्दे की कोई एहमियत शेष नही रहती '

कमरे की लाइट जलाने के बाद उसने बेड की तरफ अपनी नज़रें घुमाई

" मोम !!!! "

उसके मूँह से ये शब्द बाहर आते - आते बचा ..निक्की को अपनी बाहों मे समेटे कम्मो उसे, उसके साथ बेड पर लेटी दिखाई दी

क्षन्मात्र मे निकुंज ने लाइट ऑफ कर दी ..और तेज़ी से दरवाज़ अटका कर अपने कमरे मे लौट आया

उसके दिल मे लगे घाव को इस सीन ने और भी ज़्यादा ज़ख़्मी कर दिया ..वो तो भला हो उसके उसके शांत स्वाभाव और सैयम का जो उसने चीखा नही ..नही तो अभी हाल कम्मो को अपनी प्यारी बहेन के बिस्तर से अलग करवा देता

" लेकिन किस हक़ से ..वो मा है उसकी "

एक पल को निकुंज पॉज़िट्व सोचता और दूसरे पल उसकी थिंकिंग नेगेटिव मे बदल जाती

" वो अब मा नही रही उसकी ( निक्की ) ..प्रेमिका बन गयी है ( लेज़्बीयन ) "

सहसा उसकी आँखों की किनोर छल्छला उठी ..इज़्ज़त बनाने मे ता-उमर बीत जाती है, लेकिन गवाने मे पल भर शेष नही लगता ..मा की ममता की सारी छवि धूमिल हो कर, कम्मो उसे अपनी बहेन की सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देने लगी ..जिसकी वजह से उसकी बहेन का जीवन किसी अंधे कुँए मे दफ़न हो कर रह जाता

" भाड़ मे जाए शादी ..रघु को घर लाने के बाद मैं निक्की को अपने साथ कहीं दूर ले जाउन्गा ..माना पैदा उसे मोम ने किया है ..लेकिन डॅड की जगह पाला मैने है ..मैं कतयि अपनी बहेन के साथ इस तरह का घिनोना कार्य होते नही देख सकता "

इसके साथ ही निकुंज अपने घर से बग़ावत करने को राज़ी हो गया और कम्मो के साथ पुणे टूर पर जाने की मोहर भी लग गयी

.

.

वहीं 1स्ट फ्लोर पर निम्मी का कमरा शांत ज़रूर था, लेकिन उसका मन शांति से कोसो दूर

" भैया के घर आने के बाद मेरी क्या हालत होगी ..फक !!!! "

घबराहट, नाराज़गी, डर ..केयी तरह के रंग उसके चेहरे पर इस वक़्त देखे जा सकते थे

1) शॉर्ट ड्रेसस ( बॅन ) :- सिर्फ़ सलवार - कमीज़ से काम चलाना पड़ेगा

2) रात को जल्दी सोना ..सुबह जल्दी उठना

3) फ्रीली घूम नही पाएगी ..घर के अंदर हो / या बाहर

4) बार बार जो ये दाँत बाहर आ जाते हैं ..यक़ीनन इन्हे टूटने मे ज़्यादा वक़्त नही लगेगा

5) एलेक्ट्रॉनिक गॅडजेट्स का मिनिमम युजिज

6) सबसे बड़ी बात उसकी आज़ादी छिन कर कमरे की चार दीवारी मे क़ैद हो कर रह जाएगी ..हो सकता है उसके भैया उसके इन्स्टीत्यूट के पन्गो को भी जान ले

" नही नही, भैया इस वक़्त पागल हैं ..उनका दिमाग़ काम नही करता "

निम्मी ने भयवश अपना थूक निगल कर, सूखे गले को तर किया ..लेकिन अगले ही पल उसे बीता वो थप्पड़ याद आ गया, जिसका दर्द आज भी याद कर वो सेहेम जाती है

" पागल तो वो पहले भी थे, जब जमाने भर की लड़कियों का बचाव किया तो मेरी तो खटिया खड़ी कर देंगे ..भाभी तक को गोली मार दी, निम्मी !!!! तेरी आने वाली ज़िंदगी के लोड्‍े लगने वाले हैं "

इसी के साथ ही उसने अपनी आँखों को ज़ोर से भींच लिया और झूट - मूट सोने का नाटक करने लगी ..रघु से डरने की मेन वजह थी .. ' उसका कॅरक्टर, उसके उसूल, और सबसे बड़ा उसका जिगर '

" रिलॅक्स निम्मी !!!! ये दो दिन तो हैं ही तेरे पास ..जी ले जितना जी सकती है ..सारी मस्ती इन्ही दो दिनो मे पूरी कर ले ..क्या पता इसके बाद तुझे आज़ादी की साँस तक लेना नसीब ना हो "

खुद का साहस बढ़ा कर उसने सोने की कोशिश की और थोड़ी देर बाद इसमे कामयाब भी हो गयी

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अगली सुबह अपने टाइम से हुई ..लेकिन आज ' चावला ' परिवार के हर शॅक्स ने एक बड़े बदलाव के साथ अपनी पलकें खोली

किसी ने खुशी से ( निक्की ) ..किसी ने तड़प से ( कम्मो ) ..किसी ने दुखी मन से ( निकुंज ) ..तो किसी ने डर से ( निम्मी ) ..मात्र दीप ही ऐसा सदस्य रहा, जिसने एक साथ इन सारे बदलाओं को महसूस किया और स्वीकारा भी

नाश्ते की टेबल आज भी वैसी ही सजी, बस सन्नाटा ज़्यादा छाया रहा ..हर सदस्य कुछ ना कुछ सोचते हुए जुगाली करने मे व्यस्त था ..आँखें बार - बार कुछ देखने की कोशिश करती ..लेकिन ज़ुबान साथ नही दे पाती, खामोश रह जाती

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कुछ देर बाद दीप, कम्मो को शिवानी से मिलवाने ले गया और वापसी मे घर लौट-ते वक़्त कार मे उनकी सामान्य बातचीत होने लगी

" तो कैसा लगा बड़ी बहू से मिल कर ? "

दीप ने स्माइल करते हुए पूछा, वो शिवानी को अपने घर लाने मे सफल जो हो गया था ..साथ ही ससुर - बहू दोनो अपने प्यार कर इज़हार भी कर चुके थे

" अच्छी है ..लेकिन रघु के हिसाब से आप को छोटी नही लगती ..मेरा मतलब है वो ध्यान तो रख लेगी ना हमारे बेटे का ? "

कम्मो ने जवाब दिया, इस वक़्त उसके चेहरे पर मिश्रित भाव थे

" ये तो तुमने बिल्कुल सही कहा, रघु की बीमारी के मद्देनज़र उसे संभाल पाना बेहद मुश्क़िलों भरा होगा ..लेकिन कम्मो ये लड़की छोटे शहर की है, मुझे यकीन है ख़ास कर तुम्हे तो शिक़ायत का मौका देने से रही ..फिर जिन घरो मे शुरू से ही अभाव रहे हों, उन घरो की लड़कियों मे त्याग की भावना ज़्यादा रहती है ..उदाहरण स्वरूप .. ' मेरा पेट भरे या नही ..बाकी परिवार का भरना चाहिए ' "

दीप ने अपनी बात पूरी भी नही कर पाई, और कम्मो फटी आँखों से उसके होंठो को हिलता देखने लगी

" क्या हुआ !!!! मैने कुछ ग़लत कह दिया क्या ? "

दीप उसके रियेक्शन से चौक सा गया ..इस तरह आश्चर्य से उसकी बीवी ने उसे पहले कभी नही देखा था

" नही नही - कुछ नही ..मुझे शिवानी पसंद है ..कहना तो ग़लत होगा, लेकिन तनवी से ज़्यादा लगाव महसूस किया मैने शिवानी से मिल कर "

ये शब्द कम्मो के नही, उसके अंदर की ईर्ष्या बाहर निकल आई थी ..कल रात के हादसे ने उसे अपने बेटे से मीलों दूर जो कर दिया था, इतनी दूर कि वापस उसके पास जाने मे कम्मो को तनवी और यहाँ तक कि अपनी बेटी निक्की तक से सामना करना पड़ता ..बेटी तो पराया धन है, एक ना एक दिन घर से रुखसत होना ही पड़ेगा ..लेकिन बीवी मिलने के बाद निकुंज सच मे उससे कट सा जाता और जो दूरियाँ मा - बेटे के दरमियाँ आई हैं, उन्हे मिटाना असंभव हो जाएगा

" क्या हुआ - क्या सोचने लगी ? "

दीप के सवाल से कम्मो यथार्त मे लौट आई

" जी कुछ नही ..आप कहिए - क्या कह रहे थे "

कम्मो ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा

" पता है तुम्हे शिवानी से ज़्यादा लगाव क्यों महसूस हुआ ..वो इस लिए, कि कहीं ना कहीं अपनी जवानी मे तुम भी बिल्कुल उसके जैसी ही थी ..घर से भागने के बाद हम ने कितने बुरे दिन देखे, अब तो याद करने मे भी रोना आ जाता है ..छोटा सा स्टोर रूम, और अपने दोनो जुड़वा बच्चो को छाती से चिपकाए, सामने की दीवार मे तुम्हारे पैर अड़ा करते थे ..रात - रात भर मैने तुम्हारी टाँगो मे उठते दर्द को महसूस किया, जो सीधी ना हो सकने की वजह से हमेशा मूडी रहती थी ..मुझे लगता, मैं तुम्हे कोई सुख नही दे पाया ..यहाँ तक, दो नीवाले प्यार तक के...... "

दीप ने कार की स्पीड को लो करते हुए कहा ..जाने क्यों उसे लग रहा था कि अपने व्यवाहिक जीवन मे उसने कम्मो को कभी शामिल ही नही होने दिया

" बस करो जी ..वक़्त - वक़्त की बात है ..उस टाइम मेरा संसार उस छोटे से स्टोर मे सिमटा हुआ था और आज मैं इतने बड़े घर की मालकिन हूँ, कि घर का पूरा चक्कर लगाने मे मेरे पैर जवाब दे जाते हैं ..बस इसके आगे और कोई लफ्ज़ नही, मुझे समझ आ गया, आप पैसे कमाने मे इतने व्यस्त क्यों रहे ..ताकि आप का परिवार किसी भी तरह के अभाव को क्षन्मात्र के लिए भी महसूस नही कर सके "

इसके साथ ही कम्मो ने अपना सर दीप के कंडे पर टिका लिया

" चलो ठीक ..तुम्हे घर ड्रॉप करने के बाद मैं शाम की फ्लाइट की दो टिकेट्स बुक करवा दूँगा "

दीप ने कहा ..फॉरन कम्मो की आँखों की पुतलियाँ नाचने लगी ..बीती रात अंतर्मंन से की गयी सारी बातें याद आते ही उसने कहा

कम्मो :- " बाइ रोड जाना ज़्यादा कंफर्टबल रहेगा "

" बाइ रोड !!!! लेकिन फ्लाइट से तुम जल्दी पहुचोगे "

दीप का जवाब सुन कर कम्मो कुछ देर के लिए चुप हो गयी, कैसे अपनी बात मनवाई जाए इसके लिए उसने सोचना शुरू किया, लेकिन उसे जो भी करना था बेहद गति से ..और कुछ ही पलो मे उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर गयी ..शायद यही बदलाव आया था उसके अंदर कल रात के हादसे के बाद ..जो वो अपना दिमाग़ चलाने लगी थी

" देखो जी !!!! माना फ्लाइट से हम जल्दी पहुच जाएँगे ..लेकिन वापसी मे मेरे बच्चे को देख कर ये ज़ालिम दुनिया हसेगि, तरह - तरह के मूँह बानएगी ..और ये मुझसे बर्दास्त नही होगा ..कुछ भी हो मैं मा हूँ उसकी, कैसे सह लूँगी ..आप घर जा कर ' सफ़ारी ' को चेक करने भेज दें ..लौट-ते मे रघु का सर अपनी गोद मे रख कर, उसे सुलाते हुए ले आउन्गि "

इतना कह कर कम्मो चुप हो गयी, उसे अचंभा हुआ ..कितनी चतुराई से उसने अपनी बात को कह दिया .. ' हे राम !!!! ये निकुंज मुझसे और क्या - क्या करवाएगा ? '

दीप को उसकी बात जच गयी और उसने घर जाते ही पार्किंग मे खड़ी सफ़ारी को गॅरेज पर छोड़ दिया ..ये उनकी फॅमिली कार थी, जो पूरे परिवार को एक साथ टूर पर ले जाने के वक़्त काम आती ..क्यों कि मुंबई की सड़को पर बड़ी गाड़ियों को चलाना बेहद मुश्क़िल होता है

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घर आते ही कम्मो सीधी निक्की के कमरे मे एंटर हो गयी, निकुंज इस वक़्त उसके कमरे मे ही था ..लेकिन दोनो भाई-बेहन के बीच डिस्टेन्स गॅप को आज निकुंज कम नही कर पाया ..निक्की बेड पर बैठी थी और वो उससे काफ़ी दूर चेर पर

" बेटा !!!! अब कैसी तबीयत है ? "

कम्मो ने बेड पर उसके नज़दीक बैठते हुए पूछा, जिसे देख कर निकुंज की थियोरियाँ चढ़ गयी

" मोम अब बेटर है ..थॅंक्स टू भाई, जो मेरी कितनीईीईईईई केर करते हैं "

निक्की ने अपने भाई के चेहरे को देख कर स्माइल पास किया .. ' कितनी ' शब्द पर ज़ोर देने का मतलब निकुंज को हाल समझ आ गया और वो चेर से उठने लगा

" बैठो ना भाई, फिर आज तो आप दोनो पुणे जा रहे हो ..मुझे बहुत याद आएगी "

निक्की ने फिर से कहा, तो निकुंज के लिए कमरे से बाहर जाना नही हो पाया ..वो खुद भी परेशान था ..जाने कैसे अपनी बहेन के बगैर वो 2-3 दिनो तक रह पाएगा

" चल गिव मी आ हग ..मुझे भी तेरी बहुत याद आएगी "

इतना कह कर कम्मो ने अपनी बेटी को, अपनी छाति से चिपका लिया और यहीं निकुंज की झातें सुलगने लगी

" मोम कितना वक़्त बीत गया ना आप के साथ सोए हुए ..आइ मीन बचपन के बाद पहली रात थी जो आपने मुझे इस तरीके से अपने पास सुलाया
 
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