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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
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निक्की के लिए तो ये बात नॉर्मल खुशी की थी ..लेकिन दोनो मा - बेटों की नज़रें, उसकी बात से आपस मे मिल गयी ..जहाँ कम्मो ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए, वहीं निकुंज का चेहरा शरम से नीचे झुक गया ..हलाकी कम्मो इससे थोड़ा विचलित हुई, लेकिन उसे इस बात की खुशी भी थी कि अपने रूठे बेटे को मनाने के लिए काफ़ी वक़्त आ गया है उसके पास ..पुणे टूर को वो एक चॅलेंज की नज़र से देख रही थी, जिसमे कुछ भी कर के उसे निकुंज को वापस पाना था ..' कुछ भी कर के '

" बेटे तू अपना समान पॅक कर ले ..हम बाइ रोड जाएँगे ..जिससे वापसी मे रघु को साथ लाने मे दिक्कत नही होगी "

कम्मो ने कहा

" मोम कितने दिनो के लिए जा रहे हो आप दोनो ? "

निक्की ने सवाल किया

" शायद एक ही दिन मे वापस आ जाएँ ..या 2-4 दिन भी लग सकते हैं ..एक दम से प्लान बना तो हॉस्पिटल की फॉरमॅलिटीस पूरी होने मे वक़्त तो लगेगा ना "

कम्मो ने निक्की को जवाब दिया

" 2-4 दिन ..नो मोम, जल्दी आने की कोशिश करना ..मैं यहाँ अकेले बोर हो जवँगी ..यू नो, अभी तो मैं ठीक से चल भी नही सकती "

निक्की की असली तड़प थी अपने भाई से दूर हो जाना ..पर अब वो भाई कहाँ रहा, वो तो उसका पहला प्यार बन गया है

निक्की का सॅड चेहरा देख कर निकुंज को बेहद कष्ट हुआ ..जहाँ एक ओर उसके दिल मे कम्मो के लिए नफ़रत पैदा हुई थी ..वहीं दूसरी तरफ मा के गंदे मंसूबों को जान ने के बाद, अपनी बहेन के लिए एक्सट्रा केर का जनम

कम्मो :- " डोंट वरी !!!! निम्मी और तेरे डॅड तेरा ध्यान रख लेंगे ..मैने इनसे कह दिया है, 2-3 दिनो तक घर से बाहर कम ही जाएँ "

निक्की :- " निम्मी ने तो रख लिया मेरा ख़याल ..देखना मोम, यहाँ आप दोनो गये और उसकी शैतानियों मे कितना इज़ाफ़ा हो जाना है "

" वो तेरी छोटी बहेन है निक्की, उसे वक़्त देना सीख ..अगर तू ही उससे बात नही करेगी तो वो मेच्यूर कैसे होगी ..कहने को तो तुम बहने हो, बट दोनो मे ज़मीन - आसमान कर अंतर है "

अब कम्मो के लेक्चर से निकुंज का सर्द दर्द होने लगा .. ' क्या एक आप का काला साया कम पड़ता है, जो मेरी बहेन को निम्मी के सुपुर्द कर रही हो, वो कितनी बिगड़ी है मैं जानता हूँ ..बस शरम के लिहाज़ से कुछ कह नही पाता ..अब तो मुझे लगता है उसे बिगाड़ने मे भी आप हाथ होगा ..और डॅड का ब्लाइंड सपोर्ट तो उसे है ही "

निकुंज अब अपने पूरे परिवार का दुश्मन बनने को तैयार था ..सिर्फ़ निक्की के खातिर

" मैं पॅकिंग करने जा रहा हूँ ..जब चलना हो आवाज़ दे देना "

इतना कह कर निकुंज कमरे से बाहर चला गया

" मोम एक बात पूच्छू ..भाई इतना नाराज़ क्यो हैं ? "

बीते विषय से अंजान निक्की ने सवाल किया ..हलाकी उसे पता था उसका भाई खुद उसकी वजह से परेशान है, नाराज़ है ..लेकिन फिर भी वो कम्मो के मूँह से अपनी बेगुनाही सुनना चाहती थी ..एक झूट .. ' हां निक्की तेरी सोच सही है ..निकुंज तेरा प्यार है '

" हां मुझे भी थोड़ा टेन्षन मे दिख रहा है ..लेकिन तू फिकर मत कर, मैं उसका माइंड रेफ्रेश कर दूँगी ..प्रॉमिस "

कम्मो के स्माइलिंग रिप्लाइ पर निक्की ने उसे ज़ोरदार हग किया और इसी के साथ उसकी फ्रोक ऊपर उठ गयी ..कल से उसने ड्रेस चेंज नही किया था और यहाँ तक ' पी ' करने के बाद भी उसने पैंटी नही पहनी ..रीज़न कुछ भी हो बस उसका मन नही हुआ अपनी आज़ाद जवानी को वापस क़ैद करने का

" बेटा मैं अभी आई "

चूत विज़िबल होते ही कम्मो ने गेट की तरफ देखा, कहीं वापस उसे निकुंज की आँखों से सामना ना करना पड़े, ऐसा सोच कर वो तेज़ी से दरवाज़े की तरफ दौड़ पड़ी ..वहीं शरम्वश निक्की ने तुरंत फ्रोक को नीचे खीचा, जिसका दीदार उसकी मोम चन्द सेकेंड. के लिए कर चुकी थी

वापसी मे उसने कम्मो की आँखों मे कयि तरह के सवाल देखे और डर के मारे सेहेम गयी

" बेटा अभी तूने..... "

बिना पूरी बात कहे कम्मो ने पूछा ..निक्की के होश उड़ गये, जानती थी उसकी मोम का पहला सवाल यही होगा

" वो ..वो मोम मुझे याद नही रहा ..आक्च्युयली जब मैं बाथ-रूम मे चेंज करने गयी थी ..तब, तब घुटने मे दर्द इतना था कि मुझे ध्यान नही रहा "

हड़बड़ाहट मे निक्की के मूँह से टूटे - फूटे शब्द निकलने लगे ..उसने चोर नज़रो ने कम्मो के चेहरे को देखा जो ज़रा सा भी नाराज़ नही दिखाई दिया ..जान मे जान आते ही निक्की ने चैन की साँस ली और चुप हो गयी

" कोई बात नही कभी - कभी ऐसा हो जाता है ..लेकिन ध्यान रखा कर, निकुंज तेरे कमरे मे दिन - रात आता जाता है ..कहीं उसने देख लिया तो ..और फिर तेरी फ्रोक इतनी बड़ी भी नही जो हर बार ' उसे ' छुपा सके "

कम्मो ने अपनी उंगली का इशारा बेटी की टाँगो की जड़ पर करते हुए कहा ..निक्की शर्मा गयी, अगर कम्मो नाराज़ हुई होती तो निक्की के एक्सप्रेशन भी उसी हिसाब के होते

" अब आप को कैसे बताऊ मोम ..भाई के लिए ही तो मैने पैंटी नही पहनी ..मैं तो चाहती हूँ वो बार-बार मेरी पुसी को देखें ..अपनी उंगलियों से उसी तरह रब करें जैसे उन्होने पार्क मे किया था ..पर वो मेरी बात को समझते ही नही, फालतू रिश्तों का हवाला देते रहते हैं "

निक्की ने अपने मन मे कहा ..भाई की पार्क वाली हरक़त को याद कर वो फिर से मचल उठी

" मैं ला देती हूँ ..कहाँ रखी है ? "

कम्मो ने हाथ के इशारे से पूछा तो निक्की ने बाथ-रूम की तरफ इशारा कर दिया

" अच्छा वो सब तो ठीक है ..ये बता तू शेव क्यों नही करती ? "

जाने कम्मो को कल रात से क्या हो गया था, मिनट - मिनट पर वो खुलती जा रही थी, बोल्ड होती जा रही थी ..ऐसे टॉपिक पर निम्मी से उसकी कॉन्वर्सेशन अक्सर होती ..बट आज पहली बार हुआ जो उसने निक्की से इस तरह का सवाल पूछा था

" वो वो मों वो !!!! "

निक्की घबरा गयी, उसके हलक से आवाज़ आना बंद हो गयी

" चल रहने दे ..तूने आज तक अपनी मोम से इस तरह की बातें शेर नही की, तभी घबरा रही है ..लेकिन बेटा अब वो वक़्त गया ..सेक्स एजुकेशन का नालेज होना बेहद ज़रूरी है, ख़ास कर तेरी उमर की लड़कियों को ..निम्मी रेग्युलर शेव करती है, ईवन मैं भी ..जब की मेरी एज तुझसे डबल से भी ज़्यादा है ..ये तो सॉफ सफाई रखने वाली रोज़मर्रा की बातें हैं ..सो ग्रो अप माइ चाइल्ड ..अगर फिर भी तुझसे ना हो, मुझे बता देना मैं सॉफ कर दूँगी "

इतना कह कर कम्मो बाथ-रूम मे चली गयी ..वहीं निक्की का मूँह खुला रह गया, ये सोच कर कि उसकी मोम आज भी शेव करती है ..यानी डॅड .. ' नो वे ..नोट अगेन यार '

दीप का चेहरा याद आते ही उसकी चूत पनिया गयी ..निकुंज के प्यार की चिंगारी को कम्मो ने आगे बढ़ा कर आग जो बना दिया था ..सेकेंड. मे निक्की ने अपना हाथ चूत पर घुमाया और बेखोफ अपनी उंगली उसमे एंटर कर दी

" ह्म्‍म्म्मममम !!!! रिलॅक्स निक्की मोम बाथ-रूम मे हैं "

फॉरन उसने खुद को संभाला ..लेकिन इस सिचुयेशन से बाहर आने मे उसे वक़्त लगना ही था ..नयी - नयी जवानी संभाले नही सम्हल्ती ..फिर अभी तो उसने कुछ भी नही जाना था ..जिस भाई के लिए वो तड़प रही है, प्यार का नाम समझ कर ..वो प्यार नही उसकी चूत की खुजाल है और सही मायने मे इसकी शुरूवात हो चुकी थी

वहीं बाथ-रूम के अंदर जा कर कम्मो ने अपने दिल पर हाथ रख लिया, जो किसी जेनरेटर के माफिक हिल रहा था, धड़क रहा था ..विश्वास से परे कि उसने निक्की से झूट बोला .. ' आज भी शेव करती हूँ '

" कल तो बड़ा समझाया था आज कहाँ गयी ? "

थक - हार कर कम्मो ने अपने अंतर्मंन को आवाज़ दी ..लेकिन अब उससे मिलन हो पाना ज़रा मुश्क़िल था ..ये बदलाव तो कम्मो ने खुद अपने अंदर लाया है ..बेटे को वापस पाने की तड़प का नतीजा था जो उसकी ज़ुबान इतनी ज़्यादा खुल गयी थी ..दिमाग़ के घोड़े एक दम सटीक दौड़ रहे थे ..पर इन सब बातों के अलावा जो सबसे बड़ा अंतर उसने खुद के अंदर महसूस किया, वो था .. ' पिच्छले 15 बरसों मे पहली बार उसकी चूत मे हलचल पैदा हुई थी, हाथ लगाए बगैर '

" मोम फ्रेश हो रहे हो क्या ? "

काफ़ी देर से कम्मो बाथ-रूम मे घुसी थी ..निक्की ने नॉर्मल होते ही उससे सवाल किया

" अभी आई !!!! "

सिर्फ़ इतने बोल मूँह से बाहर निकाल कर उसने पल्लू से अपना चेहरा सॉफ किया, जो पसीने से तर हो चुका था ..फिर 2-3 गहरी साँसे लेने के बाद, हॅंगर पर टँगी पैंटी उतार ली ..और फाइनली बाथ-रूम से बाहर आ गयी

" अच्छा बेटा मैं भी कुछ पॅकिंग कर लूँ ..थोड़ी देर मे आती हूँ "

कम्मो से खड़ा रहना मुश्किल हो गया ..हलाकी उसकी चूत मे अभी सिर्फ़ हलचल पैदा हुई थी ..ऐसा नही कि उसे मास्टरबेट करने की इक्च्छा हो ..बस थोड़ी देर का सूना पन चाहती थी ..ठंडी हवा मे कुछ देर सोना चाहती थी

" ओक मों "

स्माइल करते हुए उसने कम्मो के हाथ से फ्रेश पैंटी ले ली ..और मा अपनी बेटी का माथा चूम कर कमरे से बाहर निकल गयी

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शाम के 7 बजे गॅरेज से सफ़ारी ले कर बंदा घर लौट आया ..दीप ने अपना क्रेडिट कार्ड कम्मो को देते हुए कुछ ज़रूरी पेपर्स भी थमा दिए

निम्मी की आँखों मे इस वक़्त सिर्फ़ मस्ती ही मस्ती छाई थी ..जबकि निक्की की पलकें आँसू बहाने को तरसने लगी ..उसने सभी के सामने निकुंज को इतनी ज़ोर से हग किया, कि एक लम्हे के लिए निकुंज की धड़कने रुक गयी, डर की वहज से नही ..बिछड़ने की वजह से ..बहेन का साहस बढ़ने के लिए उसने 2-3 बार उसकी पीठ पर नरम हाथ से सहलाया और फिर बिना पीछे मुड़े सफ़ारी की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया ..शायद निक्की के चेहरे को ना देखने का मेन रीज़न, खुद की आँखों से आँसुओं के बह जाने का ख़तरा था

" सुन शैतान दीदी का ख्याल रखना और हां आप भी 2-3 दिनो के लिए ऑफीस अवाय्ड कर दो ..बच्चियाँ अकेली रहें ठीक नही लगता "

इतना कह कर कम्मो भी सफ़ारी की फ्रंट सीट पर बैठ गयी ..लेकिन एक बहुत बड़ी चूक के साथ ..उसका मेन बॅग हॉल मे ही रखा रह गया और हाथो मे पकड़े हॅंड बॅग मे सिवाए काग़ज़ो के कुछ भी नही था ..एक कपड़ा तक नही

उनके जाते ही निम्मी आइस-क्रीम खाने को उतावली हो गयी और थक हार कर दीप वहीं से घर का मेन गेट लॉक कर, दोनो बेटियों के साथ मार्केट निकल आया .
 

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पापी परिवार--37

बहुत जल्द ही उनकी कार ' यशवंतराव छवन मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे ' पर दौड़ने लगी

निकुंज काफ़ी फास्ट जा रहा था, शायद मा का गुस्सा और बहेन से बिछड़ना इसका कारण हो ..लेकिन अगल - बगल से निकलती गाड़ियाँ, ख़ास कर ट्रक वगेरा जैसे ही सफ़ारी को छु कर निकलते, कम्मो सेहेम जाती ..आख़िरकार उसने बात की शुरूवात करते हुए निकुंज को टोक दिया

" किसी और का गुस्सा खुद पर मत निकाल ..हर बात का सल्यूशन होता है ..मैं तेरे हर सवाल का जवाब दूँगी ..स्पीड डाउन कर "

कम्मो ने नाराज़ होते हुए कहा ..रिटर्न मे निकुंज ने भी एक नज़र गुस्से से उसके चेहरे को देखा और फिर से अपनी आँखें सामने की रोड पर जमा दी

" आप जवाब नही दे पाओगि मोम ..आप ने मुझे हर्ट किया है ..अपने बेटे के दिल पर गहरी चोट की है ..आइ रियली हेट यू फॉर दट "

हलाकी कार स्पीड तेज़ी से कम होने लगी लगी थी पर निकुंज उसकी बात से सन्तुस्ट नही हुआ ..बात करते वक़्त उसकी आवाज़ मे होता कंपन कम्मो को सॉफ नज़र आया

" मैं सारे जवाब दूँगी ..तू सवाल तो कर "

कम्मो ने उस वक़्त बोल तो दिया, पर वो काफ़ी नर्वस थी, जानती थी उसके बेटे का पहला सवाल क्या होगा ..पर उसके जवाब मे वो क्या कहेगी, बस इसी सोच मे डूब गयी

" आप निक्की के रूम मे, उसके पास क्या कर रही थी ? "

निकुंज ने कार की स्पीड और भी स्लो करते हुए पूछा ..उसे देखना था, उसकी मोम की बात और चेहरे के एक्सप्रेशन मॅच करते हैं या नही ..कहीं बात को टालने का वो कोई बहाना तो नही ढूँढ रही, झूट तो नही कह रही

वहीं कम्मो अब भी रिलॅक्स बनी रही ..ज़रा भी ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी, सच मे उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा है

" मैं वहाँ उसकी वर्जिनिटी चेक कर रही थी "

इतना बोल कर कम्मो ने थोड़ी देर के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ..पहली बार अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द से उसका सामना हुआ था, भले वो उसका लाड़ला बेटा निकुंज ही क्यों ना हो

" व्हाट !!!! "

निकुंज चीखा ..उसके कानो को विश्वास ही नही हुआ कि उसकी मोम अपनी बेटी की चूत चेक करने की ग़र्ज़ से उसके कमरे मे मौजूद थी, देखने आई थी कि निक्की ने अब तक अपना मूँह काला किया या नही ..हलाकी कम्मो की बंद पलकें उसे सच बयान करने को काफ़ी थी, कि वो झूट नही कह रही ..पर फिर भी क्या रीज़न है जो उसे ऐसा कदम उठना पड़ा ..निकुंज अब ये जान ना चाहता था

" लेकिन क्यों ? "

निकुंज ने दूसरा सवाल किया ..जो पहले से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक और शर्मिंदगी से भरा हुआ था ..वो पूच्छना चाहता था कि आख़िर निक्की जैसी सीधी-साधी लड़की पर उसकी मा को शक़ क्यों हुआ

" एक मा हूँ - मेरा हक़ है "

कम्मो शांत हो गयी पर इस बार उसकी आँखों ने बंद होने की कोई कोशिश नही की

" ये कैसा हक़ जता रही हो आप ..ये तो अपनी औलाद पर शक़ करने जैसा हुआ ..फिर निक्की के चेहरे से उसकी मासूमियत का पता नही चलता आप को, जो आप उसकी ( पॉज़ ) ' वो ' चेक कर रही थी "

निकुंज थोड़ा हकला गया, इस वक़्त हालात चाहे जो भी हों ..बात तो आख़िर वो अपनी मोम से ही कर रहा था ..तो उसका झेपना लाज़मी था, हां नाराज़गी स्वरूप वो थोड़ा क्रोधित भी था

" मैने कहा ना - मेरा हक़ है "

कम्मो ने वही बात दोहरा दी ..आक्चुयल मे जो वो कहना चाह रही थी ..उसमे उसका दिमाग़ तो उसका साथ दे रहा था, लेकिन ज़ुबान खामोश थी

" कैसा हक़ - ज़रा बताना "

निकुंज ने रिटर्न मे कहा ..अब उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी थी ..ये जान ने के लिए, क्या वाकाई उसकी मोम को निक्की पर शक़ होता है, ' लेकिन क्यों ? '

" मैं नही चेक करूँगी तो कौन करेगा, आख़िर मा हूँ उसकी ..मुझे पता होना चाहिए कि मेरी बेटी का कौमार्य अब तक सेफ है या नही "
 

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जहाँ निकुंज की जिग्यासा बढ़ती जा रही थी ..वहीं कम्मो की सेहेन्शक्ति टूटने लगी ..उसे लगने लगा जैसे आज मा-बेटे के बीच की सारी मर्यादाओं का अंत निश्चित है ..लेकिन उसका दिमाग़ उसे बार-बार यही कहता रहा .. ' रुकना मत, बोलती रह ..अगर अपने पुत्र की नज़रों मे वापस उठना है तो कुछ भी कर ..लेकिन बातों का सिलसिला ख़तम मत होने देना ..फिर चाहे सच बोल या झूट, कोई फरक नही पड़ता ..कम से कम निकुंज तुझे वापस तो मिल जाएगा '

" लेकिन कोई तो वजह होगी, जो आप को मेरी प्यारी बहेन पर इतना घिनौना इल्ज़ाम लगाना पड़ा "

निकुंज की बात से बग़ावत की बू आई, जिसे कम्मो ने जल्द ही सूंघ लिया ..एक पल को उसके दिल मे आया सारा किस्सा शुरूवात से सच-सच बता दे, और अपना पीछा छुड़ा ले ..लेकिन सच जान ने के बाद निकुंज उसे कभी माफ़ नही करेगा ये तय था, पूरी ज़िंदगी वो अपने लाड़ले के मूँह से अपना नाम ' मोम ' सुनने को तरस जाएगी

" देख निकुंज, मैं तेरी मा हूँ ..अब तुझे विस्तार से तो सब नही बता सकती ..पर अगर तू जान-ना ही चाहता है, तेरी मा ने ऐसा क्यों किया ..तो प्लीज़ पहले ये लाइट बंद कर दे ..फिर चाहे जो सवाल पूच्छ लेना मुझसे, मैं इनकार नही करूँगी "

आख़िर-कार कम्मो का सबर टूट गया ..जो बात वो कहना चाहती है, और उसकी जुवान इसमे उसका साथ नही दे पा रही थी ..शायद अंधेरे मे तो उसकी हिम्मत हो भी जाती, पर रोशनी मे अपने जवान बेटे से आँख मिलाते हुए, सब कुछ कहना ..उसे मंज़ूर नही हुआ

" तो क्या हुआ मोम ..मैं अब अडल्ट हो गया हूँ ..और आप भी मोम होने से पहले एक ' औरत ' हो ( पॉज़ ) ..म ..म ..मेरा मतलब है मेरी टीचर रही हो, स्टार्टिंग से ..फिर आज भी उसी हक़ से समझा दीजिए "

ग़लती से निकुंज के मूँह से खुद के लिए ' औरत ' शब्द सुन कर कम्मो गुस्से से फट पड़ी, लेकिन ज़ाहिर ना करते हुए अपना मूँह साइड व्यू की तरफ मोड़ लिया ..उसे शॉक लगा जान कर कि उसके बेटे ने उसे, मा के दर्ज़े से मुक्त करते हुए एक आम औरत कैसे मान लिया

वहीं निकुंज का चेहरा फीका पड़ा था, ग़लतिवश उसके मूँह से काफ़ी निम्न स्तर की बात जो निकल गयी थी ..लेकिन उसके मन मे अब भी बहुत से प्रश्न थे, और उनके उत्तर जाने बागेर उसे चैन नही मिलता ..माथे पर आए पसीने को पोंछ कर उसने कम्मो के कंधे पर अपना लेफ्ट हंड रख दिया और हल्के प्रेशर से उसे सीधा बिठाने की कोशिश की ..लाइट बंद करने को राज़ी वो कभी नही होता ..शायद इसकी मैं वजह थी सत्यता को जड़ से पता करना, कम्मो अंधेरे मे जो कुछ कहती ..उसमे झूट के कणों का मिक्स्चर ज़रूर होता

" क्या है ? "

कम्मो ने अपना कंधा उच्छालते हुए कहा ..उसकी आवाज़ बेहद नाराज़गी जता रही थी

" आप अब बात को टालना चाह रही हो ..ग़लती चाहे लाख छुपाओ मोम, मैं आप का बेटा हूँ ..कभी ना कभी सच जान ही जाउन्गा "

निकुंज ने जैसे चॅलेंज ..अब वो अपनी मोम को भड़काने के मूड मे भी आने लगा था

" ह्म्‍म्म्म !!!! "

एक गहरी साँस खीच कर कम्मो सीधी हो कर बैठ गयी ..लेकिन इतनी देर मे उसने फ़ैसला कर लिया, अब वो जो भी कहेगी अपने बचाव मे कहेगी ..फिर चाहे सिर्फ़ झूट ही क्यों ना बोले ..निकुंज के चॅलेंज को एक्सेप्ट करते हुए उसने बोलना शुरू किया

" हां तू अडल्ट है, और मैं भी ..एक मा होने के नाते मैने जो किया वो सही है या ग़लत, अब इसका फ़ैसला मैने तुझ पर छोड़ा ..लेकिन याद रख निकुंज, अगर मैं सही साबित हुई तो जीवनपर्यंत का एक वचन लूँगी तुझसे "

इतना बोल कर वो चुप हो गयी

" हां ठीक है ..आप की कसम खा कर कहता हूँ ..उस एक वचन मे आप मुझे जो आदेश दोगि, मैं नही टालूँगा ..प्रॉमिस मोम प्रॉमिस "

और इसके तुरंत बाद उसने अपना हाथ कम्मो के सर पर रख दिया ..रात का समय था, अब हाइवे पर सिर्फ़ इक्का - दुक्का वाहन ही सफ़ारी के आगे पीछे चल रहे थे और रोड इतनी चौड़ी की, निकुंज को बात करते हुए ड्राइव करने मे कोई दिक्कत पेश नही आती

" तो ठीक है सुन ..मैने निक्की की वर्जिनिटी इसलिए चेक की ताकि उसका फ्यूचर सेफ देख सकूँ ..तुम लड़कों का कुछ नही जाता, अफेर करते हो और लड़की को यूज़ कर के पतली गली से निकल जाते हो ..लेकिन सोचो उस लड़की पर क्या बीत-ती होगी जो शादी के बाद अपने पति के सामने, अपने कुंवारे पन के नष्ट होने की झूठी दलीले देती फिरती है ..लेकिन फिर भी उसका पति उस पर बदचलन होने का आरोप लगा कर, अपने घर से बाहर निकाल देता है ..निक्की हो या निम्मी, इस उमर मे लड़कियों को बहुत से तनावो से गुज़रना पड़ता है, कदम - कदम फूक - फूक के रखना पड़ता है ..ज़रा सी चूक हुई और सारा भावी जीवन अंधकार मे ..मैं निक्की के साथ ऐसा पहली बार करने गयी थी .. लेकिन निम्मी के स्वाभाव के चलते मुझे हर साप्ताह उसकी ' V ' को चेक करना पड़ता है ..एक मा के नज़रिए से सोच, अगर मैं कुछ ग़लत करती हूँ तो, अपनी ग़लती मान लूँगी "

बोलते-बोलते कम्मो रुक गयी और निकुंज उसकी इस बात से सिर्फ़ चौका ही नही, वरण इस सच को उसने एक्सेप्ट भी किया ..वो खुद अब तक 3 लड़कियों की वर्जिनिटी भंग कर चुका था, और आज पता तक नही कि उसकी पुरानी गर्लफ्रेंड्स ज़िंदा भी हैं, या मर चुकी

चेहरा टर्न करके 2 सेकेंड. के लिए उसने कम्मो के फेस को देखा जो अब शरम से लाल हुआ जा रहा था, एक स्ट्रेंज टाइप की खुशी उसने अपने अंदर महसूस की ..शायद कम्मो को हाफ तो उसने माफ़ कर ही दिया

" ओके मोम ये बात आप की सही है ..बट आप सिर्फ़ देख रही होती तो कोई बात नही थी ..लेकिन आप ने वहाँ अपना .... "

ओवरऐक्साइटमेंट मे निकुंज ने फिर से उल्टा बोल दिया और जब तक दोनो इस बात का मीन समझ पाते, बहुत देर हो चुकी थी ..हड़बड़ाहट मे दोनो ने अपने फेस फ्रंट कर लिए और दूर - दूर तक फैले अंधकार को देखने लगे
 

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जहाँ कम्मो के बदन मे फूरफ़ुरी उठने लगी, वहीं निकुंज के हाथ स्टियरिंग-व्हील पर काँपने लगे

बड़ा अजीब माहॉल क्रियेट हो चुका था ..अंजाने मे ही सही निकुंज ने उससे चूत चाटने वाली बात पूछ ही ली ..कम्मो हैरान, परेशान ..क्या कहे ..क्या ना कहे

तभी उसके अंतर्मंन ने उसे टोक दिया

" सोच क्या रही है ..वचन तुझे मिल ही चुका है ..बस अब रुकना मत ..कर दे धमाल, पा ले अपने पुत्र को ..छोड़ दे मा का दामन और बन जा औरत "

कम्मो ने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिए ..अंतर्मंन की समझाइश मानने के अलावा उसके पास कोई चारा नही बचा ..उसकी आँखें लाल होने लगी, चेहरे पर कामुकता के लगातार हमलों से वो आहत सी हो गयी ..' इसका निवारण अब शीघ्र ही करना पड़ेगा ' ..ऐसा मन मे विचार कर उसने मा-बेटे के बीच की मर्यादा तोड़ने का निश्चय कर लिया

" हां मैने अपना मूँह वहाँ लगाया था ..मैं उसकी योनि चाट रही थी "

कम्मो के मूँह से निकले शब्दो ने जैसे विस्फोट कर दिया ..लगा जैसे उनकी कार पर कोई आटम बॉम्ब आ कर गिरा हो ..तुरंत निकुंज ने ब्रेक पर अपने पैर का दबाव दिया और कार कुछ पल के लिए अनबॅलेन्स हो गयी

" व्हाट आर डूयिंग !!!! साइड मे कर गाड़ी "

घबराहट मे कम्मो ने अपना हाथ निकुंज की जाँघ पर रख दिया ..और एक के बाद दूसरा झटका महसूस कर निकुंज सीट पर उच्छल पड़ा

" म ..मोम .. मैं ठीक हूँ "

निकुंज ने फॉरन अपनी मा का हाथ जाँघ से हटाने की कोशिश की और उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ी देख कर कम्मो मुस्कुरा दी ..इस वक़्त अगर वो भी अपने दिल की सही हालत शो कर देती तो उसका सर शरम से झुक जाना तय था

" सो मिस्टर. अडल्ट ..क्या हुआ ? ..इतने मे ही पस्त हो गया ..या आगे भी सुनने का इरादा है ..बिलीव मी बेटा, ये सब कोई मज़ाक नही, सब हक़ीक़त की बातें हैं "

कम्मो ने अपने हाथ के पंजे से उसकी थाइ को ताक़त से दबाया और निकुंज के मूँह से ज़ोर की सिसकारी छूट गयी ..अब वो आह मादक थी या दर्द भरी, ये तो खुद निकुंज भी नही जान पाया ..पर इससे कम्मो का मन मयूर नाच उठा, बेटा काफ़ी हद्द तक उसकी गिरफ़्त मे जो आ चुका था

" शादी के बाद जब तेरी बेटियाँ, तेरी बहनो के बराबर हो जाएँगी ..तब यक़ीनन तनवी को भी यही कदम उठाना पड़ेगा, जो मैने उठाया "

कम्मो ने उसे रिलॅक्स करते हुए कहा ..जो हाथ इस वक़्त उसने अपने बेटे की थाइ पर सिर्फ़ रखा हुआ था ..अब उसमे मूव-मेंट होना शुरू हो गया

" तू गाड़ी चला ..मैं हूँ तेरे पास "

हाथ की सेहलन से निकुंज के काँपते बदन मे जैसे भूचाल आ गया ..लेकिन चाह कर भी वो उसके हाथ को वापस नही हटा पाया, और इसके साथ फिर से सफ़ारी रोड पर दौड़ने लगी

" कुछ बोल तो सही ..सवाल बंद कर देगा तो मैं जवाब क्या दूँगी "

बेटे की दुखती रग अब कम्मो के हाथ मे थी ..अगर निकुंज चुप हो गया तो पक्का उसकी मा उसे ग़लत समझ लेगी, यही सोच कर उसने शॉर्ट मे सारी डीटेल्स पूछि

" लेकिन कोई ठोस वजह तो होगी इसके पीछे "

निकुंज की आवाज़ मे कोई दम नही बचा ..और उसने कम्मो से अपनी हार स्वीकार कर ली

" लड़की जब 18 के पार निकल जाए तो मा को उसकी चिंता करनी चाहिए ..उसकी बेटी क्या करती है, क्या सोचती है, उसके मन मे क्या विचार चल रहे हैं ..मा को पता होना चाहिए ..बदलाव की इस उमर मे लड़की का मन बहुत कोमल हो जाता है ..और उसे सहारे की ज़रूरत महसूस होने लगती है ...तुझे तो पता ही होगा, लड़को से ज़्यादा संवेदनशील अंग लड़की के होते हैं, स्ट्राव बहने की मात्रा दोगुनी हो जाती है ..और इसी कारण जनम होता है मास्टरबेशन का ..खेर लड़के तो इस से सन्तुस्ट हो भी जाएँ परंतु लड़की की योनि निरंतर आग पकड़ने लगती है, लगता है जैसे अभी किसी के साथ ग़लत संबंध बना लिए जाएँ, सेक्स कर लिया जाए ..दिमाग़ कुछ भी कहे पर योनि की माँग चाह कर भी कम नही हो पाती ..अब अगर ऐसे मे मा को उसकी हालात पर गौर नही हुआ, तो कब होगा ..बस फिर मजबूरन वो कुछ ऐसा करने लगती है जिससे कम से कम शादी से पहले तक तो उसकी बेटी का कौमार्य भंग ना हो ..हां निकुंज मैं इसीलिए निक्की की योनि को ठंडा करने आई थी ..लेकिन मेरे योनि पर मूँह लगाते ही तेरा वहाँ आना हो गया ..अब उस वक़्त तूने जो भी कयास अपने मन मे लगाए हों, मुझे फ़र्क नही पड़ता ..अगर कल भी मुझे ये सब दोबारा से करना पड़े, मैं ज़रूर करूँगी ..फिर चाहे कोई सही माने या ग़लत "
 

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कम्मो कुछ देर के लिए रुक गयी ..निकुंज एक दम शांत बैठा था ..लेकिन मा के मूँह से निकले शब्द सुन कर वो थोड़ा उत्तेजित भी था ..निक्की के बदन की गर्मी, उसका पागल पन ..बहेन-भाई के रिश्ते को तोड़ने की लालसा ..यहाँ तक की कल उसकी बहेन ने अपनी चूत मे उसके नाम की ही उंगली की थी और बाद मे कितने सरल शब्दो मे अपने पापी प्यार का इज़हार भी कर दिया था

निकुंज के मन मे हलचल सी मच गयी .. ' चोर मोम के दिल मे नही मेरे दिल मे है '

वहीं कम्मो ने उसे एक और झटका देने का फ़ैसला कर लिया ..अब उसे ये जान ना था कि उसके बेटे के शॉर्ट्स मे बहेन की पैंटी कैसे आई ..निकुंज का चेहरा कैसा होगा जब उसे कम्मो की अगली बात समझ आएगी

" निम्मी मुझसे खुली हुई है और मैं हर तरह की बात उससे शेर कर लेती हूँ ..लेकिन निक्की का नेचर ना तो मैं आज तक जान पाई ना कभी जान पाउन्गि ..कल रात जब मैं उसके कमरे मे गयी उस वक़्त तू घर पर मौजूद नही था ..घुटने की चोट पर हाथ रखते ही निक्की ने अपनी टांगे फैला ली, और उस वक़्त फ्रोक के नीचे उसने पैंटी नही पहनी थी .. ( पॉज़ ) .. ( निकुंज के बदन मे लगे झटके को कम्मो ने फॉरन महसूस कर लिया / लेकिन डाइरेक्ट्ली पॉच पाना, अब भी संभव नही था ) ..पहले तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया, क्यों कि तेरा उसके कमरे मे आना जाना सबसे ज़्यादा है ( पॉज़ ) ..( उसने निकुंज का घबराया चेहरा देखा ) ..लेकिन फिर ज़्यादा ना सोचते हुए मैं बाथ-रूम मे एंटर हो गयी ..ज़मीन पर पड़े गंदे कपड़ो मे मुझे उसकी यूज़्ड पैंटी दिखाई दी .. लेकिन उस पर वो दाग थे जिसने मेरी रूह कपा दी ..बस मैं समझ गयी आगे कुछ ग़लत हो सकता है और मैं बिना पैंटी लिए कमरे मे लौट आई ..मैने एक पल नही गवाया और अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए ..लेकिन जीभ बाहर निकालते ही तू दरवाज़े पर खड़ा दिखाई दे गया ..मैं उस वक़्त भी नही रुकती, क्यों मैं ग़लत नही थी ..अरे लड़की की बात छोड़, तेरी नीमा आंटी ने तो वो झेला है ..जिसकी तू कल्पना तक नही कर सकता "

इस टॉपिक का एंड करते हुए कम्मो ने अपने पैरो को मोड़ कर सीट पर रख लिया और कार के गेट से अपनी पीठ टिका कर, निकुंज की तरफ टर्न हो गयी ..अब उसके बेटे की हर हरक़त से वो फॉरन रूबरू हो सकती थी

" निकुंज मैं तुझ पर कोई आरोप नही लगा रही ..लेकिन निक्की से थोड़ा दूरियाँ बनाना तेरे लिए सही रहेगा ..कल को अगर नींद मे उसने तेरे सामने अपनी टांगे फैलाई होती ...... "

कम्मो ने पूरी बात नही कही, इस अधूरी बात से उसने हिंट किया कि भाई-बहेन अब बच्चे नही रहे ..एक गॅप होना ज़रूरी है ..माना दोनो मे बहुत प्यार है ..लेकिन उमर का क्या, कोई भी पिघल सकता है

अगले ही पल घबराहट मे जहाँ निकुंज ने अपनी गान्ड ऊपर उठा कर सीट को बॅलेन्स किया वहीं कम्मो को उसके जीन्स मे बने तंबू का दीदार हो गया ..और इसके साथ ही उसकी चूत मे भी सरसराहट मचने लगी ..लगा जैसे उसके बंदन मे किसी तरह के ज्वर का उठना शुरू हो गया हो

निकुंज को भी एहसास था उसकी मा किस बात की तरफ हिंट कर रही है, और वो खुद भी तो यही चाहता है, निक्की से दूरियाँ बढ़ा ले ..लेकिन जाने किस तरह का अट्रॅक्षन है भाई-बहेन के बीच, जो उसे निक्की से दूर कभी नही जाने देता

निकुंज को अपनी हालत का पूरा अनुमान था कि उसका लंड जीन्स मे की कदर तंन कर खड़ा हो गया है, लेकिन चाह कर भी उसका हाथ स्टियरिंग-व्हील से हट कर लंड को अड्जस्ट करने के लिए नीचे नही आ पा रहा था ..इस वक़्त उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हुआ कि जब कम्मो ने लाइट बंद करने को कहा था, तब उसने अपनी मोम की बात क्यों नही मानी ..और बातचीत का सिलसिला इतना आगे बढ़ चुका है, जिसे ना तो अब कम्मो रोक सकती थी ना ही निकुंज

बस अब तो उसने ऊपरवाले से यही प्रार्थना की .. ' मोम को मेरे खड़े लंड के बारे मे पता नही चले ' ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसकी सोच लंड की सिचुयेशन पर गौर करती, वो और भी ज़्यादा तंन कर दर्द का एहसास करवाने लगता
 

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" नीमा की बात इस टॉपिक से हट कर तो है ..लेकिन जहाँ मैं अपनी बेटियों के खातिर मजबूर हुई ..वही उसे अपने बेटे विक्रम के हाथो मजबूर होना पड़ा ..ये इस बात का सबूत है कि एक मा के लिए अपने बच्चे कभी पराए नही होते ..बस कभी - कभी हालात ऐसे बन जाते हैं ..जब मा को झुकना पड़ता है ..जान कर कि ये कार्य कितना घिनोना है, उसे करना पड़ता है "

[ अब जो बात कम्मो ने शुरू की वो 100 % सत्य थी, और सारे फ़सादो की जड़ भी ..नीमा उसकी एक मात्र फ्रेंड, जिसके साथ उठना बैठना कम्मो बरसो से करती आई है, दोनो बेहद घनिष्ट हैं ..जिस दिन निम्मी के साथ कम्मो का उसके घर जाना हुआ, उसी दिन निकुंज अपनी बहेन निक्की को माल ले कर गया था .. ( पिच्छले अपडेट्स मे आप पढ़ सकते है ) ..नीमा के घर से लौटने के बाद कम्मो के रूम का ए/सी शॉर्ट-सर्क्यूट करने लगा, और इससे डर कर उसने निकुंज को आवाज़ दी, जो उस वक़्त निक्की के कमरे मे मौजूद था ..सारे शक़ों की शुरूवात की यहीं से हुई ..निकुंज ध्यान नही दे पाया कि उसका लंड शॉर्ट्स मे तना सॉफ दिखाई दे रहा है और जल्दबाज़ी मे वो कम्मो के रूम मे पहुच गया ..ए/सी सुधारने के लिए उसे चेर पर चढ़ना पड़ा और नीचे कम्मो उसके पैरों को थामे खड़ी थी, ताकि वो गिर ना जाए ..इसी जद्दो-जेहद मे उसके गाल पर निकुंज के खड़े लंड ने ठोकर मार दी ..और इसके बाद के सारे हालात आप सब पढ़ ही चुके हैं ]

शक़ करना कम्मो ने उसी हादसे के बाद शुरू किया ..और जिसका अंत अब तक नही हो पाया था

" मैं जो बताने जा रही हूँ, वादा चाहूँगी हमारे बीच मे रहेगा "

कम्मो ने कहा ..और निकुंज ने अपना सर हां मे हिला कर, अपनी अनुमति प्रदान कर दी

" उस दिन मैं निम्मी के प्रॉजेक्ट को रेडी करवाने के लिए नीमा के घर गयी ..तेरी जानकारी के लिए बता दूं उसकी बेटी भी अपनी निम्मी के ही इन्स्टिट्यूट मे पढ़ती है ..आक्चुयल बात ये है, केयी दिनो से नीमा मुझसे मिलना चाह रही थी, बट मुझे घर के कामो से फ़ुर्सत नही तो वक़्त निकाल पाना बेहद मुश्क़िल था ..निम्मी का उसके घर जाना हुआ तो मैं भी साथ चली गयी ..जब दोनो लड़कियाँ स्टडी रूम मे एंटर हो गयी तब नीमा ने मुझे अपने बेड रूम मे बुलाया "

......................फ्लेश बैक ............................

मैं :- " क्या बात है, तू बहुत परेशान दिख रही है ? "

मैने उसके चेहरे पर तनाव साफ देखा ..मेरे पूछ्ते ही उसने रोना शुरू कर दिया और मजबूरन मुझे उसे सहारा देने के लिए, अपने गले से लगा पड़ा

नीमा :- " कम्मो मैं मर जाना चाहती हूँ "

उसके इतना कहते ही मैने उसके मूँह पर अपना हाथ रख दिया

मैं :- " कैसी बात करती है ..मुझे बता आख़िर बात क्या है "

कुछ देर तो उसने कुछ नही कहा ..लेकिन फिर उसके सबर का बाँध टूटने लगा और उसने जो बातें मुझे बताईं ..निकुंज मैं सच कहती हूँ, उस औरत मे बहुत शक्ति है, बहुत सेहेन्शीलता है ..उसकी जगह अगर मैं होती, तो शायद हड़बड़ाहट मे खुद को नष्ट कर लेती या पागल हो जाती

पूरी बात-चीत के दौरान पहली बार निकुंज ने अपनी मोम को इतना सीरीयस देखा, या यूँ कहें बीती ज़िंदगी मे पहली बार ..उसके लंड मे आया कॅडॅक्पन अब कम होने लगा और उसने राहत की साँस ली ..कम्मो ने फिर से बोलना शुरू किया

नीमा :- " कम्मो मैं विक्रम ( विक्की ) की वजह से बहुत दुखी हूँ .. ( विक्की उसका छोटा बेटा है ..जिसकी उमर ** है ) ..तुझे तो पता है मेरे हज़्बेंड पिच्छले 10 सालो से सिंगपुर मे पोस्टेड हैं ..साल मे एक बार घर आते भी हैं, तो सिर्फ़ 20-25 दिनो के लिए ..उनके जॉब ने उन्हे कभी फ्री नही छोड़ा ..अब मैं मुद्दे पर आती हूँ

मैं पढ़ी-लिखी हूँ तो टीचर जॉब जाय्न कर लिया, क्यों कि बच्चो के स्कूल जाने के बाद अक्सर बोरियत महसूस होने लगी थी, फिर कुछ एक्सट्रा इनकम घर मे आना बुरा भी तो नही ..एक दिन रात मे मेरी नींद खुली, हॉल मे टीवी का साउंड ज़्यादा था तो बच्चो को डाँटने की गर्ज से मैं हॉल मे चली आई ..पर जो नज़ारा मैं उस वक़्त देखा मेरी रूह काँप उठी ..विक्की सोफे की आड मे लेटा मास्टरबेट कर रहा था, टीवी पर कोई इंग्लीश मूवी देखते हुए ..हलाकी सोफे की आड़ मे वो मुझे नही दिख पाया, लेकिन उसके हाथ की पोज़िशन ऐसी थी जिससे क्लियर हो गया, वो क्या कर रहा है

मुझे गुस्सा आ गया और मैं उसे डाटने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी ..लेकिन तभी उसके मूँह से मोनिंग साउंड्स निकलने लगे और मेरे कदम फॉरन पीछे हट गये ..मैं समझ गयी वो स्खलित हो गया है

जाने क्यों मैं अपने कमरे मे वापस लौट आई, मन तो किया विक्की को अभी जा कर थप्पड़ लगाऊ ..लेकिन अगर शोर होता तो मेरी बेटी उठ जाती ..फिर मैं उसे क्या जवाब देती, मैं क्यों मार रही हूँ उसके भाई को ..मेरी बेटी जवान हो चुकी है, बेटा अब जवान हो रहा है ..लेकिन उस रात के बाद से, मैं आज तक चैन की एक नींद नही सो पाई

अगले दिन बच्चो को स्कूल भेजने के बाद मैं भी अपने जॉब पर चली गयी ..लेकिन रह - रह कर मेरे दिमाग़ मे विक्की का हाथ, टीवी पर चलती इंग्लीश मूवी और उस वक़्त मेरे बेटे के मूँह से निकली आवाज़ें, मुझे परेशान करने लगी ..मेरा सर दर्द से फटने लगा ..और फाइनली मैने अपने हज़्बेंड को कॉल करने का सोचा

मैं कॉल कर ही रही थी तभी मुझे वो दिन याद आ गया, जब मेरे हज़्बेंड ने सिंगपुर जाने से पहले बच्चो की केर करने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी थी ..हलाकी बात तो मेरी उनसे वीक्ली होती है, लेकिन चाह कर भी मैं उन्हे कॉल नही कर पाई, क्यों कि मैं अपनी ज़िम्मेदारियों पर खरा नही उतर पाई थी

अगले काई दिन तक मैने विक्की की दिनचर्या पर गौर किया तो पता चला, उसने खुद को बर्बाद करने की ठान रखी है ..दिन मे एक बार नही, दो बार नही ..जब जी मे आया मास्टरबेट शुरू कर देता ..केयी - कयि दफ़ा तो मैने दिन भर मे 7-8 बार उसे ऐसा करते देखा ..लेकिन अब तक उसे ये पता नही चलने दिया कि उसकी मा को उस पर किसी भी प्रकार का कोई शक़ है "

निकुंज की आँखें तो सड़क देख रही थी लेकिन कान बिल्कुल कम्मो के होंठो से सटे थे ..इस तरह की बातें मा- बेटे मे कभी नही हो पाती ..अगर कल रात उसने कम्मो को अपनी बहेन के कमरे मे नही देखा होता ..उसका दिल तो चीख-चीख कर कह रहा था .. ' मोम बस करो ' ..लेकिन सोच गहरी और जिग्यासा इतनी बढ़ गयी .. ' नीमा की जगह उसने कम्मो को इमॅजिन करना शुरू कर दिया और विक्की की जगह खुद को ' ..बस अब देखना यह था यहाँ जीत किस की होती .. एक बेटे की या एक मर्द की, खेर उसका पुरुषांग तो यही बता रहा था, कि वो विजय मनाने को बेहद उत्सुक है
 

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वहीं कम्मो के हाल का वर्णन करना कठिन है ..वो जान कर अपने पैर मोड बैठी थी, ताकि जब पानी सर से पार निकलने लगे, तो अपनी बिगड़ी हालत को काबू करना उसके लिए मुश्क़िल ना हो ..लेकिन इस वक़्त उसकी पैंटी का अग्र भाग इतना ज़्यादा भीग चुका था, कि उस छोटे से कपड़े की सोखन-क्षमता मानो अंत को प्राप्त चुकी थी, निकुंज के बैठने की पोज़िशन स्ट्रेट होने से कयि बार कम्मो अपनी चोर नज़र का इस्तेमाल, उसके जीन्स के फुलाव को देखने के लिए कर लेती ..ये कोई ताज्जुब करने वाली बात नही, आग इस वक़्त दो तरफ़ा है ..दोनो झड़ने के बेहद करीब थे, लेकिन चाह कर भी झाड़ नही पा रहे

कम्मो ने बात आगे बढ़ाने से पहले कुछ चिंतन करना चाहा

" जिस तरह नीमा ने विक्की को सही राह दिखाई, अगर मैने पूरा व्रतांत ज्यों का त्यों निकुंज को बताया, तो पक्का मैं स्खलित हो जाउन्गि ..एक मा हो कर भी नीमा को अपने बेटे का पूर्ण विकसित लिंग देखना पड़ा, केवल समझाइश से विक्की की आदत मे परिवर्तन लाना संभव नही, ये जान कर उस मा ने कयि बार अपने हाथो से उसके लिंग को चरम पर पहुचाया, लेकिन हालात और बदतर होते गये, दैनिक हस्तमैथुन घटने की बजाए बढ़ने लगा, नीमा समझने लगी सिर्फ़ हाथो से उसके बेटे की कामग्नी शांत नही हो पाएगी, यदि मस्ट्रबेट की टाइमिंग मे गॅप लाना है, तो उसे कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे उसके बेटे का लिंग ज़्यादा समय तक रिलॅक्स महसूस कर सके ..और एक दिन नीमा ने कंट्रोल खोते हुए लिंग को अपने मूँह मे ले लिया, शुरूवात मे तो ये उसके लिए बेहद शरम्नाक था, पर जैसे - जैसे विक्की की मनोदशा सुधरने लगी, वो इस कार्य मे बेटे की भलाई को मिश्रित करती गयी ..आज वर्तमान हालात ये हैं, नीमा रोज़ाना नियम से बेटे का लिंग दो बार चूस्ति है ..लेकिन इन सब से परे, उसके अंदर की औरत ने एक मा को मार डाला था और जनम हुआ मर्यादाओ की सीमा टूटने का ..एक मा अब अपने बेटे से संसर्ग स्थापित करने को तैयार हो चुकी थी ..जान कर उनके बीच ये अनाचारी संबंध होगा, पाप होगा "
 

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पापी परिवार--38

चिंतन पूरा होते ही कम्मो ने अपने सूखे गले को तर करने के लिए थूक का इस्तेमाल किया, और एक ऐसी खखार ..जिससे ख़ास वो अपनी सिसकी का मर्दन कर सके, च्छूपा सके ..लेकिन व्याकुल निकुंज को उस खखार के अंदर सिमटी कामुकता का ग्यान हो गया ..और उसने अपना चेहरा कम्मो की तरफ घुमाया

एक मूक प्रश्नचिनन्ह निगाह डालते निकुंज ने अपने मन मे उससे पूछा

" रुक क्यों गयी मोम, मुझसे सबर करना बेहद मुश्क़िल है ..बताइए ना, एक मा के प्रेम की सीमा उसके बेटे के प्रति कहाँ तक संभव है ..क्या जो मेरी सोच है वो सच है, क्या नीमा आंटी और उनके बेटे के बीच.... "

इसके आगे निकुंज और ज़्यादा नही सोच पाया और उसका मोबाइल बजने लगा ..चौंकते हुए दोनो ने अपनी आँखों का कॉंटॅक्ट तोड़ लिया, जैसे फोन करने वाले शक्स को उनकी मदहोश हालत का पता चल जाता ..और दोनो बदनाम हो जाते

.

.

" अच्छा ..ओके कोई बात नही ..जी मैं कह दूँगा ..हां - हां "

कुछ इस तरह के हल्के-फुल्के संवाद कर निकुंज ने कॉल कट कर दिया ..उसे तो जल्दी थी आगे का व्रतांत सुनने की, जिसे ताड़ कर कम्मो ..हैरान परेशान हो उठी, समझ गयी उसका बेटा इस पापी कथा को आगे सुनने के लिए कितना बेचैन है, लालायित है ..उसे तनिक भी लज्जा नही कि उसके सामने कोई पराई स्त्री नही, उसकी सग़ी मा बैठी है

[ जब आप किसी ग़लती मे शामिल हों, तब भी आप जान कर अंजान बने रहना चाहते हैं, मन को कयि प्रकार की दलीलें देते हैं .. ' मैं ग़लत नही हूँ ' ..लेकिन सारी दलीलें सिर्फ़ और सिर्फ़ मन को फुसलाने के बहाने होती हैं ]

दोनो का पवित्र प्रेम अब धीरे धीरे मैला होने लगा था, मन तो नंगा हुआ ही, तंन पर भी अब सिर्फ़ दिखावे मात्र को कपड़े शेष थे ..कम्मो बीच मजधार मे फसि थी, डूब जाए या हमेशा के लिए पार हो जाए ..एक ऐसा किनारा, जहाँ काफ़ी संघर्षो के बाद पहुचने पर भी ..उसकी हार निश्चित थी

.

.

इसी बीच कम्मो का सेल बजा और उनकी बातों पर थोड़ी देर का विराम और लगा गया, निकुंज के चेहरे पर जहाँ नाराज़गी आई वहीं कम्मो के होंठ फैल गये

कॉल घर से था

" हां कम्मो निकुंज से ठीक से बात नही हो पाई, शायद कार ड्राइव करने मे उसे दिक्कत हो रही होगी "

दीप ने कहा

" हां, रास्ता काफ़ी खराब था बीच मे ..खेर अभी तो सब सब ठीक है ..पर पता नही आगे फिर से खराब ना होने लगे "

कम्मो ने दुअर्थि बात करते हुए कहा ..बात कहते वक़्त उसकी निगाह बेटे के लंड से चिपकी थी ..जो कुछ देर पहले खड़ा था, फिर कुछ देर के लिए बैठा ..और अब तो शायद जीन्स फाड़ कर बाहर आने को तैयार है ..मस्ती से सराबोर वो किसी भी वक़्त बहेक सकती थी

निकुंज ने कानो के साथ अब उसकी पुतलियों का भी फोकस अपनी मा पर जम गया था, वो फॉरन जान गया कम्मो ने ये ताना उसके लंड की हालत पर मारा है ..लेकिन कहीं ना कहीं उसकी मा भी इसकी ज़िम्मेदार है, ये सोच कर वो ड्राइव करता रहा

" ह्म्‍म्म ...चलो ठीक ..मैने उसे बता दिया है कि तुम अपना बेग हॉल मे छोड़ आई हो "

दीप ने रिटर्न रिप्लाइ किया

" क्या ? "

हलाकी कम्मो चौक पड़ी, और यक़ीनन उसके मूँह से चीख भी निकल जाती ..पर दीप ने जैसे बताया निकुंज इस बात को जानता है, तो कम्मो ने उसे नॉर्माली आन्सर दिया

" कोई बात नही, उसने मुझे बता दिया है, आप टेन्षन मत लो ..मैं पुणे पहुच कर कोई ना कोई इंतज़ाम कर लूँगी "

कम्मो के झूठ बोलते ही निकुंज ने उसके चेहरे को देखा, मा-बेटे की आँखें टकराईं और उनमे धधकते काम के शोलो का मिलन हो गया ..स्माइल करते हुए कम्मो ने निकुंज को रिलॅक्स रहने का इशारा किया और बेटा वापस ड्राइव करने लगा

दीप :- " रात मे वहाँ कोई होटेल बुक कर लेना, ताकि नींद पूरी हो सके ..निकुंज भी जब तक काफ़ी थक चुका होगा "

" हां रूम बुक तो करना ही पड़ेगा ..कल का पूरा दिन हॉस्पिटल मे बिताने से पहले थकान का उतरना ज़रूरी है, फ्रेश माइंड मे डॉक्टर का कहा समझने भी दिक्कत नही होगी "

कम्मो ने रिप्लाइ किया, लेकिन यहाँ तो वो अपने साथ बेटे की भी थकन को बढती ही जा रही थी

दीप :- " अच्छा मैने दोनो बहनो को साथ सोने को कह दिया है ..अब मैं भी सोऊंगा ..पर तुम्हारी कमी आज पहली बार महसूस हो रही है, लग रहा है जैसे अकेले सोने मे डर लग रहा हो "

कम्मो :- " हां ये ठीक किया आप ने ..निक्की के साथ सोने से निम्मी रात बेरात तक जागेगी भी नही, और किसी नयी शैतानी की शुरूवात होने से भी रुक जाएगी "

" तुम्हे तो सिर्फ़ अपने बच्चो की फिकर रहती है ..मेरा हाल पूछो जान, लगता है आज रात अपने हाथ से काम चलाना पड़ेगा ..अहह !!!!! "

इसके साथ ही कम्मो हड़बड़ा गयी ..काफ़ी देर से एक ही पोज़िशन मे पैर मोड बैठे होने से उनमे ऐठ्न आना शुरू हुई और अपने आप उसके पैर सामने को पसरते चले गये ..हलाकी ऐसा करने मे उसकी कोई ग़लती नही, लेकिन अगले ही पल इस हरकत से निकुंज काँप उठा ..उसकी मा की साड़ी गियर मे फस कर उसके घुटनो तक ऊपर उठ गयी, और गोरी नंगी पिंदलियों की रगड़ खा कर निकुंज के मुँह से भी दीप जैसी आह निकल पड़ी

" मैं रखती हूँ, पहुच कर कॉल कर दूँगी "

इतना कह कर कम्मो ने जल्दी से कॉल कट कर दिया ..और अपने पैर वापस पीछे खीचने लगी ..लेकिन ठीक इसी वक़्त रोड पर एक गहरा गड्ढा आया और कार के उसमे उतरते ही, झटके के साथ उसके तलवे ने खड़े लंड को हाइ प्रेशर से दबा दिया

" मोममम्ममममममममम !!!! "

निकुंज चीखा, और कार के ब्रेक लगाते हुए, उसने उसे लेफ्ट साइड मे रोक दिया ..गड्ढे मे गाड़ी गिरने से कम्मो भी सकते मे आ गयी, लेकिन बेटे की चीख सुन कर अपनी अस्तव्यस्त हालत की परवाह किए बगैर, तेज़ी से सीधी हो कर बैठ गयी

[ आक्चुयल मे जब कम्मो अपने घुटनो को वापस मोड़ रही थी तभी कार अनबॅलेन्स हो गयी , वो सीट से नीचे गिरने लगी / और बचने की गर्ज से उसने अपनी बॉडी का पूरा भार तलवो पर दे दिया / जो निकुंज के चीखने का कारण बना ]

" निकुंज बेटा क्या हुआ ? "

उसने अंजान बनते हुए पूचछा .. निकुंज की आँखें बंद, चेहरे पर पसीना और वो बुरी तरह हाँफ रहा था ..ज़ाहिर है खड़े लंड पर कोई वेटेड चीज़ अपना दबाव दे दे , तो जान निकलना स्वाभाविक है ..वहीं निकुंज को लग रहा था जैसे उसके पंख-पखेरू उड़ते जा रहे हों ..ऐसे वक़्त मे भी उसके हाथ लंड को थाम नही पाए, कम्मो उसकी मा है और वो तय नही कर पा रहा था, लंड को हाथ लगाए या नही

" क्या हुआ कुछ बोल तो सही, आँखें खोल बेटा "

घबराई कम्मो के हाथो ने उसके गालो को पकड़ लिया, और थपथपा कर उसने अपने बेटे को चेतना देने की कोशिश की ..भारी औरत से ये तात्पर्य कतयि नही, उसका वजन मीट्रिक टन मे हो ..कम्मो सुडोल थी, गदराए बदन की मालकिन

" तू कुछ बोलता क्यों नही "

कम्मो ने उसके चेहरे पर फूक मारी, जिसके फॉरन बाद निकुंज ने अपनी पलकों को खोला, पनियाई आँखों मे छुपे दर्द को समझते ही कम्मो के हाथ बेटे के गालो से हट कर नीच्चे की तरफ जाने लगे ..वो एक अजीब पशोपेश मे आ गयी, चोट बेटे को मा की वजह से लगी ..वो भी उसके पुरुषांग मे

अंतर्मन :- " देख क्या रही है कम्मो ..बेटा तड़प रहा है, मदद कर उसकी ..कुछ देर पहले तो बहुत लेक्चर दे रही थी, मा का कर्तव्य, हक़, वगेरा वगेरा ..हिम्मत ला खुद के अंदर पगली, वो पुरुष है तो क्या हुआ ..है तो तेरा लाड़ला ही, आख़िर उसे वापस पाने के लिए ही तो तूने इतना सब कुछ किया ..अब जो करना है जल्दी कर "

कपकापाते हाथ को उसकी जाँघ पर रखते हुए कम्मो ने हल्के से थोड़ा सहलाया, और इसके फॉरन बाद उसने अपनी मर्ज़ी से बेटे की जीन्स के बटन को खोलना शुरू कर दिया ..जानती थी जब तक निकुंज होश मे नही उसका काम आसान है, लेकिन एक बार उसकी चेतना लौटी ..दर्द होने के बावजूद भी वो उसे कुछ नही करने देगा

कम्मो का सोचना सही साबित हुआ ..बटन अनलॉक होते ही निकुंज के होश उड़ गये ..ये उसकी मा क्या कर रही है, ऐसा सोचते ही उसने कम्मो के हाथो को रोकना चाहा

" आहह !!!! मोम मैं ठीक हूँ ..म ..मैं बिल्कुल ठीक हूँ "

हक़लाते स्वर मे निकुंज ने कहा परंतु उसमे इतनी शक्ति नही थी कि अपनी मा के हाथ को पकड़ सके ..शायद शरम्वश वो विस्वास था

" रुक जा ..सीट पीछे कर ले "

कम्मो ने उसे एक डाट लगाते हुए कहा ..वो अब पीछे नही हटने वाली ऐसा सोच कर निकुंज बचने का कोई बहाना ढूँढने लगा ..पर सही मायनो मे उसका लंड इस वक़्त शून्य हो चला था

" मोम मुझे टाय्लेट जाना है ..ज़ोर से..... "

निकुंज ने पुरज़ोर ताक़त खुद के अंदर समेटी और इससे पहले कम्मो अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे डाल पाती ..उसने कार का गेट ओपन कर दिया, तेज़ी दिखाते हुए वो नीचे उतरा और लंगड़ा कर दूर बनी झाड़ियों के करीब जाने लगा
 

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कम्मो हताश हो कर रह गयी, बेटे के कष्ट को उसने उसकी लड़खड़ाती चाल मे महसूस कर लिया

" अंजाने मे मुझसे ये क्या हो गया ...मैने जान कर नही किया "

खुद को कोसने के लिए उसके स्वर बाहर निकल आए, आँसू भी आ सकते थे ..परंतु इस पल उसने धैर्य से काम लेना उचित समझा ..जानती थी निकुंज उसके आँसूओ मे पिघल जाएगा, और अपनी ही ग़लती मान कर उससे और दूर जाने की कोशिश भी कर सकता है

वहीं झाड़ियों मे निकुंज ने एक बार पीछे मूड कर देखा ..कहीं उसकी मा घबराहट मे उसके साथ ही कार से बाहर नही उतर गयी हो ..रात का अंधकार कयि गुना ज़्यादा फैल चुका था और बीच सुनसान हाइवे पर किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना घट सकती थी

जाने क्यों उसका मन अब पेशाब करने को नही हुआ, ' भयवश ' की उसकी मा कार मे अकेली है ..पेशाब बाहर आता भी तो कैसे, उसने पेन की परवाह ना करते हुए खुद की हालत को सही बनाने की कोशिश की और इस बार लौट-ते वक़्त बिना कोई दर्द भरा एक्सप्रेशन दिए ड्राइविंग सीट पर बैठ गया

" उफफफफ्फ़ !!!! बहुत तेज़ लगी थी "

एक छोटी सी झूठी स्माइल पास कर उसने कार स्टार्ट कर ली और सफ़ारी वापस रोड पर दौड़ने लगी ..खुद की हालत सही बनी रहे इसके लिए निकुंज ने अपना ध्यान सिर्फ़ सड़क को देखने मे व्यस्त कर लिया, परंतु जो चोट उसके लंड पर लगी थी शायद फ्यूचर मे उसे सिर्फ़ हानि ही पहुचाती ..उसे लगने लगा जैसे लंड नाम की कोई चीज़ उसकी बॉडी से जुड़ी ही ना हो .. सब कुछ इतना अचनाक हो गया था कि एक नज़र लंड की सही हालत देखने के लिए भी उसके पास वक़्त नही रहा

" टाय्लेट कर लिया ना निकुंज ? "

एक प्रश्नवाचक भाव देते हुए कम्मो ने पूछा, बेटे का इतनी जल्दी वापस लौट आना और अब दर्द का नामो-निशान तक मिट जाना, उसके मन को शंकित करने लगा

" ह ..हां मोम ..कर लिया "

निकुंज ने जवाब दिया पर उसकी आवाज़ मे ज़रा भी दम नही था, कम्मो रिलॅक्स होने के बजाए और ज़्यादा सकते मे आ गयी

" ये मुझसे झूट बोल रहा है ..पर क्या जानता नही, मैं इसकी मा हूँ "

कम्मो शांत हो गयी ..चाहती तो थी अभी सारी बात पूच्छ ले ..अपनी शंका कर निवारण कर ले ..परंतु इस वक़्त वो सफ़र मे हैं, शायद निकुंज को उसके सवाल-जवाब से हिचकिचाहट हो ..पुणे आने मे अभी वक़्त था ..हो सकता है वो ठीक से कार ड्राइव भी नही कर पाए

कम्मो शांत बैठ गयी ..बस अपना दिमाग़ शांत नही कर पाई, बेटे को चोट लगी वो भी ऐसी जगह जिससे उसका फ्यूचर जुड़ा हुआ है ..कल को अगर ज़्यादा दिक्कत हुई, वो तनवी को क्या मूँह दिखाएगी ..क्यों हुई उसके बेटे की ऐसी हालत ..कौन ज़िम्मेदार है इसका

निकुंज लगातार ड्राइव करता रहा ..एक पल को भी उसने अपनी मा को या नीचे जीन्स की तरफ नही देखा ..ऐसा शो करने लगा जैसे थोड़ी देर पहले कुछ हुआ ही नही हो ..और इन्ही सोचो के साथ वो पुणे सिटी मे एंटर हो गये

पिच्छले 2-4 घंटो मे उनके बीच नाम मात्र का वार्तालाप नही हुआ था ..कम्मो आँख मून्दे ज़रूर बैठी रही परंतु हक़ीक़त मे उसका मन ज़ोरों से रो रहा था, चीख रहा था, चिल्ला रहा था ..बेटे की इस हालत की ज़िम्मेदार मा खुद को कोसने मे इतनी मगन थी कि उसे पता ही नही चला कब निकुंज ने सफ़ारी को एक बढ़िया से होटेल की पार्किंग मे खड़ा कर दिया

" मोम हम पुणे पहुच गये हैं "

निकुंज ने कहा और साथ ही ड्राइविंग सीट का गेट ओपन करने लगा ..अचानक से वो पलटा और कम्मो की तरफ नज़र डाली, वो सो रही है ऐसा सोच कर उसने अपना हाथ, उसके कंधे को छुने के लिए आगे बढ़ाया

" मोम को आज बहुत दुखी कर दिया मैने ..मैं कभी उनसे नज़रें नही मिला पाउन्गा, लेकिन खुद से दूर भी तो नही होने दे सकता "

उसने कम्मो के कंधे को स्पर्श किया

" मोम !!!! "

दो रस भरे बोल उसके होंठो से फुट पड़े और बेटे के मूँह से संबोधन पाकर कम्मो ने अपनी आँखें खोल दी ..वो सोई नही थी ..ज़िंदा लाश बनी लेटी थी

" होटेल मे सो जाना, चलें "

बड़े प्यार से उसने कम्मो की आँखों मे झाँका, जो प्रेम वो पिच्छले 2 दिनो मे भूल चुका था, नफ़रत मे परिवर्तित कर चुका था ..इस वक़्त कम्मो की आँखों मे देख कर जताने लगा .. ' मुझे माफ़ कर दो ..अब से आप का दिल कभी नही दुखाउन्गा "

" मैं समान उतारता हूँ "

इसके आगे या तो कम्मो रो देती या वो खुद ..फॉरन उसने कार से बाहर जाने का निर्णए लिया ..कार की बॅक सीट से लगेज उतारते ही होटेल का करम्चारि सफ़ारी के पास दौड़ा चला आया

" वेलकम सर ..आप चलिए लगेज मैं ले आउन्गा "

देरी से आने की माफी माँगते हुए बंदे ने निकुंज के हाथ से बेग ले लिया ..कम्मो भी अपना हॅंडबग लिए कार से बाहर आ गयी

काउंटर पर पहुच कर निकुंज ने डबल बेड रूम की डिमॅंड की

" बेटा सिंगल - सिंगल ले ले, तुझे प्राब्लम होगी "

कम्मो नही चाहती थी निकुंज को उसके साथ कमरा शेअर करना पड़े ..वजह थी बेटे की चोट ..कम्मो के साथ एक रूम मे वो खुद को अनकंफर्टबल महसूस नही करता और शायद उसकी परेशानियाँ घटने की बजाए और ज़्यादा बढ़ जाती

" मुझे क्या प्राब्लम होगी मोम ..यदि आप को हो तो बताओ ..सिंगल ले लेंगे "

निकुंज ने रास्ते मे ही फ़ैसला कर लिया था, कम्मो को अकेले नही छोड़ेगा ..कम से कम आज की रात तो बिल्कुल नही ..क्या पता उसकी मा खुद को कोई नुकसान पहुचा ले ..कम्मो के सॉफ दिल को वो बचपन से देखता आया था, खुद की ग़लती आज तक उसकी मा ने किसी और पर नही थोपी थी

" जैसी तेरी मर्ज़ी "

बस इतना कह कर कम्मो ने डबल रूम बुक करने की स्वीकृति दे दी ..जल्द ही दोनो रूम मे पहुच गये और कुछ देर बाद डिन्नर भी अपनी मा की पसंद का मंगवा कर, निकुंज सोफे पर लेटने के लिए चल पड़ा ( डिन्नर के वक़्त उनके दरमियाँ सिर्फ़ हल्की फुल्की आइ कॉनटॅकटिंग हुई थी, जिसे आप सब खुद इमॅजिन कर सकते हैं )

" बेवकूफ़ समझता है ..अभी इतना भी बड़ा नही हुआ कि मा के साथ सो ना सके ..चल आ इधर "

कम्मो ने उसे डाट लगाते हुए कहा ..उसे गिल्ट फील हुआ कि आज उसके बेटे को अपनी मा के साथ सोने मे शरम आ रही है, अगर ये हादसे पैदा नही हुए होते तो क्या तब भी निकुंज उससे अलग सोता .. ' कभी नही '

" मोम आप सो जाओ मैं ठीक हूँ "

निकुंज नही माना और सोफे पर लेट गया

" अब तू थप्पड़ खाने वाला है ..चल आ इधर "

कम्मो ने ज़ोर जबर दस्ती करते हुए आख़िर-कार उसे मना ही लिया ..लेकिन बेड पर आने के बाद भी उनके बीच की दूरी, दोनो मे से कोई कम नही कर सका

" सुबह पास के किसी स्टोर से शॉपिंग कर लेना ..गुड नाइट मोम "

इतना कह कर निकुंज ने उसे विश किया और लॅंप ऑफ कर के, करवट ले कर सो गया ..कम्मो की आँखें तब तक रोती रही, जब तक वो नींद मे नही जा पाई और जब नींद आई ..बाहर हल्का - हल्का उजाला निकल आया था

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सुबह के 5:30 बजे कम्मो को अपने बदन मे ठंडक का एहसास हुआ और उसकी नींद खुल गयी ..इस हिसाब से वो सिर्फ़ 30 मिनट ही सो पाई थी

आँखें खुलने के बाद उसने निकुंज की तरफ करवट लिया जो बेड पर मौजूद नही था ..घबराहट मे ही सही उसे डर लगा और वो बेड पर उठ कर बैठ गयी

" कहाँ जा सकता है ? "

तभी उसके कानो मे बाथरूम के अंदर चलते शवर की आवाज़ सुनाई पड़ी

" ये इतनी सुबह कैसे नहाने लग गया ? "

आश्चर्य से उसने बाथ-रूम के बंद गेट को देखा और उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगी ..खुद उसे भी अब पेशाब करने की तीव्र इक्षा होने लगी थी
 
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