इस ज़ोरदार जंग के बीच ..कार रोड के लेफ्ट साइड पार्क हो चुकी थी ..निम्मी का नाम कम्मो की ज़ुबान पर आते ही दीप खुद के कंट्रोल को खोने लगा ..जैसा मा का लाड़ला निकुंज वैसे ही बाप की लाडली निम्मी
वहीं एक तरीके से कम्मो अपनी छोटी बेटी के बिगड़ने का इल्ज़ाम अपने पति पर लगा चुकी थी
" छुपाओ मत ..जो उस दिन निम्मी के कमरे मे हुआ वो आप ने भी देखा था ..मैं चाहती तो डाट - डपट के उसे सुधारती ..लेकिन बच्चे प्यार से मानते हैं ..आप तो दिन - दिन भर घर से बाहर रहते हो ..मुझसे पूच्छो मैने क्या नही झेला ..जैसे - जैसे बड़ी होती जा रही है उसके कपड़े उतने ही छोटे होते जा रहे हैं ..कमरे का दरवाज़ा खुला हो या बंद ..24 घंटे नंगी पड़ी रहती है ..कोई शरम नही कि ठीक बगल वाला कमरा उसके माता - पिता का है ..एक जवान भाई भी साथ रहता है घर मे ..मैं तो अपनी जवानी मे ऐसी नही थी ..ना अभी हूँ ..कल को उसकी शादी होगी ..ससुराल वाले तो सीधे उसकी मा को ही दोष देंगे ..ये नही सिखाया ..वो नही सिखाया ..2 दिन मे तलाक़ हो जाएगा ..चलो माना मॉर्डन ज़माना है ..लेकिन हर चीज़ की आती भी तो बुरी ही होती है ..राक्षसो जैसे रात - रात भर जागना और दिन भर सोना ..ना पढ़ाई का अता - पता ..कभी गौर किया आप ने ..बेटी कहाँ जा रही है, किसके साथ है, घर लौटी भी या नही ..उसके कॉलेज तक तो गये नही आज तक ..निक्की भी तो हमारी ही औलाद है ..उसके चाल - चलन पर किसी ने टोका है आज तक ..सिर्फ़ घर की चार दीवारी मे अपनी ज़िंदगी सिमटे हुए है ..सब कुछ सह लेती मैं ..लेकिन पता है एक दिन आप की लाडली ने मेरे रघु....... "
बस इसके आगे कम्मो का गला रुंध गया ..एक लफ्ज़ भी बाहर नही निकल सका ..आँसू बह कर उसके गालो को भिगोने लगे और तुरंत ही साड़ी के पल्लू से उसने अपना रोता चेहरा छुपा लिया
दीप हैरान रह गया ..इस तरह से उसकी बीवी ने उसे ..आज तक नही झकझोरा था ..उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी
" यानी कम्मो जानती है उस दिन मैं कमरे के बाहर खड़ा था ..लेकिन मुझे इसकी भनक तक नही लगने दी "
दीप उसके एक - एक शब्द पर गौर करने लगा
" निम्मी !!!!! "
सहसा उसके जहेन मे बेटी की असली तस्वीर उतर गयी ..हलाकी कम्मो ने अभी जो कुछ भी उसे बताया ..उसमे से आधी बात तो पूरा घर जानता है ..लेकिन कुछ बातें दीप के दिल मे चोट कर गयी
' वो अभी भी नही जानता निम्मी घर पर होगी, या कहीं और ..सुबह से ले कर रात तक उसकी दिनचर्या कैसी है ..उसके कॉलेज मे क्या चल रहा है ..किस के साथ उसकी बेटी का उठना बैठना है '
' हां बेटी का सही साइज़ उसे पता है ..उसकी चूत पर बाल हैं या नही ..गांद के छेद मे सिकुड़न कितनी है ..वो कुँवारी है या नही ..उसके नंगे बदन की बू कैसी है ..ये बातें तो वो जानता है "
' अपनी रंगरेलियों के चक्कर मे उसने अपना दिमाग़ भ्रष्ट कर लिया था ..घर पर बिल्कुल ध्यान ना देना, रात - रात भर गायब रहना ..नयी - नयी लड़कियों को चोदने के खवाब ..कम्मो ठीक कह रही है ..वो पैसा कमाने की आड़ मे अपनी ज़िम्मेदारियों से हमेशा बचता आया है '
दीप ने उसके चेहरे को देखा ..पल्लू से मूँह ढके वो अभी भी सूबक रही थी ..लेकिन दीप मे इतना समर्थ नही, कि वो उसे थाम सके ..चुप करवा सके
" बोलती रहो कम्मो ..मुझे सुन ना है "
बस इतना कह कर वो शांत हो गया ..झुका चेहरा, जैसे किसी खोल मे छुपने की जगह चाह रहा था
" आप का दिल दुखाने की माफी ..लेकिन मैं बुरी तरह थक चुकी हूँ ..ऐसा लगता है, जैसे बरसों से मेरी आँखें गहरी झपकी लेने को तरस रही हों ..चाह कर भी मेरी थकान कम नही होती ..माना आप घर के बाहर की ज़िम्मेदारी संभालने मे व्यस्त रहे हों ..पर खुद के घर के अंदर क्या चल रहा है इससे, आप का कोई वास्ता नही रहा ..सुबह जल्दी उठना, सब का ध्यान रखना ..निकुंज और निक्की से मुझे कभी कोई शिकायत नही रही ..पर आप की लाडली निम्मी ने, मेरा खाना पीना तक हराम कर रखा है ..सोच - सोच कर मेरा जी इतना कमज़ोर हो चुका है, जैसे अलगे पल ही दम तोड़ दूँगी ..इसका ये मतलब नही, कि मेरा प्यार उस पर बाकी बच्चो से कम हो गया ..मेरे लिए तो चारों बराबर हैं ..अगर उससे ज़रा भी नफ़रत की होती, तो आज ये दिन आता ही नही ..मार - मार कर उसकी टाँगें तोड़ देती ..कम से कम वो सुधर तो जाती
एक जवान लड़की अपनी उत्तेजना बड़ी मूश्क़िलों से सम्भल पाती है ..आप के सामने कहना तो नही चाहिए, पर निम्मी आज - कल बहुत गरम रहने लगी है ..भगवान ना करे, उसने कोई ग़लत कदम उठा लिया ..मैं तो जीते जी मर जाउन्गि "
कम्मो ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए, बात को थोड़ी देर के लिए रोक दिया
" चुप मत हो ..आज तुम मेरी जो भी ग़लती बताओगि, मैं उसमे सुधार करूँगा ..माफी की कोई बात नही ..मैने सच मे कभी घर के अन्द्रूनि मामलो मे, हस्तक - छेप नही किया और इसका नतीजा सामने है "
इस बार दीप के मूँह से निकले स्वर बेहद गंभीरता से भरे हुए थे
" मैं आप की पत्नी हूँ ..माना हम ने सहवास करना, आज से 15 साल पहले ही छोड़ दिया था ..पर क्या आप को याद है, आप ने आख़िरी बार मुझे अपने गले से कब लगाया होगा
मैं बताती हूँ ..जब रघु का आक्सिडेंट हुआ था ..मैं चीख - चीख कर रो रही थी और आप मुझे थामे मेरा साहस बढ़ा रहे थे ..लेकिन इसके बाद आप को, मेरी सुध कभी नही आई ..रहने को तो हम एक घर मे रहते हैं, पर हमारी ज़िंदगी शेअर नही हो रही ..यही सच है "
" पहले पहल तो मुझे लगा, शायद आप रघु के हादसे को भुला नही पा रहे होंगे ..फिर कुछ दिन बाद समझ आया, कि आप पैसे कमाने मे व्यस्त हो गये हैं ..ज़रूरत तो यही कहती है, कि पैसों के बगैर कोई काम नही होता
3 लाख मन्थलि पुणे हॉस्पिटल मे जमा कर देने से, बच्चों की पढ़ाई की फीस भर देने से, घर के खर्च का जुगाड़ कर लेने से, यदि आप को लगता है, आप फ्री हो गये तो ऐसा सोचना ग़लत है ..साथ मे यह भी तो सोचो, कि पैसा जहाँ जा रहा है, वहाँ के हालात कैसे हैं ..100 की सीधी एक बात ..मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूँ ..निम्मी की ज़िम्मेदारी अब आप सम्भालो ..बाकी बच्चो का ध्यान मैं रख लूँगी "
इतना कह कर कम्मो ने बातों का सिलसिला पूरी तरह से ख़तम कर दिया
" तुम कल पुणे जा रही हो रघु को लेने ..मैं शाम की फ्लाइट मे 2 टिकेट बुक करवा दूँगा ..निकुंज भी तुम्हारे साथ जाएगा "
अचानक दीप के मूँह से निकली बात सुन कर कम्मो का दुखी चेहरा, खुशी से खिल उठा ..वो तो खुद यही चाहती थी, कि उसका बेटा घर लौट आए
" चिंता मत करो, मैं उसे भी संभाल लूँगी ..इस हालत मे उसकी शादी होना संभव नही ..तो हमारा ही फ़र्ज़ बनता है उसकी देख - भाल करना ..फिर तनवी के घर आ जाने के बाद, मेरी काफ़ी हेल्प हो जाएगी "
कम्मो ने अपना सर दीप के कंधे पर टिका लिया ..अब उसे किसी बात की कोई फिकर नही रही ..बहू के साथ - साथ उसका बेटा रघु भी घर आने वाला था और निम्मी को दीप के हवाले, वो कर ही चुकी थी
" कम्मो मैं एक और बात कहना चाहता हूँ "
इसी बीच दीप ने अपने दिमागी घोड़े दौड़ाए और उसे कुछ याद आ गया
" आगरा मे मेरा एक दोस्त रहता है ..उसकी बेटी अभी यहीं मुंबई से, कोई कोर्स कर रही है ..वैसे तो उनकी माली हालत ठीक नही पर परिवार बहुत अच्छा है "
दीप की बात, कम्मो के सर के ऊपर से निकल गयी
कम्मो :- " मैं कुछ समझी नही "
दीप :- " मैं ये कहना चाहता हूँ ..क्यों ना अपने रघु के लिए उसकी बेटी का हाथ माँग लिया जाए "
कम्मो :- " क्या !!!! आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हो ..जान कर किसी की ज़िंदगी खराब करना सही नही होगा ..वो ना तो बोल पाता है ..ना चल सकता है ..यहाँ तक क़ी उसकी बॉडी मे, कोई मूव्मेंट नही होता ..फिर शादी !!!!! "
दीप :- " तुम ग़लत समझ रही हो ..डॉक्टर्स के मुताबिक़ वो ठीक हो सकता ..हां चान्सस थोड़े कम हैं, पर उम्मीद तो है "
कम्मो :- " लेकिन कोई पिता कैसे अपनी बेटी, ऐसे इंसान के हवाले कर सकता है ..जो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश हो "
दीप :- " उसकी टेन्षन छोड़ दो ..कल सुबह तैयार रहना, मैं दोस्त से बात करने के बाद तुम्हे उसकी बेटी से मिलवाने ले जाउन्गा ..अगर रिश्ता पक्का हो गया, तो एक साथ दो बहुएँ घर मे आ जाएँगी ..फिर देखना सब कुछ पहले जैसा ही हो जाएगा "
दीप ने कम्मो के बालों पर अपना हाथ फेरते हुए कहा ..जानता था आज काफ़ी अरसे बाद, उसकी पत्नी ने दोहरी खुशी महसूस की है ..दिन मे हुए सेक्स से उसने कामो का तंन जीता था और अब उसके मन पर भी विजय प्राप्त कर ली
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