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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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दीप :- " उस वक़्त मुझे कहाँ पता था कि तुम जीत की बेटी हो "

तनवी :- " पता चल भी जाता तो भी मेरे साथ सेक्स करते ..अंकल ये जिस्मानी भूक है ..इसे जितना रोको उतनी ही बढ़ती है "

दीप :- " तुझे शायद मुझसे ज़्यादा पता है "

" ज़रूरी नही जानकारी होने से मैं रंडी बन गयी ..आज भी वर्जिन हूँ ..चाहें तो सामने बने स्टोर रूम मे चेक कर सकते हैं "

तनवी की इस जवाब से दीप निरुत्तर हो गया ..अपलक कुछ देर तक उसकी आँखों मे देखता रहा

" तनवी मैं बाहर की लाइफ कैसी भी जीता हूँ लेकिन मेरे घर मे ऐसा माहॉल नही ..मेरी दो बेटियाँ हैं ..निकुंज से छोटी ..बस डर इतना सा है ..कहीं...... "

इसके आगे दीप के शब्द नही निकले ..एक तरह से उसने अपना सच तनवी पर ज़ाहिर कर दिया

" फिकर ना करें ..कुछ ग़लत नही होगा ..घर मे जैसे सब रहते हैं मैं भी रहूंगी ..अब वापस चलिए हम काफ़ी देर से यहाँ हैं "

तनवी ने उसका हाथ अपने दोनो हाथो के बीच रखते हुए कहा ..जैसे उसे इस बात का विश्वास दिला रही हो

" देखता हूँ कब तक सब सही रहता है "

शंकित मन से दीप घर की तरफ लौटने लगा और वहीं तनवी के चेहरे पर विजयी मुस्कान तैर गयी ....
Hindi
 

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पापी परिवार--32

कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद दीप और कम्मो ने घर वापस लौटने का फ़ैसला किया

" भाई साब चाहती तो हूँ अभी हाल बहू को अपने साथ ले जाउ ..लेकिन हम इंतज़ार कर लेंगे ..अब ये हमारी अमानत बन कर रहेगी आप के पास !!!!! पंडित जी से बात होने के बाद अगला जो भी शुभ मूहूर्त होगा ..शादी उसी दिन होगी "

कम्मो ने आधी बात जीत और आधी दीप के चेहरे को देख कर कही ..तनवी हॉल से निकल कर अपने बेड - रूम जा चुकी थी ..लेकिन उसके कान बाहर से आती आवाज़ें सुनने से खुद को रोक नही पाए

" लेकिन भाभी ..तैयारियाँ !!!! "

जीत की बात बीच मे काट कर दीप ने उसे चुप करवा दिया

" फिकर मत कर ..मेरा काम ही इवेंट से जुड़ा हुआ है ..छोटा सा अरेंज्मेंट कर लेंगे ..सेलेब्रेशन मे कोई 15 - 20 मेंबर शामिल होंगे मेरी तरफ से ..बाकी तू देख लेना जिन्हे इन्वाइट करना हो ..साथ मे बच्चो के मन की भी हो जाएगी "

दीप की बात दोनो को भा गयी और इसके तुरंत बाद ..विदा ले कर पति - पत्नी जीत के घर से रुखसत हो गये

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दीप काफ़ी स्लो ड्राइविंग कर रहा था और कम्मो खुशी मे डूबी चुप - चाप उसके बगल मे बैठी थी

" इस लड़के को शरम आनी चाहिए कम्मो ..हिम्मत कैसे हुई मेरे इतने ख़ास दोस्त की शॉप पर तनवी को अपने साथ ले जाने की ..अरे सोनी जी क्या सोच रहे होंगे ..रिश्ता हुआ नही और बेशर्मी से घूमना - फिरना शुरू कर दिया "

फ्रस्ट्रेशन की आग मे जलते हुए दीप ने अपने बेटे को भी इसकी चपेट मे ले लिया ..नाराज़गी का कोई वाजिब रीज़न नही पर उसे निकुंज पर बेहद गुस्सा आ रहा था

वहीं कम्मो सपने से हक़ीक़त मे आते ही चौंक गयी ..इस तरह के लफ्ज़ उसने दीप के मूँह से कभी नही सुने थे ..ख़ास कर अपने बच्चो के लिए

फॉरन उसकी थयोरियाँ चढ़ गयी ..आख़िर उसके सबसे प्रिय बेटे को बदनाम किया जा रहा था

" ये क्या बात हुई ..अब वो ज़माना नही रहा ..जब लड़का - लड़की इंतज़ार करते थे शादी होने तक ..अरे घूम ही तो रहे थे ..फिर इसमे इतना नाराज़ होने वाली क्या बात है ? "

कम्मो भी सेम टोन मे बोली

" तो क्या आरती उतारू ..दुनिया भर की जगह हैं ..फिर ज़बरदस्ती मुझे नीचा दिखाने वाले काम क्यों करता है ? "

दोनो के बीच महायुद्ध सा छिड़ गया ..दीप अपनी दलीलें पेश करता और बचाव मे कम्मो भी पीछे नही हट - ती ..बातों ने अब लड़ाई का रूप ले लिया था

दीप :- " तुम्हारे इसी लाड प्यार का नतीजा है जो मैं बच्चो पर कभी कंट्रोल नही कर पाया "

" रहनो दो जी ..आप भी जवानी मे बिल्कुल ऐसे ही थे ..मेरी कोख को मत कोसिए ..मैने कभी नही चाहा बच्चे हद्द से बाहर जाएँ ..खुद की लाडली के करम नही दिखाई देते ..जो मेरे बेटे की छोटी सी नादानी का इतना बड़ा बतंगड़ बना कर रख दिया "

निकुंज के साथ कम्मो ने निम्मी को भी मैदान मे घसीट लिया

" निम्मी ने ऐसा क्या कर दिया ..बताना ज़रा ? "
 

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इस ज़ोरदार जंग के बीच ..कार रोड के लेफ्ट साइड पार्क हो चुकी थी ..निम्मी का नाम कम्मो की ज़ुबान पर आते ही दीप खुद के कंट्रोल को खोने लगा ..जैसा मा का लाड़ला निकुंज वैसे ही बाप की लाडली निम्मी

वहीं एक तरीके से कम्मो अपनी छोटी बेटी के बिगड़ने का इल्ज़ाम अपने पति पर लगा चुकी थी

" छुपाओ मत ..जो उस दिन निम्मी के कमरे मे हुआ वो आप ने भी देखा था ..मैं चाहती तो डाट - डपट के उसे सुधारती ..लेकिन बच्चे प्यार से मानते हैं ..आप तो दिन - दिन भर घर से बाहर रहते हो ..मुझसे पूच्छो मैने क्या नही झेला ..जैसे - जैसे बड़ी होती जा रही है उसके कपड़े उतने ही छोटे होते जा रहे हैं ..कमरे का दरवाज़ा खुला हो या बंद ..24 घंटे नंगी पड़ी रहती है ..कोई शरम नही कि ठीक बगल वाला कमरा उसके माता - पिता का है ..एक जवान भाई भी साथ रहता है घर मे ..मैं तो अपनी जवानी मे ऐसी नही थी ..ना अभी हूँ ..कल को उसकी शादी होगी ..ससुराल वाले तो सीधे उसकी मा को ही दोष देंगे ..ये नही सिखाया ..वो नही सिखाया ..2 दिन मे तलाक़ हो जाएगा ..चलो माना मॉर्डन ज़माना है ..लेकिन हर चीज़ की आती भी तो बुरी ही होती है ..राक्षसो जैसे रात - रात भर जागना और दिन भर सोना ..ना पढ़ाई का अता - पता ..कभी गौर किया आप ने ..बेटी कहाँ जा रही है, किसके साथ है, घर लौटी भी या नही ..उसके कॉलेज तक तो गये नही आज तक ..निक्की भी तो हमारी ही औलाद है ..उसके चाल - चलन पर किसी ने टोका है आज तक ..सिर्फ़ घर की चार दीवारी मे अपनी ज़िंदगी सिमटे हुए है ..सब कुछ सह लेती मैं ..लेकिन पता है एक दिन आप की लाडली ने मेरे रघु....... "

बस इसके आगे कम्मो का गला रुंध गया ..एक लफ्ज़ भी बाहर नही निकल सका ..आँसू बह कर उसके गालो को भिगोने लगे और तुरंत ही साड़ी के पल्लू से उसने अपना रोता चेहरा छुपा लिया

दीप हैरान रह गया ..इस तरह से उसकी बीवी ने उसे ..आज तक नही झकझोरा था ..उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी

" यानी कम्मो जानती है उस दिन मैं कमरे के बाहर खड़ा था ..लेकिन मुझे इसकी भनक तक नही लगने दी "

दीप उसके एक - एक शब्द पर गौर करने लगा

" निम्मी !!!!! "

सहसा उसके जहेन मे बेटी की असली तस्वीर उतर गयी ..हलाकी कम्मो ने अभी जो कुछ भी उसे बताया ..उसमे से आधी बात तो पूरा घर जानता है ..लेकिन कुछ बातें दीप के दिल मे चोट कर गयी

' वो अभी भी नही जानता निम्मी घर पर होगी, या कहीं और ..सुबह से ले कर रात तक उसकी दिनचर्या कैसी है ..उसके कॉलेज मे क्या चल रहा है ..किस के साथ उसकी बेटी का उठना बैठना है '

' हां बेटी का सही साइज़ उसे पता है ..उसकी चूत पर बाल हैं या नही ..गांद के छेद मे सिकुड़न कितनी है ..वो कुँवारी है या नही ..उसके नंगे बदन की बू कैसी है ..ये बातें तो वो जानता है "

' अपनी रंगरेलियों के चक्कर मे उसने अपना दिमाग़ भ्रष्ट कर लिया था ..घर पर बिल्कुल ध्यान ना देना, रात - रात भर गायब रहना ..नयी - नयी लड़कियों को चोदने के खवाब ..कम्मो ठीक कह रही है ..वो पैसा कमाने की आड़ मे अपनी ज़िम्मेदारियों से हमेशा बचता आया है '

दीप ने उसके चेहरे को देखा ..पल्लू से मूँह ढके वो अभी भी सूबक रही थी ..लेकिन दीप मे इतना समर्थ नही, कि वो उसे थाम सके ..चुप करवा सके

" बोलती रहो कम्मो ..मुझे सुन ना है "

बस इतना कह कर वो शांत हो गया ..झुका चेहरा, जैसे किसी खोल मे छुपने की जगह चाह रहा था

" आप का दिल दुखाने की माफी ..लेकिन मैं बुरी तरह थक चुकी हूँ ..ऐसा लगता है, जैसे बरसों से मेरी आँखें गहरी झपकी लेने को तरस रही हों ..चाह कर भी मेरी थकान कम नही होती ..माना आप घर के बाहर की ज़िम्मेदारी संभालने मे व्यस्त रहे हों ..पर खुद के घर के अंदर क्या चल रहा है इससे, आप का कोई वास्ता नही रहा ..सुबह जल्दी उठना, सब का ध्यान रखना ..निकुंज और निक्की से मुझे कभी कोई शिकायत नही रही ..पर आप की लाडली निम्मी ने, मेरा खाना पीना तक हराम कर रखा है ..सोच - सोच कर मेरा जी इतना कमज़ोर हो चुका है, जैसे अलगे पल ही दम तोड़ दूँगी ..इसका ये मतलब नही, कि मेरा प्यार उस पर बाकी बच्चो से कम हो गया ..मेरे लिए तो चारों बराबर हैं ..अगर उससे ज़रा भी नफ़रत की होती, तो आज ये दिन आता ही नही ..मार - मार कर उसकी टाँगें तोड़ देती ..कम से कम वो सुधर तो जाती

एक जवान लड़की अपनी उत्तेजना बड़ी मूश्क़िलों से सम्भल पाती है ..आप के सामने कहना तो नही चाहिए, पर निम्मी आज - कल बहुत गरम रहने लगी है ..भगवान ना करे, उसने कोई ग़लत कदम उठा लिया ..मैं तो जीते जी मर जाउन्गि "

कम्मो ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए, बात को थोड़ी देर के लिए रोक दिया

" चुप मत हो ..आज तुम मेरी जो भी ग़लती बताओगि, मैं उसमे सुधार करूँगा ..माफी की कोई बात नही ..मैने सच मे कभी घर के अन्द्रूनि मामलो मे, हस्तक - छेप नही किया और इसका नतीजा सामने है "

इस बार दीप के मूँह से निकले स्वर बेहद गंभीरता से भरे हुए थे

" मैं आप की पत्नी हूँ ..माना हम ने सहवास करना, आज से 15 साल पहले ही छोड़ दिया था ..पर क्या आप को याद है, आप ने आख़िरी बार मुझे अपने गले से कब लगाया होगा

मैं बताती हूँ ..जब रघु का आक्सिडेंट हुआ था ..मैं चीख - चीख कर रो रही थी और आप मुझे थामे मेरा साहस बढ़ा रहे थे ..लेकिन इसके बाद आप को, मेरी सुध कभी नही आई ..रहने को तो हम एक घर मे रहते हैं, पर हमारी ज़िंदगी शेअर नही हो रही ..यही सच है "

" पहले पहल तो मुझे लगा, शायद आप रघु के हादसे को भुला नही पा रहे होंगे ..फिर कुछ दिन बाद समझ आया, कि आप पैसे कमाने मे व्यस्त हो गये हैं ..ज़रूरत तो यही कहती है, कि पैसों के बगैर कोई काम नही होता

3 लाख मन्थलि पुणे हॉस्पिटल मे जमा कर देने से, बच्चों की पढ़ाई की फीस भर देने से, घर के खर्च का जुगाड़ कर लेने से, यदि आप को लगता है, आप फ्री हो गये तो ऐसा सोचना ग़लत है ..साथ मे यह भी तो सोचो, कि पैसा जहाँ जा रहा है, वहाँ के हालात कैसे हैं ..100 की सीधी एक बात ..मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूँ ..निम्मी की ज़िम्मेदारी अब आप सम्भालो ..बाकी बच्चो का ध्यान मैं रख लूँगी "

इतना कह कर कम्मो ने बातों का सिलसिला पूरी तरह से ख़तम कर दिया

" तुम कल पुणे जा रही हो रघु को लेने ..मैं शाम की फ्लाइट मे 2 टिकेट बुक करवा दूँगा ..निकुंज भी तुम्हारे साथ जाएगा "

अचानक दीप के मूँह से निकली बात सुन कर कम्मो का दुखी चेहरा, खुशी से खिल उठा ..वो तो खुद यही चाहती थी, कि उसका बेटा घर लौट आए

" चिंता मत करो, मैं उसे भी संभाल लूँगी ..इस हालत मे उसकी शादी होना संभव नही ..तो हमारा ही फ़र्ज़ बनता है उसकी देख - भाल करना ..फिर तनवी के घर आ जाने के बाद, मेरी काफ़ी हेल्प हो जाएगी "

कम्मो ने अपना सर दीप के कंधे पर टिका लिया ..अब उसे किसी बात की कोई फिकर नही रही ..बहू के साथ - साथ उसका बेटा रघु भी घर आने वाला था और निम्मी को दीप के हवाले, वो कर ही चुकी थी

" कम्मो मैं एक और बात कहना चाहता हूँ "

इसी बीच दीप ने अपने दिमागी घोड़े दौड़ाए और उसे कुछ याद आ गया

" आगरा मे मेरा एक दोस्त रहता है ..उसकी बेटी अभी यहीं मुंबई से, कोई कोर्स कर रही है ..वैसे तो उनकी माली हालत ठीक नही पर परिवार बहुत अच्छा है "

दीप की बात, कम्मो के सर के ऊपर से निकल गयी

कम्मो :- " मैं कुछ समझी नही "

दीप :- " मैं ये कहना चाहता हूँ ..क्यों ना अपने रघु के लिए उसकी बेटी का हाथ माँग लिया जाए "

कम्मो :- " क्या !!!! आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हो ..जान कर किसी की ज़िंदगी खराब करना सही नही होगा ..वो ना तो बोल पाता है ..ना चल सकता है ..यहाँ तक क़ी उसकी बॉडी मे, कोई मूव्मेंट नही होता ..फिर शादी !!!!! "

दीप :- " तुम ग़लत समझ रही हो ..डॉक्टर्स के मुताबिक़ वो ठीक हो सकता ..हां चान्सस थोड़े कम हैं, पर उम्मीद तो है "

कम्मो :- " लेकिन कोई पिता कैसे अपनी बेटी, ऐसे इंसान के हवाले कर सकता है ..जो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश हो "

दीप :- " उसकी टेन्षन छोड़ दो ..कल सुबह तैयार रहना, मैं दोस्त से बात करने के बाद तुम्हे उसकी बेटी से मिलवाने ले जाउन्गा ..अगर रिश्ता पक्का हो गया, तो एक साथ दो बहुएँ घर मे आ जाएँगी ..फिर देखना सब कुछ पहले जैसा ही हो जाएगा "

दीप ने कम्मो के बालों पर अपना हाथ फेरते हुए कहा ..जानता था आज काफ़ी अरसे बाद, उसकी पत्नी ने दोहरी खुशी महसूस की है ..दिन मे हुए सेक्स से उसने कामो का तंन जीता था और अब उसके मन पर भी विजय प्राप्त कर ली

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" बस आज आख़िरी रात बाहर बिताने की पर्मिशन दे दो ..मुझे एक अधूरा काम पूरा करने जाना है "

कम्मो को घर के सामने ड्रॉप करने के बाद उसने कहा

" मैं क्यों रोकने लगी भला ..बस जब काम ना हुआ करे, तब घर वापस लौट आया करो ..वैसे भी अब आप की लड़ली की शैतानियों से मुक्त हो चुकी हूँ ..सुबह तैयार मिलूंगी "

इतना कह कर कम्मो, स्माइल करती हुई घर के अंदर चली गयी

" उसे तो मैं भी नही संभाल पाउन्गा कभी "

खुद से बात करते हुए दीप ने कार मे गियर डाला और काफ़ी रफ़्तार के साथ, शिवानी के हॉस्टिल की तरफ बढ़ गया

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" हेलो शिवानी ..मैं दीप बोल रहा हूँ ..नामिता'स फादर "

अपनी कार हॉस्टिल से 100 मीटर. की दूरी पर रोकने के बाद, उसने शिवानी को कॉल किया

" अंकल !!!!! "

शिवानी इस वक़्त बेड पर लेटी अपने पुराने दिन याद कर रही थी ..उसने निम्मी को प्रॉमिस तो कर दिया था, कि घर लौट कर नही जाएगी ..लेकिन बिना किसी जॉब के मुंबई जैसे एक्सपेन्सिव शहर मे सर्वाइव करना बेहद कठिन है ..बस यही सोच रही थी .. ' आगे क्या होगा ? '

कॉल पर दीप की आवाज़ सुनते ही, वो झटके से बेड पर उठ कर बैठ गयी .. ' लगता है नामिता ने घर पहुच कर मेरे बारे मे बात कर ली '

दीप :- " मैं हॉस्टिल के बाहर वेट कर रहा हूँ ..ज़रूरी काम है "

शिवानी :- " मुझे अलोड नही होगा ..आप कॉल पर बता दीजिए "

दीप :- " तुमसे मिलना बहुत अर्जेंट है ..समझो "

शिवानी :- " लेकिन बात क्या है अंकल ? "

" तुम आ रही हो, या मैं हॉस्टिल के अंदर आउ "

दीप की बात सुनते ही शिवानी घबरा गयी

" अंकल प्लीज़ मुझे और बदनाम मत कीजिए ..मैं आप के साथ वो सब दोबारा नही कर सकती "

शिवानी ने समझा दीप उसे चोदने के लिए इतना बेसबर हो रहा है ..माना उस वक़्त वो मजबूर हो कर उसके पास गयी थी ..लेकिन अब तो मजबूरी ही नही रही ..फिर कैसे राज़ी हो जाती ?

" मैं अंदर आ रहा हूँ "

दीप ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा ..उसका असली मक़सद तो शिवानी को हॉस्टिल से बाहर लाना था

" नही अंकल !!!!! मैं आ रही हूँ ..आप मत आइए "

डराने - धमकाने का ये नतीजा हुआ, शिवानी को उसकी बात मान - नी पड़ी

" नाइट स्टे का बोल कर आना ..मैं उसी जगह खड़ा हूँ, जहाँ उस दिन सुबह ड्रॉप किया था "

इतना कह कर डीप ने कॉल कट कर दिया

" अभी तो 8:30 ही हुए हैं "

घड़ी मे टाइम देख कर वो शिवानी के आने की राह देखने लगा ..उसके चेहरे पर छाई दिन भर की उदासी मानो छाँट सी गयी थी

लगभग 10 मिनट बाद हॉस्टिल का गेट ओपन हुआ और शिवानी दौड़ती हुई कार के नज़दीक आने लगी ..दीप ने कार स्टार्ट कर ली और उसके आते ही गेट भी ओपन कर दिया

" बैठो "

दीप का इशारा पा कर शिवानी ड्राइविंग सीट के बगल मे बैठ गयी ..उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ी हुई थी ..एक नज़र दीप के फेस को देख कर, वो और भी ज़्यादा डर गयी ..दीप मुस्कुराते हुए उसी को घूर रहा था

" साड़ी पहेन - ना आती है तुम्हे ? "

गियर डाल कर दीप ने पूछा ..उसका सवाल इस सिचुयेशन से काफ़ी अलग था, जिसका जवाब देने से पहले शिवानी हैरत मे पड़ गयी

" जी !!!!! "

मासूम, सहमे चेहरे पर हर पल बदलते भाव दीप को खुशी के चरम पर पहुचाने के लिए काफ़ी थे ..वाकाई इस लड़की से उसे बेहद लगाव हो गया था

" लो इतना आसान सवाल तो पूछा है ..साड़ी पहेन - ना आती है तुम्हे ? "

दीप ने गियर पर रखा हाथ. बड़े प्यार से उसके कोमल गाल पर फेरते हुए कहा ..लेकिन छुने मात्र से शिवानी पीछे खिसकने लगी ..अंजाना सा डर उसे रोने पर मजबूर करने लगा था

" नही आती "

' ना ' मे अपनी गर्दन हिलाते हुए उसने इनक़ार किया ..हौले - हौले उसका स्वर धीमा होता गया

" ससुराल जाओगी तब कौन सिखाएगा साड़ी पहेन - ना ? "

दीप के मूँह से निकलती हर बात शिवानी को एक नयी पहेली लग रही थी और फाइनली इस सवाल का जवाब देने से पहले ही वो चुप हो गयी

" चलो कोई बात नही ..अब हमे उतरना चाहिए "

घबराहट मे शिवानी को अहसास तक नही हो पाया, कि कार को दीप ने एक बड़ी सी शॉप के बाहर रोक दिया था

दोनो नीचे उतर कर दुकान के अंदर चले गये ..ये वही शॉप थी जहाँ पैसे मिलने के बाद शिवानी ने शॉपिंग करने का सपना देखा था ..हलाकी इसे मात्र एक संयोग कहा जाता ..लेकिन आज वो सच - मुच इस दुकान के अंदर खड़ी थी

" एक्सक्यूस मी ..मुझे मेडम के लिए 1 एक्सपेन्सिव साड़ी लेनी है "

दीप ने काउंटर गर्ल से कहा

" जी ज़रूर सर ..एनी डिमॅंड ? "

काउंटर गर्ल ने रिप्लाइ किया

" हां ..साड़ी का कलर लाइट पिंक रहेगा और लिमिट कितनी भी चलेगी "

इतना कह कर दीप काउंटर से हट - ते हुए 1स्ट फ्लोर की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा ..शिवानी वहीं खड़ी रह गयी

" मॅम हमारे स्टोर मे हर टाइप की वेराईटीज़ मौजूद हैं ..जोर्जेट, शिफ्फॉन, कॉटन, सॅटिन, वेल्वेट, आर्ट सिल्क, नेट, चंदेरी, क्रिप एट्सेटरा. एट्सेटरा ..आप अपनी चाय्स बता दीजिए "

सेल्स गर्ल के मूँह से निकली बात सुन कर शिवानी की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी ..साड़ी मे इतनी वेराइटी उनसे 1स्ट टाइम सुनी थी

" जी उन्हे आ जाने दीजिए ..मुझे ज़्यादा नालेज नही है "

शिवानी ने भोले पन से कहा

" आप के बाय्फ्रेंड हैं ? "

एक और सवाल सुन कर शिवानी हड़बड़ा गयी ..शरम के मारे उसके गालो पर लाली छाने लगी .. ' नामिता मुझे जान से मार डालेगी ' ..ऐसा सोचते ही उसके मोती जैसे दाँत चमकने लगे

" स्टेर्स के ऊपर क्या है ? "

उंगली से सीढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए उसने पूछा ..दीप वहाँ क्यों गया, वो जान - ना चाहती थी

सेल्स गर्ल :-" 1स्ट फ्लोर पर ज्यूयलरी सेक्षन है "

" ओके "

शिवानी की जिग्यासा बढ़ने लगी ..इस तरह से दीप का उसे हॉस्टिल से बाहर बुलाना ..उसके लिए साड़ी खरीदने की डिमॅंड करना और अब ज्यूयलरी

" जाने मेरे साथ आज की रात क्या होने वाला है ..कहीं सुहाग - रात मनाने की तैयारी तो नही चल रही "

अपनी नेगेटिव सोच पर वो काँप उठी ..उसे चक्कर से आने लगे ..गले के अंदर जैसे सूखा पड़ने लगा था

शिवानी :- " एक ग्लास पानी मिलेगा "

" शुवर मॅम "

एक साँस मे पूरा ग्लास ख़तम करने के बाद जैसे ही उसने दूसरा ग्लास उठाया ..दीप सीढ़ियों से उतरता हुआ काउंटर पर वापस आ गया

" क्या हुआ पसंद नही आई ? "

एक नज़र शिवानी का फेस देखने के बाद वो सेल्स गर्ल की तरफ मूड गया

" मॅम आप के आने का वेट कर रही थीं "

इतना कह कर उसने पूरा काउंटर टेबल पिंक कलर से भर दिया ..शिवानी चुप - चाप दीप की हरक़तों पर गौर करने लगी ..उसे पक्का यकीन हो चला था, कि आज रात उसकी बुरी तरह से फटने वाली है

" हां ये पर्फेक्ट है ..इसके साथ का सारा मेटीरियल मुझे रेडी - मेड ही चाहिए ..मैं बिलिंग स्टॉल पर हूँ, पहुचा दीजिएगा "

इतना कह कर दीप ने शिवानी का हाथ थाम लिया और दोनो किसी रियल कपल की तरह, बिलिंग स्टॉल के आस - पास मंडराने लगे

" डिन्नर किया तुमने ? "

दीप के पूच्छने पर शिवानी ने ' ना ' मे अपनी गर्दन हिला दी

" क्या पॅक करवा लूँ ..आज सिर्फ़ तुम्हारी ही पसंद का खाउन्गा, वो भी इन प्यारे हाथो से "

दीप उसका लेफ्ट हॅंड ऊपर उठाते हुए बोला

" नही !!!!! सब देख रहे हैं "

शिवानी ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की

" मैं किस थोड़ी कर रहा था ..अब तुम्हारी सोच ही ऐसी है, भला इसमे मेरी क्या ग़लती "

डीप ने स्माइल दे कर कहा ..शिवानी झेप कर रह गयी

" शायद अपना पॅकेट रेडी हो गया "

दोनो बिलिंग काउंटर पर पहुच गये

" सर युवर टोटल इस ..18999/- "

जहाँ दीप ने क्रेडिट से पेमेंट किया वहीं शिवानी को ख़ासी आने लगी .. ' सिर्फ़ 1 साड़ी वो भी इतनी महेंगी '

" थॅंक यू सो मच "

लास्ट ग्रीट होने के बाद दोनो स्टोर से बाहर आ कर, कार मे बैठ गये

रास्ते मे दीप ने शिवानी की पसंद का खाना पॅक करवाया ..एक जोड़ी पिंक सॅंडल भी खरीदी

जल्द ही उनकी कार दीप के ऑफीस के अंदर पार्क हो गयी

" चलो उतरो ..ऑफीस आ गया है "

पूरे रास्ते ना तो दीप ने उसे छेड़ा था, ना ही शिवानी कुछ बोल पाई ..नतीजा इस बार भी उसे कार के रुकने का पता नही चल पाया
 

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गर्मी की मार्मिक पीड़ा को दूर करने के लिए उसके हाथो की उंगलियाँ, कमीज़ के निच्छले हिस्से को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगी ..अब तो दीप भी सो चुका था

" बेशर्म है तू पक्की "

एक मुस्कुराहट के साथ अगले ही पल उसने कमीज़ को अपने बदन से अलग कर दिया ..पसीने से लत - पथ जिस्म को ठंडी हवा मिलने के बाद भी शिवानी को सुकून नही आया और ब्रा का हुक खोल कर उसने, उसे अपनी कंमीज़ के ऊपर गिरा दिया

शरम के मारे उसका चेहरा लाल था ..जानती थी, दीप गहरी नींद मे है, फिर भी उसे अपने अंदर लज्जा की अनुभूति हो रही थी

" शादी के बाद मेरी ज़िंदगी कैसी होगी, ये तो नही पता ..लेकिन इतना ज़रूर जान गयी हूँ, अंकल बदल गये हैं ..सिर्फ़ मेरे लिए "

वो सरक्ति हुई दीप के नज़दीक आ गयी ..उसके सोते चेहरे मे शिवानी को तनाव सॉफ दिखाई दे रहा था ..चौड़ा सीना बालों से भरा और चेस्ट से नीचे जाती हेर लाइन, जिसका एंड पॉइंट कहाँ होगा, ये सोच कर उसके मोती जैसे दाँत बाहर आ गये

" कुछ भी सोचती है ..ज़रूरी तो नही हर किसी को बाल काटना पसंद हो ..हां पॅंट के अंदर सब क्लीन है, मुझे पता है "

बोलने के तुरंत बाद उसने ..अपनी बात पर, अपने हाथ से, अपने सर पर हल्की सी चपत लगा दी ..दीप के प्रति उसका नज़रिया बदलने लगा था ..हालाकी ये सही नही, सामने लेटा मर्द उसका होने वाला सुसुर है ..साथ पढ़ने वाली दोस्त नामिता का पिता भी ..लेकिन ये बात अभी उसके दिमाग़ से कोसो दूर थी ..बस इतना पता था कि डीप ने उसके हरे ज़ख़्मो पर मलम लगाया है ..उसे अपने घर की बड़ी बहू बनाने से इज़्ज़त बक्शी है ..दो दिन पहले की गयी हवाणियत की माफी माँगी है

उसका खोया प्यार अब दीप है ..यहाँ उसे कोई धोखा भी नही मिलेगा ..पैसे वाले घर की मालकिन बनेगी ..नामिता की भाभी और सबसे ख़ास बात, बेचारे रघु को इस दोज़ख़् भरी ज़िंदगी से छुटकारा दिलाने मे मदद करेगी ..वो हॉस्पिटल से डिसचार्ज हो कर अपने घर आ जाएगा, पूरे परिवार की आँखों के सामने रहेगा ..फिर क्या दिक्कत है शादी करने मे ..रही बात नीड्स की, तो अब दीप के अलावा किसी गैर मर्द के बारे मे सोचना ..अपने नये प्यार को गाली देने जैसा होगा

" मैं तैयार हूँ जी "

इतना कह कर वो खुशी से झूमती हुई, अपने प्रेमी के चेहरे पर अपना चेहरा झुकाने लगी ..जैसे - जैसे उसका चेहरा नीचे होता जाता, उसके होंठ खुलते जाते

धड़कनें थामे शिवानी का ये पहला कदम था, खुद की मंज़ूरी ज़ाहिर करने का ..अगर आज भी होंठो से शराब की गंध आ रही होती तो भी वो नही रुकती, पीछे नही हट - ती

कुछ देर तक दीप के मूँह से निकलने वाली गरम सांसो को सूंघने के बाद शिवानी ने उन्हे और बाहर नही निकलने दिया ..खुली बॉटल पर ढक्कन लगाते हुए उसने अपने होंठ दीप के होंठो से चिपका दिए

अगले ही पल दोनो के बदन मे कयि झटके लगे ..जहाँ शिवानी ने मस्ती मे आ कर अपनी आँखें बंद कर ली वहीं दीप की पॅल्को मे ..आहट हुई, कंपन हुआ

बस इसके बाद शिवानी ने अपनी आँखें दोबारा नही खोली और बड़े प्यार से उंगलियाँ, दीप की चेस्ट पर उगे घने बालो मे घुमाती हुई नींद के आगोश मे चली गयी

.
 

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इतना कह कर शिवानी आपे से बाहर हो गयी ..तेज़ी से उसने अपना हाथ सलवार के अंदर डाला और डाइरेक्ट 2 उंगलियाँ बड़ी बेरहमी से चूत की गहराई मे उतार ली

" ऊऊऊऊऊऊओ !!!!! "

होंठ राउंड शेप्ड बना कर उसने सांसो को अंदर - बाहर खीचना शुरू कर दिया ..जैसे कोई गरम पदार्थ फूक मार कर ठंडा कर रही हो

" कोई बात नही ..मैं आँखें बंद कर लेता हूँ "

अपने प्लान का लास्ट राउंड खेलते हुए दीप बेड पर लेट गया ..यहाँ तक कि करवट भी उसने ऐसी ली जिससे शिवानी उसकी बॅक साइड मे आ जाए

बड़े अचंभे से शिवानी ने उसकी इस हरक़त पर गौर किया ..विश्वास करना उसके लिए काफ़ी मुश्क़िल था ..2 दिन पहले ही वो इस इंसान की ज़्यादती का शिकार हुई थी ..लेकिन आज .. ' क्या सिर्फ़ मेरी वजह से ..मुहब्बत '

जितनी तेज़ी से उसकी उंगलियाँ चूत पर वार कर रही थी उतनी ही गति से दीप की हर बात उसके जहेन मे भ्रमण करने लगी

" मेरा बड़ा बेटा एक धोखे - बाज़ लड़की के झूठे प्यार का शिकार हुआ था ..जानते हुए भी ..लड़की चीटर है दिलो जाने से उसे चाहा ..लेकिन दिन पर दिन वो अंदर से खोखला होता गया ..एक रोज़ घर वापस लौट - ते वक़्त उसका माइंड डाइवर्ट हुआ ..नतीजा आज वो ज़िंदा लाश बन कर रह गया है "

बोलते - बोलते दीप रुक गया ..जाने क्यों शिवानी की उंगलियों ने भी अपना काम बंद कर दिया ..हाथ सलवार से बाहर खीचने के तुरंत बाद ..वो दीप को पलटाने लगी

" ज़िंदा लाश !!!! "

पलट कर सीधा लेटने पर भी दीप ने अपनी आँखें नही खोली

" हां ज़िंदा लाश ..पिच्छले 4 सालो से पुणे के फेमस मेंटल हॉस्पिटल मे भरती है ..कल उसकी मा उसे हमेशा के लिए घर वापस लाने जाएगी ..हम आज जो भी हैं सब उसकी बदोलत है ..एक वक़्त था जब कोई नया काम मिले 6 - 6 महीने बीत जाते ..पर रघु ने एक दिन के लिए भी अपने परिवार को ग़रीबी का मूँह नही देखने दिया ..जानती हो सब उसे रघु भाई कह कर बुलाते थे ..वजह थी उसका जिगर और हर - पल सच पर टिके रहने की आदत ..शायद ऊपर वाले ने मेरे कुकर्मो का बदला मेरे बेटे से लिया ..खेर तुम्हारी हां होने के बाद ही वो यहाँ आएगा ..क्यों कि उसकी देख - भाल करने मे हम सभी असमर्थ हैं ..डॉक्टर'स का तो हमेशा से कहना रहा है वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा ..लेकिन.... "

आख़िरी शब्द पर दीप वापस रुक गया ..महसूस करना चाहता था की शिवानी उसकी बातों मे कोई इंटेरेस्ट ले भी रही है ..या वो खुद से ही बातें किए जा रहा है

" लेकिन क्या !!!!! आगे भी तो कहिए और अपनी आँखें खोल लीजिए ..मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ "

शिवानी के कहने पर दीप ने अपनी आँखें खोल ली ..हलाकी जब - जब वो इस हादसे के बारे मे सोचता है ..हर बार खुद को रोने से नही रोक पाता ..आज भी उसकी आँखें नम थी

शिवानी ने एक पिता के मन की पीड़ा को महसूस करते हुए ..उसका आंकलन खुद के दर्द से किया और यहाँ वो दीप से हार गयी

" उसकी बॉडी का कोई भी पार्ट काम नही करता ..ना वो बोल पाता है ..ना चल पाता है ..ना सुन सकता है ..जहाँ बिठा दो बैठ जाएगा ..लेटा . लेट जाएगा ..माफ़ करना जो मैने तुम्हारे साथ उसकी शादी की बात छेड़ी ..वैसे सही भी तो है ..ऐसे पागल इंसान के कौन अपनी ज़िंदगी बर्बाद करना चाहेगा "

दीप ने टॉपिक का एंड करते हुए अपनी गीली आँखें वापस बंद कर ली और नींद के आगोश मे जाने की कोशिश करने लगा

वहीं शिवानी उसके द्वारा कही बातों को सोचने मे व्यस्त हो गयी ..अब आख़िरी फ़ैसला उसे करना था ..हां कहे या ना कह दे ....

थका हारा दीप कब गहरी नींद मे चला गया, पता नही ..शिवानी काफ़ी हद्द तक खुमारी की पकड़ से आज़ाद हो चुकी थी, और बेहद गंभीरता पूर्वक दीप की कही हर बात को अनलाइज़ करने मे व्यस्त थी

कुछ देर बाद जब दीप की स्नोरिंग से रूम मे आवाज़ उठना शुरू हुई तो शिवानी का ध्यान अपनी सोच से हट कर उसके सोते चेहरे पर चला गया

" इतने जल्दी किसी इंसान मे चेंजस कैसे आ सकते हैं ? "

सहसा उसके मूँह से ये सवाल निकला और उसका क्वेस्चन बिल्कुल भी ग़लत नही ..इसी कमरे मे दो दिन पहले हैवानियत का ऐसा तांडव मचा था, जिस के डर से शिवानी अब तक उबर नही पाई थी और आज जब दीप ने उसे नाइट स्टे की बात कही ..उसे लगा, जैसे दीप बीते मंज़र का बदला लेने के लिए उसे बुला रहा हो ..जो बात उनके दरमियाँ उस दिन अधूरी रह गयी थी, आज पूरी करना चाहता हो ..दीप उसे रोन्द कर रख देगा, सोच - सोच कर शिवानी पागल सी हो गयी थी

फिर शॉपिंग, उसके मूँह से निकली बातें, उसके फेस एक्सप्रेशन ..सब शिवानी की घबराहट को और भी ज़्यादा बढ़ाने लगे थे

' लेकिन ये क्या ' यहाँ तो सब कुछ उल्टा हो गया

आज दीप ने एक नज़र भी उसे ग़लत भावना से नही देखा ..वो उत्तेजित हुई थी, अगर दीप अपनी तरफ से हलका सा भी ज़ोर लगाता, वो खुद को रोक नही पाती ..कामुकता के चलते अपना सब कुछ उसके हवाले कर देती

इन सब बातों से परे दीप ने अपने हाथो से उसे खाना खिलाया, उसका सर अपनी गोद मे रख कर बॉम की मालिस दी

" यहाँ मेरी ग़लती है जो मैने, इनके सामने बेशर्मो की तरह अपनी चूत खुज़ाई ..थोड़ा तो कंट्रोल कर ही सकती थी "

खुद को डाँट लगा कर उसने आगे सोचना शुरू किया

" मुझे मास्टरबेट करते देख इन्होने अपनी आँखें बंद कर ली थी ..यहाँ तक कि अपनी पीठ मेरी तरफ करते हुए करवट ली ..ये सब कैसे ? "

अब उसकी सोच दो तरफ़ा हो गयी थी ..एक तरफ दीप, दूसरी तरफ रघु ..जहाँ दीप के बदलाव ने उसके दिल को धड़काना शुरू किया ..वहीं रघु की हालत पर उसे तरस आ रहा था

गर्मी की मार्मिक पीड़ा को दूर करने के लिए उसके हाथो की उंगलियाँ, कमीज़ के निच्छले हिस्से को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगी ..अब तो दीप भी सो चुका था
 

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पापी परिवार--33

" खाना खा लो ठंडा हो जाएगा "

जिस्मानी भूख सिर्फ़ खाने से कभी मिटी है, जो आज मिट जाती ..

इस वक़्त तो शिवानी के दिल - ओ - दिमाग़ पर बस यही बात छा गयी .. ' वो दीप के लिए उत्तेजित हुई थी '

अगली पुकार सुनने के बाद वो भी बेड पर आ कर बैठ गयी ..दीप ने जान कर खाना सिंगल प्लेट मे लगाया था

" छोड़ो हाथ गंदे मत करो ..मैं खिला देता हूँ "

ना चाहते हुए भी दीप चाल पर चाल चलने को मजबूर था ..समय की माँग ही कुछ ऐसी थी ..कैसे भी कर के अगली सुबह से पहले ..उसे शिवानी को रघु की असलियत बताने के बाद भी, शादी के लिए राज़ी करवाना था

" मूँह तो खोलो ..कहाँ खो जाती हो बार - बार "

दीप नॉर्मल बन कर उसे खाना खिलाता रहा ..सिर्फ़ तब उसके चेहरे को देखता जब, कौर उसके मूँह के अंदर करना हो ..लेकिन हर बार शिवानी अल्पक उसी की आँखों मे झाँकति दिखाई देती

डिन्नर फिनिश होने के बाद दीप ने टिश्यू पेपर से पहले शिवानी के होंठ सॉफ किए और फिर उसी पेपर से अपने होंठो को पोंछने लगा

" थोड़ा रिलॅक्स कर लो ..कल सुबह नामिता की मोम तुम्हे देखने आने वाली है ..इसी लिए मैने ये साड़ी खरीदी ..मेरे दिल मे अब कोई पाप नही तुम्हारे लिए ..बल्कि मैं तो तुमसे बेन्तेहाँ मोहब्बत..... "

बात अधूरी छोड़ कर दीप बाथ - रूम की तरफ बढ़ गया ..शिवानी की हरक़तों से सॉफ ज़ाहिर था ..वो दीप के बारे मे ही सोचने मे गुम थी

थोड़ा वक़्त और बीता ..दिमाग़ पर ज़्यादा प्रेशर देने की वजह से ,शिवानी का सर दर्द से फटने लगा ..बार - बार वो अपने हाथ से सर को दबाने लगी

दीप ने बेड से उतर कर वॉर्डरोब खोला और बॉम निकाल कर वापस बेड पर बैठ गया ..पूरे हक़ के साथ उसने बैठी शिवानी के कंधे प्रेस किए और बड़े प्यार से उसका सर अपनी गोद मे रख कर, उसके फोर्हेड पर बॉम मलने लगा

" शिवानी !!!!! "

बेहद रोमॅंटिक अंदाज़ मे दीप ने उसका नाम पुकारा ..बॉम की मालिश से रिलॅक्स हो कर शिवानी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी ..बिना पलकें खोले उसने सिर्फ़ ' ह्म्‍म्म ' से दीप की बात का रिप्लाइ किया

" तुम्हारा बदन काँप क्यों रहा है ? "

बात बिल्कुल सच थी ..थोड़ी देर पहले हुए कयि प्रकार के मानसिक आघात सहने के बाद ..चरम कामुकता को एक दम से शांत कर लेना ..यही वजह थी जो अब तक शिवानी को महसूस हो रहा था ..सलवार के अंदर पहनी पैंटी काफ़ी तीव्र गति से गीति होती जा जा है और स्राव की मात्रा अत्यधिक होने से उसका मन बार - बार अपनी चूत को सहलाने के किए मचलने लगा ..वो मास्टरबेट करना चाहती थी ..लेकिन दीप के कमरे मे मौजूद होने से चुप - चाप लेटी रही

" क्या हुआ कोई दिक्कत तो नही है ना ? "

एक के बाद एक काम - बान छोड़ते हुए दीप उसे हक़ीक़त बताने पर विवश करने लगा ..वहीं उसकी उंगलियाँ माथे पर इस तरह का घर्षण पैदा करने लगी जैसे चूत की कोमल फांको को कुरेद रहा हो

" अंकल गर्मी बहुत ज़्यादा है ..मैं नहाना चाहती हूँ "

शिवानी मे इस बार अपनी आँखें खोलते हुए कहा ..दीप की गोद से सर उठा कर उसने ' थॅंक्स ' बोला और बेड से नीचे उतरने लगी

" लेकिन बात - रूम मे तो पानी ही नही आ रहा और फिर चेंज करने के लिए दूसरे कपड़े भी तो नही तुम्हारे पास "

कुछ देर पहले दीप ने बाथ - रूम जा कर मेन टॅप बंद कर दिया था ..जानता था शिवानी ऐसी कोई डिमॅंड ज़रूर करेगी और आज तो ए/सी भी उसके फुल सपोर्ट मे आ गया था ..यहाँ गर्मी के मारे खुद उसके भी पसीने छूट रहे थे

शिवानी एक बार फिर तड़प उठी ..कैसे भी कर के उसे अपनी चूत मे हो रही खुजली शांत करनी थी ..हाथो के पंजो से बेड की चादर मरोड़ते हुए उसने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिए

" सही कह रही है गर्मी बहुत है आज ..इस ए/सी को भी आज ही बंद होना था "

इतना कह कर दीप ने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए ..शर्ट निकालने के फॉरन बाद उसने वेस्ट भी उतार कर दूर फेक दी

" ओह !!!!! अब थोड़ा आराम मिला है ..तुम लेट जाओ शिवानी शायद थकान की वजह से ऐसा हो रह होगा "

दीप ने अपना कमीन्पन ज़ारी रखते हुए कहा ..दूसरी तरफ शिवानी की आत्मा उसके शरीर का साथ छोड़ने को विवश होने लगी ..इतना भयंकर कष्ट तो उसे जीवन मे पहले कभी नही हुआ था

" माफ़ कीजिएगा अंकल ..मैं अब और सहेन नही कर पाउन्गि "
 

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पापी परिवार--34

अगली सुबह जब दीप की नींद खुली तो उसने खुद को शिवानी की बाहों मे जकड़ा पाया और आश्चर्य वश उसकी आँखें, अपनी होने वाली बड़ी बहू के अधनंगे जिस्म को महसूस कर बड़ी हो गयी

[ इस वक़्त शिवानी का राइट हॅंड दीप के गले से ऊपर की तरफ मुड़ता हुआ, उसके सर पर था और नीचे उसकी सीधी टाँग ने दीप की कमर को बेल की तरह लपेट रखा था ]

दीप ने फॉरन उसका हाथ अपनी गर्दन से हटा दिया और उठ कर बैठने से अपने आप, शिवानी की टाँग उसकी कमर से अलग हो गयी

[ अब दीप को करवट के बल लेटी शिवानी की चिकनी नंगी पीठ और दाहिना स्तन आधा बाहर निकला हुआ दिखाई देने लगा ]

बिना देरी किए बेड से नीचे उतर कर दीप सीधा बाथ - रूम मे एंटर हो गया ..जाने क्यों उसकी आँखों ने शिवानी के अधनंगे शरीर पर ठहेरने की, कोशिश तक नही की ..क्या वजह हो सकती है, ये तो वो खुद भी नही जान पाया, बस अनुमान स्वरूप उसे शिवानी की ' हां ' ज़रूर पता चल गयी थी

फ्रेश होने के बाद वो कमरे मे वापस लौटा ..गेट से अंदर आते ही उसके कदम जैसे वहीं जमे रह गये ..पीठ के बल लेट चुकी शिवानी के बूब्स, इस समय किसी पर्वत की नुकीली चोटी समान खड़े दिखाई दे रहे थे ..दीप ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया

" कैसे उठाऊ इसे ? "

घड़ी उस वक़्त सुबह के 10:30 बजा रही थी ..थोड़ी देर सोचने के बाद उसने वॉर्डरोब से एक चादर निकाली और उससे शिवानी की बॉडी को ढकना चाहा ..लेकिन इस बार उसकी आँखें उसे धोखा दे गयी गयी ..माना वो सुधारना चाहता है ..लेकिन इतने जल्दी रोज़ चुदाई करने वाला मन कैसे बदल पाता

बिखरे बाल, बंद नयन और वहाँ से हट कर, नज़रें सीधा चूचियो को घूर्ने लगी ..साँस अंदर - बाहर होने से स्तनो का आकार तेज़ी बढ़ता - घट'ता जा रहा था ..बूब्स से थोड़ा नीचे, सपाट पेट पर उसकी गहरी नेवेल, दीप का मन डोलाने लगी

अपलक जाने कितनी देर तक वो उसके नगन बदन को निहारता रहा ..उसकी खुद की हालत भी बदतर से बदतर होती जा रही थी ..हाथो मे पकड़ी चादर जैसे नीचे गिरने को, तैयार ही नही हो रही थी और तभी शिवानी ने अपनी आँखें खोल ली

" ओह शिट !!!! "

वैसे तो उसे रात मे खुद से किया फ़ैसला याद था ..बट एक दम से दीप की नज़रों को अपनी न्यूड बॉडी घूरते देख, शिवानी ने उसके हाथो से चादर छीन कर ओढ़ ली

" आइ आम सॉरी "

दीप को भी ऐसी उम्मीद नही थी वो एक दम से उठ जाएगी ..हड़बड़ाहट मे उसने सॉरी कहा और रूम के मेन गेट की तरफ बढ़ गया

" मेरी शर्ट "

पलट कर अपना चेहरा नीचे झुकाए दीप वापस लौटा और बेड के पास फ्लोर पर पड़ी रात वाली शर्ट उठा कर कमरे से बाहर निकल गया

" हे हे ..रात को तो बड़ी - बड़ी बातें कर के सोई थी ..फिर अब क्या हुआ ? "

खुद से किए सवाल से शिवानी का चेहरा खिल उठा ..बाद मे उसने भी अपने कपड़े समेटे और फ्रेश हो कर कमरे से बाहर आ गयी

( वैसे भी दीप ने सुबह टॅप को रीओपन तो कर ही दिया था )

.

.

बाहर आने के बाद शिवानी कॉरिडर के लास्ट मे पहुचि ..मिरर डोर से उसे दीप अंदर बैठा दिखाई दिया

" माजी से कब मिलना है ..फिर शाम को वो पुणे भी तो जाएँगी "

इतना बोल कर वो डोर से पीछे हट गयी ..इस वक़्त दीप के हाथो मे काग़ज़ के कुछ टुकड़े थे ..जिन्हे देखने की आड़ मे वो शिवानी के बारे मे ही सोच रहा था ..उसकी बात सुनने के बाद दीप ने उसे कॅबिन के अंदर बुलाया

" यहाँ बैठो "

उसके चेर पर बैठते ही दीप ने अपनी बात शुरू की

दीप :- " तो तुम शादी के लिए राज़ी हो ? "

शिवानी :- " जी "

" तुम्हारे घरवाले ? "

इस सवाल ने शिवानी के मूँह पर ताला लगा दिया ..वाकाई उसने इस बारे मे ध्यान नही दिया था

" नंबर दो मैं बात कर लेता हूँ "

शिवानी ने इनकार मे अपना सर हिला दिया

दीप :- " उन्हे बताए बगैर शादी कैसे होगी ? "

शिवानी :- " वो कभी नही मानेंगे "

दीप :- " क्यों ? "

शिवानी :- " हमारी कॅस्ट अलग हैं ..वैसे भी अशोक के साथ मुझे भाग कर शादी करनी पड़ती "

दीप :- " लेकिन उनकी मर्ज़ी के बिना ..अभी तुम्हारे अंदर इतनी मेचुरिटी नही है ..किसी प्रेशर मे आ कर हां मत करना ..तुम्हारी लाइफ के साथ हम सब की लाइफ भी खराब हो सकती है "

शिवानी :- " अंकल एक बात कहु "

दीप :- " बोलो "

" आप के बेटे का सच जान ने के बाद भी आप को रिश्तो की कोई कमी नही होगी ..अमीर हैं ना ..लेकिन सपने मे भी मेरा रिश्ता इतने बड़े घर मे नही हो पाता ..ये भी सच है ..4 रोटी आप खिलाओ या कोई और ..नोट खा कर तो पेट भरता नही ..तो ये मत सोचिएगा कि मैं पैसो के चक्कर मे शादी के लिए हां कर रही हूँ ..नही तो बाद मे आग लगा कर या गला दबा कर, आपको अपनी बहू की जान लेने की कोशिश करनी पड़े ..अट लास्ट, जितना रघु जी के लिए मुझसे होगा, मैं करूँगी "
 

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शिवानी चुप हो गयी और उसकी बात सुन कर दीप को उतनी ही खुशी हुई ..जितनी कम्मो को तनवी से मिलने के बाद हुई थी

दीप :- " साड़ी पहेन कर तैयार हो जाओ ..तुम्हे किसी मंदिर मे छोड़ने के बाद मैं नामिता की मा को वहाँ ले कर आ जाउन्गा ..नॉर्मली जवाब देना ..मैने उसे बोला है तुम्हारे पेरेंट्स मेरे परिचित हैं ..बाकी मैं संभाल लूँगा "

शिवानी :- " लेकिन मुझे साड़ी पहेन ना नही आती "

दीप ;- " वो भी मुझे सीखाना पड़ेगा क्या ? "

" मैं मेच्यूर नही हूँ, अभी आप ही ने कहा था ..तो अब से मेरी सारी ज़िम्मेदारी आप के ऊपर और आप के बेटे ही देखभाल का जिम्मा मेरे ऊपर "

यहाँ शिवानी ने डबल मीनिंग बात की ..ज़िम्मेदारी वर्ड से उसका मतलब फिज़िकल नीड से था ..जो दीप को भी समझ आ गया

" ह्म्‍म्म !!!!! तुम वो पॅकेट खोलो ..मैं अभी आया "

बात को समझने के बाद भी दीप ने नॉर्मली जवाब दिया और खुश हो कर शिवानी कॅबिन से बाहर निकल गयी ..इनडाइरेक्ट वे मे अपने मन की बात उसने दीप पर ज़ाहिर जो कर दी थी

" कम्मो के बाद ये दूसरी लड़की है जो दिल मे उतर कर रह गयी ..जाने कितने दिन खुद को रोक पाउन्गा "

आख़िर दिल मे छुपि बात होंठो तक आ ही गयी ..दीप खुश भी था और दुखी भी ..जहाँ एक तरफ शिवानी उसका दूसरा प्यार बनी वहीं कुछ दिन बाद उसके घर की बड़ी बहू भी बन ने वाली थी

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" क्या पता मेरी बात का मतलब उन्हे समझ आया भी या नही "

सोचते हुए शिवानी ने पॅकेट से सारा सामान बाहर निकाल लिया ..दीप ने उसके लिए कितनी एक्सपेन्सिव साड़ी खरीदी थी ..पहली बार उसके ग़रीब बदन पर इतना महनगा कपड़ा सजने वाला है ..खुशी से सराबोर उसकी आँखों की कीनोर छलक उठी

" मैं अंदर आ जाउ "

दीप की आवाज़ सुन वो पलटी ..साड़ी को उसने अपनी छाति से चिपका रखा था

" जी "

सिर्फ़ दो शब्दो मे जवाब दे कर उसने, साड़ी को दीप के सुपुर्द करने के लिए अपने दोनो हाथ आगे कर दिए

" बिना नहाए मंदिर जाओगी ? "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए पूछा ..खुद उसने भी अब तक नही नहाया था

" पर मेरे पास .... "

शिवानी ने बात को अधूरा छोड़ दिया

" क्या तुम्हारे पास ? "

क्वेस्चन मार्क चेहरा बना कर दीप ने रिप्लाइ किया

" जी वो मेरे पास एक जोड़ी अंडरगारमेंट हैं ..वो भी कल रात गंदे हो गये "

शिवानी लज्जित हो गयी वहीं दीप को उसकी मासूमियत पर बड़ा प्यार आया

" तो अब क्या करें ..फ्रेश साड़ी के अंदर क्या पहनोगी ? "

दीप उसे छेड़ता हुआ बोला

" आप ही की वजह से गंदे हुए हैं ..तो अब आप ही कुछ कीजिए "

शिवानी ने साड़ी ऊपर उठा कर दीप से परदा कर लिया ..उनके बीच होती बातें एक ससुर - बहू के रीलेशन से बिल्कुल अलग थी

" मैने क्या किया ..तुम ने खुद वहाँ हाथ डाला था ..ज़रा भी कंट्रोल नही तुम्हारे अंदर "

दीप ने फिर चिकोटी काटी ..पर्दे के पीछे उसकी बात सुन कर शिवानी का मूँह खुला रह गया ..हाथ नीचे कर उसने एक बार दीप से अपनी नज़रे मिलाई और फिर तुरंत परदा ज्यों का त्यों बना लिया

"आप ने मजबूर किया था ऐसा करने के लिए "

शिवानी अगली आवाज़ के इंतज़ार मे चुप हो गयी ..कल रात की बची खुमारी उसके चेहरे पर वापस लौटने लगी ..अंतर बस इतना है, आज वो इस मदहोशी से बाहर नही आना चाहती थी

" शिवानी !!!! "

उसे चुप देख दीप ने उसका नाम पुकारा

" ह्म्‍म्म्म !!!! "

कल रात की तरह इतने से जवाब के अलावा, उसके मूँह से और कुछ नही निकल पाया

" क्या मुझसे प्यार करने लगी हो ? "

सवाल पूछ्ते वक़्त दीप की वाय्स बेहद लो हो गयी ..लेकिन फिर भी शिवानी ने बिल्कुल क्लियर सुना ..उसने फॉरन अपनी आँखें बंद कर चेक किया, तो उनके अंदर उभरने वाली तस्वीर उसके ससुर की ही थी

" हां !!!! "

झटके से सारी को बेड पर फेक वो दौड़ती हुई सीधा दीप के गले से जा चिपकी

" उस दिन के बाद, आज भी मुझे मजबूर किया ..बहुत गंदे हो आप "

शिवानी ने अपना चेहरा उसकी चेस्ट से सटा लिया ..साथ ही उसकी ना रोने की कसम भी टूट गयी, क्यों कि ये उसका नया जनम था, बीते हर दुखो से मुक्ति

लगभग 15 मीं. तक कमरे मे यूँ ही सन्नाटा पसरा रहा ..शिवानी ने तो अपने दिल की बात कह दी, अब बारी थी दीप की

" जाओ नहा लो ..मैं मार्केट जा रहा हूँ "
 

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दीप कुछ नही कह पाया ..चाहता तो था, आज ही इस दोहरे रिश्ते पर अपनी मोहर लगा दे, लेकिन नही

वो सोफे से उठने को हुआ ..शिवानी का निचला धड़ ज़मीन पर और चेहरा दीप की चेस्ट पर था ..वहीं उसके हाथो की उंगलियों ने शर्ट को बड़ी ताक़त से पकड़ रखा था ..शायद अब वो दीप से कभी दूर नही होना चाहती थी ..ना उसे होने देती

जब काफ़ी देर तक शिवानी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया तब दीप ने अपने दोनो हाथ सोफे से हटाते हुए उसके आर्म्पाइट्स को मज़बूती से थाम लिया ..अगले पल वो सोफे से खड़ा हुआ और शिवानी उसके बदन से चिपकी किसी फूल की तरह ज़मीन से 20 अंगुल ऊपर उठ गयी

फॉरन अपनी टांगे दीप की कमर से लिपटा कर उसने आँखें खोल दी

" आज भी नहलाओगे क्या ..मैं अब वो शिवानी नही जो आप का दिल बहलाने के लिए आई थी ..अब आप की बहू बनने जा रही हूँ ..थोड़ा तो सोचिए "

आइ कॉंटॅक्ट सटीक हुआ ..दीप भी उसकी कजरारी आँखों मे झाँक रहा था ..जो बात अभी शिवानी ने कही उसमे कयि शब्द बदले से थे ..खेर जब हालात ही बदल जाएँ तो शब्दों की क्या बिसात

" बहुत शैतान होती जा रही हो ..शरम नही आती मुझसे ऐसी बातें करते हुए "

दीप ने स्माइल दे कर कहा ..साथ ही उसकी नाक पर काटने की गर्ज से अपने दाँत बाहर निकाल लिए

" वो शिवानी तो कल रात को ही मर गयी ..आज की शिवानी सिर्फ़ आप की है और हमेशा रहेगी ..आप के अलावा मुझ पर किसी और का कोई हक़ नही होगा "

उसने दीप के काटने का इंतज़ार नही किया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी टिप, फोर्हेड से फेरती हुई नीचे आने लगी ..18 की बाली उमर ..वाकयि वो मेच्यूर नही थी

" काट लूँ "

फॉरन जीभ मूँह के अंदर करने के बाद उसने दीप की नाक पर अपने दाँत रख दिए ..फिर पलकों को ऊपर - नीचे करती हुई उसकी इजाज़त माँगने लगी ..ये सीन देख कर दीप से कंट्रोल नही हुआ और वो इतनी ज़ोर से हँसा कि एक पल के लिए शिवानी सेहेम सी गयी

" अगर मैं जवान होता ..तो पक्का तुमसे शादी कर लेता "

दीप ने उसका माथा चूम कर कहा ..शिवानी के लाल होते गाल देख कर, उसने 2 - 3 गहरी पप्पियाँ उन पर भी छोड़ दी और इसके बाद उसे नीचे उतारते हुए कमरे से बाहर जाने लगा

" तुम नहा लो मैं मार्केट से लौट कर आता हूँ ..कलर कौन सा चाहिए ? "

बिना पीछे मुड़े दीप बोला ..कलर से उसका मतलब अंडरगार्मेंट्स से था

" जिसमे आप देखना चाहते हों ..वही ले आना "

शिवानी ने अपनी कमीज़ उतारते हुए कहा ..उसकी बात से चौक कर दीप ने पलट कर देखा, वो बिल्कुल शांत थी ..समर्पण कर चुकी थी

5 सेकेंड. फिर आँखों का मिलन हुआ ..ब्रा मे खड़ी शिवानी ने अपनी सलवार का नाडा खोला ..लेकिन उसके नीचे गिरने से पहले ही दीप कमरे से बाहर निकल गया ..
 
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