"रो क्यों रही है कम्मो, मैं हूँ ना. तू बस मुझे पूरी घटना बता, वादा करती हूँ निकुंज खुद तेरे आगे घुटने टेकेगा" नीमा ने आश्वासन दिया, वो चूत सफाई आंदोलन के अंतिम पड़ाव पर थी.
"मैने अपनी आँखें बंद की, चेहरा उसके शिथिल लंड की दिशा में झुकाया और मेरे बेटे का लंड वह पहला लंड बना जो मेरे मूँह के अंदर परवेश कर गया. नीमा एक ऐसा झोका मेरी सांसो में समा गया, लगा मुझे उल्टी हो जाएगी लेकिन निकुंज की खातिर मैने लंड मूँह से बाहर नही जाने दिया और हौले-हौले बिना किसी ग्यान के मैं उसे चूसने लगी. ढीली अवस्था में भी लंड बेहद मोटा था, लंबा था. मैं उसके सुपाडे पर अपनी जीभ लहराने लगी और फिर अचानक मेरे उत्साह में वृद्धि हो गयी. लंड फूलने लगा, मैं उसे ज़रूरत से ज़्यादा अपने गले में उतार चुकी थी जो विशाल होते ही मेरे गले में चोट करने लगा
. निकुंज की आँखों में झाँका तो जाना उसकी पलकें नम हैं और वहीं से मुझे लंड चुसाई का आनंद मिलने लगा." कम्मो ने अपना गला खखारा और नीमा की तरफ देखा, वह बड़े ध्यान से उसे ही देख रही थी
.
"नीमा !! लंड चूसने से हमेशा कतराने वाली मैं कम्मो, उस वक़्त किसी रंडी में परिवर्तित हो चुकी थी. लंड खड़ा था लेकिन उसे ज़बरदस्ती चूसे जा रही थी, उसमें से फूटने वाले रस को पीने को आतुर हो गयी थी. निकुंज की आँखों में मुझे असीम सुख दिखाई दे रहा था और तभी मैने लंड अपने मूँह से निकाल कर उसे अचंभित कर दिया. ना चाहते हुए भी उसके गले से चन्द लफ्ज़ निकले !! मोम चूस्ति रहो, रुकना मत और मैने दोबारा लंड को अपने मूँह के अंदर कर लिया. मेरे हाथो की गति बढ़ी और कुच्छ ही लम्हे बाद लंड से वीर्य की बौछार होने लगी मानो कोई बाढ़ आ गयी हो.
झूट नही कहूँगी नीमा !! वह वीर्य नही मेरे लिए आज तक का सबसे पेय पदार्थ साबित हुआ. उस गाढ़े रस से मेरा गला तर हो चुका था, पेट भर चुका था लेकिन मंन के हाथो विवश मेरी इक्षा का मर्दन ना हो सका और मैने उस फव्वारे के शांत होने के बावजूद लंड अपने मूँह से बाहर ना निकाला, लगातार उसे चूस्ति रही. मैं पागल हो गयी थी मगर मन का क्या है, निकुंज का इलाज हो चुका था और मुझे स्वीकार करना पड़ा कि अब रुक जाना ही मेरे लिए बेहतर होगा." कम्मो ने कथा का अंत करते हुए कहा और बेडरूम में जैसे कोई सन्नाटा पसर गया
.
"ह्म्म !! होता है कम्मो, मेरी हालत भी बिल्कुल तेरी जैसी थी. तू फिकर ना कर अब तेरे दिन बदलने वाले हैं, ज़रा देख अपनी चूत को !! ऐसा ना हो कि मैं फिर से इस पर टूट पडू." नीमा की बात सुन कर कम्मो ने अपनी चूत पर नज़र डाली, विश्वास से परे वह बेहद गुलाबी, टाइट और खूबसूरत लग रही थी. कम्मो की उंगलियाँ तो जैसे उसे छुने को मचल उठी थी
.
"यकीन नही होता नीमा !! थॅंक्स यार, तूने तो इसकी रंगत ही बदल दी." कम्मो के बोल फूटे.
"आज नही तो कल निकुंज को भी यकीन होगा कि उसकी मम्मी की चूत दुनिया की सबसे सुंदर चूत है." नीमा ने अपने दाँत फाडे
.
नीमा :- "अभी 4:30 हो रहे हैं, तू फटाफट नहा और हमे अभी निकलना होगा.
"
कम्मो :- "कहाँ जाना है ?
"
"निकुंज को पटाने का पहला पाठ पढ़ने, हम उससे मिलने माल जा रहे हैं और सुन कम्मो !! तू बस इतना ख़याल रखना कि उससे मिलने के दौरान सिर्फ़ मुस्कुराती रहना, मेरी हां में हां मिलना. बाकी मैं देख लूँगी क्या करना है." नीमा ने बॉम्ब ब्लास्ट कर दिया
"लेकिन." कम्मो कुच्छ कह पाती इससे पहले नीमा फिर बोल पड़ी.
"लेकिन-वेकीन कुच्छ नही कम्मो !! मुझ पर विश्वास रख, मैं वहाँ कुच्छ भी ऐसी-वैसी बात नही कहूँगी जिससे निकुंज तुझसे और दूर जाए. वादा तो नही करती पर यकीन मान, अब निकुंज तेरे आगे पिछे ना डोला तो मेरा नाम भी नीमा नही." इतना कह कर नीमा बेड से नीचे उतर गयी.
"नीमा कहीं बात बिगड़ ना जाए." कम्मो अभी भी दुविधा में फसि थी.
"तू नहाने जा और बाकी सब मुझ पर छोड़ दे." नीमा मुस्कुराइ और कमरे से बाहर निकल गयी. बेचारी कम्मो के कदम भी खुद ब खुद बाथरूम की दिशा में आगे बढ़ गये.