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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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"मैं घबरा गयी, जानती तो थी निकुंज की नींद टूट जाएगी लेकिन मंन बना चुकी थी की आज कुच्छ भी करना पड़े पर मैं कामयाब ज़रूर होउंगी और इसीलिए मैने उसे ज़ाहिर नही होने दिया कि मैं कितना निकृष्ट कार्य कर रही हूँ. मैने लंड को हिलाना ज़ारी रखा और अपनी आँखें निकुंज की आँखों से जोड़ दी. वह हैरान परेशन, मेरी गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगा परंतु मैने उसे कोई ढील नही दी और बातों का एक बड़ा सा सिलसिला भी शुरू कर दिया. नीमा उसने लाख विनती की पर मैने उसका लंड मुठियाना नही छोड़ा और जब मेरे हाथ दुखने लगे तो मैं मजबूर हो गयी उस पापी कर्म को करने के लिए जिसके कारण शायद मेरा बेटा मुझसे नफ़रत करने लगा है." कम्मो की आँखें उसकी चूत की तरह ही आँसू बहा रही थी, फ़र्क बस इतना था कि चूत के आँसू चाह कर भी उसकी प्यास भुजाने में असमर्थ थे
 

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"रो क्यों रही है कम्मो, मैं हूँ ना. तू बस मुझे पूरी घटना बता, वादा करती हूँ निकुंज खुद तेरे आगे घुटने टेकेगा" नीमा ने आश्वासन दिया, वो चूत सफाई आंदोलन के अंतिम पड़ाव पर थी.
"मैने अपनी आँखें बंद की, चेहरा उसके शिथिल लंड की दिशा में झुकाया और मेरे बेटे का लंड वह पहला लंड बना जो मेरे मूँह के अंदर परवेश कर गया. नीमा एक ऐसा झोका मेरी सांसो में समा गया, लगा मुझे उल्टी हो जाएगी लेकिन निकुंज की खातिर मैने लंड मूँह से बाहर नही जाने दिया और हौले-हौले बिना किसी ग्यान के मैं उसे चूसने लगी. ढीली अवस्था में भी लंड बेहद मोटा था, लंबा था. मैं उसके सुपाडे पर अपनी जीभ लहराने लगी और फिर अचानक मेरे उत्साह में वृद्धि हो गयी. लंड फूलने लगा, मैं उसे ज़रूरत से ज़्यादा अपने गले में उतार चुकी थी जो विशाल होते ही मेरे गले में चोट करने लगा



. निकुंज की आँखों में झाँका तो जाना उसकी पलकें नम हैं और वहीं से मुझे लंड चुसाई का आनंद मिलने लगा." कम्मो ने अपना गला खखारा और नीमा की तरफ देखा, वह बड़े ध्यान से उसे ही देख रही थी
.
"नीमा !! लंड चूसने से हमेशा कतराने वाली मैं कम्मो, उस वक़्त किसी रंडी में परिवर्तित हो चुकी थी. लंड खड़ा था लेकिन उसे ज़बरदस्ती चूसे जा रही थी, उसमें से फूटने वाले रस को पीने को आतुर हो गयी थी. निकुंज की आँखों में मुझे असीम सुख दिखाई दे रहा था और तभी मैने लंड अपने मूँह से निकाल कर उसे अचंभित कर दिया. ना चाहते हुए भी उसके गले से चन्द लफ्ज़ निकले !! मोम चूस्ति रहो, रुकना मत और मैने दोबारा लंड को अपने मूँह के अंदर कर लिया. मेरे हाथो की गति बढ़ी और कुच्छ ही लम्हे बाद लंड से वीर्य की बौछार होने लगी मानो कोई बाढ़ आ गयी हो.


झूट नही कहूँगी नीमा !! वह वीर्य नही मेरे लिए आज तक का सबसे पेय पदार्थ साबित हुआ. उस गाढ़े रस से मेरा गला तर हो चुका था, पेट भर चुका था लेकिन मंन के हाथो विवश मेरी इक्षा का मर्दन ना हो सका और मैने उस फव्वारे के शांत होने के बावजूद लंड अपने मूँह से बाहर ना निकाला, लगातार उसे चूस्ति रही. मैं पागल हो गयी थी मगर मन का क्या है, निकुंज का इलाज हो चुका था और मुझे स्वीकार करना पड़ा कि अब रुक जाना ही मेरे लिए बेहतर होगा." कम्मो ने कथा का अंत करते हुए कहा और बेडरूम में जैसे कोई सन्नाटा पसर गया


.
"ह्म्म !! होता है कम्मो, मेरी हालत भी बिल्कुल तेरी जैसी थी. तू फिकर ना कर अब तेरे दिन बदलने वाले हैं, ज़रा देख अपनी चूत को !! ऐसा ना हो कि मैं फिर से इस पर टूट पडू." नीमा की बात सुन कर कम्मो ने अपनी चूत पर नज़र डाली, विश्वास से परे वह बेहद गुलाबी, टाइट और खूबसूरत लग रही थी. कम्मो की उंगलियाँ तो जैसे उसे छुने को मचल उठी थी
.
"यकीन नही होता नीमा !! थॅंक्स यार, तूने तो इसकी रंगत ही बदल दी." कम्मो के बोल फूटे.
"आज नही तो कल निकुंज को भी यकीन होगा कि उसकी मम्मी की चूत दुनिया की सबसे सुंदर चूत है." नीमा ने अपने दाँत फाडे


.
नीमा :- "अभी 4:30 हो रहे हैं, तू फटाफट नहा और हमे अभी निकलना होगा.
"
कम्मो :- "कहाँ जाना है ?
"
"निकुंज को पटाने का पहला पाठ पढ़ने, हम उससे मिलने माल जा रहे हैं और सुन कम्मो !! तू बस इतना ख़याल रखना कि उससे मिलने के दौरान सिर्फ़ मुस्कुराती रहना, मेरी हां में हां मिलना. बाकी मैं देख लूँगी क्या करना है." नीमा ने बॉम्ब ब्लास्ट कर दिया


"लेकिन." कम्मो कुच्छ कह पाती इससे पहले नीमा फिर बोल पड़ी.

"लेकिन-वेकीन कुच्छ नही कम्मो !! मुझ पर विश्वास रख, मैं वहाँ कुच्छ भी ऐसी-वैसी बात नही कहूँगी जिससे निकुंज तुझसे और दूर जाए. वादा तो नही करती पर यकीन मान, अब निकुंज तेरे आगे पिछे ना डोला तो मेरा नाम भी नीमा नही." इतना कह कर नीमा बेड से नीचे उतर गयी.

"नीमा कहीं बात बिगड़ ना जाए." कम्मो अभी भी दुविधा में फसि थी.

"तू नहाने जा और बाकी सब मुझ पर छोड़ दे." नीमा मुस्कुराइ और कमरे से बाहर निकल गयी. बेचारी कम्मो के कदम भी खुद ब खुद बाथरूम की दिशा में आगे बढ़ गये.
 

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बाथरूम में शवर के नीचे खड़ी कम्मो किसी गहेन सोच में डूबी थी, रह-रह कर उसे डर सता रहा था कि कहीं नीमा का ये पहला पाठ, आख़िरी ना बन जाए.

उसकी सोच, समझ में निकुंज का उससे इस कदर रूठ जाना मात्र उसकी अश्लीलता थी, जो उसने बंद कमरे में अपने पुत्र को दर्शाई थी और अब नीमा का ये नया नाटक कम्मो को किसी अंजाने भय का पूर्व-संकेत दे रहा था.

"उफफफ्फ़ !! ना जाने में कहाँ फॅस गयी, एक तरफ कुवा है तो दूसरी तरफ खाई" इन्ही लम्हो के बीच उसका नहाना संपन्न हुआ और टवल अपने नग्न शरीर पर लपेट कर वह बेडरूम में आ गयी.

"वाह !! चमक रही है, आज तो निकुंज की खेर नही" कमरे में आते ही नीमा ने उसे ताना मारा, वो खुद पूरी तरह से तैयार कम्मो का ही इंतज़ार कर रही थी.




"ये .. ये क्या पहना है तूने, क्या ऐसे जाएगी मेरे बेटे के सामने ?" नीमा द्वारा पहने गये कपड़ो को देख कर जैसे कम्मो को चक्कर आने लगे.

"क्यो !! क्या खराबी है इनमे. मेरी जान यही तो वो टॉपिक है जिसका असली भावार्थ आज हमे निकुंज को समझाना है. ताकि कल को वह तुझे भी ऐसे हॉट रूप में देखने को मचल उठे" नीमा मुस्कुराइ.

अभी उसने अपने बदन पर एक खुले गले का येल्लो टॉप और नीचे टाइट ब्लॅक लेगी डाल रखी थी. साथ ही उसकी ब्रा स्ट्रिप्स और हाफ फ्रंट, टॉप के डीप नेक से काफ़ी हद तक विज़िबल था. लेगी में उसकी मोटी जंघें और मखमली चूतडो का भी खुल कर प्रदर्शन हो रहा था.

"मैं तो कभी ना पहनु ऐसे कपड़े !! हुह" कम्मो ने अपना मूँह टेडा किया तो नीमा ने उसके बदन पर लिपटी टवल खीच ली


. "तो नंगी चल, माल में ही निकुंज से अपनी चूत ठंडी करवा लेना. अरे बुद्धू कब अक़ल आएगी तुझे, अगर बन ठन कर नही रहेगी तो बेटे का ध्यान अपनी तरफ कैसे खीचेगी" नीमा बोली, उसकी बात में दम था.

"हां मगर" कम्मो की बात पूरी होने से पहले नीमा ने अपनी आँख दिखा कर उसे चुप करवा दिया.

"रेडी हो जा, बाकी मैं कार में समझा दूँगी" नीमा की बात कम्मो को मान-नी पड़ी और जल्द ही दोनो माएँ मल्टी की पार्किंग में खड़ी कार में बैठ चुकी थी.

.

"नीमा !! मैने पैंटी नही पहनी, वो कुच्छ ज़्यादा ही गंदी हो गयी थी" कार के रोड पर आते ही कम्मो बोली.

"तो अच्छा ही है ना जान !! वैसे भी कुच्छ दिन बाद तो तुझे नंगी ही रहना है तो क्यों ना अभी से इसकी आदत डाल जाए" नीमा चहकी


.

"मारूँगी कामिनी !! खेर हम जा कहाँ रहे हैं ?" कम्मो उसकी अश्लीलता से जैसे पिघलती जा रही थी.

"हम लोटस माल जा रहे हैं, वहाँ पहुच कर तू निकुंज को कॉल करेगी और वो तुझे पिक करने आएगा. बाकी काम तू मुझ पर छोड़ दे" नीमा ने कहा, उसकी नज़र कम्मो के हाव-भाव पर पूरी तरह से सेट थी और अभी उसे कम्मो को थोड़ा और खोलना था.

"अच्छा एक बात बता !! जब निकुंज का लंड इतना बड़ा है कि खड़ा होने पर मुट्ठी में भी नही समा पाता फिर तूने पहली बार में उसे चूस कैसे लिया. आइ मीन तक़लीफ़ नही हुई तुझे ?" नीमा ने पुछा.

"नीमा !! हां तेरी बात सच है, मुझे काफ़ी तक़लीफ़ हुई थी लेकिन मैं क्या करती. एक तरफ बेटे की हालत मेरा दिल पसीज्वा रही थी और दूसरी तरफ उसका विशाल लंड देख मेरी चूत उबाल रही थी" कम्मो फिर गरम होते हुए बोली और शायद नीमा भी यही चाहती थी



.

"अच्छा फिर रात बीतने के बाद तूने कैसे फेस किया निकुंज को ?" नीमा हर हक़ीक़त से वाकिफ़ होना चाहती थी.

"देख उस रात झड़ने के बाद निकुंज से कोई ख़ास बात नही हुई, हम दोनो ही एक दूसरे से नज़र चुरा रहे थे लेकिन ..." कम्मो कहते-कहते रुक गयी, असमंजस में थी कि नीमा को उस अगले दिन का व्रतांत बताए या नही.

"लेकिन क्या कम्मो ?" नीमा को तो ऐसे मौको की तलाश थी, उसने फॉरन पुछा.

"यार नीमा !! अगले दिन जब मैं सो कर उठी तो देखा निकुंज तो बीती रात की तरह ही पूरा नंगा मेरे बगल में सो रहा है और उसका लंड कड़क, एक दम सर उठाए फनफना रहा था. दिन के उजाले में तो और भी ज़्यादा विशाल, सुंदर दिखाई दे रहा था" कम्मो ने फिर पॉज़ लिया जिससे अबकी बार नीमा झुंझला गयी. शायद इसका मैं कारण विक्की और निकुंज के गुप्तांगो में काफ़ी अंतर होना था
 

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"मुझे तो लगता है तू मुझसे बहुत सी बातें छुपा रही है, या बताना ही नही चाहती" एमोशनल ब्लॅकमेलिंग नीमा का हथियार बना और कम्मो ने हार मान ली.

"नीमा !! लंड के इतने करीब होने से मैं खुद को रोक ना पाई और हां मैने इस बार अपनी मर्जी से निकुंज का लंड चूसा लेकिन वह नींद में कसमसाने लगा तो ज़्यादा देर चूस ना सकी और पकड़े जाने के भय से मुझे बाथरूम के अंदर भागना पड़ा. बस इसके आगे कुच्छ ना हुआ !! तेरी कसम" कम्मो ने उसे विश्वास दिलाया.

"ये सारे दर्द मैने भी झेले हैं कम्मो" नीमा ने उसकी जाँघ पर थपकी देते हुए कहा "चल अब लगा निकुंज को कॉल और बोल लोटस माल आ जाए"

कम्मो ने कॉल किया और 30 मिनिट से आने की बात कह दी




. "नीमा !! जाने तेरा यह एहसान मैं कैसे चुकाउन्गि, जो तू बिना किसी स्वार्थ के मेरी मदद कर रही है. बस एक बार निकुंज मेरा हो जाए, तू जो माँगेगी मैं देने को तैयार रहूगि" कम्मो भावुक हो उठी, वह यक़ीनन बेवकूफ़ थी या नादान और नीमा को तो जैसे कोई मंन की मुराद ही मिल गयी.

"दोस्ती में नो एहसान, चल माल आ गया" दोनो माल में एंटर हो गयी.



नीमा आगे-आगे और कम्मो पिछे-पिछे, दोनो ने पहले तो माल में घूमना शुरू किया और फिर जैसे ही नीमा की नज़र एक फीमेल गारमेंट स्टोर पर पड़ी तो उसके दिमाग़ में सैकड़ो आइडिया'स आने लगे.

"क्यों ना आज निकुंज को एरॉटिक शॉपिंग का मज़ा दिलाया जाए और साथ ही तू भी कुछ हॉट सा स्टफ खरीद लेना ताकि उसका ध्यान तेरी तरफ केंद्रित हो" नीमा के लफ्ज़ सुनते ही कम्मो का गला सूखने लगा.

"अरे फिकर क्यों करती है, मैं हू ना और वैसे भी तुझे सिर्फ़ मुस्कुराना है और मेरी हां में हां मिलाना है" नीमा ने उसका साहस बढ़ाया और तभी इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई. निकुंज उसी रो में चला आ रहा था जिसमें वे दोनो खड़ी थी.

जहाँ कम्मो की नज़र उस पर पढ़ते ही वह थर-थर काँपने लगी वही नीमा की तो जैसे साँसे थम गयी, निकुंज उसे पहली नज़र में भा गया था.

"हे निकुंज !! कैसे हो बाबू ?" नीमा ने अपनी सुरीली तान छेड़ी लेकिन निकुंज उसे पहचान नही पाया और नज़रे अपनी मा की आँखों से जोड़ दी



.

"ना ना कम्मो !! लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ" नीमा ने निकुंज का हाथ थाम लिया, जो उसकी मर्दानगी की तरह ही काफ़ी स्ट्रॉंग था "मैं नीमा आंटी !! स्नेहा और विक्की की मम्मी"

कुच्छ बीती यादें निकुंज के मंन में तेज़ी से ताज़ा हुई और वह पहचान गया नीमा कॉन है मगर उसके रूप-रंग, पहनावे में इस तरह का बदलाव कैसे, वह ये नही जान पाया.

"हां हां आंटी !! नमस्ते" संस्कारी पुत्र होने का परिचय देते हुए वह नीमा के पैर छुने को झुकने लगा लेकिन नीमा ने उसे ऐसा करने से फॉरन रोक लिया.

"अरे मेरे बच्चे !! तू गले लग, कितना बड़ा हो गया है. एक दम गबरू जवान !! है ना कम्मो ?" नीमा ज़बरदस्ती निकुंज को अपनी बाहों में समेटने लगी




.

निकुंज नीमा के इस परिवर्तन और हाव-भाव से बेहद प्रभावित हुआ, ख़ास कर जिस तरह से नीमा ने खुद को उसके सामने प्रस्तुत किया, वह खुद ब खुद उसकी बाहों में समा गया.

कम्मो तो सिर्फ़ मुस्कुराए जा रही थी, जो उसका वहाँ एक लौता काम था.

नीमा की पूर्ण विकसित चूचियों का निकुंज की कठोर छाती से टकराना, उन दोनो को अंदर तक विचलित कर गया. खास कर निकुंज क्यों कि नीमा तो इस गेम की कॅप्टन थी.

निकुंज जो कयि दिनो से सिर्फ़ और सिर्फ़ गरम ही हो रहा था. कभी अपनी मा की वजह से तो कभी निक्की की, ज़्यादा देर ना लगी और पॅंट के अंदर छुपे उसके विशाल हथियार ने नीमा के पेट पर आधा दर्ज़न ठुमकीयाँ मार दी
 

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"अब तो लगता है तेरी शादी के लड्डू जल्द ही खाने को मिलेंगे" नीमा ने एहसास कर लिया कि कम्मो का कहना ग़लत नही, जब पॅंट के अंदर उसके बेटे का लंड इतना गदर ढा सकता है तो खुले में तो भूचाल ही ला देगा.

निकुंज की हालत बेहद खराब थी, वो तो कम्मो की मौजूदगी में नीमा ने उसको अपनी बाहों से जल्द आज़ाद कर दिया वरना अब तक तो निकुंज के हाथो की हथेलियाँ नीमा के गदराए चूतड़ मसल रही होती.

"ज़रूर नीमा !! आख़िर घर की पहली शादी होगी तो तुझे ही सब सम्हालना होगा" नादान कम्मो अब तक नीमा का मंन नही पढ़ पाई थी.

"अच्छा निकुंज !! जॉब वगेरा कैसी चल रही है ? तू तो बिल्कुल बदल गया ऑस्ट्रेलिया जा कर" नीमा बोली.

"जॉब बढ़िया चल रही है आंटी" छोटे से जवाब में निकुंज ने काम चलाया, उसे तो डर था कि कहीं उसकी मा उसके पॅंट में बने तंबू को देख ना ले. हालाकी वह जान गया था कि नीमा ने अपने पेट पर उसके लंड का बढ़ता आकार महसूस कर लिया है लेकिन वह अंजान बना रहा



.

"चल कम्मो कुछ शॉपिंग हो जाए वैसे भी मुझे थोड़ी देर बाद घर निकलना होगा" नीमा अचानक से गारमेंट शॉप की तरफ मूडी और साथ में कम्मो को भी अपने कदम आगे बढाने पड़े.

"निकुंज !! आजा बाबू, तू अकेला यहाँ बाहर खड़ा क्या करेगा. बस 10 मिनिट की तो बात है" नीमा का आदेश सुन कर निकुंज भी उन दोनो के साथ हो लिया.

वैसे तो माल में फीमेल गारमेंट की बहुत सी दुकाने थी मगर ये शॉप सबसे ज़्यादा फेमस और इसकी वजह तीनो को शॉप में एंटर करते ही पता चल गयी.

जहाँ-जहाँ नज़र डालो सिर्फ़ और सिर्फ़ अश्लील कपड़े, जैसे वे किसी विदेशी शॉप के अंदर आ गये हों.

मिनी को मॅट करती स्कर्ट्स, ट्रॅन्स्परेंट पॅटर्न के अंडरगार्मेंट्स, शॉर्ट टॉप्स, हिप्सटर बरमूडस और भी कयि ऐसी ड्रेसस जो शायद ही किसी सभ्य घर की लड़की या औरत ओपन में पहेन सके



.

जहाँ निकुंज पहले से सकते में था वहीं कम्मो की तो जैसे जान ही निकल गयी लेकिन ना वो निकुंज पर कुच्छ ज़ाहिर कर पाई और ना ही नीमा पर.

"वाउ !! मुझे तो वो नाइटी पसंद आ रही है" नीमा ने विस्फोट किया और तेज़ कदमो से उस डमी की तरफ बढ़ गयी जिसे वह ड्रेस ऐज शोपीस पहनाई गयी थी.

"कम्मो !! इसका फॅब्रिक तो देख, अवेसम यार और कलर भी स्किन है" नीमा ने कम्मो को आवाज़ दी और वो भी इस तरह, जिसे सुनकर निकुंज के कानो से धुंवा निकल गया.

नाइटी के अंदर डमी को एक सेम कलर टाइनी पैंटी पहनाई गयी थी और बूब एरिया पर पॅडेड ब्रा अटॅच थी.

"पागल हो गयी है क्या, इसका तो पहेन-ना ना पहेन-ना बराबर है. देख निकुंज भी शर्माकर पलट गया, अब बस कर नीमा



" कम्मो ने बेहद लो वाय्स में कहा और तभी एक करारा झटका देते हुए नीमा गरजी ....

"बेटा निकुंज !! ज़रा यहाँ तो आना और बता क्या ये नाइटी इतनी खराब है जो तेरी मम्मी मुझे इस क़दर डाँट रही है ?"
 

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पापी परिवार--55





नीमा द्वारा कहे शब्द कान में पड़ते ही निकुंज थोड़ा नर्वस हो गया लेकिन तभी उसे अपनी मा की आवाज़ भी सुनाई दी.

कम्मो :- "नीमा !! तू कहीं पागल तो नही हो गयी, वो क्या सोचेगा हमारे बारे में."

"मुझे तो लगा था ऑस्ट्रेलिया रहने से निकुंज ऐसे फॅशन को हम से कहीं ज़्यादा बेहतर समझता होगा, तभी मैने उससे पूछा !! खेर छोड़ो बेटा, कोई बात नही" एक तरह से नीमा निकुंज को लल्लू साबित करते हुए बोली और सुन कर निकुंज का चेहरा गंभीर होने लगा.

"नही आंटी ऐसी कोई बात नही है, ज़रा पास से देखने पर फॅब्रिक का सही अंदाज़ा लगा पाउन्गा" निकुंज उन दोनो के करीब आते हुए बोला.

"आंटी ड्रेस काफ़ी अच्छी और हॉट है" निकुंज ने हाथ की मुट्ठी में कपड़े को मरोड़ते हुए कहा, उसकी आँखें ठीक नीमा की आँखों से जुड़ी हुई थी. वहीं शरम-वश कम्मो की पलकें झुक चुकी थी.

"तो तेरा मतलब !! मैं खरीद लू इसे ?" नीमा ने नॉटी स्माइल देते हुए पुछा.

"अब ये तो आप पर डिपेंड करता है आंटी, अगर आप इसे पहेन-ने में कंफर्ट फील करें तो बेशक खरीद लें" निकुंज भी मुस्कुरा दिया.

"देखा कम्मो !! कहा था ना मैने, निकुंज को हम से बेहतर नालेज है इन सब चीज़ो का और तू खामो-ख़ाँ परेशान हो रही थी" नीमा की बात डमी के पास खड़ी सेल्स-विमन ने सुनी और फॉरन उसे उतार कर बिलिंग काउंटर पर पहुचा दिया.

"तू भी कुच्छ ले ले कम्मो, कुछ अट्रॅक्टिव सा. मैं तो स्नेहा और अपने लिए अंडरगार्मेंट्स भी लेना चाहती हूँ" नीमा ने कम्मो के कंधे को झकझोर कर कहा तो वह किसी सपने से बाहर आई.

"ना ना !! मुझे कुच्छ नही लेना, तू ही कर शॉपिंग" कम्मो हड़बड़ाई.

तीनो जल्द ही लाइनाये सेक्षन में पहुचे, निकुंज को दिखा-दिखा कर नीमा ने काफ़ी बोल्ड स्टफ खरीदा. नेट, कॉटन ब्रा-पॅंटीस का अच्छा ख़ासा कलेक्षन उसके हाथ लग चुका था.

"बेटा !! शायद तेरी मा तेरे साथ होने से कंफर्ट फील नही कर रही, तू बाहर वेट कर तो मैं इसके लिए भी कुच्छ खरीद लू. ये अकेले तो कभी यहाँ आ नही पाएगी" नीमा का इशारा समझ कर निकुंज ने कम्मो की तरफ नज़र डाली, साड़ी के छोर को उंगलियों में घुमाती वह वाकाई बेहद शरमा रही थी.

"जी ज़रूर आंटी" अपनी मा को घूरता निकुंज शॉप से बाहर चला गया लेकिन अब तक की शॉपिंग ने उसे नीमा का दीवाना बना दिया था. उसका मन ना माना और वह शॉप के बाहर लगे ट्रॅन्स्परेंट मिरर से अंदर के हालात देखने लगा.

नीमा के लाख समझाने पर भी कम्मो कुच्छ खरीदने को तैयार ना हुई तो वे दोनो भी बिलिंग करवा कर शॉप से बाहर निकल आए.

"चल कम्मो !! मैं चलती हूँ, और बेटा निकुंज कभी आंटी के ग़रीब-खाने में भी आना" जाते वक़्त भी नीमा ने उसे अपने सीने से चिपका लिया, फिर सुडोल चुचियों का घर्षण और निकुंज गरमाने लगा.

"कम्मो तेरी बहुत तारीफ कर रही थी और तू है भी इसी लायक, खेर अपनी मा का ख़याल रखा कर बेटा. कब तक वह ज़िम्मेदारियों के बंधन में बँधी रहेगी, मुझे देख अपनी लाइफ को फुल एंजाय कर रही हू और वो सिर्फ़ इस लिए क्यों कि मेरे बच्चो का साथ मेरे पास है" नीमा ने निकुंज को बाहों से आज़ाद कर कयि तरह की घुट्टियाँ पिलाई और आगे बढ़ गयी लेकिन अचानक से वह पलटी और निकुंज को अपने पास बुलाया.

निकुंज दौड़ा "जी आंटी"
 

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"बेटा !! ये दो अंडरगार्मेंट्स के सेट मैने तेरी मा के लिए खरीदे हैं, वो मुझसे नही ले रही थी तो तू उसे दे देना" नीमा ने कुच्छ इस तरह से ब्रा-पॅंटीस निकुंज के हाथ में थमाई जिससे कम्मो को सिर्फ़ एहसास हुआ मगर नज़र ठीक से पकड़ नही पाई और निकुंज ने बात मानते हुए उन्हे अपनी जेब में ठूंस लिया.

"चल मैं जाती हूँ, बाइ" आँख मारती नीमा माल से बाहर निकल गयी और अब वहाँ सिर्फ़ मा-बेटे बचे थे.

"क्यों बुलाया था नीमा ने तुझे ?" कम्मो के चेहरे पर एक अजीब सी बैचैनि थी, उसे लगा कहीं नीमा ने निकुंज से डाइरेक्ट तो नही कह दिया "तेरी मा तुझसे चुदना चाहती है"

"कुच्छ ख़ास बात नही मोम पर नीमा आंटी काफ़ी ओपन माइंडेड हैं और आप को बहुत मानती हैं" निकुंज ने जवाब दिया.

"वो तेरे हाथ में कुच्छ दे रही थी, मैं देख तो नही पाई लेकिन मुझे ऐसा लगा" कम्मो ने पुछा.

"हां दिया तो है" निकुंज ने लो वाय्स में जवाब दिया "चलो ना मोम बाकी बात कार में कर लेंगे" वह वहाँ ओपन में कम्मो को लाइनाये नही दे सकता था.

"ठीक है चल" कम्मो भी असमंजस स्थिति में पार्किंग की तरफ बढ़ गयी.

"मोम !! आप ने कुच्छ नही खरीदा ?" ड्राइव के दौरान जाने -अंजाने निकुंज के मूँह से कैसे यह बात निकल गयी जिसे सुन कर कम्मो भी घबरा गयी.

"मैं .. मैं .. मुझे नही पसंद बेटा, नीमा ही पहने ऐसे कपड़े" कम्मो की ज़ुबान लड़खड़ाई.

"ऐसी बात नही है मोम, जहाँ तक मेरा मानना है. नीमा आंटी अपनी लाइफ से फुल सॅटिस्फाइड है और वो चाहती हैं !! आप भी आज के फॅशन को समझें और लाइफ खुल कर जिएं" निकुंज ने समझाया.

"वो ठीक है लेकिन उसने तुझे दिया क्या ?" कम्मो ने दोबारा प्रश्न किया.

निकुंज ने कुच्छ गहरी साँसें ली, वैसे अब वो ऐसे हलातो को काफ़ी हद तक फेस करना सीख गया था और अगले ही पल जेब से अंडरगार्मेंट्स निकाल कर उसने अपनी मा के हाथ में थमा दिए.

"ये .. ये क्या है ?" कम्मो को तेज़ झटका लगा, जैसे उसके शरीर में प्राण ही ना बचे हों.


"क्या हुआ मोम ? आंटी कितने प्यार से दे कर गयी हैं और आप फालतू परेशान हो रही हो" निकुंज ने बात करने के हिसाब से कार स्पीड को लिमिट में कर लिया.

"बेटा !! मुझे समझ नही आ रहा मैं इन्हे किस तरह आक्सेप्ट करू, नीमा और मुझ में काफ़ी फ़र्क़ है" कम्मो का शरम से बुरा हाल था.
 

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"कैसा फ़र्क़ ?" निकुंज ने पूछा. "उनकी भी फॅमिली है, उनके घर में भी बच्चे हैं. फिर भी देखो कितनी फ्री हैं, लाइफ एंजाय करना कोई बुरी बात तो नही मोम"

"बुरे या अच्छे की कोई बात नही निकुंज. नीमा नॉर्मल नही है, मैने तुझे पुणे जाने के दौरान भी बताया था और फिर मैं इन्हे कैसे पहनु ? कोई देखेगा तो क्या कहेगा ?" कम्मो ने तर्क़ दिए.

"कॉन देखेगा मोम ? और वैसे भी अंडरगार्मेंट्स कपड़ो के अंदर पहने जाते हैं, खाली इन्हे पहेन कर तो कोई भी औरत घर में नही घूमती होगी." निकुंज के इस नटखटी जवाब को सुन कर कम्मो की चूत कुलबुलाने लगी और उसने फॉरन चुप्पी साध ली.

"हां बताया तो था आप ने नीमा आंटी के बारे में लेकिन शायद हमारी बात अधूरी रह गयी थी" निकुंज ने बीते पलो को कुरेदा.

"छोड़ निकुंज !! कुच्छ बातें अधूरी रहें तो ज़्यादा अच्छा रहता है" कम्मो हौले से बुदबुदाई.

"लेकिन क्यों मों ? उस वक़्त तो चर्चा हम बच्चो को ले कर ही हो रही थी और आप बता रही थीं, माता-पिता को अपनी औलाद के खातिर काफ़ी हद तक समझौते करने पड़ते हैं" निकुंज ने टॉपिक आयेज बढ़ाया.

"हां ये सच है, समझौते करने पड़ते हैं मगर नीमा जो कर रही है उसे समझौता नही विवशता कहते हैं. हलातो से हारना कहते हैं" कम्मो ने समझाया, उसकी नज़र लगातार अपने हाथ पर जमी हुई थी जिसमे उसने बेहद एरॉटिक मल्टी-कलर्ड अंडरगार्मेंट्स पकड़े हुए थे.

"हालात से तो आप भी हारी थी मोम और उस रात विवश भी थी" निकुंज के लंड मे आते तनाव ने उसे अश्लीलता के चरम पर पहुचाना शुरू कर दिया.

शुरुवती दौर में वह अपनी मा की तरफ कामोज्जित हुआ, फिर बहेन निक्की और अभी थोड़ी देर पहले आंटी नीमा ने भी सिर्फ़ उसे गरमाया ही था.

"विवशता और स्वेक्षा में भी काफ़ी अंतर है, उस वक़्त मैं मजबूर ज़रूर हुई थी लेकिन ग़लती भी तो मेरी ही थी. तो मैने जो किया उसे क़ुबूल करने में ज़रा भी जीझक नही मुझे" बोलते वक़्त कम्मो के लब थरथरा रहे थे, लग रहा था जैसे वह बुरी तरह नशे में चूर हो.

"वो एहसास तो मैं भी नही भूल सकता मोम, भले ग़लती आप अपनी मान रही हो लेकिन उस वक़्त जो कुच्छ मैने महसूस किया. वो मुझे स्वर्ग के द्वार तक ले गया था" आख़िर-कार निकुंज ने सच बोल दिया.

"तू जानता है निकुंज, उस रात मैं भी बहुत परेशान हुई थी. जो सुख आज तक मैने अपने पति को नही दिया, जिस कार्य को सोच कर ही मुझे घिन आती थी. मगर मैने खुद को तेरे लिए इतना विवश कर दिया कि स्वेक्षा से तेरा लिंग चूस्ति रही" कम्मो की आँखें मूंद गयी और हान्फते हुए उसने सीट पर अपना शीश टिका लिया.

कुच्छ देर का सन्नाटा दोनो को भारी पड़ने लगा था. निकुंज चाहता, उसकी मा बोले और कम्मो चाहती थी, उसका बेटा बोले. मगर दोनो ही चुप थे.

"तो क्या मोम आप ने पहली बार मेरे लिए वो सब किया ?" निकुंज ने फ़ैसला कर लिया कि आज वो घर पहुचने से पहले अपनी मा के अंदर उबल रहे सैलाब को हर तरह से जाँचेगा, परखेगा. क्या पता कम्मो उसे नीमा की विवशता भी बता दे.

ना चाहते हुए भी उसकी बात का जवाब देने के लिए कम्मो को अपनी बंद आँखें खोलनी पड़ी लेकिन सिर्फ़ हां में सर हिलाते हुए वह अपनी स्वीकृति दे पाई.

"यकीन नही होता मोम, आइ मीन फर्स्ट टाइम में इतना सटीक ब्लोवजोब" वह बोला.

"क्या करती मैं, तुझे परेशान कब तक देख पाती और सच कहु तो मुझे भी यकीन नही होता कि मैने ये सब कैसे कर दिया" कम्मो फुसफुसाई.
 

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"मोम एक बात पुछु, अगर आप को बुरा ना लगे तो ?" निकुंज को दाव पर दाव खेलना अच्छा लगने लगा था.

"ह्म्‍म्म" कम्मो के जवाब में अब भी शांति थी बस हल्की सी घुटन का आभास हो रहा था.

"माना वह मेरी ट्रीटमेंट का ही एक पार्ट था मगर क्या आप ने भी उसे एंजाय किया था ? " निकुंज के इस सवाल ने जैसे कम्मो के गुदा द्वार में सनसनी मचा दी, उसके चूचक भी ब्लाउस फाड़ कर बाहर निकलने को आम्दा थे.

"बस कर निकुंज, एक मा और उसके बेटे के बीच इस तरह की बातें शोभा नही देती " सवाल के जवाब में कम्मो कहना तो सिर्फ़ हां चाहती थी मगर उसका व्यवहार कहीं मात्रत्व से रंडी-पने में परिवर्तित ना हो जाए, उसने खुद पर काबू किया.

"जो भी हो मोम !! मैं तो उस रात को कभी नही भूल पाउन्गा, वैसे क्या आप मुझे नीमा आंटी की विवशता का कारण बताएँगी ?" निकुंज के प्रश्न जारी रहे.

कम्मो :- "अभी मुझ में इतनी सहेन-शक्ति नही कि मैं तुझे उसके अब-नॉर्मल जीवन का राज़ बता सकु"

"चलिए फिर कभी सही लेकिन मोम आप खुद में बदलाव लाओगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा" कार को घर की पार्किंग में लगाते हुए निकुंज ने कहा.

"बदलाव ?" इस बार कम्मो प्रश्न कर बैठी.

"नीमा आंटी के बच्चे उन्हे सपोर्ट करते हैं, मैं खुद चाहता हू आप भी आज के परिवेश में रहना सीखें" निकुंज ने उन अंडरगार्मेंट्स पर नज़र डालते हुए कहा.

"बहुत बड़ा हो गया है तू, चल मैं कोशिश करूँगी" कम्मो मुस्कुरा उठी.

"थॅंक्स मॉम" निकुंज ने अचानक कम्मो का गाल चूमा और कार से उतर कर घर के अंदर जाने लगा, हैरान कम्मो भी उसके साथ थी.


वहीं शहेर के ही **** होटेल में :-

"मज़ाक ना कर दीदी !! उतार ना अपने कपड़े, देख मैं भी तो नंगा हूँ" लड़के ने बेड पर बैठी अपने बड़ी बहेन से विनती की लेकिन लड़की ने अब तक अपने छोटे भाई के मुताबिक़ कोई काम नही किया था.

"तू मादर्चोद तो बन गया, अब क्या बेहेन्चोद भी बनेगा ?" लड़की ने टॉंट मारा.

"हां बनूंगा !! फिर हम घर से मामा के घर जाने का झूट बोल कर यहाँ होटेल आए हैं. तो अब नाटक छोड़ और नंगी हो जा ना" लड़के ने दोबारा रिक्वेस्ट की.

"मान मेरी बात, ये ग़लत है छोटे" लड़की अपनी बात पर अड़ी रही, हलाकी होटेल में कमरा बुक करने का प्लान खुद उसी का था मगर वह अपने छोटे भाई की प्यास को और भी कहीं ज़्यादा बढ़ाना चाहती थी.

"कोई ग़लत नही दीदी, देख ना कैसे फड़फड़ा रहा है मेरा लॉडा" लड़का अपनी जगह से उठा और लड़की के सुंदर चेहरे पर अपना लंड रगड़ने लगा.

"ह्म्‍म्म" लड़की ने जोरदार अंगड़ाई ली "हटा इसे मेरी आँखों के सामने से" वह चिल्लाई.

"साली छिनाल, पहले मुझे गरम किया फिर इस होटेल में लाई और अब अपनी गान्ड मरा रही है. मैं जा रहा हू यहाँ से" लड़का बेड से नीचे उतरने लगा, उसकी आँखों में अंगार जल रहे थे.

"कहाँ जा रहा है भाई ?" लड़की ने हौले से पुछा.

"घर !! तेरी मा चोदने" लड़के ने गुस्से से जवाब दिया तो लड़की बेड पर लेट कर लॉट-पोट होने लगी.

लड़का थम गया, आशा के विपरीत की उसकी बहेन इस तरह उसका मज़ाक बनाएगी. क्रोध में भर-कर वह पुनः बिस्तर पर चढ़ा और लेटी सग़ी बड़ी बहेन के गले को अपने हाथ की मजबूती से जाकड़ लिया.

"चल अपना मूँह खोल और चूस मेरा लॉडा, बहुत नाटक कर लिया तूने. अब मैं तेरा रेप करने वाला हूँ" लड़की की गर्दन पर ज़रा सा प्रेशर पड़ने से खुद ब खुद उसका का मूँह खुल गया.
 

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अब तक हुई अश्लील गर्माहट से लड़के का विशाल लंड पत्थर हो चुका था, लाल आलू बुखारे समान सुपाड़ा रस की गाढ़ी बूँदो से सराबोर, जिसे वह अपनी बहेन के खुल चुके गुलाबी होंठो पर फेरने लगा.


"तू भी मज़ा ले इस रस का, मम्मी तो दीवानी हैं मेरे लंड की और जल्द ही तेरी चूत भी इसके नाम की माला जपा करेगी" अट्टहास करते हुए जबरन लड़के ने आधा लंड किसी भाले की भाँति अपनी बहेन के मूँह में ठूँसा और लड़की घबरा कर अपना गला उसकी गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.


"ना बहना !! अभी तो सज़ा मिलनी शुरू हुई है, बस तू देखती जा कैसे मैं तेरी चुदास मिटाता हू" एक करारी आह के साथ लड़के ने अपनी बहेन के मूँह में धक्के लगाने शुरू कर दिए, वह पूरी तरह जानवर बनता जा रहा था, जानता था उसकी बहेन पीड़ा से घुट रही है मगर लग रहा था जैसे वह उस पर कोई रहम नही करेगा.


"उउल्ल्लूउउउऊप" लड़की को उबकाइयाँ आने लगी, वजह लड़के का लंड उसके गले को चोट करने लगा था.


"आहह !! कितना टाइट जा रहा है. चूस बहना, किस्मत वाली है जो सगे भाई का लंड तेरे मूँह में है" इतना कह कर लड़के ने धक्के मारना बंद कर दिए, वह अपनी बहेन के मूँह से बाहर बहती उसकी लार और खुद के लंड से निकले रस के मिश्रण को गौर से देखने लगा.


"स्नेहा दीदी !! तू बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था, मेरा लंड चूसने से मेरी बहेन को इतनी खुशी मिलेगी कि उसकी आँखें छलक उठेंगी. विक्की से पंगा ले रही थी ना, अब भुगत"


.


.


ये दोनो नीमा के बच्चे हैं, एक रात पानी की प्यास ने स्नेहा को उसके कमरे से बाहर आने पर मजबूर किया. वह कमरे से बाहर निकली ही थी कि हॉल का नज़ारा देख उसकी प्यास गले से नीचे खिसक, उसकी कुँवारी चूत में उठने लगी.


हॉल की सारी लाइट्स ऑन थी और विक्की अपनी मम्मी को सोफे पर कुतिया बना कर चोद रहा था. स्नेहा को लगा कहीं ये सपना तो नही लेकिन उसकी मम्मी और छोटे भाई की सिसकारियों ने उसे हक़ीक़त का अंदाज़ा करवा दिया.


किसी कुँवारी लड़की के लिए चुदाई देखना बड़ी बात है मगर चुदाई उसकी मा और सगे भाई के बीच हो तो क्या कहने, स्नेहा उस रात तब तक झड़ती रही जब तक हॉल की रास-लीला समाप्त नही हो गयी.


देखने से ही पता चल रहा था कि उसकी मा और भाई काफ़ी लंबे अरसे से इस पाप में लिप्त होंगे, और अंत में जिस कामुकता से एक मा ने अपने बेटे का वीर्य चखा, स्नेहा बेहोश होते-होते बची.


रात भर चूत की आशाए जलन और मन में उठ रहे दर्ज़नो सवाल, स्नेहा सिर्फ़ करवटें बदलती रही.


रात बीती नयी सुबह आई मगर वह सो ना सकी, हलाकी उसके दिल ओ दिमाग़ में अपनी मा और भाई के लिए ज़रा भी नाराज़गी नही थी बल्कि रोमांच से उसकी चूत अब तक बहे जा रही थी.


छुट्टियों के दिन थे तो बच्चे और उनकी मा, मन चाहे समय तक नींद पूरी करते, उस दिन भी ठीक वैसा ही हुआ.


दोपहर 11:30 तक स्नेहा अपने बिस्तर पर रही. फिर जब उससे और ना लेटा गया तो वह किसी चोर के समान कमरे से बाहर आई.


किचन से आती हसी मज़ाक की आवाज़ो ने ज़ाहिर किया कि अंदर उसकी मा और भाई विक्की पहले से मौजूद हैं, वह दबे पाव किचन की तरफ बढ़ी और दरवाज़े से अंदर झाँका.


उसकी मा नीचे ज़मीन पर बैठी थी और विक्की खड़ा, मा को अपना लंड चुस्वा रहा था. नीमा की पीठ दरवाज़े की तरफ होने से वह स्नेहा को नही देख पाई लेकिन विक्की की आँखें अपनी बड़ी बहेन पर बाज़ की भाँति जमी रह गयी.


दोनो भाई-बहेन स्टॅच्यू बन चुके थे, ना तो स्नेहा द्वारा कोई हरक़त हुई और ना ही विक्की द्वारा और फिर अचानक से नीमा के मूँह की गर्मी विक्की बर्दाश्त नही कर पाया.
 
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