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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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" ऐसे क्या घूर रही है कम्मो !!! रेप करेगी क्या मेरा .. क्या काम है जो विक्की दिन - रात यही करता फिरता है " ...... नीमा ने हँसते हुए कहा .... उसका इशारा सॉफ था कि उसका बेटा दिन - रात उसकी चुदाई करता रहता है और यह बात समझते ही कम्मो के गाल शरम से लाल हो उठे, वह भी तो कुछ ऐसी ही काल्पनिक लालसा लेकर अपनी दोस्त के घर आई थी.

" वाह मेरी जान !!! कल तक तो तू नॉर्मल बातें भी घंटो में समझ पाती थी और अभी मेरा इशारा एक पल में समझ गयी .. आख़िर बात क्या है, तेरे तेवर कुछ ठीक नही लग रहे मुझे ? " ...... नीमा ने उसे छेड़ते हुए पूछा .... वह जान चुकी थी कम्मो किसी बात को लेकर बहुत परेशान है और हो ना हो उसकी परेशानी का टॉपिक सेक्स से रिलेटेड ही होगा.

" नही नीमा !!! ऐसी कोई बात नही .. मैं तो बस यूँ ही तुझसे मिलने आ गयी " ...... कम्मो ने झिझकते हुए जवाब दिया .... उसके यह लफ्ज़ बेहद उदासी से भरे हुए थे और जल्द ही नीमा के दिल में घर कर गये.

" रिलॅक्स कम्मो !!! मैं तेरे लिए पानी लाती हूँ " ..... इतना कह कर नीमा ने हॉल की डिन्निंग टेबल से फ्रेश ग्लास उठाया और उसके बगल में रखे फ्रीज़र से पानी की बॉटल निकालने लगी .... हलाकी कुछ बॉटल्स उसके आइ लेवेल पर रखी हुई थी लेकिन वह झुक कर सबसे नीचे वाली बॉटल उठाने लगी.

यही कम्मो की हैरानी का मुख्य विषय था .... आज तक उसने नीमा को सिर्फ़ और सिर्फ़ साड़ी पहने देखा था और इस समय उसके ऊपरी बदन पर पतला सा ग्रीन टॉप और निच्छले बदन पर छोटी सी येल्लो पैंटी थी.

ऐसे में फ्रीज़र के बॉटम से बॉटल निकालते वक़्त नीमा का टॉप उसकी कमर पर पहुच गया और पैंटी उसकी गान्ड की दरार में फसि रह गयी .... उफफफ्फ़ क्या नज़ारा था, किसी मर्द की क्या औकात .... अपनी दोस्त की मोटी गान्ड देखकर खुद कम्मो का गला सूखने लगा और ठीक उसी टाइम नीमा ने सेम पोज़िशन में पलट कर कम्मो की तरफ देखा.

" ज़्यादा ठंडा पानी नुकसान तो नही करेगा ना ? " ...... नीमा ने पूछा .... दोनो की आँखों का कॉंटॅक्ट ऐसे टाइम हुआ जब कम्मो उसकी गान्ड को घूर कर देख रही थी और ज्यों ही नीमा पलटी .... कम्मो ने सकपकाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया लेकिन तब तक नीमा के होंठ मुस्कुराने लगे थे .... सॉफ था उसने यह सब जान बूझ कर किया होगा.
 

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" क्या कम्मो !!! मेरा बेटा तो मरता है ऐसे सुनहरे मौको की तलाश में और तुझे कोई इंटेरेस्ट नही .. कम से कम झूठी तारीफ ही कर दे " ....... नीमा ने पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा और उसकी यह बात सुनकर कम्मो का हाथ काँपने लगा.

" क्या .. क .. कैसी तारीफ नीमा, मैं समझी नही " ...... कम्मो ने अपना थूक निगलते हुए ग्लास अपने हाथ में पकड़ लिया .... माना वह लेज़्बीयन नही थी लेकिन एक पल को उसके दिल में ज़रूर आया कि वह नीमा के नंगे चूतडो को यूँ ही देखती रहे .... उसे अपनी दोस्त का यह नया अवतार हैरानी से भरने लगा था.

नीमा के चेहरे पर वा बहुत ग्लो देख रही थी, एक दम चमचमाता चेहरा .... आवाज़ में चहक, शैतानी, कॉन्फिडेन्स, उत्साह .... कहाँ कुछ दिन पहले वह कम्मो को मुरझाई सी मिली थी और आज उसका रोम - रोम पुलकित है ...... " इतने सारे चेंजस एक साथ, वह भी मात्र 5 - 6 दिनो में .. लेकिन कैसे ? " ...... कम्मो सोचने लगी.

नीमा वापस उसी सोफे पर बैठ गयी जहाँ पहले बैठी थी .... कम्मो शांत !!! बिना कोई हलचल किए उसकी नंगी चिकनी टाँगो को देख रही थी .... शायद वह खुद की टाँगो से उसका मिलान कर रही होगी.

" अरे यही तारीफ !!! यह ड्रेस मुझ पर कैसा लग रहा है, क्या मैं हॉट और सेक्सी दिख रही हूँ कम्मो ? .... नीमा ने अपनी दोनो चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए पूछा .... वह मुस्कुरा रही थी.

" हां नीमा !!! तुझे पहचान पाना मुश्किल है लेकिन " ...... इतना कह कर कम्मो चुप हो गयी, उसकी झिझक अब भी उतनी ही बरकरार है जितनी घर में आते वक़्त थी

" लेकिन क्या कम्मो ? " ..... नीमा ने दोबारा सवाल किया.

" मेरी बात का बुरा मत मानना नीमा !!! पर क्या तू अपने बच्चो के सामने भी ? " ...... कम्मो ने फिर से अपनी बात अधूरी छोड़ दी लेकिन नीमा उसका आशय समझ चुकी थी.

" उफ़फ्फ़ कामो !!! यह विक्की भी ना बड़ा शैतान है, उसका बस चले तो मुझे कपड़े ही ना पहनने दे .. कहता है उसकी मम्मी उसे नंगी सबसे अच्छी लगती है " ...... नीमा ने नॉटी वे में यह बात कह कर अपने दाँत बाहर निकाल दिए और कम्मो के हाथ से पानी का ग्लास छूटते छूटते बचा.

" न .. नीमा लेकिन स्नेहा !!! क्या उसे पता है तेरे और विक्की के बारे में .. मेरा मतलब तू ऐसे कपड़ो में, वह कोई सवाल नही करती ? " ....... कम्मो ने लजा कर पूछा .... नीमा जहाँ जहाँ, जिस जिस जगह खुद को अपने बेटे विक्की के साथ जोड़ रही थी सुनकर कम्मो के दिल में भी आ रहा था ..... " काश निकुंज भी उसके साथ ऐसा ही कुछ करता या फ्यूचर में करे "

" नही कम्मो !!! स्नेहा को कुछ पता नही .. अभी दो दिन पहले विक्की मेरे लिए यह ग्रीन टॉप और एक छोटा सा ब्लॅक हाफ़ पॅंट खरीद कर लाया था, उसने मुझे वह ड्रेस पहनने को कहा .... मैने स्नेहा के डर से उसे मना कर दिया और वह नाराज़ होकर घर से बाहर चला गया " ...... नीमा ने देखा कम्मो बड़े गौर से उसका एक - एक लफ्ज़ सुन रही है तो उसने अपनी बात ज़ारी रखी.

" फिर थोड़ी देर बाद स्नेहा घर लौट आई ... उस वक़्त मैं यूँ ही उस ड्रेस को पहेन कर मिरर के सामने खड़ी खुद को निहार रही थी .. जाने क्यों मुझे अच्छा लग रहा था, मैं शीशे में खुद को बिल्कुल भी पहचान नही पा रही थी .. एक खुशी थी मेरे चेहरे पर कि मेरा बेटा मुझे जवान और सेक्सी देखना चाहता है और तभी मेरे कमरे का गेट खुला पा कर स्नेहा मेरे कमरे के अंदर आ गयी .. उसे देख कर में घबरा गयी और खुद ब खुद मेरे कदम तेज़ी से बाथरूम की तरफ बढ़ गये .. कम्मो मैं सच में डर गयी थी, मेरी बेटी अपनी मम्मी के बारे में क्या क्या सोच रही होगी " ..... नीमा ने एक गहरी साँस लेते हुए बात को वही रोक दिया.

" आगे तो बता नीमा !!! क्यों रुक गयी " ...... कम्मो ने अधीरता से कहा, उसके चेहरे पर जिग्यासा थी.
 

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" मैं बाथरूम के गेट तक भी नही पहुच पाई और स्नेहा ने मुझे रुकने को कहा, मैने फॉरन अपनी नज़रें नीचे झुका ली, मेरे पैरो तले ज़मीन खिसक चुकी थी, लग रहा था जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो लेकिन ठीक उसी वक़्त स्नेहा के मूँह से ... ' वाउ ' ... शब्द निकला ... ' मम्मी आप बहुत अच्छी लग रही हो, मुझे तो विश्वास ही नही नही हो रहा ' और यह कहते हुए स्नेहा ने दौड़ कर मुझे हग कर लिया " ..... नीमा ने मुस्कुरा कर बताया.

" तो अब स्नेहा को कोई दिक्कत नही, तुझे ऐसे कपड़ो में देखकर ? " ..... कम्मो ने पूछा.

" हां कोई दिक्कत नही कम्मो !!! बल्कि उसने मुझसे कहा, वह चाहती है मैं आज के फॅशन को समझू, कल को वह एअरहोस्टेज बन जाएगी और उसकी फील्ड में ऐसे छोटे ड्रेसस आम होंगे और तब उसे सपोर्ट मिलेगा अपनी मम्मी का .. इसके बाद कम्मो !!! मेरी बेटी ने मुझे अपने हाथो से नंगा किया, मेरे पूरे बदन की मालिश की और तो और वॅक्सिंग से मेरी बॉडी पर उगे अनचाहे बालो को भी हटाया " ..... नीमा ने सेम टोन में अपनी बात को ज़ारी रखा और कम्मो तो उसकी बातों में खो सी गयी थी.

" कम्मो !!! बचपन में जैसे मैं स्नेहा को नहलाती थी, उसने भरी जवानी में अपनी मम्मी को नहलाया मगर इस दौरान वह मेरी चूत को बहुत घूर कर देख रही थी .. मुझे शरम आ रही थी, लगा कहीं मेरी बेटी लेज़्बीयन तो नही लेकिन जल्द ही मुझे झूठा साबित करते हुए उसने मेरी बिना पर्मिशन के, मेरी चूत के बालो को भी पूरी तरह से सॉफ कर दिया और यही चीज़ उसने मेरी गान्ड के छेद के साथ की .. माना हम दोनो ही औरत हैं लेकिन कुछ रोमांच सा महसूस हो रहा था मुझे और शायद उसे भी .. इसके बाद जाने उसे क्या सनक छूटी ... ' यहीं से मैं और विक्की बाहर निकले हैं ' ... यह कहते हुए उसने मेरी चिकनी चूत पर दर्ज़नो किस किए ... ' मम्मी आप बहुत हॉट हो ' ... उसका कहना हुआ और मैं उसके चेहरे पर झड़ने लगी .. मुझे उत्तेजना में याद नही रहा, कब मेरी बेटी का सर पकड़ कर मैने अपनी रस छोड़ती चूत से सटा लिया और स्नेहा ने भी मुझे निराश नही किया ... पूरे मन से उसने अपनी मम्मी की चूत को चूसा और अपनी जीभ से चाट कर सारा पानी पी गयी " ...... नीमा का हाथ यह बात कहते वक़्त अपनी येल्लो पैंटी पर पहुच चुका था और कम्मो के सामने ही वह अपनी पैंटी में हाथ डाल कर, अपनी चूत से खेलने लगी.

कम्मो की हालात भी कुछ ऐसी ही थी, उसकी आँखें नीमा की हर्कतो को सह नही पा रही थी और उसका सारा बदन शरम व अजीब सी सिरहन से काँप रहा था.
 

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" कम्मो !!! स्नेहा ने अपनी मम्मी को झाड़वा दिया था, उसकी नज़र में तो मैं अपने पति की पतिव्रता थी, जिसे पिछले 10 महीनो से लंड नसीब नही हुआ था और फिर बात को वहीं ख़तम कर .... जैसे हमारे बीच कुछ हुआ ही ना हो, वह मुझसे लिपट गयी ... ' मम्मी खुश रहा करो, आप उदास अच्छी नही लगती ' ... इतना कह कर वह बाथरूम से बाहर चली गयी .. कम्मो !!! अब मैं आज़ाद हूँ, मेरी बेटी की तरफ से मुक्त हूँ .. विक्की और मैं जब चाहे मज़े कर लेते हैं और इन छोटे कपड़ो को उतारने या वापस पहनने में ज़्यादा वक़्त भी नही लगता " ....... नीमा ने एक लंबी आह भर कर अपनी बात को ख़तम कर दिया.

इसके बाद कुछ देर तक हॉल में सन्नाटा छाया रहा, नीमा अपनी आँखें मूंद कर अपनी चूत में उंगली कर रही कि अचानक उसने अपनी बंद आँखें खोल दी.

" रघु कैसा है .. ठीक से घर आ गया ना ? " ...... नीमा ने कम्मो से पूछा लेकिन उसका यह सवाल सुनकर कम्मो के होश ही उड़ गये.

" त .. तुझे कैसे पता नीमा !!! रघु घर पर है ? " ..... कम्मो ने शंकित भाव से उस पर दोबारा सवाल दागा.

" यह छोड़ !!! तू यह बता, जब पहली बार तेरा कॉल आया था, तब तू निकुंज के साथ पुणे में थी ना ? " ..... नीमा ने हँसते हुए पूछा, वह अब धीरे धीरे असल मुद्दे पर पहुच रही थी.

" ह .. हां नीमा !!! " ..... कम्मो की ज़ुबान लड़खड़ा गयी ..... " लेकिन .. लेकिन तुझे यह सब कैसे पता ? " ..... वह हौले से फुसफुसाई .... उसका दिल ज़ोरो से धड़कने लगा था, जो हालत कुछ देर पहले नीमा ने अपनी चोरी पकड़े जाने के डर की दर्शाई थी .... वह सेम अब कम्मो की हो गयी.

" मुझे तो सब पता है कम्मो !!! पुणे में बहुत मज़े किए तूने .. बेड पर ब्लाउस खोले लेती, उंगलियों से अपनी चूत को झदाने की नाकाम कोशिशें कर रही थी लेकिन तूने मुझसे यह बात छुपाई क्यों ? " ..... कम्मो की घबराहट को देखकर नीमा ने अंधेरे में तीर छोड़ दिया .... कम्मो को लगा जैसे उसका सारा भेद खुल चुका हो और वह रुवान्सि होने लगी.

" तू बताती क्यों नही .. तुझे यह खबरें किसने दी ? " ...... कम्मो ने अपने आँसुओ को रोकने का भरकस प्रयास किया लेकिन वे फिसल कर उसके गालो पर बहने लगे.

" अरे कम्मो !!! तू रो क्यों रही है .. निम्मी ने स्नेहा को बताया था, मोम भाई के साथ रघु भैया को लेने पुणे गयी हैं लेकिन कम्मो तू लाख छुपा .. मुझे कुछ कुछ अनुमान तो हो ही गया है तेरी उदासी का " ..... नीमा अपने सोफे से उठ कर कम्मो के बगल में बैठ गयी.

" चल अपने आँसू पोन्छ और बता मुझे .. तू निकुंज को लेकर परेशान है ना ? " ..... नीमा का पूच्छना हुआ और कम्मो उसके सीने से चिपक कर सुबकने लगी.

" हां नीमा !!! निकुंज ने मुझे बहुत दुखी किया है .. जहाँ मैने उसे नया जीवन दान दिया बदले में वह मेरी तरफ ठीक से देखता भी नही है " ..... कम्मो ने अपना चेहरा नीमा की चूचियों पर टिकाते हुए कहा और फॉरन उसे महसूस हुआ, उसकी दोस्त अब भी काफ़ी उत्तेजित है .... नीमा के तने निपल कम्मो के होंठो से टच हो रहे थे.

" देख कम्मो !!! तू मेरा राज़ जानती है और अगर तुझे भी अपने बेटे निकुंज के साथ वैसा ही कुछ करना है तो मुझसे सारी बात शेअर करनी होगी .. वादा है नीमा का, यह बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच ही रहेगी " ..... नीमा ने कम्मो को आश्वासन देते हुए कहा और कम्मो ने भी तुरंत फ़ैसला कर लिया .... वह सिर्फ़ उसे अपने और निकुंज के बारे में बताएगी ... निक्की और उसकी पैंटी वाली घटना को वह छुपा कर रखना चाहती थी.

" ठीक है नीमा !!! लेकिन तू मेरी मदद करेगी ना ? " ...... कम्मो ने उसके बूब्स से अपना चेहरा हटाते हुए पूछा.

" ज़रूर करूँगी लेकिन पहले तू बेडरूम में चल .. बेड पर बैठ कर आराम से बात करेंगे " ..... नीमा ने सोफे से उठते हुए कहा और फिर दोनो सहेलियाँ बेडरूम की तरफ बढ़ गयी.
 

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पापी परिवार--53

इन बेडरूम

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नीमा कम्मो से आगे थी .... वह जान कर बेड पर इस तरह से चढ़ि जिससे कुछ पल को दोबारा उसकी मोटी गान्ड का दीदार कम्मो कर सके और इस बार उसकी हरकत देख कर कम्मो के चेहरे पर भी मुस्कुराहट तैर गयी.

" मेरी जान !!! अब बता कैसे शुरू हुई यह प्रेम कहानी और कब आया तेरा दिल अपने बेटे निकुंज पर .. ज़रूर तूने उसका लंड देख लिया होगा और अब तेरी चूत में खुजली मच रही होगी उससे चुदने के लिए .. अक्सर घर - घर की कहानी में यही होता है " ...... नीमा ने कम्मो को बेड पर खीचते हुए कहा और उसके ऐसा करने से कम्मो उसके जिस्म पर पसरती चली गयी.

" नीमा !!! तू कितनी बेशर्मी से बात करने लगी है .. कुछ तो शरम कर .. अरे ! मेरी उमर का ही लिहाज कर ले " ...... कम्मो ने उसके बदन से ऊपर उठने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा .... इस वक़्त दोनो मम्मियों के बूब्स बेहद सटे हुए थे और कम्मो को यह एहसास अजीब सी सिरहन प्रदान कर रहा था.

" बेशर्मी !!! तू भी कमाल करती है कम्मो .. मैने कुछ ग़लत तो कहा नही, आख़िर आज कल की मम्मियो की चूत फड़कती ही अपने बेटो के नाम पर है .. क्या लगता है तुझे, पूरी दुनिया में हम दोनो ही अपने बेटो से चुदने की कल्पना करते हैं .. नही कम्मो !!! आज यह सच में लगभग हर घर में हो रहा है " ...... नीमा ने अपने हाथो से कम्मो के गाल पकड़ कर कहा और इसके फॉरन बाद अपने होंठो से अपनी दोस्त के होंठो को ज़ोर से चूसने लगी.

" अहह नीमा !!! तू पागल है क्या .. छोड़ मुझे " ...... कम्मो ने सिसकते हुए कहा, यह उसके जीवन का पहला मौका था जब उसके होंठो पर किसी औरत के होंठो की छाप लगी थी .... कम्मो की साँसें छोड़ने लगी.

" पागल ही समझ कम्मो !!! विक्क ना जाने कब आएगा, अपनी मम्मी की चूत को यूँ तड़प्ता छोड़ गया है और तू भी याद रख .. अगर तुझे भी अपने बेटे निकुंज का लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए तो मेरी तरह ही बेशरम बनना होगा .. निकाल फेंक अपने अंदर की ममता को और बन जा रंडी .. क्यों की शरीफ औरतें अपने सगे बेटो से चुदने के सपने नही देखा करती " ...... नीमा का एक एक लफ्ज़ इतना नपा तुला, इतनी अश्लीलता से भरा हुआ था कि अगले ही पल कम्मो ने सब कुछ भूलते हुए अपनी मर्ज़ी से उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए.

" मुझे सपना नही देखना नीमा !!! हक़ीक़त में चाहिए यह सब, चाहे कुछ हो जाए " ....... कम्मो ने उसकी बातों में छुपि सच्चाई को परखते हुए कहा .... नीमा सौ फीसदी सही थी, यह कम्मो की शरम का ही नतीजा था जो आज वह अपने बेटे के साथ पार्क नही जा पाई थी .... अगर वह बिना किसी झीजक के निकुंज को रोकना चाहती तो रोक सकती थी.

" तो बोल !!! बेशर्म बनेगी मेरी तरह ? " ...... नीमा ने अपनी जीभ उसके काँपते होंठो पर फेरते हुए पूछा.

" हां नीमा !!! नही करूँगी शरम लेकिन तू बता मुझे !!! मैं आगे क्या करूँ .. तू तो विक्की के साथ मज़े कर रही है, मुझे भी निकुंज के साथ करना है " ...... कम्मो ने भी जवाब में उसके होंठो को अपनी जीभ से चाटा .... दोनो ही अब अपने आपे में नही थी, एक तो बेहद उत्तेजना का ज़ोर .... ऊपर से चूत में उठती तड़प, नीमा के साथ कम्मो भी काफ़ी गरम हो चुकी थी.

" मैं ज़रूर मदद करूँगी कम्मो लेकिन सच सच बता .. इसकी शुरूवात कहाँ से हुई ? " ..... नीमा ने उससे पूछा और ऊपर को सरकती हुई बेड के स्टॅंड से टिक कर बैठ गयी.

" नीमा !!! वैसे तो जब तूने मुझे अपने और विक्की के बारे में बताया था " ...... कम्मो ने बोलना शुरू किया तभी नीमा ने उसकी बात काट दी.

" खुल कर बोल कम्मो मैने तुझे क्या बताया था .. अभी खुद कह रही थी तू शरम नही करेगी और फिर से घुमा फिरा कर बात करने लगी " ....... नीमा ने अपने ठीक सामने बैठी अपनी सहेली की दाहिनी चूची को कठोरता से मसल्ते हुए कहा.

" आईईईईई नीमा !!! रहम कर मुझ पर .. मैं बोल तो रही हूँ, छोड़ मेरी चूची " ..... कम्मो ने आह लेकर उसका हाथ अपनी चूची से हटा दिया.

" हे हे हे हे .. देख कितनी तनी रखी हैं .. ज़रूर अपने बेटे निकुंज से इन्हें चुसवाने के बारे में सोच रही होगी " ..... नीमा ने हँसते हुए दोबारा अपने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया और अब कम्मो से अपना बचाव करते नही बन पाया .... सच तो यह था उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगी थी.
 

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" मज़ाक छोड़ और सुन .. हां तो जब तूने मुझे बताया, तू रोज़ अपने बेटे विक्की का लंड चूस्ति है और अब तेरा मंन उससे चुदने का होने लगा है .. सुनकर मैं हैरान तो हुई लेकिन साथ ही साथ एक रोमांच की लहर भी मेरे तंन बदन में दौड़ने लगी थी और मैं कितनी भी कोशिश करने के बावजूद तेरी उस बात को अपने मन से बाहर नही निकाल पा रही थी "

...... कम्मो बोलती रही और नीमा हौले हौले अपने हाथों में कदकपन्‍न लाती गयी .... हालात इतने बुरे हो चले थे कि कम्मो से उस नयी सारी को पहने बैठा नही जा रहा था.

" कैसा रोमांच कम्मो ? " ..... नीमा ने अपने हाथ से उसका पल्लू नीचे सरकाते हुए पूछा लेकिन इस बार भी कम्मो ने कोई आपत्ति ज़ाहिर नही की.

" अरे यार !!! जिस बेटे को उसकी मा ने अपनी चूत से बाहर निकाल कर बड़े नाज़ो से पाला हो, अपनी आँखों से उसे बड़ा होते हुए देखा हो और इसके बाद वही मा अपने उसी जवान बेटे के विकसित लंड को अपने मूँह में लेकर चूसे और उससे चुदने की लालसा रखे .. क्या यह रोमांच का विषय नही ? " ...... कम्मो ने होश खोते हुए कहा .... वह धीरे धीरे बेशरम बनने की कोशिश करने लगी थी और उसके इस प्रयास में उसका साथ देने के लिए नीमा उसके काँपते बदन के साथ बे रोक टोक खिलवाड़ किए जा रही थी.

" हां ये बात तो तेरी ठीक है कम्मो .. जब पहली बार मैने विक्की के खड़े लंड को अपने मूँह में ले कर चूसा था .. तू यकीन नही मानेगी, उस दौरान बिना किसी छेड़ छाड़ के मेरी चूत तीन बार झड़ी थी .. खेर तू आगे बोल " ...... नीमा ने उसकी बात की पुष्टि की और इसके बाद उसके हाथ की उंगलियाँ कम्मो के ब्लाउस के हुक खोलने में जुट गयी.

कम्मो ने कुछ देर तक सोचा और फिर कहना शुरू किया ....... " तुझे तो पता ही है रघु को लेने मैं और निकुंज गये थे और जब हम पुणे में एंटर हुए रात के 11 बज चुके थे .. नाइट स्टे के लिए हम ने होटेल में सिंगल सिंगल रूम्स की डिमॅंड की लेकिन हमे नही मिला तो थक हार कर हम ने एक डबल रूम बुक कर लिया " ...... कम्मो कहानी को थोड़ा घुमा फिरा कर सुना रही थी.

" फिर हम ने रूम में डिन्नर ऑर्डर किया .. सब कुछ नॉर्मल चल रहा था कि अचानक चेर से उठते वक़्त निकुंज टेबल के नुकीले आंगल से टकरा गया .. टक्कर इतनी तेज़ थी कि पूरी टेबल ज़ोरों से हिल गयी और इसके फॉरन बाद निकुंज चीखते हुए अपने लंड वाली जगह को अपने हाथो से सहलाने लगा .. मैं भी हड़बड़ा गयी थी और जैसे ही हमारी नज़रें मिली .. निकुंज दौड़ कर बाथरूम में चला गया " ..... इतना कहने के बाद कम्मो रुक गयी और उसने नीमा की मदद करते हुए अपने ब्लाउस को उतार कर दूर फेंक दिया.

" तो क्या टेबल का कोने की चोट निकुंज के लंड पर लगी थी, वैसे कम्मो !!! लंड जैसी नाज़ुक जगह पर इतनी बड़ी चोट लगना बहुत घातक होती है " ..... नीमा ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा और अब उसके हाथ कम्मो की ब्रा का हुक खोलने के लिए उसकी पीठ पर रेंग रहे थे.

" हां नीमा !!! मैं बहुत घबरा गयी थी .. निकुंज काफ़ी देर से बाथरूम में था और मैं चाह कर भी उसे आवाज़ नही दे पा रही थी .. आख़िर चोट का मामला मेरे बेटे के लंड से जुड़ा हुआ था तो मैं कैसे उससे इस टॉपिक पर बात करती .. फिर लगभग आधे घंटे बाद वह बाथरूम से बाहर निकला .. उसने लाख अपने चेहरे पर आते दर्द को सम्हाला हो लेकिन मैं उसकी पीड़ा को महसूस कर रही थी " ..... कम्मो ने ब्लाउस की तरह, अपनी ब्रा को भी उतार कर दूर उच्छाल दिया और अपने हाथो से अब वा नीमा के ग्रीन टॉप को उतारने लगी.

" रात भर मुझे नींद नही आई लेकिन निकुंज सफ़र की थकान से सो चुका था और जब सुबह के 5 बजे मैने उसे बाथरूम की तरह जाते देखा, मैने सोने का नाटक करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और उसके बाथरूम के अंदर जाने के फॉरन बाद मैं भी दबे पाँव उसी दिशा में बढ़ गयी .. अंदर वह किसी से बात कर रहा था, मैने क्लियर सुना निकुंज कह रहा था ... ' उसके लंड में तनाव नही आ पा रहा ' ... नीमा !!! अपने आप ही मेरे घुटने मुड़ते चले गये और मैने अपनी आँखें दरवाज़े के के होल से चिपका दी .. उस वक़्त निकुंज मास्टरबेट कर रहा था और काफ़ी देर तक वह अपने लंड को हिलता रहा लेकिन उसके लंड में ज़रा भी कड़कपन नही आया " ...... नीमा का टॉप उतारने के बाद कम्मो की मदहोश आँखें अपनी दोस्त की खूबसूरत चूचियों को निहारने लगी थी और उसके होंठ कपकापाने लगे, जैसे वा उसके खड़े निपल्स चूसना चाहती हो.

" कम्मो !!! अपनी सारी उतार दे और आगे क्या हुआ यह बता " ..... नीमा के कहे अनुसार कम्मो बेड पर खड़ी होकर अपनी सारी उतारने लगी और इसके बाद उसने अपने पेटिकोट का नाडा खोल कर उसे भी नीचे गिरा दिया.

अब कम्मो के छर्हरे अध नंगे बदन पर एक मात्र पैंटी बची थी और उस 1980 मोडल के कपड़े को देख कर नीमा ने अनुमान लगा लिया .... ' कम्मो आज कल के फैशन से बिल्कुल अंजान है ' .... लेकिन नीमा ने इस विषय पर कोई टिप्पणी नही की और झटके से उस काली पैंटी को उसकी कमर से खीच कर, उसके तलवो तक ले आई.

" हाए नीमा !!! तूने तो मुझे नंगा कर दिया " ...... कम्मो ने होश में आते ही उससे शिकायत की और शरम्वश अपने चेहरे पर अपने दोनो हाथ रख लिए .... ज़ाहिर था वह अपने पति के अलावा आज पहली बार किसी और शॅक्स के सामने इस हालत में खड़ी थी ... फिर चाहे वा शख्स कोई औरत क्यों ना थी.

" मेरी जान !!! बूढ़ी हो गयी लेकिन अब भी आग का गोला है .. थोड़ी शरम बचा कर रख कम्मो !!! जब निकुंज इसी तरह तेरी कछि उतारेगा तब ज़रूर नखरे दिखाना उसे " ..... नीमा के इस अश्लील संवाद को सुनते ही कम्मो के कानो में रस घुल गया .... उसे लगा जैसे नीमा की जगह उसके बेटे निकुंज ने ही उसकी पैंटी को नीचे खीचा है, सोचने मात्र से उसकी टाँगों में कंपन होने लगा और उनकी जड़ में छुपि .... उसकी घनी झान्टो से धकि चूत किसी नल की टोंटी की तरह पानी बहाने लगी.

नीमा के लिए भी यह किसी करेंट से कम नही था .. कम्मो की झान्टे उसके अनुमान से कहीं ज़्यादा बड़ी थी ....... " हे हे हे हे, मेरी जान !!! क्या इन बालो की रस्सी बनाएगी और उससे अपने बेटे को बाँध कर रखेगी ? " ..... नीमा ने उसकी झांतो पर अपना हाथ घुमाते हुए पूछा और फॉरन कम्मो लड़खड़ा कर धम्म से बेड पर गिर प
 

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" आहह नीमा !!! खबरदार अगर वहाँ हाथ लगाया तो .. जाने मैं तेरी बातों में कैसे आ गयी .. बेशरम " ...... कम्मो मस्ती से सराबोर होकर बोली और नीमा ने झटके से उसे अपने नंगे सीने से चिपका लिया ...... " कम्मो !!! इतनी बेशरम बन जा कि निकुंज तेरे डर के मारे भागता फिरे " ..... कह कर नीमा हँसने लगी.

" बनूँगी और खूब तर्साउन्गि भी .. नीमा !!! बहुत रुलाया उसने मुझे .. खेर तू आगे सुन " ..... कम्मो ने उसके सीने से खुद को छुड़ाते हुए कहा .... नीमा से भी रहा नही गया और उसने अपनी येल्लो पैंटी का वही हाल किया जो अब तक होता आ रहा था .... अब दोनो मम्मियाँ पूरी तरह से उत्तेजित और नंगी हो चुकी थी.

" नीमा !!! निकुंज अपना लंड हिलाते - हिलाते थक गया था लेकिन लंड ज़रा भी कड़क नही हुआ .. झूट नही बोलूँगी उस वक़्त मेरी आँखें सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके विशाल लंड से टिकी हुई थी .. जानते हुए भी कि वह मेरा सगा बेटा है, मेरे अपना खून लेकिन जाने क्यों मेरा मंन विचलित होने लगा था .. मेरी चूत इतनी ज़्यादा रिस रही थी कि मेरी पैंटी उस बाढ़ को रोक पाने में अपनी हार स्वीकार कर चुकी थी और तभी निकुंज के मूँह से कुछ शब्द फूटने लगे, वह फोन पर कह रहा था उसकी जान पहचान में ऐसी कोई लड़की नही जो उसका लंड चूस सके और जिससे वह अपने ढीले लंड की मालिश करवा सके .. नीमा !!! मेरे बेटे के वे लफ्ज़ मेरी नस नस में समा गये और इसके बाद मैने तुझे फोन किया लेकिन तू मज़े से विक्की के साथ चुदाई कर रही थी और शर्म्वश मैं भी तुझसे ज़्यादा कुछ नही कह पाई " ...... कम्मो ने बात को रोकते हुए कहा .... दोनो की चूतो का सेम वही हाल था जिसका वर्णन अभी कम्मो बेशर्मी से कर रही थी.

" ओह !!! तो अब बता दे .. उस वक़्त क्या नही कह पाई थी ? " ..... नीमा ने अपनी दो उंगलियों को अपनी चूत की फांकों के अंदर ठेल्ते हुए कहा .... उसके घुटने मुड़े हुए थे और टांगे ज़रूरत से ज़्यादा फैल चुकी थी .... वह सिसकियाँ लेकर अपनी उंगलियों से अपनी चूत की चुदाई करने थी.

कम्मो मत्रमुग्ध होकर अपनी दोस्त की चिकनी बालो रहित चूत में खो सी गयी उसके चेहरे पर अब जलन के भाव भी धीरे धीरे उमड़ते जा रहे थे .... छोटी होने के बावजूद नीमा उससे 10 कदम आगे थी, अपने बेटे के साथ मज़े से चुदवा रही थी और लीना का साथ भी उसे बखूबी मिल रहा था .... वहीं कम्मो की ना तो अपनी बेटियों से इतनी पटरी खाती थी और ना ही उसका बदन इतना मखमली था .... जहाँ तहाँ अनचाहे बाल और अब उसे समझ आ रहा था, दीप और निकुंज उसमें इंटेरेस्ट क्यों नही लेते .... माना वह नीमा से ज़्यादा सुंदर थी, उसका जिस्म भी उससे कहीं ज़्यादा गदराया हुआ था मगर फैशन के नाम पर वह कुछ नही जानती थी.

" नीमा !!! क्या .. क्या मेरी चूत भी तेरी तरह हो जाएगी ? " ...... कम्मो ने एक जीझक के साथ कहा .. औरतों में बहुत कॉंप्लेक्स होता है और नीमा ने कम्मो की बात सुनकर अपनी चूत से खेलना बंद कर दिया.

" हां हां !!! क्यों नही कम्मो .. मैं खुद तुझे यही सलाह देने वाली थी " ...... नीमा ने नॉर्मल टोन में जवाब दिया और उसकी टाँगो को चीरते हुए अपना चेहरे उसकी चूत पर झुकाने लगी .... वहीं उसे ऐसा करते देख कम्मो की तो मानो साँसे थम गयी ....... " यह .. यह क्या .. औचह !!! " ..... कम्मो ढंग से चीख भी नही पाई और नीमा उसकी झान्टो से भरी चूत को बड़े प्यार से चूमने लगी.

" कम्मो !!! मैं इसी हालत में अपनी दोस्त की चूत को प्यार करूँगी .. तू फिकर मत कर, नीमा वह सब करेगी जिसके लिए तू यहाँ आई है .. बस तू आगे बता, क्या हुआ ? " ...... नीमा के इन शब्दो ने कम्मो को अपनी दोस्त के आगे नतमस्तक कर दिया और आपसी जलन के जो भी भाव उसके चेहरे पर उभरे थे, सब का अंत वहीं हो गया .... उसने अपने हाथो का टेक लगाकर खुद को पीछे गिरने से रोका और इसके बाद आगे की कथा सुनाने लगी.

" मैने तुझे फोन इसलिए किया था ताकि जान सकूँ, किस तरह लंड चूसा जाता है .. नीमा !!! मैने अपनी लाइफ में कभी लंड नही चूसा था, मेरे पति ने लाख मिन्नते की होंगी लेकिन मैं हर बार टाल देती थी .. मुझे तो यह बात सोच कर भी घिंन आती थी और यह भी सच है, तू ही वह पहली शख्स है जिसके होंठ मेरी चूत तक पहुचे हैं " ..... इतना कह कर कम्मो चुप हो गयी .... नीमा ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर कम्मो को देखा, एक तड़प .. एक लालसा से भरा मासूम चेहरा उसे दिखाई दिया.
 

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" शुक्रिया कम्मो !!! तूने मेरे होंठो के लिए इतना इंतज़ार किया .. लंड चूसने या चूत चाटने में जो मज़ा है .. उसके लिए तो यह आज की जेनरेशन पूरी तरह से पागल है, खुद मेरा बेटा विक्की मरा जाता है इसके लिए .. पहले मैं उसका लंड चूसने के लिए तड़पति थी लेकिन आज वह अपनी मम्मी की चूत चाटने को तड़प्ता है .. अरे चूत की तो बात छोड़ !!! कल दोपहर में स्कूल से लौटने के बाद उसने मेरी गान्ड के छेद को चाटा था और पता है शैतान ने क्या कहा ... ' मम्मी तुम्हारी चूत से तुम्हारी गान्ड का छेद ज़्यादा यम्मी है .. मैं अब से इसे ही चाटा करूँगा " ... कम्मो !!! उसकी जीभ तो मेरे गुदा द्वार से रगड़ खा ही रही थी लेकिन जब उसने मेरे उस छेद को अपने होंठो से, बेरहमी से चूसा .. मैं तुझे बता नही सकती, कितनी बार झड़ी होउंगी " ...... नीमा ने इतनी बात कह कर अपना चेहरा वापस कम्मो की चूत से चिपका दिया और बेतहाशा अपनी जीभ उसकी चूत की सूजी फांकों पर घिसने लगी.

" अहह .......... ऊओह नीमा !!! मत कर .. मैं सह नही पाउन्गि " ...... कम्मो के हाथ जो अब तक उसके जिस्म को गिरने से रोके हुए थे, अपने आप सुन्न हो गये और वा बिस्तर पर गिरती चली गयी.

पहली बार कम्मो किसी से अपनी चूत चुस्वा रही थी और नीमा ने भी इसमें कोई कसर बाकी नही रखी .... उसे पता था यह उन एहसासो में से एक है जिसे पाने के बाद स्त्री की काम इक्षा में बहुत हद्द तक बढ़ोतरी होती है .... उसे खुल कर ऑर्गॅज़म की प्राप्ति होती है और कहीं ना कहीं इससे औरत के चेहरे पर निखार भी आता है .... कामसुरता किसी ने ऐसे ही चुतियापे में नही लिख दिया जो आज - कल हर इंसान, चाहे मर्द हो या औरत .... उसे पढ़ कर निरंतर अपने काम सुखों में वृद्धि का अनुभव करते हैं.

नीमा जल्द ही अपनी लंबी लप्लपाति जीभ कम्मो की चूत के अंदर और अंदर ठेलती गयी और ज्यों ही उसने अपने हाथ के अंगूठे और पहली उंगली से उसकी चूत के तखतो ताज, आती संवेदनशील भांगूर को मसला .... कम्मो किसी बाल खाई नागिन की तरह बिस्तर पर लोट लगाने लगी.

" ह्म्‍म्म्म नीमा !!! प्यार कर मुझे .. और .. और अंदर तक चाट ... आहह ....... मैं अपनी चूत निकुंज से ज़रूर चटवाउंगी और अपनी गान्ड का छेद भी ....... कम्मो को खुद पता नही, वह क्या क्या चिल्लाए जा रही थी और नीमा ने उसकी बातो पर ध्यान ना देते हुए .... अपनी तीन उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर प्रवेश करवा दी और चूत की संकुचित परतों को और ज़्यादा चौड़ा करने लगी .... उसने अपने होंठो में भज्नासे को जाकड़ कर कठोरता से चूसा तो कम्मो की आत्मा उसके शरीर का साथ छोड़ने पर उतारू होने लगी.

" हाए मर गयी .. नीमा तू मुझे पागल कर देगी .. ओह " ....... कम्मो ने उसका सर अपनी टाँगो की जड़ पर ज़ोर से दबा दिया और खुद अपनी कमर को तेज़ी से ऊपर नीचे हिलाती हुई अपनी चूत से अपनी दोस्त का मूँह चोदने लगी .. इसके प्रबाह से जल्द ही कम्मो को अपनी चूत के अन्द्रूनि भाग में रस उमड़ता महसूस होने लगा.

" ह्म्‍म्म्मममम ...... म .. मैं झड़ने वाली हूँ नीमा .. मेरे दाने को चूस .. आहह " ..... चेतावनी देती हुई कम्मो चीखी और अगले ही पल उसके निपल और गान्ड के छेद में सिहरन की लहर दौड़ने लगी .... स्खलन के पूर्व का एहसास कम्मो के जिस्म को रोमाच से भर गया और अपनी ऐंठन से लिप्त टांगे .... नीमा की गर्दन पर लपेटती हुई वह अनियंत्रित ढंग से झड़ने लगी.

" चूस निकुंज !!! अपनी मम्मी की चूत को चाट बेटा .. मैं झाड़ रही हूँ .. चूस इसको .. मैं झाड़ रही हूँ .. आहह नीमा "

...... कम्मो की तड़पति चूत आज कयि दिनो बाद खुल कर झड़ी थी .... उसकी संकुचित फांकों से रस की लंबी लंबी फुराहें बाहर निकल कर सीधे नीमा के मूँह के अंदर प्रवेश करती जा रही थी .... नीमा को अपनी दोस्त का गाढ़ा योवन बेहद टेस्टी लगा और शायद यह उसकी लाइफ का भी पहला मौका था ... जो वह किसी औरत की चूत से अपने होंठ चिपकाए उसका रस्पान कर रही थी.

लगभग एक मिनिट तक कम्मो चीखती रही, स्खलित होती रही और सारा ऑर्गॅज़म अपनी दोस्त को पिलाने के बाद, निढाल होकर बिस्तर पर ढेर हो गयी .... उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव सॉफ थे और नीमा उसके चेहरे को देख कर मुस्कुरा रही थी .... दोनो की साँसें हौले हौले काबू में आने लगी और इसके बाद कम्मो ने अपनी दोस्त को अपनी नंगी छाति से चिपका लिया.

" नीमा !!! मैं तेरा धन्यवाद कैसे करूँ, मुझे समझ नही आ रहा .. तूने मुझे सच में जन्नत दिखा दी .. तू नही जानती झड़ना मेरे लिए कितना ज़रूरी था, कयि दिनो से मैं परेशान थी .. रोती थी .. विनती करती थी की मैं झाड़ जाउ .. मेरी सूजी चूत का दर्द मुझ
 

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" नही कम्मो !!! मैने कोई एहसान नही किया और ना ही मैं तुझे इसे चुकाने को कह रही हूँ .. हमारे पास वक़्त अभी कम है और तुझे घर भी जाना होगा .. तू जब तक आगे की बात बता, मैं तेरी चूत के बाल सॉफ कर दूँगी और मेरी चूत कहीं भागी थोड़ी जा रही है .. जब मर्ज़ी चाट लेना .. मैं खुद तुझे फोन कर के बुलाउन्गि और खूब चुस्वाउन्गि " ...... नीमा की बात कम्मो को ठीक लगी क्यों कि वाकाई उसके पास वक़्त बहुत कम था .... नीमा वॉर्डरोब से शेविंग राज़ेर निकालने चली गयी और कम्मो आगे क्या बोलना है उस पर सोच विचार करने लगी.

नीमा और कम्मो :- संस्कारों के परिवेश में विचरण करने वाली दो ऐसी माताएँ जिन्होने अपना बीता सारा जीवन अपने परिवार और उसकी ज़िम्मेदारियों को अर्पण किया था, आज कामुकता के ज्वर में घोर कलयुगी बनती जा रही हैं. कहाँ वो माँ, जो कभी अपने आँचल को एक पल के लिए भी खुद से जुदा नही होने देती थी आज स्वतः ही नग्नता को धारण करने पर तुली है. पुत्र के साथ पापी संसर्ग स्थापित करने में नीमा तो सफल हो चुकी परंतु कम्मो के तंन और मन की ये अभिलाषा अभी जाने और कितने मोड़ लेगी, ये बहुत ही गंभीर वा जटिल विषय बनता रहा है.

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"हां अब बता तूने मेरे भोले-भले भतीजे के साथ पुणे में ऐसे क्या गुल खिलाए कि तू अब उससे चुदने के लिए मचल उठी है." नीमा वॉर्डरोब से बेड पर चढ़ते हुए बोली, उसके हाथ में शेविंग का पूरा किट था.

"कामिनी !! फिर तूने मुझे छेड़ा, जा नही बताती." कम्मो जो अभी सपनो में खोई हुई थी अचानक से नीमा द्वारा पुच्छे गये अश्लील प्रश्न से तन्ग आ कर बोली.

"बता ना कम्मो, चल माफी मांगती हूँ और फिर आज तो मैं अपनी प्यारी सहेली की चूत को इतना सुंदर बना देना चाहती हू कि निकुंज उसे चूमने पर आम्दा हो उठेगा." नीमा ने मुस्कुरा कर कहा तो कम्मो के चेहरे पर भी मुस्कान उभर आई.

"अगर मैं भी तेरी तरह बेशरम बन गयी तो ना जाने निकुंज मेरे बारे में क्या सोचेगा." कम्मो के ऐसा कहते ही नीमा ने उसकी टाँगो की जड़ को फैला कर काफ़ी मादक द्रश्य उत्पन्न कर दिया और शेविंग गेल को उसकी घनी झान्टो पर हौले-हौले मलने लगी.

"बेशरम बनने में ही तो असली मज़ा है जान. सेक्स के वक़्त गाली-गलोच करना, अश्लील से अश्लील शब्दो का प्रयोग करना और सबसे बड़ी बात तू मा है निकुंज की. अरे मैं तो विक्की को उत्तेजित करने के लिए इतना नीचे गिर जाती हूँ कि वो मुझे किसी बाज़ारू रंडी की तरह चोदने लगता है और मैं पूरी तरह संतुष्ट हो जाती हूँ." नीमा अपने हाथ के घर्षण को चूत की घाटी में प्रवेश कराते हुए बोली.

"आहह नीमा !! तेरे हाथो और बातों के इस्तेमाल से शायद में पागल हो जाउन्गि." कम्मो कराही और खुद ब खुद उसके चूतड़ हवा में थरथराने लगे, नीमा उसके कोमल गुदा द्वार पर अपने अंगूठे को गोलाकार आक्रति में घुमा रही थी.

"हां तो अब बता और ज़रा भी छुपाना मत, वरना मैं तेरी मदद नही कर पाउन्गि." नीमा ने उसे उकसाया और वहीं जेल ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, जो कम्मो की घनी झाटो को मुलायम बना रहा था.

"बाथरूम से बाहर आने के बाद निकुंज तैयार होने लगा क्यों कि हमे रघु से मिलने हॉस्पिटल जाना था, वह मुझे ज़रा भी एहसाह नही होने दे रहा था कि वह उस वक़्त किन हलातो से गुज़र रहा है. मैं भी तैयार हुई और दोनो हॉस्पिटल रवाना हो गये पर वहाँ पहुचने पर पता चला कि हम रघु से किसी कारण-वश नही मिल सकते." कम्मो ने साँस ली, नीमा रेज़र में ब्लेड फसा रही थी.

कम्मो :- "हम दुखी मन से होटेल लौट आए, रात का खाना बाहर ही खाया बस सोने की तैयारी चल रही थी. निकुंज तो लेट-ते ही सो गया लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ थी, उनमें तो रह-रह कर बेटे का विशाल झूलता लंड दिखाई पड़ रहा था और तभी मैने ठान लिया कि मैं उस लंड को खड़ा करने की कोशिश करूँगी परंतु यह कैसे संभव होगा, मैं नही जानती थी."

"फिर तूने क्या किया ?" नीमा ने रेज़र कम्मो की चूत पर घुमाते हुए पुछा, वो सॉफ महसूस कर रही थी कि एक बार झड़ने के बाद वापस उसकी दोस्त की चूत बहने लगी थी
 

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"मैने उठ कर कमरे की लाइट ऑन की और सीधे निकुंज के पैरो के पास बैठ गयी. यह सोच कर कि मैं बेटे का शॉर्ट्स उतार रही हूँ मेरे हाथ काँप रहे थे, गला सूख चुका था, दिल की धड़कने काबू से बाहर थी और तभी मैने इस नीच कर्म में जीत हासिल कर ली. हां नीमा निकुंज का लंड शॉर्ट्स से बाहर आने पर मैने अनुमान लगाया कि वो ज़रूरत से कहीं ज़्यादा गोरा और विशाल है, मैं झाड़ते-झाड़ते बची थी." कम्मो ने फिर विराम लिया, नीमा अब उसके चूतडो की दरार सॉफ कर रही थी.

"कितना बड़ा है निकुंज का ?" हलाकी नीमा को यह प्रश्न नही करना चाहिए था लेकिन वह निकुंज के लंड की तुलना अपने बेटे विक्की के लंड से करना चाहती थी.

"काफ़ी बड़ा नीमा, मेरा अनुमान है उससे बड़ा तो किसी का होना संभव ही नही." कम्मो ने झूठ बोला, वो रघु के लंड का व्रतांत यहाँ नही कर सकती थी.

"अच्छा !! किस्मत अपनी-अपनी और तेरी किस्मत पर मुझे नाज़ है कम्मो, फिर आगे तो बता." नीमा फुसफुसाई, लंड निकुंज का बड़ा था और वह कम्मो से ज़्यादा चतुर थी शायद ही भोली-भाली कम्मो अपनी दोस्त की इस मनो-स्थिति को भाँप पाई होगी.

कम्मो :- "बिल्कुल चिकना लंड था. मैने उसे हल्के हाथो से पकड़ा और तू यकीन नही करेगी नीमा, पूर्ण रूप से खड़ा वह लंड तेरी मुट्ठी में भी नही आ पाएगा, खेर छोड़ !! मैं ढीली अवस्था में उसे पंप करने लगी, हिलाने लगी और तभी निकुंज की नींद टूट गयी और वह हड़बड़ा कर बिस्तर पर बैठ गया"

"फिर ?" नीमा के हाथ ने अचानक ऐसे रिक्ट किया जैसे कम्मो की जगह निकुंज का खड़ा लंड उसके हाथ में हो और वह चाह कर भी अपनी मुट्ठी बंद नही कर पा रही हो.
 
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