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मात्र चाँद लम्हो में निकुंज ने निक्की के मन को पढ़ लिया .... वह फुल्ली श्योर था, जानता था कि उसकी बहेन एक ऐसी वर्जिन लड़की है जिसने आज तक कभी पॉर्न भी नही देखा होगा .... मर्द के नाम पर एक वही है जिसके साथ निक्की इतना आगे बढ़ी थी .... फिर ऐसे में उसकी बहेन की घबराहट लाज़मी है, आख़िर उसका लंड है ही इतना बड़ा कि किसी भी कुँवारी लड़की के मन में डर पैदा हो सकता है.
वहीं निक्की की लाइफ में किसी भी मर्द के लंड को नंगा छुने का यह पहला अवसर था .... माना अब वह काफ़ी खुल चुकी थी, जान चुकी थी की उसका भाई क्या चाहता है और वह खुद क्या चाहती है .... अंजाने डर के बावजूब भी निकुंज के लंड को देखने की उसकी इच्छा अभी अधूरी थी.
" भाई !!! अपना शॉर्ट्स उतार दो .... इसके रहने से मेरा हाथ नही चल पाएगा " ..... लंड की विकरालता की तपिश से उसकी चूत पिघल कर धीरे धीरे पानी छोड़ने लगी थी और तभी वह उसे अपनी आँखों के सामने लाना चाहती थी.
यह बात कहते वक़्त निक्की की आवाज़ में थरथराहट आ गयी, जिसे निकुंज ने सॉफ महसूस किया और उसने अपनी बहेन की आँखों में झाँका .... जिनमें वह सिर्फ़ और सिर्फ़ वासना के आती कामुक डोरे तैरते हुए देख रहा था.
आख़िर कार दोनो की आँखों का जुड़ाव ज़्यादा हो गया और कुच्छ देर तक वे यूँ ही, खामोशी से एक दूसरे की आँखों में झाँकते रहे .... निक्की के लिए अपने भाई की आँखों में देखना बहुत कठिन काम था और जल्द ही उसकी पलकें शरम से झुकती चली गयी .... इसके बाद निकुंज कुच्छ ना बोला, बस उसने अपनी कमर उचकाकर एक झटके में अपना शॉर्ट्स, अंडरवेर सहित अपने घुटनो तक सरका दिया.
.
शॉर्ट्स के उतरते ही उसका मर्दाना अंग किसी फुफ्कार्ते साँप तरह लहरा उठा .... निक्की फटी आँखों से अपने भाई के विशालकाय लंड को देखने लगी, उसकी आँखें भय से पथरा गयी थी .... उसका गला उसे सूखता महसूस हुआ और उसकी बॉडी के अंदर का टेंपरेचर पहले से कहीं अधिक बढ़ गया.
" ओह भाई .. अपना शॉर्ट्स वापस पहेन लो " ........ उसने घबराकर अपनी आँखें बंद करते हुए कहा .... उसकी धीमी आवाज़ में बेहद दर शामिल था.
" क्या हुआ बेटा !!! तूने अपनी आँखें क्यों बंद कर ली ? " ....... निकुंज अपनी बहेन की हालत को बखूबी समझ रहा था और उसने बड़े प्यार से उससे पूछा .... अपनी सग़ी जवान बहेन के सामने, अपने खड़े लंड को नंगा करने के बाद तो जैसे वा बिना कुछ किए ही झड़ने की कंडीशन में पहुच चुका था.
बंद आँखों में भी निक्की तेज़ तेज़ साँसे ले रही थी मानो एक दम से उसे फीवर आ गया हो और इसे देखते हुए निकुंज ने ज़्यादा कॉन्वर्सेशन गॅप बनाना ठीक नही समझा ...... " पहले खुद कहती है .. भाई शॉर्ट्स उतार लो और जब मैने उतार लिया तब तूने अपनी आँखें बंद कर ली .. यह कहाँ तक सही है निक्की " ....... निकुंज ने उसे समझाया.
" भाई मैं नही देख पाउन्गि .. वो वो .. कितना बड़ा है " ....... आख़िर निक्की खुल कर बोल गयी और ज्यों ही उसने अपना डर अपने भाई पर ज़ाहिर किया .... निकुंज की हसी छूट पड़ी.
" अरे अब तू कोई बच्ची थोड़ी है .. अगर ऐसे ही डरेगी तो शादी कैसे कर पाएगी .. बोल ? " ....... एरॉटिक माहॉल को खुशनुमा बनाते हुए निकुंज ने उससे पूछा.
" मुझे नही करना शादी - वादी, बस आप उसे छुपा लो " ....... अपनी बहेन की मासूम बातों से निकुंज को उस पर बहुत प्यार आया और उसने झूट मूट का नाटक करते हुए उससे कहा ....... " ले छुपा लिया, ठीक है .. अब तो अपनी आँखें खोल "
वहीं निक्की की लाइफ में किसी भी मर्द के लंड को नंगा छुने का यह पहला अवसर था .... माना अब वह काफ़ी खुल चुकी थी, जान चुकी थी की उसका भाई क्या चाहता है और वह खुद क्या चाहती है .... अंजाने डर के बावजूब भी निकुंज के लंड को देखने की उसकी इच्छा अभी अधूरी थी.
" भाई !!! अपना शॉर्ट्स उतार दो .... इसके रहने से मेरा हाथ नही चल पाएगा " ..... लंड की विकरालता की तपिश से उसकी चूत पिघल कर धीरे धीरे पानी छोड़ने लगी थी और तभी वह उसे अपनी आँखों के सामने लाना चाहती थी.
यह बात कहते वक़्त निक्की की आवाज़ में थरथराहट आ गयी, जिसे निकुंज ने सॉफ महसूस किया और उसने अपनी बहेन की आँखों में झाँका .... जिनमें वह सिर्फ़ और सिर्फ़ वासना के आती कामुक डोरे तैरते हुए देख रहा था.
आख़िर कार दोनो की आँखों का जुड़ाव ज़्यादा हो गया और कुच्छ देर तक वे यूँ ही, खामोशी से एक दूसरे की आँखों में झाँकते रहे .... निक्की के लिए अपने भाई की आँखों में देखना बहुत कठिन काम था और जल्द ही उसकी पलकें शरम से झुकती चली गयी .... इसके बाद निकुंज कुच्छ ना बोला, बस उसने अपनी कमर उचकाकर एक झटके में अपना शॉर्ट्स, अंडरवेर सहित अपने घुटनो तक सरका दिया.
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शॉर्ट्स के उतरते ही उसका मर्दाना अंग किसी फुफ्कार्ते साँप तरह लहरा उठा .... निक्की फटी आँखों से अपने भाई के विशालकाय लंड को देखने लगी, उसकी आँखें भय से पथरा गयी थी .... उसका गला उसे सूखता महसूस हुआ और उसकी बॉडी के अंदर का टेंपरेचर पहले से कहीं अधिक बढ़ गया.
" ओह भाई .. अपना शॉर्ट्स वापस पहेन लो " ........ उसने घबराकर अपनी आँखें बंद करते हुए कहा .... उसकी धीमी आवाज़ में बेहद दर शामिल था.
" क्या हुआ बेटा !!! तूने अपनी आँखें क्यों बंद कर ली ? " ....... निकुंज अपनी बहेन की हालत को बखूबी समझ रहा था और उसने बड़े प्यार से उससे पूछा .... अपनी सग़ी जवान बहेन के सामने, अपने खड़े लंड को नंगा करने के बाद तो जैसे वा बिना कुछ किए ही झड़ने की कंडीशन में पहुच चुका था.
बंद आँखों में भी निक्की तेज़ तेज़ साँसे ले रही थी मानो एक दम से उसे फीवर आ गया हो और इसे देखते हुए निकुंज ने ज़्यादा कॉन्वर्सेशन गॅप बनाना ठीक नही समझा ...... " पहले खुद कहती है .. भाई शॉर्ट्स उतार लो और जब मैने उतार लिया तब तूने अपनी आँखें बंद कर ली .. यह कहाँ तक सही है निक्की " ....... निकुंज ने उसे समझाया.
" भाई मैं नही देख पाउन्गि .. वो वो .. कितना बड़ा है " ....... आख़िर निक्की खुल कर बोल गयी और ज्यों ही उसने अपना डर अपने भाई पर ज़ाहिर किया .... निकुंज की हसी छूट पड़ी.
" अरे अब तू कोई बच्ची थोड़ी है .. अगर ऐसे ही डरेगी तो शादी कैसे कर पाएगी .. बोल ? " ....... एरॉटिक माहॉल को खुशनुमा बनाते हुए निकुंज ने उससे पूछा.
" मुझे नही करना शादी - वादी, बस आप उसे छुपा लो " ....... अपनी बहेन की मासूम बातों से निकुंज को उस पर बहुत प्यार आया और उसने झूट मूट का नाटक करते हुए उससे कहा ....... " ले छुपा लिया, ठीक है .. अब तो अपनी आँखें खोल "