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"आहह मोम" विक्क की आँखें बंद, बदन धनुषाकार हो गया और नीमा का सर पकड़ कर उसने अपना विशाल लंड, उसके कंठ तक ठेल दिया.
वहीं नीमा भी इस अप्रत्याशित हमले को सह नही पाई और हड़बड़ाहट में विक्की की जांघे नोचने लगी, उसे अचंभा हुआ कि अचानक से विक्की ने अपना पूरा लंड उसके गले में क्यों ठूंस दिया.
जब तक विक्की के टटटे खाली नही हुए उसने अपनी मा को नही छोड़ा और जब वीर्य-पात के पश्चात अपनी आँखें खोली तो देखा "स्नेहा किचन के दरवाज़े पर नही थी"
उसने फॉरन अपनी मा पर इस सच को ज़ाहिर करना चाहा मगर घबराहट में कुच्छ भी कह ना सका.
नीमा की हज़ार समझाशों के बावजूद भी वह अपनी मन-मर्ज़ी से सुबह के वक़्त, उसके मुख-चोदन का आनंद लेने को मचल रहा था और तभी उसने स्नेहा द्वारा पकड़े जाने वाली बात अपनी मा से छुपा ली.
उस दिन विक्की बहुत बेचैन रहा "कहीं स्नेहा भड़क ना उठे" मगर जब सांझ बीत जाने तक स्नेहा चुप रही तो उसका साहस बढ़ने लगा और उसी रात उसने अपनी मा को दोबारा चोदा लेकिन इस बार भी स्नेहा उसके द्वारा, उनकी चुदाई देखती पकड़ी गयी.
"लगता है दीदी की चूत भी जल्द ही चखने मिलेगी" सेक्स के दौरान विक्की ने सोचा और अपनी बड़ी बहेन के सामने जान-बूझ कर, मुस्कुराते हुए, अपनी मा को चोदता रहा. शायद अपने चुदाई कौशल का प्रदर्शन कर रहा था.
स्नेहा ने उस रात अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल, विक्की के सामने ही अपनी कुँवारी चूत मसली थी और ये वह संकेत था जो अगले ही दिन, आज वे इस होटेल के बंद कमरे में उस अधूरे महा-पापी कार्य को पूरा करने आए थे.
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"बहुत छुप-छुप कर अपनी मा को चुदते हुए देखने का मन होता है ना दीदी और तेरी चूत भी बहती है. चल आज मैं तेरा लीकेज फुल और; फाइनल ठीक कर देता हूँ" विक्की ने पुरजोर ताक़त से अपना लंड स्नेहा के मूँह में ठेलते हुए कहा और कुछ सेकेंड्स बाद बाहर खीच लिया.
"ओह" स्नेहा जोरो की साँस लेने लगी और विक्की के हाथ की गिरफ़्त ढीली पड़ते ही एक जोरदार मुक्का उसकी पीठ पर जड़ दिया.
"मादरचोद !! जान लेगा क्या मेरी ?" अपनी लार से सना विक्की का लंड हाथ में पकड़ कर स्नेहा उसे इस तरह मरोड़ने लगी जैसे उसे तोड़ ही डालेगी.
"उफफफफ्फ़ दीदी नही" अब तड़पने की बारी विक्की की थी, लेकिन वह ज़्यादा शोर मचाता इससे पहले ही स्नेहा ने अपना चेहरा लंड पर झुकाते हुए वापस उसे चूसना शुरू कर दिया.
"ह्म्म्म !! स्ट्रेंज सा टेस्ट है भाई, मगर मज़ा आ रहा है" स्नेहा ने आँख मारते हुए विक्की से कहा "कमिने !! मैं जान-बूझ कर तुझे उकसा रही थी तो क्या तू मुझे जान से ही मार डालता ?"
वहीं नीमा भी इस अप्रत्याशित हमले को सह नही पाई और हड़बड़ाहट में विक्की की जांघे नोचने लगी, उसे अचंभा हुआ कि अचानक से विक्की ने अपना पूरा लंड उसके गले में क्यों ठूंस दिया.
जब तक विक्की के टटटे खाली नही हुए उसने अपनी मा को नही छोड़ा और जब वीर्य-पात के पश्चात अपनी आँखें खोली तो देखा "स्नेहा किचन के दरवाज़े पर नही थी"
उसने फॉरन अपनी मा पर इस सच को ज़ाहिर करना चाहा मगर घबराहट में कुच्छ भी कह ना सका.
नीमा की हज़ार समझाशों के बावजूद भी वह अपनी मन-मर्ज़ी से सुबह के वक़्त, उसके मुख-चोदन का आनंद लेने को मचल रहा था और तभी उसने स्नेहा द्वारा पकड़े जाने वाली बात अपनी मा से छुपा ली.
उस दिन विक्की बहुत बेचैन रहा "कहीं स्नेहा भड़क ना उठे" मगर जब सांझ बीत जाने तक स्नेहा चुप रही तो उसका साहस बढ़ने लगा और उसी रात उसने अपनी मा को दोबारा चोदा लेकिन इस बार भी स्नेहा उसके द्वारा, उनकी चुदाई देखती पकड़ी गयी.
"लगता है दीदी की चूत भी जल्द ही चखने मिलेगी" सेक्स के दौरान विक्की ने सोचा और अपनी बड़ी बहेन के सामने जान-बूझ कर, मुस्कुराते हुए, अपनी मा को चोदता रहा. शायद अपने चुदाई कौशल का प्रदर्शन कर रहा था.
स्नेहा ने उस रात अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल, विक्की के सामने ही अपनी कुँवारी चूत मसली थी और ये वह संकेत था जो अगले ही दिन, आज वे इस होटेल के बंद कमरे में उस अधूरे महा-पापी कार्य को पूरा करने आए थे.
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"बहुत छुप-छुप कर अपनी मा को चुदते हुए देखने का मन होता है ना दीदी और तेरी चूत भी बहती है. चल आज मैं तेरा लीकेज फुल और; फाइनल ठीक कर देता हूँ" विक्की ने पुरजोर ताक़त से अपना लंड स्नेहा के मूँह में ठेलते हुए कहा और कुछ सेकेंड्स बाद बाहर खीच लिया.
"ओह" स्नेहा जोरो की साँस लेने लगी और विक्की के हाथ की गिरफ़्त ढीली पड़ते ही एक जोरदार मुक्का उसकी पीठ पर जड़ दिया.
"मादरचोद !! जान लेगा क्या मेरी ?" अपनी लार से सना विक्की का लंड हाथ में पकड़ कर स्नेहा उसे इस तरह मरोड़ने लगी जैसे उसे तोड़ ही डालेगी.
"उफफफफ्फ़ दीदी नही" अब तड़पने की बारी विक्की की थी, लेकिन वह ज़्यादा शोर मचाता इससे पहले ही स्नेहा ने अपना चेहरा लंड पर झुकाते हुए वापस उसे चूसना शुरू कर दिया.
"ह्म्म्म !! स्ट्रेंज सा टेस्ट है भाई, मगर मज़ा आ रहा है" स्नेहा ने आँख मारते हुए विक्की से कहा "कमिने !! मैं जान-बूझ कर तुझे उकसा रही थी तो क्या तू मुझे जान से ही मार डालता ?"