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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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"आहह मोम" विक्क की आँखें बंद, बदन धनुषाकार हो गया और नीमा का सर पकड़ कर उसने अपना विशाल लंड, उसके कंठ तक ठेल दिया.


वहीं नीमा भी इस अप्रत्याशित हमले को सह नही पाई और हड़बड़ाहट में विक्की की जांघे नोचने लगी, उसे अचंभा हुआ कि अचानक से विक्की ने अपना पूरा लंड उसके गले में क्यों ठूंस दिया.


जब तक विक्की के टटटे खाली नही हुए उसने अपनी मा को नही छोड़ा और जब वीर्य-पात के पश्चात अपनी आँखें खोली तो देखा "स्नेहा किचन के दरवाज़े पर नही थी"


उसने फॉरन अपनी मा पर इस सच को ज़ाहिर करना चाहा मगर घबराहट में कुच्छ भी कह ना सका.


नीमा की हज़ार समझाशों के बावजूद भी वह अपनी मन-मर्ज़ी से सुबह के वक़्त, उसके मुख-चोदन का आनंद लेने को मचल रहा था और तभी उसने स्नेहा द्वारा पकड़े जाने वाली बात अपनी मा से छुपा ली.


उस दिन विक्की बहुत बेचैन रहा "कहीं स्नेहा भड़क ना उठे" मगर जब सांझ बीत जाने तक स्नेहा चुप रही तो उसका साहस बढ़ने लगा और उसी रात उसने अपनी मा को दोबारा चोदा लेकिन इस बार भी स्नेहा उसके द्वारा, उनकी चुदाई देखती पकड़ी गयी.


"लगता है दीदी की चूत भी जल्द ही चखने मिलेगी" सेक्स के दौरान विक्की ने सोचा और अपनी बड़ी बहेन के सामने जान-बूझ कर, मुस्कुराते हुए, अपनी मा को चोदता रहा. शायद अपने चुदाई कौशल का प्रदर्शन कर रहा था.


स्नेहा ने उस रात अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल, विक्की के सामने ही अपनी कुँवारी चूत मसली थी और ये वह संकेत था जो अगले ही दिन, आज वे इस होटेल के बंद कमरे में उस अधूरे महा-पापी कार्य को पूरा करने आए थे.


.


.


"बहुत छुप-छुप कर अपनी मा को चुदते हुए देखने का मन होता है ना दीदी और तेरी चूत भी बहती है. चल आज मैं तेरा लीकेज फुल और; फाइनल ठीक कर देता हूँ" विक्की ने पुरजोर ताक़त से अपना लंड स्नेहा के मूँह में ठेलते हुए कहा और कुछ सेकेंड्स बाद बाहर खीच लिया.


"ओह" स्नेहा जोरो की साँस लेने लगी और विक्की के हाथ की गिरफ़्त ढीली पड़ते ही एक जोरदार मुक्का उसकी पीठ पर जड़ दिया.


"मादरचोद !! जान लेगा क्या मेरी ?" अपनी लार से सना विक्की का लंड हाथ में पकड़ कर स्नेहा उसे इस तरह मरोड़ने लगी जैसे उसे तोड़ ही डालेगी.


"उफफफफ्फ़ दीदी नही" अब तड़पने की बारी विक्की की थी, लेकिन वह ज़्यादा शोर मचाता इससे पहले ही स्नेहा ने अपना चेहरा लंड पर झुकाते हुए वापस उसे चूसना शुरू कर दिया.


"ह्म्‍म्म !! स्ट्रेंज सा टेस्ट है भाई, मगर मज़ा आ रहा है" स्नेहा ने आँख मारते हुए विक्की से कहा "कमिने !! मैं जान-बूझ कर तुझे उकसा रही थी तो क्या तू मुझे जान से ही मार डालता ?"
 

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"कैसा फ़र्क़ ?" निकुंज ने पूछा. "उनकी भी फॅमिली है, उनके घर में भी बच्चे हैं. फिर भी देखो कितनी फ्री हैं, लाइफ एंजाय करना कोई बुरी बात तो नही मोम"


"बुरे या अच्छे की कोई बात नही निकुंज. नीमा नॉर्मल नही है, मैने तुझे पुणे जाने के दौरान भी बताया था और फिर मैं इन्हे कैसे पहनु ? कोई देखेगा तो क्या कहेगा ?" कम्मो ने तर्क़ दिए.


"कॉन देखेगा मोम ? और वैसे भी अंडरगार्मेंट्स कपड़ो के अंदर पहने जाते हैं, खाली इन्हे पहेन कर तो कोई भी औरत घर में नही घूमती होगी." निकुंज के इस नटखटी जवाब को सुन कर कम्मो की चूत कुलबुलाने लगी और उसने फॉरन चुप्पी साध ली.


"हां बताया तो था आप ने नीमा आंटी के बारे में लेकिन शायद हमारी बात अधूरी रह गयी थी" निकुंज ने बीते पलो को कुरेदा.


"छोड़ निकुंज !! कुच्छ बातें अधूरी रहें तो ज़्यादा अच्छा रहता है" कम्मो हौले से बुदबुदाई.


"लेकिन क्यों मों ? उस वक़्त तो चर्चा हम बच्चो को ले कर ही हो रही थी और आप बता रही थीं, माता-पिता को अपनी औलाद के खातिर काफ़ी हद तक समझौते करने पड़ते हैं" निकुंज ने टॉपिक आयेज बढ़ाया.


"हां ये सच है, समझौते करने पड़ते हैं मगर नीमा जो कर रही है उसे समझौता नही विवशता कहते हैं. हलातो से हारना कहते हैं" कम्मो ने समझाया, उसकी नज़र लगातार अपने हाथ पर जमी हुई थी जिसमे उसने बेहद एरॉटिक मल्टी-कलर्ड अंडरगार्मेंट्स पकड़े हुए थे.


"हालात से तो आप भी हारी थी मोम और उस रात विवश भी थी" निकुंज के लंड मे आते तनाव ने उसे अश्लीलता के चरम पर पहुचाना शुरू कर दिया.


शुरुवती दौर में वह अपनी मा की तरफ कामोज्जित हुआ, फिर बहेन निक्की और अभी थोड़ी देर पहले आंटी नीमा ने भी सिर्फ़ उसे गरमाया ही था.


"विवशता और स्वेक्षा में भी काफ़ी अंतर है, उस वक़्त मैं मजबूर ज़रूर हुई थी लेकिन ग़लती भी तो मेरी ही थी. तो मैने जो किया उसे क़ुबूल करने में ज़रा भी जीझक नही मुझे" बोलते वक़्त कम्मो के लब थरथरा रहे थे, लग रहा था जैसे वह बुरी तरह नशे में चूर हो.


"वो एहसास तो मैं भी नही भूल सकता मोम, भले ग़लती आप अपनी मान रही हो लेकिन उस वक़्त जो कुच्छ मैने महसूस किया. वो मुझे स्वर्ग के द्वार तक ले गया था" आख़िर-कार निकुंज ने सच बोल दिया.


"तू जानता है निकुंज, उस रात मैं भी बहुत परेशान हुई थी. जो सुख आज तक मैने अपने पति को नही दिया, जिस कार्य को सोच कर ही मुझे घिन आती थी. मगर मैने खुद को तेरे लिए इतना विवश कर दिया कि स्वेक्षा से तेरा लिंग चूस्ति रही" कम्मो की आँखें मूंद गयी और हान्फते हुए उसने सीट पर अपना शीश टिका लिया.


कुच्छ देर का सन्नाटा दोनो को भारी पड़ने लगा था. निकुंज चाहता, उसकी मा बोले और कम्मो चाहती थी, उसका बेटा बोले. मगर दोनो ही चुप थे.
 

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"तो क्या मोम आप ने पहली बार मेरे लिए वो सब किया ?" निकुंज ने फ़ैसला कर लिया कि आज वो घर पहुचने से पहले अपनी मा के अंदर उबल रहे सैलाब को हर तरह से जाँचेगा, परखेगा. क्या पता कम्मो उसे नीमा की विवशता भी बता दे.


ना चाहते हुए भी उसकी बात का जवाब देने के लिए कम्मो को अपनी बंद आँखें खोलनी पड़ी लेकिन सिर्फ़ हां में सर हिलाते हुए वह अपनी स्वीकृति दे पाई.


"यकीन नही होता मोम, आइ मीन फर्स्ट टाइम में इतना सटीक ब्लोवजोब" वह बोला.


"क्या करती मैं, तुझे परेशान कब तक देख पाती और सच कहु तो मुझे भी यकीन नही होता कि मैने ये सब कैसे कर दिया" कम्मो फुसफुसाई.


"मोम एक बात पुछु, अगर आप को बुरा ना लगे तो ?" निकुंज को दाव पर दाव खेलना अच्छा लगने लगा था.


"ह्म्‍म्म" कम्मो के जवाब में अब भी शांति थी बस हल्की सी घुटन का आभास हो रहा था.


"माना वह मेरी ट्रीटमेंट का ही एक पार्ट था मगर क्या आप ने भी उसे एंजाय किया था ? " निकुंज के इस सवाल ने जैसे कम्मो के गुदा द्वार में सनसनी मचा दी, उसके चूचक भी ब्लाउस फाड़ कर बाहर निकलने को आम्दा थे.


"बस कर निकुंज, एक मा और उसके बेटे के बीच इस तरह की बातें शोभा नही देती " सवाल के जवाब में कम्मो कहना तो सिर्फ़ हां चाहती थी मगर उसका व्यवहार कहीं मात्रत्व से रंडी-पने में परिवर्तित ना हो जाए, उसने खुद पर काबू किया.


"जो भी हो मोम !! मैं तो उस रात को कभी नही भूल पाउन्गा, वैसे क्या आप मुझे नीमा आंटी की विवशता का कारण बताएँगी ?" निकुंज के प्रश्न जारी रहे.


कम्मो :- "अभी मुझ में इतनी सहेन-शक्ति नही कि मैं तुझे उसके अब-नॉर्मल जीवन का राज़ बता सकु"


"चलिए फिर कभी सही लेकिन मोम आप खुद में बदलाव लाओगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा" कार को घर की पार्किंग में लगाते हुए निकुंज ने कहा.


"बदलाव ?" इस बार कम्मो प्रश्न कर बैठी.


"नीमा आंटी के बच्चे उन्हे सपोर्ट करते हैं, मैं खुद चाहता हू आप भी आज के परिवेश में रहना सीखें" निकुंज ने उन अंडरगार्मेंट्स पर नज़र डालते हुए कहा.


"बहुत बड़ा हो गया है तू, चल मैं कोशिश करूँगी" कम्मो मुस्कुरा उठी.


"थॅंक्स मॉम" निकुंज ने अचानक कम्मो का गाल चूमा और कार से उतर कर घर के अंदर जाने लगा, हैरान कम्मो भी उसके साथ थी.



वहीं शहेर के ही **** होटेल में :-


"मज़ाक ना कर दीदी !! उतार ना अपने कपड़े, देख मैं भी तो नंगा हूँ" लड़के ने बेड पर बैठी अपने बड़ी बहेन से विनती की लेकिन लड़की ने अब तक अपने छोटे भाई के मुताबिक़ कोई काम नही किया था.


"तू मादर्चोद तो बन गया, अब क्या बेहेन्चोद भी बनेगा ?" लड़की ने टॉंट मारा.


"हां बनूंगा !! फिर हम घर से मामा के घर जाने का झूट बोल कर यहाँ होटेल आए हैं. तो अब नाटक छोड़ और नंगी हो जा ना" लड़के ने दोबारा रिक्वेस्ट की.


"मान मेरी बात, ये ग़लत है छोटे" लड़की अपनी बात पर अड़ी रही, हलाकी होटेल में कमरा बुक करने का प्लान खुद उसी का था मगर वह अपने छोटे भाई की प्यास को और भी कहीं ज़्यादा बढ़ाना चाहती थी.


"कोई ग़लत नही दीदी, देख ना कैसे फड़फड़ा रहा है मेरा लॉडा" लड़का अपनी जगह से उठा और लड़की के सुंदर चेहरे पर अपना लंड रगड़ने लगा.


"ह्म्‍म्म" लड़की ने जोरदार अंगड़ाई ली "हटा इसे मेरी आँखों के सामने से" वह चिल्लाई.


"साली छिनाल, पहले मुझे गरम किया फिर इस होटेल में लाई और अब अपनी गान्ड मरा रही है. मैं जा रहा हू यहाँ से" लड़का बेड से नीचे उतरने लगा, उसकी आँखों में अंगार जल रहे थे.
 

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"कहाँ जा रहा है भाई ?" लड़की ने हौले से पुछा.


"घर !! तेरी मा चोदने" लड़के ने गुस्से से जवाब दिया तो लड़की बेड पर लेट कर लॉट-पोट होने लगी.


लड़का थम गया, आशा के विपरीत की उसकी बहेन इस तरह उसका मज़ाक बनाएगी. क्रोध में भर-कर वह पुनः बिस्तर पर चढ़ा और लेटी सग़ी बड़ी बहेन के गले को अपने हाथ की मजबूती से जाकड़ लिया.


"चल अपना मूँह खोल और चूस मेरा लॉडा, बहुत नाटक कर लिया तूने. अब मैं तेरा रेप करने वाला हूँ" लड़की की गर्दन पर ज़रा सा प्रेशर पड़ने से खुद ब खुद उसका का मूँह खुल गया.


अब तक हुई अश्लील गर्माहट से लड़के का विशाल लंड पत्थर हो चुका था, लाल आलू बुखारे समान सुपाड़ा रस की गाढ़ी बूँदो से सराबोर, जिसे वह अपनी बहेन के खुल चुके गुलाबी होंठो पर फेरने लगा.


"तू भी मज़ा ले इस रस का, मम्मी तो दीवानी हैं मेरे लंड की और जल्द ही तेरी चूत भी इसके नाम की माला जपा करेगी" अट्टहास करते हुए जबरन लड़के ने आधा लंड किसी भाले की भाँति अपनी बहेन के मूँह में ठूँसा और लड़की घबरा कर अपना गला उसकी गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.


"ना बहना !! अभी तो सज़ा मिलनी शुरू हुई है, बस तू देखती जा कैसे मैं तेरी चुदास मिटाता हू" एक करारी आह के साथ लड़के ने अपनी बहेन के मूँह में धक्के लगाने शुरू कर दिए, वह पूरी तरह जानवर बनता जा रहा था, जानता था उसकी बहेन पीड़ा से घुट रही है मगर लग रहा था जैसे वह उस पर कोई रहम नही करेगा.


"उउल्ल्लूउउउऊप" लड़की को उबकाइयाँ आने लगी, वजह लड़के का लंड उसके गले को चोट करने लगा था.


"आहह !! कितना टाइट जा रहा है. चूस बहना, किस्मत वाली है जो सगे भाई का लंड तेरे मूँह में है" इतना कह कर लड़के ने धक्के मारना बंद कर दिए, वह अपनी बहेन के मूँह से बाहर बहती उसकी लार और खुद के लंड से निकले रस के मिश्रण को गौर से देखने लगा.


"स्नेहा दीदी !! तू बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था, मेरा लंड चूसने से मेरी बहेन को इतनी खुशी मिलेगी कि उसकी आँखें छलक उठेंगी. विक्की से पंगा ले रही थी ना, अब भुगत"
 

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ये दोनो नीमा के बच्चे हैं, एक रात पानी की प्यास ने स्नेहा को उसके कमरे से बाहर आने पर मजबूर किया. वह कमरे से बाहर निकली ही थी कि हॉल का नज़ारा देख उसकी प्यास गले से नीचे खिसक, उसकी कुँवारी चूत में उठने लगी.


हॉल की सारी लाइट्स ऑन थी और विक्की अपनी मम्मी को सोफे पर कुतिया बना कर चोद रहा था. स्नेहा को लगा कहीं ये सपना तो नही लेकिन उसकी मम्मी और छोटे भाई की सिसकारियों ने उसे हक़ीक़त का अंदाज़ा करवा दिया.


किसी कुँवारी लड़की के लिए चुदाई देखना बड़ी बात है मगर चुदाई उसकी मा और सगे भाई के बीच हो तो क्या कहने, स्नेहा उस रात तब तक झड़ती रही जब तक हॉल की रास-लीला समाप्त नही हो गयी.


देखने से ही पता चल रहा था कि उसकी मा और भाई काफ़ी लंबे अरसे से इस पाप में लिप्त होंगे, और अंत में जिस कामुकता से एक मा ने अपने बेटे का वीर्य चखा, स्नेहा बेहोश होते-होते बची.


रात भर चूत की आशाए जलन और मन में उठ रहे दर्ज़नो सवाल, स्नेहा सिर्फ़ करवटें बदलती रही.


रात बीती नयी सुबह आई मगर वह सो ना सकी, हलाकी उसके दिल ओ दिमाग़ में अपनी मा और भाई के लिए ज़रा भी नाराज़गी नही थी बल्कि रोमांच से उसकी चूत अब तक बहे जा रही थी.


छुट्टियों के दिन थे तो बच्चे और उनकी मा, मन चाहे समय तक नींद पूरी करते, उस दिन भी ठीक वैसा ही हुआ.


दोपहर 11:30 तक स्नेहा अपने बिस्तर पर रही. फिर जब उससे और ना लेटा गया तो वह किसी चोर के समान कमरे से बाहर आई.


किचन से आती हसी मज़ाक की आवाज़ो ने ज़ाहिर किया कि अंदर उसकी मा और भाई विक्की पहले से मौजूद हैं, वह दबे पाव किचन की तरफ बढ़ी और दरवाज़े से अंदर झाँका.


उसकी मा नीचे ज़मीन पर बैठी थी और विक्की खड़ा, मा को अपना लंड चुस्वा रहा था. नीमा की पीठ दरवाज़े की तरफ होने से वह स्नेहा को नही देख पाई लेकिन विक्की की आँखें अपनी बड़ी बहेन पर बाज़ की भाँति जमी रह गयी.


दोनो भाई-बहेन स्टॅच्यू बन चुके थे, ना तो स्नेहा द्वारा कोई हरक़त हुई और ना ही विक्की द्वारा और फिर अचानक से नीमा के मूँह की गर्मी विक्की बर्दाश्त नही कर पाया.




"आहह मोम" विक्क की आँखें बंद, बदन धनुषाकार हो गया और नीमा का सर पकड़ कर उसने अपना विशाल लंड, उसके कंठ तक ठेल दिया.


वहीं नीमा भी इस अप्रत्याशित हमले को सह नही पाई और हड़बड़ाहट में विक्की की जांघे नोचने लगी, उसे अचंभा हुआ कि अचानक से विक्की ने अपना पूरा लंड उसके गले में क्यों ठूंस दिया.


जब तक विक्की के टटटे खाली नही हुए उसने अपनी मा को नही छोड़ा और जब वीर्य-पात के पश्चात अपनी आँखें खोली तो देखा "स्नेहा किचन के दरवाज़े पर नही थी"


उसने फॉरन अपनी मा पर इस सच को ज़ाहिर करना चाहा मगर घबराहट में कुच्छ भी कह ना सका.


नीमा की हज़ार समझाशों के बावजूद भी वह अपनी मन-मर्ज़ी से सुबह के वक़्त, उसके मुख-चोदन का आनंद लेने को मचल रहा था और तभी उसने स्नेहा द्वारा पकड़े जाने वाली बात अपनी मा से छुपा ली.


उस दिन विक्की बहुत बेचैन रहा "कहीं स्नेहा भड़क ना उठे" मगर जब सांझ बीत जाने तक स्नेहा चुप रही तो उसका साहस बढ़ने लगा और उसी रात उसने अपनी मा को दोबारा चोदा लेकिन इस बार भी स्नेहा उसके द्वारा, उनकी चुदाई देखती पकड़ी गयी.


"लगता है दीदी की चूत भी जल्द ही चखने मिलेगी" सेक्स के दौरान विक्की ने सोचा और अपनी बड़ी बहेन के सामने जान-बूझ कर, मुस्कुराते हुए, अपनी मा को चोदता रहा. शायद अपने चुदाई कौशल का प्रदर्शन कर रहा था.


स्नेहा ने उस रात अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल, विक्की के सामने ही अपनी कुँवारी चूत मसली थी और ये वह संकेत था जो अगले ही दिन, आज वे इस होटेल के बंद कमरे में उस अधूरे महा-पापी कार्य को पूरा करने आए थे.
 

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"बहुत छुप-छुप कर अपनी मा को चुदते हुए देखने का मन होता है ना दीदी और तेरी चूत भी बहती है. चल आज मैं तेरा लीकेज फुल और; फाइनल ठीक कर देता हूँ" विक्की ने पुरजोर ताक़त से अपना लंड स्नेहा के मूँह में ठेलते हुए कहा और कुछ सेकेंड्स बाद बाहर खीच लिया.


"ओह" स्नेहा जोरो की साँस लेने लगी और विक्की के हाथ की गिरफ़्त ढीली पड़ते ही एक जोरदार मुक्का उसकी पीठ पर जड़ दिया.


"मादरचोद !! जान लेगा क्या मेरी ?" अपनी लार से सना विक्की का लंड हाथ में पकड़ कर स्नेहा उसे इस तरह मरोड़ने लगी जैसे उसे तोड़ ही डालेगी.


"उफफफफ्फ़ दीदी नही" अब तड़पने की बारी विक्की की थी, लेकिन वह ज़्यादा शोर मचाता इससे पहले ही स्नेहा ने अपना चेहरा लंड पर झुकाते हुए वापस उसे चूसना शुरू कर दिया.


"ह्म्‍म्म !! स्ट्रेंज सा टेस्ट है भाई, मगर मज़ा आ रहा है" स्नेहा ने आँख मारते हुए विक्की से कहा "कमिने !! मैं जान-बूझ कर तुझे उकसा रही थी तो क्या तू मुझे जान से ही मार डालता ?"


विक्की ने देखा दीदी तो लगातार उसका पोपट बनाती जा रही है "तुझे नही दीदी !! तेरी चूत मारूँगा" वह भी खिलखिला कर हँस पड़ा.


विक्की :- "दीदी एक बात पूच्छू ?"


स्नेहा उसका लंड चूसने में मगन थी तो सिर्फ़ अपनी पलकें उठाते हुए, हां में इशारा किया.


"तूने मोम और मुझे चुदाई करते देखा लेकिन नाराज़ नही हुई. क्यों ?" विक्की ने सवाल किया.


"पुचह " स्नेहा ने अपने गुलाबी होंठो की गिरफ़्त टाइट करते हुए लंड मूँह से बाहर खीचा "क्यों कि मैं मोम को शर्मसार होते नही देख पाती"


"मगर दीदी" विक्की कुच्छ कहता इससे पहले ही स्नेहा ने उसे टोक दिया.


"टॉपिक चेंज कर भाई, मुझे तेरे और मोम के बीच होते सेक्स से कोई प्राब्लम नही" वह लंड चूसने में आनंदित थी.


"दीदी मुझे तेरी चूत देखनी है !! अब तो नंगी हो जा" विक्की का कमीना-पन वापस जाग रहा था.


स्नेहा :- "मगर एक शर्त पर"


विक्की :- "क्या ?"


"आज हम सेक्स नही करेंगे" स्नेहा की बात सुन कर विक्की का मूँह लटक गया.


"अरे मेरा छोटा भाई तो उदास हो गया, हम चुदाई ज़रूर करेंगे लेकिन उस दिन, जब मोम खुद तेरा लंड अपने हाथ से मेरी चूत में डालेंगी" विक्की को चौकाते हुए स्नेहा मुस्कुराइ "और वो कैसे होगा, मैने सब प्लान कर लिया है"


"वाउ !! मतलब थ्रीसम दीदी" विक्की की बाछे खिल गयी और उसने स्नेहा के मूँह में ज़ोर से धक्के देने शुरू कर दिए.


कुच्छ देर यूँ ही लंड चुसाई का दौर चला, जहाँ स्नेहा ने पहली दफ़ा कोई लंड चूसा था वही विक्की भी फर्स्ट टाइम कोई कुँवारी चूत देखने के सपने संजोए बैठा था.


"दीदी अब ना तडपा !! नंगी हो जा फिर मैं तुझे बताउन्गा, किस तरह हम दोनो एक साथ, एक दूसरे को ओरल सॅटिस्फॅक्षन दे सकते हैं" विक्की से सबर ना होते देख स्नेहा ने उसका लंड अपने मूँह से बाहर निकाला और बेड पर खड़ी होने लगी.


"मुझे मत सिखा चूतिए, 69 पोज़िशन मुझे भी समझ आती है" स्नेहा की इतनी जानकारी को जान विक्की को लगा "कहीं दीदी खेली खिलाई तो नही"


स्नेहा ने खड़े-खड़े अपने दोनो हाथ स्कर्ट के अंदर डाले और पहनी हुई वाइट कॉटन पैंटी झटके से पैरो से बाहर निकाल दी.


"अब ठीक है" वह बड़े कामुक अंदाज़ में बोली मगर अपनी कुँवारी चूत का रत्ती भर दर्शन विक्की को नही होने दिया.


"दीदी तेरी कछि तो पूरी गीली है, वाउ !! क्या खुश्बू है तेरी चूत की" विक्क चील की तरह अपनी बहेन की पैंटी पर झपटा और उसे सूंघते हुए अपना लंड हिलाने लगा.


"मतलब इतने में तेरा काम हो जाएगा" स्नेहा बेड से नीचे उतरने को हुई "तो फिर जल्दी फिनिश कर और फिर हमे मामा के घर भी जाना है" एक और बार उसने विक्की की झन्ड कर दी थी.


"मगर ना तो मैने तेरी चूत देखी ना चूसी, फिर ?" विक्की मायूसी से बोला.


"तो फिर अपना लंड छोड़ और दीदी को पकड़" पकडम-पकड़ाई खेल शुरू हो चुका था.
 

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पापी परिवार--56




स्नेहा ने विक्की को अपनी कामुक अदाओ से ललचाना शुरू किया और कमरे में दौड़ लगाने लगी. दौड़ते वक़्त उसकी सुडोल चूचियों का तेज़ी से ऊपर-नीचे होना और साथ ही चूतडो का आपस में घिसना, मटकना. विक्की के सख़्त लंड में दर्द की असीम पीड़ा उत्पन्न कर रहा था.


"दीदी रुक जा !! अगर पकड़ में आई ना तो तेरी खेर नही" विक्की निरंतर इस प्रयास में लगा रहा कि जल्द से जल्द अपनी बहेन को नग्न अवस्था में देख सके.


"दम हो तो पकड़ ले" स्नेहा ने उसे जीभ चिढ़ा कर कहा. जब विक्की बेड के नज़दीक होता, वह सोफे के पिछे चली जाती और जब विक्की सोफे के नज़दीक आता तो वह बेड के चक्कर काटने लगती.


"उफफफ्फ़ !! मैं तो थक गया" जब विक्की थक़ान से चूर हो गया तब हार-कर सोफे पर निढाल होते हुए बोला.


"बस इतने में ही. अरे मुझे तो लगा, कि तू खुद अपने हाथो से मेरे कपड़े उतारेगा" स्नेहा अपनी जीत पर इतराई.


"ना ना !! अब और ताक़त नही मुझ में. तरस खा ना दीदी अपने छोटे भाई पर" विक्की का चेहरा मायूसी से लटक गया.


वहीं स्नेहा का दिल भी पसीजा "चल ठीक है, मैं उतारती हूँ" वह अपने चूतडो को विक्की की दिशा में घुमाते हुए बोली.


स्कर्ट के अंतिम छोर को हाथ में पकड़ कर स्नेहा ने उसे हौले-हौले अपनी मोटी-मोटी जाँघो तक ऊपर उठा लिया.


"यस दीदी !! बिल्कुल सही जा रही हो" विक्की के लौडे की अकड़न भविश्य की कल्पना से और भी ज़्यादा बढ़ने लगी "काश मैं ये नज़ारा करीब से देख पाता" वह अपने लंड को हिलाते हुए बोला.


"मगर तू मुझे च्छुएगा ?" जांघे बे-परदा करने के बाद स्नेहा ने अपने भाई की डिमॅंड पर गौर किया.


विक्की :- "पास आजा दीदी !! प्रॉमिस तुझे टच नही करूँगा"


"सोच ले तूने वादा किया है विक्की !! मेरे बदन को हाथ नही लगाएगा" स्नेहा ने री-कन्फर्म किया.


"पक्का !! हाथ नही लगाउन्गा" विक्क की आँखें चमक उठी.


स्नेहा ने सेम पोज़िशन में अपने कदम विक्की की दिशा में बढ़ा दिए और सोफे पर बैठे अपने छोटे भाई के बेहद करीब आ कर खड़ी हो गयी.


"ओह दीदी !! कितनी चिकनी जांघे हैं तेरी" विक्की सिसका, उसकी बहेन की टाँगो पर बाल रूपी एक भी रेशा नही था "हां अब ठीक है !! उठा स्कर्ट अपनी" वह सब्र करने की सिचुयेशन से कोसो दूर था.


वहीं उससे कहीं ज़्यादा खराब हालत स्नेहा की थी, आज वह अपने सगे छोटे भाई के सामने नग्न होने जा रही थी. अपने गुप्ताँग जो हर जवान लड़की सिर्फ़ अपने भावी पति को सौंपती है, स्नेहा अपने भाई के सुपुर्द कर रही थी.


"भाई" वह लो वाय्स में बोली "मुझे शरम आ रही है"
 

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विक्की :- "मैं जानता हूँ दीदी !! मेरे साथ भी कुच्छ ऐसा ही हुआ था जब पहली बार मोम ने मेरा लंड अपने हाथो में पकड़ा, फिर बात लंड चूसने पर पहुचि और आज हम दोनो सेक्स को खूब एंजाय करते हैं. खेर शरम का भी अपना एक अलग ही मज़ा है.


"हम दोनो भाई-बहेन हैं विक्की और आज से पहले मेरे मन में तेरे लिए कोई ग़लत ख़यालात नही आए. क्या तू फिर भी अपनी सग़ी बड़ी बहेन को नंगी देखना चाहता है" अत्यधिक रोमांच से कामुक होती स्नेहा का कथन सुन कर विक्की भी हैरत में पड़ गया.


"तो फिर क्या करें दीदी ?" विक्की कोई भी निर्णए लेने में असमर्थ दिखा "मामा के घर चलें ?"


"मगर तेरी इक्षा का क्या भाई ? क्या तू ऐसा मोका छोड़ सकता है जब कोई लड़की तेरे सामने अपना सब कुच्छ न्योछावर करने को तैयार हो ?" स्नेहा ने विक्की का आंतरिक मन जान-ना चाहा.


"दीदी !! यदि वो लड़की कोई और होती, तो मैं कभी ना रुकता मगर तू मेरी बहेन है, मुझसे बड़ी है और हमारा खून का रिश्ता है. अब अगर तू नही चाहती तो मैं तुझे फोर्स नही करूँगा" विक्की ने समझदारी का परिचय दिया तो स्नेहा के मन में भी उसके लिए प्रेम उमड़ पड़ा.


"तभी तो मेरा दिल मेरे छोटे भाई पर आया है" इतना कह कर स्नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली और स्कर्ट को जाँघो से ऊपर खीचती हुई, अपनी चूतडो की दरार के स्टार्टिंग पॉइंट तक ले आई.


विक्की तो जैसे शून्य में परिवर्तित हो चला था, स्नेहा ने एक गहरी साँस ली और इसके फॉरन बाद स्कर्ट को पूरी तरह से अपनी कमर के ऊपर चढ़ा लिया.


"देख ले भाई तेरी बहेन की कातिल जवानी" स्नेहा आगे को झुकती चली गयी और अगले ही पल विक्की की पथराई आँखों के सामने उसकी सग़ी बड़ी बहेन की चिकनी कुँवारी चूत और गान्ड का अन्छुआ भूरा छेद अवतरित हो गया.


स्नेहा की पलकें मुंदी थी, वह अपने दिल में उठ रही हर उस आवाज़ को बंद कर देना चाहती थी जो चीख-चीख कर उससे कह रही थी "विक्की तेरा भाई है, तुझे 5 साल छोटा. मत कर ये पाप और छुपा ले अपनी शरमगाह"


कमरे में पसरा सन्नाटा ज़्यादा देर टिक नही पाया और विक्की ने अपनी मंत्रमुग्ध अवस्था का त्याग कर, नीचे झुकाते हुए, स्नेहा की रस से सराबोर चूत पर अपने सुस्क होंठ चिपका दिए.


"उफफफफफफफफ्फ़ भाई" स्नेहा की सिसकी से बंद कमरा गूँज उठा. उसके अनुमान की धज्जियाँ उड़ाते हुए, उसके छोटे भाई ने उसकी कुँवारी चूत पर हमला बोल दिया था.


विक्की की नाक स्नेहा के नर्म गुदा द्वार से पूरी तरह सटी और सूखे होंठ खुद ब खुद गीले हो कर बहेन की कुँवारी चूत से बहते गाढ़े रस का, रस-पान करने लगे थे.


"बेड पर चल भाई !! मैं ज़्यादा देर इस तरह खड़ी नही रह पाउन्गि" टाँगो में होते कंपन ने ज़ाहिर कर दिया, कि अब स्नेहा भी खुल कर इस खेल का आनंद लेना चाहती है
 

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विक्की ने अपनी बड़ी बहेन की बात का समर्थन करते हुए उसकी चूत से अपना मूँह हटा लिया और वे दोनो जल्द ही बेड पर एक-दूसरे के समानांतर लेट चुके थे.


स्नेहा की अनियंत्रित चढ़ि साँसें और उसकी खूबसूरती से हैरत में पड़ा उसका छोटा भाई मानो किसी गरम रेत के रेगिस्तान में भटक रहा था, जिसे अब जल्द ही किसी शीतल झरने को पाने की आस थी.


"ऐसे क्या देख रहा है भाई ?" स्नेहा उसकी एक-टक नज़र को ज़यादा देर सह नही पाई और उससे पुच्छ बैठी.


विक्की भी सपने से बाहर आया "दीदी तेरी आँखें कितनी प्यारी है, होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी, सुराही दार गर्दन. खेर बाकी तो मैने कुच्छ नही देखा लेकिन तेरी चूत वाकाई लाजवाब है" वह शायराना अंदाज़ मे बोला.


"अच्छा भाई !! कहीं तेरा दिल मोम से हट कर अपनी बहेन पर तो नही आ गया ?" स्नेहा ने दोबारा सवाल किया.


"ऐसा नही है दीदी !! मोम और तुझ में ज़मीन-आसमान का अंतर है" कहते हुए विक्की उठा और अपनी बहेन की टाँगो के दरम्यान बैठने लगा.


"वो क्यों भला ?" स्नेहा समझ गयी विक्की दोबारा उसकी चूत को बे-परदा करेगा लेकिन जानते हुए भी उसने कोई आपत्ति नही जताई, बल्कि अपनी टाँगो की जड़ को विपरीत दिशा में फैलाने लगी.


"मोम तुझसे काफ़ी बड़ी हैं, और उनका बदन भी तुझसे ज़्यादा गदराया हुआ है" विक्की ने स्नेहा की स्कर्ट को उसके सपाट पेट पर पलट-ते हुए कहा, खुद उसकी बहेन ने इस कार्य में अपनी गान्ड बेड से ऊपर उठाते हुए उसकी मदद की.


"हां मोम का शरीर थोड़ा हेवी है और वेट भी मुझसे ज़्यादा है लेकिन तू कह रहा है ज़मीन-आसमान का अंतर है. क्यों ?" स्नेहा की चूत से बहते रस का कोई अंत नही था और विक्की का हाथ हल्के-हल्के उसकी मोटी जाँघो को सहला रहा था.


"ह्म्म तू सही है दीदी मगर सबसे बड़ा अंतर क्या है, बताउ ?" विक्की के सवाल के जवाब में बेड पर लेटी स्नेहा ने अपना सर हां के इशारे में हिलाया.


"तेरी ये कुँवारी चूत काफ़ी टाइट, चिपकी हुई और छोटी है वहीं मोम की चूत के होंठ पूरी तरह खुले, इतनी टाइट नही और बहुत बड़ी भी है" विक्की ने बेहद अश्लीलता से अपनी मा और बहेन की योनि का अंतर समझाया.


"भाई !! एक तो उन्होने डॅड के साथ आधी उमर तक सेक्स किया, फिर अब तेरे साथ कर रही हैं और तू ये कैसे भूल गया कि हम दोनो भाई-बहेन भी तो उसी चूत से बाहर निकल कर इस दुनिया में आए हैं. अब हमेशा तो औरत की चूत किसी कुँवारी लड़की जैसी नही रहेगी ना" स्नेहा ने सच बयान किया.


"ओ तेरी !! मैं तो भूल ही गया था, खेर दीदी तेरी तो अब तक झान्टे भी नही उगी हैं" विक्की ने अपने दाएँ हाथ की मद्धिम उंगली चूत की नर्म व सूजी फाँक पर फेरते हुए कहा.


"आहह भाई !! वो मेरे मेन्स्ट्रवुशन कल से स्टार्ट हैं तो मैने क्रीम से सारे बाल सॉफ कर लिए" स्नेहा तड़प्ते हुए बोली, ये पहला मौका था जब किसी मर्द का हाथ उसकी चूत के इतना करीब था.
 

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"चल ठीक है दीदी !! अब तो मुझसे रहा नही जाता. तेरी चूत चाटने से खुद को रोक नही पा रहा हू" कहते हुए विक्की ने खुद को अपनी बहेन की टाँगो के बीच स्थापित किया और उसकी दोनो खुली जाँघो और ऊपर उठाते हुए अपने चेहरे को उनकी जड़ की दिशा में तब तक नीचे झुकता गया, जब तक उसके होंठो का क़ब्ज़ा स्नेहा की कुँवारी चूत से ना हो गया हो.


"उफफफफफ्फ़ भाई !! चाट ले, प्यार कर अपनी बहेन को भी, जैसे तू मोम के साथ करता है" स्नेहा की उबल्ति चूत में सैकड़ों चीटियों द्वारा काटे जाने समान दर्द उठने लगा और अपने भाई के सर को वह कठोरता से अपनी घायल होती जा रही चूत के मुख पर दबाने लगी.


"ह्म्‍म्म !! लव मी भाई, लव मी" वह घुर्राई बदले में विक्की ने अपनी वही उंगली जिसे कुच्छ देर पहले वह चूत की चिपकी फांको पर फेर रहा था, झटके से चूत की सन्करि घाटी में पूरी ताक़त से उतार दी.


"खचह" कुछ ऐसी ही आवाज़ दोनो भाई-बहेन के कानो को भेद गयी.


"आहह !! भेन्चोद निकाल अपनी उंगली बाहर, मैने आज तक कुच्छ भी अंदर नही डाला है" स्नेहा ने विक्की के सर के बालो को नोंछते हुए कहा "भाई सिर्फ़ चूस या चाट मगर अंदर कुच्छ ना डाल, मैं प्यार करने को थोड़ी मना कर नही रही हूँ"


विक्की ने अपनी बहेन की आग्या का पालन करते हुए अपनी उंगली को हौले-हौले बाहर निकाला तो उंगली के साथ ही जैसे रस की, मोटी धार भी बाहर खीची चली आई.


"एम्म्म एम्म्म" धरती पर अपनी बड़ी बहेन को स्वर्ग का दीदार करवाते हुए विक्की सारी गाढ़ी मलाई, होंठो के ज़ोर से मूँह के अंदर सुड़कने लगा, खीचने लगा.


उसकी जीभ निरंतर चूत की जुड़ी फांको को लंड की तरह चोद रही थी और बारी-बारी उसने दोनो फाको को होंठो के दरमियाँ कठोरता से भींच, दबा-दबा कर चूसा जिसके प्रभाव से जल्द ही चूत का भज्नासा भी अपना सर उठाए उसके होंठो से द्वंद करने की अभिलाषा लिए प्रकट हो गया.


स्नेहा की चूत मे ऐंठन शुरू हुई, संकुचन बढ़ गया, लगा जैसे अन्द्रूनि संकरे मार्ग से कोई बलिष्ठ वास्तु अत्यधिक कोशिशो के बावजूद भी बाहर नही निकल पर रही हो "भाई ज़ोर लगा और खा जा मेरी चूत को" वह बल खाई नागिन की तरह मचल उठी.


दर्ज़नो बार अपनी मा के साथ पापी संबंध बनाने के तजुर्बे ने जल्द ही विक्की की जीब और होंठो का रुख़ चूत के सूजे भग्नासे की तरफ केंद्रित कर दिया और इतनी प्रवीनता से उसने उसे चूसा, जैसे आज के बाद वह मोटा दाना कभी अपना सर नही उठा सकेगा.


"ओह्ह ह्म्म" स्नेहा के आनंद की ये पराकाष्ठा थी.



"ले मसल इन्हे भी" कामन्ध स्नेहा ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा किया तो विक्की के दोनो हाथ एक-साथ उन्हें दबाने के उद्देश्य से उन पर टूट पड़े.
 
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