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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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"फिर क्या दिक्कत है !! गंदे अंडरवेर को पहने रहेगा तो तुझे इन्फेक्षन हो सकता है बेटे. चल अब ज़िद मत कर और इसे उतार कर अपनी मा को दे दे" कम्मो प्यार से उसे समझाती है. फ्रेंची की स्ट्रीप छोड़ कर जो ग़लती उसने की थी अब उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हो रहा था. कितने जतन के बाद वह अपने बेटे का लंड वापस देखने में कामयाब हुई थी मगर उसकी एक भूल ने उसके चेहरे पर आई सारी खुशी मानो गहेन मायूसी में बदल दी थी.


"बेटा !! मैं मा हूँ तेरी और मेरे होते हुए भी तू परेशान रहे यह मैं कभी नही सह पाउन्गि" निकुंज को शांत बैठा देख कम्मो ने एहसासो के सहारे उसे मनाना चाहा "पुणे में तू अपना लंड खड़ा ना होने की वजह से दुखी था तब तेरी मा ने उसे अपने मूँह से चूस कर तेरी उदासी को दूर किया और यह बात मैं तुझे बता भी चुकी हूँ कि उससे पहले मैने कभी लंड नही चूसा था, तेरे पापा का भी नही. अभी तुझे खुजली से दिक्कत महसूस हो रही है तो तेरी मा तेरा अंडरवेर धो देगी. जब-जब तू परेशान होगा निकुंज कोई तेरे साथ हो या ना हो लेकिन तेरी मा ज़रूर तेरे साथ होगी" बे-ख़याली में कम्मो दो बार लंड शब्द का उच्चारण कर जाती है मगर उसे इस बात की कोई परवाह नही थी. उसका मक़सद तो किसी भी हालत में अपने बेटे को संपूर्ण रूप से नंगा देखने का था.


कम्मो की इस बात ने निकुंज की रूह कंपा दी और वह खुद को धिक्कारने लगता है कि क्यों उसने खुजली वाला नाटक शुरू किया और उसकी मा उसके अभिनय को सच मान बैठी. वह अपनी मा की मर्यादा और उसकी इज़्ज़त से भली-भाँति परिचित था भले चाहे उसके खुद के मन में अपनी मा के प्रति ग़लत भाव आ गये थे मगर एक मा होने के नाते कम्मो जान-बूच्छ कर उसका ग़लत इस्तेमाल कभी नही करेगी शायद यह निकुंज भूल गया था.


"मुझे पता है !! आप मुझे प्राब्लम में नही देख सकती" निकुंज ने अपने दोनो हाथो को अपनी कमर पर रखते हुए कहा "आप सही हो मोम !! मुझे इन्फेक्षन होने का ख़तरा है" बोल कर वह अपनी उंगलियाँ फ्रेंची की स्ट्रीप में डाल कर शीघ्रता से उसे अपनी टाँगो से बाहर निकाल देता है.


"निकुंज !! तूने अपनी मा की बात मानी. मुझे बहुत खुशी हुई" कम्मो अत्यंत तुरंत निकुंज की नंगी छाति से लिपट कर कहती है. उसकी आँखें चमक उठी थी जब उसने अपने बेटे को स्वयं अपने मन से अपनी फ्रेंची उतारते देखा था. अगर निकुंज की नज़र उस वक़्त अपनी मा के चेहरे पर होती तो यक़ीनन वा जान जाता कि उसके साथ छल-कपट किया गया है.
 

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"आप की बात को कैसे टालता मोम !! लो अब इसे धो दो" कम्मो के प्यार भरे आलिंगन को स्वीकार करते ही निकुंज की घबराहट अचानक से बढ़ गयी. सर्व-प्रथम तो वह अपनी सग़ी मा के सामने पूर्ण-रूप से नंगा होने पश्चात खुद के जिस्म में बेहद रोमांच आता महसूस कर रहा था और दूसरे कम्मो की गोल मटोल तनी चूचियाँ उसकी छाति में बुरी तरह धँस कर उसके टटटे उबलवाने लगी थी. नतीजन निकुंज का लंड अब और भी ज़्यादा विकराल हो कर उसकी मा के नंगे मुलायम पेट पर चोट कर देता है.


"उफ़फ्फ़ !! यह क्या चुभा मुझे ?" जानते हुए कि अभी उसके पेट से कौन सी वस्तु टकराई है कम्मो ने सिसक कर निकुंज को अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया और अपने प्रश्न के ज़रिए अब वह अपने पुत्र के विशाल लंड को उसी की आँखों के सामने खुल कर निहार सकती थी.


"निकुंज !! तेरी मा ने तुझे ज़रा सी छूट क्या दे दी तू तो शैतानी करने पर उतर आया" कम्मो ने मुस्कुरा कर निकुंज के खड़े लंड की ओर देखते हुए कहा तो बदले में अत्यधिक उन्माद से ओत-प्रोत उसके बेटे का लंड ज़ोर-ज़ोर से झटके खाने लगा और फॉरन उसके सूजे सुपाडे से रस बाहर छलक कर लंड की अत्यंत गोरी खाल पर बह जाता है.


"मोम !! आप अंडरवेर धोने जा रही थी ना ?" निकुंज ने अपनी मा का ध्यान बंटाने के उद्देश्य से अपनी फ्रेंची उसके सुपुर्द करनी चाही ताकि कम्मो उसके लंड की विशालता से संबंधित अन्य कोई प्रश्न ना पुच्छ ले. इतना तो वा जानता था कि उसकी मा को उसके खड़े लंड की स्थिति का पता काफ़ी पहले से लग चुका था.


"हां वो तो मुझे धोना है मगर तू भी मेरे साथ बाथरूम चलेगा" कम्मो ने जैसे विस्फोट किया. उसे अच्छी तरह मालूम था कि उसके बातरूम में जाने के उपरांत अवश्य ही निकुंज अपनी नयी फ्रेंची पहेन लेगा और वह फिर से मॅन मसोस कर रह जाएगी "अब जो भी होना है सब मेरी प्लॅनिंग के मुताबिक होगा" उसने खुद से कहा.


"मैं .. मैं क्या करूँगा बाथरूम जा कर ?" सवाल करते हुए निकुंज हकलाने लगा.


"अरे बुध्धु !! अभी कितना गंदा अंडरवेर पहेन रखा था तूने तो क्या अब इसे उतारने के बाद अपना लंड नही धोएगा ?" कम्मो ने अपने पुत्र को अपने अपने प्रश्न से चौंका दिया. वह खुद हैरान हुई की उसके मूँह से दोबारा लंड शब्द का इतना स्पष्ट उच्चारण कैसे हो गया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी
 

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"हमे हमारे शरीर के सभी प्राइवेट पार्ट्स हमेशा सॉफ-सुथरे रखने चाहिए. क्या तूने साइन्स की बुक में नही पढ़ा और ऐसा ना करने का अंजाम देख. कैसे पागलो जैसे खुजा रहा था अभी थोड़ी देर पहले" इस बार वह अपनी भाषा में सुधार करती है लेकिन अपने बेटे के हैरान चेहरे की आकृति को नही बदल पाती.


"हां मोम !! मैने पढ़ा है" अब निकुंज इससे ज़्यादा और क्या कहता. वह तो बस प्रार्थना कर सकता था कि जल्द ही उसकी मा बाथरूम में चली जाए और उसकी जान छूटे. मगर एक विशेष तथ्य जो उसके मश्तिश्क को झकझोर रहा था और वह था उसकी मा का कड़ा सैयम जो किसी भी दृष्टिकोण से कम्मो के चेहरे पर उत्तेज्नात्मक भाव नही आने दे रहा था.


"देखो जानते हुए भी कितना बड़ा जंगल उगा रखा है बेवकूफ़ ने" कम्मो ने अपनी कामुक बातों का सिलसिला ज़ारी रखा और अपनी प्रथम उंगली व अंगूठे के मध्य उन बालो को पकड़ कर कहती है "मैं तो उसी रात तुझे टोकने वाली थी जब पहली बार तेरा लंड देखा था लेकिन जाने क्या सोच कर चुप रह गयी थी. अब चल ना बैठा क्यों है और वहीं अपनी इन झान्टो को भी काट लेना" यह पहला अवसर था जब कम्मो ने जान-बूझ कर लंड शब्द का इस्तेमाल किया और अपने पुत्र के लंड के आस-पास के एरिया को छुआ भी. अपनी मा की इस शर्मनाक कार्यवाही से निकुंज मानो उसी पल झड़ने को तैयार हो जाता है लेकिन समझदार कम्मो की मौजूदगी उसे झड़ने नही देती. वह समय से पूर्व अपना हाथ उसकी झाटों से हटा चुकी थी.


इसके बाद कम्मो ने ज़बरदस्ती अपने बेटे के हाथ को थाम कर अपने साथ उसे भी बिस्तर से नीचे उतार लिया. अगर वह पहेल नही करती तो निकुंज कभी उसके साथ बाथरूम में नही आता. खुले आम वह लज्जाहीन मा अपने नंगे पुत्र के साथ ऐसे मटक-मटक कर चल रही थी जैसे यह बात उसके लिए बेहद तुच्छ हो और चन्द कदमो का फासला तय करने के उपरांत ही वे दोनो बाथरूम के अंदर पहुच जाते हैं.


"तू यहीं रुक मैं अभी आती हूँ" कहते हुए कम्मो ने मन भर कर निकुंज के लंड को निहारा जैसे उसे अपने जीवन की अंतिम विदाई, आख़िरी अलविदा कह रही हो और फिर पलट कर वापस कमरे में आती है. बिस्तर के पास रखा स्टूल जो स्वयं उसके घुटने तक आ रहा था उसे उठा कर लगभग दौड़ते वह पुनः बाथरूम में प्रवेश कर गयी.


"निकुंज !! इस पर बैठ जा बेटे और मैं तुझे डेटोल आंटी-सेपटिक वॉश की बोटल भी ला कर देती हूँ" कम्मो का आदेश मान कर निकुंज स्टूल पर बैठ जाना ही उचित समझता है. उसकी मा की अजीबो-ग़रीब गतिविधियाँ उसे सकते में डाल रही थी और कहीं कम्मो ने अपना मानसिक संतुलन तो नही खो दिया है ऐसा सोच-सोच कर उसका मश्तिश्क फटा जा रहा था लेकिन मज़ाल है जो उसके लंड में नाम-मात्र का भी ढीलापन आया हो. वह तो तंन कर ना जाने कब से उसके पेट से चिपका हुआ था.


"ले बेटा डेटोल वॉश और देख कितनी बदबू आ रही है तेरे अंडरवेर से" फ्रेंची को अपनी नाक से लगा कर दो-चार गहरी साँसे लेने के बाद कम्मो ने टेढ़ा सा मूँह बनाया बल्कि सच तो यह था कि वह अपने पुत्र के गुप्ताँग की मादक सुगंध सूंघ कर बहुत ज़्यादा कामुत्तेजित हुई थी और जिसके प्रभाव से उसका पूरा जिस्म लहरा उठा था. यह बात फॉरन निकुंज ने नोट कर ली और पहली दफ़ा में ही वह अपनी मा की वास्तविक स्थिति से पूरी तरह वाकिफ़ हो जाता है.


"मोम !! तभी तो आप इसे धोने की ज़िद कर थी" उसने साधारण सा जवाब दिया. हलाकी अब वह अपनी मा की कामुक हालत का जानकार था मगर फिर भी अपने मन को बदल पाना उसके लिए संभव नही हो पाया था.


"संसार की हर मा जो अपने जवान बेटे को इस तरह नंगा देखेगी तो ज़रूरी नही कि उस मा के शरीर और उसकी क्रियाओं में कोई भी परिवर्तन ना आए और फिर मोम ने सिर्फ़ मेरे भले के लिए ही मुझे नंगा किया है. अब ऐसे में यदि उनकी काम लालसाएँ जागने लगी हैं तो इस में उनका क्या दोष" निकुंज गांबीरता-पूर्वक सोच रहा था "मैं सब कुच्छ जानते हुए भी अंजान बना रहूँगा और अपनी तरफ से उन्हें ज़रा भी तकलीफ़ नही पहुचने दूँगा. मैं खुद से वादा करता हूँ कि उनका बेटा हमेशा उनकी इक्षाओ का सम्मान करता रहेगा" अपनी सोच को विराम देते हुए निकुंज मन ही मन मुस्कुराने लगता है.
 

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"निकुंज !! यह ले पानी मगर पहले अपने लंड को अच्छे से धो लेना और इसके बाद आंटी-सेपटिक वॉश यूज़ करना" कम्मो ने पानी से भरा मग अपने बेटे की ओर बढ़ा कर कहा और इसके उपरांत वह एक गारेलू काम-काज करने वाली नारी की तरह अपनी सारी को अपनी गोरी मांसल पिंदलियो तक ऊपर उठाते हुए, सारी का वह हिस्सा अपने पेटिकोट के अंदर ठूंस लेती है. साथ ही उसने अपना पल्लू भी कसा ताकि निकुंज अपनी मा के फर्श पर बैठे होने से उसकी चूचियों का उभार ना देख ले. तत-पश्चात वा अत्यंत सुंदर मा नीचे ज़मीन पर अपने घुटनो के बल बैठ जाती है.


"एक मा हो कर यदि मैं अपने सगे बेटे को रिझाऊ तो वह इसे अपनी मा का छिनाल्पन समझेगा. माना मैं भी नीमा की तरह ही अपने पुत्र के साथ चुदाई करने को उत्सुक हूँ मगर मेरा मात्रत्व मुझे पहल करने की इजाज़त कभी नही देगा. बस मैं अपनी तरफ से निकुंज को छु सकती हूँ, चूम सकती हूँ या कभी-कभार बहाने बना कर उसे नंगा देख सकती हूँ मगर इसके आगे मेरी हद्द की समाप्ति है" कम्मो अपने बेटे की फ्रेंची पर साबुन रगड़ते हुए सोचती है.


"वैसे भी निकुंज भोला है. मुझसे बहुत प्यार करता है और तभी मेरे दुखी होने के नाटक को सच समझ स्वयं अपनी इक्षा-अनुसार अपना अंडरवेर उतार कर अपनी मा के सामने नंगा हो गया. मैने अपनी आँखें दर्ज़नो बार उसके लंड से जोड़ी और जानते हुए भी इस उसकी मा की दृष्टि कहाँ है अब तक निकुंज ने मुझ पर किसी भी प्रकार का कोई शक़ नही किया. चाहु तो एहसासो के बंधन में बाँध कर उसे अपने साथ चुदाई करने को अभी और इसी वक़्त राज़ी कर लूँ मगर मेरा ऐसा करना उसके दिल को चीर कर रख देगा, यक़ीनन उसे अपनी मा से सदा के लिए नफ़रत हो जाएगी. हां मैं इतना अवश्य करूँगी कि अगर नुकूँज अपनी ओर से मुझे बाध्य करे, विवश करे तो मैं अपना तंन, मन और धन अपना सर्वस्व उस पर न्योचछावर करने को हमेशा तैयार रहूंगी" कम्मो की सोच भी ख़तम हो गयी मगर इस जटिल समास्या का कोई भी हल अब तक नही निकल पाया था.


"हो गया मोम !! क्या अब डेटोल वॉश लगा लूँ ?" निकुंज के लफ्ज़ सुन कर कम्मो ने अपना सर ऊपर उठाते हुए अपने बेटे के लंड पर अपनी निगाहें डाली और फॉरन उसे एक तरकीब सूझी.


"अरे ठीक से तो धो पागल !! अभी तेरी झान्टे पूरी तरह से कहाँ भीगी हैं. रुक मैने तेरी अंडरवेर में साबुन रगड़ दिया है और मुझे लगता है कि तेरे लंड को धोना भी तुझे अब तेरी मा को ही सीखाना पड़ेगा !! भोन्दु कहीं का" कम्मो बिना किसी अतिरिक्त झेंप के खुल कर अपने पुत्र के समक्ष अश्लीलता भरे शब्दो का प्रयोग करती है और निकुंज के विशाल लंड को धोने की बाग-डोर स्वयं अपने हाथो में लेते हुए उसने उसका सैयम तोड़ने का मन बनाया था.


"मॉम !! कम से कम यह काम तो मुझे खुद करने दो" निकुंज घबरा कर बोलता है. वह किसी भी सूरत में अपनी मा के हाथो का कोमल स्पर्श अपने खड़े लंड पर महसूस नही करना चाहता था. उसे अनुमान था कि उसकी सहेन-शक्ति तुरंत जवाब दे जाएगी.


"चल फटाफट खड़ा हो जा बाद में मुझे घर के बाकी अधूरे काम भी पूरे करने हैं" निकुंज की एक ना सुनते हुए कम्मो ने उसे आदेश दिया और साथ में बड़ी चतुराई से उसके सामने अपनी अन्य ज़िम्मेदारियों का दिखावा भी करती है ताकि उसका बेटा उस पर तनिक भी संदेह ना कर सके
 

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इसके बाद उस चंचल मा ने बड़ी ही सहजता के साथ अपने बेटे के विशाल लंड पर पानी से लबालब भरे कयि सारे मग उडेल कर लगभग उसका संपूर्ण निचला धड़ भिगो दिया और तत-पश्चात वह अपना कांपता हाथ उसके अत्यधिक फूल चुके टट्टो पर रखते हुए उन्हे हौले-हौले सहलाने लगती है.


"उफ़फ्फ़ मोम" निकुंज पर तो जैसे वज्रपात हो गया. उसकी आह को सुन कम्मो भी फॉरन अपनी चूत की संकीर्ण मास-पेशियों में बेहद खिचाव आता महसूस करती है और खुद ब खुद उस मा के छर्हरे शरीर का पूरा भार उसकी एडियों से हट कर उसके पैरो के पंजो पर एकत्रित हो जाता है.


"मैं कितनी चरित्रहीन मा हूँ जिसने अपने जवान बेटे को दो बार अपनी मर्ज़ी से नंगा कर दिया और जाने कितनी ओछि-ओच्चि हरक़तें भी उसके साथ कर रही हूँ. क्यों निकुंज !! है ना तेरी मा सच में बेशरम ?" कम्मो ने अपनी उंगलियों को उसकी घुँगराली झान्टो के घुछो में उलझाते हुए पुछा तो निकुंज का मूँह फॅट पड़ता है. उसे लगता है जैसे उसकी मा के वे शब्द नुकीला खंजर बन कर उसके दिल को बुरी तरह से भेद गये हों.


"मोम" उसकी टीस भरी चीख कम्मो के कानो से जा टकराई और स्वतः ही वह लंड से अपनी दृष्टि हटा कर निकुंज की आँखों में झाँकने लगती है.


"अगर दोबारा कभी आप ने ऐसी बात कही ना मोम तो याद रखना आप मुझे हमेशा के लिए खो दोगि. मेरी मा दुनिया की सबसे अच्छी मा है और अपने बेटे से बहुत प्यार करती है. बस इसके अलावा मैं कुच्छ नही जानता और ना जानना भी नही चाहता" निकुंज ने अपने हाथ को अपनी मा के मुलायम गाल पर फेरते हुए कहा तो कम्मो का मन खुशी से झूम उठता है.


"पगले !! तो क्या तेरी मा तुझे अपने से दूर कभी जाने देगी. कभी नही निकुंज, कभी नही" आंटी-सेपटिक वॉश को अपने हाथ के पंजे में इकट्ठा कर कम्मो जवाब देती है. अब वह आनंदित थी, उसे कोई भय ना था और जल्द ही वह मा अपनी सुंयोजित अधूरी पापी लालसा को शिखर पर ले जाने हेतु बड़ी तेज़ गति से अपने पुत्र के लंड को मसल्ने, रगड़ने, दबाने, मुठियाने इत्यादि सभी कार्य एक के बाद एक क्रमांक से करना शुरू कर देती है.


"आह मोम !! थोड़ा धीरे करो" कम्मो के अनुभवी हाथो की तत्परता और उसे उसके पुत्र के लंड की सेवा में यूँ खोया देख निकुंज अपनी कामुक सिसकियों को अपने भर्राये गले से बाहर आने से कतयि नही रोक पा रहा था और जब उसे लगा कि अब वह किसी भी पल झाड़ सकता है तो वह अपनी मा को टोक देता है.


"मोम क्या सोचेंगी" निकुंज ने खुद से कहा "यदि मैं काबू नही कर पाया तो यक़ीनन मेरे वीर्य के सारे छींटे मा के चेहरे और उनके जिस्म पर गीरेंगे" वह सोचता है.


"क्या हुआ निकुंज !! दर्द हो रहा है क्या बेटे ?" कम्मो ने लंड की अखंड फड़फड़ाहट को पहचान कर भी अंजान बनते हुए पुछा. उसका अधीर चेहरा निकुंज की टाँगो की जड़ के बेहद करीब था और उसके गुलाबी होंठो से बाहर निकलती उसकी गरम साँसे उसके पुत्र के फूले सुपाडे से निरंतर टकरा रही थी. आंटी-सेपटिक वॉश के कारण बना झाग और बेहतरीन चिकनाई की मदद से कम्मो के दोनो हाथ कोमलता-पूर्वक निकुंज के लंड की गोरी सतह पर बेहद आसानी से फिसलते जा रहे थे और यही वो मुख्य वजह थी जो उसका बेटा अब अपने चरम को महसूस करने लगा था.


"ओह्ह !! नही .. नही मोम दर्द तो नही हो रहा मगर ...." निकुंज ने अपने जबड़ो को ताक़त से भींचा परंतु अपना कथन पूरा नही कर पाया.
 

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"मगर क्या बेटे !! बता मुझे ?" पुच्छ कर कम्मो के चेहरे पर शरारती मुस्कान छा जाती है. अपने वर्तमान जीवन की सबसे पसंदीदा और अनमोल वास्तु, अपने सगे बेटे के लंड से खेलते हुए उसकी मा का मूँह तो ना जाने कितनी देर से पनिया रहा था और कयि बार अपनी लार को नीचे टपकते देख वह प्रसन्नता से फूली नही समाई थी.


"कुच्छ नही मोम !! बस ऐसे ही सोचा कि आप फर्श पर बैठे-बैठे थक गयी होंगी" निकुंज बात को घुमा कर बोला. अत्यधिक उन्माद से खुद ब खुद उसकी कमर झटके खाती हुई उसकी मा के हाथ की मुट्ठी की कसावट के साथ ताल से ताल मिलाने लगी थी और वह अपनी मा का खूबसूरत चेहरा अपने उबलते टट्टो में निरंतर उमड़ते जा रहे वीर्य से कतयि गंदा नही करना चाहता था. अपने कथन के अर्थ से उसने कम्मो को फॉरन फर्श से उठ जाने का संकेत दिया था.


"तू यह सब सोचना छोड़ बेटे !! मैं ठीक हूँ" कम्मो ने स्थिति-अनुसार अपने हाथो की सहलाहट को कम करते हुए निकुंज से सवाल किया. वह नही चाहती थी कि उसका बेटा अपना अमूल्य वीर्य बेकार में व्यर्थ कर दे "बुरा ना माने तो एक बात पुच्छू ?" वह बोली.


"हां क्यों नही मोम !! आप को मेरी इजाज़त लेने की कभी कोई ज़रूरत नही है" निकुंज अपनी मा का समर्थन करता है जैसा उसने कुच्छ वक़्त पहले खुद से प्रण किया था परंतु वह घबरा भी रहा था कि उसकी मा इस विषम परिस्थिति के अनुरूप कोई उट-पटांग सवाल उससे ना पुच्छ ले.




"बेटे !! कल तूने माल से लौट-ते वक़्त कहा था कि तू पुणे की उस रात को भूल नही पाता. क्या हक़ीक़त में तेरी मा ने तेरे लंड को इतने अच्छे से चूसा था ?" कम्मो की कछि उसकी सकुचाती चूत के कामरस से भीग कर अपनी सोखन-शक्ति हर तरह से खो चुकी थी और उसके तने गोल मटोल मम्मो का अब उसके ब्लाउस में क़ैद हो कर रह पाना ना-मुमकिन था. अनेको बार वा अपने होंठो पर अपनी लंबी जिह्वा फेरने को मजबूर थी ताकि उसके मूँह से बहती उसकी अनियंत्रित लार का बहाव वह निकुंज की नज़रों से छुपा सके.


"मुझे तो लगता है तूने सिर्फ़ अपनी मा का दिल रखने के लिए ऐसा कह दिया होगा वरना पहली ही बार में कोई औरत लंड को इतनी सटीकता से कैसे चूस सकती है ?" उनके मर्यादित रिश्ते की पवित्रता को तार-तार कर देने वाला प्रश्न पुच्छ कर वह कलयुगी मा जवाब की प्रतीक्षा में अपने पुत्र की आँखों में झाँकने लगती है.


निकुंज की उत्तेजना को कम्मो का यह सवाल इस कदर भड़का देता है कि यदि वह अपनी आंटी नीमा की चुदाई के दौरान दो बार नही झाड़ा होता तो वाकयि उसका लंड इसी वक़्त स्खलित हो जाना था. उसकी हड़बड़ाहट इस बात के मद्देनज़र तीव्रता से बढ़ रही थी कि शूरवात से ही उसकी मा ने उसके मश्तिश्क और उसके लंड, दोनो पर पूर्ण-रूप से अपना क़ब्ज़ा कर रखा था.


"वो मोम" निकुंज अधर में लटक गया. अगर वह ना में अपना उत्तर देता तो उसके द्वारा पूर्व में कही गयी हर बात झुटि साबित हो जानी थी और अगर हां में अपना जवाब देता तो अपनी मा के समक्ष बेशरम साबित होता "मैने इसलिए ऐसा कहा क्यों कि मुझे पहली बार ब्लोवजोब का एहसास मिला था" बस इतना कह कर वह चुप्पी साध लेता है.


"जानता है निकुंज !! तेरी मा भी हमेशा उस रात को याद करती है" सत्यता स्वीकारते हुए कम्मो ने दुबारा अपने बेटे के लंड को पानी से धोना शुरू किया "मैने कयि बार उन पॅलो को भुलाने का प्रयत्न किया मगर हर बार नाकाम रही. रह-रह कर मेरी आँखों में वही दृश्य दिन-रात घूमता रहता है. निकुंज सच तो यह है !! तेरी मा को तेरे नंगे शरीर से प्यार हो गया है बेटे और वह हमेशा तुझे अपनी आँखों सामने इसी रूप में देखने को तसरती है" उसने रुवान्सि हो कर अपनी सारी का पल्लू अपनी कमर से बाहर खीचा और पानी से भीगे अपने पुत्र के लंड को अपने पल्लू की कीनोर से पोंछने लगती है.


"तो मोम मेरी तरफ आकर्षित हैं" धीरे-धीरे सारी बात निकुंज की समझ में आ गयी. आज क्यों उसकी मा ने उसे नंगा किया, क्यों वह इतने जतन से उसके लंड को धो रही है और क्यों उसकी मा को बिल्कुल भी शरम महसूस नही हो रही जबकि उसका बेटा एक जवान मर्द है ना कि कोई छोटा सा बच्चा.
 

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निकुंज ने अपनी मा के चेहरे पर नज़र डाली जो शुरूवात से उसे उसके जीवन का सबसे मनमोहक, सबसे खूबसूरत चेहरा लगता था. सारी का पल्लू ब्लाउस से हटने के उपरांत उसकी मा की दोनो चूचियों का काफ़ी बड़ा हिस्सा वह बेहद उतावले पन से देखता है. हल्का सा उभरा पेट और उस पेट की शान बढ़ती उसकी गहरी गोल नाभि. घुटने मुड़े होने से सॉफ नज़र आती उसकी गोरी-गोरी पिंदलियाँ और सबसे सुंदर उसकी मा के मांसल व गदराए चूतड़ जो वह पुणे तौर में अपने हाथो के पंजो में भींच कर मेशसूस भी चुका था.


"ले हो गया" कह कर कम्मो अपने बेटे की फ्रेंची धोने लगती है. अपनी सत्यता से निकुंज को रूबरू करवाने के बाद वह उससे आँख नही मिला पा रही थी और जैसे ही निकुंज बाथरूम से बाहर जाता है कम्मो ज़ोर-ज़ोर से हाँपने लगती है. उसकी कामुतेज्जित चूत ने उसकी कछि के साथ उसका पेटिकोट और यहाँ तक कि उसके साड़ी भी भिगो दी थी.


"मैं नाश्ता लगाती हूँ" कम्मो काम से फ़ुर्सत हो कर कमरे में आई तो पाया निकुंज अब तक नंगा था. सिर्फ़ एक नज़र अपने बेटे पर डाल कर वह फॉरन उसके कमरे से बाहर जाने लगती है.


"मोम" कमरा छोड़ने से पहले ही निकुंज अपनी मा को आवाज़ देता है.


"ह्म्म" कम्मो के कदम वहीं रुक जाते हैं मगर पलट कर अपने बेटे की ओर देखने की उसकी हिम्मत नही हो पाती.


"मुझे दर्द हो रहा है मोम" निकुंज का कहना हुआ और सुन कर उसकी मा बिजली की गति से पलट कर खड़ी हो जाती है "क .. कहाँ दर्द हो रहा है निकुंज ?" उसकी मा की घबराहट और ज़ुबान की लड़खड़ाहट ने सॉफ ज़ाहिर किया कि वह अपने पुत्र से कितना प्यार करती है और स्वयं निकुंज भी इस एहसास से वाकिफ़ हो जाता है.


"यहाँ हो रहा है मोम" अपने खड़े लंड की ओर इशारा कर वह बोला.


"क्या ?" कम्मो का मूँह खुला रह गया "कैसा दर्द हो रहा है बेटे ?" वह तेज़ गति से चल कर उसके करीब आ पहुचती है.


"यहाँ बैठो मोम !! बताता हूँ" निकुंज की बात मान कर उसकी मा ने एक पल का इंतज़ार नही किया और बिस्तर के किनारे अपने पाव फर्श पर लटका कर बैठ जाती.


"देखो ना मोम कितना पेन हो रहा है" कम्मो के बिस्तर पर स्थापित होते ही निकुंज बिस्तर से उतर कर खड़ा हो गया.


"सॉफ-सॉफ बता निकुंज !! कहाँ और कितना दर्द हो रहा है ?" पुच्छ कर कम्मो स्वयं अपने हाथो के ज़ोर से अपने बेटे की कमर को पकड़ कर ठीक उसे अपने सामने खड़ा कर लेती है. अब निकुंज का लंड उसकी मा के चेहरे से कुछ ही इंच दूर था.


"यहाँ मोम !! उफ़फ्फ़" निकुंज ने दर्द भरे भाव अपने चेहरे पर लाते हुए अपने फूले सुपाडे पर अपनी उंगली रख कर इशारा किया.


"कैसा दर्द बेटा ?" उत्तेजना-वश कम्मो की साँसे वापस उखडने लगती है. धुलने के उपरांत उसके बेटे का लंड एक-दम फ्रेश और चमकदार हो गया था और उसकी अत्यंत गोरी चमडी पर उभरी नीली नसो के तनाव से वह मा प्रत्यक्ष-रूप से उस विशाल लंड को बेहद फडफडाता और झटके खाता महसूस कर रही थी. हलाकी लंड की अखंड लंबाई और मोटाई से कम्मो पहले से ही परिचित थी मगर जाने क्यों उसे लंड की विकरालता में और भी ज़्यादा इज़ाफ़ा होता नज़र रहा था.


"मोम" उसने अपनी मा को पुकारा और जैसे ही कम्मो उसकी आँखों में देखती है फॉरन निकुंज अपने लंड को पकड़ कर उसका फूला सुपाडा अपनी मा के कोमल गुलाबी होंठो से सटा देता है "अपने होंठ खोलो मोम !! उस दिन आप ने इसे खड़ा करने के लिए चूसा था आज इसे तनाव-मुक्त करने के लिए चूसो" कह कर वह अपनी मा के रेशमी घने बालो को अपने दूसरे हाथ की उंगलियों से सहलाने लगता है.


कम्मो को उसका मनवांछित वरदान मिल गया. स्वयं उसके पुत्र ने उसे विवश किया कि वह उसका लंड चूसे और यही तो वह कब से चाहती थी. चिपचिपा मोटा सुपाडा उसके होंठो से इस कदर चिपक चुका था कि यदि वह इनकार जताने के लिए भी अपना मूँह खोलती तो खुद ब खुद सुपाडा उसके होंठो के अंदर प्रवेश कर जाता.


"उफफफ्फ़ मोम" कम्मो के होंठ खुलते ही निकुंज के मूँह से मस्ती भरी सिसकारी छूट गयी और उसका संपूर्ण सुपाडा बिना किसी रोक-टोक के उसकी मा के गरम मूँह के भीतर चला जाता है. अपने पुत्र की उस मादक सीत्कार की ध्वनि ने जैसे कम्मो के कानो में रस घोल दिया था और वह अपने मूँह के भीतर अपने बेटे के संवेदनशील सुपाडे पर अपनी जिहवा को गोल गोल घुमा कर, उसके सुपाडे पर लगा सारा गाढ़ा रस चाट लेती है.


"उम्म्म" लंड की अत्यधिक मोटाई आड़े ना आए इस प्रयास में वह मा अपने जबड़ो को जितना खोल सकती थी खोलती है और अपने बेटे के लंड का गरम-जोशी से स्वागत करते हुए अपनी पहली ही कोशिश में लगभग आधा लंड अपने छोटे से मूँह के अंदर समाने में सफल हो जाती है.


चुदाई के दौरान नीमा ने अपनी जिन बातों के ज़रिए निकुंज को अनाचार की परिभाषा से अवगत करवाया था, अभी इस वक़्त उन्हे सोच कर निकुंज की उत्तेजना में बेहद तीव्र गति से बढ़ोतरी होती जा रही थी. वह बड़े गौर से अपनी मा की कजरारी आँखों में झाँकते हुए उसे अपना लंड चूस्ते देख रहा था और यह कामुक दृश्य उसके पूरे जिस्म में कपकपि की ल़हेर दौड़ा देता है.
 

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"आह मोम !! आप को मुझे नंगा देखना अच्छा लगता है ना तो अब आप जब चाहो मुझे अपने हाथो से नंगा कर सकती हो. मुझे कभी कोई आपत्ति नही होगी" निकुंज अपने हाथ को अपनी मा के मुलायम गाल पर रख कर उसे थपथपाया और महसूस करता है कि उसकी मा के मूँह को उसके लंड की मोटाई ने पूरा भर दिया है "कहीं मा को तक़लीफ़ तो नही हो रही मेरे लंड से" जाने कैसे उसके मन में यह बात आ जाती और वा फॉरन अपना लंड अपनी मा के मूँह से बाहर खींच लेता है.


निकुंज की इस क्रिया से कम्मो सन्न रह गयी और अपनी आँखों की भावों को ऊपर-नीचे हिला कर उससे इस बात का कारण पूछती है. शायद अपने शब्दो का इस्तेमाल वह अपनी निर्लज्जता छुपाने के लिए नही कर पा रही थी.


"मैं जानता हूँ मोम !! आप को इसे चूसने में दर्द महसूस हो रहा है और मैं आप को इस हालत में नही देख सकता" इतना कह कर निकुंज अपने कदम वॉर्डरोब की तरफ बढ़ने लगता है मगर उसकी मा उसका हाथ पकड़ कर उसे उस ओर जाने से रोक लेती है.


"निकुंज" कम्मो ने अपना थूक निगल कर कहा जिस में उसे स्वयं की लार से कहीं ज़्यादा स्वाद अपने पुत्र के मर्दाने रस का आता है "क्या तू अपनी मा से नाराज़ है ?" वह पूछती है.


"मोम !! आप से नाराज़ तो मैं कभी हो ही नही सकता" निकुंज हौले से फुसफुसाया.


"तो फिर क्या बात है बेटे ?" उसने फिर सवाल किया मगर इस बार भी सॉफ लफ़ज़ो में अपनी बात पुच्छने की हिम्मत नही जुटा पाती.


"मोम !! आप मेरी खातिर इसे चूस तो रही थी मगर आप का दर्द मुझसे सहेन नही होता" निकुंज ने सेम टोन में कहा.


"बेटा !! पहली बात तो यह कि मेरा बेटा अपनी मा को सपने में भी कभी दर्द नही देगा, मैं जानती हूँ और दूसरी बात जिस एहसास को मैं तुझे देने की कोशिश कर रही थी उस में इतना दर्द तो हर स्त्री को होगा" कम्मो मुस्कुराते हुए बोली.


"और सबसे बड़ी बात जब इस दर्द में प्यार शामिल हो तो दर्द देने वाले और दर्द सहने वाले दोनो ही प्राणियों को अधभूत सुख की प्राप्ति होती है" इतना कह कर वह मा अपने अपने पुत्र का लंड अपने हाथ की मुट्ठी में अपनी मर्ज़ी से कस लेती है और तत-पश्चात अपने होंठो को फाड़ कर उसका मोटा सुपाडा वापस अपने मूँह के भीतर ठूँसती हुई बेहद प्रचंडता के साथ उसकी चुसाई करना आरंभ कर देती है.


"ह्म्‍म्म" दो तरफ़ा सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से जान-बूझ कर निकुंज ने वह बाधा उत्पन्न की थी और जब उसकी मा ने बल-पूर्वक अपनी इक्षा-अनुसार उसका लंड पुनः अपने मूँह के भीतर परवेश करवाया तो उसका संपूर्ण जिस्म नयी स्फूर्ति और उल्लास के आनंद से अभिभूत हो कर गन्गना उठता है.
 

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कम्मो के होंठ बड़ी कठोरता से अपने पुत्र के विशालकाय लंड को संतुष्टि-पूर्वक सुड़कते हुए लंड की चिकनी चमडी पर तेज़ी से फिसलने लगते हैं और साथ ही वह अपने हाथ की उंगलियों से उसके पूल टटटे खुजला कर उन में बह रहे वीर्य को जल्द ही पिघला देने की प्रयास-रत हो जाती है.


अपनी खुरदूरी जीभ से वह मा अपने बेटे के सुपाडे की नरम सतह को कुरेदती जा रही थी और अपनी मद-मस्त आँखों के प्रभाव से वह निकुंज को लघु समय में ही से आँहे भरने पर मजबूर कर देती है.


"पीं पीं" अचानक मा-बेटे के कानो में उनके घर के बाहर पार्क होती कार की ध्वनि सुनाई पड़ती है और आशंका-स्वरूप कि उस मा का पति और उस बेटे के पिता का बिना किसी पूर्व सूचना के घर वापस लौट आना उन्हें अपने पापी कार्य को वहीं समाप्त कर देने का संकेत करने लगता है.


"ओह्ह्ह मोम !! डॅड आ गये" कहने के उपरांत ही निकुंज सकते में आ गया जब उसकी मा अपने दोनो हाथो के पंजो से उसकी गान्ड को शक्ति-पूर्वक भींचती है और अपना मूँह आगे-पिछे करती हुई अपने पुत्र का विशाल लंड अपने उसी अत्यंत सुंदर मूँह से अति-तीव्रता से चोदने लगती है.


हलाकी कम्मो की घबराहट निकुंज से कहीं ज़्यादा बढ़ चुकी थी क्यों कि वह उसकी मा थी लेकिन किस्मत उसके और उसके बेटे के मिलन के बीच कोई ना कोई अड़ंगा शुरूवात से ही लगाती आ रही थी और जिससे कम्मो का क्रोध उस वक़्त इस कदर बढ़ जाता है कि वा अपने पति को कोसते हुए अपने बेटे के लंड को उसी तत्परता से चूस्ति रहती है जैसे उसे अपने पति की उपस्थिति से कोई फ़र्क ही ना पड़ा हो.


"कामिनी !! कहाँ हो तुम ?" दीप हॉल में प्रवेश करते ही अपनी पत्नी को पुकारता है और ज्यों ही उसकी आवाज़ कम्मो के कानो से टकराई फॉरन वह मा अत्यधिक रोमांच से भर उठती है. अपने पुत्र का विशाल लंड तेज़ी से अपने मूँह के अंदर-बाहर करते हुए वह उसे लगातार चूस रही है और उसका पति कुच्छ ही दूरी से उसे आवाज़ दे रहा है. कम्मो उसी लम्हे प्रण कर लेती है कि वह किसी भी सूरत में निकुंज का लंड चूसना नही छोड़ेगी फिर चाहे उसका पति उसे ढूँढते हुए उस कमरे में ही क्यों ना आ जाए जहाँ वह प्रत्यक्ष-रूप से देख लेगा कि उसकी मौजूदगी को जानते हुए भी उसकी पत्नी अपने सगे छोटे बेटे का लंड बिना किसी भय के अपने मूँह के भीतर समाय बैठी कितनी निर्लज्जता से उसे चूसने में व्यस्त है.


"उफ़फ्फ़ मोम !! छ्च .. छोड़िए डॅड देख लेंगे" निकुंज अपनी गान्ड अपनी मा के हाथो की मजबूत पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहता है और तभी उसे अपने पिता की आवाज़ उनके स्वयं के कमरे से आने का अनुमान हुआ "कामिनी !! हो कहाँ तुम ?" और फिर निकुंज सीढ़ियों पर होती खटपट की ध्वनि से अंदाज़ा लगाता है कि उसके पिता नीचे उतर कर हॉल में वापस आ रहे हैं.


"मोम" निकुंज रुवान्सा हो कर अपनी मा की आँखों में झाँकता है. वह सोच भी नही सकता था कि उसकी मा उस पर इतनी बुरी तरह से आकर्षित होगी कि जानते हुए भी कि उनके कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ है और उनका पति पूरे घर में अपनी पत्नी को तलाश रहा है लेकिन इस के बावजूद उसकी मा अपनी जीभ की मचलाहट निरंतर उसके सुपाडे पर दे रही है और कठोरता से उसका संपूर्ण लंड अपने मूँह से बल-पूर्वक सुड़कते हुए चूस रही है जिससे कमरे में उसकी मा की मादक चुसाई की आवाज़ गूंजने से वह निकुंज की घबराहट को और ज़्यादा बढ़ा देती है.


"मुझे ही कुच्छ करना होगा" निकुंज ने उस मुसीबत का हल ढूँढने हेतु अपने मश्तिश्क पर ज़ोर डाला और बिस्तर की पुष्ट पर रखे अपने सेल को उठाने के लिए अपना दायां हाथ उसकी ओर बढ़ाता है मगर दूरी अधिक होने से उसका सेल उसकी उंगलियों की पकड़ में नही आ पाता और ठीक उसी वक़्त उसे अपने डॅड की एक और आवाज़ सुनाई देती है. निकुंज को बचने का यही एक रास्ता सूझा था और वह किसी भी सूरत में अपने पिता की उपस्थिति अपने कमरे में महसूस नही होने देता चाहता था ताकि खुद के साथ उसकी मा पर भी कोई आँच ना आ सके क्यों कि वे दोनो अब एक-दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे.


"सॉरी मोम !! मगर यह ज़रूरी है" इतना कह कर वह अपने शरीर का सारा भार अपनी मा के जिस्म पर डाल कर उसे बिस्तर के मुलायम गद्दे पर उसकी पीठ के बल गिरा देता है और स्वयं भी उसके ऊपर गिर जाता है. सब इतना अचानक हुआ कि कम्मो को सम्हलने का कोई मौका नही मिल सका और उसके पुत्र का विशाल व मोटे लंड का फूला सुपाडा सीधे उसके गले के अंतिम छोर से तेज़ी के साथ टकरा जाता है. वह कामुक एहसास निकुंज झेल नही पाता और ठीक उसी वक़्त उसके सुपाडे से गाढ़े वीर्य की फुहार छूटने लगती है जो बिना किसी अव्रुध्हि के उसकी मा के गले से नीचे उतरने में कामयाब हो जाती है.


"आह" निकुंज तड़प कर सीत्कार उठा मगर अत्यंत तुरंत खुद पर काबू करता है और फॉरन अपना सेल उठा कर लास्ट रिसीव्ड कॉल पर कॉलिंग कर देता है.


"बेटा निकुंज !! तेरी मा कहाँ है ?" कॉल मिलाते ही निकुंज अपने पिता के सवाल पर अपना चेहरा अपने कमरे के खुले दरवाज़े की तरफ मोड़ने पर मजबूर हो गया क्यों कि उसके पिता की आवाज़ उसे संकेत कर रही थी कि वे उसके कमरे की ओर शीघ्रता से बढ़ते चले आ रहे हैं.
 

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"उफ़फ्फ़" अपने पिता की आकृति की उपस्थिति अपने कमरे के दरवाज़े पर देखते ही निकुंज की आँखें रोमांच व घोर निराशा से फॅट पड़ती हैं. वह नंगा अपनी मा के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी मा के छोटे से मूँह के भीतर की गहराई में लगातार झड़ते जाने की वजह से निकुंज की कमर भी खुद ब खुद झटके खाती जा रही थी. जैसे ही उसके पिता के हाथ के ज़ोर से उसके कमरे का अध खुला दरवाज़ा पूरा खुलता है निकुंज की रूह काँप जाती है.


"ओह्ह्ह !! पापा सोचेंगे कि मैं मा का मूँह ज़बरदस्ती अपने लंड से चोद रहा हूँ. हां हां !! पापा यही सोचेंगे और उनके ऐसा सोचने से सारा इल्ज़ाम मेरे सर आ जाएगा. मुझे मा को उनकी नज़रों में गिरने से रोकना होगा" चन्द लम्हो में निकुंज यह सोचता है और फ़ैसला लेने के उपरांत ही ताबड़तोड़ धक्को से अपनी मा का मूँह पुनः चोदने का नाटक शुरू कर देता है. उसके पिता ने अपना पहला कदम कमरे में रखा और डर के मारे निकुंज की पलकें ज़ोर से भिन्च जाती हैं मगर ठीक उसी पल हॉल में स्थापित घर का लॅंडलाइन भी "ट्रिंग-ट्रिंग" की ध्वनि से बजना शुरू हो गया.


"हुह !! ये फोनो का सिलसिला कब मेरा पीछा छोड़ेगा" अपने पिता के ये अल्फ़ाज़ कान में सुनाई पड़ते ही निकुंज ने उनके कदमो की आहट को अपने कमरे की पहुँच से दूर जाता महसूस किया और तत-पश्चात ही वह अत्यंत खुशी से झूम उठता है कि यदि उसकी मा ने उसे सुबह कॉल नही किया होता तो वह अपने सेल की कॉलिंग की को मात्र दो बार दबा कर बेहद कम समय में अपने घर के लॅंडलाइन पर कॉल नही कर पाता और यक़ीनन आज का दिन उनका मरण दिन बन जाता.


इसके बाद निकुंज ने तेज़ी दिखाई और कम्मो के ऊपर से हट-ते हुए अपना सिकुड चुका लंड उसके मूँह से बाहर निकाल लिया "मोम !! हम बच गये" मुस्कुरा कर उसने अपनी बेसूध मा को अपने हाथो की मदद से बिस्तर पर बिठाया और अब आगे उन्हें क्या करना है इस बात पर गंभीरता से विचार करने लगता है क्यों कि ब्लॅंक कॉल से वह अपने पिता को ज़्यादा देर तक बेवकूफ़ नही बना पाता.



"मोम !! डॅड वापस कमरे में आ सकते हैं. आप ठीक तो हो ?" निकुंज ने अपनी मा की बंद पलकें और तेज़ हमपाई के मद्देनज़र उसके गाल पर थपकी दे कर पुछा तो एक पल में ही कम्मो की सारी उत्तेजना काफूर हो गयी.


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"अहम-अहम" अपने कंठ पर अपने पुत्र के फूले सुपाडे की दर्दनाक चोट से बहाल वह मा खुल कर खांस पाती इससे पहले ही निकुंज उसे आवाज़ न करने का इशारा करता है "शुउऊ !! डॅड सुन लेंगे तो ज़रूर यहाँ आ जाएँगे मोम" वह हौले से फुसफुसाया.


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"निकुंज !! बेटे अब क्या होगा ?" जिस रोमांच के वशीभूत कम्मो अपने पति की उपस्थति को नकार कर निरंतर अपने बेटे का लंड चूस्ति रही थी अब वह खुमारी छाँट कर उसकी घबराहट और अंजाने भय में तब्दील हो चली थी.


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"डरो मत मोम !! मैं हूँ ना आप के साथ. अगर कुछ होता है तो सारा इल्ज़ाम मैं अपने सर ले लूँगा लेकिन सब से आप खुद को रिलॅक्स करो और अपने मूँह को सॉफ भी" बेखयालि में कम्मो भूल चुकी थी कि उसके होंठो की कीनोर से छलकने के उपरांत उसके पुत्रा का गाढ़ा वीर्य बह कर उसकी ठोडी तक आ पहुँचा था और जो निकुंज के कथन को सुनते ही उसे फॉरन याद आ जाता है.


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"एम्म्म एम्म्म" कम्मो अत्यंत तुरंत अपनी लंबी जीभ अपने सुंदर मुख से बाहर निकालती है और निकुंज की आँखों में झाँकते हुए अपनी जीभ को अपने होंठो पर फेरने लगती है. उस मा की तीव्रता को देख स्वयं उसका बेटा भी चकित रह जाता है और जब कम्मो को इस बात का एहसास हुआ कि वह कितनी निर्लज्जता से अपने बेटे के मर्दाने रस की मलाई ठीक उसी की नज़रों के सामने चाट रही है तो अति-शीघ्र ही वह मा अपने संवेदनशील गुदा-द्वार में सिहरन की कपकपि ल़हेर दौड़ती महसूस करती है.
 
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