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"फिर क्या दिक्कत है !! गंदे अंडरवेर को पहने रहेगा तो तुझे इन्फेक्षन हो सकता है बेटे. चल अब ज़िद मत कर और इसे उतार कर अपनी मा को दे दे" कम्मो प्यार से उसे समझाती है. फ्रेंची की स्ट्रीप छोड़ कर जो ग़लती उसने की थी अब उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हो रहा था. कितने जतन के बाद वह अपने बेटे का लंड वापस देखने में कामयाब हुई थी मगर उसकी एक भूल ने उसके चेहरे पर आई सारी खुशी मानो गहेन मायूसी में बदल दी थी.
"बेटा !! मैं मा हूँ तेरी और मेरे होते हुए भी तू परेशान रहे यह मैं कभी नही सह पाउन्गि" निकुंज को शांत बैठा देख कम्मो ने एहसासो के सहारे उसे मनाना चाहा "पुणे में तू अपना लंड खड़ा ना होने की वजह से दुखी था तब तेरी मा ने उसे अपने मूँह से चूस कर तेरी उदासी को दूर किया और यह बात मैं तुझे बता भी चुकी हूँ कि उससे पहले मैने कभी लंड नही चूसा था, तेरे पापा का भी नही. अभी तुझे खुजली से दिक्कत महसूस हो रही है तो तेरी मा तेरा अंडरवेर धो देगी. जब-जब तू परेशान होगा निकुंज कोई तेरे साथ हो या ना हो लेकिन तेरी मा ज़रूर तेरे साथ होगी" बे-ख़याली में कम्मो दो बार लंड शब्द का उच्चारण कर जाती है मगर उसे इस बात की कोई परवाह नही थी. उसका मक़सद तो किसी भी हालत में अपने बेटे को संपूर्ण रूप से नंगा देखने का था.
कम्मो की इस बात ने निकुंज की रूह कंपा दी और वह खुद को धिक्कारने लगता है कि क्यों उसने खुजली वाला नाटक शुरू किया और उसकी मा उसके अभिनय को सच मान बैठी. वह अपनी मा की मर्यादा और उसकी इज़्ज़त से भली-भाँति परिचित था भले चाहे उसके खुद के मन में अपनी मा के प्रति ग़लत भाव आ गये थे मगर एक मा होने के नाते कम्मो जान-बूच्छ कर उसका ग़लत इस्तेमाल कभी नही करेगी शायद यह निकुंज भूल गया था.
"मुझे पता है !! आप मुझे प्राब्लम में नही देख सकती" निकुंज ने अपने दोनो हाथो को अपनी कमर पर रखते हुए कहा "आप सही हो मोम !! मुझे इन्फेक्षन होने का ख़तरा है" बोल कर वह अपनी उंगलियाँ फ्रेंची की स्ट्रीप में डाल कर शीघ्रता से उसे अपनी टाँगो से बाहर निकाल देता है.
"निकुंज !! तूने अपनी मा की बात मानी. मुझे बहुत खुशी हुई" कम्मो अत्यंत तुरंत निकुंज की नंगी छाति से लिपट कर कहती है. उसकी आँखें चमक उठी थी जब उसने अपने बेटे को स्वयं अपने मन से अपनी फ्रेंची उतारते देखा था. अगर निकुंज की नज़र उस वक़्त अपनी मा के चेहरे पर होती तो यक़ीनन वा जान जाता कि उसके साथ छल-कपट किया गया है.
"बेटा !! मैं मा हूँ तेरी और मेरे होते हुए भी तू परेशान रहे यह मैं कभी नही सह पाउन्गि" निकुंज को शांत बैठा देख कम्मो ने एहसासो के सहारे उसे मनाना चाहा "पुणे में तू अपना लंड खड़ा ना होने की वजह से दुखी था तब तेरी मा ने उसे अपने मूँह से चूस कर तेरी उदासी को दूर किया और यह बात मैं तुझे बता भी चुकी हूँ कि उससे पहले मैने कभी लंड नही चूसा था, तेरे पापा का भी नही. अभी तुझे खुजली से दिक्कत महसूस हो रही है तो तेरी मा तेरा अंडरवेर धो देगी. जब-जब तू परेशान होगा निकुंज कोई तेरे साथ हो या ना हो लेकिन तेरी मा ज़रूर तेरे साथ होगी" बे-ख़याली में कम्मो दो बार लंड शब्द का उच्चारण कर जाती है मगर उसे इस बात की कोई परवाह नही थी. उसका मक़सद तो किसी भी हालत में अपने बेटे को संपूर्ण रूप से नंगा देखने का था.
कम्मो की इस बात ने निकुंज की रूह कंपा दी और वह खुद को धिक्कारने लगता है कि क्यों उसने खुजली वाला नाटक शुरू किया और उसकी मा उसके अभिनय को सच मान बैठी. वह अपनी मा की मर्यादा और उसकी इज़्ज़त से भली-भाँति परिचित था भले चाहे उसके खुद के मन में अपनी मा के प्रति ग़लत भाव आ गये थे मगर एक मा होने के नाते कम्मो जान-बूच्छ कर उसका ग़लत इस्तेमाल कभी नही करेगी शायद यह निकुंज भूल गया था.
"मुझे पता है !! आप मुझे प्राब्लम में नही देख सकती" निकुंज ने अपने दोनो हाथो को अपनी कमर पर रखते हुए कहा "आप सही हो मोम !! मुझे इन्फेक्षन होने का ख़तरा है" बोल कर वह अपनी उंगलियाँ फ्रेंची की स्ट्रीप में डाल कर शीघ्रता से उसे अपनी टाँगो से बाहर निकाल देता है.
"निकुंज !! तूने अपनी मा की बात मानी. मुझे बहुत खुशी हुई" कम्मो अत्यंत तुरंत निकुंज की नंगी छाति से लिपट कर कहती है. उसकी आँखें चमक उठी थी जब उसने अपने बेटे को स्वयं अपने मन से अपनी फ्रेंची उतारते देखा था. अगर निकुंज की नज़र उस वक़्त अपनी मा के चेहरे पर होती तो यक़ीनन वा जान जाता कि उसके साथ छल-कपट किया गया है.