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Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

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"उफफफ्फ़ !! मत कर बेटा" नीमा हौले से फुसफुसाई. उस वक़्त उसे अपनी काम-वासना को जाग्रत नही होने देना था क्यों कि उसकी बेटी कभी भी किचन के अंदर प्रवेश कर सकती थी.


"हे हे हे हे !! तो फिर नंगी हो जाओ ना" बोल कर विक्की हंस पड़ा और नीमा लज्जा से दोहरी हो जाती है.

"बेशरम !! अपनी मा पर रहम खा" कहते हुवे उसने ज़ोर लगाया और अपने पुत्र की गिरफ़्त से आज़ाद हो गयी. छूट कर वह पलट पाई थी कि विक्की ने उसे फिर से दबोच लिया और सामने धकेल कर दीवार से सटा देता है.

"आज नही छोड़ूँगा मम्मी !! आप ने मुझे बहुत तडपाया है" वह शिक़ायती लहज़े में बोला, इस बार वह पिछे से अपनी माँ के साथ चिपका हुआ था और अपनी लंबी जीभ से उसकी गर्दन चाटने लगता है. नीचे अपना विशाल लंड वह प्रबलता से नीमा के मुलायम चूतडो पर दबा रहा था और अपना हाथ घुमा कर अपनी मा की दाईं चूची पकड़ने में भी सफल हो जाता है.


"आहह सीईइ !! सच में नंगी करेगा क्या ?" जानते हुए कि उसका यह संवाद निश्चित तौर पर उसके बेटे की काम-उत्तेजना को भड़का देगा, नीमा ने जबड़े भींच कर नशीले अंदाज़ में पुछा

जिसका जवाब विक्की बल-पूर्वक अपनी मा का निपल उमेठ कर देता है. उसका लंड अकड़ कर पत्थर समान सख़्त हो चुका था और जिसे नीमा बखूबी महसूस भी कर रही थी. अपने पुत्र के खड़े लंड का दबाव अपने चूतडो पर बढ़ते देख उसकी सिसकारियाँ निकलने लगती हैं. "ओह्ह मम्मी !! मैं तो कब से चाहता हूँ कि आप नंगी हो जाओ और यहीं मुझसे अपनी गान्ड मरवा लो लेकिन लगता है मुझे खुद ही आप के कपड़े उतारने होंगे" धीरे से विक्की उसके कान में बुदबुदाया. उत्तेजना-वश वह स्वयं आहें भरने पर मजबूर हो चला था.


"स्नेहा का ख़याल कर बेटे !! वरना तेरे लिए तो तेरी मा कभी भी नंगी होने को तैयार रहती है" नीमा बड़े ही कामुक अंदाज़ में बोली. उसका बेटा ज़बरदस्ती उसके गुप्तांगो को छेड़ रहा था, उनसे खेल रहा था. आख़िर कब तक वह अपने आप पर सैयम रख सकती थी.

"मैने चेक किया था !! दीदी अपने कमरे में सो रही है" आश्वासन दे कर विक्की अपने दूसरे हाथ से अपनी मा का पेटिकोट ऊपर उठाने लगता है. नीमा को उसने दीवार के साथ इस कदर दबा रखा था कि लाख चाहने के बावजूद वह कुच्छ नही कर पा रही थी और उसके गोल मटोल मम्मो के तने चूचक तो मानो दीवार के भीतर छेद करने पर आम्दा हो चुके थे.


"अगर उठ गयी तो ..." उसके आशंका से भरे आधे लफ्ज़ उसके मूँह के भीतर ही दम तोड़ देते है जब विक्की उसके पेटिकोट को उसकी कमर तक चढ़ाने में सफल हो जाता है और


अपनी मा के अत्यंत गोरी रंगत के सुडोल चूतडो पर कसी उसकी काली कच्छि को निहारने लगता है. "जाने इतनी छोटी पैंटी आप कैसे पहेन लेती हो मम्मी !! पूरी की पूरी तो आप की गान्ड की दरार में घुसी हुई है" वह अपनी मा के चूतडो की दरार में अपनी उंगली डाल कर बोला और कच्छि बाहर निकालने की कोशिश करता है


मगर तभी नीमा अपने चूतड़ मटकाने लगी और झुंझलाते हुए विक्की उसकी कच्छि को नीचे ही खींच देता है.

"अब बहुत हुआ !! तूने अपनी मम्मी को नंगा कर अपने दिल की ख्वाहिश पूरी कर ली, अब तो मुझे कपड़े पहेन लेने दे वरना खाना बनाने में देरी हो जाएगी " नीमा की समझ से परे कि वह क्या करे, वह चाह कर भी हिल-डुल नही पा रही थी. कुच्छ देर पहले वह किचन में डिन्नर तैयार करने के उद्देश्य से आई थी और आते ही विक्की ने उसे परेशान करना आरंभ कर दिया था.


स्नेहा घर में मौजूद है यह सोच कर नीमा को थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था और तभी अपने बेटे की अश्लील हरक़तो को सिवाए सहने के वह कुच्छ और नही कर पा रही थी.

"अभी नही" वह बोला और अचानक नीमा को अपने चूतडो पर अपने पुत्र के नंगे लंड के टकराने का एहसास हुआ. उसे पता नही चल पाया कि कब विक्की ने अपना पाजामा उतारा और उसके लंड का मोटा सुपाडा अपनी गान्ड के संवेदनशील छेद पर चुभता महसूस कर वह सिहर उठती है.


"अच्छा-अच्छा ठीक है !! मैं पूरे कपड़े उतार लूँ इसके बाद तू जो चाहे वो करना" नीमा ने अंतिम प्रयास करते हुए कहा. वह अपने पुत्र की गिरफ़्त से खुद को छुड़ा तो नही सकती थी मगर उसे बहला-फुसला कर वहाँ से भागने का प्रयत्न ज़रूर करना चाहती थी.


"नही मम्मी !! आप की गान्ड का उद्घाटन अभी और इसी वक़्त होगा" कहने के उपरांत ही विक्की ने अपनी माँ की कमर पर हल्का सा दबाव डाल दिया और काँपते हुए नीमा फॉरन अपना गुदा-द्वार सिकोड लेती है, उसकी किस्मत अच्छी थी जो वह बिल्कुल सीधी खड़ी थी वरना इस थोड़े से दबाव में भी विक्की के लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी गान्ड के कुंवारे छेद के भीतर घुस गया होता.
 

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"तू समझ क्यों नही रहा बेटे !! मैं सह नही पाउन्गि, मैने रात की इजाज़त तो दी है ना तुझे" नीमा रुन्वासी हो कर बोली. उसे मालूम था पहली बार गान्ड मरवाने में बहुत दर्द होता है और अगर वह चीख-पुकार मचाती तो यक़ीनन स्नेहा किचन के अंदर चली आती. वह पूरे दिन से इसी विषय पर विचार कर रही थी कि कहीं अपनी बेटी के समकक्ष उसका भांडा ना फूट जाए.



"डरो मत मम्मी !! कुच्छ नही होगा, बस अपनी गान्ड को ढीला छोड़ दो और झुक कर खड़ी हो जाओ" विक्की बोला और ना चाहते हुए भी अधूरे मन से नीमा को अपने पुत्र की अश्लील माँग स्वीकारनी पड़ी.


"माँ !! कुच्छ जलने की बू आ रही है" किचन के दरवाज़े के करीब से आती स्नेहा की आवाज़ सुन नीमा का संपूर्ण जिस्म काँप उठा और पकड़े जाने के भय से खुद ब खुद उसकी लज्जापूर्ण पलकें बंद हो जाती हैं, भले विक्की उसके साथ ज़बरदस्ती करता नज़र आ रहा था मगर उसकी बेटी तो अपनी मा को ही ज़िम्मेदार समझती.


"माँ !! कहाँ ध्यान है आप का, रोटी जल कर काली हो गयी" अपनी माँ को उसके कंधे से झकझोरते हुए स्नेहा बोली और गॅस की आँच धीमी कर दी. लगभग चौंकते हुए नीमा की पलकें खुलती हैं, सर्व-प्रथम उसने अपने कपड़ो की स्थिति का जायज़ा लिया जो उसके बदन पर मौजूद थे और विक्की भी उसे नज़र नही आता. "ह .. हां !! वो मैं रोटी पलटना भूल गयी थी" उसने लड़खड़ाते स्वर में कहा. वह पसीने से तर थी और उसे अपने ऊपर बेहद क्रोध आ रहा था. मात्र एक मन-घड़ंत सपने की वजह से आज उसकी जान निकलते-निकलते बची थी.


"हटो !! मैं बनाती हूँ" बोल कर स्नेहा ने बेलन नीमा के हाथ से छीन लिया. उसकी माँ के बदले हालात उसे हैरत में डाले हुए थे और सही मायने में अब तक नीमा की चेतना पूरी तरह से वापस नही लौट पाई थी.


"मैं बना लूँगी स्नेहा !! तू क्यों परेशान होती है" नीमा ने कहा मगर उसकी बेटी ने उसे आराम करने की सलाह दे कर किचन से विदा कर दिया.



बाहर हॉल में आते ही नीमा की नज़र अपने बेटे पर पड़ी, वह सोफे पर बैठा टीवी पर मूवी देख रहा था. नीमा को हॉल में रुकना गवारा नही होता और वह अपने बेडरूम की ओर जाने लगती है.


"अरे मम्मी !! कहाँ जा रही हो आप, देखो ना कितनी शानदार मूवी चल रही है" विक्की ने उसे आवाज़ दी.


हलाकि नीमा उसकी बात पर ध्यान नही देना चाहती थी मगर जाने क्यों उसके बढ़ते कदम थम गये. "मेरी तबीयत कुच्छ ठीक नही बेटे !! थोड़ी देर रिलॅक्स करूँगी" उसने बिना पलटे जवाब दिया और दोबारा चलना शुरू कर देती है.


"आप की तबीयत खुश हो जाएगी मम्मी !! इधर आओ ना" बेशर्मो की तरह उसके बेटे ने स्पष्ट-रूप से अपनी माँ को दाना डाला.


"नही !! मुझे सोना है" विक्की की बात से घबरा कर नीमा की निगाहें फॉरन किचन के दरवाज़े से चिपक जाती हैं. स्नेहा का ख़ौफ़ उसके दिल ओ दिमाग़ पर इस कदर घर चुका था कि अब कोई भी रिस्क लेना उसके लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता था.


"मैं भी साथ चलता हूँ मम्मी !! मुझे भी नींद आ रही है" बोल कर वह टीवी को स्विच ऑफ करने लगता है.


"तू कहता है तो देख लेती हूँ" अचानक नीमा के लफ्ज़ फूटे. कमरे के अंदर उसका बेटा उसे ज़रूर परेशान करता और तभी वह उसके सम्तुल्य रखे सोफे पर बैठने को विवश हो गयी थी.


"खाना दीदी बना रही है क्या ?" जान-बूझ कर विक्की ने यह सवाल पुछा और साथ ही अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर घुसा लेता है.
 

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तुरंत नीमा का चेहरा अपने बेटे की हरक़त देख सफेद पड़ने लगा. "ह .. हाँ" उसने थूक निगलते हुवे उत्तर दिया.


"तब ठीक है" कह कर विक्की ने अपने लंड को आज़ादी बख़्श दी.


कुच्छ वक़्त पूर्व की कामुकता के अंश नीमा के जिस्म में अब तक मौजूद थे, उसकी कच्छि सूखना तो दूर अपने बेटे के सिकुडे लंड को वास्तविकता में देख दोबारा भीगने लगी. निराशा, भय और उत्तेजना तीनो के मिले जुले संगम के तेहेत वह बेचैन हो उठती है, उसकी शारीरिक प्यास निरंतर बढ़ रही थी मगर बुझाने की हिम्मत जुटा पाने में बिल्कुल असमर्थ थी.


"मम्मी !! कैसी लग रही है मूवी ?" निर्लज्जता से अपना लंड मुठियाते हुवे विक्की ने पुछा.


"ह्म्‍म्म !! टीवी ऑफ ही कर दे, बहुत बोरिंग है" नीमा जवाब में बोली, उसके कथन का इशारा सॉफ था कि उसका पुत्र अपना लंड शॉर्ट्स के अंदर वापस क़ैद कर ले.


"नही भाई बंद मत कर !! मैं बस पाँच मिनिट में आई" स्नेहा ने किचन से चिल्ला कर कहा और उसकी आवाज़ सुन नीमा सोफे पर उच्छल पड़ी मगर विक्की के चेहरे पर ज़रा भी शिकन नही आती.


"पाँच मिनिट" जैसे-जैसे वक़्त बीतने लगा नीमा की हालत पतली होती गयी, उसने दर्ज़नो प्रयत्न किए लेकिन अपने ढीठ पुत्र को मना ना सकी.


"भाई !! ज़्यादा तो नही निकली ना ?" आख़िर-कार स्नेहा हॉल में आ पहुँची और थर-थर काँपते हुवे नीमा फॉरन अपनी साड़ी के पल्लू से अपना चेहरा ढँक लेती है.


"क्या हुआ मम्मी ?" विक्की और स्नेहा ने एक-साथ पुछा और दोनो बच्चो की सम्मिलित ध्वनि उनकी मा को तुरंत वर्तमान में खींच लाती है. साड़ी का पल्लू अपने चेहरे से हटाने के उपरांत नीमा ने पाया कि इस बार भी वह उसी पुराने सपने की शिकार हुई थी, ना ही विक्की ने शॉर्ट्स पहेन रखा था और ना ही हॉल की टीवी ऑन थी.


"तुम दोनो मुझे घेरे क्यों खड़े हो !! अभी-अभी किचन से बाहर आई हूँ, क्या पसीना भी ना पोंच्छू ?" सवाल कर वह पल्लू को वापस अपने चेहरे पर रगड़ने लगी. अगर वह हैरानी-पूर्वक उन्हें देखती या उस बुरे सपने के तेहेत अन्य कोई भी ऐसा संदिग्ध कार्य जो वहाँ उसकी वास्तविक मनोदशा ज़ाहिर करता, तब शायद उसे दिक्कत का सामना करना पड़ सकता था.


"नही माँ !! मुझे लगा आप को कुच्छ हो गया, देखो ना आप कितनी ज़ोर से हांफ रही हो" स्नेहा ने चिंता जताई.


"मुझे भी दीदी" विक्की अपनी बहेन का समर्थन करता है


और नीमा ने अपनी बिगड़ी हालात को नकार कर फॉरन उन्हें अपने सीने से चिपका लिया. "मैं बिल्कुल ठीक हूँ !! तुम दोनो बे-वजह परेशान मत हो" वह मुस्कुरा कर बोली और तभी उसे अपने दाएँ मम्मे के ऊपर अपने बेटे के हाथ का दबाव महसूस हुआ. नीमा ने तिर्छि निगाहों से विक्की को घूरा तो वह अंजान बनने का नाटक करने लगता है.
 
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"चलो ना मम्मी !! खाना खाते हैं" कह कर स्नेहा किचन की दिशा में मूड गयी और मौका मिलते ही बदला लेने के उद्देश्य से नीमा ने अपने पुत्र के हाथ का पूरा-पूरा का पंजा अपने ब्लाउस के भीतर ठूंस लिया. "ओह्ह्ह हां !! अब दबा ताक़त से, पहले मज़ा नही आया था" वह बुदबुदाई मगर विक्की अपनी मा की घिनोनी हसरत स्वीकारने की हिम्मत नही जुटा पाता,



किचन के दरवाज़े से उसकी बहेन उसे हॉल के अंदर झाँकति नज़र आ रही थी. "मम्मी !! रात को करेंगे, जब दीदी सो जाएगी" वह लो वाय्स में बोला और अपना हाथ अपनी मा के तंग ब्लाउस से बाहर खींच लेता है. वाकयि नीमा का सोचा-समझा प्लान शत-प्रतिशत कामयाब हुवा था, वह समझ गयी कि जैसे वह स्वयं इन हलातो में घबरा जाती है उसका बेटा तो उससे भी कहीं ज़्यादा गान्ड-फॅट निकला था.


"अच्छा ठीक है" अनमने मंन से नीमा ने कहा और सोफे से उठ कर हॉल की डाइनिंग के समीप आ पहुचि. अल्प समय में डिन्नर निपटा कर वे तीनो और अपने-अपने कमरो के भीतर प्रवेश कर गये.



आधी रात को विक्की चोरों की भाँति अपनी माँ के बेडरूम के भीतर घुसा, कमरे की बंद बत्ती जलाने के उपरांत उसे नीमा अपने बिस्तर पर लेटी हुवी दिखाई पड़ी. ट्यूब लाइट ऑन होने के बावजूद भी नीमा ने कोई हलचल नही की और चुप-चाप अपनी आँखें मून्दे लेटी रहती है. दर-असल अपनी गान्ड का कुँवारा पन नष्ट होने के चक्कर में उसे नींद नही आती मगर सोने का नाटक करना उसके लिए अति-आवश्यक था. अपने पुत्र के निरंतर चलायमान कदमो की आहट पहचानने का प्रयत्न करते हुवे वह उसे अपने बेहद करीब आता महसूस करती है.


"मम्मी" विक्की ने उसे आवाज़ दी लेकिन नीमा को नही उठना था सो नही उठी और अगले ही पल उसे अपने कमीने बेटे के शुरूवाती हमले का सामना करना पड़ गया. अपनी औकात पर आते हुवे विक्की अपना हाथ सीधे अपनी माँ के सुडोल चूतडो पर रख कर उसे झक-झोर देता है. "मम्मी उठो" वह हौले से फुसफुसाया. उसके हाथ का एहसास पा कर नीमा के चूतड़ सिकुड़ने लगे, संपूर्ण बदन उसके छुने मात्र से थिरक उठा था. खुद के जाग जाने की भनक कहीं उसके बेटे को ना हो जाए, नतीजन वह नींद में ही बड-बाड़ाने का नाटक कर उल्टी हो गयी मगर यह उसकी भूल का प्रथम चरण साबित हुवा,



अपनी मा के मांसल चूतडो की कसावट के आकर्षण ने विक्की को मस्ती से भर दिया था. "मुझे बुला कर खुद चैन से सो रही हो" झुंझलाने के उपरांत वह अपनी माँ के चूतडो से चिपक कर उसके बिस्तर पर बैठ गया. हलाकी उस वक़्त नीमा का मूँह दूसरी तरफ था लेकिन वह दावे से कह सकती थी कि उसका निर्लज्ज बेटा उसके जिस्म की कामुक बनावट का ही लुफ्त उठा रहा होगा. "मम्मी !! उठो ना" इस बार विक्की की आवाज़ में क्रोध शामिल था. उसने नीमा की छोटी सी नाइटी से नीचे उसकी नंगी पिंडलियों पर अपना हाथ रख कर उसे हिलाया, फिर अपना वही हाथ सरकाते हुए अपनी मा के घुटनो तक ले जाता है. अब उसका हाथ नीचे और नाइटी ऊपर थी.



"ह्म्‍म्म" अत्यंत घबराहट के वशीभूत नीमा से सहेन कर पाना मुश्क़िल होने लगा तो वह अपनी बाईं टाँग घुटने से मोड़ कर उसे अपने पेट से चिपका लेती है, इसके साथ ही उसकी नाइटी भी ऊपर सर्की और उसकी पूरी बाईं जाँघ नंगी हो गयी. आँखें खोले बिना ही ए/सी की ठंडी हवा अपनी कच्छि के भीतर घुसती महसूस कर खुद ब खुद नीमा को अपनी साँसे भारी होती प्रतीत होने लगती है.


"मम्मी उठो !! वरना बहुत पछ्ताओगि" कहते हुवे विक्की ने नाइटी को नीमा की कमर पर पलटा दिया और फॉरन उत्तेजना के ज्वर में दोनो माँ-बेटे तपना शुरू हो जाते हैं. जहाँ माँ की चूत में अचानक बुलबुले उठने लगे वहीं उसके पुत्र का लंड तन कर लोहे की रोड समान कड़क हो गया था. "तो आप नही उठोगी" एक अंतिम चेतावनी दे कर विक्की ने अपनी माँ की नींद को मापने का प्रयास किया और जब वो अनुमान नही लगा पाया कि नीमा वाकाई सो रही है या सिर्फ़ सोने का नाटक कर रही है, वह अपनी मा की चूत के मुहाने पर सटी कच्छि को साइड में खिसका कर अपनी उंगलियों से उसकी चूत के खुले होंठ मरोड़ने लगता है. "हाए मम्मी !! आप की चूत तो गीली हो गयी. दिल करता है चूस-चूस कर अपने मूँह से इसका सारा रस निचोड़ लूँ मगर नही, आज तो मैं तबीयत से अपनी माँ की गान्ड मारूँगा" वह नीमा के गद्देदार चूतड़ पर थप्पड़ मार कर बोला. उसकी माँ के प्राण तो जैसे उसके हलक़ में ही अटके रह जाते हैं,
 

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बेटे की अश्लीलता से भरी बातें और छेड़-खानी के हाथो विवश होते हुए नीमा फॉरन अपने नाटक को वहीं समाप्त कर देने पर विचार करने लगती है. "देखो क्या फॅशन आया !! कितनी बड़ी गान्ड और कितनी छोटी सी पैंटी. पिछे से देख कर हर कोई सोचेगा, मेरी मम्मी तो पैंटी ही नही पहनती होगी" विक्की ज़ोर से हंसा और अपनी उंगलियाँ अपनी माँ की चूत के भभक्ते मुख से हटा कर उसकी कच्छि को उसके गुदाज़ चूतडो की तरफ से नीचे खींचना शुरू कर देता है. शर्मसार नीमा अभी भी उलझन में फसि थी कि अपनी आँखें खोले या चुप-चाप लेटी रहे.


"वाउ यह हुई ना बात !! मेरी मा की कुँवारी चूत तो मुझे नसीब नही हुई लेकिन गान्ड के छेद पर मेरा पूरा हक़ है" वह कच्छि को नीमा के घुटनो तक उतारने में सफल होने के उपरांत बोला और आनन-फानन में खुद भी वस्त्र विहीन हो गया. "मम्मी !! अगले दो-चार दिन आप खुल कर हॅग सकोगी क्यों कि मेरा सूखा लंड आप की गान्ड फाड़ देगा" उसने अपने विशाल लंड का फूला सुपाडा अपनी माँ के चूतडो की दरार के भीतर रगड़ते हुए कहा और भविश्य के नतीजों के फल-स्वरूप तुरंत नीमा का संपूर्ण जिस्म कप्कपाने लगा. ज्यों ही उसने अपने बेटे के नोकदार सुपाडे की असहनीय घिसन अपने संवेदनशील गुदा-द्वार पर बढ़ती महसूस की, अपना हाथ पिछे ले जा कर फॉरन वह विक्की का लंड थाम लेती है.


"नही नही ऐसे मत घुसा !! रुक मैं तेरा लंड चूस कर उसे चिकना किए देती हूँ" नीमा विनती के स्वर में बोली और बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी.


"हे हे हे हे !! मुझे मालूम था मम्मी, आप सिर्फ़ मुझे चूतिया बना रही हो. अगर आप सच में सो रही होती तो आप की यह प्यारी सी चूत यूँ बह नही रही होती" खिलखिला कर विक्की अपनी माँ की कामुक आँखों में झाँकते हुवे उसकी चूत का सूजा भंगूर अपने अंगूठे व प्रथम उंगली के बीच पकड़ कर बे-रहमी से उसे मसल्ने लगता है.



"आहह सीईइ छ्छो .. छोड़ दे नलायक !! बहुत बिगड़ गया है तू, क्या कोई बेटा अपनी माँ के साथ इतनी बे-दरदी से पेश आता है ?" उसने शिक़ायती लहजे में तुनक कर पुछा और अपने पुत्र का हाथ अपनी काम-रस से भीगी चूत के ऊपर से हटाने के प्रयास में जुट गयी. अपने कोमल भज्नासे के निरंतर उमेठे जाने के प्रभाव से उसका पूरा जिस्म थर-थरा उठा था.


"आप की कातिल जवानी मुझे मजबूर कर देती है मम्मी" विक्की ने अपना हमला ज़ारी रखा और अपने दूसरे हाथ से अपनी माँ के घुटनो में फसि उसकी कच्छि को नीचे खींच कर उसकी चिकनी टाँगो से बाहर निकाल देता है.


"हाए बेशरम !! जब तेरा मन हुआ हर बार तूने अपनी माँ को ज़बरदस्ती नंगी किया. चल अब बिस्तर पर खड़े हो जा, मुझे भी तेरा लंड चूसना है" मर्यादाओं की दुहाई देती नीमा खुद निर्लज्जता से अपने बेटे के समकक्ष अपनी अश्लीलता का प्रदर्शन करती है और विक्की के बिस्तर पर खड़े होने के उपरांत ही उस चंचल माँ ने उसके विशाल लंड के सुपाडे को अपनी खुरदूरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.


"ओह्ह्ह मम्मी !! आप का कोई मुक़ाबला नही. चाटो, अपने बेटे के खड़े लंड की पूरी लंबाई को चाटो ना" सित्कार्ते हुए विक्की ने अपना लंड थाम लिया और वीर्य से लबालब भरे अपने टट्टो से ले कर फड़-फडा रहे अपने लंड की संपूर्ण चमडी को अपनी माँ की गीली जीभ पर घिसने लगता है. नीमा का सर मजबूती से पकड़े उसका बेटा अपने मन-मुताबिक अपनी माँ से अपना लंड चटवाने में सफल हो गया था.


"छिन्न .. छर्ररर" अचानक बेडरूम का दरवाज़ा खुला और स्नेहा अपनी माँ के कमरे के भीतर प्रवेश करती है मगर नीमा के चेहरे पर तो जैसे नाम मात्र की फिकर नही झलकी, वह बिना किसी अतिरिक्त झीजक के अपनी बेटी की आँखों में झाँकते हुए अपने बेटे के लंड का फूला सुपाडा बार-बस अपने कोमल होंठो से सटा कर चूमने लगी.
 

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"अब और कितना डराएगी !! हां मैने अपने सगे बेटे से अपनी चूत चुदवाइ है और कुच्छ देर बाद अपनी गान्ड भी मरवाउन्गि. मैं मेरे बेटे की रंडी हूँ, उखाड़ ले जो तुझसे उखाड़ते बने" क्रोध से भरपूर नीमा के शब्द उसके बीते बुरे सपनो के परिचायक थे. कष्ट-प्रद जिन हलातो का सामना उसे करना पड़ा था, पूर्ण-रूप से स्नेहा को ज़िम्मेदार मान कर वह अपना गम हल्का कर रही थी, उस पर अपनी भडास निकाल रही थी. "वहाँ दरवाज़े पर क्यों खड़ी है !! अंदर आ और हिम्मत है तो रोक कर दिखा मुझे" वह दोबारा गर्जि और तभी स्नेहा के कदम उसे रफ़्तार पकड़ते नज़र आए जैसे उसने अपनी मा की चुनौती को स्वीकार कर लिया हो. शंका-स्वरूप नीमा ने फॉरन अपने निचले होंठ को अपने नुकीले दांतो को मध्य चबा कर देखा और दर्द महसूस करते ही समझ गयी कि इस बार कुदरत ने उसे नही बख्शा, उसकी बेटी हक़ीक़त में उसके कमरे भीतर मौजूद है.



"ह्म्‍म्म !! लो आ गयी मगर आप तो खुद ही रुक गयी माँ, मुझे रोकने की ज़रूरत ही नही पड़ी" वह नीमा के संपूर्ण जिस्म को घूरते हुए बोली. बिस्तर के नरम गद्दे पर धन्से उसकी माँ के नंगे, मांसल चूतडो का घुमावदार कटाव बेहद प्रभावशाली था. नाइटी की हद्द तो जैसे उसकी माँ के गुदाज़ पेट के ऊपर सिमट कर समाप्त हो गयी थी. आल्ति-पालती की मुद्रा में बैठे होने की वजह से उसकी कामरस से लबालब भरी चूत के अत्यंत सूजे होंठ स्नेहा को उसकी माँ के बदन से कहीं ज़्यादा काप्कपाते नज़र आते हैं, जिनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली छवि से स्त्री होने के बावजूद वह अछूती नही रह पाती और क्षण मात्र में ही स्वयं की कुवारि चूत के भीतर एक अजीब सी सनसनाहट महसूस करती है.


"क्या हुआ विक्की !! माँ रुक क्यों गयी ?" उसने बिस्तर पर खड़े अपने नंगे भाई से पुच्छा जो सिवाए मूक्दर्शक बने रहने के और कर भी क्या सकता था. "अभी कुच्छ देर पहले तो किसी रंडी की तरह तेरे लंड का सुपाडा चूम रही थीं. अब क्या हुआ, कहीं इन्हें शरम तो नही आ गयी ?" अपने छोटे भाई का जवाब ना मिलने के उपरांत स्नेहा अश्लीलतापूर्वक बोली.


उसकी इस हृदयभेदी तोचना से क्षुब्ध नीमा के हाथ ने अपने आप उसके बेटे के तने लंड को छोड़ दिया और बिस्तर पर जा गिरा, मानो लकवे का शिकार हो गया हो. "बस कर स्नेहा !! मुझे और जलील मत कर बेटी" रुन्वासि नीमा किस्मत के आगे हथियार डाल देती है. प्रत्यक्षरूप से स्नेहा को वह इतनी दुखद प्रतीत हुई जितनी पूर्व में कभी नज़र नही आई थी. वह वाकयि निष्क्रिय थी, उसकी विह्वल आँखो से उत्तेजना की उमंग, जोश और उत्साह की सारी चमक फीकी पड़ चुकी थी. अपनी बेटी के आगमन पर वह बिल्कुल निर्जीव हो गयी थी जैसे उसके पंख पखेरू उड़ चुके हों. स्नेहा को उसके लिए अफ़सोस हुआ मगर नियती के फ़ैसले को टालना कहाँ संभव था. अपनी मा के निष्प्राण, उदासीन चेहरे को देख वह उसे अन्य कोई टीस देने की क्षमता खो देती है.



"मुझे आप से कोई शिक़ायत नही माँ !! हां थोड़ी नाराज़ ज़रूर हूँ क्यों कि आप इस नलायक को मुझसे ज़्यादा प्यार करती हो" बोल कर स्नेहा अपनी माँ को चौंकाते हुए उसके सीने से चिपक जाती है और एकायक बदले उसके स्वाभाव के मद्देनज़र नीमा पहले से कहीं अधिक घबरा गयी. उसके लिए विश्वास कर पाना बेहद कठिन था कि जहाँ उसकी बेटी को उसके ऊपर चिल्लाना चाहिए, बुरी से बुरी गालियों से नवाज़ना चाहिए वहीं इसके ठीक विपरीत वह अपनी माँ के पापी करम को नज़रअंदाज़ कर उसे दुलार रही थी



"क .. क्या !! क्या कहा तूने .. कि तुझे अपनी माँ से कोई शिक़ायत नही म .. मगर मैं तो तेरे छोटे भाई के साथ ...." लड़खड़ाती आवाज़ में नीमा ने कहा, हलाकी हल्की सी राहत की साँस का अनुभव उसे अवश्य हुवा मगर इतना भी नही कि अपना शर्मसार कथन स्पष्ट लहजे में पूरा कर पाती.


"हां माँ !! आप ने ठीक सुना" आलिंगन तोड़ स्नेहा मुस्कुरा कर बोली "मुझे काफ़ी पहले मालूम चल गया था कि आप विक्की से अपनी चूत चुदवाती हो" उसने बिना किसी झेंप के कहा, उसके वहाँ आने का मक़सद ही यही था कि अपनी माँ को रंगे हाथो पकड़ सके और अपने इस प्रयास में उसने अविश्वसनीय सफलता भी अर्जित की थी.



"तू .. तुझे पता था स्नेहा ?" पुछ्ते वक़्त नीमा का चेहरा लजा गया, अपनी बेटी की अश्लील भाषा के प्रयोग से उसे बहुत हैरानी हुई और फॉरन अपनी अधनंगी अवस्था छुपाने हेतु वह अपनी नाइटी को अपने पेट से नीचे खींच कर अपनी चूत धाँकने का प्रयत्न करती है मगर इसके लिए उसे अपने चूतडो को बिस्तर से ऊपर उठाना आवश्यक था जो वह नही कर पाई, बस नाइटी का महीन कपड़ा पकड़ कर अपना हाथ अपनी चूत के मुहाने पर रखने भर से उसे संतोष करना पड़ा, उसकी संपूर्ण चिकनी टांगे और चूतडो का निचला हिस्सा अब भी नंगा था.


"बोला तो सही !! आप दोनो को कयि बार चुदाई करते देख चुकी हूँ. शुरुआत में बड़ा अजीब लगा, गुस्सा भी बहुत आया मगर इंटरनेट पर इन्सेस्ट से रिलेटेड दर्ज़नो वेबसाइट्स देख कर यकीन हो गया कि कुच्छ परिवारो में ऐसा होता है, जहाँ खूनी रिश्ते छुप्छुप कर आपस में संभोग किया करते हैं" किसी विद्वान की भाँति स्नेहा बोली "पर माँ !! इन्सेस्ट ब्लॉग्स पढ़ने के बाद जाने मुझे क्या हो गया है, सारे बदन में दर्द उठने लगा है, नींद नही आती, हर वक़्त दिल बेचैनि से भरा रहता है और मेरी चूत तो काफ़ी दिनो से पानी छोड़ रही है, एक पल को भी सूखी नही रह पाती" उसने अंजान बनने का नाटक किया और पाजामे के ऊपर से अपनी कुँवारी चूत को मसल कर दिखाती है ताकि नीमा उसके ढोंग की असलियत पहचान ना सके.
 

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पापी परिवार--68




"विक्की !! अपने कपड़े पहेन और जा यहाँ से" अपने पुत्र को ऐसा आदेश सुना कर नीमा ने जैसे उन दोनो के ऊपर वज्रपात कर दिया मगर स्नेहा का प्लान अभी अधूरा था और वह किसी भी सूरत में उसे पूरा किए बगैर अपने भाई को बेडरूम से बाहर नही जाने देना चाहती थी.

"माँ !! मैने यहाँ आ कर ग़लती कर दी, शायद मुझे देख आप दोनो को अच्छा नही लगा" एक नज़र अपनी मा को देखने के उपरांत उसने अपने भाई के लंड को घूर कर कहा जो अखंड घबराहट के प्रभाव से नरम हो कर नीचे को लटक गया था.

"ऐसी .. ऐसी कोई बात नही स्नेहा" नीमा हौले से फुसफुसाई. अपने बेटे के लंड को घूरती उसकी बेटी की कामुक निगाहों में वासना के डोरे तैरते देख उन दोनो बच्चों की माँ अत्यधिक शरम का अनुभव करती है "स्नेहा को विक्की से दूर रखना होगा" कुच्छ ऐसा सोच वह आगे की रणनीति के तेहेत स्नेहा से नज़र बचा कर विक्की को अपनी आँखों का ख़ौफ़ दिखाने लगी.

"तो फिर आप रुक क्यों गयी ?" स्नेहा ने पुछा.

"वो .. वो मैं" नीमा क्या उत्तर दे उसे सूझ नही पाया बस बेबसी से उसने अपनी गर्दन झुका ली.

"विक्की !! तू तो पूरा मर्द बन गया मेरे भाई .. वाउ ! कितना बड़ा लंड है तेरा" स्नेहा का यह कथन निर्लज्जता से भरपूर रहा जिसने कमरे के शांत वातावरण को भयानक तूफान में परिवर्तित कर दिया"मुझे पता है विक्की !! मेरे बेडरूम में आने से पहले तेरे इस सुंदर लंड को हमारी माँ चूसना शुरू करने वाली थी. क्यों माँ, सही कहा ना मैने ?" कहने के तुरंत बाद वह अपने भाई के लंड को पकड़ ने के उद्देश्य से अपना हाथ ऊपर की दिशा में उठाने लगी

मगर ठीक उसी वक़्त नीमा को स्नेहा की बेशरम मंशा का भान हुआ और वह अपनी बेटी से पूर्व अपने बेटे के लंड को थाम लेती है. "ह .. हां अब तुम दोनो ही जवान हो चुके हो" विक्की का लंड अपनी मुट्ठी में क़ैद करने के पश्चात नीमा ने कहा "तू जाता क्यों नही यहाँ से" वह फॉरन अपने बेटे पर चिल्लाई.

"ओह्ह्ह मम्मी !! उफ़फ्फ़ आप इसे छ्चोड़ो तो मैं जाउ" बेडरूम में चलते मौजूदा घटनाक्रम के दौरान प्रथम बार विक्की के मूँह से कोई अल्फ़ाज़ फूटे और वो भी लंबी सीत्कार की ध्वनि से परिपूर्न. अपनी बहेन के समक्ष ही अपनी माँ के कोमल हाथ का स्पर्श अपने सिकुड चुके लंड पर महसूस करते ही उसके निष्प्राण बदन के भीतर अविश्वसनीय गति से प्राणो का संचार होने लगा और साथ ही उसका शुषुप्त लंड क्षण मात्र में वापस अपनी संपूर्ण विकसित अवस्था को प्राप्त कर लेता है.

"म .. मैने कहाँ ?" अत्यंत हड़बड़ाहट से बहाल फॉरन नीमा ने अपने पुत्र के लंड को छोड़ दिया जो पकड़ विहीन होने के उपरांत अब स्पष्ट रूप से उन दोनो स्त्रियों के अधखुले चेहरे के सामने तन कर अनियंत्रित झटके खाने लगा और उसके फूले सुपाडे से बाहर आती गाढ़े रस की लिसलीसी बौछार तार बनाती हुवी बिस्तर पर टपक पड़ती है. नीमा ने तो कैसे ना कैसे इस उत्तेजित दृश्य को सहेन कर लिया मगर बेचारी स्नेहा की कुँवारी चूत उबल उठी और उसके चेहरे की भावभंगिमाएँ बदलते देख उसकी माँ का रहा सहा संयम भी टूट गया.
 

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"माँ !! भाई को यहीं रहने दो ना. मुझे बिल्कुल बुरा नही लगेगा अगर आप इसके लंड को चूसोगी" स्नेहा अपने टॉप के ऊपर से अपनी दाईं चूची की घुंडी को बेदर्दी से मसल कर बोली, उसकी आवाज़ उस शराबी समान काँप रही थी जिसे अत्यधिक मदिरा पीने के पश्चात दीनदुनिया की कोई फिकर नही होती.

"होश में आ बेटी" नीमा ने अपने जबड़े भींच कर कहा और विक्की को कमरे से बाहर जाने का अंतिम इशारा करने के उपरांत ज़बरदस्ती स्नेहा को बिस्तर पर धकेल दिया, शायद अब वह स्वयं उसे सेक्स जीवन का महत्वपूर्न पाठ पढ़ाने वाली थी

"स्नेहा अपने छोटे भाई के दमदार यौवन पर मर मिटी है, उसके लंड की विकरालता के प्रति आकर्षित है तो क्या मैं अपनी और अपने बेटे की अतरन्ग्ता को अपनी बेटी के साथ बाँट लू. नही, कभी नही" सोच कर नीमा अपनी फूल सी नाज़ुक पुत्री के ऊपर पसर गयी. "आज रात के बाद यक़ीनन मेरे भावी जीवन में एक नया परिवर्तन आएगा, अपने बेटे संग संभोग करने की मुझे हर संभव छूट प्राप्त होगी जो मेरी बेटी के घर में रहते हुवे नही मिल पा रही थी. हलाकी मेरी ही सतर्कता ना बरतने का कारण है कि आज मैं स्नेहा द्वारा रंगे हाथो पकड़ी गयी मगर मैं हार नही मानूँगी. अभी मेरी बेटी गहेन कामोत्तजना की शिकार है और मुझे खुद उसे चरम पर पहुँचना होगा, उसे संतुष्ट करना होगा ताकि भविश्य के लिए वह मेरे और मेरे बेटे की राह में रोड़ा ना बने और मुझे विक्की की किशोरावस्था भारी वासना और जानवरो जैसी ताक़त कर निरंतर आनंद मिलता रहे" नीमा कुच्छ इन्ही विचारो में गुम थी कि तभी विक्की अपनी माँ के कमरे से नंगा ही बाहर निकल जाता है.

"आख़िर क्यों आप ने भाई को बाहर भेज दिया ?" अपनी माँ की सोच को तोड़ते हुवे स्नेहा ने पुछा "मैने कहा तो था कि मुझे कोई दिक्कत नही"

"ष्ह्ह्ह !! चुप बिल्कुल" नीमा अपनी उंगली को उसके होंठो पर रख कर बोली "हां मैं विक्की से बहुत प्यार करती हूँ और मुझे उससे अपनी चुदाई करवाने का चस्का लग चुका है" उसने अपनी बेटी के चेहरे पर सिमट आए बालो को हटाते हुवे कहा और तत्पश्चात उसकी कामुक गुलाबी आँखों में झाँकने लगी.



"मुझे पता था माँ कि आप मुझसे प्यार नही करती" स्नेहा का चेहरा अपनी माँ के मुलायम गालो से रगड़ रहा था जिससे उसके होंठ थरथराने लगते हैं.

"बहुत बोलती है तू !! अगर तुझसे प्यार नही करती होती तो क्या विक्की को कमरे से बाहर भेजती ?" नीमा अपनी पुत्री की गर्दन पर अपनी उंगली टिकाते हुवे बोली "आज रात मैं सिर्फ़ तेरे साथ प्यार करूँगी"

"क्या ?" हैरत्वश स्नेहा का मूँह खुल गया. उसकी गरम साँस का झोंका अपने चेहरे पर महसूस कर नीमा उसके होंठो पर लपक पड़ी, अगले ही पल दोनो माँ-बेटी ने किसी प्रेमियुगल की भाँति एक-दूसरे को चूमना शुरू कर दिया और आपस में जीभ से जीभ लड़ाने लगती हैं.

"विक्की को मेरी चूचियाँ पसंद हैं, वह बहुत खेलता है इनसे" नीमा ने अपनी पुत्री का बायां स्तन दबाते हुवे कहा, उसके टॉप के नीचे ब्रा का आधार ना होने से वह उसके तने निपल की कड़कता का एहसास कर स्वयं सिहर उठी.
 

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"सच्ची माँ ?" हवा में उड़ती स्नेहा ने सवाल किया.


"हां और नही तो क्या !! नालयक चूस चूस कर निचोड़ देता है, लाल हो कर इनकी दुर्गति हो जाती है" जवाब के साथ ही नीमा ने उसका टॉप उतार फेंका, जीवन में प्रथम बार वह अपनी बेटी के विकसित मम्मो को नगन देख रही थी "उफ़फ्फ़ स्नेहा !! कितने टाइट और रसीले हैं ये" वह झुकी और उसकी तनी हुवी निप्प्लो पर चुंबनो की बारिश सी कर देती है.



"ओह्ह्ह सीईइ" स्नेहा सिसकी तो उसकी माँ ने उसके बाएँ निपल को अपने होंठो के मध्य दबा लिया और मूँह के भीतर अपनी लंबी जीभ अपनी बेटी की तनी घुंडी पर ठीक वैसे ही नचाने लगी जैसे दिन में कयि बार अपने पुत्र के गुलाबी सुपाडे पर फुदकाती थी. अपनी मर्ज़ी से पहली बार अपनी बेटी के साथ, उसके नज़रिए से यह बड़ा ही मज़ेदार अनुभव था. खुद एक स्त्री होने के नाते वह बखूबी जानती थी कि उसकी बेटी अपनी कुँवारी अवस्था में सबसे ज़्यादा किस चीज़ के लिए तड़पति होगी. विक्की और स्नेहा में उसे काफ़ी समानताएँ नज़र आती हैं, उसके बेटे की तरह बेटी के बदन में भी अलग ही आकर्षण था. स्नेहा के शरीर में वही जोश और उत्तेजना थी जो वह हमेशा विक्की में महसूस करती थी और सोचते-सोचते जाने कैसे नीमा अपनी पुत्री के निपल को बलपूर्वक चबाने लगती है.


"औच !! माँ क्या वह आप के नीचे भी चाट ता है ?" सवाल के साथ स्नेहा के मूँह से दबी चीख भी निकल पड़ी, आख़िर उसकी माँ के नुकीले दांतो के पीड़ादायक प्रहार लगातार उसके नाज़ुक चुचक पर कहेर जो ढा रहे थे.


"नीचे कहाँ ?" नीमा जान कर अंजान बनते हुवे उल्टे उससे प्रश्न कर देती है, सेक्स के खेल में खुलेपन की वह आदि हो चुकी थी.


"टाँगो के बीच में" कह कर स्नेहा ने अपने दूसरे स्तन को अपने स्वयं के हाथ के बीच दबोच लिया, वो अभागा तो उसकी माँ के प्यार की चाह में अंदर से तड़प-तड़प कर खुद ब खुद सख़्त हो गया था.


"टाँगो के बीच में ?" फॉरन नीमा ने अपनी पुत्री का थूक से सना निपल छोड़ा और अविश्वास से उसके चेहरे को घूर्ने का नाटक करती हुवी बोली तथा फिर से उसके निपल को अपने मूँह के भीतर सडॅक लेती है, वह पहले से कहीं अधिक तीव्रता से उसकी चुसाई में जुट गयी मानो निपल नही लंड हो जो थोड़ी ही देर में अपना पानी छोड़ देगा.


"उफफफ्फ़ माँ !! प्लीज़ ज़ोर से चूसो. हां .. हां" स्नेहा अपनी माँ को उकसाते हुवे चिल्लाई, यक़ीनन उसकी कुँवारी चूत के भीतर बिजली सा करेंट दौड़ने लगा था. "मैने कयि बार देखा है, वह आप की चूत को घंटो तक चाट ता रहता है" अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसने अपनी माँ की भभक्ति चूत को अपनी मुट्ठी में भींच कर कहा जो उस वक़्त स्पष्टरूप से उसकी माँ के जिस्म में लगी आग की चुगली कर रही थी.


"हॅट बेशरम" इधर नीमा ने उसकी चूचियों को जकड़ा तो
 

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उधर स्नेहा भी पूरी तैयारी में थी. वह अपनी माँ की बुलबुले उगलती चूत के सूजे होंठो को अपनी पतली व छोटी उंगलियों से सहलाते हुवे बुदबुदाई. "माँ !! मेरी चूत को चाटो ना. मुझे जानना है, कैसा लगता होगा" स्नेहा ने अपने शरीर में उमड़ती उत्तेजना के नशे में झूम कर आग्रह किया.



अपनी बेटी की नीच माँग को स्वीकार कर नीमा उसके बदन से ऊपर उठी और नीचे खिसक कर उसकी टाँगो के मध्य जगह बनाते हुवे उसके सूती पाजामे की एलास्टिक में अपनी उंगलियाँ फसा कर सरकाने लगी "अरे वाह !! मेरी बिटिया रानी तो पूरी तैयारी के साथ यहाँ आई थी" स्नेहा के कच्छि ना पहने होने के कारण उसने टॉंट मारा और फिर पाजामे को उसकी लंबी टाँगो से बाहर निकाल देती है. काफ़ी मादक दृश्य था, भयंकर चुदास से भरी दो कामुक औरतें. जहाँ एक बेटी बिस्तर पर अपनी टाँगो को फैलाए लेटी अपनी माँ द्वारा अपनी चूत चटवाने को तड़प रही है, वहीं उसकी माँ अश्लीलतापूर्वक अपनी बेटी की सुडोल जाँघो के बीच अपना मूँह घुसाए बैठी उसकी चूत के कौमार्य का बारीकी से निरीक्षण कर रही थी. "देख !! तेरा भाई ऐसी शैतानियाँ करता है तेरी माँ के साथ" कहने के उपरांत नीमा ने अपनी बेटी की चूत के पास अपने होंठ रख दिए, स्नेहा के अन्द्रूनि अंग से रिस्ता पानी उसके गालो पर भी चुपड जाता है. उस माँ की खुशी का तो ठिकाना नही था जिसने अब से कुच्छ लम्हे पहले ही अपनी बेटी के कुंवारेपन को क्लीन चिट दी थी और इसी प्रसन्नता से ओत-प्रोत नीमा अपनी जीभ अपनी पुत्री की टाँगो की जड़ के भीतर घुसा देती है.
 
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