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"भाई !! मेरे कारण मोम ने आप के ऊपर लांच्छन लगा दिया" शाम के वक़्त निकुंज अपनी बहेन को क्लिनिक ले जा रहा था. काफ़ी अरसे बाद उन्हें अकेले वक़्त बिताने का मौका मिला था और जिसकी खुशी से उन दोनो के चेहरे बेहद खिले हुए थे.
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"निक्की !! तू बे-वजह फिकर करती है. मोम तुझसे ज़्यादा प्यार किसी को नही करती और तभी वे मुझ पर बरस पड़ी थीं. उन्होने पूरी ताक़त से ग्लूकोस का डिब्बा मेरी पीठ पर ठोका, अब तक मुझे दर्द का एहसास हो रहा है" निकुंज मुस्कुराते हुए बोला. वह वाकाई अपनी मा के भोलेपन को नकार नही सकता था. कम्मो की जगह यदि किसी दूसरे शक्स के समकक्ष उसने अपनी बहेन साथ माउत तो माउत थेरपी वाला नाटक किया होता तो यक़ीनन अल्प समय में ही उसका भांडा फूट जाना था.
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"मोम के सामने मेरे साथ उट-पटांग हरक़तें किए जा रहे थे, तो मार कैसे ना पड़ती" कह कर निक्की का अत्यंत सुंदर मुखड़ा लज्जा से भर उठा. उसका अशांत मन अब पूर्ण-रूप से शांत हो चुका था मगर तंन की तृप्ति से वंचित थी.
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"झूठी कहीं की !! जैसे तुझे मज़ा नही आया. मैं सॉफ लॅफ्ज़ो में नही कह सकता निक्की वरना मोम की तरह तू भी मुझे ग़लत समझेगी" निकुंज कार की स्पीड को कम करते हुए बोला. उसका इशारा अपनी बहेन की काम-उत्तेजना की तरफ था.
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"मैं भला क्यों नाराज़ होने लगी. मैं जानती हूँ आप ने मेरे दिमाग़ से मोम का ख़ौफ़ मिटाने के लिए वो सब किया" निक्की हौले से फुसफुसाई. एक लड़की होने के नाते उसे अपने जज़्बातों पर बेहद काबू रखना था ताकि उसके भाई के समकक्ष उसकी गर्मिया हमेशा बारकार रहे.
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"बेटा तू ठीक कह रही है. मेरी मजबूरी थी इस लिए जान-बूझ कर मुझे मोम सामने तुझे किस करना पड़ा" क्लिनिक की पार्किंग में निकुंज ने अपनी कार पार्क कर दी. अब वह अपनी बहेन का अत्यंत शर्मीला चेहरा स्थिरता-पूर्वक निहार सकता था.
"तेरा बूब दबाना भी ज़रूरी था वरना उन्हें शक़ हो जाता" वह निक्की की चुस्त नारंगी कुरती के ऊपर उभरी उसकी कसी चूचियों को देखते हुए कहता है.
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"भाई !! उस वक़्त मुझे तन्ग कर आप का मन नही भरा जो इस वक़्त भी मुझे छेड़ रहे हो ?" निक्की लो वाय्स में बोली. अपने भाई की निगाहें अपने मम्मों पर महसूस कर फॉरन वह उन्हें अपने सफेद दुपट्टे से ढँक लेती है.
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"मैने कहा था ना, तू मुझे ग़लत समझ लेगी" निकुंज अफ़सोस जताने का ढोंग करता है.
"डॉक्टर'स भी मरीज़ की नब्ज़ उसकी कलाई पकड़ कर चेक करते हैं और आप कहते हो कि मैं अपने भाई को ग़लत समझूंगी" निक्की ने अपना कथन निकुंज की आँखों में झाँकते हुए पूरा किया और इसके उपरांत ही वह अपना दुपट्टा उतार कर डॅश बोर्ड पर रख देती है.
"शायद मेरी ड्रेस इसके बगैर ज़्यादा अच्छी लगेगी" उसके नशीले नयनो का प्रभाव इतना प्रबल था कि उसके भाई की आँखें तुरंत अपनी हार स्वीकार कर, इधर-उधर मटकने पर विवश हो उठी.
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"हमें चलना चाहिए" निकुंज सिर्फ़ इतना ही कह सका और कार से बाहर निकलने लगता है. उसके पिछे निक्की भी उतरी मगर अपने दुपट्टे को वह दोबारा पहेन चुकी थी.
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"अपने भाई का हक़ मैं किसी और को कभी नही दूँगी" वह मुस्कुराइ और अचंभित निकुंज के साथ चलना शुरू कर देती है. जहाँ अपनी बातों के ज़रिए उसने अपने भाई के मश्तिश्क में खलबली मचा दी थी वहीं उनके मर्यादित रिश्ते के भविश्य को भी स्पष्ट-रूप से उजागर कर दिया था.
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"निक्की !! तू बे-वजह फिकर करती है. मोम तुझसे ज़्यादा प्यार किसी को नही करती और तभी वे मुझ पर बरस पड़ी थीं. उन्होने पूरी ताक़त से ग्लूकोस का डिब्बा मेरी पीठ पर ठोका, अब तक मुझे दर्द का एहसास हो रहा है" निकुंज मुस्कुराते हुए बोला. वह वाकाई अपनी मा के भोलेपन को नकार नही सकता था. कम्मो की जगह यदि किसी दूसरे शक्स के समकक्ष उसने अपनी बहेन साथ माउत तो माउत थेरपी वाला नाटक किया होता तो यक़ीनन अल्प समय में ही उसका भांडा फूट जाना था.
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"मोम के सामने मेरे साथ उट-पटांग हरक़तें किए जा रहे थे, तो मार कैसे ना पड़ती" कह कर निक्की का अत्यंत सुंदर मुखड़ा लज्जा से भर उठा. उसका अशांत मन अब पूर्ण-रूप से शांत हो चुका था मगर तंन की तृप्ति से वंचित थी.
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"झूठी कहीं की !! जैसे तुझे मज़ा नही आया. मैं सॉफ लॅफ्ज़ो में नही कह सकता निक्की वरना मोम की तरह तू भी मुझे ग़लत समझेगी" निकुंज कार की स्पीड को कम करते हुए बोला. उसका इशारा अपनी बहेन की काम-उत्तेजना की तरफ था.
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"मैं भला क्यों नाराज़ होने लगी. मैं जानती हूँ आप ने मेरे दिमाग़ से मोम का ख़ौफ़ मिटाने के लिए वो सब किया" निक्की हौले से फुसफुसाई. एक लड़की होने के नाते उसे अपने जज़्बातों पर बेहद काबू रखना था ताकि उसके भाई के समकक्ष उसकी गर्मिया हमेशा बारकार रहे.
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"बेटा तू ठीक कह रही है. मेरी मजबूरी थी इस लिए जान-बूझ कर मुझे मोम सामने तुझे किस करना पड़ा" क्लिनिक की पार्किंग में निकुंज ने अपनी कार पार्क कर दी. अब वह अपनी बहेन का अत्यंत शर्मीला चेहरा स्थिरता-पूर्वक निहार सकता था.
"तेरा बूब दबाना भी ज़रूरी था वरना उन्हें शक़ हो जाता" वह निक्की की चुस्त नारंगी कुरती के ऊपर उभरी उसकी कसी चूचियों को देखते हुए कहता है.
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"भाई !! उस वक़्त मुझे तन्ग कर आप का मन नही भरा जो इस वक़्त भी मुझे छेड़ रहे हो ?" निक्की लो वाय्स में बोली. अपने भाई की निगाहें अपने मम्मों पर महसूस कर फॉरन वह उन्हें अपने सफेद दुपट्टे से ढँक लेती है.
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"मैने कहा था ना, तू मुझे ग़लत समझ लेगी" निकुंज अफ़सोस जताने का ढोंग करता है.
"डॉक्टर'स भी मरीज़ की नब्ज़ उसकी कलाई पकड़ कर चेक करते हैं और आप कहते हो कि मैं अपने भाई को ग़लत समझूंगी" निक्की ने अपना कथन निकुंज की आँखों में झाँकते हुए पूरा किया और इसके उपरांत ही वह अपना दुपट्टा उतार कर डॅश बोर्ड पर रख देती है.
"शायद मेरी ड्रेस इसके बगैर ज़्यादा अच्छी लगेगी" उसके नशीले नयनो का प्रभाव इतना प्रबल था कि उसके भाई की आँखें तुरंत अपनी हार स्वीकार कर, इधर-उधर मटकने पर विवश हो उठी.
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"हमें चलना चाहिए" निकुंज सिर्फ़ इतना ही कह सका और कार से बाहर निकलने लगता है. उसके पिछे निक्की भी उतरी मगर अपने दुपट्टे को वह दोबारा पहेन चुकी थी.
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"अपने भाई का हक़ मैं किसी और को कभी नही दूँगी" वह मुस्कुराइ और अचंभित निकुंज के साथ चलना शुरू कर देती है. जहाँ अपनी बातों के ज़रिए उसने अपने भाई के मश्तिश्क में खलबली मचा दी थी वहीं उनके मर्यादित रिश्ते के भविश्य को भी स्पष्ट-रूप से उजागर कर दिया था.