दीप की कार पास के एक लाइनाये स्टोर पर रुक गयी ..पूरे रास्ते, और यहाँ तक अभी भी उसके जहेन मे सिर्फ़ शिवानी की कही बातें घूम रही थी
" बहुत मासूम लड़की है ..काश रघु ठीक होता, उसकी ज़िंदगी बना देती "
इसी सोच मे वो स्टोर के अंदर पहुच गया
" जी कहिए ? "
सुबह का वक़्त होने से स्टोर मे भीड़ ना के बराबर थी ..काउंटर सॉफ करती एक 25 - 26 साल की लड़की ने उससे से पूछा
" एक फीमेल सेट खरीदना है "
दीप ने रिप्लाइ किया
" साइज़ &; डिज़ाइन सर ? "
लड़की के सवाल पर दीप हड़बड़ा गया ..ज़िंदगी भर उसने पचासों लड़कियों को नंगा किया था ..लेकिन आज पहली बार किसी का बदन, ढकने की गरज से अंडरगार्मेंट्स खरीदने आया था
" साइज़ ..साइज़ ..साइज़ !!!! "
चाह कर भी उसके मूँह से शब्द नही फूटे ..लड़की मुस्कुरा उठी, शायद इसमे उसने दीप के सीधेपन को समझ होगा
लड़की :- " किसी ख़ास के लिए लेना है क्या ..आगे बताइए ? "
दीप :- " 18 "
लड़की :- " ज़्यादा दुबली - पतली तो नही है ना ? "
दीप :- " नही नॉर्मल है "
लड़की :- " साइज़ तो मैं कर दूँगी ..बट डिज़ाइन ? "
दीप :- " जब साइज़ पता चला गया है तो डिज़ाइन भी आप अपने हिसाब से निकाल दीजिए "
लड़की :- " रीलेशन क्या है लड़की से ? "
दीप :- " क्या ? "
लड़की :- " ये तो नॉर्मल क्वेस्चन है ..अगर बेटी के लिए ले जा रहे हैं, तो उस हिसाब से दूँगी / अगर गर्लफ्रेंड के लिए लेना है, तो उस हिसाब से ..खेर वाइफ तो आप की 18 की होगी नही "
दीप जैसे रोज़ ना जाने कितने विज़िटर्स से उसका पाला पड़ता था, तो बिना किसी झिझक के उसने कहा ..एक गर्लफ्रेंड के लिए तो एरॉटिक से एरॉटिक डिज़ाइन्स खरीदी जा सकती हैं ..बट बेटी के लिए तो कोई भी बाप सिंपल अंडरगार्मेंट्स ही लेगा
" गर्लफ्रेंड है "
आख़िर दीप को झूट बोलना ही पड़ा ..बहू के बारे मे तो कहता नही
" ओके "
मुस्कुरा कर लड़की ने ब्लॅक कलर ' लो राइज़, जी -स्ट्रिंग्स वित प्रेशियस लेस ' पैंटी और मॅचिंग ' थ्रेड ब्रा ' पॅक कर दी
" थॅंक यू "
अंडरगार्मेंट्स देखे बिना ही दीप ने पॅकेट उठा लिया और जल्दी से पेमेंट कर, स्टोर से बाहर निकल गया
" उफफफफ्फ़ !!!! कितना मुश्क़िल है ये सब "
चेहरे का पसीना पोंछ कर दीप अपने ऑफीस की तरफ बढ़ गया ..अगर उसमे बदलाव ना आया होता तो अभी खड़े - खड़े ही स्टोर वाली लड़की की चुदाई कर दी होती
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शिवानी नहा कर बेड - रूम मे बैठी दीप के लौटने का इंतज़ार कर रही थी ..नहाते वक़्त उसका मन तो बहुत हुआ, अपनी चूत मे उंगली कर के, अपनी प्यास बुझा ले ..लेकिन अब उसकी चूत उंगली नही, अपने ससुर के मूसल की माँग करने लगी थी
थोड़ी देर बाद दीप बेड - रूम मे एंटर हुआ ..शिवानी को टवल मे देख वो चौक गया ..आख़िर मेल टवल, कहाँ तक एक लड़की के जिस्म को ढक पाती
" ये बहुत छोटा है ..कोई और ऑप्षन नही था मेरे पास "
शिवानी बेड से उठ कर उसके करीब आने लगी ..बूब्स लगभग हाफ बाहर थे और लोवर पार्ट भी कुछ ख़ास नही छुप पाया, चूत की फांको से मात्र 3 - 4" नीचे आ कर टवल ख़तम हो गया था
" वो मेल टवल है ..लो ये पहेन लो "
काँपते हाथो से दीप ने पॅकेट उसके सामने कर दिया ..उसकी आँखें ज़मीन को देख रही थी ..शिवानी ने पॅकेट पकड़ लिया और वहीं पर खोल कर देखने लगी
" शिवानी प्लीज़ बाथ - रूम मे चली जाओ "
दीप दो कदम पीछे हट कर बोला ..लाइफ मे पहली बार वो किसी लड़की से घबराया था ..यहाँ तक कि बेटी निम्मी के नंगे बदन को देखने के बाद भी, उसकी पलकें यूँ ना झुकी थी ..फिर शिवानी मे ऐसा क्या है .. ' प्यार ' और सिर्फ़ ' प्यार '
सोफा क्रॉस करते ही शिवानी ने टवल खोल दिया ..बिना शरमाये उसने दीप की आँखों मे देखा और फिर बड़े ही मादक अंदाज़ मे अपने चूतड़ो को मटकाति हुई बाथ - रूम मे एंटर हो गयी
सीन देखते ही, पॅंट मे दीप का लंड मानो पत्थर हो गया ..उसे ज़रूरत महसूस हुई एक टाइट चूत की ..शिवानी के आँखों से ओझल होते ही उसने पॅंट की चैन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और धीरे - धीरे खाल को आगे - पीछे करने लगा
" नही सुधरेगा तू ..वो बहू है तेरी "
अंतर्मन ने कचोटा फिर भी दीप नही रुका ..उसका हाथ रफ़्तार पकड़ने लगा ..ये तक भूल गया कि शिवानी कुछ ही पॅलो मे बाथ - रूम से बाहर आ जाएगी
" तो ये है आप की चाय्स "
आवाज़ सुनते ही झटके से दीप के हाथ ने लंड को कवर किया ..लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..न्यू लाइनाये पहने शिवानी, उसके लंड को घूरती हुई बेहद नज़दीक आ गयी
दीप कभी उसके बदन को देखता और कभी अपने लंड मे होते कड़क पन्न को ..उसे आशा नही थी, स्टोर वाली लड़की इतने छोटे और सेडक्टिव अंडरगार्मेंट्स पॅक करेगी
" वो मैं वो..... "
दीप की आवाज़ लड़खड़ा गयी ..शिवानी से भी कंट्रोल नही हुआ और उसने दईप का वही हाथ पकड़ लिया, जिससे उसने अपने लंड को छुपाया हुआ था
पास रखे सोफे तक दीप उसके हाथो खिचता चला गया ..उसके शरीर मे बिल्कुल भी जान नही रही ..हल्का सा धक्का दे कर शिवानी ने उसे सोफे पर गिरा दिया और खुद भी अपने घुटनो पर बैठ गयी ..फॉरन उंगलियों के ज़ोर से उसने पॅंट को, बटन से खोला और बिना दीप की गांद उठवाए, पॅंट अंडरवेर सहित घुटनो से नीचे खीच कर दूर फेक दिया
" ज़बरदस्ती और प्यार मे यही अंतर है "
इतना बोल कर शिवानी ने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा और हौले - हौले उसे स्ट्रोक करने लगी
" ये ग़लत है शिवानी ..हमारा रिश्ता इसकी पर्मिशन नही देता "
दीप ने उसके हाथ को लंड से हटाने की कोशिश करते हुए कहा
" आप के बेटे से शादी मेरा मन कर रहा है ..लेकिन तंन का क्या करूँगी ..बाहर मूँह मारने से अच्छा है, आप के साथ खुश रहूं ..कम से कम रंडी तो नही कहलाउंगी "
इतना कह कर शिवानी ने अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए, रस से भीगे शुपाडे को चूम लिया
" आज से मेरी मर्ज़ी इसमे शामिल हुई "
अपने हाथ को लंड की जड़ पर ला कर उसने दीप की आँखों मे देखा ..पनियानी आँखें सिर्फ़ खुशी से झूम रही थी
" तो आप की मर्ज़ी क्या कहती है पापा ..बेवफ़ाई नही करूँगी "
शिवानी ने सवाल किया ..अपने होने वाले ससुर को ' पापा ' कह कर संबोधित करना उसके लिए दोहरी खुशी समान था
" कहिए ना पापा ..आप की पर्मिशन के बगैर कुछ नही करूँगी "
सोचने मे दीप ने वक़्त लिया ..हर पहलू से गुना - भाग करने के बाद. अपनी भीगी पलकों को हिलाते हुए, उसने खुद की सहमति देती
" होने वाली बहू का पहला तोहफा क़ुबूल करें "