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Incest पापी परिवार

aka3829

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" तनवी और शिवानी !!!!!! "

बड़ा अजीब संयोग कहा जाएगा की दोनो लड़कियाँ डीप के जहें मे अपनी च्चप छ्चोड़ चुकी थी ..मात्रा मॅन से नही अपितु उनके तंन से ..उनके त्रिया चरित्रा से भी

पहली मुलाक़ात मे ही डीप ने तनवी को बेहद बोल्ड या यूँ कहें ' बिना मजबूरी की वैश्या ' जाना ...किस तरह दोनो उसके बचपन के दोस्त जीत के ओपन कॅबिन मे आमने - सामने आए थे ..हलाकी शुरूवाती दौर चुंबन या ऊपरी शारीरिक च्छेद छ्छाद से स्टार्ट होना चाहिए लेकिन तनवी का ऐसा साहसिक कदम ( जो लड़कियों मे अक्सर डीप को पसंद आता है ) देख कर डीप हैरत वा सकते मे आ गया था ..पहली ही मुलाQअत मे जिस तरह तनवी ने उसे ब्लोवजोब का सुख दिया उसके एहसास से डीप के जहें मे सिर्फ़ एक ही ख़याल आया था ' वो दिन डोर नही जब ये लड़की बिस्तर पर मेरे नीचे होगी '

मॅन मे काई तरह की लालसाएँ लिए डीप तनवी को पाने के खातिर बैचाईन हो उठा और इसी पशोपेश के बीच जानम लिया निम्मी के सोचे - समझे नाटक ने

उसी दिन विचलित डीप ने घर लौट कर अपनी छोटी बेटी के दर्द का निवारण उसकी कुँवारी योनि और मांसल सिकुदे गुदा द्वार को चाट कर करना चाहा ..सग़ी बेटी के जिसम मे उसे रूह तो निम्मी की नज़र आई लेकिन बदन तनवी का ..अगर निम्मी वक़्त रहते खुद पर काबू नही करती तो उस दिन डीप आवश्या उससे यों संबंद स्थापित कर लेता

वहीं दूसरी तरफ डीप ने शिवानी के बारे मे सोचा ..तनवी की च्चव के आयेज तो ये लड़की आधी भी नही थी ..अपने खोए प्यार को पाने की लालसा के वशीभूत, एक रात की रंडी बन कर डीप के पास आई थी

अगर सच माने तो इस वक़्त डीप के अंतर्मन मे शिवानी के लिए अथाह प्रेम बरस रहा था ..ग्लानि भाव के साथ

.
Yaha to 25 26 aur 27 bhi gayab he
 

Nevil singh

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दीप की कार पास के एक लाइनाये स्टोर पर रुक गयी ..पूरे रास्ते, और यहाँ तक अभी भी उसके जहेन मे सिर्फ़ शिवानी की कही बातें घूम रही थी

" बहुत मासूम लड़की है ..काश रघु ठीक होता, उसकी ज़िंदगी बना देती "

इसी सोच मे वो स्टोर के अंदर पहुच गया

" जी कहिए ? "

सुबह का वक़्त होने से स्टोर मे भीड़ ना के बराबर थी ..काउंटर सॉफ करती एक 25 - 26 साल की लड़की ने उससे से पूछा

" एक फीमेल सेट खरीदना है "

दीप ने रिप्लाइ किया

" साइज़ &; डिज़ाइन सर ? "

लड़की के सवाल पर दीप हड़बड़ा गया ..ज़िंदगी भर उसने पचासों लड़कियों को नंगा किया था ..लेकिन आज पहली बार किसी का बदन, ढकने की गरज से अंडरगार्मेंट्स खरीदने आया था

" साइज़ ..साइज़ ..साइज़ !!!! "

चाह कर भी उसके मूँह से शब्द नही फूटे ..लड़की मुस्कुरा उठी, शायद इसमे उसने दीप के सीधेपन को समझ होगा

लड़की :- " किसी ख़ास के लिए लेना है क्या ..आगे बताइए ? "

दीप :- " 18 "

लड़की :- " ज़्यादा दुबली - पतली तो नही है ना ? "

दीप :- " नही नॉर्मल है "

लड़की :- " साइज़ तो मैं कर दूँगी ..बट डिज़ाइन ? "

दीप :- " जब साइज़ पता चला गया है तो डिज़ाइन भी आप अपने हिसाब से निकाल दीजिए "

लड़की :- " रीलेशन क्या है लड़की से ? "

दीप :- " क्या ? "

लड़की :- " ये तो नॉर्मल क्वेस्चन है ..अगर बेटी के लिए ले जा रहे हैं, तो उस हिसाब से दूँगी / अगर गर्लफ्रेंड के लिए लेना है, तो उस हिसाब से ..खेर वाइफ तो आप की 18 की होगी नही "

दीप जैसे रोज़ ना जाने कितने विज़िटर्स से उसका पाला पड़ता था, तो बिना किसी झिझक के उसने कहा ..एक गर्लफ्रेंड के लिए तो एरॉटिक से एरॉटिक डिज़ाइन्स खरीदी जा सकती हैं ..बट बेटी के लिए तो कोई भी बाप सिंपल अंडरगार्मेंट्स ही लेगा

" गर्लफ्रेंड है "

आख़िर दीप को झूट बोलना ही पड़ा ..बहू के बारे मे तो कहता नही

" ओके "

मुस्कुरा कर लड़की ने ब्लॅक कलर ' लो राइज़, जी -स्ट्रिंग्स वित प्रेशियस लेस ' पैंटी और मॅचिंग ' थ्रेड ब्रा ' पॅक कर दी

" थॅंक यू "

अंडरगार्मेंट्स देखे बिना ही दीप ने पॅकेट उठा लिया और जल्दी से पेमेंट कर, स्टोर से बाहर निकल गया

" उफफफफ्फ़ !!!! कितना मुश्क़िल है ये सब "

चेहरे का पसीना पोंछ कर दीप अपने ऑफीस की तरफ बढ़ गया ..अगर उसमे बदलाव ना आया होता तो अभी खड़े - खड़े ही स्टोर वाली लड़की की चुदाई कर दी होती

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शिवानी नहा कर बेड - रूम मे बैठी दीप के लौटने का इंतज़ार कर रही थी ..नहाते वक़्त उसका मन तो बहुत हुआ, अपनी चूत मे उंगली कर के, अपनी प्यास बुझा ले ..लेकिन अब उसकी चूत उंगली नही, अपने ससुर के मूसल की माँग करने लगी थी

थोड़ी देर बाद दीप बेड - रूम मे एंटर हुआ ..शिवानी को टवल मे देख वो चौक गया ..आख़िर मेल टवल, कहाँ तक एक लड़की के जिस्म को ढक पाती

" ये बहुत छोटा है ..कोई और ऑप्षन नही था मेरे पास "

शिवानी बेड से उठ कर उसके करीब आने लगी ..बूब्स लगभग हाफ बाहर थे और लोवर पार्ट भी कुछ ख़ास नही छुप पाया, चूत की फांको से मात्र 3 - 4" नीचे आ कर टवल ख़तम हो गया था

" वो मेल टवल है ..लो ये पहेन लो "

काँपते हाथो से दीप ने पॅकेट उसके सामने कर दिया ..उसकी आँखें ज़मीन को देख रही थी ..शिवानी ने पॅकेट पकड़ लिया और वहीं पर खोल कर देखने लगी

" शिवानी प्लीज़ बाथ - रूम मे चली जाओ "

दीप दो कदम पीछे हट कर बोला ..लाइफ मे पहली बार वो किसी लड़की से घबराया था ..यहाँ तक कि बेटी निम्मी के नंगे बदन को देखने के बाद भी, उसकी पलकें यूँ ना झुकी थी ..फिर शिवानी मे ऐसा क्या है .. ' प्यार ' और सिर्फ़ ' प्यार '

सोफा क्रॉस करते ही शिवानी ने टवल खोल दिया ..बिना शरमाये उसने दीप की आँखों मे देखा और फिर बड़े ही मादक अंदाज़ मे अपने चूतड़ो को मटकाति हुई बाथ - रूम मे एंटर हो गयी

सीन देखते ही, पॅंट मे दीप का लंड मानो पत्थर हो गया ..उसे ज़रूरत महसूस हुई एक टाइट चूत की ..शिवानी के आँखों से ओझल होते ही उसने पॅंट की चैन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और धीरे - धीरे खाल को आगे - पीछे करने लगा

" नही सुधरेगा तू ..वो बहू है तेरी "

अंतर्मन ने कचोटा फिर भी दीप नही रुका ..उसका हाथ रफ़्तार पकड़ने लगा ..ये तक भूल गया कि शिवानी कुछ ही पॅलो मे बाथ - रूम से बाहर आ जाएगी

" तो ये है आप की चाय्स "

आवाज़ सुनते ही झटके से दीप के हाथ ने लंड को कवर किया ..लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..न्यू लाइनाये पहने शिवानी, उसके लंड को घूरती हुई बेहद नज़दीक आ गयी

दीप कभी उसके बदन को देखता और कभी अपने लंड मे होते कड़क पन्न को ..उसे आशा नही थी, स्टोर वाली लड़की इतने छोटे और सेडक्टिव अंडरगार्मेंट्स पॅक करेगी

" वो मैं वो..... "

दीप की आवाज़ लड़खड़ा गयी ..शिवानी से भी कंट्रोल नही हुआ और उसने दईप का वही हाथ पकड़ लिया, जिससे उसने अपने लंड को छुपाया हुआ था

पास रखे सोफे तक दीप उसके हाथो खिचता चला गया ..उसके शरीर मे बिल्कुल भी जान नही रही ..हल्का सा धक्का दे कर शिवानी ने उसे सोफे पर गिरा दिया और खुद भी अपने घुटनो पर बैठ गयी ..फॉरन उंगलियों के ज़ोर से उसने पॅंट को, बटन से खोला और बिना दीप की गांद उठवाए, पॅंट अंडरवेर सहित घुटनो से नीचे खीच कर दूर फेक दिया

" ज़बरदस्ती और प्यार मे यही अंतर है "

इतना बोल कर शिवानी ने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा और हौले - हौले उसे स्ट्रोक करने लगी

" ये ग़लत है शिवानी ..हमारा रिश्ता इसकी पर्मिशन नही देता "

दीप ने उसके हाथ को लंड से हटाने की कोशिश करते हुए कहा

" आप के बेटे से शादी मेरा मन कर रहा है ..लेकिन तंन का क्या करूँगी ..बाहर मूँह मारने से अच्छा है, आप के साथ खुश रहूं ..कम से कम रंडी तो नही कहलाउंगी "

इतना कह कर शिवानी ने अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए, रस से भीगे शुपाडे को चूम लिया

" आज से मेरी मर्ज़ी इसमे शामिल हुई "

अपने हाथ को लंड की जड़ पर ला कर उसने दीप की आँखों मे देखा ..पनियानी आँखें सिर्फ़ खुशी से झूम रही थी

" तो आप की मर्ज़ी क्या कहती है पापा ..बेवफ़ाई नही करूँगी "

शिवानी ने सवाल किया ..अपने होने वाले ससुर को ' पापा ' कह कर संबोधित करना उसके लिए दोहरी खुशी समान था

" कहिए ना पापा ..आप की पर्मिशन के बगैर कुछ नही करूँगी "

सोचने मे दीप ने वक़्त लिया ..हर पहलू से गुना - भाग करने के बाद. अपनी भीगी पलकों को हिलाते हुए, उसने खुद की सहमति देती

" होने वाली बहू का पहला तोहफा क़ुबूल करें "
behtreen
 

Nevil singh

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शिवानी ने सुपाडे को होंठो मे भीच लिया ..नीचे उसका हाथ भी लंड की जड़ पर कसने लगा

" शिवानी मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ ..वादा है आने वाली ज़िंदगी मे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा "

दीप ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा ..खुले बालो की एक लंबी लट दीप की जाँघ को टच कर रही थी

" रेकॉर्डिंग करनी हो तो कर सकते हैं ..मुझे कोई आपत्ति नही "

ब्लो जॉब स्टार्ट करने से पहले शिवानी ने, एक आख़िरी बार सुपाड़ा मूँह से बाहर किया और स्माइल दे कर वापस मूँह मे डाल कर चूसने लगी ..नीचे हाथ से लंड मुठियाने की गति ने भी ज़ोर पकड़ लिया

" ऊऊऊऊ !!!! अब इसकी कोई ज़रूरत नही ..मैने तुम्हे पा लिया है "

आनंद विभोर हो कर दीप की सिसकारियो का जनम होने लगा ..कमर अपने आप ही ऊपर - नीचे चलने लगी, साथ ही शिवानी के सर पर उसके हाथो ने मजबूती पकड़ ली

मूँह के अंदर शिवानी ने सुपाडे पर अपनी खुरदूरी जीभ के प्रहार देने शुरू कर दिए ..ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा मे वो अपना थूक लंड पर छोड़ती जाती, ताकि होंठो की किनोर से बहकर उसका स्लाविया, लंड की ऊपरी खाल को चिकना कर सके

" उलुउउम्म्म्मम !!!!! "

एक मादक साउंड के साथ, आधा लंड उसके मूँह के अंदर पहुच गया ..हाथ की मुट्ठी के प्रयोग से, मूँह के अंदर सूपड़ा खाल से नीचे उतरता ..फॉरन शिवानी की जीभ उस पर गोल - गोल घूमने लगती ..फिर जैसे ही सूपड़ा खाल के अंदर जाता ..वो होंठो के ज़ोर से उसे चूसने लगती

" ह्म्‍म्म्ममममम !!!! "

दीप की उत्तेजना भरी हुंकारो से जल्दी ही शिवानी को उसकी मेहनत का फल मिलने लगा और वो दोगुनी तेज़ी से लंड चुसाइ आरंभ कर देती है

" पापा ..आज तो ये कुछ ज़्यादा ही रस छोड़ रहा है "

अचानक से शिवानी ने लंड अपने मूँह से बाहर निकाल दिया ..आइ कॉंटॅक्ट से तो वो दीप का हाल जान रही थी ..लेकिन ना जाने क्यों उसके मूँह से भी, कुछ ऐसा ही सुन ने को मचल उठी

" अपनी बहू के मूँह मे खुशी के आँसू बहा रहा है "

दीप ने उसके गाल पर थपकी दे कर कहा ..हलाकी शिवानी की बात सुन कर उसे थोड़ा अचंभा तो हुआ .. लेकिन प्यार वश वो अपनी बहू की नादान हरकतों का आदि होने लगा था

" फिर ये चुप कैसे होगा ? "

अपनी आँखों की पुतलियों को नचाते हुए शिवानी ने पूछा

" प्यार करने के "

इसके साथ ही दीप ने उसका सर वापस अपने लंड के ऊपर झुका दिया ..उसे तो ऐसे सुख की कल्पना तक नही थी ..पैसो मे तो कयि रंडियाँ चोदि, लेकिन प्यार भरा प्लेषर उसे शिवानी ने ही दिया ..यहाँ तक की आज कम्मो भी उसके आगे फीकी जान पड़ी

" फिर तो मैं इसे हमेशा प्यार करूँगी "

एक बार फिर से कमरे मे तूफान उठने लगा ..मूँह के अंदर की चुसाइ शिवानी उसे दिखा चुकी थी अब बारी आई बाहरी चटाई की

अपनी जीभ से उसने, टिप से लेकर टट्टो तक कयि राउंड लगाए ..हर आंगल से चाटा ..शुपाडे की जॉइंट स्किन ..अंदर की तरफ धासा हुआ गोल घेरा ..लंड का टोपा सूजा कर उसने एक दम पर्पल बना दिया

" उफफफफ्फ़ !!! मत तडपा शिवानी ..मेरी जान निकल जाएगी "

दीप पस्त हो कर रह गया ..शिवानी मुस्कुरा उठी, ये उसकी पहली विजय थी ..एक पक्के छिनाल बाज़ इंसान को उसने अपने काबू मे जो कर लिया था

" आप के ऊपर सिर्फ़ मेरा हक़ है ..किसी और का नही "

उसकी गंभीर बात सुन कर दीप ने उसकी आँखों मे झाँका ..लगा जैसे कोई बहुत बड़ी जंग जीत कर लौटी हो और वापस नयी जंग शुरू करने की अग्रिम चेतावनी दे रही हो

" तुम्हारे ऊपर मेरा "

इस वक़्त तो दीप के मूँह से यही निकला ..हलाकी उसने शिवानी की बात मे एक तरह का विद्रोह देखा था ..लेकिन उससे कुछ और कहते नही बन पाया

" मज़ाक कर रही हूँ पापा ..क्या मेरा इतना भी हक़ नही ? "

शिवानी खिल - खिला उठी ..दीप उसे थोड़ा घहबराया सा दिखाई दिया था

" देखा डरा दिया ना !!!! "

इतना कह कर उसने लंड को फिर से चूसना शुरू कर दिया

" आईईईईईई !!!! यू नॉटी गर्ल "

जहाँ एक पल को दीप की गांद फटी वहीं दूसरे पल लंड मे वापस से उबाल आने लगा

अगला पार्ट शिवानी ने फाइनल बनाया क्यों कि उनके पास वक़्त कम था और फिर अपनी सास से मिलने भी जाना था

बिना किसी रुकावट के उसके होंठ आधे लंड को पार कर गयी और फ्री हाथ से उसने टट्टो को मसलना शुरू कर दिया ..एक साथ तीन तरह का आनंद दीप से सहा नही गया और उसके चरम की सीमा टूटने लगी

" ओह !!!! मैं किसी भी पल आ जाउन्गा "

कमर के धक्के देते हुए दीप चिल्लाया ..शिवानी के गले को चीरते हुए लंड की नोक आख़िरी पड़ाव पर अड़ने लगी

" उलुप्प्प्प्प्प्प्प !!!! "

हल्की सी उल्टी का एहसास होते ही शिवानी की आँखों ने उसके दर्द को बयान कर दिया और उसके हाथ दीप की जाँघो को दबाने लगे

" आहह !!!! "

इसी जद्दो जेहेद मे दीप के लंड से वीर्य की फुहार निकलना शुरू हो गयी ..लेकिन इस बार शिवानी ने उसका अंश मात्र भी अपने गले से नीचे नही उतारा और जीभ की मचलाहट से सुपाडे को तंग करती हुई सारा रस, लंड पर उडेलने लगी ..धीरे - धीरे दीप की कामोत्तेजना का पूरी तरह से अंत भी हो गया
nice.
 

Nevil singh

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" अब आएगा मज़ा "

लंड मूँह से बाहर निकाल कर शिवानी वीर्य के कतरो को अपनी जीभ मे लपेटने लगी ..दीप बड़े आश्चर्य से उसकी हरक़त देखने लगा

" अब बस करो ..हो गया मेरा "

दीप ने उसके सर को ऊपर उठाते हुए कहा ..जो अब टट्टो के ऊपर झुकने वाला था ..हलाकी शिवानी के मन मे आया कि वो पूरा लंड चाट कर सॉफ करे ..लेकिन दीप के मना करने पर वो उठ कर खड़ी हो गयी

" अब साड़ी पहना दीजिए "

शिवानी ने बेड पर पड़ा सारा सामान समेटा और सोफे पर वापस लौट आई

" थॅंक यू बेटा ..लेकिन तुम्हारा तो कुछ हुआ ही नही "

शिवानी को बिल्कुल नॉर्मल देख कर दीप ने कहा

" मेरी फिकर छोड़िए ..मैं उस पल को यादगार बनाना चाहती हूँ ..अभी वक़्त बहुत हो गया है ..कहीं मा जी को पुणे जाने मे लेट ना हो जाए ..फिर मुझे भी तो अपने हॉस्टिल जाना पड़ेगा "

एक साथ इतनी सारी बातें करने के बाद शिवानी ब्लाउस को पहेन ने लगी ..जो बॅक लेस ज़रूर था लेकिन पल्लू लेने के बाद उसे कोई दिक्कत पेश नही आती और इसी तरह उसने पेटिकोट को भी अपनी कमर पर बाँध लिया

" क्या सोच रहे हैं ..पहनाईए ना साड़ी ..आप भी तो घर जाओगे "

दीप को खोया देख उसने टोका ..मुस्कुरा कर दीप ने उसे अपनी गोद मे बिठाना चाहा ..लेकिन वीर्य से सनी जगह को देख कर शिवानी पीछे हट गयी

" जब सॉफ कर रही थी, तब तो रोक दिया और अब मेरे नये कपड़े खराब कर रहे हो "

शिवानी का हर शब्द इतनी मासूमियत लिए था जैसे वो सच मे कोई परी हो

" इतनी बड़ी - बड़ी बातें कहाँ से सीखी ? "

दीप ने साड़ी उठा कर उसकी कमर पर लपेटनी शुरू कर दी ..शिवानी किसी मोर की तरह नाच रही थी ..गोल - गोल घूम रही थी ..उसका मन बेहद प्रसन्नता से भरा था और सबसे बड़ी बात, मात्र दो दिनो मे दीप ने उसकी वीरान ज़िंदगी को, पूरी तरह से खुशी मे बदल दिया था

" आप ने बदला है मुझे और हां अब से मैं रोज़ आप के हाथो से ही साड़ी पहनुँगी "

शिवानी की बात सुन कर दीप ने उससे बोलना तो बहुत कुछ चाहा ..लेकिन ज़ुबान खामोश हो गयी थी ..शिवानी की अठखेलियों का मज़ा लेते हुए वो साड़ी मे प्लेट्स बनाने लगा ..फिर अब तो वो लाइफ टाइम के लिए उसके पास ही रहने वाली थी ..तो दीप किसी बात की कोई जलबाज़ी नही रही

" लो हो गया "

प्लेट्स का बंच पेटिकोट से अंदर करते हुए दीप ने उसे छोड़ दिया

" अब बाकी का पार्लर मे "

तेज़ी से अपनी अनडाइस और पॅंट को उठा कर दीप उन्हे पहेन ने लगा

शिवानी :- " गंदे पापा ..कम से काम सॉफ तो कर लेते ..या मैं कर देती "

दीप :- " ता - उमर पड़ी है ..अब जल्दी चलो हमे लेट हो रहा है "

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इसके बाद दोनो पार्लर पहुचे ..अड्वान्स पेमेंट करते हुए दीप ने पास के मंदिर का रास्ता बता कर, उसे वहाँ आने का बोल दिया ..फिर जल्दी ही कम्मो को ले कर वो मंदिर लौटा ..तनवी के साथ कम्मो को शिवानी भी एक नज़र मे पसंद आ गयी

कुछ सच, कुछ झूट ..लगभग 1 घंटे तक तीनो मंदिर मे रुके रहे ..बाद मे विदा होते वक़्त शिवानी ने एक साथ दोनो का आशीर्वाद लिया और वहाँ से अपने हॉस्टिल आ गयी ...
beautiful.
 

Nevil singh

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पापी परिवार--35

दीप को विदा कर कम्मो घर के अंदर पहुचि, उसकी दोनो बेटियाँ तो अपने - अपने कमरो मे थी ..लेकिन निकुंज का कुछ अता पता नही चला ..उसके कमरे का गेट खुला था और बेड पर ढेर सारे पेपर्स बिखरे पड़े थे

" जहाँ भी गया है ..निक्की को ज़रूर पता होगा "

ऐसा सोच कर वो अपनी बड़ी बेटी के कमरे मे एंटर हुई, लेकिन निक्की उसे गहरी नींद मे सोती मिली

" ये तो सो रही है "

कम्मो का मन अधीरता से भरने लगा ..हालाकी घड़ी मे अभी सिर्फ़ 8:30 ही बजे थे, लेकिन निकुंज इतने बजे तक हमेशा घर लौट आता था

" फोन भी बंद आ रहा है ..जाने कहाँ गया होगा "

कम्मो ने 3 - 4 बार कॉल ट्राइ किया, लेकिन उसके बेटे के सेल ने स्विच ऑफ बताया

" देखती हूँ ..कहीं कोई नोट तो नही छोड़ा "

कम्मो द्वारा सभी बच्चो को सख़्त हिदायत थी, यदि किसी कारणवश बडो से बात ना हो पाए तो घर की किसी भी मेन जगह ..जैसे डाइनिंग टेबल, किचन रॅक या अपने कमरे मे ..जहाँ जा रहे हों उसकी डीटेल्स लिख कर छोड़ दिया करें

ऐसा विचार कर कम्मो ने नोट ढूँढने की छान - बीन शुरू कर दी ..डिन्निंग टेबल या किचन, कहीं भी उसे कोई कागज का टुकड़ा नही दिखाई दिया

" उसके कमरे मे देखती हूँ "

वो तेज़ी से निकुंज के कमरे मे जा पहुचि, उसके चेहरे पर अब घबराहट के भाव छाने लगे थे

बेड पर पड़े सभी काग़ज़ो को उसने बारी - बारी चेक किया लेकिन पेपर्स अफीशियल थे .. ' शायद घर के बाहर जाने से पहले निकुंज इन्हे देख रहा होगा '

कम्मो की सरसरी निगाह ने कमरे की बाकी जगहो का मुआईना भी किया और फिर हताश हो कर, कमरे से बाहर निकालने लगी

वो दरवाज़े तक पहुच पाती इससे पहले ही उसकी नज़र हॅंगर पर टँगे कपड़ो पर ठहर गयी ..जिसमे ख़ास वो टी-शर्ट और शॉर्ट्स था जो उसके बेटे ने आज सुबह रन्निंग के दौरान पहेना था

" हे भगवान ..ये लड़का पूरा पागल है ..कम से कम इन्हे पानी मे तो भिगो देता ..अब थोड़ी ना जाएँगे ये खून के दाग "

हॅंगर उसके काफ़ी नज़दीक था ..तभी वहीं खड़े - खड़े उसे ब्लड स्पॉट्स दिखाई दे गये

" वॅनिश मे गला देती हूँ ..शायद सॉफ हो जाएँ "

ऐसा सोच कर उसने टी-शर्ट और शॉर्ट्स हॅंगर से उतार लिया

" पॉकेट चेक कर लूँ, कोई काम की चीज़ ना रखी हो ..नही तो वापस सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आना पड़ेगा "

( उसने ऐसा कहा तो नही, लेकिन मन मे शायद यही विचार आया होगा )

टी-शर्ट मे जेब नही थी, तो उसने अपना अपना हाथ शॉर्ट्स की पॉकेट मे डाल दिया

" रूमाल है "

कहने के बाद उसने उसे बाहर खीचा और तुरंत ही तीनो चीज़ें उसके हाथ से छूट कर नीचे ज़मीन पर गिर गयी

सीक्वेन्स वाइज़ टी-शर्ट, उसके ऊपर शॉर्ट्स और सबसे टॉप पर ' रेड पैंटी '

वैसे तो कमरे मे पहले सन्नाटा पसरा था ..लेकिन अब वहाँ कम्मो के दिल की धड़कने सुनाई देने लगी ..दोनो हाथ एक साथ उसके खुले मूँह को ढके हुए थे और आँखें इतनी बाहर आ गयी कि अगले ही पल नीचे गिर कर, कन्चो की तरह फ्लोर पर लूड़कने लगेंगी

वो अपलक पैंटी को देखती रही ..हलाकी अभी उसे अनुमान नही, किस की होगी ..लेकिन बीते हालातो के मध्ये - नज़र शक़ की सूइयां सीधी निक्की की तरफ इशारा करने लगी

नीचे झुक कर पैंटी उठाने के बाद उसने उसके कपड़े को अपनी उंगलियों पर फील किया और फिर टॅग देखा

" निम्मी सिंपल नही पेहेन्ति ..टॅग भी उसकी साइज़ से 2" ज़्यादा है ..मेरी है नही ..फिर ......... "

कम्मो पैंटी के साथ बाहर आने लगी

" अगर निकुंज को ये वापस नही मिली, तो उसे शक़ हो सकता है "

ऐसा सोच कर उसने फॉरन पैंटी को शॉर्ट्स की जेब मे डाल दिया और दोनो कपड़े ज्यों के त्यों हॅंगर पर टाँग कर फाइनली कमरे से बाहर निकल गयी

निकुंज और निक्की के कमरो मे बस बीच की दीवार का सेपरेशन था

कम्मो अपनी बड़ी बेटी के कमरे मे आ आई और बिना कोई आवाज़ किए उसने बाथ - रूम का गेट खोल कर उसके अंदर झाका

" छोटी - मोटी बात नही है ..मुझे पता करना होगा, कि आख़िर ये भाई बेहन पाप के किस मोड़ तक पहुच चुके हैं "

इतना सोचते ही कम्मो की आँखें गुस्से से भर उठी ..भले निकुंज उसका लाड़ला है, निक्की भी उतनी ही प्यारी ..लेकिन दोनो के बीच पनपे इस पापी रिश्ते को बर्दास्त करना कम्मो के बस से बाहर था

वो बाथ - रूम के अंदर पहुचि ..सीधे उसकी नज़र पहले तो हॅंगर पर टँगी ब्लॅक पैंटी पर गयी और उसे उतारने के बाद उसने फ्लोर पर पड़े कपड़ो को देखा

" हां 1 ये है "

लोवर के बगल मे पड़ी पैंटी को उठा कर उसने दोनो के टॅग मॅच किए ..साइज़ तो साइज़ कंपनी भी सेम थी

" बेशरम है दोनो "

कम्मो ने देखा फ्लोर वाली पैंटी पर सफेद धब्बे बने थे, चूत के आस - पास टच होने वाला पूरा हिस्सा कड़क था

" हे भगवान !!!! बस यही दिन बचा था देखने को "

वो रुआसी हो गयी ..दिन की सारी खुशी आँखों से पल भर मे ओझल कर, आँसुओ की धार बहने लगी ..उसके पैर जवाब देने लगे और धीर - धीरे वो बाथ - रूम के फ्लोर पर बैठ - ती चली गयी

" अब मैं क्या करूँ ..पहले रघु की बीमारी, फिर निम्मी का बच्पना और अब ये ..छ्हीई !!!! "

कम्मो सोचते - सोचते चेतना से शून्य मे जाने लगी, तभी उसके दिमाग़ मे एक और बात उठी
lovely.
 

Nevil singh

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" निकुंज से तो इस बारे मे कुछ भी पता चलना मुश्क़िल है ..लेकिन निक्की के ज़रिए चल सकता है ..मैं भी तो देखूं आख़िर दोनो भाई - बहनो ने कहाँ तक गुल खिला लिए ..कितना नीचे गिरा दिया मेरी कोख को "

बस यहीं आ कर उसके आँसुओ का बहना एक दम से रुक गया ..वो किसी घायल शेरनी की तरह वापस खड़ी हुई और बाथ - रूम से सीधा, निक्की के बेड पर आ कर बैठ गयी

" सुधार की गुंजाइश तभी हो सकती है जब ग़लती की गति का पता चले ..मुझे जान ना होगा ..ये दोनो कितना आगे बढ़ चुके हैं "

उसने निक्की के बदन पर पड़ी चादर अलग कर दी ..छोटी सी फ्रोक मे अपनी बेटी को देख कर उसे एक और झटका लगा

" ये तो निम्मी की फ्रोक है, फिर इसने कैसे पहेन ली ..ज़रूर निकुंज ने ला कर दी होगी, चोट के कारण ये तो सीढ़ियाँ चढ़ने से रही "

एक मास्टर माइंड जासूस की तरह कम्मो ने अपने दिमागी घोड़ो को दौड़ाना शुरू कर दिया था

" मतलब बाथ - रूम मे इसके गंदे कपड़े भी निकुंज ने रखे होंगे ..पर क्या इसने निकुंज के सामने ही अपना लोवर उतारा होगा और फिर पैंटी भी ..उसी पैंटी पर इसकी जवानी के निशान हैं ..हे राम !!!!! आज मुझे क्या - क्या सोचना पड़ रहा है "

घबराहट मे कम्मो की धड़कने इतनी लो हो गयी थी, जैसे अभी तुरंत ही हार्ट - अटॅक से मर जाएगी

[ निक्की के सोने की पोज़िशन :- पीठ के बल लेटी है ..दोनो टाँगें एक दम सीधी ..फ्रोक के उपर स्ट्रॅप्स तो कंधे पर ठीक हैं ..लेकिन नीचे फ्रोक की लेंग्थ, उसकी थाइस तक ढकने मे असमर्थ है ..एक तरह से हल्का सा फ्रोक ऊपर उठते ही ..उसकी चूत या चूतड़ आसानी से दिखाई दे जाते ]

कम्मो का धेर्य जवाब देने लगा ..उसका दाहिना हाथ अपने आप ही फ्रोक को ऊपर उठाने के लिए आगे बढ़ गया ..आख़िर इस पाप के वर्तमान हालात तो तभी ज़ाहिर होंगे, जब वो अपनी बेटी की योनि का हाल जानेगी ..और दोनो से कुछ पूच्छे बिना ही उसे सत्यता का पता चल जाएगा

उसने निम्मी की चूत को कयि बार देखा था, एक बार उसे चरम पर पहुचने मे उसकी मदद भी कर चुकी थी ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसका हाथ निक्की की फ्रोक की तरफ बढ़ता, उसमे कंपन तीव्र होता जाता

अट लास्ट उसकी उंगलियों ने फ्रोक की जड़ पकड़ ली ..एक बार गहरी साँस लेने के बाद वो भगवान से से दुआ माँगने लगी की फ्रोक के अंदर के हालात सही हों ..हालाकी यहाँ उसे सबसे बड़ा झटका लगने वाला था, क्यों कि निक्की ने इस वक़्त फ्रोक के नीचे ना तो पैंटी पहनी थी ना ही चूचियों पर ब्रा ..और इस बात से अंजान कम्मो ने बड़े आराम से फ्रोक को थाइस से ऊपर करना शुरू कर दिया

" हैं !!!!! "

जो होना था हो कर रहा ..चूत के आस - पास उगे घने जंगल की शुरूवात होते ही कम्मो बेड पर उच्छल पड़ी और फिर एक बार मे ही उसने फ्रोक को निक्की के पेट तक ऊपर उठा दिया

" इसने तो अंदर कुछ नही पहना "

बोलते ही कम्मो की आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा ..उसे अहसास हुआ जैसे उसके दिमाग़ के अंदर की सारी नसें एक साथ ब्लास्ट होने वाली हों और इसी बीच निम्मी की बॉडी हिलने लगी

ए/सी की ठंडक चूत पर महसूस कर उसने अपनी टाँगो की जड़ को चिपका लिया और करवट लेने को हुई ..पर इससे पहले ही कम्मो ने उसे अपने हल्के हाथो से साधा लिया ..उसका काम अभी अधूरा जो था

अब कम्मो के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी अपनी बेटी की बंद टाँगो को वापस खुलवाना और यदि वो इसमे ज़ोर जबरदस्त करती, तो यक़ीनन निक्की नींद से बाहर आ जाती ..नींद टूटने के बाद उसके कयि तरह के सवाल होते और शायद गुस्से मे भर कर कम्मो उसे बीती सारी जासूसी के बारे मे बता भी सकती थी

टाँगो की जड़ इस वक़्त ' वी ' के आकार मे दिखाई दे रही थी ..कम्मो ने हल्के हाथ से उसकी जाँघो को सहलाया ..निक्की ज़रा भी नही हिली ..उसने दोबारा वही किया ..पर इस बार भी नतीजा सेम था

जाने कम्मो को क्या सूझा और उसने हाथ जाँघ से हटा कर, अपना चेहरा चूत की तरफ झुकाना शुरू कर दिया ..एक मा के नज़रिए से सोचा जाए तो ये कितना घ्रनित कारया था जो उसे अपने सगे बेटे और बेटी के बीच, चुदाई के पापी संबंध हैं या नही, इसकी सत्यता जान ने के लिए बेटी की चूत ( वर्जिनिटी ) का मुआईना करना पड़ रहा था ..वो भी किसी शातिर चोर की भाँति

कम्मो टाँगो की जड़ के इतने नज़दीक अपना चेहरा ले आई, जैसे अगले ही पल उसकी जीभ बेटी की चूत को चाटना शुरू कर देगी ..उसने 2 - 3 फूकों से निक्की के बदन मे हलचल करवानी चाही ..लेकिन उसकी बेटी नींद से बाहर आती भी तो कैसे ..दिन मे दो बार कम अंतराल से झड़ना ..गिरने के बाद लगी चोट का दर्द और फिर निकुंज द्वारा खिलाई गयी दर्द निवारक टॅबलेट ..तीनो चीज़ो का असर था जो निक्की दिन से ही बेहेद गहरी नींद मे सो रही थी
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Nevil singh

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इसके पहले कम्मो कोई अगला कदम उठा पाती, उसे एहसास हुआ जैसे कमरे के दरवाज़े पर खड़ा कोई साया उसके इस शर्मनाक कार्य को देख रहा हो ..आँखों की पुतलियाँ घुमा कर उसने चेक किया तो दरवाज़े पर उसका लाड़ला बेटा निकुंज, किसी पत्थर की भाँति जड़ बना अपनी मा की करतूत देखता हुआ दिखाई दिया

शरम से कम्मो की आँखें बंद हो गयी ..अब सर ऊपर उठाने से क्या लाभ जब उसके पुत्र ने देख ही लिया कि उसकी मा अपनी बेटी की चूत को चाट रही है ..उसकी बहेन की टाँगो की जड़ मे अपना मूँह घुसाए हुए है

निकुंज फॉरन होश मे आया और दरवाज़े से हट कर अपने कमरे मे चला गया ..गेट बंद होने की आवाज़ से ज़ाहिर था कि वो किस कदर अपनी मा से खफा हुआ है ..आहत हुआ है

हालाकी इतनी दूर से निकुंज ये नही जान पाया कि आक्चुयल मे कम्मो कर क्या रही थी ..उसकी जीभ उस वक़्त निक्की की चूत से सटी थी या नही ..बस अनुमान स्वरूप अपने मन मे बीज बोने के बाद वो दरवाज़े से हट गया था

वहीं कम्मो इस सोच मे डूब गयी कि उसके बेटे के मन मे इस सीन को देखने के बाद क्या चल रहा होगा ..उसकी सोच तो इस वक़्त यही कह रही होगी कि उसकी मा कितनी बड़ी छिनाल है ..जो अपनी सग़ी बेटी के साथ अन - नॅचुरल रीलेशन ( लेज़्बीयन ) बनाने की चाह रखती है ..क्यों कि निक्की का सोना वो देख चुका था, और यहाँ उसे एक तरफ़ा कम्मो ही दोषी दिखाई दी होगी

" मैं अभी जा कर बता देती हूँ, मुझे ऐसा क्यों करना पड़ा ..ग़लती ये करें और बदनामी मेरी हो "

इतना कह कर कम्मो ने अपना झुका चेहरा चूत से ऊपर उठा लिया .. लेकिन उसके बेड से नीचे उतरते ही निक्की ने अपनी उस टाँग को मोड़ लिया जो चोटिल नही थी और एक बार फिर उसकी बालो से भारी योनि का दीदार कम्मो की आँखें करने लगी

" सबूत के साथ बताउन्गि "

नाराज़ कम्मो ने वापस वही किया जो उसका बेटा थोड़ी देर पहले देख कर, गुस्से से अपने कमरे मे चला गया था ..अपने हाथ की कोमल उंगलियों से झाटें छूते ही कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..क्यों कि उसकी बेटी की योनि इस वक़्त बड़े गर्व से अपने होंठो को चिपकाए आराम फर्मा रही थी और दोनो फांको का फुलाव इतना ज़्यादा था, कि कोई पागल ही उसे चुदि हुई कहता

कम्मो ने फ्रोक को नीचे सरका दिया और अपने पैर रगड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगी ..उसे तो इसी वक़्त शरम से ज़मीन मे धस्स जाना चाहिए था ..वो खुद को कोस्ती हुई किसी ज़िंदा लाश की तरह सीढ़ियों तक जा पहुचि ..एक आख़िरी बार निकुंज के कमरे के बंद दरवाज़े को देखा और यहीं जनम हुआ ' उसका और उसके अंतर्मंन के बीच द्वंद युद्ध का '

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अपने कमरे मे जाने से पूर्व आदत - अनुसार, वो निम्मी के कमरे मे झाक कर अंदर के हालात पर गौर करती थी ..लेकिन इस वक़्त क्षण मात्र के लिए भी अपना चेहरा उसके कमरे की तरफ नही मोड़ा ..बल्कि सीधे अपने कमरे मे एंटर हो गयी और बेड पर बैठ-ते ही उसके अंदर की आवाज़ बाहर चली आ
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