पापी परिवार--38
चिंतन पूरा होते ही कम्मो ने अपने सूखे गले को तर करने के लिए थूक का इस्तेमाल किया, और एक ऐसी खखार ..जिससे ख़ास वो अपनी सिसकी का मर्दन कर सके, च्छूपा सके ..लेकिन व्याकुल निकुंज को उस खखार के अंदर सिमटी कामुकता का ग्यान हो गया ..और उसने अपना चेहरा कम्मो की तरफ घुमाया
एक मूक प्रश्नचिनन्ह निगाह डालते निकुंज ने अपने मन मे उससे पूछा
" रुक क्यों गयी मोम, मुझसे सबर करना बेहद मुश्क़िल है ..बताइए ना, एक मा के प्रेम की सीमा उसके बेटे के प्रति कहाँ तक संभव है ..क्या जो मेरी सोच है वो सच है, क्या नीमा आंटी और उनके बेटे के बीच.... "
इसके आगे निकुंज और ज़्यादा नही सोच पाया और उसका मोबाइल बजने लगा ..चौंकते हुए दोनो ने अपनी आँखों का कॉंटॅक्ट तोड़ लिया, जैसे फोन करने वाले शक्स को उनकी मदहोश हालत का पता चल जाता ..और दोनो बदनाम हो जाते
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" अच्छा ..ओके कोई बात नही ..जी मैं कह दूँगा ..हां - हां "
कुछ इस तरह के हल्के-फुल्के संवाद कर निकुंज ने कॉल कट कर दिया ..उसे तो जल्दी थी आगे का व्रतांत सुनने की, जिसे ताड़ कर कम्मो ..हैरान परेशान हो उठी, समझ गयी उसका बेटा इस पापी कथा को आगे सुनने के लिए कितना बेचैन है, लालायित है ..उसे तनिक भी लज्जा नही कि उसके सामने कोई पराई स्त्री नही, उसकी सग़ी मा बैठी है
[ जब आप किसी ग़लती मे शामिल हों, तब भी आप जान कर अंजान बने रहना चाहते हैं, मन को कयि प्रकार की दलीलें देते हैं .. ' मैं ग़लत नही हूँ ' ..लेकिन सारी दलीलें सिर्फ़ और सिर्फ़ मन को फुसलाने के बहाने होती हैं ]
दोनो का पवित्र प्रेम अब धीरे धीरे मैला होने लगा था, मन तो नंगा हुआ ही, तंन पर भी अब सिर्फ़ दिखावे मात्र को कपड़े शेष थे ..कम्मो बीच मजधार मे फसि थी, डूब जाए या हमेशा के लिए पार हो जाए ..एक ऐसा किनारा, जहाँ काफ़ी संघर्षो के बाद पहुचने पर भी ..उसकी हार निश्चित थी
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इसी बीच कम्मो का सेल बजा और उनकी बातों पर थोड़ी देर का विराम और लगा गया, निकुंज के चेहरे पर जहाँ नाराज़गी आई वहीं कम्मो के होंठ फैल गये
कॉल घर से था
" हां कम्मो निकुंज से ठीक से बात नही हो पाई, शायद कार ड्राइव करने मे उसे दिक्कत हो रही होगी "
दीप ने कहा
" हां, रास्ता काफ़ी खराब था बीच मे ..खेर अभी तो सब सब ठीक है ..पर पता नही आगे फिर से खराब ना होने लगे "
कम्मो ने दुअर्थि बात करते हुए कहा ..बात कहते वक़्त उसकी निगाह बेटे के लंड से चिपकी थी ..जो कुछ देर पहले खड़ा था, फिर कुछ देर के लिए बैठा ..और अब तो शायद जीन्स फाड़ कर बाहर आने को तैयार है ..मस्ती से सराबोर वो किसी भी वक़्त बहेक सकती थी
निकुंज ने कानो के साथ अब उसकी पुतलियों का भी फोकस अपनी मा पर जम गया था, वो फॉरन जान गया कम्मो ने ये ताना उसके लंड की हालत पर मारा है ..लेकिन कहीं ना कहीं उसकी मा भी इसकी ज़िम्मेदार है, ये सोच कर वो ड्राइव करता रहा
" ह्म्म्म ...चलो ठीक ..मैने उसे बता दिया है कि तुम अपना बेग हॉल मे छोड़ आई हो "
दीप ने रिटर्न रिप्लाइ किया
" क्या ? "
हलाकी कम्मो चौक पड़ी, और यक़ीनन उसके मूँह से चीख भी निकल जाती ..पर दीप ने जैसे बताया निकुंज इस बात को जानता है, तो कम्मो ने उसे नॉर्माली आन्सर दिया
" कोई बात नही, उसने मुझे बता दिया है, आप टेन्षन मत लो ..मैं पुणे पहुच कर कोई ना कोई इंतज़ाम कर लूँगी "
कम्मो के झूठ बोलते ही निकुंज ने उसके चेहरे को देखा, मा-बेटे की आँखें टकराईं और उनमे धधकते काम के शोलो का मिलन हो गया ..स्माइल करते हुए कम्मो ने निकुंज को रिलॅक्स रहने का इशारा किया और बेटा वापस ड्राइव करने लगा
दीप :- " रात मे वहाँ कोई होटेल बुक कर लेना, ताकि नींद पूरी हो सके ..निकुंज भी जब तक काफ़ी थक चुका होगा "
" हां रूम बुक तो करना ही पड़ेगा ..कल का पूरा दिन हॉस्पिटल मे बिताने से पहले थकान का उतरना ज़रूरी है, फ्रेश माइंड मे डॉक्टर का कहा समझने भी दिक्कत नही होगी "
कम्मो ने रिप्लाइ किया, लेकिन यहाँ तो वो अपने साथ बेटे की भी थकन को बढती ही जा रही थी
दीप :- " अच्छा मैने दोनो बहनो को साथ सोने को कह दिया है ..अब मैं भी सोऊंगा ..पर तुम्हारी कमी आज पहली बार महसूस हो रही है, लग रहा है जैसे अकेले सोने मे डर लग रहा हो "
कम्मो :- " हां ये ठीक किया आप ने ..निक्की के साथ सोने से निम्मी रात बेरात तक जागेगी भी नही, और किसी नयी शैतानी की शुरूवात होने से भी रुक जाएगी "
" तुम्हे तो सिर्फ़ अपने बच्चो की फिकर रहती है ..मेरा हाल पूछो जान, लगता है आज रात अपने हाथ से काम चलाना पड़ेगा ..अहह !!!!! "
इसके साथ ही कम्मो हड़बड़ा गयी ..काफ़ी देर से एक ही पोज़िशन मे पैर मोड बैठे होने से उनमे ऐठ्न आना शुरू हुई और अपने आप उसके पैर सामने को पसरते चले गये ..हलाकी ऐसा करने मे उसकी कोई ग़लती नही, लेकिन अगले ही पल इस हरकत से निकुंज काँप उठा ..उसकी मा की साड़ी गियर मे फस कर उसके घुटनो तक ऊपर उठ गयी, और गोरी नंगी पिंदलियों की रगड़ खा कर निकुंज के मुँह से भी दीप जैसी आह निकल पड़ी
" मैं रखती हूँ, पहुच कर कॉल कर दूँगी "
इतना कह कर कम्मो ने जल्दी से कॉल कट कर दिया ..और अपने पैर वापस पीछे खीचने लगी ..लेकिन ठीक इसी वक़्त रोड पर एक गहरा गड्ढा आया और कार के उसमे उतरते ही, झटके के साथ उसके तलवे ने खड़े लंड को हाइ प्रेशर से दबा दिया
" मोममम्ममममममममम !!!! "
निकुंज चीखा, और कार के ब्रेक लगाते हुए, उसने उसे लेफ्ट साइड मे रोक दिया ..गड्ढे मे गाड़ी गिरने से कम्मो भी सकते मे आ गयी, लेकिन बेटे की चीख सुन कर अपनी अस्तव्यस्त हालत की परवाह किए बगैर, तेज़ी से सीधी हो कर बैठ गयी
[ आक्चुयल मे जब कम्मो अपने घुटनो को वापस मोड़ रही थी तभी कार अनबॅलेन्स हो गयी , वो सीट से नीचे गिरने लगी / और बचने की गर्ज से उसने अपनी बॉडी का पूरा भार तलवो पर दे दिया / जो निकुंज के चीखने का कारण बना ]
" निकुंज बेटा क्या हुआ ? "
उसने अंजान बनते हुए पूचछा .. निकुंज की आँखें बंद, चेहरे पर पसीना और वो बुरी तरह हाँफ रहा था ..ज़ाहिर है खड़े लंड पर कोई वेटेड चीज़ अपना दबाव दे दे , तो जान निकलना स्वाभाविक है ..वहीं निकुंज को लग रहा था जैसे उसके पंख-पखेरू उड़ते जा रहे हों ..ऐसे वक़्त मे भी उसके हाथ लंड को थाम नही पाए, कम्मो उसकी मा है और वो तय नही कर पा रहा था, लंड को हाथ लगाए या नही
" क्या हुआ कुछ बोल तो सही, आँखें खोल बेटा "
घबराई कम्मो के हाथो ने उसके गालो को पकड़ लिया, और थपथपा कर उसने अपने बेटे को चेतना देने की कोशिश की ..भारी औरत से ये तात्पर्य कतयि नही, उसका वजन मीट्रिक टन मे हो ..कम्मो सुडोल थी, गदराए बदन की मालकिन
" तू कुछ बोलता क्यों नही "
कम्मो ने उसके चेहरे पर फूक मारी, जिसके फॉरन बाद निकुंज ने अपनी पलकों को खोला, पनियाई आँखों मे छुपे दर्द को समझते ही कम्मो के हाथ बेटे के गालो से हट कर नीच्चे की तरफ जाने लगे ..वो एक अजीब पशोपेश मे आ गयी, चोट बेटे को मा की वजह से लगी ..वो भी उसके पुरुषांग मे
अंतर्मन :- " देख क्या रही है कम्मो ..बेटा तड़प रहा है, मदद कर उसकी ..कुछ देर पहले तो बहुत लेक्चर दे रही थी, मा का कर्तव्य, हक़, वगेरा वगेरा ..हिम्मत ला खुद के अंदर पगली, वो पुरुष है तो क्या हुआ ..है तो तेरा लाड़ला ही, आख़िर उसे वापस पाने के लिए ही तो तूने इतना सब कुछ किया ..अब जो करना है जल्दी कर "
कपकापाते हाथ को उसकी जाँघ पर रखते हुए कम्मो ने हल्के से थोड़ा सहलाया, और इसके फॉरन बाद उसने अपनी मर्ज़ी से बेटे की जीन्स के बटन को खोलना शुरू कर दिया ..जानती थी जब तक निकुंज होश मे नही उसका काम आसान है, लेकिन एक बार उसकी चेतना लौटी ..दर्द होने के बावजूद भी वो उसे कुछ नही करने देगा
कम्मो का सोचना सही साबित हुआ ..बटन अनलॉक होते ही निकुंज के होश उड़ गये ..ये उसकी मा क्या कर रही है, ऐसा सोचते ही उसने कम्मो के हाथो को रोकना चाहा
" आहह !!!! मोम मैं ठीक हूँ ..म ..मैं बिल्कुल ठीक हूँ "
हक़लाते स्वर मे निकुंज ने कहा परंतु उसमे इतनी शक्ति नही थी कि अपनी मा के हाथ को पकड़ सके ..शायद शरम्वश वो विस्वास था
" रुक जा ..सीट पीछे कर ले "
कम्मो ने उसे एक डाट लगाते हुए कहा ..वो अब पीछे नही हटने वाली ऐसा सोच कर निकुंज बचने का कोई बहाना ढूँढने लगा ..पर सही मायनो मे उसका लंड इस वक़्त शून्य हो चला था
" मोम मुझे टाय्लेट जाना है ..ज़ोर से..... "
निकुंज ने पुरज़ोर ताक़त खुद के अंदर समेटी और इससे पहले कम्मो अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे डाल पाती ..उसने कार का गेट ओपन कर दिया, तेज़ी दिखाते हुए वो नीचे उतरा और लंगड़ा कर दूर बनी झाड़ियों के करीब जाने लगा