पापी परिवार--36
निकुंज के कमरे मे :-
रात के 3 बज गये, पर निकुंज सिर्फ़ करवटें बदलता रहा ..नींद क्या, इस वक़्त तो उसकी आँखें अंगारों सी लाल थी ..रह - रह कर उसके जहेन मे वही नज़ारा घूम रहा था, जब उसकी ' बदचलन ' मा अपने सग़ी बड़ी बेटी की चूत चाटने मे व्यस्त थी ..हलाकी अब भी वो कम्मो के लिए अपनी ज़ुबान पर इस तरह का घिनोना शब्द प्रयोग मे नही ला पाता ..लेकिन उसकी सोच तो बार - बार यही कह रही थी .. ' उसकी मोम लेज़्बीयन बन गयी है '
बरसो बीत गये, कम्मो कभी घर से अकेली बाहर नही गयी, जाती भी थी तो अपने पति या बच्चो को साथ ले कर, यहाँ तक कि हर बार बाहर जाने से पहले उसका तर्क होता ' मुझे भीड़ - भाड़ पसंद नही आप लोग चले जाओ ' ..फिर उस पर ' बदचलन ' होने का आरोप लगाना तो स्वयं ब्रम्हा के लिए असंभव था ..निकुंज की क्या औक़ात
" मोम पहले ऐसी नही थी ..फिर अब क्यों ? "
बस इसी सवाल पर आ कर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर देता ..बचपन से ले कर आज तक उसे कम्मो से कोई शिक़ायत नही रही थी ..लेकिन आज वो चाहता था, अभी और इसी वक़्त अपनी मोम के कमरे मे जाए ..और जी भर के उससे लड़े ..अपने सवाल का जवाब पूच्छे .. ' आख़िर क्यों ? "
" डॅड की ग़लती भी कम नही ..पैसे कमाने के चक्कर मे उन्होने अपनी बीवी और बच्चो पर कभी ध्यान नही दिया ..मुझे तो लगता है मोम के इस अन-नॅचुरल बिहेवियर के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार वही हैं "
अकेली कम्मो पर उंगली उठाना निकुंज से नही हो पाया ..आज जो कुछ उसने देखा, प्रेमवश वो सब कुछ भुला देता ..लेकिन सही वजह पता चलने के बाद
लेटे लेटे उसे प्यास लगने लगी ..रात के खाने के बाद से उसने एक घूट पानी भी, गले से नीचे नही उतारा था
" आज तो बॉटल भी साथ नही रख पाया "
वो बेड से उठा ..ज़मीन पर पग धरते ही उसके सर मे तीव्र गति से दर्द महसूस होने लगा ..हलाकी दर्द सर मे नही उसके दिल मे है ..बस गेहन चिंतन मे डूबने से उसकी टीस, दिमाग़ की नसो पर वार कर रही थी
जैसे - तैसे वो अपने कमरे से बाहर आया और किचन मे रखे फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर एक बार ही मे अपने प्यासे गले को तर करने लगा ..पानी से पेट भरना कितना मुश्क़िल होता है जब आप के सामने अन्न का अथाह भंडार रखा हो ..लेकिन सुबह निक्की के बदलाव और रात मे कम्मो की शर्मनाक हरक़त को देख कर उसने ठीक से खाना तक नही खा पाया था
वापसी मे उसके मन मे लालसा उठी .. ' क्यों ना अपनी बहेन के मासूम चेहरे को देखा जाए, दिन मे वो चोटिल हुई थी ..लेकिन बाथ-रूम के हादसे के बाद से निकुंज ने अब तक अपनी बहेन से कोई बात नही की थी '
" कम से कम मैने खाने पर तो उससे पूछा होता ..' अब तेरा दर्द कैसा है ? ' "
उसके कदम निक्की के कमरे की तरफ बढ़ गये ..हल्के ज़ोर से उसने कमरे का दरवाज़ा खोला, जो अक्सर उसे खुला ही मिलता था .. ' जब मन पापी ना हो तब पर्दे की कोई एहमियत शेष नही रहती '
कमरे की लाइट जलाने के बाद उसने बेड की तरफ अपनी नज़रें घुमाई
" मोम !!!! "
उसके मूँह से ये शब्द बाहर आते - आते बचा ..निक्की को अपनी बाहों मे समेटे कम्मो उसे, उसके साथ बेड पर लेटी दिखाई दी
क्षन्मात्र मे निकुंज ने लाइट ऑफ कर दी ..और तेज़ी से दरवाज़ अटका कर अपने कमरे मे लौट आया
उसके दिल मे लगे घाव को इस सीन ने और भी ज़्यादा ज़ख़्मी कर दिया ..वो तो भला हो उसके उसके शांत स्वाभाव और सैयम का जो उसने चीखा नही ..नही तो अभी हाल कम्मो को अपनी प्यारी बहेन के बिस्तर से अलग करवा देता
" लेकिन किस हक़ से ..वो मा है उसकी "
एक पल को निकुंज पॉज़िट्व सोचता और दूसरे पल उसकी थिंकिंग नेगेटिव मे बदल जाती
" वो अब मा नही रही उसकी ( निक्की ) ..प्रेमिका बन गयी है ( लेज़्बीयन ) "
सहसा उसकी आँखों की किनोर छल्छला उठी ..इज़्ज़त बनाने मे ता-उमर बीत जाती है, लेकिन गवाने मे पल भर शेष नही लगता ..मा की ममता की सारी छवि धूमिल हो कर, कम्मो उसे अपनी बहेन की सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देने लगी ..जिसकी वजह से उसकी बहेन का जीवन किसी अंधे कुँए मे दफ़न हो कर रह जाता
" भाड़ मे जाए शादी ..रघु को घर लाने के बाद मैं निक्की को अपने साथ कहीं दूर ले जाउन्गा ..माना पैदा उसे मोम ने किया है ..लेकिन डॅड की जगह पाला मैने है ..मैं कतयि अपनी बहेन के साथ इस तरह का घिनोना कार्य होते नही देख सकता "
इसके साथ ही निकुंज अपने घर से बग़ावत करने को राज़ी हो गया और कम्मो के साथ पुणे टूर पर जाने की मोहर भी लग गयी
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वहीं 1स्ट फ्लोर पर निम्मी का कमरा शांत ज़रूर था, लेकिन उसका मन शांति से कोसो दूर
" भैया के घर आने के बाद मेरी क्या हालत होगी ..फक !!!! "
घबराहट, नाराज़गी, डर ..केयी तरह के रंग उसके चेहरे पर इस वक़्त देखे जा सकते थे
1) शॉर्ट ड्रेसस ( बॅन ) :- सिर्फ़ सलवार - कमीज़ से काम चलाना पड़ेगा
2) रात को जल्दी सोना ..सुबह जल्दी उठना
3) फ्रीली घूम नही पाएगी ..घर के अंदर हो / या बाहर
4) बार बार जो ये दाँत बाहर आ जाते हैं ..यक़ीनन इन्हे टूटने मे ज़्यादा वक़्त नही लगेगा
5) एलेक्ट्रॉनिक गॅडजेट्स का मिनिमम युजिज
6) सबसे बड़ी बात उसकी आज़ादी छिन कर कमरे की चार दीवारी मे क़ैद हो कर रह जाएगी ..हो सकता है उसके भैया उसके इन्स्टीत्यूट के पन्गो को भी जान ले
" नही नही, भैया इस वक़्त पागल हैं ..उनका दिमाग़ काम नही करता "
निम्मी ने भयवश अपना थूक निगल कर, सूखे गले को तर किया ..लेकिन अगले ही पल उसे बीता वो थप्पड़ याद आ गया, जिसका दर्द आज भी याद कर वो सेहेम जाती है
" पागल तो वो पहले भी थे, जब जमाने भर की लड़कियों का बचाव किया तो मेरी तो खटिया खड़ी कर देंगे ..भाभी तक को गोली मार दी, निम्मी !!!! तेरी आने वाली ज़िंदगी के लोड्े लगने वाले हैं "
इसी के साथ ही उसने अपनी आँखों को ज़ोर से भींच लिया और झूट - मूट सोने का नाटक करने लगी ..रघु से डरने की मेन वजह थी .. ' उसका कॅरक्टर, उसके उसूल, और सबसे बड़ा उसका जिगर '
" रिलॅक्स निम्मी !!!! ये दो दिन तो हैं ही तेरे पास ..जी ले जितना जी सकती है ..सारी मस्ती इन्ही दो दिनो मे पूरी कर ले ..क्या पता इसके बाद तुझे आज़ादी की साँस तक लेना नसीब ना हो "
खुद का साहस बढ़ा कर उसने सोने की कोशिश की और थोड़ी देर बाद इसमे कामयाब भी हो गयी
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अगली सुबह अपने टाइम से हुई ..लेकिन आज ' चावला ' परिवार के हर शॅक्स ने एक बड़े बदलाव के साथ अपनी पलकें खोली
किसी ने खुशी से ( निक्की ) ..किसी ने तड़प से ( कम्मो ) ..किसी ने दुखी मन से ( निकुंज ) ..तो किसी ने डर से ( निम्मी ) ..मात्र दीप ही ऐसा सदस्य रहा, जिसने एक साथ इन सारे बदलाओं को महसूस किया और स्वीकारा भी
नाश्ते की टेबल आज भी वैसी ही सजी, बस सन्नाटा ज़्यादा छाया रहा ..हर सदस्य कुछ ना कुछ सोचते हुए जुगाली करने मे व्यस्त था ..आँखें बार - बार कुछ देखने की कोशिश करती ..लेकिन ज़ुबान साथ नही दे पाती, खामोश रह जाती
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कुछ देर बाद दीप, कम्मो को शिवानी से मिलवाने ले गया और वापसी मे घर लौट-ते वक़्त कार मे उनकी सामान्य बातचीत होने लगी
" तो कैसा लगा बड़ी बहू से मिल कर ? "
दीप ने स्माइल करते हुए पूछा, वो शिवानी को अपने घर लाने मे सफल जो हो गया था ..साथ ही ससुर - बहू दोनो अपने प्यार कर इज़हार भी कर चुके थे
" अच्छी है ..लेकिन रघु के हिसाब से आप को छोटी नही लगती ..मेरा मतलब है वो ध्यान तो रख लेगी ना हमारे बेटे का ? "
कम्मो ने जवाब दिया, इस वक़्त उसके चेहरे पर मिश्रित भाव थे
" ये तो तुमने बिल्कुल सही कहा, रघु की बीमारी के मद्देनज़र उसे संभाल पाना बेहद मुश्क़िलों भरा होगा ..लेकिन कम्मो ये लड़की छोटे शहर की है, मुझे यकीन है ख़ास कर तुम्हे तो शिक़ायत का मौका देने से रही ..फिर जिन घरो मे शुरू से ही अभाव रहे हों, उन घरो की लड़कियों मे त्याग की भावना ज़्यादा रहती है ..उदाहरण स्वरूप .. ' मेरा पेट भरे या नही ..बाकी परिवार का भरना चाहिए ' "
दीप ने अपनी बात पूरी भी नही कर पाई, और कम्मो फटी आँखों से उसके होंठो को हिलता देखने लगी
" क्या हुआ !!!! मैने कुछ ग़लत कह दिया क्या ? "
दीप उसके रियेक्शन से चौक सा गया ..इस तरह आश्चर्य से उसकी बीवी ने उसे पहले कभी नही देखा था
" नही नही - कुछ नही ..मुझे शिवानी पसंद है ..कहना तो ग़लत होगा, लेकिन तनवी से ज़्यादा लगाव महसूस किया मैने शिवानी से मिल कर "
ये शब्द कम्मो के नही, उसके अंदर की ईर्ष्या बाहर निकल आई थी ..कल रात के हादसे ने उसे अपने बेटे से मीलों दूर जो कर दिया था, इतनी दूर कि वापस उसके पास जाने मे कम्मो को तनवी और यहाँ तक कि अपनी बेटी निक्की तक से सामना करना पड़ता ..बेटी तो पराया धन है, एक ना एक दिन घर से रुखसत होना ही पड़ेगा ..लेकिन बीवी मिलने के बाद निकुंज सच मे उससे कट सा जाता और जो दूरियाँ मा - बेटे के दरमियाँ आई हैं, उन्हे मिटाना असंभव हो जाएगा
" क्या हुआ - क्या सोचने लगी ? "
दीप के सवाल से कम्मो यथार्त मे लौट आई
" जी कुछ नही ..आप कहिए - क्या कह रहे थे "
कम्मो ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा
" पता है तुम्हे शिवानी से ज़्यादा लगाव क्यों महसूस हुआ ..वो इस लिए, कि कहीं ना कहीं अपनी जवानी मे तुम भी बिल्कुल उसके जैसी ही थी ..घर से भागने के बाद हम ने कितने बुरे दिन देखे, अब तो याद करने मे भी रोना आ जाता है ..छोटा सा स्टोर रूम, और अपने दोनो जुड़वा बच्चो को छाती से चिपकाए, सामने की दीवार मे तुम्हारे पैर अड़ा करते थे ..रात - रात भर मैने तुम्हारी टाँगो मे उठते दर्द को महसूस किया, जो सीधी ना हो सकने की वजह से हमेशा मूडी रहती थी ..मुझे लगता, मैं तुम्हे कोई सुख नही दे पाया ..यहाँ तक, दो नीवाले प्यार तक के...... "
दीप ने कार की स्पीड को लो करते हुए कहा ..जाने क्यों उसे लग रहा था कि अपने व्यवाहिक जीवन मे उसने कम्मो को कभी शामिल ही नही होने दिया
" बस करो जी ..वक़्त - वक़्त की बात है ..उस टाइम मेरा संसार उस छोटे से स्टोर मे सिमटा हुआ था और आज मैं इतने बड़े घर की मालकिन हूँ, कि घर का पूरा चक्कर लगाने मे मेरे पैर जवाब दे जाते हैं ..बस इसके आगे और कोई लफ्ज़ नही, मुझे समझ आ गया, आप पैसे कमाने मे इतने व्यस्त क्यों रहे ..ताकि आप का परिवार किसी भी तरह के अभाव को क्षन्मात्र के लिए भी महसूस नही कर सके "
इसके साथ ही कम्मो ने अपना सर दीप के कंडे पर टिका लिया
" चलो ठीक ..तुम्हे घर ड्रॉप करने के बाद मैं शाम की फ्लाइट की दो टिकेट्स बुक करवा दूँगा "
दीप ने कहा ..फॉरन कम्मो की आँखों की पुतलियाँ नाचने लगी ..बीती रात अंतर्मंन से की गयी सारी बातें याद आते ही उसने कहा
कम्मो :- " बाइ रोड जाना ज़्यादा कंफर्टबल रहेगा "
" बाइ रोड !!!! लेकिन फ्लाइट से तुम जल्दी पहुचोगे "
दीप का जवाब सुन कर कम्मो कुछ देर के लिए चुप हो गयी, कैसे अपनी बात मनवाई जाए इसके लिए उसने सोचना शुरू किया, लेकिन उसे जो भी करना था बेहद गति से ..और कुछ ही पलो मे उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर गयी ..शायद यही बदलाव आया था उसके अंदर कल रात के हादसे के बाद ..जो वो अपना दिमाग़ चलाने लगी थी
" देखो जी !!!! माना फ्लाइट से हम जल्दी पहुच जाएँगे ..लेकिन वापसी मे मेरे बच्चे को देख कर ये ज़ालिम दुनिया हसेगि, तरह - तरह के मूँह बानएगी ..और ये मुझसे बर्दास्त नही होगा ..कुछ भी हो मैं मा हूँ उसकी, कैसे सह लूँगी ..आप घर जा कर ' सफ़ारी ' को चेक करने भेज दें ..लौट-ते मे रघु का सर अपनी गोद मे रख कर, उसे सुलाते हुए ले आउन्गि "
इतना कह कर कम्मो चुप हो गयी, उसे अचंभा हुआ ..कितनी चतुराई से उसने अपनी बात को कह दिया .. ' हे राम !!!! ये निकुंज मुझसे और क्या - क्या करवाएगा ? '
दीप को उसकी बात जच गयी और उसने घर जाते ही पार्किंग मे खड़ी सफ़ारी को गॅरेज पर छोड़ दिया ..ये उनकी फॅमिली कार थी, जो पूरे परिवार को एक साथ टूर पर ले जाने के वक़्त काम आती ..क्यों कि मुंबई की सड़को पर बड़ी गाड़ियों को चलाना बेहद मुश्क़िल होता है
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घर आते ही कम्मो सीधी निक्की के कमरे मे एंटर हो गयी, निकुंज इस वक़्त उसके कमरे मे ही था ..लेकिन दोनो भाई-बेहन के बीच डिस्टेन्स गॅप को आज निकुंज कम नही कर पाया ..निक्की बेड पर बैठी थी और वो उससे काफ़ी दूर चेर पर
" बेटा !!!! अब कैसी तबीयत है ? "
कम्मो ने बेड पर उसके नज़दीक बैठते हुए पूछा, जिसे देख कर निकुंज की थियोरियाँ चढ़ गयी
" मोम अब बेटर है ..थॅंक्स टू भाई, जो मेरी कितनीईीईईईई केर करते हैं "
निक्की ने अपने भाई के चेहरे को देख कर स्माइल पास किया .. ' कितनी ' शब्द पर ज़ोर देने का मतलब निकुंज को हाल समझ आ गया और वो चेर से उठने लगा
" बैठो ना भाई, फिर आज तो आप दोनो पुणे जा रहे हो ..मुझे बहुत याद आएगी "
निक्की ने फिर से कहा, तो निकुंज के लिए कमरे से बाहर जाना नही हो पाया ..वो खुद भी परेशान था ..जाने कैसे अपनी बहेन के बगैर वो 2-3 दिनो तक रह पाएगा
" चल गिव मी आ हग ..मुझे भी तेरी बहुत याद आएगी "
इतना कह कर कम्मो ने अपनी बेटी को, अपनी छाति से चिपका लिया और यहीं निकुंज की झातें सुलगने लगी
" मोम कितना वक़्त बीत गया ना आप के साथ सोए हुए ..आइ मीन बचपन के बाद पहली रात थी जो आपने मुझे इस तरीके से अपने पास सुलाया