पापी परिवार--40
बेड पर अचेत लेटी कम्मो बड़े पशो-पेश मे फसि थी, रोते हुए सिर्फ़ उसे वही बात याद आती रही जो उसके बेटे ने बाथ-रूम मे कॉल कट करते हुए कही थी .. ' आगे जो भी होगा आख़िर भुगतना तो मुझे ही है '
दूसरा झटका उसे नीमा से बात-चीत के दौरान लगा ..उसकी दोस्त के मूँह से उस वक़्त ज़ोरदार सिसकियाँ निकल रही थी, जैसे उसकी धुवांधार चुदाई चल रही हो ..और शायद तभी नीमा ने उसे 30 मीं. से रिटर्न कॉल करने को कहा होगा
एक एक पल सदियों सा बीतने लगा, हलाकी कम्मो ने कॉल पर जो भी जानकारी पूछि ..वो उसकी घबराहट या जल्दबाज़ी कह सकते हैं, वो चाह कर भी निकुंज के दुख मे शरीक नही हो पाती ..बेटे के लंड को छुना या चूसना तो बहुत दूर की बात ..उसके लिए तो ऐसा सोचना तक पाप था
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30 मीं. पश्चात उसने अपने सेल को देखा, बेजान हाथ उसे उठाने तक को मजबूर लगे ..जिस ख़तरनाक मोड़ पर कम्मो खड़ी थी ..उसके एक तरफ खाई ( निकुंज ) और अब दूसरी तरफ कुँवा ( नीमा ) थी
" कॉल पर उससे क्या कहूँगी, मैं ये जानकारियाँ किस लिए ले रही हूँ ? "
खुद के सवाल पर उसकी आँखें बंद हो गयी, जिनकी किनोरो से आँसुओ की बूँदो का निकलना फिर से जारी हो गया ..लज्जा का अनुभव ज़रूरी नही तब ही हो, जब कोई आप के मूँह पर थप्पड़ मार जाए ..असल बेज़्जती तो तब महसूस होती है जब आप का मन बार-बार उसी बात का चिंतन करे
" माना उसने मुझे अपने बेटे के विषय मे बता दिया था, पर मैं नही बता सकती ..एक तो उमर मे वो मुझसे छोटी है, फिर घर समहालने वाली भी तो खुद वही है ..अगर उसका पति दूर ना होता तो यक़ीनन वो वर्तमान हालात के आगे कभी नही झुकती "
कम्मो सोचने मे व्यस्त थी तभी उसका सेल बजने लगा ..उसने पलकें खोल कर स्क्रीन की तरफ देखा ..कॉलिंग नीमा लिखा आ रहा था
" इनके ( दीप ) बारे मे बोल दूँगी "
आँसू पोंछ कर उसने अपने भरे गले को खकारा, ताकि कॉल पर उसके रोने का नीमा को अनुमान ना हो सके
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" हेलो "
कम्मो ने कॉल पिक किया
" हां कम्मो ..सॉरी यार उस वक़्त थोड़ा बिज़ी थी ..हां अब फ्री हूँ ..बोल क्या बात पूच्छना था ? "
नीमा ने जवाब मे कहा ..फॉरन कम्मो की भोएँ तंन गयी ..बीते चार दिन पहले नीमा कितनी गुम्सुम थी, अगर कम्मो उसे समझाने नही जाती, यक़ीनन उसने शूसाइड कर लिया होता ..लेकिन अभी कॉल के वक़्त उसकी आवाज़ मे बेहद उत्साह था, चहेक थी, खुशी थी
कम्मो ( अपने मन मे ) :- " दो ही कारण हो सकते हैं ..या तो विक्की पूरी तरह से ठीक हो गया है, या तो नीमा हालात के हाथो हार गयी है ..थोड़ी देर पहले जो सिसकियाँ मैने सुनी थी, प्रमाण स्वरूप काफ़ी है "
" तुझे सच मे नही पता मैने क्या पूछा था ..ऐसा क्या ज़रूरी काम कर रही थी उस वक़्त ? "
कम्मो ने सवाल किया
" तुझसे कुछ छुपा नही रही, पर ये सच है उस टाइम मैं अपने होश मे नही थी ..क्या पूछा था अब बोल ? "
नीमा ने जवाब दिया
" पहले बता होश कहाँ था तेरा ..मुझे कुछ अजीबो-ग़रीब आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी "
कम्मो ने उसकी चुटकी ली, अब ये क्लियर हो गया उस वक़्त नीमा चुदाई मे बिज़ी थी
" कम्मो मैने तुझसे कहा था ना, मैं ज़्यादा दिन ज़िंदा नही रहूंगी, हां मैने अपने अंदर की मा को विक्की के लिए मार लिया है ..जब तेरा कॉल आया, हम सेक्स कर रहे थे "
नीमा ने जवाब दिया बुत इस बार उसकी आवाज़ मे कंपन था, ग्लानि थी ..फिर भी बिना किसी हिचकिचाहट के उसने सच बोल दिया
" ह्म्म्म्म !!!! तेरी आवाज़ जब मेरे कानो मे पड़ी, मैं तभी समझ गयी थी, कॉल की दूसरी तरफ क्या चल रहा होगा ..अभी कहाँ हैं दोनो बच्चे ? "
कम्मो ने भी नॉर्मली जवाब दिया ..अगर वो शॉक्ड हो का रिप्लाइ करती, नीमा को ज़रूर हर्ट हो जाता
नीमा :- " स्नेहा तो अपनी मौसी के घर गयी है और विक्की अभी-अभी मेडिकल गया है ..मेरे लिए पेन किल्लर लेने "
कम्मो :- " पेन किल्लर ..किसलिए ? "
" अब जब रात भर मे 6 बार चुदाई हुई होगी ..तो पेन किल्लर तो खानी ही पड़ेगी "
नीमा ने धीमे स्वर मे कहा, बोलते वक़्त उसके गालो पर लाली छा गयी
" 6 बार ..क्या बात कर रही है ..तेरी च ..च ..चूत तो बुरी तरह फट गयी होगी "
इस बार कम्मो बेड पर उच्छल पड़ी ..' एक रात मे 6 बार चुदाई ' ..सुन कर उसके तोते उड़ गये ..सेक्स मे इंटेरेस्ट ना के बराबर होने से वो सिर्फ़ एक राउंड मे ही पस्त हो जाती थी, और नीमा ने एक ही रात मे ' 6 बार ' सेक्स कर लिया वो भी अपने सगे बेटे विक्की के साथ
कम्मो को महसूस हुआ कल रात से उसकी चूचियों मे भारी पन आया है, निपल भी कल रात से ही तने थे, ब्लाउस के अंदर सिर्फ़ पसीना ही पसीना भरा हुआ था , अजीब सी घुटन महसूस कर फॉरन उसने ब्लाउस के ऊपरी दो बटनो को खोल दिया ..असर पड़ा लेकिन नाम मात्र का
" क्या हुआ तू चुप क्यों हो गयी ? "
नीमा हस्ते हुए बोली ..दोनो दोस्त के बीच सेक्स टॉपिक कभी कभार ही हुआ होगा ..लेकिन एक लिमिट से बाहर दोनो ही नही निकल पाए ..पर आज तो जैसे कमाल ही हो गया था ..चूत, चुदाई जैसे शब्द खुल कर मूँह से बोले जा रहे थे
" कुछ नही थोड़ा ब्लाउस अड्जस्ट कर रही थी ..खेर तू बोल क्या बोल रही थी ? "
कम्मो की चढ़ती साँसे नीमा से नही छुप सकी ..बात वो अपने बेटे के साथ हुए सेक्स की कर रही थी, और उसका असर कम्मो पर दिखाई दे रहा था ..शैतानी मे भर कर तुरंत नीमा ने उसके मन की थाह लेने का सोचा
" तो उतार दे ना ब्लाउस को, कौन सा तुझे कोई देख रहा होगा ..मैं तो अभी भी नंगी पड़ी हूँ बेड पर, उठा तक नही जा रहा, विक्की ने हड्डी - हड्डी का चूरमा बना कर रख दिया है ..और चूत तो जैसे फट कर भोसड़ा बन गयी है "
नीमा ने उसे छेड़ते हुए कहा, वो जानती थी एक मा के लिए ये सब सुनना कितना स्ट्रेंज फीलिंग से भरा हो सकता है ..कुछ वक़्त पहले तक तो वो खुद भी यही सोच कर पानी हो जाती थी, लेकिन आज कयि महीनो बाद उसे असीम आनंद की प्राप्ति हुई है, उसका रोम - रोम पुलकित था
" बस कर नीमा शरम नही आती तुझे, मेरी उमर का तो ख़याल कर "
कम्मो से रहा नही गया उसने दो पल को सेल हाथ से छोड़ कर, फुर्ती से अपना ब्लाउस उतार कर बेड पर गिरा दिया ..कुछ गहरी साँसें लेने के बाद उसने वापस सेल अपने कान से चिपकाया
" क्या करूँ कम्मो, आज तो जैसे मैं स्वर्ग मे पहुच गयी हूँ ..कल तक सिवाए किस्मत को दोष देने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा चारा नही था, लेकिन आज मैं उसी किस्मत की शुक्रगुज़ार हूँ, जो मुझे चन्द घंटो मे ही इतना सुख मिल गया "
नीमा बोलती रही, और कम्मो बड़े गौर से उसकी बातों को सुनने मे व्यस्त हो गयी ..उसकी चूत मे सिकुड़न आना लाज़मी था, और हुआ भी यही ..अपनी टाँगो को पूरा फैला कर भी कम्मो को चैन नही मिल पाया
" जानती है कम्मो, 3 दिनो से विक्क अपने स्कूल प्रॅक्टिकल मे बिज़ी रहा, मैं जब भी उसके कमरे मे जाती, उसे किताबो मे उलझा पाती ..एक पल को तो मुझे लगता जैसे मैने इस जंग को जीत लिया है, मेरा बेटा अब मास्टरबेट की बुरी लत से आज़ाद हो गया है ..लेकिन दूसरे ही पल मैं उदास हो जाती, शरम नही करूँगी बताने मे ..पर मेरी उदासी की असली वजह थी उसका लंड, जिसे मैने बीते 5 महीनो मे लगातार देखा था ..एक तरह से उसे चूसना मेरे जीवेन की दिनचर्या मे शामिल हो गया था ..कयि - कयि बार तो रात - रात भर मुझे नींद नही आती थी, बस जी मे आता अभी उसके कमरे मे जाउ और सारी रात मज़े से चूसू, उससे खेलु ..आख़िर कब तक एक औरत प्यासी रह सकती है ..मेरे हज़्बेंड के साथ लास्ट चुदाई मैने 10 महीने पहले की थी, वो भी सिर्फ़ एक छोटा सा राउंड
कम्मो पिच्छले कयि महीनो से मेरी चूत मे भयानक आग लगी थी, ऐसी आग जो अब सिर्फ़ लंड से ही बुझ पाती ..मैने बहुत सोचा पर अपना मन नही बदल सकी ..कल जब विक्कीी स्कूल से लौटने वाला था, मैने अपने रूम का गेट खुला छोड़ दिया और सारे कपड़े उतार कर खुद को संवारने लगी, मैने फ़ैसला कर लिया था आज रात मैं उससे से चुद कर ही दम लूँगी
वो घर आने के फॉरन बाद मेरे कमरे मे आ गया, गेट से अंदर झाँकते ही मैं उसे नंगी शीशे के सामने बैठी दिखाई दी, जाने क्यों उसके कदम पीछे हटने लगे और वो मेरे कमरे से बाहर जाने लगा ..लेकिन तभी मैने उसे रोका और अपने पास बुलाया, हौले हौले कदमो से चलता हुआ वो मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया, हमारी नज़रें मिली ..हम दोनो की धड़कने तेज़ रफ़्तार से चल रही थी, कम्मो उस वक़्त मेरे हाथ मे कैंची थी, मैं अपनी झाँते काट रही थी
मैं :- " बेटा कुछ काम था क्या ? "
" नो मोम, मैं तो...... "
वो इससे ज़्यादा कुछ नही बोल पाया, लेकिन उसकी नज़र जल्द ही मेरी टाँगो की जड़ को घूर्ने लगी ..मैने लाज़ाकर उसकी आँखों मे देखा, जिनमे बड़ी उत्सुकता थी, उसकी लाल आँखों मे अजीब सी बैचैनि दिखाई दे रही थी ..पहली बार अपनी मा को नंगा देख रहा था, या शायद किसी भी औरत को
वो खड़ा था और मैं चेर पर बैठी थी, पॅंट के अंदर खड़े लंड का फुलाव देखते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, मैने देर ना करते हुए उसके पॅंट की बेल्ट खोली दी, और अगले ही पल मेरे हाथो मे वापस मेरा खिलौना लौट आया, जिसे मैं 3 दिनो से बहुत मिस कर रही थी
विक्की के लंड मे इतना ज़्यादा तनाव शायद ही मैने कभी देखा होगा, या यूँ कह ले ..उसे अपनी मा का नंगा बदन पसंद आया ..फटी आँखों से अब भी वो सिर्फ़ मेरी चूत को ही निहार रहा था
मैने अपने खुश्क होंठ उसके सूजे सुपाडे पर रख दिए, दोनो ही चीज़ें उस वक़्त अंगार थी ..वो सिसक उठा, और फॉरन मैने अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर घुसा ली, साथ ही सुपाडे के छेद पर अपनी पायंटेड जीभ चुभाते हुए, उसे तड़पाने लगी ..कल तक जो लंड मेरे लिए बेटे का था, आज मुझे वो किसी गबरू जवान लड़के का दिखाई दे रहा था
उससे सहेन नही हो पाया और उसके हाथो ने मेरे बालो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया ..वो चाहता था, मैं फॉरन लंड चूसने लगू पर मैं अगले 5 मिनट तक सिर्फ़ उसे उकसाती रही ..आज शायद उसके मूँह से सुनने को बेताब थी ' मोम चूसो ना '
जल्द ही उसका सबर टूट गया और चिल्लाते हुए उसने ज़बरदस्ती आधा लंड मेरे मूँह के अंदर कर दिया ..मुझे अपना बचाव करने की कोई आज़ादी नही मिल पाई, ज़्यादा वक़्त नही लगा और वो लगभग पूरा लंड मेरे गले के आर - पार निकालने की कोशिश करने लगा ..मैं बार-बार चोक हो जाती, मूँह से बहकर लार मेरी चुचियों तक पहुच गयी थी ..आज पहली बार मैने खुद से सवाल किया .. ' उसका लंड मेरे मूँह मे समा क्यों नही पा रहा ..जिसे मैं आसानी से पूरा निगल लेती थी, आज बड़ा कष्टकारी क्यों लग रहा था '