Nevil singh
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a 1" उफफफफफ्फ़ !!! मैं आ तो रही हूँ " ......कम्मो की बात और सिसकी, दोनो पूरी नही हो पाई और निकुंज ने बलपूर्वक उसे बेड पर बिठा लिया ..... " मैं भी मना थोड़ी ना कर रहा हूँ मों !!! बस थोड़ी देर बाद चली जाना " ......मजबूरन कम्मो को उसकी बात मान'नि पड़ी, लेकिन अपनी योनि में धधक रही गर्मी निकालना उसके लिए बेहद ज़रूरी हो गया था ...अब वह हैरत भरी निगाहो से अपने बेटे के अंगूठे को देखने लगी, जिसे उसके चूतड़ो की गहरी घाटी में रगड़ने के बाद वह, उसमें से उठती मादक सुगंध सूंघ रहा था, मदहोश हो रहा था.
" मोम !!! ऊपर आओ ना ..मुझे आप की गोद में सर रख कर लेटना है " .....कम्मो किसी गुलाम की भाँति अपने बेटे की हर बात माने जा रही थी, उसने नीचे लटके अपने दोनो पैरो को आती शीघ्रता से बेड पर चढ़ा लिया और इसी बहाने उसके बेटे को कुछ छनो के लिए ...अपनी मा की झांतो से भरी रसीली योनि का दीदार हो गया.
फॉरन निकुंज ने अपनी जगह से हट'ते हुए, कम्मो को टेक लगा कर वहाँ बिठा दिया और उसके पैरो को विपरीत दिशा में फैलाने के बाद ...उसके दोनो घुटने भी काफ़ी ज़्यादा मोड़ दिए और फिर खुद उसकी नंगी टाँगो के बीच आ कर बैठ गया ...लेकिन इससे पहले वह अपना चेहरा मा की टाँगो की जड़ के बीचो - बीच रखने के लिए, उसे नीचे झुका पाता ...कम्मो ने पहना कुर्ता सरकाते हुए अपनी झांतो से भरी योनि पूरी तरह से ढक ली.
" मोम !!! आप बेहद खूबसूरत हो " ......निकुंज ने उसकी आँखों में देखते हुए, उसकी चिकनी जाँघ पर चूमा तो कम्मो के मूँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गयी और स्वतः ही उसके हाथो से कुर्ते की कीनोर भी छूट गयी.
सही मौका मिलने के बाद निकुंज ने अपनी मोम की लंबी टाँगो के बीच पसरते हुए, उसकी जाँघो को हवा में उपर उठा दिया ताकि अपना मूँह, मा की फूली हुई गीली और धधकति योनि तक आसानी से पहुचा सके ...कम्मो को एक मिनिट के बाद जाकर कहीं समझ में आ पाया कि उसका अपना बेटा, उसकी योनि चाटना चाहता है और जब उसके बेटे की जीभ ने कामरस से लबालब भरी हुई ...उसकी योनि की सुगंधित परतों पर पहला दबाव दिया तो उसका जिस्म थर्रा उठा ...उसके रोंगटे खड़े हो गये और वह मदहोसी में अपने होंठ काटने लगी.
" नही !!! आअहह ..नही निकुंज ..उंगघह " ......कम्मो की सीत्कार के जवाब में निकुंज ने उसकी घनी घुंघराली, सुनहरी झांतो को चाटना शुरू कर दिया ...अब वह जान कर योनि के आस - पास के एरिया को चाट रहा था, ताकि उसकी मा मजबूर हो कर उससे अपनी योनि चटवाने, चुसवाने की माँग करने लगे, गिड़गिदाने लगे ..क्यों कि उसकी मा ने उसकी लंबी जीभ का पहला स्पर्श, पहला कहर झेल लिया था ...... " हाए मोम !!! आप तो बहुत गीली हो ..मुझे तो यकीन ही नही हो रहा " ......निकुंज ने अट्टहास करते हुए कहा, वह जानता था उसकी मा बाथ - रूम क्यों जाना चाहती थी ...वह अपनी बढ़ती कामोत्तजना का अंत करने को मचल रही थी, लेकिन अब सारा खेल उसके बेटे के हाथ में है ...वह जैसे चाहे अपनी मा को शांत कर सकता है, कम्मो भी उसकी बात सुनकर जोश से भर उठी ...बेटे का अपनी मा को इस शर्मनाक अंदाज़ में छेड़ना उसे बेहद पसंद रहा था.
कुछ देर तक झांतो में उलझे रहने के बाद निकुंज नीचे की तरफ अपनी जीभ ले जाने लगा ...उसकी आँखों के ठीक सामने उसकी मा की गान्ड का मुलायम भूरा छेद दिखाई देने लगा, उसने सॉफ महसूस किया ...बार - बार उसकी मा तेज़ सांसो के ज़रिए, अपने गुदा - द्वार को सिकोड कर अंदर की तरफ खीच रही थी और फिर स्वतः ही वह छेद अपने आप ढीला पड़ जाता ...... " न ..न ..निकुंज नही !!! वहाँ नही बेटा ..प्लीज़ " ......बेटे की जीभ का गीला स्पर्श, उसकी थिरकन अपनी गान्ड के कोमल छिद्र पर महसूस कर कम्मो की आँखें नतिया गयी और उसने बेटे का सर ज़ोरो से थाम लिया ..... " आऐईयईईईई !!! मान जा निकुंज ..मैं मर जाउन्गि " .....वह चीखने लगी ..इतने आनंद की कल्पना तो उसने कभी नही की थी, उसे तो पता तक नही था ...शरीर के इस गंदे छेद को भी चूसा या चाटा जा सकता है और सबसे बड़ी बात ...उसमें उठती सिरहन तो वाकाई प्राणघातक थी.