" चल अब जा अपने कमरे में ..निक्की आती होगी " ......इस बार अपने डॅड की बात मानती हुई निम्मी उसकी गोद से नीचे उतार कर खड़ी हो गयी और इसके साथ ही एक बार फिर से दीप की आँखों के ठीक सामने उसकी बेटी की कुँवारी चूत आ गयी ...उसने अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा तो निम्मी एक - टक उसे ही देखती हुई दिखाई पड़ी.
" डॅड एक सच बात कहूँ जो मैने आपसे आज तक नही कही " .......निम्मी ने दीप का हाथ पकड़ कर अपनी सख़्त छाति से चिपका लिया ..... " इस दिल में आप के अलावा, आज तक कोई नही रह पाया है और ना ही कभी कोई रह पाएगा " ......इतना कहने के बाद उसने सोफे पर रखा अपना शॉर्ट्स उठाया और नंगी ही दौड़ती हुई सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.
दीप उसे दौड़ते हुए गौर से देखने लगा, बेटी के मांसल चूतड़ आपस में रगड़ खाते हुए ज़ोरो से मटक रहे थे, सीढ़ियाँ चढ़ते वक़्त उसकी चूत की लकीर इतनी दूर से भी दीप सॉफ देख सकता था या फिर उसके मष्टिशक में अब बेटी की चूत के अलावा कुछ और शेष बचा ना था.
कमरे में पहुच कर निम्मी सीधे अपने बेड पर गिर पड़ी, आज पहली बार उसने ध्यान से कमरे का दरवाज़ा भी अंदर से लॉक किया था ...बेड पर लेट'ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी परंतु उसकी इस मुस्कान में कमीनेपन की झलक लेश मात्र नही थी, वह यह तो शुरूवात से ही जानती थी कि दीप उसे हमेशा से प्यार करता आया है, लेकिन आज उसे भी महसूस हो रहा था कि वह भी उससे उतना ही प्यार करती है ...बस कभी जता नही पाई थी, या कभी उसे इस बात का एहसास नही हो पाया था.
वहीं दीप नीचे हॉल में बैठा अपने ख़यालों में खोया हुआ था ...उसके गहन - चिंतन में आज ना तो शिवानी थी ना ही तनवी, बल्कि अब जो नया चेहरा उसकी आँखों पर पूरी तरह से अपना क़ब्ज़ा बना चुका था ...वह उसकी खुद की सग़ी छोटी बेटी का था.
यूँ ही सोचते - सोचते दोनो बाप - बेटी नींद के आगोश में पहुच गये, कुछ देर बाद निक्की भी कॉलेज से घर लौट आई ...आज तीनो में से किसी से लंच नही किया था तो दीप ने डिन्नर के लिए बाहर जाने का प्लान बनाया.
तीनो शाम को ही घर से घूमने के लिए निकल गये, निक्की ने हमेशा की तरह सलवार - सूट पहना था और निम्मी ने जीन्स - टॉप ...घूमने के पश्चात उन्होने डिन्नर किया और वापसी में थोड़ी देर के लिए बीच पर भी रुके.
दीप लगातार निम्मी की हरक़तें नोट कर रहा था, स्वयं निक्की भी हैरान थी कि आज इस बोलती मशीन को जंग कैसे लग गया ...उसने काई बार कोशिश की अपनी छोटी बहेन से बात करने की लेकिन हर बार निम्मी ने सिर्फ़ उतना ही जवाब दिया ...जीतने में उनकी बात पूरी हो सके, इसके साथ ही दीप ने यह भी महसूस किया कि निम्मी का चेहरा लाज और शरम से भरा हुआ है ...वह अपने डॅड से अपनी आँखें चुरा रही है और कयि बार पकड़े जाने पर घबराहट में अपने होंठ चबाने लगती है, उसकी साँसें भारी हो जाती हैं ...जिसके कारण खुद दईप को ही अपनी आखें उसके लज्जा से पूर्ण चेहरे से हटानी पड़ती.
घूमने के बाद तीनो घर लौट आए ...घर आते ही निम्मी सीधा अपने कमरे में चली गयी, दीप ने निक्की से कुछ नॉर्मल सी बातें की और वे दोनो भी अपने - अपने कमरो में परवेश कर गये.
रात के ठीक 1 बजे दीप के कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई, वह उस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में सो रहा था ...उठने के बाद उसने बेड पर पड़ी चादर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और दरवाज़े की तरफ बढ़ गया.
दरवाज़ा खोते ही उसे बाहर निम्मी खड़ी दिखाई दी ....... " डॅड मुझे नींद नही आ रही, क्या मैं अंदर आ जाउ ? " ........दीप हथ्प्रथ उसके खूबसूरत चेहरे में खो गया ...निम्मी नहा कर आई थी और उसके बदन से उठती मादक सुगंध ने दीप के नथुने फूला दिए, कुछ देर तक जड़ बने रहने के बाद दीप दरवाज़े से पीछे हट गया और निम्मी उसके कमरे में प्रवेश कर गयी.
दरवाज़े को लॉक करने के बाद दीप भी बेड के नज़दीक आने लगा, निम्मी इस वक़्त एक छोटी सी नाइटी पहेने अपनी टांगे बेड के किनोर पर लटकाए बैठी थी ...उसकी उंगलियाँ अपने पानी से नीचूड़ते गीले बालो को सुलझा रही थी और यह कामुक नज़ारा देखते ही दीप का हलक सूखने लगा और वह ना चाहते हुए भी ठीक निम्मी के बगल में बैठ गया.
" डॅड शायद में आप के रूम में 2 - 3 साल बाद आई हूँ " .......इतना कहने के बाद जब निम्मी ने अपने पिता की आँखों में झाँका वह उनमें छुपि वासने के लाल डोरे सॉफ देख सकती थी ...हड़बड़ाकर निम्मी बेड की पुष्ट की तरफ सरकने लगी और जल्द ही वे दोनो बेड पर पूरी तरह से लेट गये.
" डॅड मैं आप के बारे में सब कुछ जानना चाहती हूँ " .....इतना कह कर निम्मी ने दीप की तरफ करवट ले ली और उसके अंडरवेर में बने तंबू को देखने लगी, वह जानती थी इस वक़्त उसके पिता की हालत खुद उसके जैसी है ...एक जवान लड़की का एक मर्द के इतने नज़दीक होना, उसे उत्तेजना से भरने को काफ़ी था.
" डॅड बोलिए ना " ......निम्मी ने सपने में खोए अपने पिता की नंगी छाती पर अपना हाथ रख दिया, अथाह बालो से भरी दीप की कठोर छाति बड़ी तेज़ी से धड़क रही थी ...खुद निम्मी ने भी महसूस किया ऐसा करते ही उसके अपने बदन में भी कंपन आया है और इसका सीधा असर उसकी चूत में सिरहन पैदा करने लगा.
" क्या जानना चाहती है ? " .....होश में आने पर दीप फुसफुसाया ...वह अपनी बेटी के ठंडे व कोमल हाथ का स्पर्श अपनी छाती पर महसूस कर रोमांच से भर उठा था, वह देख रहा था इस वक़्त उसकी बेटी की नज़रें, अपने पिता के अंडरवेर में बने उभार पर टिकी हैं और वह उस उभार को देखती हुई अपने पिता की मजबूत छाती पर ...अपने हाथ की रगड़ दिए जा रही है.
" सब कुछ डॅड ..आप मोम से अलग क्यों हुए, क्या मोम आप से खुश नही ? " .......यह कहती हुई निम्मी सरक कर दीप से बिल्कुल सॅट गयी, उसका सवाल बेहद पर्सनल था पर वह जानना चाहती थी कि इतने बड़े व कठोर लंड के होते हुए भी उसकी मा अपने पति को कैसे ठुकरा सकती है ...इतने उम्रदराज होने के बाद भी जब वह खुद अपने पिता की तरफ आकर्षित है, तो उसकी मा को भला क्या दिक्कत हो सकती है.
" तेरी मोम मुझे झेल नही पाती और मैं हमेशा से अपनी शारीरिक ज़रूरतो के हाथो विवश होता आया हूँ " .....इतना कहने के बाद दीप रुक गया, वह आगे बोल पाता इससे पहले ही उसे महसूस हुआ जैसे निम्मी का हाथ उसकी छाती से नीचे फिसलने लगा हो ...वह एक बार फिर से विवश हो उठा, चाह कर भी अपनी बेटी का हाथ रोक नही पा रहा था और जल्द ही वक़्त आ गया जब उसकी बेटी ने अपना हाथ पिता की अंडरवेर में प्रवेश करवा दिया.
" उफफफफफ्फ़ !!! " ......दोनो के मूँह से करारी आह निकल गयी ...अपने पिता का पूर्ण विकसित लंड निम्मी अपने हाथ की मुट्ठी में जकड़ने की कोशिश करने लगी, वह मदहोशी से भर उठी थी ...लेकिन फड़फड़ाते उस दानव लौडे की मोटाई इतनी ज़्यादा थी कि वह चाह कर भी उसे अपनी छोटी सी मुट्ठी में क़ैद करने से महरूम रह गयी.