वह बेड पर लेटी खुद को कोस रही थी .... उसके दैनिक जीवन में जिस तेज़ी से उथल - पुथल मची, उससे उसका निरंतर पतन ही होता जा रहा था .... कल तक वह अपने पति की पवित्रा थी और आज पूर्णरूप से एक कुलटा नारी में बदल चुकी थी .... कल तक जिस शारीरिक ज़रूरत का उसे भान भी नही था आज वह अपने ही पुत्रो के साथ अपना मूँह काला करने को लालायित थी.
शर्मसार होने के बावजूद कम्मो का पापी मन उसे प्रायश्चित करने का कोई मौका नही दे रहा था .... उसने जाना अब भी वह निकुंज को तीव्रता से पाना चाहती है, अपने विचलित मन को समझाना उसके वश से से कहीं ज़्यादा बाहर हो चला था.
ज्यों ही उस पापिन के मश्तिश्क में पुत्र लोभ पैदा हुआ स्वतः ही उसका हाथ अंधेरे का फ़ायदा उठा कर रघु के निष्प्राण शरीर पर रैंगने लगा .... अपने पति की उपस्थिति में वह इस कार्य को करने से अत्यधिक रोमांच महसूस करने लगी और कुछ देर के अथक प्रयासो के उपरांत मनवांच्छित सफलता मिलने पर उसके बंदन में सिरहन का पुनः संचार होने लगा.
वह अपने बेटे के सुस्त लिंग से खेलने लगी और अगली खुशनुमा सुबह के इंतज़ार में उसकी योनि भरकस लावा उदेलने लगी.
उस रात घर के अन्य सदस्य :-
.
डिन्नर करने के फॉरन बाद निक्की अपने कमरे में दाखिल हो गयी थी, उसने ना तो ठीक से खाना खाया और ना ही परिवार के किसी मेंबर से कोई बात - चीत की .... डाइनिंग - टेबल पर बार - बार उसकी नम्म आँखें निकुंज का चेहरा देखने लगती लेकिन उसके भाई ने इक - पल को भी उसे कोई तवज्जो नही दी.
बेहद दुखी मन से वह अपने कमरे में लौटी और फूट - फूट कर रोने लगी .... निकुंज का उसे यूँ इग्नोर करना खाए जा रहा था, काई बार उसने अपने आँसुओं को रोकने की नाकाम कोशिश की परंतु वे 1000 प्रयत्नो के बाद भी नही रुके और थक - हार कर वह बिस्तर पर ढेर हो गयी.
------------------------------------------------------------------------------------------------------
निकुंज अपने बड़े भाई का बेड रेडी करने के बाद अपने कमरे में वापस लौट आया था .... इस वक़्त उसके चेहरे पर बेहद गंभीरता छायि हुई थी, वह निक्की से कहीं ज़्यादा दुखी अपनी मा से था.
जब कभी वह खाने की टेबल पर अपनी बहेन की तरफ देखता स्वतः ही उसकी आँखें कम्मो की आँखों से टकरा जाती और भयवश वह दोबारा ऐसा प्रयत्न नही कर पाता .... वह जानता था निक्की की उदासी की असल वजह क्या है लेकिन वह खुद को बेहद लाचार महसूस कर रहा था .... बेड पर लेटे हुए उसे 2 घंटे ज़्यादा बीत चुके थे परंतु अत्यंत थकान होने के बावजूब उसे ज़रा भी नींद नही आ रही थी, उसकी तड़प बढ़ने लगी और वह बिस्तर से उतर कर बाहर हॉल में जाने लगा.
कमरे के गेट पर पहुचते ही उसकी नज़र हॅंगर पर टाँगे अपने गंदे कपड़ो पर गयी .... ज्यों ही उसने अपना शॉर्ट्स देखा, बीते कुछ दिनो पहले की याद उसके जहेन में ताज़ा हो गयी .... यह वही शॉर्ट्स था, जिस पर उसकी बहेन का ब्लड लगा हुआ था और जो अब उस पर पूरी तरह से अपना दाग छोड़ चुका था .... निकुंज ने वह शॉर्ट्स हॅंगर से उतार लिया ...... " मैने तो बेचारी से उसकी चोट तक के बारे में नही पूछा " ....... यह कहते वक़्त उसके चेहरे पर छायि उदासी और ज़्यादा बढ़ गयी थी.
वह सोच में डूबा था और तभी उसे कुछ ऐसा यादा आया जिसके फॉरन बाद उसके पूरे जिस्म में कप - कपि दौड़ गयी ....... " अब तक रखी है " ....... शॉर्ट्स की जेब में हाथ डाल कर उसने उसमें रखी अपनी बहेन निक्की की रेड पैंटी बाहर निकाल ली और स्वतः ही उसके ढीले लंड में हलचल होने लगी, वह एक - टक कभी उस पैंटी को देखता तो कभी उस द्रश्य को याद करता .... जब उसकी सग़ी बहेन अपने भाई की आँखों में झाँकति हुई हस्त - मैथुन कर रही थी.
" नही ये सरासर ग़लत है " ...... उसके इस कथन को झूठा साबित करते हुए उसके लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया था ....... " मुझे अभी इसे निक्की के बाथ - रूम में रख आना चाहिए " ....... यह सोच कर उसने अपने खड़े लंड को पॅंट में अड्जस्ट किया और अपने कमरे से बाहर निकल आया.
इस वक़्त पूरे घर में सन्नाटा खिचा हुआ था और जल्द ही उसके कदम निक्की के कमरे की खुली चौखट पार कर गये .... अंदर ट्यूब - लाइट जल रही थी और किसी शातिर चोर की भाँति निकुंज ने कमरे को बोल्ट कर लिया और धीरे - धीरे चलता हुआ वह अपनी बहें के बिस्तर के ठीक सामने पहुच गया.
नींद में निक्की का चेहरा बेहद मासूम दिखाई दे रहा था और अब निकुंज खुद को रोक पाने में बिल्कुल असमर्थ महसूस करने लगा .... वह बिस्तर पर उसके नज़दीक बैठ गया और ज्यों ही उसने निक्की के बालो पर प्यार से अपना हाथ फेरा, सीढ़ियों पर से किसी के उतरने की तेज़ आवाज़ उसके कानो में सुनाई पड़ी और घबराहट में निकुंज बेड से उठ खड़ा हुआ.
" भाई !!! उउउम्म्म्मम " ....... हलचल महसूस कर निक्की की भी आँखें खुल गयी और जैसे ही उसने अपने भाई को अपने कमरे में पाया .... वह खुशी लगभग चिल्लाने को हुई और तभी निकुंज ने फुर्ती से अपना हाथ उसके खुले मूँह पर रखते हुए उसे चुप करवा दिया.
" श्ह्ह्ह्ह्ह !!! " ........ हड़बड़ाहट की इस जद्दो - जहद में निकुंज को भान तक नही रहा था कि जिस हाथ से उसने निक्की का मूँह बंद किया है .... उसी हाथ में उसने उसकी रेड पैंटी पकड़ रखी थी और जब तक वह सम्हल पाता .... निक्की ने उसके हाथ से वह पैंटी अपने हाथ में ले ली.
" अन्बिलीवबल भाई !!! यह अब तक आप के पास थी " ....... शाम के घटना - क्रम से दुखी होने के बाद निक्की यह तय कर के बैठी थी कि अब से वह निकुंज से खुल कर बात करेगी .... शायद उसकी चुप्पी ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन है और इसी को ध्यान में रखते हुए उसने निकुंज से यह लफ्ज़ कहे.
" न .. न नही निक्की !!! वो मैं पूना चला गया था तो कमरे में रखी रह गयी थी " ....... निकुंज का चेहरा उतर गया, बात सच थी ... वह पैंटी और शॉर्ट्स वाली बात पूरी तरह से भूल चुका था और तभी वह उसे लौटाने अपनी बहेन के कमरे में आया था लेकिन किस्मत ने उल्टा उसे फसा दिया.
" बड़े नॉटी हो .. जैसे मैं कुछ समझती ही नही हूँ " ....... निक्की ने उसके सामने अपनी पैंटी को अपने बूब्स पर फैला कर रख लिया .... वह इस वक़्त बेड पर लेटी हुई थी और निकुंज बैठ हुआ था ..... " वैसे तब से ही मेरे पास पॅंटीस की शॉर्टेज हो गयी थी लेकिन आप को चाहिए हो तो रख लो " ....... यह कहते हुए उसने अपने भाई का हाथ अपने बूब्स पर रख दिया जैसे उसके हाथ में पैंटी वापस पकड़वाना चाहती हो.
एका - एक से निक्की का यह हमला निकुंज सह नही पाया और उसकी बहेन ने उसके हाथ को अपने राइट बूब पर ताक़त से दबा दिया ...... " इष्ह !!! " ....... दोनो के जिस्म एक साथ सुलग उठे और जिसमें निकुंज काफ़ी हद्द तक पिघल गया.
" निक्की यह सही नही है .. बेटा हम कल सुबह बात करेंगे " ....... उत्तेजित होने के बावजूद निकुंज ने फॉरन अपना हाथ उसके बूब से हटाना चाहा लेकिन मस्ती से सराबोर निक्की उसके हाथ से अपनी दाई चूची पंप करने लगी ...... " आअहह !!! भाई आप को बहुत मिस किया मैने " ...... उसकी बढ़ती आहों ने निकुंज के लंड में बेहद तनाव ला दिया और कुछ देर बाद उसके हाथो ने स्वतः ही अपनी बहेन की मांसल चूची को दबोचना शुरू कर दिया.
" उफफफफफ्फ़ भाई ज़ोर से !!! यहीं मेरा दिल है .. जिसे आप ने तोड़ दिया " ...... निक्की फुसफुसाई .... वह अपना हाथ बूब से हटा चुकी थी, जिसे अब निकुंज अपनी मर्ज़ी से दबाए जा रहा था ....... " ह्म्म्म्मम !!! लव मी भाई " ....... निक्की का फ्री हाथ तेज़ी से उसकी सलवार के अंदर पहुच गया और वह अपनी कुँवारी चूत से छेड़ - खानी करने लगी.
काफ़ी देर से निकुंज अपनी बहेन के वश में था .... वह बिना कुछ बोले उसके इशारे पर नाच रहा था, वहीं निक्की की चूत में अत्यधिक स्पंदन होने से रति - रस का रिसाव होने लगा और इसके साथ ही उसकी मानसिक स्थिति पूर्ण रूप से डाँवाडोल हो गयी.
" उंघह भाई !!! मेरी पुसी को प्यार करो ना .. जैसा आप ने उस दिन पार्क में किया था " ...... निक्की तड़प कर बड़बड़ाई, वह कयि दिनो से भरी बैठी थी और ऊपर से अपने भाई का तिरस्कार .... अब तो वह अपनी सारी इक्षाओ को आज रात ही पूरा करने को मचल उठी थी.