वहीं दीप के बदन में ज़ोरदार झटका लगा .... इस वक़्त उसकी बेटी ना तो मदहोश थी और ना ही ज़रा भी उत्तेजित फिर कैसे उसने अपने पिता के सामने चूत शब्द का इतना क्लियर इतेमाल कर लिया .... सुन कर वह हैरान हुआ ...... " ले टॅबलेट खा ले .. ठीक हो जाएगी " ...... उसने पोलिबॅग में से पेन किल्लर और पिल .... दोनो एक साथ निकाल कर निम्मी की तरफ बढ़ा दी.
" टॅबलेट तो खा लूँगी डॅड पर आप देखो तो सही मेरी चूत की हालत कैसी है .. क्या अब यह हमेशा ही ऐसी रहेगी ? " ....... निम्मी के अगले अश्लील संवाद ने दीप को उसकी चूत देखने पर मजबूर कर दिया ...... " कम से कम कपड़े से सॉफ ही कर लेती " ...... निम्मी के ऑर्गॅज़म के साथ ही ब्लड का मिक्स्चर सूख कर उसे दूर से भी बेहद ज़ख़्मी शो कर रहा था और यह देख कर दीप थोड़ा सकते में आ गया.
" वाह डॅड !!! क्या मतलब निकल जाने के बाद आप हर लड़की को ऐसा ही कहते हो .. मज़े आप ने लिए हैं .. अब आप ही सॉफ करो इसे " ...... निम्मी बेशर्मी से अपनी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए मुस्कुराने लगी .... दीप फ्लोर पर खड़ा था और फॉरन उसके बदन में कंपन होने लगा .... बेटी के नंगे बदन ने वापस उसके लंड में तनाव लाना शुरू कर दिया था और साथ ही वह जान गया कि निम्मी उसके साथ बातों में भी खुलना चाह रही है.
" अच्छा !!! मज़े सिर्फ़ मैने ही लिए हैं क्या ? " ......... यह कहते हुए दीप सोफे की तरफ बढ़ गया .... उसे इस हिचकिचाहट में भी एक अलग आनंद का अनुभव हुआ .... ज़ाहिर है, इन्सेस्ट प्ले में इंटरकोर्स से कहीं ज़्यादा सॅटिस्फॅक्षन सेक्सी और वल्गर कॉन्वर्सेशन से आता है .... जो रिलेशन्स पहले इक पर्दे में हों, बेहद सॉफ और शुद्ध हों .... अगर अश्लीलता और लुस्ट से भर जाएँ, तो सिर्फ़ बातों से ही लोगो का पानी छूट जाना संभव हो जाया करता है.
" क्या कहा डॅड !!! आप को मज़े नही आए लेकिन मेरी फटी चूत तो कोई अलग ही कहानी बयान कर रही है " ........ बात पूरी करने से पहले निम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी इंडेक्स फिंगर को अपने मूँह में डाल कर थोड़ी देर चूसा और फिर उसे अपनी चूत की ज़रूरत से ज़्यादा खुल चुकी पंखुड़ियों के बीच रगड़ने लगी ......... " आअहह डॅडी !!! एक बात पूच्छू ? " ......... वह अपने पिता को टीज़ करते हुए बोली .... वहीं उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे तैरते देख दीप को ए/सी में भी पसीना आने लगा.
" हां - हां पूच्छ .. क्या पूच्छना चाहती है ? " ......... दीप लालायित होकर बोला .... वह जानता था निम्मी ज़रूर कोई लज्जावीहीन सवाल ही करेगी लेकिन फिर भी वह आतुर था उसका सवाल सुनने के लिए.
" अब तक आप मेरी उमर की कितनी मासूम लड़कियों की चूत इतनी बुरी तरह से फाड़ चुके हो और हमेशा यहीं लाते हो ना कुँवारी कलियों को ? " ........ निम्मी ने अपने मोटी से दाँत बाहर निकालते हुए पूछा ..... बेड पर अपने पिता के सामने भरी जवानी में पूरी नंगी, अपनी चूत खुजाती वह किस छोर से किस छोर तक मासूम थी .... इसका जवाब तो शायद ऊपरवाला भी धरती पर आ कर नही दे सकता था.
" क्यों !!! क्या मेरी बीवी से शिक़ायत करेगी ? ....... बात कहते वक़्त दीप मुस्कुरआया .... पॅंट के अंदर उसके खड़े लंड का ज़ोर था जो अब वह भी खुल कर इन सब वाइल्ड बातों को एंजाय करने का मन बनाने लगा था.
फॉरन निम्मी बेड से नीचे उतर कर सोफे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी .... उसकी लड़खड़ाती चाल, उसके गोल मटोल चूतड़ मटकाने का कार्य स्वतः ही किए जा रही थी .... चलते वक़्त वह अपने पिता की आँखों में घूर कर देख रही थी .... उसके ठोस बूब्स बिना ब्रा के बेहद कसे हुए थे, जैसे उनमें सिवाए माँस या हवा के कुछ और भरा ना ही हो .... ज्यों - ज्यों निम्मी का नंगा जिस्म उसके पिता के करीब आता गया, दीप की साँसें उसकी रूह का साथ छोड़ने लगी, आख़िर कार निम्मी उसकी सामने आ कर खड़ी हो गयी.
" मैं क्यों शिक़ायत करने लगी भला आप की बीवी से " ......... वह अपने पिता की टाँगो के बीच अपनी राइट टाँग रखते हुए आगे को झुक गयी .... भला हो उसका जो उसने अपनी टाँग सीधे दीप के तने लंड पर नही रखी वरना पक्के से दीप अकारण ही झाड़ जाता ....... " अब से मैं भी तो आप की बीवी ही हूँ डॅड " ........ निम्मी की इस बिंदास बोली पर दीप चौंक गया .... उसकी यह बात सुनते ही उससे कंट्रोल नही हो पाया और उसके लंड ने उसकी अंडरवेर में रिसना शुरू कर दिया.