"मा !! आप ने नाइटी के नीचे ब्रा नही पहनी ?" दरवाज़ा बंद होने से पूर्व ही स्नेहा ने बिना किसी अतिरिक्त झिझक के स्पष्ट-रूप से अपनी मा से पुछा. नीमा के गोल मटोल मम्मे और उन पर तने उसके लंबे चूचक उस पारदर्शी नाइटी में बिल्कुल सॉफ नज़र आ रहे थे "और पैंटी भी नही" अपनी मा की चूत पर अपनी हैरत भरी निगाहें डालती हुई वह अपने खुले मूँह पर अपना हाथ रख कर बेहद अचंभित स्वर में कह उठती है.
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"वो .. हू स्नेहा मैं" अपनी बेटी के विध्वंशक सवाल को सुन नीमा की सिट्टी-पिटी गुम हो गयी "तू .. तू पहले अंदर आ" नीमा ने फॉरन दरवाज़े से बाहर झाँकते हुए कहा और सब कुच्छ व्यवस्थित देख दरवाज़े को बंद कर देती है जब कि कुच्छ देर पहले उत्तेजना के भंवर में वही रमणीय नारी निकुंज को विदा करने नंगी ही लिफ्ट तक आ पहुँची थी जो उनके फ्लॅट के मैन दरवाज़े के ठीक सामने परंतु उससे 10 गज के फ़ासले पर स्थापित थी और तब यक़ीनन नीमा को ज़रा भी घबराहट महसूस नही हुई थी कि उसके पड़ोस का कोई भी बंदा किसी भी पल अपने फाल्ट से बाहर निकल कर उसे उसकी नग्न अवस्था में देख सकता है मगर अपने खून द्वारा टोके जाने की शरम में वह मा फ्लोर की गॅलरी का मुआइना करने को विवश हो चली थी.
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दरवाज़ा बंद करने के उपरांत नीमा पलटी और जाना स्नेहा अब तक उसके समीप खड़ी थी और अपनी मा के मोटे-मोटे चुतडो के दर्शन करने के पश्चात उसके चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था, भय-स्वरूप स्वयं नीमा की चढ़ि साँसों और उसके दिल की अनियंत्रित धड़कनो का कोई परवार नही था और निरंतर वह मा किसी अंजानी शंका के तेहेत बुरी तरह काँपती जा रही थी.
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"तू भी फ्रेश हो जा स्नेहा !! मैं अभी आती हूँ, कहीं किचन में बन रही चाइ उबल कर बाहर ना छलक आई हो" नीमा ने अपनी वर्तमान दयनीय स्थिति पर काबू करने का प्रयत्न करते हुए कहा और शीघ्रता से अपने कदमो को किचन की दिशा की ओर चलायमान कर देती है.
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"मा !! जब आप को पता था कि विक्की दरवाज़ा खटखटा रहा है. क्या तब भी आप को ख़याल नही आया कि दरवाज़ा खोलने से पहले इस ट्रॅन्स्परेंट नाइटी के नीचे आप को अपने अंडरगार्मेंट्स पहेन लेने चाहिए थे ?" नीमा किचन के अंदर पहुँच भी नही पाई थी उससे पूर्व ही स्नेहा ने उसके बढ़ते कदमो को अपने दूसरे विस्फोटक प्रश्न के ज़रिए वहीं रोक दिया "क्या आप को नही लगता कि नाइटी पहनने के बावजूद भी आप नंगी दिख रही हो ?" वह टहलती हुई अपनी मा के समक्ष आ कर खड़ी हो जाती है.
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"उम्म्म !! बेटी मैं घर पर अकेली थी तो सोचा केवल नाइटी मेरा से काम चल जाएगा और जब तेरे भाई ने ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़े को पीटा तब वाकाई मुझे इस बात एहसास ना रहा कि मैने क्या पहेन रखा है, क्या नही" अपने मष्टिशक पर दबाव डालने के उपरांत नीमा हौले से फुसफुसाई. सोचते हुए उसका दिल दहेलता जा रहा था कि वह तो नंगी ही दरवाज़ा खोलने वाली थी और यदि विक्की ने उसे आवाज़ दे कर अपनी उपस्थिति से अवगत नही करवाया होता तो निकुंज को वापस लौट आया जान वह बेफिक्री से दरवाज़ा खोल भी देती.
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"चलो कोई ना !! वैसे मेरी मा इस वक़्त कयामत ढा रही है" अचानक मुस्कुराते हुए स्नेहा ने अपना रंग बदला. जितना ख़ौफ्फ वह अपनी मा की आँखों में देखना चाहती थी, तत्काल के लिए उतना उसे पर्याप्त जान पड़ता है और तभी वह अपने क्रोध को अत्यंत तुरंत शांत कर अपना पूर्व प्रेम अपनी मा पर उडेल रही थी.
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"धत्त" जहाँ अपनी बेटी की कटु वाणी में आकस्मात प्रेम-रूपी बदलाव आया महसूस कर नीमा को बहुत सुकून प्राप्त होता है वहीं उसके गाल स्नेहा के शरारती कथन को सुनने के उपरांत शरम से लाल भी हो उठते हैं.
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"चलो मा !! आप इतमीनान से चाइ बना लो, फिर एक-साथ पिएँगे" कह कर स्नेहा हॉल के सोफे की ओर मूड गयी और नीमा अपना पिच्छा छूटते देख अति-तीव्रता से किचन के अंदर प्रवेश कर लेती है.
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"उफ़फ्फ़ ये लड़की और इसके सवाल" नीमा ने गॅस के बरनर को ऑफ किया और अपनी धुकनी-समान अनियंत्रित सांसो की रफ़्तार को सामान्य करने लगी "इससे पहले की विक्की अपने कमरे से बाहर निकले मुझे चेंज कर लेना चाहिए वरना यह इश्यू दोबारा भी क्रियेट हो सकता और क्या पता वह पागल अपनी बहेन के सामने ही मेरे साथ उल्टी-सीधी हरक़त करना शुरू ना कर दे" सोच कर वह हॉल में वापस लौटी मगर वहाँ पनपे मौजूदा दृश्य पर नज़र पड़ते ही उसकी गान्ड फट जाती है. उसकी बेटी स्नेहा उसी सोफे को बड़े गौर से देख रही थी जिस पर कुच्छ वक़्त पूर्व नीमा और निकुंज ने चुदाई का पापी खेल खेला था.
डर से बहाल नीमा ने फॉरन अपने कमरे की ओर प्रस्थान कर जाना उचित समझा लेकिन स्नेहा की अगली हरक़त देख उसकी रूह काँप उठती है. उसकी बेटी सोफे की रेक्सिन सतह पर फैले चुदाई के गाढ़े रस की कुच्छ बूँदें अपने हाथ की उंगली में लपेटने के पश्चात, उस पदार्थ की जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से अपनी वह उंगली अपनी नाक के काफ़ी करीब पहुँचा कर उसकी सुगंध सूंघने वाली रही थी.